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अशोक गहलोत

Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

13 महीनों तक चले किसान आंदोलन ने यह साबित किया कि अब सरकारों को उनकी तरफ ध्यान देना होगा अन्यथा सरकारें चल नहीं पाएंगी। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के मद्देनजर ही, डैमेज कंट्रोल करने के वास्ते प्रधानमंत्री को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। यह वापसी इसलिए हुई क्योंकि देश भर के किसान एकजुट हो गए थे। किसानों की एकता का ही यह परिणाम था कि कानून वापस हुए और अब किसान अपने घरों पर हैं। लेकिन, इसके दूरगामी परिणाम को आपने देखा क्या। इसका दूरगामी परिणाम है, 23 फरवरी को राजस्थान में पेश किया गया कृषि बजट। जी हां, जब से राजस्थान बना है, तब से लेकर अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बजट के बाद कोई कृषि बजट पेश किया गया हो। वह भी अलग से। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। राजस्थान में जो कृषि बजट पेश किया गया, वह किसानों के आंदोलन की ही परिणिति है, ऐसा मानना गलत नहीं होगा।

क्या है कृषि बजट में

अब बड़ा सवाल यह है कि इस किसान बजट में है क्या।

दरअसल, इस किसान बजट में कई व्यवस्थाएं दी गई हैं। इन व्यवस्थाओं को गौर से देखें तो समझ जाएंगे कि राजस्थान सरकार किसानों को लेकर कितनी चिंतित है। हां, सरकारी खजाने की अपनी एक सीमा होती है। कृषि ही सब कुछ नहीं होती पर कृषि को तवज्जो देकर सरकार ने एक सकारात्मक रुख का प्रदर्शन तो जरूर किया है। आइए समझें कि इस कृषि बजट में है क्या।

1. मुख्यमंत्री कृषक साथी का बजट बढ़ गया

दरअसल, 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्योग क्षेत्र में चलाई जाने वाली योजना को कृषि क्षेत्र में, थोड़े परिवर्तन के साथ लागू कर दिया। अर्थात, अगर आप किसान हैं और कृषि कार्य करते हुए आपके साथ कोई हादसा हो गया तो इस योजना के तहत आपको दो से 5 लाख रुपये तक की तात्कालिक सहायता मिलेगी। यह योजना कई क्लाउजेज की व्याख्या करती है। जैसे, यदि आपकी एक अंगुली कट जाए तो सरकार आपको 5000 रुपये देगी। दो कट जाए तो 10000 रुपये, तीन कट जाए तो 15000 रुपये और चार कट जाए तो 20000 रुपये का भुगतान करेगी सरकार। ऐसे ही अगर आपकी पांचों अंगुलियां कट जाती हैं तो सरकार आपको 25000 रुपये देगी। इस योजना के लिए बीते साल के बजट में 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। अब इसका दायरा बढ़ाने की गरज से सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। धनराशि बढ़ाने को किसानों ने बेहद बढ़िया माना है।

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2. मुख्यमंत्री जैविक कृषि मिशन

कृषि बजट में सरकार ने घोषणा की है कि इसी सत्र से मुख्यमंत्री जैविक खेती मिशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत सरकार उन किसानों को ज्यादा लाभ देगी, जो शुद्ध रूप से जैविक केती के लिए तैयार होंगे। इस योजना के तहत, सरकार उन्हें आर्थिक पैकेज तो देगी ही, जरूरत पड़ी तो उनकी फसलों को भी खरीद लेगी। इसके लिए पहले 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अगले बजट में इस धनराशि को बढ़ाया भी जा सकता है।

3. बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने एक ऐसा तंत्र विकसित करने की घोषणा की, जिसके तहत सभी किसानों तक सरकारी योजनाएं पहुंच सकें। खास कर बीज और कृषि के अन्य अवयवों को सरकार एक साथ किसानों तक पहुंचाना चाहती है। सरकार का जोर इस बात पर ज्यादा है कि राज्य के कम से कम दो लाख छोटे किसानों तक मूंग, मोठ और उड़द के प्रमाणित बीजों के मिनी किट्स मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं। इन चीजों के लिए ही बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा की गई है। सरकार एक सिस्टम बनाना चाह रही है जिससे समय पर और सिस्टमेटिक रुप में किसानों तक कृषि संबंधित चीजों की डिलीवरी हो सके। इस किस्म का सिस्टम छत्तीसगढ़ में पहले से चल रहा है।

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4. राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा की। इस मिशन के तहत राजस्थान के किसान यह जान सकेंगे कि उनकी जो जमीन है, उसकी उर्वरक क्षमता क्या है। किस किस्म की खेती उन्हें कब और कैसे करनी चाहिए। अभी राजस्थान में सभी किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं। इस मिशन के शुरू हो जाने के बाद माना जा रहा है कि खेती कार्य में विविधता आएगी। समय-समय पर जब मिट्टी की जांच होगी तो किसानों को यह एडवाइस भी दिया जाएगा कि इसकी उर्वरकता बढ़ाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए।

5. दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर अनुदान

राजस्थान सरकार ने अपने कृषि बजट में यह व्यवस्था की है कि जो भी किसान अपना दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों को देंगे, उन्हें 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अनुदान भी मिलेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों के माध्यम से राजस्थान भर में बिके। 

6. कर्ज की व्यवस्था

इस कृषि बजट में घोषणा की गई है कि सरकार वर्ष 2022 में किसानों को फसली ऋण भी देगी। यह फसली ऋण 20000 करोड़ की लिमिट के भीतर होगी। ऐसे लाभार्थी किसानों की संख्या इस साल के लिए पांच लाख तय की गई है। इतना ही नहीं, जो लोग कृषि कार्य से प्रत्यक्ष रुप से नहीं जुड़े हैं, उन्हें भी कर्ज दिया जाएगा। इस साल ऐसे परिवारों की संख्या एक लाख तय की गई है। कर्ज कितना मिलेगा, यह तय नहीं है पर मिलेगा जरूर। कुल मिलाकर, यह किसानों के भीतर हौसला बुलंद करने वाला बजट है। इसे अगर अमली जामा पहना दिया जाए तो राजस्थान के किसानों की स्थिति बेहद सुदृढ़ हो सकती है। जिस भाव से बजट पेश किया गया है, वह बेहतर है। उसी भाव से इस पर अमल हो तो किसानों का सच में भला हो जाएगा।

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

लंपी स्किन बीमारी से बचाव के लिए राजस्थान सरकार ने जारी किए 30 करोड़ रुपये

बरसात का मौसम आते ही जानवरों को तमाम तरह की बीमारियां लगने लगती हैं। आज कल देश में लम्पीस्किन बीमारी यानी ‘लम्पी स्किन डिजीज‘ या एलएसडी (LSD - Lumpy Skin Disease) ने जोर पकड़ा हुआ है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा कहर राजस्थान राज्य में बरपा रही है। अच्छी बात ये है कि सरकार ने बीमारी को गंभीरता से लिया है और इससे पशुपालकों को निजात दिलाने के लिए 30 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं, 

ताकि पशुपालक दवाई खरीदते हुए पशुओं का इलाज करवा सकें। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के इस कदम की सराहना हो रही है। सीएम अशोक गहलोत ने इस राशि को मुख्यमंत्री पशुधन निःशुल्क दवा योजना (Pashudhan Nishulk Dava Yojna) के अंतर्गत जारी किया है। 

यह बीमारी सबसे ज्यादा गायों को लग रही है। सरकार का मानना है कि इस फैसले का असर सकारात्मक होगा और इस बीमारी से बचाव के लिए दवाइयां पशुपालक जल्दी से जल्दी खरीद सकेंगे।

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वैसे इस बीमारी से प्रभावित राजस्थान इकलौता राज्य नहीं है, बल्कि सटे राज्य हरियाणा में भी इस रोग ने कहर बरपाया हुआ है। वैसे हरियाणा सरकार ने भी इस बीमारी को हल्के में नहीं लिया है और वैक्सिनेशन का काम शुरू करवा दिया है।

गौर करने वाली बात है कि हरियाणा देश के उन राज्यों में से एक है जहां ग्रामीण जनता अपनी आमदनी के लिए खेती किसानी और पशु धन पर निर्भर है। 

यही वजह है कि मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने इस बीमारी के जल्दी से जल्दी रोकथाम की कोशिशें तेज कर दी हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 3000 वैक्सीन पशुपालकों को बांटी जा चुकी हैं, 

वहीं अभी 17000 वैक्सीन की जरूरत और आन पड़ी है। अगस्त महीने के अंत तक वैक्सीन के बांटने को लेकर और तेजी देखने को मिलेगी।

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एक आंकड़े के मुताबिक लंपी स्किन रोग देश के 17 राज्यों में अब तक फैल चुका है। लेकिन इस दौरान इसने सबसे ज्यादा प्रभावित राजस्थान और हरियाणा को किया है। 

अच्छी बात है कि राज्य सरकारों ने इसके लिए वैक्सिनेशन का काम शुरू कर दिया है लेकिन वैक्सिनेशन होने में समय भी लग सकता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके पहले आप कुछ घरेलू उपचार ज़रूर कर लें। 

घरेलू उपचार क्या हो सकते हैं, इसके बारे में हिमाचल प्रदेश कृषि विश्‍वविद्यालय पालमपुर के पशु चिकित्‍सा विशेषज्ञ डॉ. ठाकुर ने बताया है।

उपचार के लिए क्या चाहिए होगा -

  • 10 ग्राम कालीमिर्च, 10 पान के पत्ते, 10 ग्राम नमक और गुड़ जरूरत के मुताबिक।
  • सभी चीज़ों को अच्छे से पीसें और तब तक पीसते रहें जब तक मिश्रित होकर पेस्ट न बन जाए और अब थोड़ा से गुड़ मिला लें। 
  • अब आपको इसे अपने पशु को थोड़ा-थोड़ा खिलाना है।
  • जब आप पहले दिन इसकी खुराक पशु को दें तो हर तीन घंटे में दें, समय के पाबंद रहें क्योंकि यह जरूरी है। - यह सिलसिला दो हफ्ते तक चलने दें और दिन में तीन खुराक ही खिलाएं।
  • हर एक खुराक ताजा ही तैयार करें, ऐसा न करें कि कल की बनाई खुराक को आज खिला दें, उसका असर नहीं होगा।

उपचार का दूसरा तरीका - इस तरीके में आपको एक मिश्रण तैयार करना होगा, जो आप घाव पर लेप के रूप में लगाएंगे। 

इसके लिए आपको लहसुन की 10 कली, मेहंदी के पत्ते कुछ, तिल का तेल करीब आधा लीटर, कुम्पी के कुछ पत्ते, हल्दी पाउडर, तुलसी के कुछ पत्ते चाहिए होंगे। 

इन सभी को मिक्सी या सिलबट्टे में पीस लें और पेस्ट बना लें । इसके बाद इसमें तिल का तेल मिलाते हुए उबाल लें, ठंडा होने के बाद लेप को आपको पशु के घाव पर लगाना है लेकिन इसके पहले पशु के घाव को अच्छी तरह साफ कर लें।

इसके बाद उसका पेस्ट आप घाव पर लगा दें, आपको हर रोज घाव पर इसे लगाना है और यह दो हफ्ते तक करना है। नेशनल डेयरी डवलपमेंट बोर्ड‘ और ‘इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसडिसिप्लिनरी हेल्थ साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी’ ने प्रो. एन. पुण्यमूर्थी के मार्गदर्शन में कुछ पारंपरिक पद्दति द्वारा देशी ईलाज सुझाए हैं, 

जिन्हे आप इस लेख में पढ़ सकते हैं : लम्पी स्किन डिजीज (Lumpy Skin Disease) वैसे अगर आपको वैक्सिनेशन का लाभ मिलता है तो उसे तुरंत लें क्योंकि घरेलू उपचार की अपनी सीमाएं जबकि वैक्सीन शर्तिया काम करती है लेकिन जब तक आपको वैक्सीन न मिले, घरेलू इलाज करते रहें।

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

राजस्थान राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को स्वीकृति प्रदान करदी है। इस योजना के अंतर्गत कृषकों को आवारा पशुओं द्वारा मचाई जा रही तबाही से राहत प्रदान करने हेतु 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं आश्रय निर्मित किए जाएंगे। वर्तमान में अधिकांश राज्यों में छुट्टा घूमने वाले गौवंशों की संख्या में बढ़वार देखने को मिल रही है। इन दुधारू पशुओं से जब पशुपालकों को दूध की प्राप्ति नहीं होती तो इनको सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में यह पशु सड़कों को ही अपना घर मान लेती हैं। जिसकी वजह से आए दिन सड़क दुर्घटनाओं की खबर सुनने को मिलती हैं। साथ ही, इनके खाने के लिए चारे की कोई व्यवस्था ना होने की वजह से ये पशु खेतों में घुंसकर फसलों को नष्ट कर देते हैं। जो कि किसानों के लिए ही चुनौती उत्पन्न करती है। राजस्थान, यूपी और बिहार में आवारा गौवंशों की परेशानियों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इन तीनों प्रदेशों की राज्य सरकारें स्वयं के स्तर पर इस चुनौती से निपटने हेतु कार्य कर रही हैं। इसी क्रम में हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यानी राजस्थान सरकार ने भी अहम निर्णय लिया है। राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ग्राम पंचायतों के अंतर्गत पशु आश्रय स्थल एवं गौशालाओं के निर्माण की घोषणा करदी है। इस कार्य को मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के चलते किया जाना है।

गौशाला/पशु आश्रय स्थल बनाने की क्या रणनीति है

राजस्थान राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को मंजूरी देदी है। इसके प्रथम चरण में 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशालाएँ व पशु आश्रय स्थल बनेंगे, इसके लिए 1,377 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इस योजना के अंतर्गत ऐसी ग्राम पंचायतों में प्राथमिकता से पशुओं हेतु आश्रय स्थल निर्मित किए जाने हैं। जहां इनको चलाने हेतु बेहतर कार्यकारी एजेंसी (ग्राम पंचायत, स्वयं सेवी संस्था उपस्थित रहेगी। राज्य इन इन ग्राम पंचायतों में गौशाला निर्माण हेतु एक-एक करोड़ रुपये की धनराशि का आबंटन किया जाना है । इस योजना के अनुसार, 90% फीसद धनराशि को राज्य सरकार एवं 10% फीसद धनराशि को कार्यकारी एजेंसी द्वारा वहन किया जाना है। फिलहाल, इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 183.60 करोड़ रुपये के खर्च से 200 एवं वर्ष 2023-24 में 1,193.40 करोड़ रुपये के खर्च से 1,300 ग्राम पंचायतों में गौशालाऐं बनायी जा रहा है।
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किसानों को छुट्टा पशुओं से मिलेगी राहत

आवारा पशुओं की तादात में वृद्धि का सर्वाधिक नुकसान किसानों को ही तो भोगना होता है। यह आवारा पशु खेतों में जाकर के फसलों को खा जाते हैं। फसल का उत्पादन प्राप्त होने से पूर्व ही किसानों के सारा खेत पशु खाकर साफ कर देते हैं। इस प्रकार पूरे सीजन अथक प्रयास और परिश्रम करने वाले किसानों को केवल निराशा और हताशा ही प्राप्त होती है। आवारा पशुओं द्वारा बहुत बार किसानों को उस हद तक हानि हो जाती है। जिसका मुआवजा तक किसानों को मिलना काफी कठिन सा हो जाता है, जिस की वजह से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है। परंतु, अब राजस्थान के किसानों की इस परेशानी का निराकरण तो निकलेगा ही, साथ ही, छुट्टा एवं निराश्रित पशुओं को आश्रय स्थल भी मुहैय्या हो पाएगा।
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सरकार पशुपालकों को भी अनुदान मुहैय्या करा रही है

मीडिया की खबरों के मुताबिक, वर्ष 2022-23 के अंतर्गत ही राजस्थान सरकार द्वारा अपने बजट में ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं पशु आश्रय स्थल निर्माण एवं उनके बेहतरीन ढ़ंग से संचालन हेतु की घोषणा करदी थी। इसी दिशा में अग्रसर होकर कार्य करते हुए राजस्थान राज्य में गौशालाओं को 9 महीने तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। वहीं, पशुपालकों हेतु 5 रुपये प्रति लीटर के अनुरूप दूध पर अनुदान का भी प्रावधान दिया गया है।
महिला निधि योजना के अंतर्गत लोन लेने पर सरकार देगी 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान

महिला निधि योजना के अंतर्गत लोन लेने पर सरकार देगी 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान

राजस्थान की सरकार महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए नित नए प्रयास करती रहती है। इसके लिए अब सरकार ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के महिला निधि योजना में बड़ा संशोधन किया है। सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि अब सरकार महिला निधि के माध्यम से स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को देने वाले लोन पर 8 प्रतिशत का अनुदान देगी। इसके लिए राज्य सरकार ने मौजूदा वित्तीय वर्ष में 12 करोड़ रुपए के अतिरिक्त वित्तीय प्रावधान को भी मंजूरी दी है। जानकारी के अनुसार, गहलोत सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों को 2 साल की समय सीमा पर मिलने वाले 1 लाख रुपये के लोन पर 8 प्रतिशत ब्याज का अनुदान दिया जाएगा। इस अनुदान से महिलाओं को सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान में मदद मिलेगी। राजस्थान की सरकार पहले भी ऐसी योजनाओं को राज्य में लागू कर चुकी है ताकि महिलायें भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ सकें। इनके अलावा महिला उत्थान के लिए कई अन्य योजनाएं भी हैं जिन पर अभी काम चल रहा है। निकट भविष्य में इनके धरातल पर उतरने की पूर्ण संभावनाएं हैं। इसके पहले 26 अगस्त 2022 को सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के स्वयं सहायता समूहों के वित्तीय प्रबंधन के लिए 'राजस्थान महिला निधि' की शुरुआत की थी। यह शुरुआत 'महिला समानता दिवस' के मौके पर की गई थी। 'राजस्थान महिला निधि' का लक्ष्य महिलाओं को बेहद आसानी से स्वरोजगार हेतु पर्याप्त मात्रा में लोन उपलब्ध करवाना है।

इसलिए शुरू की गई थी 'महिला निधि योजना'

राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बताया है कि 'महिला निधि योजना' की शुरुआत महिला स्वयं सहायता समूह को मजबूत बनाने, बैकों से ऋण दिलाने, गरीब, सम्पत्तिहीन और सीमान्त महिलाओं की आय बढ़ाने और महिलाओं के कौशल के विकास के लिए की गई है। इससे महिलायें सामाजिक एवं आर्थिक दृष्टि से उन्नति करेंगी। अभी तक राजस्थान में 36 लाख परिवार इस योजना का लाभ ले चुके हैं। ये भी पढ़े: इस राज्य में 3000 महिलाएं होंगी सशक्त 1705 आंगनबाड़ी केंद्रों को मिलेगा पौष्टिक आहार राजस्थान के पहले तेलंगाना में भी 'महिला निधि योजना' की स्थापना की गई थी। राजस्थान इस योजना को लागू करने वाला दूसरा राज्य बन गया है। इस योजना के अंतर्गत 40 हाजर रुपये तक का लोन मात्र 48 घंटे के भीतर मिल जाता है। 40 हजार रुपये से ज्यादा का लोन 15 दिन के भीतर दे दिया जाता है।

'महिला निधि योजना' के लिए पात्रता एवं आवश्यक दस्तावेज

इस योजना के अंतर्गत राजस्थान में रहने वाली सभी महिलायें एवं स्वयं सहायता समूह आवेदन कर सकते हैं। 'महिला निधि योजना' के अंतर्गत आवेदन करने के लिए आवेदक के पास आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ होना आवश्यक है। यह योजना हाल ही में शुरू की गई है इसलिए इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए अभी तक कोई वेबसाइट नहीं बनाई गई है। जैसे ही सरकार की तरफ से वेबसाइट की स्वीकृति मिल जाती है तो महिलायें बेहद आसानी से वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर पाएंगी।
किसानों के लिए खत्म होगा बिजली का संकट, 2 हजार यूनिट बिजली मिलेगी मुफ़्त

किसानों के लिए खत्म होगा बिजली का संकट, 2 हजार यूनिट बिजली मिलेगी मुफ़्त

केंद्र सरकारों के साथ राज्य सरकारें भी किसानों की हर संभव सहायता कर रही हैं ताकि किसानों के ऊपर किसी भी तरह का आर्थिक बोझ न आए और वो फसल उत्पादन पर अपना ध्यान पूरी तरह से केंद्रित कर सकें। इसी के तहत अब राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने घोषणा की है कि किसानों को उर्जा मित्र योजना के तहत 2 हजार यूनिट बिजली मुफ्त दी जाएगी। इससे राज्य के 14 लाख किसानों को सीधे फायदा होगा और उनका बिजली बिल शून्य हो जाएगा। इसके साथ ही घरेलू उपभोक्ताओं का 100 यूनिट तक का बिजली बिल माफ कर दिया गया है। जिससे 1.04 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं को फायदा होगा और उन्हें अब बिजली बिल नहीं देना होगा। मतलब उनका बिजली बिल शून्य हो जाएगा। अशोक गहलोत सरकार के द्वारा लिया गया यह फैसला किसानों के लिए फायदेमंद होने वाला है। अभी तक किसान भी महंगे बिजली बिल के कारण अपने खेतों में पर्याप्त मात्रा में सिंचाई नहीं कर पाते थे। लेकिन अब रियायती दामों पर बिजली मिलने के कारण किसान भाई अपनी इच्छा के अनुसार खेतों की सिंचाई कर पाएंगे। जिसके चलते उत्पादन ज्यादा होगा और किसानों को बंपर मुनाफा मिलेगा। मुफ़्त बिजली का लाभ सिर्फ उन्हीं किसानों को मिल पाएगा जिनका पहले से कोई बिजली बिल बकाया नहीं है। यह भी पढ़ें : अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी 2 हजार यूनिट से कम बिजली का उपयोग करने वाले किसानों को बिजली का अनुदान उनके बैंक खातों के माध्यम से दिया जाएगा। किसान के वास्तविक बिल और अनुदान राशि के बीच का अंतर उनके बैंक खाते में जमा करवा दिया जाएगा। इससे किसान बिजली बचाने के लिए प्रोत्साहित होंगे और बिजली की फिजूलखर्ची पर लगाम लगाई जा सकेगी। सरकार द्वारा जारी अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान को अपने बिजली बिल क्रमांक को बैंक खाता नंबर से लिंक करवाना होगा। मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को सबसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके लिए उन्हें सबसे पहले नजदीकी बिजली विभाग के दफ्तर में जाना होगा। यहां पर एक आवेदन पत्र में नाम, पता, मोबाइल नंबर, बैंक खाता, फोटो जैसी जानकारी भरनी होगी। इसके साथ ही बिजली बिल की कॉपी और आधार कार्ड की फोटो कॉपी लगानी होगी। जिसके बाद किसान का रजिस्ट्रेशन हो जाएगा। इस योजना को सबसे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1 मई 2021 को प्रारंभ किया था। जिसके माध्यम से अब तक करोड़ों किसानों के साथ लाखों लोगों को बिजली बिल पर वित्तीय सहायता प्रदान की गई है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत देना है। सरकार के आदेश के अनुसार केंद्र एवं राज्य सरकार के कर्मचारी इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र नहीं हैं।