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विश्व पर्यावरण दिवस, 5 जून 2021 के अवसर पर, माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 2025 तक भारत में इथेनॉल सम्मिश्रण के रोडमैप पर विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के मुताबिक, 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग अब संभव है। वर्ष 2025 तक, पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण के उत्पादन के लिए केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों और वाहन निर्माताओं की विशिष्ट जिम्मेदारियों का सुझाव दिया गया है। वर्ष 2025 तक 20% इथेनॉल सम्मिश्रण से देश को अपार लाभ मिल सकता है, जैसे प्रति वर्ष 30,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत के साथ ही ऊर्जा सुरक्षा, कम कार्बन उत्सर्जन, बेहतर वायु गुणवत्ता, आत्मनिर्भरता, क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग, किसानों की आय वृद्धि, रोजगार सृजन और अधिक निवेश के अवसर मिलेंगे। एथेनॉल उत्पादन से देश की अर्व्यवस्था मजबूत होने के साथ साथ पेट्रोलियम का आयात भी कम होगा, जिससे देश का पैसा बचेगा। फ़िलहाल एथेनॉल सम्मिश्रण की मात्रा देश में ५% है, जिसको वर्ष २०२५ तक २०% तक करने की तैयारी है। इससे पेट्रोल के खर्च में कमी आएगी और भारत आत्मनिर्भरता की और बढ़ेगा। पेट्रोलियम के लिए पूर्णतया विदेशों पर निर्भर रहने से देश का अधिक खर्च होता है, देश में ही एथेनॉल उत्पादित करके जीडीपी में बढ़ोत्तरी भी होगी और देश की स्थिति भी बेहतर होगी।
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जानकारी के लिए बतादें कि उत्तर प्रदेश भारत का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक प्रदेश माना जाता है। राज्य में तकरीबन 200 करोड़ लीटर एथेनॉल का उत्पादन होता है। विशेष बात यह है, कि पांच वर्ष पूर्व यूपी में मात्र 24 करोड़ लीटर ही एथेनॉल का उत्पादन हो पाता था।
पूरी दुनिया में प्राकृतिक ईंधन की खपत के साथ मांग भी तीव्रता से बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पेट्रोल- डीजल के भंडार को अतिशीघ्र समाप्त होने का संकट मडराने लगा है।
परंतु, भारत के साथ- साथ बाकी देशों ने पेट्रोल- डीजल की खपत में गिरावट करने हेतु उत्तम विकल्प का चयन कर लिया है। वर्तमान में प्राकृतिक ईंधन के स्थान पर जैविक ईंधन के इस्तेमाल को प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
विशेष रूप से भारत में गन्ने के रस द्वारा प्रति वर्ष करोड़ों लीटर एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल इंधन के तौर पर किया जा रहा है।
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दरअसल, भारत में एथेनॉल निर्मित करने हेतु अलग से बहुत सारे प्लांट स्थापित किए गए हैं। परंतु, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में गन्ने से बड़े पैमाने पर एथेनॉल की पैदावार की जा रही है।
विशेष बात यह है, कि इस कार्य में स्वयं चीनी मिलें जुटी हुई हैं। उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों में गन्ने के माध्यम से एथेनॉल निर्मित किया जा रहा है।
दरअसल, सरकार का कहना है, कि एथेनॉल के इस्तेमाल से पेट्रोल-डीजल की खपत में गिरावट आएगी। इससे इनकी कीमतों में भी काफी कमी देखने को मिलेगी। जिसका प्रभाव प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर होगा।
उसके बाद टैंक में बिजली द्वारा हिट देकर एथेनॉल तैयार किया जाता है। विशेष बात यह है, कि आप एक टन गन्ने द्वारा 90 लीटर तक एथेनॉल निर्मित कर सकते हैं। तो वहीं एक टन गन्ने के उपयोग से 110 से 120 किलो तक ही शक्कर की पैदावार की जा सकती है।
अब हम ऐसी स्थिति में कह सकते हैं, कि एथेनॉल पर्यावरण सहित किसानों के लिए भी लाभकारी है। साथ ही, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से आम जनता को भी महंगाई से काफी सहूलियत मिलेगी।
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पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि आने पर उसका प्रत्यक्ष रूप से महंगाई पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि माल ढुलाई का खर्चा भी बढ़ जाता है।
ऐसी स्थिति में खाद्यान वस्तुएं भी काफी महंगी हो जाती हैं। हालांकि, ईंधन के तौर पर एथेनॉल का इस्तेमाल करने पर पेट्रोल की तुलना में आम जनता को 30 से 35 रुपये प्रति लीटर की बचत होगी।
हालांकि, ईंधन में एथेनॉल मिश्रित करके केंद्र सरकार द्वारा अब तक 41 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत की गई है। इसी कड़ी में लगभग 27 लाख टन कार्बन का उत्सर्जन भी कम हुआ है।
लेकिन, सर्वाधिक एथेनॉल उत्पादन करने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश चीनी उत्पादन में भी देश में प्रथम स्थान पर है। गन्ना सीजन 2022-23 में यूपी द्वारा 150.8 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो कि विगत वर्ष इसी अवधि तक 150.8 लाख टन से भी ज्यादा है। ऐसी स्थिति में यह कहा जा सकता है, कि एथेनॉल उत्पादन का प्रभाव चीनी उत्पादन पर नहीं होगा।
सरकार इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त शुगर का इस्तेमाल पर विचार कर सकती है। इथेनॉल उत्पादन के लिए सरकार बड़ा फैसला ले सकती है.
सरकार इथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त शुगर का इस्तेमाल पर विचार कर सकती है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार का 8 लाख अतिरिक्त चीनी (Sugar) के इस्तेमाल पर विचार संभव है।
बतादें, कि पिछले साल ही चीनी का उत्पादन घटने का अनुमान देखते हुए सरकार ने इथेनॉल के उत्पादन के लिए चीनी के इस्तेमाल पर सीमा लगा दी थी ताकि बाजार में चीनी की आपूर्ति बनाई रखी जा सके।
सरकार का पेट्रोल (Petrol) के साथ इथेनॉल मिश्रण (EBP) कार्यक्रम काफी सफल रहा है। इसने चीनी क्षेत्र को संकट से बाहर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
देश में चीनी/शीरे से इथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) क्षमता 900 करोड़ लीटर से अधिक हो गई है, जो 10 साल पहले की क्षमता से चार गुना अधिक है।
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दरअसल, 10 वर्ष पूर्व 12% प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण की उपलब्धि अकल्पनीय थी। केवल 1.5% मिश्रण के साथ भारत इथेनॉल उत्पादन और पेट्रोल में मिश्रण में शीर्ष देशों में शामिल हो गया। भारत वर्ष 2025 में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण हासिल करने के लिए तैयार है।
इस्मा ने सितंबर में समाप्त होने वाले मार्केटिंग ईयर में चीनी (Sugar) के सकल उत्पादन के अपने अनुमान को 9.5 लाख टन बढ़ाकर 340 लाख टन कर दिया है।
बीते साल कुल चीनी उत्पादन 366.2 लाख टन था। उत्तम उत्पादन की उम्मीद के चलते फैसला संभव है। इथेनॉल उत्पादन के लिए पहले से 17 लाख टन शुगर का आवंटन है।
विगत माह, केंद्र सरकार ने अक्टूबर, 2024 से शुरू होने वाले 2024-25 सत्र के लिए उचित और लाभकारी मूल्य FRP (गन्ना उत्पादकों को मिलों द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम कीमत) को 25 रुपये बढ़ाकर 340 रुपये प्रति क्विंटल करने का फैसला किया था।