उत्तर प्रदेश में 21 लाख किसान अपात्र पाए गए हैं जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan) का लाभ उठा रहे थे. सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा है कि योजना के तहत, इन अपात्र किसानों को भुगतान किया गया पैसा उनसे जल्द से जल्द वसूल किया जाएगा. यह योजना एक जनकल्याणकारी योजना है जिसमें किसानों को हर साल खेती करने के लिए 6 हजार रुपये उनके खातों में भेजा जाता है.
इस वक़्त देश में करोड़ों किसान 'पीएम किसान योजना' की अगली किस्त का जारी होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ 21 लाख लोगों का इस योजना में अपात्र होना कई सारे सवाल खड़े करता है. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश में 21 लाख किसान जांच के दौरान अपात्र पाए गए हैं. उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार की इस योजना के अंतर्गत लगभग 2.85 करोड़ किसान पंजीकृत हैं, जिनमें से 21 लाख लाभार्थी जांच के दौरान अपात्र पाए गए हैं. कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि योजना के तहत अब तक इन अपात्र किसानों को भुगतान की गई सभी राशि को जल्द से जल्द वसूल लिया जायेगा.
ये भी पढ़ें: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना
पति-पत्नी दोनों ले रहें थे लाभ
कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बताया कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पति-पत्नी दोनों को पीएम किसान योजना का लाभ मिल रहा था. सरकार ने इसको गंभीरता से लेते हुए अपात्र किसानों से धन की वसूली की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है. शाही ने यह भी कहा कि जो किसान अपनी 12 वीं क़िस्त का इन्तजार कर रहें है, उन्हें घबराने की ज़रूरत नहीं हैं. इस महीने के अंत तक 12 वीं क़िस्त की राशि किसानों के खाते में भेज दी जाएगी और सिर्फ उन्हीं किसानों को इसका लाभ मिलेगा जिनके भूमि रिकॉर्ड का सत्यापन पीएम-किसान वेबसाइट पर पूरा हो गया है. कृषि मंत्री के मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी के मुताबिक़, आधिकारिक वेबसाइट पर डाटा अपलोड करने की प्रक्रिया युद्धस्तर पर की जा रही है और और इस योजना का लाभ उन्ही किसानों को मिलेगा जो इस योजना के पात्र हैं.
कृषि मंत्री की किसानों से अपील
कृषि मंत्री ने किसानों से अपील किया कि किसान अपना डाटा जल्द से जल्द संग्रह कर के पीएम किसान पोर्टल पर अपलोड करें, ताकि अगली किस्त छूट न जाए. उन्होंने यह भी बताया की अब तक 1.50 करोड़ से अधिक किसानों के भूमि अभिलेखों को वेबसाइट पर लोड करने का कार्य किया जा चुका है.
फरवरी 2019 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए PM-KISAN के तहत, पात्र किसानों को न्यूनतम आय सहायता के रूप में तीन किस्तों में प्रति वर्ष ₹6,000 तक मिलते हैं. उत्तर प्रदेश में लगभग 2.50 करोड़ किसान है, जिन्हें इस योजना का लाभ मिलता हैं. प्रत्येक किश्त का 100% त्रुटि मुक्त डेटा की प्राप्ति के बाद ही किसानों के बैंक खातों में पैसे भजे जाते हैं, लेकिन जिस तरह से उत्तर प्रदेश में गड़बड़ी का मामला सामने आया है उससे यह साफ़ जाहिर होता है कि व्यापक पैमाने पर पुरे देश में इस योजना का गलत रूप से लाभ लिया जा रहा है. वैसे लोग जो अपात्र हैं, जो आयकर दाता है, वो आखिर किस तरह से इस योजना का लाभ ले रहे थे?
ये भी पढ़ें: कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें
उत्तर प्रदेश सरकार के एक मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा राजनीतिक रूप से बहुत ही संवेदनशील है. लेकिन सरकार को केंद्र के दिशानिर्देशों के अनुसार कार्य करना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल पात्र किसान ही पीएम-किसान के तहत लाभ प्राप्त कर पाए. इस तरह के जन कल्याणकारी योजनाओं में गड़बड़ी का मामला सिर्फ उतर प्रदेश जैसे राज्यों में ही नहीं, बल्कि अन्य राज्यों में भी होने की खबर आई हैं. राजस्थान में भी इस तरह के फर्जीवाड़ा को रोकने के लिए छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया हैं. कमेटी द्वारा जब जांच की गयी तो यह पता चला कि तहसीलदार की आईडी का दुरुपयोग करके अपात्र लोगों को योजना के लाभ लेने के लिए पात्र बनाया गया था, जिसमें 192 आईपी (IP address) का दुरुपयोग किया गया था. आईपी अड्रेस (IP Address) की लिस्ट के साथ राजस्थान में एफआईआर को दर्ज कराया गया हैं. मामले में गड़बड़ी और लापरवाही के आरोप में वहाँ के वर्तमान तहसीलदार के खिलाफ सरकार ने सख्ती से करवाई शुरू कर दी हैं.
12-Sep-2022