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खीरे की खेती

खीरे की उन्नत खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

खीरे की उन्नत खेती से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

कद्दूवर्गीय फसलों में खीरा का अपना एक विशेष स्थान है। क्योंकि भोजन के साथ सलाद के रूप में खीरा सबसे ज्यादा उपयोग होने वाली फसल है। इस वजह से खीरा का उत्पादन देश के सभी हिस्सों में किया जाता है। गर्मियों में खीरे की बाजार में प्रचंड मांग बनी रहती है। इसे मुख्यत: भोजन के साथ सलाद के तौर पर कच्चा खाया जाता है। ये शरीर को गर्मी से शीतलता प्रदान करता है और हमारे शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है। इसलिए गर्मियों में इसका सेवन करना बेहद लाभकारी बताया गया है। खीरे की गर्मियों में बाजार मांग को मद्देनजर रखते हुए जायद सीजन में इसकी खेती करके शानदार मुनाफा अर्जित किया जा सकता है।

खीरे की फसल में पाएं जाने वाले पोषक तत्व

खीरे का वानस्पतिक नाम कुकुमिस स्टीव्स है। यह एक बेल की भाँति लटकने वाला पौधा है। खीरे के पौधे का आकार बड़ा, पत्ते बेलों वाले और त्रिकोणीय आकार के होते है और इसके फूल पीले रंग के होते हैं। खीरे में 96 फीसद पानी होता है, जो गर्मी के मौसम में लाभकारी होता है। खीरा एम बी (मोलिब्डेनम) और विटामिन का एक शानदार स्त्रोत है। खीरे का प्रयोग दिल, त्वचा और किडनी की दिक्कतों के इलाज और अल्कालाइजर के तौर पर किया जाता है।

खीरे की विभिन्न प्रकार की उन्नत किस्में

खीरे की कुछ उन्नत भारतीय किस्में- पंजाब सलेक्शन, पूसा संयोग, पूसा बरखा, खीरा 90, कल्यानपुर हरा खीरा, कल्यानपुर मध्यम, स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा और खीरा 75 आदि प्रमुख हैं।

खीरे की नवीनतम किस्में- पीसीयूएच- 1, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा और स्वर्ण शीतल आदि प्रमुख है।

खीरे की संकर किस्में- पंत संकर खीरा- 1, प्रिया, हाइब्रिड- 1 और हाइब्रिड- 2 आदि प्रमुख है।

खीरे की विदेशी किस्में- जापानी लौंग ग्रीन, चयन, स्ट्रेट- 8 और पोइनसेट आदि प्रमुख है।

खीरे की उन्नत खेती के लिए जलवायु व मृदा

सामान्य तौर पर खीरे को रेतीली दोमट व भारी मृदा में उत्पादित किया जाता है। परंतु, इसकी खेती के लिए एक बेहतर जल निकास वाली बलुई एवं दोमट मृदा उपयुक्त रहती है। खीरे की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 6-7 के मध्य होना चाहिए। क्योंकि, यह पाला सहन नहीं कर सकता है। इसकी खेती उच्च तापमान में काफी बेहतरीन होती है। इसलिए जायद सीजन में इसकी खेती करना अच्छा रहता है।

किसान सुबोध ने दोस्त की सलाह से खीरे की खेती कर मिशाल पेश करी है

किसान सुबोध ने दोस्त की सलाह से खीरे की खेती कर मिशाल पेश करी है

बिहार के इस किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ शुरु की खीरे की खेती। आज वह हर सीजन में लाखों की आमदनी कर रहे हैं। भारत में किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर नई तकनीक को अपना रहे हैं। किसान सब्जी एवं मेडिसिनल प्लांट की खेती कर आर्थिक हालातों को बेहतर कर रहे हैं। इस वक्त बिहार के भिन्न-भिन्न जनपदों में युवा किसान सब्जी और औषधीय पौधों की खेती कर काफी मोटी आमदनी कर रहे हैं। इसके लिए बिहार सरकार भी किसानों को बड़े पैमाने पर सब्सिड़ी उपलब्ध करा रही है।

किसान सुबोध खीरे की खेती करते हैं

बिहार के सहरसा जनपद के युवा किसान सुबोध झा ने अपनी 4 एकड़ की भूमि में नेट हाउस पद्धति से
खीरे की खेती की चालू करी। उसके लिए उन्होंने बिहार सरकार से सब्सिड़ी भी ली है। किसान सुबोध का कहना है, कि केवल 3 से 4 महीनों में ही उन्हें चार से पांच लाख रुपए का मुनाफा हुआ। इस आमदनी से उन्होंने फिलहाल औषधीय पौधों की भी खेती चालू कर दी है। ये भी पढ़े: पॉली हाउस तकनीक से खीरे की खेती कर किसान कमा रहा बेहतरीन मुनाफा

सुबोध को खीरे की खेती के लिए किसने सलाह दी

किसान सुबोध का कहना है, कि वह काफी वर्षों से खेती-किसानी कर रहे हैं। परंतु, खीरे की खेती के संदर्भ में उनके एक दोस्त ने जानकारी दी, जो कि बिहार के कृषि विभाग में नौकरी करते हैं। उनकी सलाह के पश्चात उन्होंने इसकी खेती की शुरुआत करी है। सुबोध अपने खीरे की खेती के लिए केवल जैविक खाद का उपयोग करते हैं, जिस कारण उनके खीरे की मांग बाजार में काफी ज्यादा रहती है।

सुबोध से अन्य किसान भी तकनीकी गुर सीख रहे हैं

सुबोध का कहना है, कि उनकी खीरे की खेती की सफलता को ध्यान में रखते हुए उनके आस पास के साथी किसान भी बेहद प्रभावित हुए हैं। साथ ही, उन्होंने भी खीरे और औषधीय पौधे की खेती शुरु कर दी है। सुबोध ने बताया है, कि वह समय-समय पर अपने जनपद के कृषि वैज्ञानिकों से खेती से जुड़ी जानकारी से जुड़ी सलाह लेते हैं। वह बताते हैं, कि नेट हाउस में सब्जी की खेती करने से उनको काफी अच्छा उत्पादन हांसिल हुआ है। देखा देखी उनकी राह पर अन्य युवा किसान भी चलने लगे हैं।
जायद में खीरे की इन टॉप पांच किस्मों की खेती से मिलेगा अच्छा मुनाफा

जायद में खीरे की इन टॉप पांच किस्मों की खेती से मिलेगा अच्छा मुनाफा

किसान भाइयों अब जायद का सीजन आने वाला है। किसान अनाज, दलहन, तिलहन फसलों की खेती की जगह कम वक्त में पकने वाली सब्जियों की खेती से भी अच्छी आमदनी कर सकते हैं।

सब्जी की खेती की मुख्य बात यह है, कि इसकी बाजार में अच्छी कीमत मिल जाती है। दीर्घकालीन फसलों की तुलना में किसान सब्जी की खेती से मोटा मुनाफा उठा सकते हैं। 

वर्तमान में बहुत सारे किसान परंपरागत फसलों के साथ ही सब्जियों की खेती कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं। अब ऐसी स्थिति में आप भी फरवरी-मार्च के जायद सीजन में खीरे की खेती करके काफी ज्यादा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।

खीरे की बाजार मांग काफी अच्छी है और इसके भाव भी बाजार में काफी अच्छे मिल जाते हैं। अगर खीरे की उन्नत किस्मों का उत्पादन किया जाए तो इस फसल से काफी शानदार लाभ हांसिल किया जा सकता है।

खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म 

खीरे की स्वर्ण पूर्णिमा किस्म की विशेषता यह है, कि इस प्रजाति के फल लंबे, सीधे, हल्के हरे और ठोस होते हैं। खीरे की यह प्रजाति मध्यम अवधि में तैयार हो जाती है। 

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इसकी बुवाई के लगभग 45 से 50 दिन में इसकी फसल पककर तैयार हो जाती है। किसान इसके फलों की आसानी से तुड़ाई कर सकते हैं। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 200 से 225 क्विंटल तक उपज अर्जित की जा सकती है।

खीरे की पूसा संयोग किस्म 

यह खीरे की हाइब्रिड किस्म है। इसके फल करीब 22 से 30 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इसका रंग हरा होता है। इसमें पीले कांटे भी पाए जाते हैं। इनका गुदा कुरकुरा होता है। खीरे की यह किस्म करीब 50 दिन में तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। इस किस्म की खेती से प्रति हैक्टेयर 200 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

पंत संकर खीरा- 1 किस्म 

यह खीरे की संकर किस्म है। इसके फल मध्यम आकार के होते हैं। इसके फलों की लंबाई तकरीबन 20 सेंटीमीटर की होती है ओर इसका रंग हरा होता है। यह किस्म बुवाई के लगभग 50 दिन उपरांत ही तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती है। खीरे की इस प्रजाति से प्रति हैक्टेयर 300 से 350 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

खीरे की स्वर्ण शीतल किस्म 

खीरे की इस प्रजाति के फल मध्यम आकार के होते हैं। इनका रंग हरा और फल ठोस होता है। इस किस्म से प्रति हैक्टेयर 300 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है। खीरे की यह किस्म चूर्णी फफूंदी और श्याम वर्ण रोग के प्रति अत्यंत सहनशील मानी जाती है।

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खीरे की स्वर्ण पूर्णा किस्म 

यह किस्म मध्यम आकार की किस्म है। इसके फल ठोस होते हैं। इस किस्म की खास बात यह है, कि यह किस्म चूर्णी फफूंदी रोग की प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी खेती से प्रति हैक्टेयर 350 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।

खीरे की उन्नत किस्मों की बुवाई की प्रक्रिया 

खीरे की उन्नत किस्मों को बुवाई के लिए कार्य में लेना चाहिए। इसके बीजों की बुवाई से पूर्व इन्हें उपचारित कर लेना चाहिए, जिससे कि फसल में कीट-रोग का संक्रमण ना हो। 

बीजों को उपचारित करने के लिए बीज को चौड़े मुंह वाले मटका में लेना चाहिए। इसमें 2.5 ग्राम थाइरम दवा प्रति किलोग्राम बीज की दर से मिलाकर घोल बना लें। अब इस घोल से बीजों को उपचारित करें। 

इसके बाद बीजों को छाया में सूखने के लिए रख दें, जब बीज सूख जाए तब इसकी बुवाई करें। खीरे के बीजों की बुवाई थाला के चारों ओर 2-4 बीज 2 से 3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए। 

इसके अलावा नाली विधि से भी खीरे की बुवाई की जा सकती है। इसमें खीरे के बीजों की बुवाई के लिए 60 सेंटीमीटर चौड़ी नालियां बनाई जाती है। इसके किनारे पर खीरे के बीजों की बुवाई की जाती है। 

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दो नालियों के बीच में 2.5 सेंटीमीटर की दूरी रखी जाती है। इसके अलावा एक बेल से दूसरे बेल के नीचे की दूरी 60 सेमी रखी जाती है। ग्रीष्म ऋतु की फसल के लिए बीजों की बुवाई व बीजों को उपचारित करने से पहले उन्हें 12 घंटे पानी में भिगोकर रखना चाहिए। 

इसके बाद बीजों को दवा से उपचारित करने के बाद इसकी बुवाई करनी चाहिए। बीज की कतार से कतार की दूरी 1 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 50 सेमी रखनी चाहिए। 

किसान खीरे की खेती से कितना कमा सकते हैं ?  

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक एकड़ जमीन में खीरे की खेती करके 400 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है। सामान्य तौर पर बाजार में खीरे का भाव 20 से 40 रुपए प्रति किलोग्राम के मध्य होता है। 

ऐसे में खीरे की खेती से एक सीजन में तकरीबन प्रति एकड़ 20 से 25 हजार की लागत लगाकर इससे तकरीबन 80 से एक लाख रुपए तक की आमदनी आसानी से की जा सकती है। 

ऐसे करें खीरे की खेती, मिलेगा मुनाफा ही मुनाफा

ऐसे करें खीरे की खेती, मिलेगा मुनाफा ही मुनाफा

गर्मियों के मौसम में लोगों को खीरा सबसे ज्यादा पसंद आता है. इससे ना सिर्फ प्यास बुझती है, बल्कि यह शरीर को अंदर से तरोताजा कर देता है. खीरे से हेल्थ को बहुत फायदा होता है, साथ ही यह स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. अनगिनत गुणों वाले खीरे की खास तरह से खेती करके किसान भाई मुनाफा ही मुनाफा कमा सकते हैं. बात जब खीरे की खेती करने की आती है तो इसकी खेती खरीफ और जायद दो सीजन में सबसे ज्यादा की जाती है. इसके अलावा खीरे की खेती ग्रीन हाउस में पूरे साल भर बड़ी ही आसानी के साथ की जा सकती है. हालांकि खीरे की डिमांड बसे ज्यादा गर्मियों के मौसम में होती है. क्योंकि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है. इस वजह से इसका सेवन गर्मियों में सबसे ज्यादा किया जाता है. गर्मियों में खीरा खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं. खीरे में 95 प्रतिशत पानी होता है जो गर्मियों में शरीर को डी-हाईड्रेट होने से बचाता है. खीरे में कई तरह के विटामिन मौजूद होते हैं जो स्किन और बालों के लिए काफी अच्छे होते हैं. सलाद, सब्जी या फिर कच्चा किसी भी तरह से खीरे का सेवन किया जा सकता है.

खीरे से जुड़ी खास जानकारी

खीरे का नाम कुकुमिस स्टीव्स है. इसे खास रूप से भारत में उगाया जाता है. खीरे की बेल होती है, जिसमें इसके फल लटकते हैं. खीरे के बीजों का इस्तेमाल तेल निकालने के लिए भी किया जा सकता है. जो शरीर और दिमाग दोनों के लिए ही काफी अच्छा होता है. खीरे के पौधे का आकार लंबा और इसके फूल पीले रंग के होते हैं. खीरे का इस्तेमाल स्किन, किडनी और दिल से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है.

क्या हैं खीरे की उन्नत किस्में?

भारतीय किस्में

स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, कल्यानपुर मध्यम, खीर 90, पूसा खीरे जैसी करीब 75 किस्में हैं.

नवीनतम किस्में

स्वर्ण शीतल, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा आदि. ये भी देखें: खीरा की यह किस्म जिससे किसान सालों तक कम लागत में भी उपजा पाएंगे खीरा

संकर किस्में

पंत संकर खीरा, प्रिया, हाइब्रिड 1, हाइब्रिड 2 आदि.

विदेशी किस्में

जापानी लौंग ग्रीन, स्ट्रेट 8, पोइनसेट आदि.

खीरे की खेती के लिए क्या हो जलवायु और मिट्टी?

खीरे की उन्नत खेती के लिए रेतीली दोमट और भारी मिट्टी में उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई और दोमट मिट्टी दोनों की जरूरत होती है. खीरे की अच्छी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मां कम से कम 5 से 7 के बीच में होना चाहिए. अगर आप खीरे की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए अच्छे तापमान की जरूरत होती है.

क्या है खेती का सही समय?

खीरे की खेती पाले से खराब हो सकती है. इसलिए इसकी खेती के लिए जायद सीजन सबसे अच्छा होता है. गर्मियों के मौसम में खेती के बीजों की बुवाई फरवरी और मार्च के महीने में होती है. बारिश के मौसम में इसकी बुवाई जून से जुलाई में की जाती है. वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च और अप्रैल के महीने में की जाती है.

कैसे करें जमीन तैयार?

खीरे की खेती करने से पहले जमीन को अच्छे से तैयार करना बेहद जरूरी है. इसके लिए पहली जुताई मिट्टी को पलटने वाले हल से करके इसकी दो से तीन बार जुताई देसी हल से करनी चाहिए. ये भी देखें: भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण

कितनी हो बीज की सही मात्रा?

अगर किसी किसान का खेत एक एकड़ है तो उसके लिए कम से कम एक किलो खीरे के बीजों की मात्रा काफी है. इस बात का ध्यान रखें कि, बिजाई से पहले फसल को कीड़ों और रोगों से बचाने के लिए जरूरी उपचार करें. बुवाई से पहले बीजों का कम से कम दो से तीन ग्राम कप्तान के साथ उपचार किया जाना चाहिए. इसके बीज बोने के लिए ढ़ाई मीटर चौड़े बैड का चुनाव करें. हर जगह दो बीजों की बुवाई करें औए उनके बीच कम से कम 50 से 60 सेमी. का फासला जरूर रखें.

कैसा हो बुवाई का सही ढ़ंग?

खीरे के बीजों की बुवाई छोटी सुरंग विधि से की जा सकती है. इस विधि से खीरे की पैदावार जल्दी होती है. इसके लिए गड्ढे को खोदकर बुवाई करनी चाहिए. इसके साथ ही खालियां बनाकर बुवाई और गोलाकार गड्ढे खोदकर भी बुवाई की जा सकती है.

कितनी हो खाद की मात्रा?

खीरे की खेती से पहले खेत तैयार करते वक्त 40 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटेशियम को शुरुआत में खाद के तौर पर डालें. बुवाई के समय नाइट्रोजन का एक तिहाई हिस्सा और पोटेशियम और सिंगल सुपर फास्फेट को मिलाकर डालें. बुवाई के लगभग एक महीने के बाद बची हुई खाद का भी इस्तेमाल कर लें.

कैसे करें खरपतवार को नियंत्रित?

खीरे की खेती के दौरान हो रही खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए गोड़ाई और रसायनों की मदद ली जा सकती है. इसके अलावा आधा लीटर ग्लाइफोसेट को हर 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाता है. इसका छिड़काव मुक्य फसल पर ना करें.

कैसे करें सिंचाई?

खीरे की खेती गर्मियों के मौसम में की गयी है, तो इसकी सिंचाई बार बार की जानी चाहिए. हालांकि बारिश के मौसम में इसे सिंचाई की जरूरत नहीं होती. इसमें बुवाई से पहले एक बार सिंचाई की जानी चाहिए. जिसके बाद तीन से चार दिनों के गैप पर सिंचाई की जाती है. वहीं दूसरी बुवाई के बाद 5 से 6 दिनों पर सिंचाई की जाती है. ये भी देखें: मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

कैसे करें पौधे की देखभाल, बिमारी और रोकथाम

एन्थ्राक्नोस नाम की बिमारी में फल गलने लगते हैं. यह बिमारी खीरे के सारे हिस्सों को बुरी तरह से प्रभावित करती है. खासतौर से वो हिस्से जो जमीन के ऊपर होते हैं. इसमें पुराने पत्तों पर पीले रंग के दाग धब्बे और फलों पे गहरे गोल धब्बे नजर आते हैं. इस बिमारी की रोकथाम के लिए क्लोरोथैलोनिल और बेनोमाइल का इस्तेमाल किया जाता है.

अगर पौधा मुरझाए

इर्विनिया नाम की इस बिमारी से पौधे की नाड़ी प्रभावित होने लगती है. जिस वजह से पौधा मुरझा या सूख जाता है. पौधे को इस बीमारी से बचाने के लिए कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

पत्तों में दिखे सफेद धब्बे

अगर आपको पत्तों के ऊपर पाउडर वाले सफ़ेद धब्बे नजर आएं, तो सतर्क होने की जरूरत है. इससे पौधों को बचाने के लिए बैनोमाइल या क्लोरोथैलोनिल का स्प्रे किया जा सकता है.

अगर हो जाए चितकबरा रोग

अगर पौधे को चितकबरा रोग जाए तो पौधों का विकास रुक जाता है. इसके अलावा पत्ते मुरझा जाते हैं और निचले हिस्से में पीलापन हो जाता है. इसकी रोकथाम के लिए डियाजीनॉन का स्प्रे किया जाता है.

अगर लग जाए फल की मक्खी

खीरे की फसल में लगने वाला यह बेहद गंभीर रोग है. इसमें फल गलने शुरू हो जाते हैं और टूटकर नीचे गिर जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए पत्तों पर नीम के तेल का स्प्रे किया जाना चाहिए.

कैसे करें फसल की कटाई?

बुवाई के करीब एक से डेढ़ महीने में पौधे में फल लगाना शुरू हो जाते हैं. खीरे की कटाई खास तौर पर बीज के नरम होने, फल छोटे और हरे होने पर करें. इसकी कटाई के लिए धारदार चाकू या किसी नुकीली चीज का इस्तेमाल करें. इसकी पैदावार प्रति एकड़ 33 से 42 क्विंटल तक होती है. ये भी देखें: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

कैसा हो बीज का उत्पादन

खीरे के उत्पादन के लिए भूरे रंग के बीज अच्छे होते हैं. बीज निकालने के लिए फलों के गुदे को कम दे कम दो दिनों तक पानी में रखें, ताकि बीज आसानी से अलग किये जा सकें. उसके बाद उन्हें हाथों से जोर से रगड़ा जाता है. जो बीज पानी में भारी होने के कारण नीचे बैठ जाते हैं, उनका इस्तेमाल कई और कामों में किया जाता है. इस तरह से खीरे की खेती करने से किसान भाइयों को अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है.
नुनहेम्स कंपनी की इम्प्रूव्ड नूरी है मोटल ग्रीन खीरे की किस्म

नुनहेम्स कंपनी की इम्प्रूव्ड नूरी है मोटल ग्रीन खीरे की किस्म

गर्मियों का सीजन शुरू हो चुका है. ऐसे में लोगों को गर्मी में कुछ रिफ्रेशिंग और नेचुरल चीजे खाने की सलाह दी जाती है. बात रोफ्रेशिंग और नेचुरल चीजों की हो तो कोई भला खीरे को कैसे भूल सकता है. जिसकी तासीर तो ठंडी होती ही है, साथ में शरीर के लिए भी बेहद फायदेमंद है. 

पहले के समय में खीरे की खेती किसी ख़ास सीजन में हुआ करती थी. लेकिन पिछले कुछ सालों में उन्नत किस्मों के बीज और पाली हाउस जैसे जरिये की मदद से अब लोगों को साल भर तक खीरे खाने को मिलता है. तभी तो पूरी दुनिया भर में भारत खीरे के सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उबर चुका है. 

ज्यादातर मामलों में खीरे की बुवाई फरवरी से मार्च के महीने में की जाती है. खीरे की फसल गर्म और शुष्क वातावरण में की जाती है. साथ ही अच्छी जल निकाली वाली मिट्टी खीरे की फसल के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. खीरा उन्हीं फसलों में से एक है, जिससे किसान भाइयों का अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है.

कहां से हुई निर्यात की शुरुआत

भारत में खीरे का निर्यात साल 1990 के दशक में कर्नाटक से शुरू हुआ था. जिसका स्तर काफी छोटा था. बाद में तमिलनाडु के साथ आंध्र प्रदेश एयर तेलंगाना में भी निर्यात का काम शुरू हो गया. पूरी दुनिया भर में सिर्फ भारत में 15 फीसद खीरे का उत्पादन किया जाता है. 

भारत से लगभग 20 देशों से भी ज्यादा खीरे का निर्यात किया जाता है, जिसमें अमेरिका, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, जर्मनी, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, चीन, रूस, श्री लंका और इजरायल जैसे देश हैं. 

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जानिए खीरे की उन्नत किस्मों के बारे में

वैसे तो खीरे की उन्नत किस्मों की भारत में भरमार है. जिनकी बुवाई से किसानों को भरपूर मुनाफा होता है. जिनमें पूसा संयोग और बरखा, स्वर्ण पूर्णिमा, स्वर्ण अनेति, पंजाब सलेक्शन जैसी ये सभी खीरे की अच्छी किस्मों में मानी जाती है.

इनके अलावा खीरे की एक और किस्म भी है. जिसका नाम इम्प्रूव्ड नूरी है. जिसे नुनहेम्स कंपनी ने तैयार किया है. इस खास किस्म के चलते किसानों को डबल मुनाफा होता है. किसानों को अच्छी और उपजाऊ फसलों के लिए बीज और नये नये किस्मों को उपलब्ध करवाने का काम नुनहेम्स कंपनी करती है. 

इसके अलावा यह कंपनी हरी सब्जियों और फलों की खेती के लिए बीज के साथ खेती करने का सही ढ़ंग भी किसानों को सिखाती है. ताकि उन्हें अच्छी और उन्नत फसलों का फायदा मिल सके. मोटल ग्रीन खीरे की किस्म इम्प्रूव्ड नूरी भी नुनहेम्स कंपनी की देन है. जिसकी उपज, आकार, परिपक्वता के साथ अन्य जानकारी भी जान लेनी चाहिए.

खीरे की किस्म है इम्प्रूव्ड नूरी

  • नुनहेम्स कंपनी इस खीरे की किस्म की स्रोत है.
  • लगभग 30 से 40 दिनों में यह पककर तैयार हो जाते हैं.
  • इस किस्म के खीरे का आकार बेलनाकार होता है.
  • इम्प्रूव्ड नूरी किस्म के खीरे की लम्बाई लगभग 18 से 22 सेंटीमीटर होती है.
  • कुछ वायरस के लिए इस किस्म में प्रतिरोधी किस्म है.
  • इस खीरे का रंग मीडियम हरा होता है.
  • इस किस्म के खीरे में भी संतुलित पोषक तत्व होते हैं.
  • इसकी उपज की बात की जाए तो इसमें काफी अच्छी उपज किसानों को मिलती है.

कैसे करें खीरे की खेती, जाने फसल से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातें

कैसे करें खीरे की खेती, जाने फसल से जुड़ी हुई महत्वपूर्ण बातें

खीरा एक ऐसी फसल है जिसकी डिमांड भारत के बाजार में सालभर बनी रहती है। खीरे का नाम लेते ही हमारी आंखों के सामने एक बढ़िया सा सलाद या फिर खीरा सैंडविच जैसी चीजें सामने आने लगती है।  लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि खीरे की फसल को किसान कैसे उगाते हैं और कौन से समय में यह फसल उगाना सबसे अच्छा रहता है। खीरा एक प्रकार की हरी सब्जी है जिसकी बेल लगती है,  इसके फूल पीले रंग के होते हैं और यह फसल एक बहुत ही गुणकारी सलाद के रूप में जानी जाती है। यह एक ऐसी फसल है जो लगभग हर साल हमें बाजार में देखने को मिल जाती हैं। माना जाता है कि खीरे में लगभग 95% तक पानी होता है इसलिए गर्मियों में इसकी डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है। अगर आप अपने भोजन में खीरे का सेवन करते हैं तो गर्मियों के मौसम में यह आपको डिहाइड्रेट होने से बचाता है। इसके अलावा इसमें बहुत से विटामिन और पोषक तत्व पाए जाते हैं जो आपकी त्वचा और बालों के लिए बहुत गुणकारी माने गए हैं।

खीरे की खेती करना कैसे शुरू करें?

अगर मौसम की बात की जाए तो गर्मियों में, बारिश के मौसम में और सर्दी के समय तीनों ही प्रकार की ऋतु में
खीरे की फसल की खेती आसानी से की जा सकती हैं। यह एक ऐसी फसल है जिसमें किसान कम पैसे लगाकर लाखों रुपए का मुनाफा कमा सकते हैं।  इसके अलावा रोजाना हमें ऐसे बहुत से वाक्य देखने को मिलते हैं जिसमें किसान खीरे या फिर अलग-अलग तरह के हाइब्रिड खीरे की खेती करते हुए नई मिसाल कायम कर रहे हैं और अपने आप को आर्थिक रूप से सबल बना रहे हैं.

क्या है खीरे की खेती करने का सही समय ?

खीरे की फसल की खेती ज्यादातर गर्मी और बरसात के मौसम में ज्यादा की जाती है. गर्मी और बरसात के अलावा अगर किसान चाहे तो ग्रीनहाउस या फिर नेट हाउस की मदद से नहीं किसी भी सीजन में कर सकते हैं.

क्या है खीरे के पौधों की नर्सरी तैयार करने की विधि?

अगर किसान वातावरण और मौसम से अलग परिस्थितियों में खीरे की खेती करना चाहते हैं तो वह खीरे की पौध तैयार कर सकते हैं या फिर नर्सरी से भी खीरे  के पौधे खरीदे जा सकते हैं. ज्यादातर ऐसा उन मामलों में किया जाता है जब किसान मौसम के विपरीत इस फसल की खेती करना चाहते हैं  या फिर खेत में ज्यादा तापमान होने के कारण सीधे तौर पर इसकी बुआई नहीं कर पा रहे हैं।  नर्सरी से तैयार पौधों में एक खासियत यह होती है कि उन्हें किसी भी मौसम में लगाया जा सकता है और साथ ही पॉलीहाउस नेट हाउस के लिए भी यह है पौधे अनुकूल रहते हैं। ये भी पढ़े: नुनहेम्स कंपनी की इम्प्रूव्ड नूरी है मोटल ग्रीन खीरे की किस्म

खीरे के पौधों की नर्सरी तैयार करते समय ध्यान रखने योग्य बातें

खीरे की नर्सरी तैयार करते समय किसान को बीजों का उच्च गुणवत्ता वाला चयन करना चाहिए। इसके बाद पौधों को ट्री-प्लेट या छोटे पॉलीबैग में लगाया जा सकता है। मिट्टी के लिए अच्छी मिट्टी का चयन करें और उर्वरक डालकर पॉलीबैग में भरें। बीजों को बैग में एक से 2 सेमी गहराई में लगाएं और पौधों में पानी दें। हल्की धूप और छाया वाले स्थान पर पौधे रखें और समय-समय पर देखभाल करें। नर्सरी में पौधा 12 से 16 दिन का होने पर उसे खेत में स्थापित कर दें।

खीरे की  नर्सरी तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • मिट्टी की तैयारी: खीरे की नर्सरी तैयार करते समय, मिट्टी को उत्तम ढंग से तैयार करना बहुत जरूरी है। खीरे को उगाने के लिए, नर्सरी में संभवतः लोम युक्त और निर्मल मिट्टी का उपयोग करना अच्छा होता है। मिट्टी को उचित संचार और निराई वाले जगह से चुनना चाहिए।
  • सीडलिंग की उपलब्धता: खीरे की नर्सरी में सीडलिंग की उपलब्धता का भी ध्यान रखना चाहिए। सीडलिंग के लिए उचित विकल्प चुनना बहुत जरूरी होता है। सीडलिंग की गुणवत्ता उच्च होनी चाहिए ताकि उन्हें अच्छी तरह से उगाया जा सके।
  • समय: खीरे की नर्सरी तैयार करने के लिए उचित समय चुनना बहुत जरूरी है। समय के अनुसार सीडलिंग के लिए उपलब्धता विभिन्न होती है। जैसे गर्मियों में खीरे की नर्सरी तैयार करना अधिक संभव होता है

खीरे की उन्नत किस्में ?

आजकल बाजार में हाइब्रिड खीरे भी आ रहे हैं और जब आप खीरे के किस्म के बारे में देखते हैं तो बाजार में बढ़-चढ़कर अलग-अलग वैरायटी आ रही हैं। आजकल हाइब्रिड खीरा काफी ज्यादा लोगों द्वारा पसंद किया जाता है और साथ ही किसान भी इसे उगा कर लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं।

इसके अलावा खीरे की कई उन्नत किस्में हैं, जो अलग-अलग शर्तों में उगाई जाती हैं। कुछ उन्नत खीरे की किस्में निम्नलिखित हैं:

  • हिमांशु (Himanshu)
  • पूजा (Pooja)
  • सुमीत (Sumit)
  • अर्जुन (Arjun)
  • गोल्डन (Golden)
  • किरण (Kiran)
  • वार्षिक (Varshik)
इनमें से कुछ किस्में अधिक उत्पादक होती हैं और कुछ अधिक रोग प्रतिरोधी होती हैं। इसलिए किसानों को अपने क्षेत्र में उगाने के लिए उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिए।

विदेशी खीरे की उन्नत किस्में

  • हाइब्रिड लाइट ग्रीन
  • हाइब्रिड वाईट ग्रीन
  • स्वर्ण अगेती
  • स्वर्ण पूर्णिमा
  • पूसा उदय
  • पूना खीरा
  • पंजाब सलेक्शन
  • पूसा संयोग
  • विनायक हाइब्रिड
  • पूसा बरखा
  • खीरा 90
  • कल्यानपुर हरा खीरा
  • कल्यानपुर मध्यम
  • खीरा 75 जापानी लौंग ग्रीन
  • चयन
  • स्ट्रेट- 8
  • पोइनसेट
आदि प्रमुख है | विदेशी किस्मों की बात की जाए तो भारत में चाइनीज खीरे की खेती काफी कम की जाती है।

खीरे की फसल के लिए कैसी होनी चाहिए जलवायु?

जब भी आपकी खीरे की फसल पर फूल आता है उस समय तापमान अगर 13 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच हो तो यह है फसल के लिए काफी अच्छा माना जाता है और इसके बाद फूलों से जब खीरे बनते हैं तो 20 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान में यह अच्छा उत्पादन लेता है।

खीरे की फसल के लिए कैसी होनी चाहिए मिट्टी?

खीरे की फसल के लिए अगर मिट्टी की बात की जाए तो जीवाश्म युक्त चिकनी मिट्टी,  बलुई मिट्टी,  काली मिट्टी और पीली मिट्टी इसके लिए एकदम उपयुक्त होती है।  इसके अलावा अगर आप खीरे की खेती ऐसी जगह पर कर रहे हैं जहां पर अधिक बरसात होती है तो ऐसी भूमि का चुनाव करें जहां पर बारिश का पानी खड़ा ना होता हो।

प्रति एकड़ के हिसाब से क्या रहेगी बीज  की लागत?

खीरे की फसल की बुवाई करते हुए किसान सीधा बीज  के माध्यम से भी है खेती कर सकते हैं या फिर नर्सरी से तैयार बौद्ध के साथी हैं खेत में लगा सकते हैं।  अगर आप बीज से बुवाई करते हैं तो तीन से चार सीट के अंतर पर तीन से चार बीज  एक साथ एक जगह पर लगाएं। ये भी पढ़े: खीरा की यह किस्म जिससे किसान सालों तक कम लागत में भी उपजा पाएंगे खीरा खीरे की आधुनिक खेती मे बीज की मात्रा 1 एकड़ में 1 किलो ग्राम तक लगती है | हाइब्रिड खीरा के बीज की लागत प्रति एकड़ 500 से 600 ग्राम प्रति एकड़ आवश्यकता पड़ती है |

क्या है खीरे के उत्पादन की  आधुनिक खेती विधि ?

खीरे की खेती करने के लिए देश में अलग-अलग क्षेत्र और सुविधा के अनुसार अलग-अलग तरह के तरीके अपनाए जाते हैं।  देश में आधुनिक विधियों से भी खीरे की खेती हो रही है।  खीरे की खेती करने की कुछ विधि है
  • माचान विधि
  • बांस मंडप विधि
  • मल्चिंग विधि
  • समतल खेत विधि

खीरे की खेती में  सिंचाई ?

खीरे की खेती में सिंचाई एक अहम् भूमिका निभाती है। खीरे पौधों को नियमित तौर पर पानी की आवश्यकता होती है ताकि उनके विकास में कोई बाधा न हो। इसके लिए सिंचाई का उपयोग किया जाता है। सिंचाई के लिए नलकूप, कुआं, नहर, तालाब आदि स्रोतों का उपयोग किया जा सकता है। बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई एक अत्यंत महत्वपूर्ण तरीका होता है खीरे की उत्पादन बढ़ाने के लिए। सिंचाई के लिए निर्धारित समय और मात्रा पर ध्यान देना चाहिए।

खीरे की फसल से  उत्पादन

खीरे की उचित देखभाल और सही मात्रा में सिंचाई करने पर एक एकड़ में 15 टन तक उत्पादन हो सकता है। यह उत्पादन भूमि की गुणवत्ता, उपयुक्त जलवायु, खेती की तकनीक, खाद आदि पर भी निर्भर करता है। देशी खीरे की औसत उपज 60 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तथा हाइब्रिड खीरे की औसत उपज 130-220 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक हो जाती है |

खीरे की खेती से कमाई –

खीरे की खेती से कमाई उन्नत खेती के साथ संभव होती है। खीरे की खेती से कमाई का मुख्य स्रोत उत्पाद की बिक्री होती है। ये भी पढ़े: फरवरी में उगाई जाने वाली सब्जियां: मुनाफा कमाने के लिए अभी बोएं खीरा और करेला खीरे की खेती से प्रति एकड़ लाभ मिल सकता है जो कि ताजा बाजार में विभिन्न शहरों और नगरों में बेचे जाने वाले खीरों की मूल्य निर्धारण पर निर्भर करता है। इसके अलावा, खीरों से निर्मित उत्पादों के लिए भी बाजार होता है, जैसे कि आचार, मरीनेटेड खीरे, सलाद आदि। इन उत्पादों की बिक्री से भी अच्छी कमाई होती है। खीरे की खेती से कमाई को बढ़ाने के लिए खेती में उत्पादकता और उत्पाद गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए उन्नत तकनीक का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, खीरे की खेती से कमाई को बढ़ाने के लिए अच्छी बीज उपलब्ध कराना, उत्तम सिंचाई व्यवस्था सुनिश्चित करना, उत्तम खाद उपलब्ध कराना और रोग-रोधक तथा कीटनाशक उपयोग करना अत्यंत आवश्यक होता है।

खीरे की फसल में लगने वाले कुछ लोग

खीरे में लगने वाले कुछ रोगों के नाम हैं:

  • वाइरस मॉसेइक
  • अधिक पानी से पौधे की वृद्धि और पत्तों का सूखा जाना
  • पानी का अभाव या कमी से होने वाली रोग
  • फसल के तने में सूखापन
  • पत्तों का पिलापन और मुरझाना
  • खीरे के दलों पर सफेद पदार्थ जमा हो जाना (मिल्यू बगैरा)
  • खीरे के पत्तों पर लाल रंग के दाग होना (अँगुलर स्पॉट)
खीरे की फसल के लिए नाइट्रोजन उर्वरक सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता  है।  इस तरह से इन सब बातों का ध्यान रखते हुए आप खीरे की फसल से मुनाफा कमा सकते हैं।
परंपरागत खेती छोड़ हरी सब्जी की खेती से किसान कर रहा अच्छी कमाई

परंपरागत खेती छोड़ हरी सब्जी की खेती से किसान कर रहा अच्छी कमाई

भारत में किसान परंपरागत खेती की जगह बागवानी की तरफ अपना रुख करने लगे हैं। आशुतोष राय नाम के एक किसान ने भी कुछ ऐसा ही किया है। कहा गया है, कि मार्च माह में उन्होंने बाजार से बीज लाकर तोरई और खीरे की बिजाई की थी। उन्होंने बताया था कि बुवाई करने से पूर्व उन्होंने खेत की बेहतर ढ़ंग से जुताई की गई थी।

 

आशुतोष ने इतने बीघे में तोरई और खीरे की खेती कर रखी है

बिहार के बक्सर जनपद में किसान परंपरागत खेती करने के साथ-साथ आधुनिक विधि से
सब्जी की भी खेती कर रहे हैं। इससे कृषकों को कम लागत में अधिक मुनाफा मिल रहा है। विशेष बात यह है, कि किसान एक ही खेत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। इनमें से आशुतोष राय भी एक उत्तम किसान हैं। इन्होने 2 बीघे भूमि में तोरई और खीरे की खेती कर रखी है। आशुतोष ने बताया है, कि उनके यहां विगत 20 साल से सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। हरी सब्जी विक्रय कर वह प्रतिवर्ष मोटी आमदनी कर लेते हैं।

 

आशुतोष खेती में जैविक खाद का ही इस्तेमाल करते हैं

मीड़िया खबरों के अनुसार, किसान आशुतोष राय का कहना है, कि उनके पिता जी और दादा जी पहले पारंपरिक ढ़ंग से खेती किया करते थे। इससे खर्च अधिक और लाभ कम होता था। परंतु, उन्होंने आधुनिक तकनीक से पारंपरिक फसलों के साथ- साथ बागवानी फसलों की भी खेती आरंभ कर दी है। इससे लागत में अत्यधिक राहत मिल रही है। आशुतोष की मानें तो वह अपने सब्जी के खेत में जैविक खाद का ही उपयोग करते हैं। इससे उनके खेत की सब्जियां हाथों- हाथ बाजार में बिक जाती हैं। 

यह भी पढ़ें: जैविक खाद का करें उपयोग और बढ़ाएं फसल की पैदावार, यहां के किसान ले रहे भरपूर लाभ


लगभग 2 महीने में हरी सब्जी की बिक्री शुरू हो गई

आशुतोष का कहना है, कि मार्च माह में उन्होंने बाजार से बीज लाकर तोरई और खीरे की बिजाई की थी। उन्होंने बताया कि बिजाई करने से पूर्व खेत को अच्छे ढ़ंग से जोता गया था। उसके बाद पाटा चलाकर मृदा को एकसार कर दिया गया। साथ ही, 6-6 फीट के फासले पर तरोई की बुवाई की गई। इसके साथ ही बीच-बीच में खीरे की भी बिजाई की गई। इस दौरान आशुतोष वक्त-वक्त पर सिंचाई भी करता रहा। लगभग 2 माह में हरी सब्जी की बिक्री चालू हो गई।

 

पारंपरिक फसलों के मुकाबले हरी सब्जी की खेती में ज्यादा मुनाफा है - आशुतोष

आशुतोष प्रतिदिन 10 रुपये किलो की कीमत से एक क्विंटल तोरई बेच रहे हैं। इससे उन्हें प्रतिदिन 10 हजार रुपये की आमदनी हो रही है। साथ ही, वह खीरा बेचकर भी अच्छा-खासा मुनाफा कर लेते हैं। आशुतोष के अनुसार तो 2 बीघे में सब्जी की खेती करने पर उनका 20 हजार रुपये का खर्चा हुआ है। साथ ही, रोगों से संरक्षण के लिए आशुतोष को कीटनाशकों का छिड़काव भी करना पड़ा है। इसके अतिरिक्त भी फसलों को व्हाईट फ्लाई रोग से काफी क्षति हुई है। आशुतोष राय ने बताया है, कि पारंपरिक फसलों की तुलना में हरी सब्जी की खेती में काफी ज्यादा मुनाफा है।

खीरे की इस किस्म की खेती कर वार्षिक चार बार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं

खीरे की इस किस्म की खेती कर वार्षिक चार बार पैदावार प्राप्त कर सकते हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पीसीयूएच प्रजाति के खीरे की खेती वर्ष भर में चार बार की जाती है। जानें इस खास किस्म के खीरे की खेती के बारे में। गर्मियों के दिनों में खीरे की बाजार में काफी ज्यादा मांग रहती है। ऐसी स्थिति में यदि आप अपने खेत में खीरे की खेती करते हैं, तो यह आपके लिए बेहद ही मुनाफे का सौदा साबित हो सकता है। बाजार में बहुत सारी किस्मों के खीरे उपलब्ध हैं। परंतु, आज हम आपको इस लेख में खीरे की एक ऐसे किस्म के संदर्भ में जानकारी देंगे, जिसकी खेती एक साल में चार बार की जा सकती है। बाजार में पीसीयूएच किस्म का खास खीरा आया है। इसकी खेती वर्ष भर में चार बार की जाती है। हमारे किसान भाई इस किस्म के खीरे की खेती कर बेहद ही अच्छा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। इस प्रजाति के खीरे का उत्पादन आम खीरों के मुकाबले में अधिक होता है। इसकी खेती कर आप वार्षिक तौर पर बड़ी सुगमता से 2 से 3 लाख की आमदनी कर सकते हैं।

खीरे की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु व मृदा

इस खीरे का रेतीली मृदा में अच्छा उत्पादन होता है। इस खीरे की खेती के लिए मृदा का पीएच मान 6 से 7 के मध्य होना चाहिए। इसकी खेती के लिए थोड़े से गर्म तापमान की आवश्यकता होती है। ये भी देखें: पॉली हाउस तकनीक से खीरे की खेती कर किसान कमा रहा बेहतरीन मुनाफा

खेत की तैयारी किस प्रकार से करें

खीरे की बेहतरीन पैदावार के लिए खेत को दो से तीन बार जोतने के उपरांत उसपर पाटा चला कर समतल कर देना चाहिए। इसमें आप देशी खाद का ही इस्तेमाल करें। साथ ही, खेत में बिजाई से पूर्व फसल को कीटों एवं बीमारियों से बचाने के लिए बेहतरीन औषधियों का छिड़काव करें।

खीरे की खेती में सिंचाई किस प्रकार करें

खीरे की फसल को ज्यादा नमी की आवश्यकता पड़ती है। गर्मी के दिनों में फसल को प्रत्येक सप्ताह सिंचाई की आवश्यकता होती है। वर्षा ऋतु में आप बिना सिंचाई के बेहतरीन उपज प्राप्त कर सकते हैं।

खीरे की खेती में निराई-गुड़ाई

खीरे के खेत से खरपतवार अथवा अनावश्यक घास को हटाने के लिए खुरपी या फिर फावड़े का इस्तेमाल कर सकते हैं। ग्रीष्मकालीन समय में फसल में 20 से 25 दिनों के लिए 3 से 4 बार निराई-गुड़ाई का कार्य कर देना चाहिए। साथ ही, वर्षा के दौरान पानी की वजह से घास के जमने की आशंका ज्यादा हो जाती है। ऐसी स्थिति में गुड़ाई की बारंबारता काफी बढ़ जाती है।