काला चावल एक प्रकार का एंटीऑक्सीडेंट्स है। इसमें एंटी-कैंसर एजेंट मौजूद होते हैं। इसके अतिरिक्त ब्लैक राइस में प्रोटीन, आयरन और फाइबर भरपूर मात्रा में पाया जाता है। अब ऐसी स्थिति में यदि आप काले चावल का सेवन करते हैं, तो अंदर से फिट और तंदरुस्त रहेंगे। इसकी खेती सबसे ज्यादा नॉर्थ ईस्ट में होती है। परंतु, अब महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत बाकी राज्यों में भी किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि काले चावल को पकाने के उपरांत इसका रंग परिवर्तित हो जाता है। इस वजह से इसको नीला भात भी कहा जाता है।
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काले चावल की बाली लंबी-लंबी होती हैं
काले चावल की खेती की शुरुआत सर्वप्रथम चीन में हुई थी। इसके पश्चात यह भारत में पहुंचा। भारत के अंदर सर्वप्रथम इसकी खेती की शुरुआत मणिपुर और असम में की गई थी। इसकी खेती भी सामान्य धान की भांति ही की जाती है। काले चावल की फसल 100 से 110 दिन के समयांतराल में पक कर कटाई हेतु तैयार हो जाती है। इसके पौधे की लंबाई समान्य धान की भांति ही होती है। परंतु, इसकी बाली के दाने लंबे-लंबे होते हैं। यही कारण है, कि काले चावल की लंबाई अधिक होती है।
किसान काले चावल की खेती से अच्छी आय कर रहे हैं
यदि कृषक काले चावल की खेती करना शुरू करते हैं, तो उनको बेहतरीन आय हो सकती है। सामान्य तौर पर चावल की कीमत की शुरुआत 30 रुपये प्रति किलो से 150 रुपये प्रति किलो तक जाती है। परंतु, काले चावल की कीमत की शुरुआत ही 250 रुपये प्रति किलो से होती है। इसका अधिकम मूल्य 500 रुपये किलो तक पहुँच सकता है। विशेष बात यह है, कि इसकी खेती करने पर विभिन्न राज्यों में सरकार के स्तर से प्रोत्साहन धनराशि भी मिलती है। अब ऐसी स्थिति में हम यह कह सकते हैं, कि काले चावल की खेती करना किसानों के लिए काफी लाभदायक रहेगा।
मौसम विभाग की ओर से विगत दिनों उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में तीव्र बरसात की संभावना जताई थी। मौसम विभाग ने महोबा, झांसी, कानपुर नगर, उन्नाव, लखनऊ, रायबरेली, आगरा, हाथरस, अलीगढ़, फिरोजाबाद, इटावा, जालौन और हमीरपुर आदि जनपदों में बारिश होने की संभावना जताई गई थी।
विशेषज्ञों का इस पर क्या कहना है
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. एस आर सिंह का कहना है, कि इस बरसात से निश्चित ही फसलों को फायदा होगा। उन्होंने बताया कि आज हुई बारिश सभी फसलों के लिए अत्यंत आवश्यक थी। इस वक्त फील्ड में उपस्थित समस्त फसलों के लिए बारिश का पानी बेहद काम का है। इससे कोई भी हानि नहीं है। पानी की कमी के चलते फसलें काफी प्रभावित थीं। परंतु, आज हुई बरसात से काफी हद तक ये कमी पूरी होगी। विशेषज्ञों का कहना है, कि धान, बाजरा, सब्जियों, उर्द, मूँग आदि के लिए पानी काफी ज्यादा जरूरी था। तेज धूप और गर्मी के चलते खेतों को सिंचाई की जरूरत थी।
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