Published on: 22-Dec-2023
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसी खास भूभाग या क्षेत्र में बिना किसी समस्या के उत्पादित की जा सकने वाली फसलों के प्रकार को तय करने में भौतिक कारक काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मेरीखेती के इस लेख में हम आपको कुछ भौतिक व सामाजिक महत्वपूर्ण कारकों से अवगत कराऐंगे।
जलवायु का स्वरूप : जलवायु एक अत्यंत महत्वपूर्ण भौतिक कारकों में से एक है। विभिन्न फसलों को विशिष्ट तापमान सीमा, वर्षा पैटर्न और सूर्य के प्रकाश के स्तर की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, चावल प्रचुर वर्षा और गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में पनपता है, जबकि गेहूं ठंडी और शुष्क परिस्थितियों को पसंद करता है।
मृदा की गुणवत्ता : मिट्टी की संरचना, उर्वरकता और पीएच फसल के विकास को काफी हद तक प्रभावित करते हैं। उदाहरण के तौर पर कुछ फसलें, जैसे कि आलू समुचित जल निकासी वाली अम्लीय मृदा में पनपती हैं। वहीं, बाकी फसलें जैसे कि सोयाबीन को पनपने में प्रमुख रूप से क्षारीय मृदा उपयुक्त हैं।
ये भी पढ़ें: जानिए पारिस्थितिकी और उसके प्रमुख घटक क्या-क्या हैं?
जमीन का ढ़ांचा : भूमि की ऊंचाई एवं ढलान के समान कारकों सहित परिदृश्य, जल निकासी और सूर्य की रोशनी के जोखिम को काफी प्रभावित करता है। पहाड़ी इलाके अंगूर के बागानों के लिए काफी अनुकूल हो सकते हैं। वहीं, एकसार मैदान बड़े स्तर पर गेहूं के खेतों के लिए उपयुक्त होते हैं।
प्राकृतिक आपदाऐं : फसलों की वृद्धि के लिए प्राकृतिक समस्याऐं जैसे कि सूखा, तूफान, बाढ़ और सुनामी संवेदनशील परिस्थितियां हैं। ये समस्त प्राकृतिक आपदाऐं फसलीय उपज को संकुचित या एक सीमा में बाध्य कर सकती हैं। टिकाऊ कृषि के लिए इन आपदाओं के लिए लचीलापन काफी महत्वपूर्ण है।
सामाजिक पर्यावरण कारक कौन-कौन से हैं
मानव जनित कुछ अहम गतिविधि जिसका फसलीय उत्पादन पर प्रत्यक्ष तोर पर प्रभाव पड़ता है। ऐसे समस्त कारकों को सामाजिक वातावरण के अंतर्गत शम्मिलित किया है।
ये भी पढ़ें: इफको (IFFCO) कंपनी द्वारा निर्मित इस जैव उर्वरक से किसान फसल की गुणवत्ता व पैदावार दोनों बढ़ा सकते हैं
फसलीय पैदावार को प्रभावित करने वाले आर्थिक कारक
कृषि क्षेत्र पर आर्थिक स्थिति विशेष रूप से असर डालती हैं। कृषकों को उपकरण, प्रौद्योगिकी एवं बीज खरीदने के लिए वित्तीय संसाधनों तक पहुंच की आवश्यकता है। बाजार की गतिशीलता और मूल्य निर्धारण संरचनाएं यह सुनिश्चित करने में भी भूमिका अदा करती हैं, कि किन फसलों का उत्पादन आर्थिक तौर पर सही है।
फसलीय पैदावार को प्रभावित करने वाले सांस्कृतिक प्रथाएं
सांस्कृतिक प्राथमिकताएँ एवं परंपराएँ फसल की लोकप्रियता पर प्रत्यक्ष असर डालती हैं। उदाहरण के लिए, चावल की खपत की सशक्त परंपरा वाले इलाकों में
चावल की खेती ज्यादा प्रचलित है। सांस्कृतिक कारक खेती की पद्धतियों एवं फसल चक्रण प्रथाओं को भी प्रभावित करते हैं।
फसलीय पैदावार को प्रभावित करने वाले सरकारी नीतियां
अगर हम सरकारी नीतियों के संदर्भ में बात करें तो टैरिफ, अनुदान तथा व्यापार समझौते विशिष्ट फसलों को प्रोत्साहित अथवा हतोत्साहित कर सकते हैं। ये नीतियां प्रमुख फसलों की खेती की लाभप्रदता पर काफी गहरा असर डाल सकती हैं।
फसलीय पैदावार को प्रभावित करने वाला कारक श्रम उपलब्धता
फसलीय पैदावार के लिए एक शानदार कार्यबल की उपलब्धता अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाय अथवा कॉफी जैसी श्रम प्रधान फसलों के लिए बेहद समुचित कार्यबल की अनिवार्यता सुनिश्चित होती है। वहीं, मशीनीकृत फसलों के लिए न्यूनतम श्रम संसाधनों की आवश्यकता हो सकती है।