वस्तु एवं सेवा कर (GST) को सरल बनाने के लिए गठित मंत्रियों का समूह (GoM) आवश्यक कृषि इनपुट, जैसे कि ड्रिप सिंचाई प्रणाली, उर्वरक और कीटनाशकों पर कर दरों में संभावित कटौती की समीक्षा कर रहा है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 25 मार्च को संसद में वित्त विधेयक पर चर्चा के दौरान इस संबंध में जानकारी दी।
समिति केवल कृषि इनपुट ही नहीं, बल्कि खाद्य उत्पादों पर भी जीएसटी दरों पर पुनर्विचार कर रही है। इस कदम से उपभोक्ताओं और खाद्य उद्योग से जुड़े व्यवसायों को महत्वपूर्ण राहत मिलने की संभावना है।
भारतीय किसान संघ (BKS) सहित कई किसान संगठनों ने सरकार से अनुरोध किया है कि कृषि उपकरण और आवश्यक इनपुट पर जीएसटी को पूरी तरह समाप्त किया जाए।
उनका तर्क है कि इन करों के कारण खेती की लागत बढ़ रही है और किसानों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ उठाना पड़ रहा है।
निर्मला सीतारमण ने जीएसटी को प्रतिगामी कर मानने के दावों को खारिज करते हुए कहा कि आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं पर कम कर लगाया गया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उच्चतम 28% जीएसटी दर केवल 3% से भी कम वस्तुओं पर लागू है, जिनका आम जनता द्वारा सीमित उपयोग किया जाता है।
वित्त मंत्री के अनुसार, जीएसटी लागू होने के बाद कर दरों में गिरावट देखी गई है। मार्च 2023 तक औसत जीएसटी दर 12.2% थी, जो कि पूर्व अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के 15% की तुलना में कम है।
वित्त मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिरों और गुरुद्वारों में वितरित किए जाने वाले प्रसाद पर कोई जीएसटी नहीं लगाया जाता।
2017 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के एक अध्ययन के अनुसार, जीएसटी की भारित औसत दर 14.4% थी, जो पिछले कुछ वर्षों में लगातार कम हुई है।
जीएसटी मुआवजा उपकर को लेकर चल रही चिंताओं पर वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि इसे राज्यों को हुए राजस्व घाटे की भरपाई के लिए जारी रखा गया है। यह उपकर 2026 की शुरुआत तक उन ऋणों की अदायगी के लिए लागू रहेगा, जो राज्यों को समर्थन देने के लिए लिए गए थे।
मूल रूप से यह उपकर पांच वर्षों के लिए लागू किया गया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लिए गए ₹2.69 लाख करोड़ के ऋण के पुनर्भुगतान के लिए इसे जारी रखा गया है।
अगर मंत्रियों का समूह (GoM) कृषि इनपुट पर जीएसटी कटौती की सिफारिश करता है, तो इससे किसानों की लागत घटेगी और कृषि क्षेत्र से जुड़े लाखों लोगों को राहत मिलेगी।
इसी तरह, खाद्य क्षेत्र की जीएसटी दरों पर पुनर्विचार से उद्योग और उपभोक्ताओं पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। इस मुद्दे पर चर्चा जारी है और सभी संबंधित हितधारक आगामी निर्णयों की प्रतीक्षा कर रहे हैं।