मानसून में इस बार कितनी होगी बारिश? मौसम विभाग ने की बड़ी भविष्यवाणी, जानिए सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 16-Apr-2025
Updated on: 16-Apr-2025
Rainfall with thunderstorm
समाचार किसान-समाचार

देशभर में लगातार बढ़ती गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है। ऐसे में भारतीय मौसम विभाग (IMD) की ताजा घोषणा देशवासियों के लिए राहत की खबर लेकर आई है। 

मौसम विभाग ने बताया है कि इस साल मानसून सामान्य से अधिक सक्रिय रहने की संभावना है। इसका मतलब है कि जून से सितंबर के बीच भारत में औसत से ज्यादा वर्षा हो सकती है। 

मौसम विभाग के अनुसार, इस बार मानसून सीजन के दौरान कुल वर्षा 87 सेंटीमीटर के दीर्घकालिक औसत का लगभग 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

अल नीनो का खतरा नहीं

मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि इस वर्ष मानसून के दौरान अल नीनो जैसी किसी प्रतिकूल जलवायु स्थिति के बनने की संभावना नहीं है। 

अल नीनो एक समुद्री घटना है जो प्रशांत महासागर में गर्म जल की वजह से वैश्विक मौसम पर प्रभाव डालती है। इसकी वजह से भारत में मानसून कमजोर पड़ जाता है और सूखे जैसी स्थिति बन जाती है। लेकिन इस बार ऐसी कोई स्थिति नहीं बन रही, जो निश्चित ही एक सकारात्मक संकेत है।

अच्छी बारिश, लेकिन चुनौतियाँ बरकरार

हालांकि, सामान्य से अधिक बारिश का अनुमान सुनकर खुश होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे जुड़ी कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। 

मौसम विभाग ने यह भी चेतावनी दी है कि जलवायु परिवर्तन के चलते मानसून का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। जहां पहले बारिश लंबे समय तक नियमित रूप से होती थी, अब वह थोड़े दिनों में अत्यधिक मात्रा में हो रही है। 

इसका नतीजा यह होता है कि कुछ इलाकों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं, जबकि अन्य हिस्सों में सूखे की स्थिति बनी रहती है।

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खेती और जल प्रबंधन पर प्रभाव

देश की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है, और मानसून ही किसानों की सबसे बड़ी उम्मीद होती है। इस बार सामान्य से अधिक वर्षा की संभावना खेती के लिहाज से एक अच्छी खबर हो सकती है, खासकर धान, मक्का और सोयाबीन जैसी खरीफ फसलों के लिए। 

लेकिन बेमौसम भारी बारिश और कम दिनों में अधिक जलवर्षा की प्रवृत्ति से फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है। ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों और सरकार को जल प्रबंधन, सिंचाई योजना और बाढ़ नियंत्रण पर विशेष ध्यान देना होगा।

कुल मिलाकर, इस वर्ष मानसून को लेकर मौसम विभाग का पूर्वानुमान देश के लिए राहत लेकर आया है। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम की अनिश्चितता बढ़ रही है। 

अतः जरूरत इस बात की है कि हम मौसम की इस नई वास्तविकता को समझते हुए अपनी तैयारी मजबूत करें — चाहे वो कृषि हो, जल संरक्षण हो या आपदा प्रबंधन। मानसून अब पहले जैसा नहीं रहा, और हमें इसकी चाल के अनुसार अपने कदम उठाने होंगे।