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जाफराबादी भैंस

भैंस पालन से भी किसान कमा सकते हैं बड़ा मुनाफा

भैंस पालन से भी किसान कमा सकते हैं बड़ा मुनाफा

भारत को कृषि प्रधान देश कहते हैं. देश के किसान कृषि के साथ साथ सामान रूप से पशुपालन भी करते हैं. कहा भी जाता है कि कृषि और पशुपालन एक दुसरे का पूरक होता है. पशुपालन से जहाँ एक ओर दुग्ध उत्पादन होता है, वहीं किसानी खेती के लिए सबसे बेहतर खाद भी प्राप्त किया जाता है. गाँव में लगभग सभी किसान खेती के साथ ही पशुपालन भी करते है. दुधारू पशुओं को हर घर में देखा जा सकता है. पशुपालन अब डेयरी व्यवसाय का रूप ले चूका है. गाय, भैंस, भेड, बकरी डेयरी व्यवसाय के लिए पाला जाता है. लेकिन दूध देने की क्षमता के आधार पर भैंस पालन (buffallo rearing) को ज्यादा अच्छा माना जाता है.

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गांव में रहने वाले लोग भैंस पालन का व्यवसाय कर बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं.

भैंस पालन के लिए सबसे जरूरी है की भैंसों का सही चुनाव किया जाए. जो किसान भैंस पालन करना चाहते हैं और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारना चाहते हैं वैसे लोगों के लिए यह जानना जरूरी है कि किस नस्ल की भैंस को पाला जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा दूध का उत्पादन हो सके. दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भारत का स्थान अव्वल है. देश के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि और किसानी के साथ-साथ पशुपालन भी एक मुख्य कार्य है. हजारों की संख्या में ग्रामीण, पशुपालन से अपना जीवन यापन करते हैं. पशु विशेषज्ञों की माने तो दुधारू जानवरों में सबसे ज्यादा दूध देने की क्षमता भैस में होती है, इसी के कारण किसान कम मेहनत में ज्यादा दूध उत्पादन के लिए ज्यादातर भैंस पालन को बेहतर समझते हैं. लेकिन, यहां सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि भैंस के किन नस्लों का चुनाव किया जाए जिनकी दूध उत्पादकता की क्षमता सबसे अधिक हो. दुग्ध उत्पादन पर ही पशुपालक के आर्थिक समृद्धि निर्भर करती है. अगर दूध देने की क्षमता कम होगी तो स्वाभाविक है की बिजनेस ठप हो जाएगा या फिर घाटे में चलेगा. इसी के कारण हम यहां किसान भाइयों को भैंस की नस्ल के बारे में बता रहे हैं जिनको घर लाकर आप ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.

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भैंस के किस नस्ल का चुनाव करें ?

मुर्रा नस्ल :

दुनिया में सबसे ज्यादा दुधारू भैंस में मुर्रा नस्ल को माना जाता है. मुर्रा नस्ल की भैंस 1 दिन में 13 से 15 लीटर तक दूध दे सकती है. लेकिन मुर्रा भैंस का पालन करने वाले पशुपालकों की उसके खानपान पर क्या ध्यान देना पड़ता है.

मेहसाना नस्ल :

मेहसाना नस्ल की भैंस भी अच्छी प्रजाति का भैंस माना जाता है. यह 20 से 30 लीटर तक दूध देने की क्षमता रखती है. गुजरात और महाराष्ट्र में मेहसाना भैंस का बड़ी मात्रा में पालन किया जाता है.

पंढरपुरी भैंस और सुरती नस्ल की भैस :

महाराष्ट्र में पाए जाने वाली भैंस की नस्ल पंढरपुरी अपने दूध देने के क्षमता के कारण ही जानी जाती है. वही सुरती नस्ल की भैंस भी दूध क्षमता में बेहतर होती है. यह दोनों भैंस 1 साल में 1400 लीटर से 1600 लीटर दूध देती है.

जाफराबादी, संभलपुरी भैंस, नीली-रावी भैंस टोड़ा भैंस, साथकनारा भैंस :

डेयरी व्यवसाय करने वाले किसानों के लिए जाफराबादी संबलपुरी बैंड नीली-रावी भैंस, टोड़ा भैंस और साथकनारा भैंस अच्छी नस्ल की भैंसों में मानी जाती है. इन नस्ल की भैंस सालाना 1500 लीटर से 2000 लीटर तक दूध उत्पादन की क्षमता रखती है.
जाफराबादी भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता और कीमत

जाफराबादी भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता और कीमत

दुग्ध उत्पादन करके पशुपालक काफी अच्छा मुनाफा हांसिल करते हैं। जाफराबादी भैंस का नाम गुजरात के जाफराबाद इलाके पर पड़ा है। क्योंकि, इसकी उत्पत्ती जाफराबाद में हुई है। जाफराबादी भैंस बाकी भैंस के मुकाबले में अधिक दिनों तक दूध देती है। पशुपालक इसका पालन दूध उत्पादन क्षमता के लिए करते हैं। क्योंकि, ये बाकी भैंसों की तुलना में अधिक दूध देती है। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती एवं पशुपालन की काफी प्राचीन परंपरा है। विशेषकर विगत कुछ वर्षों में पशुपालन की ओर किसानों का रुझान बड़ी ही तीव्रता से बढ़ा है। खेती के पश्चात ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आमदनी का यह दूसरा प्रमुख हिस्सा है। पशुपालन के माध्यम से किसान काफी शानदार मुनाफा हांसिल कर रहे हैं। सामान्य तौर पर किसान गाय अथवा भैंस पालना ज्यादा पसंद करते हैं। क्योंकि, इनके दूध के माध्यम से किसान शानदार मुनाफा अर्जित कर हैं। दूध की बढ़ती मांग को मद्देनजर रखते हुए विगत कुछ समय में गाय-भैंस पालन का चलन तेजी से बढ़ा है। इसके साथ-साथ इसी मांग के जरिए डेयरी बिजनेस भी काफी बढ़ रहा है।

जाफराबादी भैंस की कद काठी

हालाँकि, गाय एवं भैंस की सारी प्रजातियां ही एक से बढ़कर एक हैं। परंतु, भैंस की एक नस्ल ऐसी है, जिसकी काफी ज्यादा चर्चा की जाती है। भैंस की इस नस्ल को भैंसों का 'बाहुबली' भी कहा जाता है। क्योंकि, ये भैंस दिखने में काफी हट्टी खट्टी होती है। खास बात यह है, कि इसकी दुग्ध उत्पादन क्षमता बाकी गाय-भैसों की तुलना में काफी ज्यादा है। जी हां, हम बात करें रहे हैं, भैंस की जाफराबादी नस्ल के बारे में। ऐसे में यदि आप भी डेयरी व्यवसाय के माध्यम से मोटा मुनाफा अर्जित करना चाहते हैं, तो जाफराबादी नस्ल की भैंस आपके लिए अच्छा विकल्प है।

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जाफराबादी भैंस की दुग्ध उत्पादन क्षमता और कीमत

जाफराबादी भैंस की उत्पत्ति गुजरात के सौराष्ट्र इलाके से हुई है। यह गुजरात के गिर के जंगलों एवं आसपास के इलाकों, जैसे जामनगर, पोरबंदर, अमरेली, राजकोट, जूनागढ़ और भावनगर जनपदों में पाई जाती है। भैंस की इस नस्ल का नाम गुजरात के अमरेली जनपद के जाफराबाद क्षेत्र के नाम पर पड़ा है। यहां जाफराबादी भैंसों की नस्ल बड़ी तादात में देखने को मिलती है। जाफराबादी भैंस का वजन बेहद भारी होता है। दूध का व्यवसाय करने वाले लोगों के लिए भैंस की ये नस्ल किसी हीरे से कम नहीं है। क्योंकि, ये भैंस प्रतिदिन 20 से 30 लीटर तक दुग्ध उत्पादन करती है, जिससे किसानों को काफी अच्छा मुनाफा होता है। वहीं अगर इसकी कीमत की बात करें तो भैंस की इस नस्ल की कीमत 90 हजार रुपये से डेढ़ लाख रुपये तक होती है। जाफराबादी भैंस की अधिक दूध उत्पादन क्षमता के चलते ही यह इतनी ज्यादा महंगी कीमत पर बिकती है। इसे भावनगरी, गिर अथवा जाफरी के नाम से भी जाना जाता है।