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टमाटर

मौसम की बेरुखी ने भारत के इन किसानों की छीनी मुस्कान

मौसम की बेरुखी ने भारत के इन किसानों की छीनी मुस्कान

बरसात की वजह से ओडिशा में फसलों को काफी क्षति का सामना करना पड़ा है। इस कारण से बहुत सारी सब्जियों की कीमत काफी कम हो गई हैं। खराब मौसम के चलते किसानों की चिंता ज्यों की त्यों बनी हुई है। बीते कई दिनों में भारत में मौसम ने अपना अलग-अलग मिजाज दिखाया है। बहुत सारे क्षेत्र कड़ाके की सर्दी की मार सहन कर रहे हैं तो बहुत सारे क्षेत्रों में बारिश के चलते फसल बर्बाद हो रही है।

ओडिशा के सुंदरगढ़ में बहुत दिनों से मौसम खराब था। नतीजतन बागवानी फसलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह से किसानों की परेशानी भी बेहद बढ़ी है। खराब मौसम की वजह से टमाटर, पत्ता गोभी व फूल गोभी सहित बहुत सारी अन्य फसलें भी प्रभावित हुई हैं। इसकी मुख्य वजह किसान समय से पहले ही फसल की कटाई करने पर विवश हैं। इसके साथ - साथ किसान इन फसलों को कम भाव पर भी बेच रहे हैं।

इस वजह से हुई फसलों को हानि 

कई मीडिया एजेंसियों के मुताबिक, खराब मौसम और प्रचंड बारिश के चलते फसलों को बेहद क्षति पहुँची है। इस वजह से बहुत सारे स्थानों पर पूर्णतय कटने को तैयार खड़ी फसल भी बर्बाद हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सबसे ज्यादा हानि टमाटर की फसल को पहुंची है। बरसात के चलते टमाटर की फसल खराब होने लगी है। वहीँ, गोभी की फसल भी काफी हद तक खराब हो चुकी है।

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विवश होकर किसान समय से पहले कटाई करने पर मजबूर 

किसानों का जीवन अनेकों समस्याओं और मुश्किलों से भरा हुआ होता है। अब ऐसे में मौसम की बेरुखी से परेशान किसानों की बची हुई फसल भी काफी कम  कीमतों पर बिक रही है। किसानों को यह डर भी काफी सता रहा है, कि कहीं बची हुई शेष फसल भी बर्बाद ना हो जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान अपनी टमाटर की फसल को 10 रुपये किलो के भाव पर बेचने को विवश हैं। साथ ही, गोभी का मूल्य भी 15 रुपये किलो पर आ गया है। 

बहुत सारे किसानों की तो गोभी की फसल कम कीमत पर भी नहीं बिक पा रही है। इसके अतिरिक्त भिंडी, लौकी, करेला सहित अन्य फसलों में भी मौसम का असर देखने को मिला है। जिसकी वजह से किसान भाई निश्चित समय से पूर्व ही फसलों की कटाई कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फसलों के दामों में काफी ज्यादा कमी आई है। टमाटर की कीमतें 10 रुपये से लेकर 20 रुपये के मध्य हैं। वहीँ, फूलगोभी की कीमत भी लगभग 50 रुपये से गिरकर 15 रुपये से 20 रुपये के आसपास पहुंच गईं हैं।

गेहूं की कटाई के तुरंत बाद किसान इन फसलों की करें बुवाई, मिलेगा शानदार मुनाफा

गेहूं की कटाई के तुरंत बाद किसान इन फसलों की करें बुवाई, मिलेगा शानदार मुनाफा

भारत एक कृषि प्रधान देश है। 1947 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि क्षेत्र की भागीदारी 60% प्रतिशत थी, जो 2022-23 में घटकर 15% प्रतिशत ही रह गई है। नाबार्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 10.07 करोड़ परिवार खेती पर आश्रित हैं। 

यह संख्या भारत के कुल परिवारों का 48% प्रतिशत है। भारतीय कृषि की विडंबना यह है, कि आज भी किसान अपनी फसलों की सिंचाई के लिए बारिश के पानी पर निर्भर रहते हैं। 

ऐसे में गर्मियों के मौसम में भी किसानों को अपनी फसलों की सिंचाई के लिए गंभीर चुनौतियों से जूझना पड़ता है।

अप्रैल माह में गेंहू सहित अन्य रबी फसलों की कटाई संपन्न हो जाती है  

दरअसल, किसान अप्रैल में गेहूं और रबी फसलों की कटाई शुरू करते हैं। कटाई खत्म होते-होते गर्मी अपनी चरम सीमा पर पहुंच जाती है। लू के चलते खेतों में धूल उड़ने लग जाती है। 

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इसके साथ ही जलस्तर भी काफी हद तक नीचे चला जाता है, जिससे पानी की किल्लत हो जाती है। ऐसे में सिंचाई के अभाव की वजह से बहुत सारे किसान अप्रैल से जून के बीच कोई खेती नहीं करते हैं। किसानों की उन्नति और सकल उत्पादन पर भी काफी प्रभाव पड़ता है। 

सब्जियों की खेती में काफी मुनाफा होता है 

अगर हम कृषि विशेषज्ञों के दिशा-निर्देशन की बात करें, तो गर्मियों का मौसम जायद की फसलों के लिए काफी प्रतिकूल माना जाता है। ऐसे में किसान मोटे अनाज सांवा, कोदो, रागी, पटुवा के साथ ही सब्जियों में बैंगन, शिमला मिर्च, तोरई कद्दू, लौकी, तरबूज, खीरा और खरबूजा की खेती कर सकते हैं। 

मूंग और उड़द की दलहनी फसलों की खेती में भी पानी की कम खपत और आवश्यकता होती है। किसान इन फसलों की खेती 30 से 40 सेंटीमीटर वर्षा वाले इलाकों में भी कर सकते हैं। इन फसलों की बाजार में मांग भी काफी अधिक होती है। 

गर्मियों के दिनों इन फसलों की खेती की जाती है  

कृषि विशेषज्ञों का कहना है, कि गर्मियों के मौसम में मिलेट्स के साथ ही सब्जियों की खेती करके किसान कम लागत में अधिक मुनाफा उठा सकते हैं। इन फसलों की सिंचाई के लिए पानी की कम आवश्यकता पड़ती है। 

बतादें, कि गर्मियों का मौसम इन फसलों के लिए अत्यंत अनुकूल माना जाता है। किसान सब्जियों में करेला और टमाटर की खेती भी कर सकते हैं। इसमें भी सिंचाई के लिए कम पानी की आवश्यकता पड़ेगी। 

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बाजार में इन सब्जियों की मांग भी ज्यादा रहती है, जिससे वह अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं। 

इन क्षेत्रों के जलस्तर में भारी गिरावट दर्ज की गई है  

रायबरेली जनपद में किसान बड़ी संख्या में सब्जियों की खेती पर ही निर्भर हैं। उनका कहना है, कि रायबरेली के दक्षिणी और पूर्वी क्षेत्र में जलस्तर बहुत कम है। वहां के किसान सब्जियों की खेती यानी की बागवानी की खेती पर ही आश्रित रहते हैं। 

विशेष बात यह है, कि धान- गेहूं की तुलना में सब्जियों को बहुत ही कम सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में पानी की किल्लत से भी किसानों को जूझना नहीं पड़ेगा।

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
सरकार टमाटर की तरह नही बढ़ने देगी प्याज के दाम

सरकार टमाटर की तरह नही बढ़ने देगी प्याज के दाम

आजकल टमाटर और अदरक के भाव बढ़ने से लोगों को लगता है, कि प्याज की कीमतों में भी इजाफा होगा। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने रविवार को बताया है, कि सरकार ने 3 लाख टन प्याज खरीदा है, जो पिछले साल के बफर स्टॉक से 20 प्रतिशत ज्यादा है। 

प्याज की लाइफ बढ़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के साथ प्याज पर रेडिएशन का परीक्षण भी किया जा रहा है। गगनचुंबी टमाटर की कीमतों ने संपूर्ण भारत को हिलाकर रख दिया है। 

ऐसे में प्याज को लेकर अभी से तैयारी करनी चालू कर दी है, जिससे आने वाले दिनों में प्याज की कीमतों में कोई बदलाव देखने को नहीं मिले। उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने रविवार को बताया है, कि सरकार ने 3 लाख टन प्याज खरीदी है, जो कि विगत वर्ष के बफर स्टॉक से 20 प्रतिशत ज्यादा है। 

साथ ही, प्याज की निजी जिंदगी बढ़ाने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) के साथ प्याज पर रेडिएशन का परीक्षण भी किया जा रहा है। वित्त वर्ष 2022-23 में सरकार ने बफर स्टॉक के रूप में 2.51 लाख टन प्याज रखा था।

प्याज का 3 लाख टन का भरपूर भंडारण

अगर कम आपूर्ति वाले मौसम में कीमतें बेहद बढ़ जाती हैं, तो किसी भी आपात परिस्थिति को पूरा करने के लिए प्राइस स्टेबलाइजेशन फंड (पीएसएफ) के अंतर्गत बफर स्टॉक तैयार किया जाता है। 

रोहित सिंह का कहना है, कि त्योहारों के मौसम में किसी भी हालात से जूझने के लिए, सरकार ने इस वर्ष 3 लाख टन तक का मजबूत भंडारण विकसित किया है। प्याज को लेकर कोई परेशानी नहीं है। भरपूर भंडारण हेतु जो प्याज खरीदा गया है, वह वर्तमान में समाप्त हुए रबी सीजन का है। 

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खरीफ सीजन में प्याज की बुवाई

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत के विभिन्न इलाकों में प्याज की बुवाई शुरू हो चुकी है। जिसकी फसल की आवक अक्टूबर माह में आनी चालू हो जाएगी। 

वर्तमान दौर में प्याज की खरीद हाल ही में निकले रबी सीजन से की जा रही है। वर्तमान में खरीफ प्याज की बिजाई चल रही है। बतादें, कि अक्टूबर में इसकी आवक चालू हो जाएगी। 

सचिव ने बताया है, कि सामान्य तौर पर खुदरा बाजारों में प्याज का भाव 20 दिनों अथवा उसके समीपवर्ती दबाव में रहती हैं। जब तक कि ताजा खरीफ फसल बाजार में नहीं आ जाती। परंतु, इस बार कोई दिक्कत नहीं होगी।

इस तरह बढ़ जाएगी प्याज की जीवनावधि

परमाणु ऊर्जा विभाग एवं भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय इस मध्य प्याज भंडारण के लिए एक तकनीक का परीक्षण कर रहा है। 

रोहित सिंह ने बताया है, कि पायलट बेस पर हम महाराष्ट्र के लासलगांव में कोबाल्ट-60 से गामा रेडिएशन के साथ 150 टन प्याज पर इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे प्याज की जीवनावधि बढ़ जाएगी। 

2022-23 में सरकार ने पीएसएफ के अंतर्गत रबी-2022 फसल से रिकॉर्ड 2.51 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद की थी। वहीं, इसे सितंबर 2022 और जनवरी 2023 के दौरान प्रमुख उपभोक्ता केंद्रों में जारी किया था। 

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भारत में सबसे सस्ता प्याज मिलता है

भारत का 65 प्रतिशत प्याज उत्पादन अप्रैल-जून के दौरान काटी गई रबी प्याज से होता है। यह अक्टूबर-नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होने तक उपभोक्ताओं की मांग को पूर्ण करता है। 

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 15 जुलाई को देश में सबसे सस्ता प्याज 10 रुपये प्रति किलोग्राम के साथ नीमच में मिल रहा था। साथ ही, नगालैंड के शेमेटर शहर में सबसे मंहगा प्याज 65 रुपये किलो पर मिल रहा है। भारत में प्याज का औसत भाव 26.79 रुपये प्रति किलोग्राम देखने को मिला था।

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

टमाटर उत्पादन किसानों के लिए बहुत ही लाभदायक व्यवसाय है। जहां जलवायु की विविधता के कारण विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती सफलतापूर्वक की जा रही है। सब्जियों पर कीटों का प्रकोप अधिक होता है। इससे पैदावार में कमी आती है और किसानों को नाशीकीटों द्वारा नुकसान झेलना पड़ता है। अतः कीटों का नियंत्रण अत्यंत महत्वपूर्ण है। कीटनाशकों के दुष्प्रभावों को देखते हुए एकीकृत कीट प्रबंधन पर अधिक बल देने की आवश्यकता है।

टमाटर का फलछेदक

यह एक बहुपौधभक्षी कीट है, जो कि टमाटर को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट की सुंडिया कोमल पत्तियों और फूलों पर आक्रमण करती है तथा फिर फल मे छेद करके फल को ग्रसित करती है। फलछेदक की मादा शाम के समय पत्तों के निचले हिस्से पर हल्के पीले व सफेद रंग के अंडे देती हैं। इन अंडों से तीन से चार दिनों बाद हरे एवं भूरे रंग की सुंडियां निकलती हैं। पूरी तरह से विकसित सूंडी हरे रंग की होती है, जिनमें गहरे भूरे रंग की धारियां होती है। यह कीट फलों में छेद करके अपने शरीर का आधा भाग अंदर घुसाकर फल का गूदा खाती है। इसके कारण फल सड़ जाता है। इसका जीवनचक्र 4 से 6 सप्ताह में पूरा होता है।

तंबाकू की फलछेदक सुंडी

यह भी एक बहुपौधभक्षी कीट है। इसके अगले पंख स्लेटी लाल भूरे रंग के होते हैं। पिछले पंख मटमैले सफेद रंग के, जिसमें गहरे भूरे रंग की किनारी होती है। इसकी मादा पत्तों के नीचे 100 से 300 अंडे समूह में देती है, जिनको ऊपर से पीले भूरे रंग के बालों से मादा द्वारा ढक दिया जाता है। इन अंडो से 4 से 5 दिनों में हरे पीले रंग की सुंडियां निकलती हैं। ये प्रारम्भ मे समूह में रहकर पत्तियों की ऊपरी सतह खुरचकर खाती हैं। पूर्ण विकसित सूंडी जमीन के अंदर जाकर प्यूपा बनाती है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 40 दिनों में पूरा होता है। टमाटर की टहनियों पे किट संक्रमण [kit infection on tomato twigs]

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फल मक्खी

फल मक्खी आकार में छोटी होती है, परंतु काफी हानिकारक होती है। यह मक्खी बरसात के मौसम में अधिक नुकसान करती हैं। इनके वयस्कों के गले में पीले रंग की धारियां देखी जा सकती हैं। इस कीट की मादा मक्खी फल प्ररोह के अग्रभाग में अथवा फल के अंदर अंडे देती है। इन अंडों से चार-पांच दिनों में सफेद रंग के शिशु (मैगट) निकल जाते है। ये फलों के अंदर घुसकर इसके गूदे को खाना प्रारंभ कर देते हैं। ये सुंडियां तीन अवस्थाओं से गुजरती हैं तथा मृदा में पूर्णतः विकसित होने पर प्यूपा बन जाती हैं। इन प्यूपा से 8 से 10 दिनों में वयस्क मक्खी निकलती है। यह लगभग एक माह तक जीवित रहती हैं।

सफेद मक्खी

सफेद मक्खी का प्रकोप टमाटर की फसल की शुरूआत से अंत तक रहता है। इस कीट की मक्खी सफेद रंग की होती है और बहुत ही छोटी होती हैं। इसके वयस्क एवं शिशु दोनों ही फलों से रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। सफेद मक्खी की मादा पत्तों की निचली सतह में 150 से 250 अंडे देती हैं। ये अंडे बहुत महीन होते हैं जिन्हें नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता। इन अंडों से 5 से 10 दिनों में शिशु निकलते हैं। शिशु तीन अवस्थाओं को पार कर चैथी अवस्था में पहुंचकर प्यूपा में परिवर्तित हो जाते हैं। प्यूपा से 10 से 15 दिनों बाद में वयस्क निकलते हैं और जीवनचक्र फिर से आरंभ कर देते है। इस कीट के शरीर से मीठा पदार्थ निकलता रहता है, जो पत्तों पर जम जाता है। इस पर काली फफूंद का आक्रमण होता है तथा पौधों को नुकसान पहुंचता है।

सफेद मक्खी का पत्तीयों पर प्रकोप

टमाटर के पत्तों पर सफेद कीट [white pests on tomato leaf ]

पर्ण खनिक कीट

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यह एक बहुभक्षी कीट है, जो कि संपूर्ण विश्व में सब्जियों एवं फलों की 50 से अधिक किस्मों को नुकसान पहुंचाता है। इसकी मादा पत्ते के ऊतक एवं निचली सतह के अंदर अंडा देती है। अण्डों से दो-तीन दिनों बाद निकलकर शिशु पत्ते की दो सतहों के बीच में रहकर नुकसान पहुंचाते हैं। ये शिशु सर्पाकार सुरंगों का निर्माण करते हैं। इन सफेद सुरंगों के कारण प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है तथा फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है। वयस्क शिशु 8 से 12 दिनों बाद मृदा में गिरकर प्यूपा बनाते हैं। इनसे 8 से 10 दिनों बाद वयस्क निकल जाते हैं।

पर्ण खनिक कीट से ग्रसित पत्ती में सर्पाकार सुरंग

कटुआ कीट

यह कीट छोटे पौधों को काफी नुकसान पहुंचाता है। कटुआ कीट छोटे पौधों को रात के समय काटते हैं और कभी-कभी कटे हुए छोटे पौधों को जमीन के अंदर भी ले जाते हैं। एक मादा सफेद रंग के 1200-1900 अंडे देती हैं। इनमें से चार पांच दिनों बाद सूंडी बाहर निकलती है। इसकी सुंडियां गंदी सलेटी भूरे-काले रंग की होती हैं। ये दिन के समय मृदा में छुपी हुई रहती हैं। पौधरोपण के समय से ही ये पौधे को मृदा की धरातल के बराबर तने को काटकर खाती हैं। इसकी सुंडियां लगभग 40 दिनों तक सक्रिय रहती हैं। इसका प्यूपा भी जमीन के अंदर ही बनता है। इसमें से लगभग 15 दिनों में वयस्क पतंगा निकलता है। इस कीट का जीवनचक्र 30 से 60 दिनों में पूरा हो जाता हैं।

टमाटर के पत्तों पर कीट से बनी सुरंग [insect tunnel on tomato leaves]

 

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कटुआ कीट का प्रकोप

एकीकृत कीट प्रबंधन

  • क्षतिग्रस्त फलों को इकट्ठा करके नष्ट कर दें।
  • खेत में सफाई पर विशेश ध्यान दें।
  • खेतों में फसलचक्र को बढ़ावा दें।
  • गर्मियों में खेत की गहरी जुताई करें।
  • अण्डों को और समूह में रहने वाली सुंडियों को एकत्रित करके नष्ट कर देन चाहिए।
  • टमाटर की 16 पंक्तियों के बाद दो पंक्तियां गेंदे की लगाएं और गेंदे पर लगी सुंडियों को मारते रहें।
  • रात्रि के समय रोशनी ‘प्रकाश प्रपंच‘ का इस्तेमाल करना चहिए।
  • नर वयस्कों को पकड़ने के लिए ‘फेरोमोन प्रपंच‘ (रासायनिक) का इस्तेमाल भी उपयोगी है। एक एकड़ जमीन में चार से पांच ट्रैप लगाने चाहिए।
  • फूल आने पर बैसिल्स थुरिनजियंसिस वार कुर्सटाकी5 लीटर प्रति हैक्टर (70 मि.ली. 100 लीटर पानी में डइपैल 8 लीटर) का छिड़काव करें।
  • ट्राइकोग्रामा प्रेटियोसम के अंडो का 20,000 प्रति एकड़ चार बार प्रति सप्ताह की दर से खेतों में प्रयोग करें।
  • सफेद मक्खी और पर्ण खनिक को पकड़ने के लिए पीले रंग के चिपचिपे (गोंद लगे हुए) लगे हुए ट्रैप का इस्तेमाल करना चाहिए। प्रति 20 मीटर में एक ट्रैप लगा सकते हैं।
  • फल मक्खी के नर वयस्कों को पकड़ने के लिए क्युन्योर नामक आकर्षक या पालम ट्रैप का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। 10 ग्राम गुड़ अथवा चीनी का घोल और 2 मि.ली. मैलाथियान (50 ई.सी.) प्रति लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करें। मिथाइल यूजीनॉल (40 मि.ली.) और मैलाथियान (20 मि.ली.) (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी) के घोल को बोतलों में डालकर टमाटर के खेत में लटकाने से इस कीट को नियंत्रित किया जा सकता है।
  • अधिक प्रकोप होने पर क्विनालफॉस 20 प्रतिशत (1.5 मि.ली. प्रति लीटर पानी) या लैम्डा-साईहैलोथ्रिन (5 प्रतिशत ई.सी.) या इमिडाक्लोप्रिड5 मि.ली. प्रति लीटर पानी या ट्रायजोफॉस 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी का छिड़काव करें।
  • खेत तैयार करते समय मृदा में क्लोरपाइरिफोस 20 ई.सी. 2 लीटर का 20 से 25 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर प्रति हैक्टर खेत में अच्छी तरह मिला दें।
टमाटर की खेती में हो सकती है लाखों की कमाई : जानें उन्नत किस्में

टमाटर की खेती में हो सकती है लाखों की कमाई : जानें उन्नत किस्में

पंचसितारा का हो प्लेट या घर की थाली, हर जगह मिलेगी टमाटर की लाली. टमाटर सब्जी या अन्य व्यंजनों में स्वाद का खट्टा मीठा तड़का ही नहीं, फ्लेवर भी देता है. टमाटर को स्वास्थ्य के लिये भी जाना जाता है. 

अगर किसान टमाटर की खेती करने की सोच रहे हैं तो यह किसानों के लिए सबसे बढ़िया फसल हो सकती है। टमाटर की खेती से किसान बहुत लाभ कमा सकते हैं. टमाटर की खेती कैसे और कब करें इसके बारे में किसानों को ज्यादा जानकारी नहीं होती है। जबकि टमाटर की खेती कर किसान लाखों कमा सकते हैं।

टमाटर की उन्नत किस्में

किसी भी फसल की अच्छी पैदावार और अच्छी कमाई अच्छे बीज पर निर्भर करती है. टमाटर की खेती के लिये भी उन्नत बीज का चुनाव करना होगा. टमाटर की उन्नत किस्में निम्नलिखित हैं:

अर्का रक्षक

भारत में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले बीज में सबसे अच्छा अर्का रक्षक है। इसकी पैदावार सबसे ज्यादा होती है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता सबसे ज्यादा होता है. 

अर्का रक्षक की बेहतर क्वालिटी के कारण बाजार में इसकी मांग बहुत रहती है. अर्का रक्षक किसानों का सबसे पसंदीदा बीज माना जाता है.

पूसा शीतल

टमाटर की अच्छी पैदावार के लिये पूसा शीतल किस्म को माना जाता है. यह देशी किस्म का बीज है.

पूसा सदाबहार

पूसा सदाबहार की फसल की पैदावार लगभग 300 क्विंटल से लेकर 450 क्विंटल तक होती है।

अर्का विकास

देशी बीजों में अच्छे उत्पादन के लिये अर्का विकास बीज माना जाता है.

पूसा हाइब्रिड-1

टमाटर की पूसा हाइब्रिड किस्म के बीजों का बहुत सारे किसानो द्वारा फसल लगाया जाता है. यह भी एक उत्तम पैदावार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला बीज है.

रश्मि

टमाटर के हाईब्रिड बीजों में रश्मि बीज का नाम भी शामिल है.

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टमाटर की खेती का सही समय

मार्च से जुलाई के समय टमाटर काफी जल्दी बड़े होते हैं. उपयुक्त समय पर टमाटर की फसल लगाने से अच्छी पैदावार मिलती है. इसलिए आपको हम टमाटर की खेती करने के सही समय से जुड़ी जानकारी दे देते है. 

टमाटर की खेती उत्तरी मैदानी भाग में शरद और वसंत ऋतु में की जाती है. जबकि दक्षिणी भारत में टमाटर की खेती का सही समय जून – जुलाई, अक्टूबर – नवंबर और जनवरी – फरवरी होता है. 

पंजाब के किसानों के लिये बसंत से ग्रीष्म ऋतु का मौसम टमाटर की खेती के लिए सही समय है. उत्तम जलवायु टमाटर की खेती के लिये बहुत जरूरी है. हालाँकि टमाटर की खेती गर्मी और सर्दी दोनों ही मौसम में की जाती है। टमाटर की खेती के लिए तापमान 20 डिग्री से लेकर 25 डिग्री के बीच होना सबसे उपयुक्त माना जाता है.

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टमाटर की खेती के लिए भूमि कैसे तैयार करें

टमाटर की खेती के लिए भूमि को अच्छे से खेती के लिए तैयार करना जरूरी होता है. भूमि के अंदर तोता हल की मदद से अच्छी तरह से जुताई करनी चाहिये और पाटा की मदद से जमीन को समतल कर क्यारियां बना देनी चाहिये. 

इस भूमि पर हल्का हल्का पानी लगा देना है और उस जमीन की कल्टीवेटर हल से जोत देना चाहिये. फिर से पाटा लगाकर जमीन को अच्छे तरीके से समतल कर देनी चाहिये जिससे मिट्टी समतल और भूरभूरी हो जाएगी. इसके बाद जमीन टमाटर के पोधों की रोपाई के लिए तैयार है.

बीज की मात्रा

टमाटर की खेती के लिये बीज न ही कम मात्रा में डालना है और न ही ज्यादा मात्रा में. अगर आप हाईब्रीड क़िस्मों के बीज का इस्तेमाल करते हैं तो 200 से 250 ग्राम बीज एक हेक्टेयर में डाल सकते हैं. वहीं अन्य क़िस्मों के बीज की बात की जाए तो आप एक हेक्टेयर में 350 से 400 ग्राम बीज एक हेक्टेयर में इस्तेमाल करें.  

टमाटर की इन किस्मों की खेती से किसान हो सकते हैं मालामाल, जानें टमाटर की खेती की पूरी विधि

टमाटर की इन किस्मों की खेती से किसान हो सकते हैं मालामाल, जानें टमाटर की खेती की पूरी विधि

टमाटर (Tomato; tamatar) एक ऐसी सब्जी है जिसका प्रयोग लगभग भारत के हर घर में किया जाता है। इसलिए टमाटर की फसल किसानों के लिए बेहद लाभदायक साबित हो सकती है क्योंकि इसकी बढ़ी हुई डिमांड को पूरा करने के लिए किसानों के पास हर मौसम में पर्याप्त मौके होते हैं। भारत में टमाटर की खेती मुख्य रूप से राजस्थान, कर्नाटक, बिहार, उड़ीसा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्रप्रदेश में की जाती है। यदि किसान टमाटर की खेती में उन्नत किस्मों का इस्तेमाल करें तो इसकी खेती से अच्छी खासी कमाई की जा सकती है।

बाजार में उपलब्ध टमाटर की उन्नत किस्में

आजकल वैसे तो बाजार में टमाटर की बहुत प्रकार की किस्में उपलब्ध हैं, लेकिन कुछ उन्नत किस्में भारतीय किसान बहुतायत से प्रयोग करते हैं, जिससे किसानों को आमदनी होने की संभावना बढ़ जाती है। बाजार में उपलब्ध टमाटर की उन्नत किस्मों में पंजाब छुहारा, पीकेएम 1, पूसा रूबी, पैयूर-1, शक्ति, पंत टी3, सोलन गोला, अर्का मेघाली, सएल 120, पूसा गौरव, एस 12, पंत बहार, पूसा रेड प्लम, पूसा अर्ली ड्वार्फ, पूसा रूबी, सीओ-1, सीओ 2, सीओ 3, एस-12, अर्का सौरभ, अर्का विकास, अर्का आहूती, अर्का आशीष, अर्का आभा, अर्का आलोक, एचएस101, एचएस102, एचएस110, हिसार अरुण, हिसार ललिता, हिसार ललित, हिसार अनमोल, केएस.2, नरेंद्र टमाटर 1 और नरेंद्र टमाटर 2 प्रमुख हैं। इन किस्मों के साथ ही यदि हम टमाटर की संकर किस्मों की बात करें तो उनमें COTH 1 हाइब्रिड टमाटर, रश्मि, वैशाली, रूपाली, नवीन, अविनाश 2, MTH 4, सदाबहार, गुलमोहर, अर्का अभिजीत, अर्का श्रेष्ठ, अर्का विशाल, अर्का वरदान, पूसा हाइब्रिड 1, पूसा हाइब्रिड 2 और सोनाली प्रमुख हैं।


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कितना हो सकता है उत्पादन

अगर किसान टमाटर की उन्नत किस्मों का उपयोग करता है, तो कुछ किस्मों में एक एकड़ में 500 क्विंटल तक टमाटर की पैदावार हो सकती है। जबकि सभी किस्मों में इतनी पैदावार नहीं होती। टमाटर की पैदावार मिट्टी की उर्वरता, मौसम, खाद, सिंचाई और देखभाल पर निर्भर करती है।

टमाटर की रोपाई का सही समय क्या है

यदि किसान सितंबर-अक्टूबर में टमाटर की रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी जुलाई माह के अंत में तैयार कर लें। इसके बाद पौधे की रोपाई सितम्बर या अक्टूबर में करें। इसके साथ ही यदि किसान जनवरी माह में टमाटर की रोपाई करना चाहते हैं तो इसकी नर्सरी नवम्बर माह में तैयार कर लें। इसके बाद जनवरी या फरवरी में टमाटर की रोपाई प्रारम्भ कर दें।

कैसे तैयार करें टमाटर की पौध

टमाटर की खेती के लिए टमाटर की पौध को तैयार करना बेहद महत्वपूर्ण कार्य है, इसके लिए किसान को ऐसी नर्सरी बनाना चाहिए जहां पानी का ठहराव ना हो। नर्सरी बनाने के लिए किसान को जमीन से ऊपर 90 से 100 सेंटीमीटर चौड़ी और 10 से 15 सेंटीमीटर ऊंची मिट्टी एकत्र करना चाहिए और उसमें नर्सरी बनाना चाहिए, ऐसे में नर्सरी में पानी के ठहराव की संभावना कम हो जाती है। टमाटर के बीजों को नर्सरी में 4 सेंटीमीटर की गहराई में बोना चाहिए। इसके बाद थोड़ी सिंचाई भी करना चाहिए ताकि नमी बरकरार रहे। जब नर्सरी में पौधे अंकुरित हो जाएं तो उसके बाद लगभग 5 सप्ताह का इन्तजार करना चाहिए। 5 सप्ताह के बाद पौधे 10-15 सेंटीमीटर लम्बे हो जायेंगे। जिनको सावधानी से खेत में रोपाई करना चाहिए।

टमाटर की खेती में विशेष ध्यान रखने वाली चीजें

टमाटर की खेती के लिए इस्तेमाल की जा रही जमीन का पीएच मान 7 से 8.5 के बीच होना चाहिए। इस खेती के लिए काली दोमट मिट्टी, रेतीली दोमट मिट्टी और लाल दोमट मिट्टी बेहद अच्छी मानी जाती है। इस प्रकार की मिट्टियों में टमाटर की फसल ज्यादा अच्छी होती है। यदि टमाटर गर्मियों के मौसम में लगाया गया है, तो हर सप्ताह सिंचाई आवश्यक है। जबकि सर्दी के मौसम में लगाए गए टमाटर में 15 दिनों में सिंचाई की जा सकती है। टमाटर की अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए समय-समय पर खेत में निराई-गुड़ाई करते रहना चाहिए।

टमाटर की खेती में किस प्रकार से इस्तेमाल करें खाद एवं उर्वरक

टमाटर की खेती में जैविक खाद का इस्तेमाल बहुतायत से किया जाता है। इसके अलावा किसान प्रति हेक्टेयर नेत्रजन-100 किलोग्राम, स्फूर-80 किलोग्राम तथा पोटाश-60 किलोग्राम के हिसाब से रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल कर सकते हैं।


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टमाटर की खेती में किस प्रकार से करें खरपतवार का नियंत्रण

टमाटर की खेती में पानी की सिंचाई होती रहती है, जिससे खरपतवार को फलने फूलने में सहायता मिलती है। इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई निराई-गुड़ाई के आलावा खरपतवार नाशकों का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। खरपतवार नियंत्रण के लिए किसान भाई ‘लासो’ खरपतवार नाशी का 2 किलोग्राम/हैक्टेयर कि दर से छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा टमाटर की रोपाई के 4-5 दिन बाद स्टाम्प का भी 1 किलोग्राम प्रति हैक्टर की दर से इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे खरपतवार की समस्या का पूर्ण समाधान हो जाता है और फसल के ऊपर किसी भी प्रकार का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता।
जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

टमाटर के भाव में अच्छा-खासा इजाफा हुआ है। टमाटर के एक थोक विक्रेता ने बताया है, कि बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से टमाटर की लगभग 50% प्रतिशत फसल चौपट हो गई। इससे आकस्मिक तौर पर बाजार में टमाटर की अवक में गिरावट आ गई, जिससे कीमतों में इजाफा होने लगा है। महाराष्ट्र राज्य में टमाटर की कीमतों में काफी बढ़ोत्तरी हुई है। विगत एक सप्ताह के भीतर कीमत में 100% फीसद का इजाफा हुआ है। इससे आम जनता की रसोई का बजट प्रभावित हो गया है। परंतु, टमाटर की खेती करने वाले उत्पादकों के चेहरे पर मुस्कराहट आई है। कृषकों को यह आशा है, कि यदि इसी प्रकार से टमाटर के भावों में इजाफा होता रहा, तो वह थोड़ी-बहुत हानि की भरपाई कर सकते हैं। विगत माह महाराष्ट्र के टमाटर उत्पादक भाव में कमी आने के चलते लागत तक भी नहीं निकाल पा रहे थे। मंडियों के व्यापारी उनसे 2 से 3 रुपये किलो टमाटर खरीद रहे थे। परंतु, फिलहाल उनको टमाटर का अच्छा-खासा भाव अर्जित हो रहा है।

टमाटर की कीमत 30 से 60 रूपए प्रतिकिलो हो चुकी है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, महाराष्ट्र में टमाटर का खुदरा भाव 30 रुपये से बढ़ कर 50 से 60 रुपये प्रति किलो हो चुका है। अंधेरी, नवी मुंबई, मंबुई एवं ठाणे समेत विभिन्न शहरों में रिटेल बाजार में टमाटर 50 से 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से विक्रय किए जा रहे हैं। साथ ही, एपीएमसी वाशी के निदेशक संजय पिंगले ने बताया है, कि टमाटर की आवक में गिरावट आने के चलते भाव में इजाफा हुआ है।  कुछ महीने पहले मांग के मुकाबले टमाटर का उत्पादन काफी अधिक था। इस वजह से टमाटर का भाव धड़ाम से गिर गया था। तब खुदरा बाजार में टमाटर 20 से 30 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचे जा रहे थे। संजय पिंगले के अनुसार, जब टमाटर की आवक बढ़ेगी तब ही कीमतों में सुधार हो सकता है। हालांकि, अभी कुछ दिनों तक टमाटर की कीमत यथावत ही रहेगी। यह भी पढ़ें: भारत में लाल टमाटर के साथ-साथ काले टमाटर की भी खेती शुरू हो चुकी है

थोक व्यापारी इतने रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं

वाशी के थोक व्यापारी मंगल गुप्ता ने बताया है, कि वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से टमाटर की लगभग 50 प्रतिशत फसल चौपट हो चुकी है। इसकी वजह से अचानक बाजार में टमाटर की आवक में गिरावट आई है। नतीजतन भाव बढ़ने लगा। फिलहाल, थोक व्यापारी 16 से 22 रुपए किलो टमाटर खरीद रहे हैं। यही वजह है, जो इसका खुदरा भाव 60 रुपए किलो पर पहुँच गया है। मंगल गुप्ता के मुताबिक, मौसम अगर ठीक रहा तो कुछ ही हफ्तों के अंदर कीमत में गिरावट आ सकती है।

इन जगहों पर टमाटर की कीमतें हुई महंगी

साथ ही, पुणे के एक व्यवसायी ने बताया है, कि पहले रिटेल बाजार में टमाटर का भाव 10 से 20 रुपये प्रति किलो था। परंतु, दो माह के अंदर ही टमाटर कई गुना महंगा हो गया। बतादें, कि टमाटर की कीमतें राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली व महाराष्ट्र के साथ-साथ गाजियाबाद एवं नोएडा में भी बढ़ी हैं। जो टमाटर यहां पर एक सप्ताह पूर्व 15 से 20 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। वर्तमान में उसकी कीमत 30 रुपये प्रति किलो पर पहुँच गई है।
टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

टमाटर की बढ़ती कीमतों का बहुत सारे किसानों को किसी तरह का लाभ नहीं मिल पा रहा तो वहीं कर्नाटक के किसान टमाटर बेचकर लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं। भारत में महंगाई चरम सीमा पर है। विशेष रूप से टमाटर की बात की जाए तो इसकी कीमतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। सरकारी आंकड़ों की बात की जाए तो जून में खुदरा मंहगाई दर 4.81 प्रतिशत रही। महंगाई बढ़ने की एक वजह टमाटर भी है। आम जनता के किचन से टमाटर लापता हो चुका है। हर तरफ खबरें आ रही है, कि किसानों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। लेकिन आज आपको कुछ ऐसे किसानों के संबंध में बताऐंगे जो कि टमाटर बेचकर लखपति बन चुके हैं। इन किसान परिवारों ने टमाटर बेचकर 1000, 2000 नहीं बल्कि पूरे 38 लाख रुपए कमा लिए हैं। अब आप यह सोच रहे होंगे कि ये सब कैसे हुआ है। आइए आपको बताते हैं इन किसानों की पूरी कहानी।

किसान को कैसे मिली 38 लाख की रकम

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, विगत एक माह में
टमाटर की कीमतों में 326 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक खबर के अनुसार, कर्नाटक के एक किसान परिवार ने टमाटर बेचकर पूरे 38 लाख रुपए की बड़ी रकम कमा डाली। दरअसल, इस किसान परिवार ने टमाटर के 2000 बॉक्स बेचे, जिससे उन्हें पूरे 38 लाख रुपए मिले हैं।

इन किसानों की लाखों में हुई आय

कर्नाटक के इस किसान के अतिरिक्त एक ओर किसान जिनका नाम वेंकटरमण है। चिंतामणि तालुका के इस किसान ने टमाटर के एक बॉक्स को 2200 रुपए में बेचा है। कोलार के मंडी में जब वो टमाटर बेचने गए तो उनके पास समकुल 54 बॉक्स थे। एक बॉक्स के अंदर 15 किलो टमाटर होता है। इस प्रकार से 54 में 26 बक्सों को 2200 रुपए प्रति बॉक्स के हिसाब से बेचा। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि बाकी बक्सों के लिए उन्हें 1800 रुपए की ही कीमत मिली।इस तरह 54 बक्सों को बेचकर उन्हें 17 लाख से ज्यादा की रकम मिली। ये भी पढ़े: इन राज्यों में 200 रुपए किलो के टमाटर को राज्य सरकार की मदद से 60 रुपए किलो में बेचा जा रहा है

इस मंडी से किसान बने लखपति

उपर जिन दो किसानों की कहानी बताई गई है। ये दोनों कर्नाटक के कोलार मंडी में टमाटर बेचकर लखपति बन रहे है। दरअसल, कोलार मंडी में टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर पहुँच गई है। यहां 15 किलो के डब्बे की कीमत 1900 रुपए से 2200 रुपए तक पहुँच गया है। बतादें, कि इससे किसानों की अच्छी-खासी आमदनी हो रही है।
केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर कहा है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की बिक्री चालू हो गई है। मानसून की दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में जो इजाफा चालू हुआ था। वह कम होने का नाम भी नहीं ले रही है बल्कि इसकी कीमतों में और बढ़ोत्तरी भी होती जा रही है। महंगाई का मामला यह है, कि सोमवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच चुका है। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के सभी प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर के बढ़ते दाम पर रोक लगाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। अब लोग कम भाव पर टमाटर खरीद पाएंगे।

सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों को रोकने की बनाई योजना

मानसून के दस्तक के साथ ही टमाटर की कीमतों में इजाफा शुरू हुआ था, जो कि कम होने का नाम भी नहीं ले रहा है। इसकी कीमत में और बढ़ोत्तरी ही होती जा रही है। महंगाई का आलम यह है, कि शनिवार को खुदरा बाजार में टमाटर का भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया। विशेष बात यह है, कि टमाटर का यह भाव तकरीबन भारत के समस्त प्रमुख शहरों में दर्ज किया गया। परंतु, फिलहाल आम जनता को टमाटर की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है। सरकार ने टमाटर की बढ़ती कीमतों पर नियंत्रण बनाने के लिए बड़ी योजना बनाई है। फिलहाल, लोग कम कीमत पर टमाटर खरीद सकेंगे। ये भी पढ़े: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है

केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से राहत

दरअसल, केंद्र सरकार ने आम जनता को महंगाई से निजात दिलाने हेतु स्वयं टमाटर बेचने का निर्णय किया है। केंद्र सरकार दिल्ली-एनसीआर, पटना और लखनऊ समेत भारत के प्रमुख शहरों में 90 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बेचेगी। हालांकि, अभी दिल्ली- एनसीआर में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ मोबाइल वैन माध्यम से टमाटर बेच रहे हैं। नोएडा, दिल्ली और ग्रेटर नोएडा में विभिन्न स्थानों पर महासंघ के द्वारा टमाटर बेचे जा रहे हैं।

मदर डेयरी से संपर्क चल रहा है

केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के सचिव रोहित कुमार सिंह ने ट्वीट कर बताया है, कि दिल्ली और नोएडा के अतिरिक्त आज से पटना, लखनऊ और मुजफ्फरपुर में रियायती दरों पर टमाटर की विक्री चालू हो चुकी है। उन्होंने बताया है, कि एनसीसीएफ कल से दिल्ली में तकरीबन 100 स्थानों पर अपने आउटलेट के जरिए टमाटर बेचना चालू कर देगा। विशेष बात यह है, कि एनसीसीएफ आने वाले दिनों में दिल्ली-एनसीआर के अंतर्गत 400 स्थानों पर मदर डेयरी के साथ मिलकर टमाटर बेचेगा। इसके लिए मदर डेयरी के साथ बातचीत चल रही है। ये भी पढ़े: टमाटर ने इन 2 किसानों का कराया लाखों का फायदा

महाराष्ट्र में टमाटर 150 रुपए किलोग्राम बिका

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रीय स्तर पर आज टमाटर का औसत भाव 117 रुपये प्रति किलो रहा है। वहीं, अधिकतम भाव 250 रुपये प्रति किलोग्राम और न्यूनतम भाव 25 रुपये प्रति किलोग्राम था। साथ ही, टमाटर का मॉडल प्राइस 100 रुपये प्रति किलोग्राम है। अगर बात भारत के प्रमुख महानगरों की करें तो आज दिल्ली में टमाटर का भाव 178 रुपये किलो, मुंबई में 150 रुपये किलो और चेन्नई में 132 रुपये किलो था। लेकिन, सबसे अधिक महंगा टमाटर उत्तर प्रदेश के हापुड़ में बिका था। यहां पर लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 250 रुपये खर्च करने पड़े। वैसे भी मानसून आने के पश्चात टमाटर की कीमत में बढ़ोत्तरी हो जाती है। जुलाई से नवंबर माह के दौरान इसका भाव काफी अधिक ही रहता है।
सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर 

भारत की राजधानी दिल्ली समेत विभिन्न राज्यों में टमाटर का भाव 200 रुपये से 250 रुपये किलो तक पहुँच गया है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं। भारत में महंगाई के चलते आम से लेकर खास लोगों तक की रसोई का बजट बिगड़ गया है। बतादें कि करैला, धनिया, हरी मिर्च, शिमला मिर्च, भिंडी और लौकी समेत समस्त प्रकार की हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं। परंतु, सबसे अधिक टमाटर की कीमत में आग लगी हुई है। महंगाई का कहर इतना है, कि टमाटर का भाव 250 रुपये किलो से भी ऊपर चला गया है। दिल्ली- एनसीआर सहित विभिन्न राज्यों में टमाटर की कीमत 200 रुपये से 250 रुपये किलो पर पहुँच चुकी है। साथ ही, चंडीगढ़ में लोगों को एक किलो टमाटर खरीदने के लिए 300 रुपये से भी ज्यादा रुपये का खर्चा करना पड़ रहा है। यहां पर टमाटर 350 रुपये किलो तक बिक रहा है।

अब से 70 रूपए किलो बिकेगा टमाटर

हालांकि, महंगाई पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार के समेत राज्य सरकारें भी पूरा प्रयास कर रही हैं। लेकिन कीमतों में गिरावट आने की कोई आशा नजर नहीं दिखाई दे रही है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने खुद ही दिल्ली, नोएडा और लखनऊ समेत भारत की बहुत सारे शहरों में 80 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू कर दिया है। परंतु, वर्तमान में लोग 80 रुपये किलो से भी कम भाव पर सरकारी स्टॉल से टमाटर खरीद सकेंगे। नाफेड ने घोषणा की है, कि वह 20 जुलाई से 70 रुपये किलो के रेट से टमाटर बेचेगा। जिससे कि महंगाई पर रोकथाम लगाई जा सके। ये भी पढ़े: केंद्र सरकार दिलाएगी महंगाई से निजात देश की राजधानी समेत इन शहरों में 90 रुपए किलो बिकेगा टमाटर

टमाटर के बढ़ते भाव पर लगेगी रोक

जानकारों का कहना है, कि केंद्र सरकार ने यह ऐलान टमाटर के भाव में आ रही कमी के ट्रेंड को देखते हुए किया है। गुरुवार से भारत के विभिन्न शहरों में नाफेड 70 रुपये किलो तक टमाटर बेचेगा। मुख्य बात यह है, कि सस्ती दर पर टमाटर बिक्री के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स कर्नाटक, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश से टमाटर की खरीदारी करेगा। सरकार का मानना है कि ऐसा करने से उत्तर भारत के राज्यों में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर ब्रेक लगेगा।

नाफेड अब 70 रुपये किलो बेचेगा टमाटर

बता दें कि केंद्र सरकार की एजेंसी नाफेड ने पहले दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न स्थानों पर मोबाइल वैन के माध्यम से 90 रुपये किलो टमाटर बेचना चालू किया था। इसके पश्चात 16 जुलाई को नाफेड ने 10 रुपये किलो टमाटर सस्ता कर दिया और 80 रुपये किलो बेकना शुरू कर दिया। फिलहाल, नाफेड लखनऊ और पटना में विभिन्न स्थानों पर 80 रुपये किलो टमाटर बेक रहा है। नाफेड कल से 70 रुपये किलो टमाटर बेचेगा।
मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में आज भी टमाटर की कीमतें सातवें आसमान पर हैं

मुंबई में जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के समापन तक 100 रुपये को पार कर गईं।

मुंबई में टमाटर की कीमतें

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कंज्यूमर अफेयर के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में टमाटर के मैक्सीमम प्राइस 200 रुपये से नीचे आ गए थे। साथ ही, बात यदि मुंबई की करें तो विभाग के मुताबिक टमाटर का खुदरा भाव 160 रुपये प्रति किलोग्राम था। परंतु, वीकेंड पर टमाटर के रिटेल भावों के सारे रिकॉर्ड तोड़ने की खबरें सामने आ रही हैं। जी हां, मुंबई में टमाटर का भाव 200 रुपये प्रति को पार करते हुए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। कीमतों में बढ़ोतरी के कारण खरीदारों की संख्या पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिला है। यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ चुकी है, जिससे ग्राहकों की कमी की वजह से कुछ इलाकों में टमाटर की दुकानें बंद करनी पड़ीं।

टमाटर की कीमत विगत सात हफ्ते में 7 गुना तक बढ़ी है

मूसलाधार बारिश की वजह से कुल फसल की कमी एवं बड़े पैमाने पर क्षतिग्रस्त होने की वजह से बहुत सारी जरूरी सब्जियों के अतिरिक्त टमाटर की कीमतें जून से लगातार बढ़ रही हैं। जून में, टमाटर की कीमतें 30 रुपये प्रति किलोग्राम के रेगुलर भाव से तकरीबन दोगुनी होकर 13 जून को 50-60 रुपये हो गईं। जून के आखिर तक 100 रुपये को पार कर गईं। 3 जुलाई को इसने 160 रुपये का एक नया रिकॉर्ड बनाया, सब्जी विक्रेताओं ने भविष्यवाणी की कि रसोई का प्रमुख उत्पाद अंतिम जुलाई तक 200 रुपये की बाधा को तोड़ देगा, जो उसने किया है। ये भी पढ़े: सरकार अब 70 रुपए किलो बेचेगी टमाटर

किस वजह से टमाटर के भाव में आया उछाल

टीओआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एपीएमसी वाशी के डायरेक्टर शंकर पिंगले के मुताबिक टमाटर का थोक भाव 80 रुपये से 100 रुपये प्रति किलोग्राम के मध्य है। हालांकि, लोनावाला लैंडस्लाइड की घटना, उसके पश्चात ट्रैफिक जाम और डायवर्जन की वजह से वाशी मार्केट में प्रॉपर सप्लाई की बाधा खड़ी हो गई, जिसकी वजह से कीमतों में अस्थायी तौर पर इजाफा देखने को मिला। डायरेक्टर ने बताया है, कि कुछ दिनों के भीतर सप्लाई पुनः आरंभ हो जाएगी।

जानें भारत में कहाँ कहाँ टमाटर 200 से ऊपर है

बतादें, कि वाशी के एक और व्यापारी सचिन शितोले ने यह खुलासा किया है, कि टमाटर 110 से 120 रुपये प्रति किलोग्राम पर विक्रय किया जा रहा है। दादर बाजार में रोहित केसरवानी नाम के एक सब्जी विक्रेता ने कहा है, कि वहां थोक भाव 160 से 180 रुपये प्रति किलो है। अचंभित करने वाली बात यह है, कि उस मुख्य दिन पर वाशी बाजार में अच्छी गुणवत्ता वाले टमाटर मौजूद नहीं थे। माटुंगा, फोर बंगलोज, अंधेरी, मलाड, परेल, घाटकोपर, भायखला, खार मार्केट, पाली मार्केट, बांद्रा और दादर मार्केट में विभिन्न विक्रेताओं ने टमाटर की कीमतें 200 रुपये प्रति किलोग्राम तक बताईं। लेकिन, कुछ लोग 180 रुपये किलो बेच रहे थे।

बहुत सारे विक्रेताओं ने बंद की अपनी दुकान

रविवार को ग्राहकों की कमी के चलते फोर बंगलों और अंधेरी स्टेशन इलाके में टमाटर की दोनों दुकानें बिल्कुल बंद रहीं। टमाटर विक्रेताओं का कहना है, कि जब टमाटर की कीमतें गिरेंगी तब ही वो दुकान खोलेंगे। वैसे कुछ विक्रेताओं ने यह कहा है, कि त्योहारी सीजन जैसे कि रक्षाबंधन अथवा फिर जन्माष्टमी के दौरान दुकान खोलेंगे। बाकी और भी बहुत सारे दूसरे सब्जी दुकानदारों ने अपने भंडार को कम करने अथवा इसे प्रति दिन मात्र 3 किलोग्राम तक सीमित करने जैसे कदम उठाए गए हैं। विक्रेताओं में से एक ने हताशा व्यक्त की क्योंकि ज्यादातर ग्राहक सिर्फ और सिर्फ कीमतों के बारे में पूछ रहे हैं और बिना कुछ खरीदे वापिस लौट रहे हैं।