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किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

किसानों की संकट की घड़ी में सरकारें क्यों फासला बना रही हैं

बतादें कि मौसमिक बदहाली के कारण किसानों की फसल चौपट हो गयी हैं, इस वजह से उनको फिलहाल सर्वाधिक फसल बीमा की आवश्यकता है। लेकिन सरकारों द्वारा ऐसी योजनाओं को समाप्त किया जा रहा है। निरंतर दो सीजन फसलों पर मोसमिक प्रभाव पड़ने की वजह से पैदावार में कमी आयी है। बीते खरीफ सीजन में बदहाल मौसम ने फसल को चौपट किया है और पिछले साल गेंहू की पैदावार में भी कमी आयी थी। ऐसे मोके पर सरकारों का दायित्व बनता है कि वह किसानों की इस संकट की घड़ी में भरपूर सहयोग करें। लेकिन सरकारें किसानों के हित में जारी की गयी बीमा योजनाओं को नकारते हुए उनके प्रति विपरीत भूमिका निभा रही हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=7Sqo7C2ljF4&t=1s[/embed]

कितने राज्य इससे जुड़े हैं ?

२०१६ में जारी के उपरांत २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना यानी पीएमएफबीवाई(PMFBY) के साथ २२ राज्य जुड़ गए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन में योजना के साथ जुड़े रहने वाले राज्य की संख्या घटकर १९ पर आ चुकी है। रबी सीजन के दौरान उसमें अब तक केवल १४ राज्य ही इस योजना के साथ जुड़े हैं। लघु , सीमांत व ऐसे किसानों के मध्य यह योजना काफी पसंद की जा रही थी, जिन्हें कर्ज मुहैय्या करने में बैंक बहुत परेशान करते हैं। इस योजना के २०१६ में लागू होने के उपरांत इस योजना के साथ जुड़ने वाले ऐसे किसानों का आंकड़ा २८२ प्रतिशत बढ़ा था। लेकिन जैसे-जैसे राज्य सरकारें इस बीमा योजना से बचना चालू कर रही हैं, इसकी वजह से योजना के साथ जुड़े हुए कृषकों की तादात में भी गिरावट आयी है। २०१८ के खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री किसान फसल बीमा योजना के साथ भारत के २.१६ करोड़ किसान सम्मिलित हुए थे। लेकिन बीते खरीफ सीजन के दौरान किसानों की संख्या घटकर १.५३ करोड़ हो चुकी थी।


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उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

उत्तर प्रदेश में स्टांप ड्यूटी को लेकर लिया जा रहा है सराहनीय फैसला

अगर आप उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो यह खबर आपके लिए ही है. हाल ही में उत्तर प्रदेश में राजस्व विभाग ने सरकार को एक प्रस्ताव दिया है जिसमें खेती से जुड़ी हुई जमीन पर स्टांप ड्यूटी को पूरी तरह से खत्म करने की बात कही गई है. आगे चलकर आप चाहे तो इस जमीन पर घर बना सकते हैं या फिर से किसी बिजनेस के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं. किसी भी तरह से इस्तेमाल करने पर इसमें 1% लगने वाली स्टांप ड्यूटी नहीं ली जाएगी. विभाग द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव को अगर कैबिनेट से मंजूरी मिल जाती है तो यह उत्तर प्रदेश में निवेश करने वाले निवेशकों के लिए एक बहुत ही बड़ी खुशी की बात होगी. कहने को स्टांप ड्यूटी केवल 1% होती है लेकिन जब इन्वेस्टर बड़ी बड़ी जमीन खरीदते हैं तो यह ड्यूटी लाखों रुपए की होती है.

अभी क्या है निवेशक और स्टांप ड्यूटी को लेकर नियम

उत्तर प्रदेश में सरकार अभी से ही  निवेशकों को यहां पर अलग-अलग यूनिट लगाने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने की कोशिश में लगी हुई है. यहां पर कोई भी अगर औद्योगिक यूनिट बनाना चाहता है तो उन्हें कृषि भूमि को व्यवसायिक इस्तेमाल में तब्दील करवाना जरूरी है.

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क्या है स्टाम्प ड्यूटी

जब भी हम घर खरीदते हैं तो हमें उससे जुड़ी हुई कई तरह की वित्तीय कार्यवाही करनी पड़ती है. जैसे कि हो सकता है आपने अपने घर पर लोन लिया हो तो आपको लोन का आवेदन देने की जरूरत पड़ती है.  साथ ही आपको घर के लिए डाउन पेमेंट आदि भी करना अनिवार्य है.

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यह सब खत्म हो जाने के बाद जब अंत में जाकर घर का पंजीकरण आपके नाम पर होता है तो नगरपालिका रिकॉर्ड में घर को अपने नाम पर रजिस्टर करवाने के लिए आपको स्टांप ड्यूटी देने की जरूरत पड़ती है.सरल शब्दों में बताया जाए तो यह सरकार को दिया जाने वाला एक कर है जिसके बाद आपको अपनी संपत्ति का स्वामित्व मिल जाता है. स्टांप ड्यूटी अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग हो सकती है और यह एक ऐसा भुगतान होता है जिसे आपको एक बार में ही देना होता है नहीं तो आप पर जुर्माना लगाया जा सकता है.  यह है सरकार की तरफ से दिया जाने वाला एक कानूनी कागज है जिसे अदालत में सबूत के तौर पर भी इस्तेमाल किया जाता है. यह आपकी संपत्ति की खरीद और बिक्री की पूर्ण जानकारी का एक कानूनी दस्तावेज माना गया है.

दूसरे राज्यों में भी दिए गए हैं ऐसे ही बस में

हाल ही में पश्चिम बंगाल सरकार ने स्टांप ड्यूटी और सर्कल रेट पर दी गई छूट को अगले 6 महीने के लिए बढ़ा दिया है. इसे करने का सबसे बड़ा कारण है कि वहां पर रियल एस्टेट बाजार में एक उछाल आ सके.

इससे होने वाले फायदे को समझिए

यहां पर राज्य सरकार का सबसे बड़ा मकसद था कि कोरोना वायरस स्टेट को झटका ना लगे. सरकार द्वारा लिए गए फैसले से रियल एस्टेट जगत को बहुत फायदा भी मिला है और यहां पर छोटे फ्लैट में इन्वेस्ट करने वाले लोगों की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है. उत्तर प्रदेश में भी अगर यह फैसला लिया जाता है तो यहां पर भी जमीन में लोगों का इन्वेस्टमेंट बढ़ जाएगा. इसके अलावा बिल्डर भी बड़ी बड़ी योजनाओं के लिए जमीन खरीदना पसंद करेंगे. राज्य सरकार को जमीन बिक्री से अतिरिक्त राजस्व मिलने की संभावना भी कहीं ना कहीं बढ़ जाएगी.
मक्का ने मंडी को बनाया धनवान, जानिए कितने क्विंटल हुई आवक

मक्का ने मंडी को बनाया धनवान, जानिए कितने क्विंटल हुई आवक

गुना कृषि उपज मंडी में मक्का की शानदार आवक ने विगत समस्त रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। मक्का ने इस बार किसान, व्यापारी सहित मंडी प्रशासन को भी अमीर बना दिया। यह स्थिति उस वक्त देखने को मिली जब अक्टूबर के महीने में सरकार ने मंडी टैक्स में 0.50 फीसद की कमी कर दी थी। एक अक्टूबर से दस नवंबर के मध्य 70 दिनों में मंडी को तकरीबन 4 करोड़ रुपये मंडी टैक्स प्राप्त हुआ है।

मक्का की वजह से मंडी हुआ धनवान 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि पूर्व में टैक्स की दर 1.50 प्रतिशत थी। वह घटकर एक फीसद ही रह गई है। इसके बावजूद अक्टूबर माह में 2.44 करोड़ मंडी कर वसूला गया। विगत वर्ष 2022 के मुकाबले में 38% अधिक टैक्स वसूला गया है। नवंबर के पूर्व 10 दिनों में 1.40 करोड़ रुपये मंडी कर मिला।

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महज डेढ़ माह में करोड़ो का कर 

अगर विगत दस दिनों की बात की जाए तो मंडी में 41000 क्विंटल पैदावार की डाक हुई, जिसमें से एकमात्र मक्का की आवक 33000 क्विंटल तक रही।अक्टूबर से नवंबर के महीने में अब 14 लाख क्विंटल की आवक दर्ज हुई। इसमें से सिर्फ मक्का की बात करें तो यह 9 लाख क्विंटल मतलब कि 65% प्रतिशत भागीदारी रही। खरीफ सीजन में आज तक मक्का की इतनी आवक कभी दर्ज नहीं हो पाई थी। इस बार सोयाबीन की फसल पर मक्का काफी हावी रहा है।
भारत के किसानों को किन परिस्थितियों में टैक्स भुगतान करना पड़ता है?

भारत के किसानों को किन परिस्थितियों में टैक्स भुगतान करना पड़ता है?

भारत के कृषक भाइयों को सरकार टैक्स यानी कर भुगतान से छूट प्रदान करती है। परंतु, कृषकों को विशेष परिस्थितियों में कर देना पड़ता है। भारत में काफी धनराशि टैक्स के रूप में इकट्ठी की जाती है। भारत भर में विभिन्न बड़ी हस्तियां ऐसी भी हैं, जो करोड़ो रुपये कर के तौर पर देती हैं। इनके अतिरिक्त भारत के बहुत सारे नागरिक भी टैक्स भुगतान करते हैं। परंतु, क्या देश की शान कृषक भाइयों को भी कर यानी टैक्स जमा करना होता है।

भारत में कृषि से होने वाली आय पर टैक्स नहीं लिया जाता है  

भारत में कृषकों को अपनी खेती से मिलने वाली आमदनी पर कोई भी कर नहीं देना पड़ता है। आयकर अधिनियम, 1961 के मुताबिक, कृषि से होने वाली आमदनी टैक्स या कर से मुक्त है। कृषकों को इस तरह अपनी आमदनी का कोई रिटर्न फाइल करने की जरूरत नहीं है। हालांकि, बहुत सारी परिस्थितियों में कृषकों को खेती से मिलने वाली आमदनी पर कर देना पड़ सकता है। उदाहरण के तोर पर एक किसान को कृषि के अतिरिक्त बाकी व्यवसाय करने पर कर भुगतान करना पड़ेगा।

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जानें किसान किन परिस्थितियों में ही कर प्रदान करते हैं  

1 . यदि किसान कृषि के अलावा अन्य व्यवसाय करता है, तो उसे उस व्यवसाय से होने वाली आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा। यदि कोई किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन अथवा डेयरी व्यवसाय भी करता है, तो उसे पशुपालन या डेयरी व्यवसाय से होने वाली आमदनी पर कर देना पड़ेगा। 2 . यदि कोई किसान भाई कृषि से होने वाली आमदनी को व्यवसाय के तोर पर चलाता है, तो उसे उस आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा। अगर कोई किसान खेती से होने वाली आमदनी को विक्रय कर आय करता है, तो उसे उस फायदे पर टैक्स देना पड़ेगा। 

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3 . कृषि से होने वाली आमदनी को बाकी व्यवसायों में निवेश करता है, तो किसान भाई उस निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स भुगतान करेंगे। अगर कोई किसान खेती से होने वाली आमदनी को शेयर बाजार में निवेश करता है, तो उसे उस निवेश से होने वाली आमदनी पर टैक्स देना पड़ेगा।
एक फरवरी  2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

एक फरवरी 2024 को पेश किया जायेगा बजट किसानों को मिल सकती है , बड़ी खुशखबरी

संसद में 1 फरवरी  2024 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अंतरिम  बजट पेश किया जायेगा , माना जा रहा है किसानों को इस बजट से बड़ी सौगात मिल सकती है। इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव की वजह से पूर्ण बजट नयी सरकार के गठन के बाद पेश किया जायेगा। इससे पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में अंतरिम बजट 2019 में पेश किया गया था। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के  स्वास्थ्य खराब होने पर उनका अतिरिक्त कामकाज संभाले हुए पियूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था ,साथ ही 2019 के बजट में संसद द्वारा कई बड़े ऐलान भी किये गए। 

पीएम किसान योजना की बढ़ सकती है राशि 

पीएम किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा 2019 के अंतरिम बजट में की गयी थी। इस योजना के अंदर 2 हेक्टेयर तक भूमि वाले किसानों को प्रतिवर्ष 6000 रुपए की राशि  तीन किस्तों में प्रदान की जाएगी। इस योजना में 12 करोड़ से ज्यादा छोटे और सीमान्त किसानों को सम्मिलित किया गया था। फरवरी  2024 में पेश होने वाले बजट में इस राशि को 9000 प्रति वर्ष कर दिया जायेगा। आने वाले बजट में यह उम्मीद जताई जा रही है , पी एम किसान सम्मान निधि की किस्ते बढ़ाई जा सकती है , जो किसानों के लिए किसी बड़ी खुशबरी से कम नहीं है। 

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इसी के चलते सरकार द्वारा महिला सम्मान निधि की राशि भी दुगुनी हो सकती है। साथ ही महिलाओं को लोन भी अन्य की तुलना में 1% की कम दर से प्रदान किया जायेगा। बताया जा रहा है कि महिला किसान की सम्मान निधि की राशि बढ़कर 12000 की जा सकती है। साथ ही महिलाओं किसानों को लोन प्रदान करने के लिए सरकार क्रेडिट कार्ड की भी सुविधाएं प्रदान करा सकती है। 

किसानों के लिए हेल्थ और लाइफ इंस्युरेन्स की भी कर सकते है घोषणा 

लोकसभा चुनाव को देखते हुए मोदी सरकार ने किसानों के लिए बनाई गयी किसान सम्मान निधि योजना में 50 फीसदी राशि बढ़ाने के लिए तो कहा है ,साथ ही संसद में पेश होने वाले बजट में किसानों के लिए स्वास्थ्य और लाइफ इंस्युरेन्स की भी घोषणा की जा सकती है। 

स्टीडफास्ट न्यूट्रिशन के संस्थापक अमन पूरी ने कहा भारत केवल जीडीपी का 21 स्वास्थ्य देखवाल के लिए उपयोग करता है, जो की विश्व औसत 6% से काफी कम है। हाल ही में बहुत सी नए बीमारियों की खोज की गयी है , जो बहुत ही घातक साबित हुई है , जिनके लिए धन की भी आवश्यकता है। 

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इन बीमारियों को रोकने के लिए नए ढाँचे की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार को स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है।

10 लाख से ज्यादा वेतन वाले कर्मचारियों को मिलेगी छूट 

एक फरवरी को पेश होने वाले बजट में बताया जा रहा है , जिन कर्मचारियों की आय 10 लाख से ऊपर है उन्हें कर भुगतान में राहत मिल सकती है। साथ ही इससे बहुत से बिज़नेस और स्टार्टअप को भी कर भुगतान पर  छूट मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इनकम टैक्स के मामले में सरकार बड़ी खुशबरी प्रदान कर सकती है। फिलहाल चर्चा में यही है कि 10 लाख से अधिक आय वाले कर्मचारियों को टैक्स भुगतान में राहत मिल सकती है। 

कृषि  क्षेत्र के लिए सरकार कर सकती है ये फैसला 

गुरुवार को पेश किये जाने वाले बजट से लोगो को बहुत उम्मीद है। कृषि सेक्टर के लोगो को इस बजट से बहुत सी आशाएँ है। उनका मानना है 20 लाख रुपए के कृषि लोन से , उच्च लक्ष्य प्राप्त करने पर जोर दिया जाना चाहिए । इसमें किसानों को नयी मशीनरी और प्रौधोगिकी को अपनाकर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाए। उत्पादन बढ़ेगा तो किसान का तो विकास होगा ही साथ ही अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।