धनियां मसालों और आमतौर पर हर घर में उपयोग में लाया जाता है। इसके पत्तों की महक किसी भी सब्जी के जायके में चार चांद लगाने का काम करती है। इसमें अनेक ओषधीय गुण भी हैं। इसके चलते इसकी खेती बेहद लाभकारी है। इसकी खेती देश के आधे से हिस्से में कम कहीं ज्यादा होती है। इसकी खेती के लिए भी बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। बेहतर जल निकासी वाली जमीन में धनियां लगाया जाना उचित होता है। धनियां को कतर कर बेचना एवं जड़ सहित बेचने की प्रक्रिया मंडियों के अनुरूप अपनाएं।
धनियां की किस्में
वर्तमान दौर में किसी भी खेती के लिए उस इलाके के चिए संस्तुत किस्मों का चयन बेहद जरूरी है। राजस्थान के कोटा अदि में धनियां की अच्छी खेती होती है। वहां की किस्में भी कई गर्म इलाकों में बेहद अच्छी सुगंध और उत्पादन दानों दे रही हैं। इसके अलावा गुजरात धनियां 1 व 2, पंत धनियां 1, मोरोक्कन, सिमपो एस 33, ग्वालियर 5365, जवाहर 1, सीएस 6, आरसीआर 4, सिंधु, हरीतिमा, यूडी 20 साहित अनेक किस्में बाजार में मौजूद हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी नई खेती को करने से पूर्व अपने जनपद के कृषि या उद्यान अधिकारी या कृषि विज्ञान केन्द्रों के विशेषज्ञों से संपर्क करें ताकि उन्हें उचित जानकारी प्राप्त हो सके।
धनियां की खेती के लिए जमीन की सिंचाई कर तैयार करें। इससे पूर्व सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में जरूर डालें। धनियां की बिजाीई हेतु 5-5 मीटर की क्यारियां बना लें, जिससे पानी देने में और निराई-गुड़ाई का काम करने में आसानी रहे।
बुवाई का समय
धनिया की फसल के लिए अक्टुंबर से नवंबर तक बुवाई का उचित समय रहता है। बुवाई के समय अधिक तापमान रहने पर अंकुरण कम हो सकता है। बुवाई का निर्णय तापमान देख कर करें। क्षेत्रों में पला अधिक पड़ता है वहां धनिया की बुवाई ऐसे समय में न करें, जिस समय फसल को अधिक नुकसान हो।
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बीजदर व बीजोपचार
धनियां का 15 से 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीजोपचार के लिए दो ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पहले दाने को दो भागों में तोड़ देना चाहिए। ऐसा करते समय ध्यान दे अंकुरण भाग नष्ट न होने पाए और अच्छे अंकुरण के लिए बीज को 12 से 24 घंटे पानी में भिगो कर हल्का सूखने पर बीज उपचार करके बोएं। सिंचित फसल में बीजों को 1.5 से 2 सेमी. गहराई पर बोना चाहिए, क्योंकि ज्यादा गहरा बोने से सिंचाई करने पर बीज पर मोटी परत जम जाती हैं, जिससे बीजों का अंकुरण ठीक से नहीं हो पाता हैं।
खरपतवार नियंत्रण
धनिये में शुरूआती बढ़वार धीमी गति से होती हैं इसलिए निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकलना चाहिए। सामान्यतः धनिये में दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। पहली निराई-गुड़ाई के 30-35 दिन पर व दूसरी 60 दिन पर अवश्य करेंं। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमिथालीन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण से पहले छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए और छिड़काव शाम के समय करें।