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पीएम मोदी

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

तीनों कृषि कानून वापस लेने का ऐलान,पीएम ने किसानों को दिया बड़ा तोहफा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए 14 महीने से विवादों में घिरे चले आ रहे तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके पूरे राष्ट्र को चौंका दिया। इन तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान लगातार आंदोलन करते चले आ रहे हैं। किसान लगातार  कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए दिल्ली सीमा पर भारी संख्या में किसान पिछले साल सितम्बर माह से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन को लेकर सैकड़ों किसानों की जाने तक चलीं गयीं हैं। किसान इन कृषि कानूनों को लेकर सरकार से कोई भी समझौता करने को तैयार नहीं हो रहे थे। हालांकि सरकार ने यह समझाने की बहुत कोशिश की कि ये कानून छोटे किसानों के हितों के लिए हैं क्योंकि देश में 100 में से 80 किसान छोटे हैं।  लेकिन आंदोलनरत किसानों ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की जिद पकड़ ली है। किसानों की जिद के आगे सरकार को हथियार डालते हुए इन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लेना पड़ा।

किसानों के कल्याण के लिए ईमानदारी से कोशिश की थी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमने हमेशा किसानों की समस्याओं और उनकी चिंताओं का ध्यान रखा और उन्हें दूर करने का प्रयास किया जब आपने हमें 2014 में सत्ता सौंपी तो हमें यह लगा कि किसानों के कल्याण, उनकी आमदनी बढ़ाने का कार्य करने का निश्चय किया। हमने कृषि वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों आदि से सलाह मशविरा करके कृषि के विकास व कृषि करने की आधुनिक तकनीक को अपना कर किसानों का हित करने का प्रयास किया।  काफी विचार-विमर्श करने के बाद हमने देश के किसानों खासकर छोटे किसानों को उनकी उपज का अधिक से अधिक दाम दिलाने, उनका शोषण रोकने एवं उनकी सुविधाएं बढ़ाने के प्रयास के रूप में तीन नये कृषि कानून लाये गये। उन कृषि कानूनों को लागू किया गया।

किसानों को पूरी तरह से समझा नहीं पाये

राष्ट्र के नाम अपने संदेश में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने सच्चे मन एवं पवित्र इरादे से देश हित व किसान हित के सारे नियमों को समेट कर ये तीन कानून बनाये।  देश के कोटि-कोटि किसानों, अनेक किसान संगठनों ने इन कृषि कानूनों का स्वागत किया एवं समर्थन दिया। इसके बावजूद किसानों का एक वर्ग इन कृषि कानूनों से नाखुश हो गया। उन्होंने कहा कि हमने इन असंतुष्ट किसानों से लगातार एक साल तक  विभिन्न स्तरों पर बातचीत करने का प्रयास किया उन्हें सरकार की मंशा को समझाने का प्रयास किया । इसके लिए हमने व्यक्तिगत व सामूहिक रूप से किसानों को समझाने का प्रयास किया।  किसानों के असंतुष्ट वर्ग को समझाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों, मार्केट विशेषज्ञों एवं अन्य जानकार लोगों की मदद लेकर पूर्ण प्रयास किया किन्तु सरकार के प्रयास सफल नहीं हो पाये। प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में कहा कि सरकार ने दीपक के सत्य प्रकाश जैसे कृषि कानूनों के बारे में किसानों को समझाने का पूरा प्रयास किया लेकिन हमारी तपस्या में कहीं कोई अवश्य ही कमी रह गयी होगी जिसके कारण हम किसानों को पूरी तरह समझा नहीं पाये। कृषि कानून

किसानों को मनाने का पूरा प्रयास किया

18 मिनट के राष्ट्र के नाम संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज गुरु नानक जयंती जैसे प्रकाशोत्सव पर किसी से कोई गिला शिकवा नहीं है और न ही हम किसी में कोई दोष ठहराने की सोच रहे हैं बल्कि हमने जिस तरह से देश हित और किसान हित में ये कृषि कानून लाये थे। भले ही देश के अधिकांश किसानों ने इन कृषि कानूनों का समर्थन किया हो लेकिन किसान का एक वर्ग नाखुश रहा और हम उसे नही समझा पाये हैं। उन्होंने कहा कि हमने किसानों को हर तरह से मनाने का प्रयास किया।

किसानों को अनेक प्रस्ताव भी दिये

आंदोलनकारी किसानों ने कृषि कानूनों के जिन प्रावधानों पर ऐतराज जताया था, सरकार उनको संशोधित करने को तैयार हो गयी थी। इसके बाद सरकार ने इन कृषि कानूनों को दो साल तक स्थगित करने का भी प्रस्ताव दिया था। इसके बावजूद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया था।  इन सब बातों को पीछे छोड़ते हुए सरकार ने नये सिरे से किसान हितों और देश के कल्याण के बारे में सोचते हुए प्रकाश पर्व जैसे अवसर पर इन कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया है।\

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पिछली बातों को छोड़कर आगे बढ़ें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में आंदोलनकारी किसानों का आवाहन करते हुए कहा कि हम सब पिछली बातों को भूल जायें और नये सिरे से आगे बढ़ें और देश को आगे बढ़ाने का काम करें। उन्होंने कहा कि सरकार ने कृषि कानूनों को वापस करने का फैसला ले लिया है।  उन्होंने कहा कि में आंदोलनकारी किसानों से आग्रह करता हूं कि वे आंदोलन को समाप्त करके अपने घरों को अपने परिवार के बीच वापस लौट आयें। अपने खेतों में लौट आयें । अपने संदेश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इसी महीने के अंत में होने वाले संसद के सत्र में इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की सभी विधिक कार्यवाही पूरी की जायेंगी।

किसान हित के लिए और बड़ा प्रयास करेंगे

प्रधानमंत्री का कहना है कि सरकार अब इससे अधिक बड़ा प्रयास करेगी ताकि किसानों का कल्याण उनकी मर्जी के अनुरूप किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार ने छोटे किसानों का कल्याण करने, एमएसपी को अधिक प्रभावी तरीके से लागू करने सहित सभी प्रमुख मांगों पर आम राय बनाने के लिए एक कमेटी के गठन का फैसला लिया है। जिसे शीघ्र ही गठित करके नये सिरे से इससे भी बड़ा प्रयास किया जायेगा। कृषि कानून

छोटे किसानों का कल्याण करना सरकार की प्राथमिकता

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि हम लगातार छोटे किसानों के कल्याण के लिये प्रयास करते रहेंगे। देश में 80 प्रतिशत छोटे किसान हैं।  इन छोटे किसानों के पास दो हेक्टेयर से भी कम खेती है। इस तरह के किसानों की संख्या 10 करोड़ से भी अधिक है। हमारी सरकार ने फसल बीमा योजना को अधिक से अधिक प्रभावी बनाया। 22 करोड़ किसानों को मृदा परीक्षण कार्ड देकर उनकी कृषि करने की तकनीक में मदद की। उन किसानों की कृषि लागत कम हो गयी तथा उनका लाभ बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि छोटे किसानों को ताकत देने के लिए सरकार ने हर संभव मदद देने का प्रयास किया और आगे भी ऐसे ही प्रयास करते रहेंगे।

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सितम्बर, 2020 में शुरू हो गया था आंदोलन

लोकसभा से तीनों कृषि कानून 17 सितम्बर, 2020 को पास हो गये थे और राष्ट्रपति ने दस दिन बाद  इन कृषि कानूनों पर अपनी मुहर लगाकर लागू कर दिया था। इसके बाद ही किसानों ने अपना आंदोलन शुरू कर दिया था। ये तीन कृषि कानूनों में पहला कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, दूसरा कानून कृषक (सशक्तिकरण-संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करारा विधेयक 2020 तथा तीसरा आवश्यक वस्तु (संशोधन) 2020 नाम से तीसरा कानून था।

किन प्रावधानों पर थे किसान असंतुष्ट

किसानों को सबसे ज्यादा पहले कानून कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 के कई प्रावधानों में ऐतराज था।  मंडी के बाहर फसल बेचने की आजादी, एमएसपी और कान्टेक्ट फार्मिंग के प्रावधानों पर कड़ी आपत्ति जतायी गयी थी । सरकार ने अनेक स्तरों से सफाई दी और अनेक तरह के आश्वासन दिये लेकिन आंदोलनकारी किसानों को कुछ भी समझ में नहीं आया और उन्होंने किसान से इन तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग की जिद ठान ली।  किसानों की जिद के सामने सरकार को आखिर झुकना पड़ा भले ही इसके लिए किसानों को 14 महीने का लम्बा समय अवश्य लगा।
पीएम मोदी ने जारी की किसान सम्मान निधि की 11वीं किस्त, ऐसे चेक करें लिस्ट में अपना नाम

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PM Kisan Samman Nidhi : पीएम मोदी ने जारी की किसान सम्मान निधि की 11वीं किस्त, ऐसे चेक करें लिस्ट में अपना नाम

किसानों को 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की सम्मान निधि राशि सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांफफर कर दी है। पीएम मोदी जी द्वारा यह राशि शिमला में आयोजित 'गरीब कल्याण सम्मेलन' कार्यक्रम के दौरान किसानों के खाते में सीधे ट्रांसफर की गई है। इसके बाद उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा लाभार्थियों से बातचीत भी की।

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इस किस्त के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा अब तक किसानों के खाते में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक की रकम ट्रांसफर हो चुकी है। इस योजना की पहली किस्त 1 दिसंबर 2018 से 31 मार्च 2019 के बीच जारी की गई थी। तब से भारत के किसानों को सालाना 6000 रुपये दे रही है। इस योजना की 11वीं किस्त ट्रांसफर करने के कार्यक्रम के दौरान दिल्ली से केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी मौजूद रहे।

किसान सम्मान निधि की 11वीं किस्त : आवश्यक जानकारी

अगर आप भी किसान भाई हैं और पीएम जी की इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं या आप इस योजना में जुड़े होने के बावजूद किसी कारणवश आपके रुपये खाते में नही आ रहे हैं तो इस योजना का लाभ उठाने के लिए आप अपनी केवाईसी अपडेट करा लें। केवाईसी अपडेट करने की अंतिम तारीख 31 मई ही है। अगर आप अपनी केवाईसी आखिरी तारीख तक अपडेट नहीं कराते हैं तो पीएम किसान की 2000 रुपये किस्त का लाभ नहीं ले सकेंगे। पीएम किसान निधि योजना के तहत हर साल प्रत्येक लाभार्थी को ₹6000 प्राप्त होते हैं। यह राशि एक साथ ना आकर ₹2000 की तीन किस्तों में किसान को मिलती है।

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इस तरह ऑनलाइन अपडेट करें KYC:

स्टेप 1. पीएम किसान की अधिकारिक वेबसाइट पर जाएं स्टेप 2. दाईं ओर दिए गए विकल्पों की eKYC पर क्लिक करें। स्टेप 3. अपना आधार कार्ड नंबर, कैप्चा कोड दर्ज करके सर्च पर क्लिक करें। स्टेप 4. अपना मोबाइल नंबर डालें जो आधार कार्ड से लिंक हो। स्टेप 5. अब 'गेट ओटीपी' पर क्लिक करके प्राप्त हुआ रोटी भी दर्ज करें। इसके साथ ही अभी केवाईसी अपडेट हो जाएगी।

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पीएम किसान में लाभार्थी की स्थिति देखने का यह है प्रोसेस:

स्टेप 1. पीएम किसान सम्मान निधि की अधिकारिक वेबसाइट- pmkisan.gov.in पर जाएं। स्टेप 2. 'Beneficiary Status' विकल्प पर क्लिक करें। स्टेप 3. आधार नंबर खाता नंबर और अपना मोबाइल नंबर से किसी एक का चयन करें। स्टेप 4. इसके साथ आप 'Get data' पर क्लिक करके अपना स्टेटस देख सकते हैं।  
इस खाद्य उत्पाद का बढ़ सकता है भाव प्रभावित हो सकता है घरेलु बजट

इस खाद्य उत्पाद का बढ़ सकता है भाव प्रभावित हो सकता है घरेलु बजट

यूक्रेन व रूस युद्ध की वजह से अर्थव्यवस्था बेहद प्रभावित हो रही है। दुनिया इन दिनों आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, जो देश समृद्धशाली नहीं हैं, वह महामारी तथा ईंधन के बढ़ते मूल्यों से चिंताग्रस्त हैं। यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं समान आवश्यक खाद्य उत्पादों के भंडारण को काफी प्रभावित किया है। जिससे गेहूं के भाव में वृध्दि की संभावना है। बतादें कि रूस के विरुद्ध पश्चिमी प्रतिबंधों ने समस्त देशों हेतु व्यापार विकल्पों को कम कर दिया है। इसका सीधा प्रभाव सर्वाधिक दुर्बल लोगों पर देखने को मिल रहा है। आधुनीकरण के साथ नवीन बाजार एवं नवीन अर्थव्यवस्थाएं भी सामने आ रही हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy) यूक्रेन युद्ध एवं रूस पर प्रतिबंधों की वजह से बेहद ही संकट की घड़ी का सामना कर रही है। इसी वजह से विश्व की खाद्यान आपूर्ति एवं व्यवसाय का ढांचा ध्वस्त हो चुका है। बतादें कि इसी वजह से आधारभूत उत्पादों का भी भाव तीव्रता से बढ़ रहा है, जिसमें ईंधन, भोजन एवं उर्वरक इत्यादि शामिल हैं। साथ ही, खाद्य सुरक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव देखने को मिल रहा है। ऐसे में निश्चित रूप से गेंहू के भाव में वृध्दि होगी, यदि गेहूं के भाव में बढ़ोत्तरी आयी तो लोगों का घरेलू बजट खराब हो सकता है। दरअसल, यूक्रेन युद्ध की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था बहुत बड़ी समस्या के घेरे में आ गयी है, जो कि पूर्व से ही अमेरिका और यूनाइडेट किंग्डम (United Kingdom) के खराब संबंधों व कोरोना महामारी जैसी चुनौतियों के कारण प्रभावित हो चुकी है।


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हालाँकि, अब भारत ने जी20 में अपना परचम लहरा दिया है। बतादें कि भारत ३० नवंबर २०२३ तक भारत १९ सर्वाधिक धनी देशों व यूरोपीय संघ के समूह का नेतृत्व करेगा। यह सकल विश्व उत्पाद का ८५ फीसद एवं वैश्विक जनसँख्या का ६० फीसद हिस्सा है। ऐसे दौर में जब विश्व बदलाव की ओर बढ़ रहा है, विश्व के सर्वाधिक धनी एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से सर्वाधिक शक्तिशाली देशों के समूह का अध्यक्ष होने की वजह से भारत के समक्ष विभिन्न अवसरों के साथ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।

रूस यूक्रेन युद्ध के संबंध में पीएम मोदी ने क्या कहा

भारत को काफी तात्कालिक समस्याओं से निपटना होगा उनमें यूक्रेन युद्ध को बंद करने हेतु भारत की अध्यक्षता का प्रयोग करना आवश्यक होगा। जी२० समूह के अध्यक्ष के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले संबोधन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को अपनी पुनः सलाह देते हुए कहा कि आज का दौर व युग लड़ाई झगडे या युद्ध का नहीं है। बतादें कि युद्ध के कारण खाद्यान संबंधित चुनौती बढ़ गयी है।

वसुधैव कुटुम्बकम बना अस्थायी खंबा

फिलहाल, जी२० अध्यक्ष का अध्यक्ष होने के नाते भारत सही ढंग से ताकत का उपयोग कर पायेगा। शिखर सम्मेलन के साथ-साथ शेरपाओं की समानांतर बैठक की मेजबानी भारत करेगा एवं वित्त मंत्रियों एवं विश्वभर के देशों के रिजर्व बैंकों के प्रमुखों की बैठकों में हिस्सा लेगा। इसमें भारत विश्व के आर्थिक शासन में बेहतरीन परिवर्तन की बात करेगा। विश्व बैंक व आईएमएफ की भाँति ब्रिटेन वुड्स संस्थान पर भी भारत स्वयं के पद का प्रयोग कर पायेगा। भारत उन देशों को शक्ति प्रदान करेगा जो कि वैश्विक आर्थिक शासन को बेहतर बनाने के साथ भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सकारात्मक परिवर्तन हेतु भी दबाव बना सकता है। अनुमानुसार अगले वर्ष चीन को पीछे छोड़ भारत विश्व का सर्वाधिक जनसँख्या वाला देश बन जाएगा।
इंतजार की घड़ियां हुई खत्म, जानिए किस दिन आएगी पीएम किसान की 13वीं किस्त

इंतजार की घड़ियां हुई खत्म, जानिए किस दिन आएगी पीएम किसान की 13वीं किस्त

लंबे इंतजार के बाद आखिरकार वो घड़ी आ ही गयी, जब किसानों को पीएम किसान योजना के अंतर्गत 13वीं किस्त दी जाएगी. जिसके लिए दिन भी लगभग तय हो चुका है. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं हैं. किसानों के हित में उन्होंने पीएम किसान योजना को शुरू किया. जिसकी 17 किस्त पीएम ने खुद 17 अक्टूबर के दिन जारी की थी. बता दें केंद्र सरकार ने इसके लिए लगभग 16 हजार करोड़ रूपये खर्च किये थे. जिसका फायदा देश के 8 करोड़ किसानों को हुआ था. पीएम किसान यानि कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना केंद्र सरकार की योजना है. जिसके तहत किसानों को साल में 6 हजार रुपये दिए जाते हैं. 6 हजार की यह राशि तीन किस्तों में यानि की दो-दो हजार करके दी जाती है. इसका मतलब सरकार हर चौथे महीने दो हजार की किस्त जारी करती है, जो सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर की जाती है.

पीएम किसान योजना के बारे में

यह योजना देश के उन भूमिधारक किसानों परिवारों के लिए है, जो उनकी आय में मदद करती है. इस योजना के तहत किसानों को कृषि के साथ साथ अन्य घरेलू जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है. इस योजना की शुरुआत खास तौर पर सीमांत किसानों के लिए की गयी थी.

इस दिन जारी हो सकती है 13वीं किस्त

किसानों को 13वीं किस्त का बड़ी ही बेसब्री से इंतज़ार है. जानकारी के मुताबिक बता दें कि, केंद्र सरकार आने वाली होली तक इस किस्त को जारी कर सकती है. किसानों को अगर इस योजना का फायदा लेना है तो इसके लिए उन्हें सबसे पहले अपना ई-केवाईसी अपडेट करवाना जरूरी होगा. वरना उन्हें इसका फायदा नहीं मिलेगा. ये भी पढ़ें: जानें पीएम किसान योजना जी 13 वीं किस्त कब तक आएगी

ऑनलाइन ऐसे करें अपना ई-केवाईसी अपडेट

ऑनलाइन ई-केवाईसी अपडेट करने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले पीएम किसान से सम्बंधित आधिकारिक साइट पर विजिट करना होगा. जिसके बाद उनके सामने ई-केवाईसी का विकल्प आएगा. जिसपर क्लिक करके अपना आधार कार्ड नंबर दाखिल करना होगा. अगले चरण में कैप्चा कोड और रजिस्टर मोबाइल नंबर डालना होगा. एसएमएस के जरिये ओटीपी आएगा, जिसे दर्ज करके आप अपना ई-केवाईसी अपडेट कर सकते हैं.
पीएम मोदी से एथेनॉल निर्माताओं ने की एथेनॉल के खरीद भाव को बढ़ाने की मांग

पीएम मोदी से एथेनॉल निर्माताओं ने की एथेनॉल के खरीद भाव को बढ़ाने की मांग

एथेनॉल निर्माताओं ने अनाज एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल के खरीद मूल्य में इजाफा करने के लिए पेट्रोलियम प्राकृतिक गैस मंत्रालय एवं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजा है। एथेनॉल विशेष रूप से क्षतिग्रस्त अनाज एवं मक्के से तैयार हो रहा है। भारत में दो स्त्रोतो से एथेनॉल तैयार किया जाता है। इनमें से एक गन्ना एवं दूसरा अनाज (चावल मक्का) हैं।

एथेनॉल के खरीद मूल्य में बढ़ोतरी की मांग 

एथेनॉल निर्माताओं के मुताबिक, अनाज (चावल) से तैयार होने वाले एथेनॉल का खरीद भाव 69.54 एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल का खरीद मूल्य 76.80 रुपये प्रति लीटर किया जाए। ऐसा करने पर नवंबर माह से शुरू हो रहे 2023-24 के एथेनॉल आपूर्ति साल में लगातार आपूर्ति सुनिश्चित हो सकेगी।

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एथेनॉल के बढ़ते उत्पादन से पेट्रोल के दाम में होगी गिरावट, महंगाई पर रोक लगाने की तैयारी साल 2022-23 में क्षतिग्रस्त अनाज से निर्मित एथेनॉल का खरीद मूल्य 64 रुपये प्रति लीटर एवं मक्के से निर्मित एथेनॉल का खरीद भाव 66.07 रुपये प्रति लीटर निर्धारित किया गया था। एथेनॉल निर्माताओं ने खरीद मूल्य में इजाफा करने की मांग तब की, जब केंद्र सरकार ने गन्ने से निर्मित होने वाले एथेनॉल का खरीद मूल्य घोषित नहीं किया। सामान्य तौर पर यह नवंबर माह के आरंभ में घोषित हो जाता है। वही दूसरी तरफ भारतीय खाद्य निगम ने अतिरिक्त चावल की आपूर्ति बरकरार नहीं रखी हैं।

जीईएमए ने की फीडकॉस्ट के भाव निर्धारित करने की मांग 

अनाज एथेनॉल निर्माता एसोसिएशन (जीईएमए) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी एवं पेट्रोलियम मंत्री श्री हरदीप पुरी से मांग की है, कि आज के समय में खुले बाजार में मौजूद फीडस्टॉक (क्षतिग्रस्त अनाज और मक्के) के खर्च के आधार पर लागत मूल्य निर्धारित किया जाए।

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तेल विपणन कंपनियों को कितना एथनॉल मुहैय्या करवाया गया है 

एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 में तेल विपणन कंपनियों को 2.9 अरब लीटर अनाज आधारित एथेनॉल उपलब्ध करवाया गया है। इसमें क्षतिग्रस्त अनाज (टूटे हुए चावल) की भागेदारी 54 प्रतिशत, एफसीआई से अनुदान प्रदान की गई आपूर्ति की 15 फीसद और मक्के की भागीदारी 31% प्रतिशत रही। तेल विपणन कंपनियों ने एथेनॉल आपूर्ति वर्ष 2023-24 में 15 प्रतिशत सम्मिश्रण एथेनॉल के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए 8.25 अरब लीटर एथेनॉल की आपूर्ति की निविदा जारी की है। इसके अंदर 2.9 अरब लीटर एथेनॉल की आपूर्ति अनाज आधारित स्रोतों से होती है। वहीं, शेष बची आपूर्ति गन्ना आधारित शीरे से होती है। अनाज आधारित एथेनॉल के निर्माताओं ने कहा है, कि संपूर्ण वर्ष के लिए गन्ना आधारित एथेनॉल को खरीदने का मूल्य निर्धारित किया जा सकता है। इसकी वजह यह है, कि गन्ने के भाव स्थिर रहते हैं। हालांकि, अनाज आधारित एथेनॉल के भाव प्रतिदिन के आधार पर निर्धारित होते हैं। बहुत बार आपूर्ति मांग के चलते घंटे के आधार पर भी निर्धारित होते हैं।