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प्याज का उत्पादन

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

महाराष्ट्र भारत में प्याज उत्पादन के मामले में विशिष्ट राज्य है,क्योंकि महाराष्ट्र में प्याज का उत्पादन काफी किया जाता है। बतादें कि वर्ष में तीन बार प्याज की फसल उगाई जाती है। प्रदेश के सोलापुर, नासिक, पुणे, धुले व अहमदनगर जनपद में सर्वाधिक प्याज का उत्पादन होता है। प्रदेश में फिलहाल रबी सीजन के प्याज की पैदावार की तैयारी चालू है। महाराष्ट्र में किसान अधिकतर प्याज की खेती करते हैं। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य में देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक जनपद के लासलगांव में स्थित है। सामान्य रूप से अधिकतर प्रदेशों द्वारा वर्ष में एक ही बार प्याज का उत्पादन किया जाता है। परंतु महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है, प्रदेश में एक वर्ष के दौरान रबी सीजन, खरीफ, खरीफ के बाद इस तरह प्याज का तीन बार उत्पादन है।


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महाराष्ट्र राज्य के किसान अधिकतर प्याज का उत्पादन करते हैं और इस पर ही आश्रित रहते हैं हालाँकि सर्वाधिक प्याज उत्पादन रबी सीजन में ही प्राप्त होता है। प्याज के द्वितीय सीजन की बुआई अक्टूबर-नवंबर माह के मध्य में होती है। इसकी फसल जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज का फसल का तीसरा समय रबी सीजन में होता है। रबी सीजन की बुवाई दिसंबर से जनवरी के मध्य होती है, और इसकी फसल की पैदावार मार्च से मई के मध्य ली जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की कुल पैदावार का ६० प्रतिशत उत्पादन रबी सीजन के दौरान होता है।

ज्यादातर प्याज की खेती कौन से जिलों में होती है

महाराष्ट्र राज्य के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा जनपद में ज्यादा खेती होती है। बतादें कि मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में भी प्याज उत्पादन किया जाता है। इसमें भी प्याज उत्पादन के मामले में नासिक जनपद अपनी अलग पहचान रखता है, इसकी मुख्य वजह देश के कुल प्याज उत्पादन का ३७ % महाराष्ट्र राज्य करता है जबकि १० % उत्पादन केवल नासिक जनपद में किया जाता है।


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प्याज उत्पादन के लिए कैसी मिट्टी व भूमि सही होती है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार प्याज के उत्पादन हेतु कई प्रकार की मिट्टी का उपयोग हो सकता है। प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए चिकनी, गार, रेतीली, भूरी एवं दोमट मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिए भूमि के जल निकासी हेतु अच्छा प्रबंधन होना चाहिए। प्याज उत्पादन से पूर्व जमीन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम तीन से चार बार जुताई हो एवं रुड़ी खाद के इस्तेमाल से जैविक तत्वों की मात्रा में बढ़ोत्तरी करें। इसके बाद खेत को छोटे-छोटे भाग में बाँट दें। भूमि की सतह से १५ सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर बुवाई होनी चाहिये। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=JeQ8zGkrOCI&t=34s[/embed]
खुशखबरी: देश की राजधानी दिल्ली में अब प्याज की महंगाई नहीं निकालेगी आंशू

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देश की राजधानी दिल्ली में टमाटर की बढ़ती कीमतों ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए थे। इसके उपरांत एक के बाद एक सब्जियों की बढ़ती कीमतों से लोगों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। परंतु, वहीं जनता के लिए खुशखबरी की यह बात है कि NCCF बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। बतादें, कि विगत दिनों धनिया, प्याज, अदरक और टमाटर आदि सभी सब्जियों की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी से जनता की जेब पर बेहद प्रभाव पड़ा है। ग्रहणियों का कहना है, कि मंहगाई के कारण से रसोई का बजट डगमगा गया था, इससे सही सलामत देशवासियों का जीना दुश्वार हो गया। साथ ही, आज से दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ सस्ती दरों पर प्याज बेचना शुरु करेगा। प्याज की कीमतों में निरंतर वृद्धि के मध्य सरकारी बफर स्टॉक से खुदरा प्याज की बिक्री 25 रुपये प्रति किलो के भाव पर शुरू होगी। जहां एक ओर टमाटर की महंगाई से जनता दीर्घकाल से परेशान थी। वहीं, फिलहाल टमाटर के भावों में गिरावट देखने को मिली है। परंतु, प्याज की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। इस वजह से जनता को महंगाई से थोड़ी सहूलियत प्रदान करने के लिए सरकार आज मतलब 21 अगस्त से सस्ती कीमतों पर प्याज बेचने की कवायद आरंभ कर रही है। ये भी देखें: सब्जियों के साथ-साथ मसालों के बढ़ते दामों से लोगों की रसोई का बिगड़ा बजट उपभोक्ता विभाग के मुताबिक, दिल्ली में हाल ही में एक किलो प्याज 37 रुपये में बिक्रय किया गया। भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (NCCF) पहले से ही केंद्र सरकार की तरफ से कम भाव पर टमाटर बेच रहा है। साथ ही, अब उसे खुदरा बफर प्याज का कार्यभार भी सौंपा गया है। NCCF के प्रबंध निदेशक एनीस जोसेफ चंद्रा का कहना है, कि "शुरुआत में, हम दिल्ली में बफर प्याज की खुदरा बिक्री चालू करेंगे। हम अपने मोबाइल वैन और दो खुदरा दुकानों के जरिए से 25 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर बेचेंगे।" दिल्ली में 21 अगस्त को तकरीबन 10 मोबाइल वैन भेजी जाएंगी। साथ ही, आहिस्ते-आहिस्ते इसका दायरा और अधिक बढ़ाया जाएगा। इसके अतिरिक्त NCCF दिल्ली में नेहरू प्लेस एवं ओखला में मौजूद अपने दो खुदरा दुकानों के माध्यम से भी प्याज बेचेगा। NCCF ने ONDC प्लेटफॉर्म के जरिए ऑनलाइन प्याज बेचने की भी योजना तैयार की है। परंतु, फिलहाल इसको जारी नहीं किया गया है। सरकार ने असम, दिल्ली, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और हिमाचल प्रदेश को वर्तमान में प्राथमिकता दी है। दरअसल, इन पांच प्रदेशों में थोक एवं खुदरा दोनों बाजारों में बफर प्याज का निपटान करके उपलब्धता को बढ़ाया जा रहा है। दिल्ली में यह बिक्री 21 अगस्त से चालू हो जाएगी, जबकि बाकी 4 राज्यों में 2 दिन पश्चात बिक्री शुरू होगी। ये भी देखें: जानें टमाटर की कीमतों में क्यों और कितनी बढ़ोत्तरी हुई है NCCF विगत एक माह से राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में रियायती भाव पर टमाटर विक्रय कर रहा है। आरंभ में जब खुदरा बाजार में भाव ₹250 प्रति किलो तक पहुंच गया तो इसकी बिक्री ₹90 प्रति किलो पर चालू हुई। अब आवक में काफी सकारात्मक सुधार आया है, तो अनुदानित दर घटाकर 40 रुपये प्रति किलो निर्धारित कर दी गई है।
नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नया साल आ गया है, नए साल के आरंभ में फसलों का चयन उस हिसाब से करना अच्छा होगा जिससे आपको आगामी कुछ माह के अंतराल में ही अच्छा खासा मुनाफा हो सके। नववर्ष के जनवरी माह में किसान उन फसलों को उगाएं, जिनसे किसानों को होली आने तक बेहतरीन लाभ अर्जित हो सके। नए साल के समय में खेतीबाड़ी या कृषि के क्षेत्र में इस वर्ष काफी कुछ अच्छा, नवीन एवं अलग होना है। किसानों की आशाएं नए साल सहित एक बार पुनः जाग्रत हो गई हैं। फसलों से अच्छी पैदावार लेने हेतु किसान निरंतर कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिलहाल, बहुत सारे किसानों द्वारा खेतों में सरसों, गेंहू, तोरिया एवं सब्जी फसलों का उत्पादन करना शुरू किया है। अगर आपने अभी ऐसी सब्जियों की बुवाई नहीं की है, तो आप मौसम के अनुरूप कुछ विशेष सब्जियों का चयन करके 2 से 3 माह में बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं। हम आपको आगे यह बताने वाले हैं, कि जनवरी के मौसम में किन सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। किसानों को उन फसलों का उत्पादन करें जिनसे उनको बेहतरीन मुनाफा अर्जित हो सके।

टमाटर का उत्पादन करें

ये बात जग जाहिर है, कि टमाटर की सब्जी बारह महीने चलने वाली फसल है, जिसका उत्पादन प्रत्येक सीजन में किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में भी टमाटर की फसल का उत्पादन किया जा जा सकता है। परंतु फसल को अत्यधिक ठंड-शर्द हवाओं से संरक्षित करना होगा, आप चाहें तो खेत के एक भाग में टमाटर का पौधरोपण कर सकते हैं। बेहतरीन एवं सुरक्षित उत्पादन हेतु पॉलीहाउस अथवा ग्रीन हाउस के भीतर भी टमाटर की फसल उगा सकते हैं। एक बार बुवाई अथवा पौध की रोपाई के उपरांत 10 दिन के अंतराल में एक बार सिंचाई करनी बेहद जरूरी होगी। टमाटर की बेहतरीन किस्मों से कृषि की जा रही है तो निश्चित रूप से आपको होली तक टमाटर का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मिर्च का उत्पादन करें

सर्दी हो अथवा गर्मी, प्रत्येक मौसम में मिर्च को अत्यधिक उपभोग में लिया जाता है। आपको यह बतादें, कि सर्दियों के मौसम में मिर्च का उपभोग काफी बढ़ जाता है। इस वजह से जनवरी माह में मिर्च का उत्पादन करना अच्छा होगा। अगर नवंबर माह के अंदर आपने मिर्च की नर्सरी को तैयार किया हो, तो इन पौधों को खेत के किनारे मेड़ों पर भी उगा सकते हैं।


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इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।
लेकिन याद रहे कि पौधों के मध्य में 18 से 24 इंच की दूरी अवश्य हो। सर्दियों में मिर्च की फसल में अधिक पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस वजह से 10 से 15 दिन के अंतराल में हल्का सा जल जरूर दें, जिससे 60 से 90 दिनों के भीतर बेहतरीन उत्पादन हाँसिल हो सके।

प्याज का उत्पादन करें

सर्द जलवायु में प्याज से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है, कि 17 जनवरी तक प्याज के पौधों का रोपण कर सकते हैं। अगर प्याज की बाजार में मांग के बारे में बात करें तो लाल प्याज सहित हरे प्याज की भी अच्छी खासी मांग रहती है। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन हेतु खेतों में पहले उर्वरक डाल क्यारियां तैयार करें।


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इसके उपरांत 10 से 20 सेमी की दूरी पर प्याज का पौधरोपण की कर दें। आपको बतादें कि प्याज की बुवाई या रोपाई हेतु सबसे अच्छा समय शाम का माना जाता है। प्याज में हल्की सिंचाई करने से फसल में नमी बनी रहती है।

कंद सब्जियों का उत्पादन करें

ठंड के मौसम को कंद सब्जियों का भी मौसम माना जाता हैं, आलू से लेकर अदरक, हल्दी, शकरकंद, गाजर, मूली आदि का उत्पादन किया जाता है। यह समस्त फसलें 60 से 90 दिन में पूरी तरह उपभोग हेतु तैयार हो जाती हैं। यह भूमि में उत्पादन करने वाली सब्जियां हैं, इस वजह से मृदा में सामान्य नमी का होना जरुरी है। जिन खेतों में जलभराव हो वहाँ कंद सब्जियां ना उगाएं, इसकी वजह से उत्पादन में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती है। इन बागवानी सब्जियों की अप्रैल माह तक बाजार में खरीद बनी रहती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएँ

सर्दियों की प्रसिद्ध हरी सब्जियां पालक, मेथी, धनिया, बथुआ एवं सरसों का साग अत्यधिक मांग में रहता है। एक बार खेतों में इन सब्जियों का उत्पादन करके प्रथम कटाई के उपरांत हर 15 दिन के अंतराल में 3 से 4 बार कटाई ली जा सकती है। हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन की बहुत अच्छी मात्रा पायी जाती है। बहुत सारे लोग इन सब्जियों को सुखाकर वर्षभर उपयोग करते हैं, जिन्हें ड्राई वेजिटेबल्स भी कहा जाता है। अगर आप जनवरी माह में इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, तो मार्च माह तक आपको खूब उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मटर के उत्पादन से होंगे यह लाभ

मटर का उत्पादन सर्दियों के मौसम में किया जाता है, परंतु इससे किसान मात्र एक बार की खेती से वर्ष भर लाभ उठा सकते हैं। जनवरी में मटर की बुवाई कर एकसाथ उत्पादन लेकर इसकी प्रोसेसिंग करें एवं इसको फ्रोजन मटर का रूप दें। इस तरह आपकी उपज पूरे वर्ष बिकेगी एवं बर्बाद भी नहीं होगी। बतादें कि बहुत सारे डेयरी केंद्र, परचून की दुकान एवं विभिन्न उत्पाद श्रेणियों पर फ्रोजन मटर की माँग रहती है। चाहें तो ई-नाम के माध्यम से सीधे ऑनलाइन मंडी में मटर का उत्पादन को विक्रय किया जा सकता है।