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प्याज की खेती

Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

Fasal ki katai kaise karen: हाथ का इस्तेमाल सबसे बेहतर है फसल की कटाई में

किसान भाईयों, आपने आलू, खीरा और प्याज की फसल पर अपने जानते खूब मेहनत की। फसल भी अपने हिसाब से बेहद ही उम्दा हुई। गुणवत्ता एक नंबर और क्वांटिटी भी जोरदार। लेकिन, आप अभी भी पुराने जमाने के तौर-तरीके से ही अगर फसल निकाल रहे हैं, उसकी कटाई कर रहे हैं तो ठहरें। हो सकता है, आप जिन प्राचीन विधियों का इस्तेमाल करके फसल निकाल रहे हैं, उसकी कटाई कर रहे हैं, वह आपकी फसल को खराब कर दे। संभव है, आप पूरी फसल न ले पाएं। इसलिए, कृषि वैज्ञानिकों ने जो तौर-तरीके बताएं हैं फसल निकालने के, हम आपसे शेयर कर रहे हैं। इस उम्मीद के साथ कि आप पूरी फसल ले सकें, शानदार फसल ले सकें। तो, थोड़ा गौर से पढ़िए इस लेख को और उसी हिसाब से अपनी फसल निकालिए।

प्याज की फसल

Pyaj ki kheti

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प्याज देश भर में बारहों माह इस्तेमाल होने वाली फसल है। इसकी खेती देश भर में होती है। पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक। अब आपका फसल तैयार है। आप उसे निकालना चाहते हैं। आपको क्या करना चाहिए, ये हम बताते हैं। जब आप प्याज की फसल निकालने जाएं तो सदैव इस बात का ध्यान रखें कि प्याज और उसके बल्बों को किसी किस्म का नुकसान न हो। आपको बेहद सावधानी बरतनी पड़ेगी। हड़बड़ाएं नहीं। धैर्य से काम लें। सबसे पहले आप प्याज को छूने के पहले जमीन के ऊपर से खींचे या फिर उसकी खुदाऊ करें। बल्बों के चारों तरफ से मिट्टी को धीरे-धीरे हिलाते चलें। फिर जब मिट्टी हिल जाए तब आप प्याज को नीचे, उसकी जड़ से आराम से निकाल लें। आप जब मिट्टी को हिलाते हैं तब जो जड़ें मिट्टी के संपर्क में रहती हैं, वो धीरे-धीरे मिट्टी से अलग हो जाती हैं। तो, आपको इससे साबुत प्याज मिलता है। प्याज निकालने के बाद उसे यूं ही न छोड़ दें। आपके पास जो भी कमरा या कोठरी खाली हो, उसमें प्याज को सुखा दें। कम से कम एक हफ्ते तक। उसके बाद आप प्याज को प्लास्टिक या जूट की बोरियों में रख कर बाजार में बेच सकते हैं या खुद के इस्तेमाल के लिए रख सकते हैं। प्याज को कभी झटके से नहीं उखाड़ना चाहिए।

आलू

aalu ki kheti आलू देश भर में होता है। इसके कई प्रकार हैं। अधिकांश स्थानों पर आलू दो रंगों में मिलते हैं। सफेद और लाल। एक तीसरा रंग भी हैं। धूसर। मटमैला धूसर रंग। इस किस्म के आलू आपको हर कहीं दिख जाएंगे।

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आपका आलू तैयार हो गया। आप उसे निकालेंगे कैसे। कई लोग खुरपी का इस्तेमाल करते हैं। यह नहीं करना चाहिए क्योंकि अनेक बार आधे से ज्यादा आलू खुरपी से कट जाते हैं। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि इसके लिए बांस सबसे बेहतर है, बशर्ते वह नया हो, हरा हो। इससे आप सबसे पहले तो आलू के चारों तरफ की मिट्टी को ढीली कर दें, फिर अपने हाथ से ही आलू निकालें। आप बांस से आलू निकालने की गलती हरगिज न करें। बांस, सिर्फ मिट्टी को साफ करने, हटाने के लिए है।

नए आलू की कटाई

नए आलू छोटे और बेहद नरम होते हैं। इसमें भी आप बांस वाले फार्मूले का इस्तेमाल कर सकते हैं। आलू, मिट्टी के भीतर, कोई 6 ईंच नीचे होते हैं। इसिलए, इस गहराई तक आपका हाथ और बांस ज्यादा मुफीद तरीके से जा सकता है। बेहतर यही हो कि आप हाथ का इस्तेमाल कर मिट्टी को हटाएं और आलू को निकाल लें।

गाजर

gajar ki kheti गाजर बारहों मास नहीं मिलता है। जनवरी से मार्च तक इनकी आवक होती है। बिजाई के 90 से 100 दिनों के भीतर गाजर तैयार हो जाता है। इसकी कटाई हाथों से सबसे बेहतर होती है। इसे आप ऊपर से पकड़ कर खींच सकते हैं। इसकी जड़ें मिट्टी से जुड़ी होती हैं। बेहतर तो यह होता कि आप पहले हाथ अथवा बांस की सहायता से मिट्टी को ढीली कर देते या हटा देते और उसके बाद गाजर को आसानी से खींच लेते। गाजर को आप जब उखाड़ लेते हैं तो उसके पत्तों को तोड़ कर अलग कर लेते हैं और फिर समस्त गाजर को पानी में बढ़िया से धोकर सुखा लिया जाता है।

खीरा

khira ki kheti खीरा एक ऐसी पौधा है जो बिजाई के 45 से 50 दिनों में ही तैयार हो जाता है। यह लत्तर में होता है। इसकी कटाई के लिए चाकू का इस्तेमाल सबसे बेहतर होता है। खीरा का लत्तर कई बार आपकी हथेलियों को भी नुकसान पहुंचा सकता है। बेहतर यह हो कि आप इसे लत्तर से अलग करने के लिए चाकू का ही इस्तेमाल करें।

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कुल मिलाकर, फरवरी माह या उसके पहले अथवा उसके बाद, अनेक ऐसी फसलें होती हैं जिनकी पैदावार कई बार रिकार्डतोड़ होती है। इनमें से गेहूं और धान को अलग कर दें तो जो सब्जियां हैं, उनकी कटाई में दिमाग का इस्तेमाल बहुत ज्यादा करना पड़ता है। आपको धैर्य बना कर रखना पड़ता है और अत्यंत ही सावधानीपूर्वक तरीके से फसल को जमीन से अलग करना होता है। इसमें आप अगर हड़बड़ा गए तो अच्छी-खासी फसल खराब हो जाएगी। जहां बड़े जोत में ये वेजिटेबल्स उगाई जाती हैं, वहां मजदूर रख कर फसल निकलवानी चाहिए। बेशक मजदूरों को दो पैसे ज्यादा देने होंगे पर फसल भी पूरी की पूरी आएगी, इसे जरूर समझें। कोई जरूरी नहीं कि एक दिन में ही सारी फसल निकल आए। आप उसमें कई दिन ले सकते हैं पर जो भी फसल निकले, वह साबुत निकले। साबुत फसल ही आप खुद भी खाएंगे और अगर आप उसे बाजार अथवा मंडी में बेचेंगे, तो उसकी कीमत आपको शानदार मिलेगी। इसलिए बहुत जरूरी है कि खुद से लग कर और अगर फसल ज्यादा है तो लोगों को लगाकर ही फसलों को बाहर निकालना चाहिए। (देश के जाने-माने कृषि वैज्ञानिकों की राय पर आधारित)
जनवरी माह में प्याज(Onion) बोने की तैयारी, उन्नत किस्मों की जानकारी

जनवरी माह में प्याज(Onion) बोने की तैयारी, उन्नत किस्मों की जानकारी

प्याज की फसल को व्यावसायिक फसल कहते हैं क्योंकि प्याज का इस्तेमाल सब्जी में तड़का लगाने, सलाद बनाने, व औषघि बनाने में किया जाता है। इसके बहुप्रयोगी होने के कारण इसकी मांग विश्व भर में है। इसी वजह से अन्य मौसमी सब्जियों की अपेक्षा प्याज थोड़ा महंगी बिकती है। यदि किसी कारण से फसल खराब हो जाये या भंडारण की स्थिति गड़बड़ा जाये अथवा मौसम खराब हो जाये तो प्याज महंगाई के आंसू भी रुला देती है। प्याज की खेती साल में दो बार की जाती है। एक रबी फसल में बुआई की जाती है और दूसरी खरीफ फसल में उगाई जाती है। आइये जानते हैं प्याज की खेती के बारे में विस्तृत जानकारी। Pyaj ki kheti

Content

  1. कब से शुरू करें तैयारी करना
  2. कैसे तैयार करें नर्सरी
  3. खेत इस प्रकार से तैयार करें
  4. बुआई कैसे करें
  5. प्याज की उन्नत किस्में
  6. सिंचाई की व्यवस्था
  7. खरपतवार नियंत्रण
  8. कीट व रोग नियंत्रण
  9. फसल की खुदाई

प्याज की खेती  (Onion farming)

कब से शुरू करें तैयारी करना

जनवरी में प्याज की बुआई करने के लिए किसान भाइयों को कितने पहले से क्या क्या तैयारियां की जानी चाहिये? उसके बारे में जानने पर पता चला कि जनवरी में प्याज की बुआई के लिए किसान भाइयों को मध्य अक्टूबर से प्याज की नर्सरी तैयार करनी चाहिये, जो सात सप्ताह में तैयार होती है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि प्याज की नर्सरी में अधिक से अधिक पौधों को तैयार करना प्रमुख कार्य होता है और इससे पैदावार अच्छी होती है। ये भी पढ़े: प्याज करेगी मालामाल

कैसे तैयार करें नर्सरी

Pyaj ki buwai रबी की प्याज की फसल के लिए नर्सरी करने लिए दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। भूमि ऐसी होनी चाहिये जहां पर पानी न ठहरता हो। उस खेत को अच्छी तरह से जोत लें और उसमें 40-50 किलो सड़ी गोबर की खाद प्रति वर्गमीटर में डालें और उसमें लगभग तीन ग्राम तक कार्बोफ्यूरान नामक दवा मिला लें तो अच्छा रहेगा। बीज की बुआई के लिए कतारें बना लें। बीज की बुआई करने से पहले उसे कैप्टान या थाइरम से उपचारित कर लें और चार पांच घंटे पहले पानीमें उसे भीगने देंगे तो और भी अच्छा रहेगा। इसके बाद खेत में बनी कतारों में बीज की बुआई करें। बुआई के बाद वर्मी कम्पोस्ट खाद में मिट्टी मिलाकर उसे हल्के से ढक दें तथा नर्सरी को घास-फूस या धान की पुआल से ढक दें। उसके बाद फव्वारे से पानी दें। नर्सरी में जब बीज अंकुरित हो जायें तो ढकने वाली पुआल को हटा दें।

खेत इस प्रकार से तैयार करें

उपजाऊ  दोमट मिट्टी प्याज के लिए सबसे अच्छी बतायी जाती है। यदि किसी भूमि में गंधक की मात्रा कम हो तो उसमें 400 किलो जिप्सम प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयार करते समय बुआई से कम से कम 15 दिन पहले मिलायें। खेत की अच्छी तरह से जुताई करें। जुताई के समय 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद के अलावा 50 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फास्फोरस और 100 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से मिट्टी में अच्छी तरह से मिलाना चाहिये।  इसके बाद 50 किलो नाइट्रोजन रोपाई के एक माह बाद खड़ी फसल में डालें। ये भी पढ़े: प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

बुआई कैसे करें

प्याज की बुआई दो तरीके से की जाती है। एक पौधों की रोपाई होती है और दूसरी कंदों की बुआई की जाती है।

रोपाई विधि

नर्सरी में तैयार किये गये पौधे जब 7 से 9 सप्ताह के हो जायें तो उन्हें खेत में रोप देना चाहिये। रोपाई करते समय पंक्तियों यानी कतारों की दूरी लगभग छह इंच होनी चाहिये और पौधों से पौधों की दूरी चार इंच होनी चाहिये।

कन्दों की बुआई विधि

प्याज के कन्दों की बुआई डेढ़ फुट की दूरी पर 10 सेंटी मीटर की दूरी पर दोनों तरफ की जाती है। इसमें दो सेंटीमीटर से पांच सेंटीमीटर के गोलाई वाले कन्द को चुनना चाहिये। एक हेक्टेयर में 10क्विंटल कंद लगते हैं।

प्याज की उन्नत किस्में

Pyaj ki Unnat kisme किसान भाइयों को प्याज की फसल से अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिउ उन्नत किस्मों का चयन करना चाहिये। किसान भाइयों को चाहिये कि कृषि वैज्ञानिकों द्वारा क्षेत्रवार उन्नत किस्मों की सिफारिश को मानें। कृषि वैज्ञानिकों ने तराई, पर्वतीय और मैदानी क्षेत्र के लिए अलग-अलग उन्नत किस्मों की सिफारिश की है। उसी के हिसाब से किस्मों का चयन करें। लाल रंग की प्याज वाली किस्में: भीमा लाल, हिसार-5, भीमा गहरा लाल, हिसार-2, भीमा सुपर, नासिक लाल,पंजाब लाल,  लाल ग्लोब, पटना लाल, बेलारी लाल, पूसा लाल,  अर्का निकेतन, पूसा रतनार, अर्का प्रगति, अर्का लाइम, और एल- 1,2,4, इत्यादि प्रमुख है भंडार करने वाले सफेद रंग की प्याज की किस्में: इस तरह की प्याज को सुखा कर रखा जाता है। इस तरह के प्याज की उन्नत किस्मों में भीमा शुभ्रा, भीमा श्वेता, प्याज चयन- 131, उदयपुर 102, प्याज चयन- 106, नासिक सफेद, पूसा व्हाइट राउंड,  सफेद ग्लोब,  पूसा व्हाईट फ़्लैट, एन- 247-9 -1  इत्यादि प्रमुख है।

सिंचाई की व्यवस्था

किसान भाइयों को प्याज की फसल लेने के लिए बुआई या रोपाई के 3 या 4 दिन बाद हल्की सिंचाई अवश्य करनी चाहिये ताकि मिट्टी में अच्छी तरह से नमी हो सके। जिससे रोपे गये पौधों की जड़ मजबूत हो सके तथा कंद से अंकुर जल्दी से निकल आयें। इसके बाद प्रत्येक पखवाड़े एक बार सिंचाई अवश्य करनी चाहिये। जब पौधें के सिरे यानी ऊपर की चोटी पीली पड़ने लगे तो सिंचाई बंद कर देनी चाहिये। ये भी पढ़े: प्याज आयात करने की शर्तों में छूट

खरपतवार नियंत्रण

बुआई से पहले रासायनिक इंतजाम करने चाहिये जैसे अंकुर निकलने से पहले प्रति हेक्टेयर डेढ़ से दो किलो तक एलाक्लोर का छिड़काव करे अथवा बुआई से पहले फ्लूक्लोरेलिन का छिड़काव करना चाहिये। वैसे खेत में खरपतवार देखते हुए निराई गुड़ाई करनी चाहिये। आम तौर पर 45 दिन बाद एक बार निराई गुड़ाई अवश्य की जानी चाहिये।

कीट एवं रोग नियंत्रण

Pyaj ke rog प्याज की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप होता है। उनकी रोकथाम अवश्य करनी चाहिये। प्याज में थ्रिप्स पर्णजीवी,तुलासिता, अंगमारी, गुलाबी जड़ सड़न जैसे कीट व रोग का प्रकोप होता है। इसके नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड (Imidacloprid) 17.8 एसएल (S.L.) 0.3-05 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। कीट नियंत्रण न हो तो 15दिन में दुबारा छिड़काव करें। रोगों के नियंत्रण के  लिए मेनकोजेब या जाइनेव का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।

फसल की खुदाई

जब पत्तियां पीली होकर जमीन में गिरने लगें तब प्याज की फसल की खुदाई करनी चाहिये।
रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने वाले किसानों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

महाराष्ट्र भारत में प्याज उत्पादन के मामले में विशिष्ट राज्य है,क्योंकि महाराष्ट्र में प्याज का उत्पादन काफी किया जाता है। बतादें कि वर्ष में तीन बार प्याज की फसल उगाई जाती है। प्रदेश के सोलापुर, नासिक, पुणे, धुले व अहमदनगर जनपद में सर्वाधिक प्याज का उत्पादन होता है। प्रदेश में फिलहाल रबी सीजन के प्याज की पैदावार की तैयारी चालू है। महाराष्ट्र में किसान अधिकतर प्याज की खेती करते हैं। साथ ही, महाराष्ट्र राज्य में देश ही नहीं बल्कि एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक जनपद के लासलगांव में स्थित है। सामान्य रूप से अधिकतर प्रदेशों द्वारा वर्ष में एक ही बार प्याज का उत्पादन किया जाता है। परंतु महाराष्ट्र में ऐसा नहीं है, प्रदेश में एक वर्ष के दौरान रबी सीजन, खरीफ, खरीफ के बाद इस तरह प्याज का तीन बार उत्पादन है।


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महाराष्ट्र राज्य के किसान अधिकतर प्याज का उत्पादन करते हैं और इस पर ही आश्रित रहते हैं हालाँकि सर्वाधिक प्याज उत्पादन रबी सीजन में ही प्राप्त होता है। प्याज के द्वितीय सीजन की बुआई अक्टूबर-नवंबर माह के मध्य में होती है। इसकी फसल जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज का फसल का तीसरा समय रबी सीजन में होता है। रबी सीजन की बुवाई दिसंबर से जनवरी के मध्य होती है, और इसकी फसल की पैदावार मार्च से मई के मध्य ली जाती है। महाराष्ट्र में प्याज की कुल पैदावार का ६० प्रतिशत उत्पादन रबी सीजन के दौरान होता है।

ज्यादातर प्याज की खेती कौन से जिलों में होती है

महाराष्ट्र राज्य के नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा जनपद में ज्यादा खेती होती है। बतादें कि मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में भी प्याज उत्पादन किया जाता है। इसमें भी प्याज उत्पादन के मामले में नासिक जनपद अपनी अलग पहचान रखता है, इसकी मुख्य वजह देश के कुल प्याज उत्पादन का ३७ % महाराष्ट्र राज्य करता है जबकि १० % उत्पादन केवल नासिक जनपद में किया जाता है।


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प्याज उत्पादन के लिए कैसी मिट्टी व भूमि सही होती है

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार प्याज के उत्पादन हेतु कई प्रकार की मिट्टी का उपयोग हो सकता है। प्याज की अच्छी पैदावार लेने के लिए चिकनी, गार, रेतीली, भूरी एवं दोमट मिट्टी का प्रयोग होना चाहिए। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन लेने के लिए भूमि के जल निकासी हेतु अच्छा प्रबंधन होना चाहिए। प्याज उत्पादन से पूर्व जमीन तैयार करने हेतु सर्वप्रथम तीन से चार बार जुताई हो एवं रुड़ी खाद के इस्तेमाल से जैविक तत्वों की मात्रा में बढ़ोत्तरी करें। इसके बाद खेत को छोटे-छोटे भाग में बाँट दें। भूमि की सतह से १५ सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर बुवाई होनी चाहिये। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=JeQ8zGkrOCI&t=34s[/embed]
आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

राजस्थान राज्य के 10,000 किसानों को प्याज की भंडारण इकाई हेतु 50% प्रतिशत अनुदान मतलब 87,500 रुपये के अनुदान का प्रावधान किया गया है। बतादें, कि राज्य में 2,500 प्याज भंडारण इकाई शुरू करने की योजना है। फसलों का समुचित ढंग से भंडारण उतना ही जरूरी है। जितना सही तरीके से उत्पादन करना। क्योंकि बहुत बार फसल कटाई के उपरांत खेतों में पड़ी-पड़ी ही सड़ जाती है। इससे कृषकों को काफी हानि वहन करनी होती है। इस वजह से किसान भाइयों को फसलों की कटाई के उपरांत समुचित प्रबंधन हेतु शीघ्र भंडार गृहों में रवाना कर दिया जाए। हालांकि, यह भंडार घर गांव के आसपास ही निर्मित किए जाते हैं। जहां किसान भाइयों को अपनी फसल का संरक्षण और देखभाल हेतु कुछ भुगतान करना पड़ता है। परंतु, किसान चाहें तो स्वयं के गांव में खुद की भंडारण इकाई भी चालू कर सकते हैं। भंडारण इकाई हेतु सरकार 50% प्रतिशत अनुदान भी प्रदान कर रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राजस्थान सरकार द्वारा प्याज भंडारण हेतु नई योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत प्रदेश के 10,000 किसानों को 2,550 भंडारण इकाई चालू करने हेतु 87.50 करोड़ रुपए की सब्सिड़ी दी जाएगी।

भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए इतना अनुदान मिलेगा

मीडिया खबरों के मुताबिक, किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्याज के भंडारण हेतु सहायतानुदान मुहैय्या कराया जाएगा। इसमें प्याज की भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए प्रति यूनिट 1.75 लाख का खर्चा निर्धारित किया गया है। इसी खर्चे पर लाभार्थी किसानों को 50% फीसद अनुदान प्रदान किया जाएगा। देश का कोई भी किसान अधिकतम 87,500 रुपये का फायदा हांसिल कर सकता है। ज्यादा जानकारी हेतु निजी जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय अथवा राज किसान पोर्टल पर भी विजिट कर सकते हैं। ये भी पढ़े: Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

किस योजना के अंतर्गत मिलेगा लाभ

राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के कृषि बजट 2023-24 के अंतर्गत प्याज की भंडारण इकाइयों पर किसानों को सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। इस कार्य हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1450 भंडारण इकाइयों हेतु 12.25 करोड रुपये मिलाके 34.12 करोड रुपये व्यय करने जा रही है। इसके अतिरिक्त 6100 भंडारण इकाईयों हेतु कृषक कल्याण कोष द्वारा 53.37 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान है। ये भी पढ़े: भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

प्याज की भंडारण इकाई बनाने की क्या जरूरत है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन दिनों जलवायु परिवर्तन से फसलों में बेहद हानि देखने को मिली है। तीव्र बारिश और आंधी के चलते से खेत में खड़ी और कटी हुई फसलें तकरीबन नष्ट हो गई। अब ऐसी स्थिति में सर्वाधिक भंडारण इकाईयों की कमी महसूस होती है। यह भंडारण इकाईयां किसानों की उत्पादन को हानि होने से सुरक्षा करती है। बहुत बार भंडारण इकाइयों की सहायता से किसानों को उत्पादन के अच्छे भाव भी प्राप्त हो जाते हैं। यहां किसान उत्पादन के सस्ता होने पर भंडारण कर सकते हैं। साथ ही, जब बाजार में प्याज के भावों में वृद्धि हो जाए, तब भंडार गृहों से निकाल बेचकर अच्छी आय कर सकते हैं।
गर्मियों के मौसम में ऐसे करें प्याज की खेती, होगा बंपर मुनाफा

गर्मियों के मौसम में ऐसे करें प्याज की खेती, होगा बंपर मुनाफा

देश के कई राज्यों में प्याज की खेती साल में सिर्फ एक बार की जाती है। लेकिन कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां प्याज की खेती साल में तीन बार की जाती है। इसमें महाराष्ट्र का स्थान सबसे ऊपर है। इस राज्य के धुले, अहमदनगर, नासिक, पुणे और शोलापुर जिलों में प्याज का बंपर उत्पादन होता है। यहां पर साल में अमूमन तीन बार प्याज की खेती की जाती है। इसलिए महाराष्ट्र को देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य कहा जाता है। महाराष्ट्र के नाशिक जिले की लासलगांव मंडी को एशिया की सबसे बड़ी प्याज की मंडी का दर्जा प्राप्त है। प्याज का उपयोग ज्यादातर सब्जी के रूप में हर घर में किया जाता है। इसके अलावा थोड़ी बहुत मात्रा में इसका उपयोग दवाई बनाने में भी किया जाता है। प्याज की फसल सामान्यतः 100 से 120 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है। प्याज का बंपर उत्पादन होने के कारण किसान भाई इस खेती से ज्यादा मुनाफा कमाते हैं।

प्याज की खेती के लिए उचित जलवायु और मृदा

प्याज की खेती के लिए ज्यादा तापमान उचित नहीं माना जाता। ऐसे में गर्मियों के मौसम में किसानों को यह सुनिश्चित करना होता है कि खेत का तापमान बहुत ज्यादा न बढ़ने पाए। इसके साथ ही शुष्क जलवायु इस खेती के लिए बेहतर मानी जाती है। अगर प्याज की खेती में मृदा की बात करें तो  उचित जलनिकास एवं जीवांषयुक्त उपजाऊ दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त होती है। प्याज की खेती अत्यंत गीली या दलदली जमीन पर नहीं करना चाहिए। प्याज की खेती के लिए मिट्टी का पी.एच. मान 6.5-7.5 के मध्य होना चाहिए। इसके लिए किसान भाई बुवाई के पहले मृदा परीक्षण अवश्य करवा लें।

प्याज की किस्में

बाजार में प्याज की कुछ किस्में ज्यादा प्रसिद्ध हैं, जिनमें एग्री फाउण्ड डार्क रेड, एन-53 और भीमा सुपर का नाम आता है। एग्री फाउण्ड डार्क रेड किस्म को भारत में कहीं भी आसानी से उगाया जा सकता है। इसके कंद गोलाकार होते हैं, जिनका आकार 4 से 6 सेंटीमीटर बड़ा होता है। इसके साथ ही यह फसल 95-110 दिनों के भीतर तैयार हो जाती है। यह किस्म एक हेक्टेयर में 300 क्विंटल का उत्पादन दे सकती है। ये भी पढ़े: वैज्ञानिकों ने निकाली प्याज़ की नयी क़िस्में, ख़रीफ़ और रबी में उगाएँ एक साथ एन-53 किस्म को भी भारत में कहीं भी उगाया जा सकता है। लेकिन इसकी फसल 140 दिनों में तैयार होती है। साथ ही इस किस्म का उत्पादन 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है। भीमा सुपर एक अलग तरह की प्याज की किस्म है। जिसमें किसानों को उगाने में ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती है। यह किस्म 110-115 दिन में तैयार हो जाती है और इसका उत्पादन भी 250-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होता है।

ऐसे करें भूमि की तैयारी

प्याज की खेती के लिए भूमि को अच्छे से तैयार करना बेहद जरूरी है। इसके लिए कल्टीवेटर या हैरो की मदद से 2 से 3 बार जुताई करें। जुताई के साथ ही खेत में पाटा अवश्य चलाएं, ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और नमी सुरक्षित रहे। भूमि की सतह से 15 से.मी. उंचाई पर 1.2 मीटर का बेड तैयार कर लें। जिस पर प्याज की बुवाई की जाती है।

खाद एवं उर्वरक की मात्रा

प्याज की फसल के लिए खाद एवं उर्वरक का प्रयोग मिट्टी के परीक्षण के आधार पर करना चाहिए। अगर खेत में अधिक पोषक तत्वों की जरूरत हो तो खेत में गोबर की सड़ी खाद 20-25 टन/हेक्टेयर की दर से बुवाई के 1 माह पूर्व डालना चाहिए। इसके अलावा खेत में नत्रजन 100 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर, स्फुर 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा पोटाश 50 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डाल सकते हैं। यदि खेत की गुणवत्ता ज्यादा ही खराब है तो खेत में सल्फर 25 कि.ग्रा.एवं जिंक 5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से डाल सकते हैं। ये भी पढ़े: आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

ऐसे तैयार करें पौध

प्याज की पौध को उठी हुई क्यारियों में तैयार किया जाता है। बोने के पहले बीजों को अच्छे से उपचारित करना चाहिए। प्रति वर्ग मीटर क्षेत्र में 15 से 20 ग्राम बीज बोना चाहिए। इसके लिए 3 वर्ग मीटर की क्यारियां बनाना चाहिए। एक हेक्टेयर भूमि में 8 से 10 किलोग्राम बीज बोया जाता है।

ऐसे करें रोपाई

प्याज की पौध की रोपाई मिट्टी के तैयार किए गए बेड में की जाती है। इसके लिए एक हेक्टेयर क्षेत्र में रोपाई करने के लिए 12 से 15 क्विंटल पौध की जरूरत होती है। पौध की रोपाई कूड़ शैय्या पद्धति से करना चाहिए। इसमें 1.2 मीटर चौड़ा बेड एवं लगभग 30 से.मी. चौड़ी नाली तैयार की जाती हैं। पौध को अंकुरित होने के 45 दिन बाद ही बेड पर लगाना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

प्याज की फसल में खरपतवार से छुटकारा पाने के लिए समय-समय पर निराई गुड़ाई की जरूरत होती है। पूरी फसल के दौरान कम से कम 3 से 4 बार निराई गुड़ाई अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा खरपतवार को नष्ट करने के लिए रासायनिक पदार्थो का उपयोग भी किया जा सकता है। इसके लिए पौध की रोपाई के 3 दिन पश्चात 2.5 से 3.5 लीटर/हेक्टेयर की दर से पैन्डीमैथेलिन का छिड़काव किया जा सकता है। इसे 750 लीटर पानी में घोला चाहिए। इसके अलावा इतने ही पानी में 600-1000 मिली/हेक्टेयर के हिसाब से ऑक्सीफ्लोरोफेन का छिड़काव भी किया जा सकता है। ये भी पढ़े: प्याज की खेती के जरूरी कार्य व रोग नियंत्रण

प्याज की फसल की सिंचाई

प्याज की फसल में सिंचाई बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। अन्यथा फसल तुरंत ही सूख जाएगी। इस फसल में यह ध्यान देने योग्य बात होती है कि जब कंदों का निर्माण हो रहा हो तब खेत में पानी की कमी न रहे। नहीं तो पौध का विकास रुक जाएगा और प्याज का आकार बड़ा नहीं हो पाएगा। ऐसे में उपज प्रभावित हो सकती है। आवश्यकतानुसार 8 से 10 दिन के अंतराल में फसल में पानी देते रहें। यदि खेत में पानी रुकने लगे तो उसकी जल्द से जल्द निकासी की व्यवस्था करना चाहिए। अन्यथा फसल में फफूंदी जनित रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

कंदों की खुदाई

जैसे ही प्याज की पत्तियां सूखने लगती हैं और प्याज की गांठ अपना आकार ले लेती है तो 10-15 दिन पहले सिंचाई बंद कर देना चाहिए। जब खेत पूरी तरह से सूख जाए, उसके बाद पौधों के शीर्ष को पैर की मदद से कुचल देना चाहिए। इससे कंदों की वृद्धि रुक जाती है और कंद ठोस हो जाते हैं। इसके बाद कंदों को खोदकर खेत में ही सुखाना चाहिए। सूखने के बाद प्याज को भरकर भंडारण के लिए भेज देना चाहिए।
प्याज की इस उम्दा किस्म से किसान बेहतरीन पैदावार अर्जित कर सकते हैं

प्याज की इस उम्दा किस्म से किसान बेहतरीन पैदावार अर्जित कर सकते हैं

अगर कृषक भाई अपने खेत में प्याज की उन्नत किस्म एग्रीफॉन्ड डार्क रेड केसर लगाते हैं, तो उन्हें कई गुणा मुनाफा अर्जित होगा। इस लेख में हम आपको बताऐंगे इस प्रजाति की विशेषता एवं अन्य कई अहम जानकारी। हमारे देश के किसान भाइयों की दिलचस्पी अब आधुनिक फसलों की दिशा में तेजी से बढ़ रही है। कुछ किसान तो अपनी पारंपरिक खेती को त्यागकर अन्य फसलों को अपना रहे हैं। आखिर क्यों न अपनाएं आखिरकार इससे किसानों को पहले की तुलना में कहीं ज्यादा मुनाफा प्राप्त हो रहा है। आज हम इस लेख में ऐसी ही एक फसल के बारे में बात करेंगे, जिसे आप अपने खेत में उगाकर लाभ अर्जित कर सकते हैं। दरअसल, जिस फसल की हम बात कर रहे है। वह प्याज की फसल है। आइए जानते हैं खरीफ प्याज की बेहतरीन किस्मों एवं खेती के बेहतर तरीके।

प्याज को रसोई की शान माना जाता है

जैसा कि सब मानते हैं, कि प्याज एक ऐसी सब्जी है, जो कि रसोई की शान मानी जाती है। यह हर घर में बड़ी सुगमता से मिल जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसके बिना खाने का स्वाद ही नहीं आता है। प्याज की खेती भारत के विभिन्न राज्यों में की जाती है, सिर्फ इतना ही नहीं भारत से पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल आदि बहुत सारे देशों में प्याज का निर्यात भी किया जाता है। प्याज की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार की तरफ से अनुदान भी दिया जाता है। इस सब्सिडी से किसानों की लागत कम होती है और मुनाफा भी बढ़ता है। यही वजह है, कि प्याज की खेती किसानों के लिए कम लागत में ज्यादा मुनाफा उठाने का एक शानदार तरीका है।

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प्याज की सर्वोत्तम किस्में और उचित खेती विधि

बुआई का समय प्याज की खेती के लिए मध्य जून एवं मध्य मार्च बेहतर महीने माने जाते हैं।

पनीरी बनाने की विधि क्या होती है

  • पनीरी की रोपाई के लिए 125 किलोग्राम सड़ी हुई खाद (Compost) प्रति मरला (25 वर्ग मीटर) डालकर भूमि को एकसार करें।
  • पनीरी और प्याज लगाए गए क्षेत्र के अनुपात (1:20) के मुताबिक 20 सेमी ऊंचे और 1 से 1.5 मीटर चौड़े ट्रैक निर्मित करें। ध्यान रहे, कि यह अच्छी स्थिति में बोयें हुए होना चाहिए, जिससे कि आपको इससे आगे चलकर कोई परेशानी न हो।
  • बीज को 3 ग्राम थेरम अथवा कैप्टान प्रति किलोग्राम की दर से उपचारित कर 1 से 2 सेमी. 5 सेमी गहरी दूरी पर कतारों में रोपाई करें।
  • बुआई के पश्चात अच्छी तरह सड़ी हुई देशी खाद की हल्की परत से ढक दें और तुरंत फव्वारे के माध्यम से सिंचाई करें।
  • बतादें कि दिन में दो बार सुबह एवं शाम, पौधों की सिंचाई
  • दोपहर में उच्च तापमान से बचाने के लिए बिस्तरों को ढकें।
  • आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 1.5 मीटर चौड़ी क्यारियों को ढकने के लिए उत्तर-दक्षिण दिशा में 1.5 मीटर की ऊंचाई पर घास अथवा बाकी फसल की पत्तियां-तने आदि से अर्जित मल्च का इस्तेमाल करें। एक महीने उपरांत जब पौधे मजबूत हो जाएं तो इन गमलों को हटा दें।

खेती द्वारा केसर प्याज की खेती

  • मार्च माह के बीच में 8 मरला (200 वर्ग मीटर) क्यारियों में 5 किलोग्राम बीज की रोपाई करें।
  • पनीरी को प्रति सप्ताह के अंतराल में दो बार सींचे।
  • जून के आखिर में कंदों को खोदें एवं उन्हें कमरे के तापमान पर खुली टोकरियों में संग्रहित करें।
  • ज्यादा बिक्री लायक उत्पादन प्राप्त करने के लिए 1.5-2.5 सेमी. परिधीय गांठें उपयुक्त होती हैं।

दूरी

  • कम जल निकास वाली भारी मिट्टी में बेहतर उपज के लिए 60 सेमी. चौड़ा और 10 सेमी. ऊँचे बिस्तर का निर्माण करें।
  • अगस्त के बीच में उन पर बल्ब लगाऐं।
  • नवंबर के आखिर तक फसल तैयार हो जाएगी।
  • खेत में पनीरी की खुदाई कर के रोपाई करें।
  • अगस्त माह के प्रथम सप्ताह में 6 से 8 सप्ताह की पौध को खोदकर खेत में रोप देना चाहिए।
  • बेहतरीन उत्पादन के लिए पंक्तियों के मध्य 15 सेमी व पौधों के मध्य 7.5 सेमी की जगह रखें।
  • खेत में पनीरी की रोपाई सदैव शाम के दौरान करें और उसके शीघ्र पश्चात सिंचाई करें। इसके अलावा आवश्यकतानुसार पानी देते रहें।


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प्याज की बेहतरीन किस्में कौन-कौन सी होती हैं

किसान खरीफ प्याज से अच्छी पैदावार अर्जित कर सकते हैं। यदि प्याज के प्रकार की बात की जाए तो एग्रीफाउंड डार्क रेड किस्म से किसान 120 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार सुगमता से अर्जित कर सकते हैं।

प्याज की फसल के लिए विशेष सावधानी बरतनी चाहिए

केसर प्याज की नर्सरी तैयार करने के दौरान खास सावधानी बरतनी पड़ती है। इस दौरान दिन में तापमान काफी ज्यादा रहता है और अचानक बारिश के उपरांत तापमान गिर जाता है। इससे नर्सरी को क्षति होने का भय रहता है। इस वजह से किसानों को सलाह दी जाती है, कि वे नर्सरी लगाने से पूर्व खेत को बेहतर ढ़ंग से तैयार कर लें। जिससे कि पौधा प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ बन सके।
ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

ई-नाम के माध्यम से नेफेड और एनसीसीएफ ने हजारों टन प्याज बेची

नेफेड ने अब तक पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश की कई सारी मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। वहीं, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में वाराणसी, प्रयागराज, कानपुर और लखनऊ जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ एवं राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता फेडरेशन (एनसीसीएफ) ने 30-31 अगस्त को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-नाम के जरिए से 900 टन से ज्यादा प्याज बिक्री की। इसमें अंतर-राज्य लेनदेन के जरिए से 152 टन का व्यापार भी शम्मिलित है। ई-नाम प्लेटफॉर्म के जरिए से प्याज की बिक्री महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में व्यापारियों के विरोध पर सरकार की त्वरित प्रतिक्रिया थी। जहां उन्होंने प्याज पर लगाए गए 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क के विरोध में नीलामी रोक दी थी। जवाब में, सरकार ने नेफेड और एनसीसीएफ दोनों को प्याज भंडारण जारी करने के लिए वैकल्पिक रास्ते तलाशने का निर्देश दिया था। इस बिक्री का उद्देश्य, प्याज के भाव को न बढ़ने देना था। हालांकि, सरकार के इन प्रयासों से प्याज किसानों को काफी हानि हुई थी। परंतु, सरकार ने किसानों को दरकिनार कर केवल उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखा। सरकार नहीं चाहती थी, कि टमाटर के पश्चात अब प्याज की भी महंगाई बढ़े। साथ ही, इसको लेकर कोई हंगामा हो, क्योंकि उसे शीघ्र ही चुनाव का सामना करना है।

ई-नाम के माध्यम से बिक्री बढ़ने की संभावना

नेफेड जिसने ई-नाम के जरिए से प्याज की बिक्री चालू की थी। महाराष्ट्र के लासलगांव से भौतिक स्टॉक लेने के पश्चात एक राज्य के भीतर ही 5,08.11 टन बेचने में सक्षम रहा। राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (एनसीसीएफ) ने राज्य के भीतर मंडी एवं अंतर-राज्य लेनदेन दोनों का इस्तेमाल किया। लासलगांव मंडी महाराष्ट्र के नासिक में मौजूद है। यह दावा किया जाता है, कि यह एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी है। ये भी पढ़े: आखिर किस वजह से प्याज की कीमतों में आई रिकॉर्ड तोड़ गिरावट सूत्रों का कहना है, कि दोनों एजेंसियों को ई-नाम के जरिए से बिक्री बढ़ने की संभावना है। यदि नीलामी के दौरान ज्यादा व्यापारियों को मंच पर लाया जाए और उन्हें गुणवत्ता एवं लॉजिस्टिक मुद्दों के विषय में समझाया जाए तो ऐसा हो सकता है। सरकार ने पूर्व में ही ई-नाम पोर्टल पर कृषि क्षेत्र में लॉजिस्टिक मूल्य श्रृंखला की सुविधा प्रदान कर दी है।

किसान किस वजह से हुए काफी नाराज

केंद्र सरकार ने 17 अगस्त को प्याज के एक्सपोर्ट पर 40 प्रतिशत ड्यूटी लगा दी थी। इसके विरोध में किसानों एवं व्यापारियों ने लासलगांव और पिंपलगांव जैसी मंडियों में हड़ताल करवाकर उसे बंद करवा डाला था। किसानों की नाराजगी को कम करने के लिए सरकार ने 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज खरीदने का निर्णय लिया था। परंतु, आम किसानों को इससे कोई विशेष लाभ नहीं मिला। उधर, सरकार द्वारा पहले से निर्मित किए गए 3 लाख टन के बफर स्टॉक से बाजार में प्याज उतारने का निर्णय किया। उसके बाद 2 लाख टन और खरीद का निर्णय लिया गया। उससे पहले एनसीसीएफ ने तकरीबन 21,000 टन और नेफेड ने तकरीबन 15,000 टन प्याज बेच दिया था। केंद्र ने 11 अगस्त को घोषणा की कि वह उन राज्यों अथवा क्षेत्रों के प्रमुख बाजारों को टारगेट करके बफर स्टॉक से खुले बाजार में प्याज जारी करेगा। जहां खुदरा कीमतें काफी ज्यादा हैं।

नेफेड इन बाजारों में उतारेगा प्याज

आधिकारिक सूत्रों का कहना है, कि नेफेड ने अब तक हरियाणा, पंजाब एवं हिमाचल प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 3,000 टन से ज्यादा प्याज भेजा है। साथ ही, उत्तर प्रदेश की मंडियों में बिक्री शुरू करने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय से स्वीकृति मांगी है। सूत्रों का कहना है, कि उत्तर प्रदेश में लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज एवं कानपुर जैसे प्रमुख शहरों को शुरुआत में कवर किए जाने की संभावना है। उसके पश्चात प्रतिक्रिया के आधार पर अन्य स्थानों को भी शम्मिलित किया जा सकता है।
उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

जानिए एक महीने में कितने कम हो गए प्याज-टमाटर के दाम

आपने सुना होगा "आसमान से गिरे खजूर में अटके"…. लेकिन प्याज-टमाटर के मामले में "खेत में टूटे..मंडी में पिचके" वाली बात साबित हो रही है… जी हां, प्याज-टमाटर की कीमतों में आई गिरावट के बारे में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की जानकारी कहती है कि
मानसूनी बारिश के कारण मंडियों में आवक बढ़ी है। इससे औसत खुदरा मूल्य में पिछले महीने की तुलना में 29 फीसदी गिरावट आई है। मंत्रालय के अनुसार प्याज की खुदरा कीमत भी पिछले साल के मुकाबले 9 प्रतिशत कम यानी काफी हद तक नियंत्रण में है। आम आदमी की बात करें तो पिछले दिनों टमाटर के भाव जहां सुर्ख रहे तो वहीं प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहीं। अंतर की बात करें तो टमाटर की खुदरा कीमत में पिछले माह के मुकाबले 29 जबकि प्याज के दाम में 9 फीसदी तक की कमी आई।

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उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार टमाटर के अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य पिछले महीने की तुलना में 29 प्रतिशत कम हुए। मंत्रालय के आंकड़े कहते हैं कि, टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य मंगलवार को 37.35 रुपए प्रति किलोग्राम था। एक महीने पहले की समान अवधि में टमाटर की कीमत 52.5 रुपए प्रति किलोग्राम थी। बीते दिनों टमाटर के दाम (Tomato Price) में बढ़त के कारण आम जनता को खासी परेशानी हुई थी। टमाटर के मुकाबले हालांकि प्याज की कीमतें (Onion Price) नियंत्रण में रहीं।

बफर स्टॉक का सहारा -

भविष्य में भी प्याज की कीमत पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम के बारे में भी जानकारी दी गई है। मंत्रालय ने बताया है कि, सरकार ने चालू वर्ष में प्याज के 2.50 लाख टन भंडारण की व्यवस्था की है। ये भी पढ़े: अत्यधिक गर्मी से खराब हो रहे हैं आलू और प्याज, तो अपनाएं ये तरीके आज यह अभी तक का सबसे अधिक खरीदा गया प्याज का बफर स्टॉक है। मंत्रालय का कहना है कि बफर की खरीद ने कृषि मंत्रालय द्वारा 317.03 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इस साल, प्याज के मंडी दाम को टूटने से बचाने में मदद प्रदान की है। बताया गया है कि, अगस्त-दिसंबर के दौरान कीमतों की तेजी को कम करने के लिए प्याज का बफर स्टॉक सुनियोजित तरीके से जारी किया जाएगा। इस संग्रह को लक्षित खुले बाजार में बिक्री के माध्यम से रिलीज़ किया जाएगा। इसे खुदरा दुकानों के माध्यम से आपूर्ति के लिए राज्यों और सरकारी एजेंसियों को प्रदान किया जाएगा। खुले बाजार में जारी करने के लिए उन राज्यों/शहरों को लक्षित किया जाएगा, जहां कीमत पिछले महीने की तुलना में बढ़ रही है।
नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नववर्ष के जनवरी माह में करें इन सब्जियों का उत्पादन मिलेगा बेहतरीन मुनाफा

नया साल आ गया है, नए साल के आरंभ में फसलों का चयन उस हिसाब से करना अच्छा होगा जिससे आपको आगामी कुछ माह के अंतराल में ही अच्छा खासा मुनाफा हो सके। नववर्ष के जनवरी माह में किसान उन फसलों को उगाएं, जिनसे किसानों को होली आने तक बेहतरीन लाभ अर्जित हो सके। नए साल के समय में खेतीबाड़ी या कृषि के क्षेत्र में इस वर्ष काफी कुछ अच्छा, नवीन एवं अलग होना है। किसानों की आशाएं नए साल सहित एक बार पुनः जाग्रत हो गई हैं। फसलों से अच्छी पैदावार लेने हेतु किसान निरंतर कोशिशों में जुटे हुए हैं। फिलहाल, बहुत सारे किसानों द्वारा खेतों में सरसों, गेंहू, तोरिया एवं सब्जी फसलों का उत्पादन करना शुरू किया है। अगर आपने अभी ऐसी सब्जियों की बुवाई नहीं की है, तो आप मौसम के अनुरूप कुछ विशेष सब्जियों का चयन करके 2 से 3 माह में बेहतरीन उत्पादन कर सकते हैं। हम आपको आगे यह बताने वाले हैं, कि जनवरी के मौसम में किन सब्जियों का उत्पादन करना चाहिए। किसानों को उन फसलों का उत्पादन करें जिनसे उनको बेहतरीन मुनाफा अर्जित हो सके।

टमाटर का उत्पादन करें

ये बात जग जाहिर है, कि टमाटर की सब्जी बारह महीने चलने वाली फसल है, जिसका उत्पादन प्रत्येक सीजन में किया जा सकता है। सर्दियों के मौसम में भी टमाटर की फसल का उत्पादन किया जा जा सकता है। परंतु फसल को अत्यधिक ठंड-शर्द हवाओं से संरक्षित करना होगा, आप चाहें तो खेत के एक भाग में टमाटर का पौधरोपण कर सकते हैं। बेहतरीन एवं सुरक्षित उत्पादन हेतु पॉलीहाउस अथवा ग्रीन हाउस के भीतर भी टमाटर की फसल उगा सकते हैं। एक बार बुवाई अथवा पौध की रोपाई के उपरांत 10 दिन के अंतराल में एक बार सिंचाई करनी बेहद जरूरी होगी। टमाटर की बेहतरीन किस्मों से कृषि की जा रही है तो निश्चित रूप से आपको होली तक टमाटर का अच्छा उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मिर्च का उत्पादन करें

सर्दी हो अथवा गर्मी, प्रत्येक मौसम में मिर्च को अत्यधिक उपभोग में लिया जाता है। आपको यह बतादें, कि सर्दियों के मौसम में मिर्च का उपभोग काफी बढ़ जाता है। इस वजह से जनवरी माह में मिर्च का उत्पादन करना अच्छा होगा। अगर नवंबर माह के अंदर आपने मिर्च की नर्सरी को तैयार किया हो, तो इन पौधों को खेत के किनारे मेड़ों पर भी उगा सकते हैं।


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इस मिर्च का प्रयोग खाने से ज्यादा सुरक्षा उत्पादों में किया जाता है।
लेकिन याद रहे कि पौधों के मध्य में 18 से 24 इंच की दूरी अवश्य हो। सर्दियों में मिर्च की फसल में अधिक पानी देने की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। इस वजह से 10 से 15 दिन के अंतराल में हल्का सा जल जरूर दें, जिससे 60 से 90 दिनों के भीतर बेहतरीन उत्पादन हाँसिल हो सके।

प्याज का उत्पादन करें

सर्द जलवायु में प्याज से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है, कि 17 जनवरी तक प्याज के पौधों का रोपण कर सकते हैं। अगर प्याज की बाजार में मांग के बारे में बात करें तो लाल प्याज सहित हरे प्याज की भी अच्छी खासी मांग रहती है। प्याज की खेती से बेहतरीन उत्पादन हेतु खेतों में पहले उर्वरक डाल क्यारियां तैयार करें।


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इसके उपरांत 10 से 20 सेमी की दूरी पर प्याज का पौधरोपण की कर दें। आपको बतादें कि प्याज की बुवाई या रोपाई हेतु सबसे अच्छा समय शाम का माना जाता है। प्याज में हल्की सिंचाई करने से फसल में नमी बनी रहती है।

कंद सब्जियों का उत्पादन करें

ठंड के मौसम को कंद सब्जियों का भी मौसम माना जाता हैं, आलू से लेकर अदरक, हल्दी, शकरकंद, गाजर, मूली आदि का उत्पादन किया जाता है। यह समस्त फसलें 60 से 90 दिन में पूरी तरह उपभोग हेतु तैयार हो जाती हैं। यह भूमि में उत्पादन करने वाली सब्जियां हैं, इस वजह से मृदा में सामान्य नमी का होना जरुरी है। जिन खेतों में जलभराव हो वहाँ कंद सब्जियां ना उगाएं, इसकी वजह से उत्पादन में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती है। इन बागवानी सब्जियों की अप्रैल माह तक बाजार में खरीद बनी रहती है।

हरी पत्तेदार सब्जियां उगाएँ

सर्दियों की प्रसिद्ध हरी सब्जियां पालक, मेथी, धनिया, बथुआ एवं सरसों का साग अत्यधिक मांग में रहता है। एक बार खेतों में इन सब्जियों का उत्पादन करके प्रथम कटाई के उपरांत हर 15 दिन के अंतराल में 3 से 4 बार कटाई ली जा सकती है। हरी पत्तेदार सब्जियों में आयरन की बहुत अच्छी मात्रा पायी जाती है। बहुत सारे लोग इन सब्जियों को सुखाकर वर्षभर उपयोग करते हैं, जिन्हें ड्राई वेजिटेबल्स भी कहा जाता है। अगर आप जनवरी माह में इन सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं, तो मार्च माह तक आपको खूब उत्पादन प्राप्त हो जाएगा।

मटर के उत्पादन से होंगे यह लाभ

मटर का उत्पादन सर्दियों के मौसम में किया जाता है, परंतु इससे किसान मात्र एक बार की खेती से वर्ष भर लाभ उठा सकते हैं। जनवरी में मटर की बुवाई कर एकसाथ उत्पादन लेकर इसकी प्रोसेसिंग करें एवं इसको फ्रोजन मटर का रूप दें। इस तरह आपकी उपज पूरे वर्ष बिकेगी एवं बर्बाद भी नहीं होगी। बतादें कि बहुत सारे डेयरी केंद्र, परचून की दुकान एवं विभिन्न उत्पाद श्रेणियों पर फ्रोजन मटर की माँग रहती है। चाहें तो ई-नाम के माध्यम से सीधे ऑनलाइन मंडी में मटर का उत्पादन को विक्रय किया जा सकता है।
रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने से संबंधित विस्तृत जानकारी

रबी सीजन में प्याज उत्पादन करने से संबंधित विस्तृत जानकारी

महाराष्ट्र भारत का प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य है। यहां बड़े स्तर पर प्याज का उत्पादन किया जाता है। यहां वर्ष में तीन बार प्याज की खेती होती है। राज्य में नासिक, पुणे, सोलापुर, धुले और अहमदनगर को प्याज उत्पादन का गढ़ माना जाता है। महाराष्ट्र में इस वक्त रबी सीजन के प्याज की रोपाई चालू हो चुकी है। राज्य में किसान सर्वाधिक प्याज की खेती करते है और यहां एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी नासिक के लासलगांव में ही है।

सामान्य तौर पर विभिन्न राज्यो में वार्षिक तौर पर एक ही बार प्याज की खेती की जाती है। परंतु, महाराष्ट्र में ऐसा कुछ नहीं है। प्रदेश में एक वर्ष के दौरान इसकी तीन फसल हांसिल की जाती हैं। यहां खरीफ, खरीफ के बाद तथा रबी सीजन में इसका उत्पादन होता है। महाराष्ट्र में प्याज एक नकदी फसल हैं। यहां के अधिकांश किसान इसकी खेती पर ही आश्रित रहते हैं। रबी सीजन में ही किसान को सर्वाधिक प्याज का उत्पादन मिलता है। 

प्याज के दूसरे सीजन की बिजाई कब की जाती है ?

प्याज के द्वितीय सीजन की बिजाई अक्टूबर-नवंबर के माह में की जाती है, जो कि इस वक्त राज्य में रोपाई चल रही है। यह जनवरी से मार्च के मध्य तैयार हो जाती है। प्याज की तीसरी फसल रबी फसल है, इसमें दिसंबर-जनवरी में बिजाई होती है। वहीं, फसल की कटाई मार्च से लगाकर मई तक होती है। राज्य के समकुल प्याज उत्पादन का 60 प्रतिशत रबी सीजन में ही होता है।

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महाराष्ट्र के इन जनपदों में काफी ज्यादा प्याज का उत्पादन होता है 

महाराष्ट्र के जलगाँव, धुले, अहमदनगर, सतारा, नासिक, पुणे और सोलापुर इन जनपदों में सबसे ज्यादा प्याज की खेती होती है। वहीं, मराठवाड़ा के कुछ जनपदों में कृषक इसकी खेती करते हैं। नासिक जनपद ना केवल महाराष्ट्र में बल्कि संपूर्ण भारत में प्याज उगाने के लिए मशहूर है। भारत में समकुल उत्पादन में से महाराष्ट्र में 37% फीसद प्याज उत्पादन होता है और प्रदेश में 10% फीसद उत्पादन सिर्फ नासिक जनपद में किया जाता है।

प्याज की खेती के लिए कैसी मृदा होनी चाहिए ?

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, प्याज की खेती विभिन्न प्रकार की मृदा में की जा सकती है। लेकिन, चिकनी, रेतीली, दोमट, गार और भूरी मिट्टी जैसी मृदा में शानदार उपज मिलती है। प्याज की खेती में ज्यादा पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में जल निकासी की बेहतरीन सुविधा होनी चाहिए।

जमीन किस तरह की होनी चाहिए ?

प्याज की खेती करने से पूर्व भूमि तैयार करने के लिए सबसे पहले तीन से चार बार जुताई करनी चाहिए। साथ ही, मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए रुड़ी खाद डालें। इसके पश्चात खेत को छोटे-छोटे प्लॉट में विभाजित कर दें। भूमि को सतह से 15 सेमी उंचाई पर 1.2 मीटर चौड़ी पट्टी पर रोपाई की जाती है।

उर्वरकों का कितना उपयोग करना चाहिए ?

प्याज की फसल को ज्यादा मात्रा में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। प्याज की फसल में खाद एवं उर्वरक का उपयोग मृदा परीक्षण के आधार पर किया जाना चाहिए। गोबर की सड़ी खाद प्रति हेक्टेयर 20-25 टन की दर से रोपाई से एक-दो माह पूर्व खेत में डालनी चाहिए। 

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प्याज की शानदार किस्में छटाई का समय

भीमा श्वेता: सफेद प्याज की यह किस्म रबी मौसम के लिए पूर्व से ही अनुमोदित मानी जाती है, ये किस्म खरीफ में औसत उपज 18-20 टन जबकि रबी में ये 26-30 टन तक पैदावार देती है।  भीमा सुपर: खरीफ मौसम में इस लाल प्याज किस्म की पैदावार करने के लिए पहचान की गयी है। 

इसे खरीफ सीजन में पछेती फसल के तौर पर भी उगा सकते हैं। ये किस्म 95-100 दिन के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। इसका उत्पादन तकरीबन 20-22 टन प्रति हेक्टेयर तक है।  प्याज की छटाई करने के सही समय की बात करें तो खेतों से प्याज निकालने का समुचित समय तब होता है जब पौधे में नमी समाप्त हो जाती है एवं उसकी गांठ तकरीबन अपने आप ऊपर आने लग जाती है।