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फूलगोभी

मौसम की बेरुखी ने भारत के इन किसानों की छीनी मुस्कान

मौसम की बेरुखी ने भारत के इन किसानों की छीनी मुस्कान

बरसात की वजह से ओडिशा में फसलों को काफी क्षति का सामना करना पड़ा है। इस कारण से बहुत सारी सब्जियों की कीमत काफी कम हो गई हैं। खराब मौसम के चलते किसानों की चिंता ज्यों की त्यों बनी हुई है। बीते कई दिनों में भारत में मौसम ने अपना अलग-अलग मिजाज दिखाया है। बहुत सारे क्षेत्र कड़ाके की सर्दी की मार सहन कर रहे हैं तो बहुत सारे क्षेत्रों में बारिश के चलते फसल बर्बाद हो रही है।

ओडिशा के सुंदरगढ़ में बहुत दिनों से मौसम खराब था। नतीजतन बागवानी फसलों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इसकी वजह से किसानों की परेशानी भी बेहद बढ़ी है। खराब मौसम की वजह से टमाटर, पत्ता गोभी व फूल गोभी सहित बहुत सारी अन्य फसलें भी प्रभावित हुई हैं। इसकी मुख्य वजह किसान समय से पहले ही फसल की कटाई करने पर विवश हैं। इसके साथ - साथ किसान इन फसलों को कम भाव पर भी बेच रहे हैं।

इस वजह से हुई फसलों को हानि 

कई मीडिया एजेंसियों के मुताबिक, खराब मौसम और प्रचंड बारिश के चलते फसलों को बेहद क्षति पहुँची है। इस वजह से बहुत सारे स्थानों पर पूर्णतय कटने को तैयार खड़ी फसल भी बर्बाद हो गई है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो सबसे ज्यादा हानि टमाटर की फसल को पहुंची है। बरसात के चलते टमाटर की फसल खराब होने लगी है। वहीँ, गोभी की फसल भी काफी हद तक खराब हो चुकी है।

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विवश होकर किसान समय से पहले कटाई करने पर मजबूर 

किसानों का जीवन अनेकों समस्याओं और मुश्किलों से भरा हुआ होता है। अब ऐसे में मौसम की बेरुखी से परेशान किसानों की बची हुई फसल भी काफी कम  कीमतों पर बिक रही है। किसानों को यह डर भी काफी सता रहा है, कि कहीं बची हुई शेष फसल भी बर्बाद ना हो जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसान अपनी टमाटर की फसल को 10 रुपये किलो के भाव पर बेचने को विवश हैं। साथ ही, गोभी का मूल्य भी 15 रुपये किलो पर आ गया है। 

बहुत सारे किसानों की तो गोभी की फसल कम कीमत पर भी नहीं बिक पा रही है। इसके अतिरिक्त भिंडी, लौकी, करेला सहित अन्य फसलों में भी मौसम का असर देखने को मिला है। जिसकी वजह से किसान भाई निश्चित समय से पूर्व ही फसलों की कटाई कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फसलों के दामों में काफी ज्यादा कमी आई है। टमाटर की कीमतें 10 रुपये से लेकर 20 रुपये के मध्य हैं। वहीँ, फूलगोभी की कीमत भी लगभग 50 रुपये से गिरकर 15 रुपये से 20 रुपये के आसपास पहुंच गईं हैं।

इस तरीके से रंगीन फूल गोभी की खेती कर बेहतरीन आय कर सकते हैं

इस तरीके से रंगीन फूल गोभी की खेती कर बेहतरीन आय कर सकते हैं

रंगीन फूलगोभियां दिखने में बेहद ही सुंदर और आकर्षक होती हैं। वहीं, इसके साथ-साथ यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छी होती हैं। आज के इस वैज्ञानिक युग में हर चीजें आसान नजर आती हैं। विज्ञान ने सब कुछ करके रख दिया है। यहां पर कोई भी असंभव चीज भी संभव नजर आती है। अब चाहे वह खेती-किसानी से संबंधित चीज ही क्यों ना हों। बाजार के अंदर विभिन्न तरह की रंग बिरंगी फूल गोभियां आ गई हैं। दरअसल, आज हम आपको इस रंग बिरंगी फूल गोभियों की खेती के विषय में जानकारी देने जा रहे हैं। ताकि आप अपने खेत में सफेद फूल गोभी के साथ-साथ रंगीन फूल गोभी का भी उत्पादन कर सकें। बाजार में इन गोभियों की मांग दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है। ऐसी स्थिति में आप इनको बाजार में बेचकर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। रंगीन फूलगोभियां किसानों को काफी मुनाफा प्रदान करती हैं।

रंगीन फूल गोभी की खेती

भारत के कृषि वैज्ञानिकों ने रंगीन फूल गोभी की नवीन किस्म की खोज की है। यह गोभियां हरी, नीली, पीली एवं नारंगी रंग की होती हैं। इन विभिन्न तरह के रंगों की गोभी का सेवन करने से लोगों को बीमारियों से छुटकारा भी मिल रहा है। इसकी खेती किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। आपको इसके लिए पर्याप्त सिंचाई की आवश्यकता होती है। भारतीय बाजार में इन गोभियों की मांग बढ़ती जा रही है। इससे किसान भी इसका उत्पादन कर काफी मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।

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रंगीन फूलगोभी की बिजाई

भारत में रंगीन फूलगोभी की अत्यधिक पैदावार झारखंड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में होती है। इसकी खेती करने का सबसे उपयुक्त समय शर्दियों का होता है। आप इसकी नर्सरी सितंबर एवं अक्टूबर में लगा सकते हैं। साथ ही, खेत की तैयारी के उपरांत इसे 20 से 30 दिन पश्चात खेतों में लगा सकते हैं। इसकी शानदार पैदावार के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान उपयुक्त माना गया है। वहीं, खेती की मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 के बीच रहना चाहिए। किसानों को

रंगीन फूलगोभी की खेती से कितनी आय अर्जित होती है

यह रंग-बिरंगी गोभियां खेतों में बिजाई के पश्चात 100 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। किसान भाई रंगीन फूल गोभी का एक एकड़ में उत्पादन कर 400 से 500 क्विंटल तक का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में लोग इस रंग को देखते ही बड़े जोर शोर से इसकी खरीदारी कर रहे हैं। साधारण गोभी की बाजार का बाजार में भाव 20 से 25 रुपये होता है। तो उधर इन रंग बिरंगी गोभियों की कीमत 40 से 45 रुपये तक की होती है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इसकी खेती कर काफी शानदार मुनाफा कमा सकते हैं।
फूल गोभी की इन उन्नत किस्मों को उगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

फूल गोभी की इन उन्नत किस्मों को उगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

किसान भाई फूलगोभी की उन्नत किस्मों के माध्यम से किसी भी सीजन में बेहतरीन उत्पादन हांसिल कर सकते हैं। किसानों को इसकी खेती करने पर काफी अच्छी-खासी पैदावार अर्जित प्राप्त हो सकती है। 

बतादें, कि अच्छे उत्पादन के लिए जैविक खाद और खेत से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए। फूलगोभी की खेती के माध्यम से किसान कम समय में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

शायद आपको जानकारी हो कि फूलगोभी की खेती किसान किसी भी सीजन में कर सकते हैं। साथ ही, लोगों के द्वारा फूल गोभी का उपयोग सब्जी, सूप एवं अचार इत्यादि तैयार करने के लिए किया जाता है। 

क्योंकि इस सब्जी के अंदर विटामिन-बी की मात्रा के साथ प्रोटीन भी बाकी सब्जियों से कई गुना ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। इसी वजह से बाजार के अंदर इसकी मांग हमेशा बनी रहती है। 

वर्तमान में दिल्ली में फूल गोभी की कीमत 60 से 100 रुपये प्रति किलो तक है। साथ ही, फूलगोभी की खेती के लिए ठंडी एवं आर्द्र जलवायु जरूरी होती है। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि फूलगोभी की फसल में रोग लगने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। इसके संरक्षण के लिए बीजों की बुवाई से पूर्व ही कृषि वैज्ञानिकों द्वारा अनुशंसित फफूंदनाशक से शोधन अवश्य करें।

फूलगोभी की अगेती, पिछेती और मध्यम किस्में

आईसीएआर, पूसा के वैज्ञानिकों ने किसानों को फूलगोभी की खेती से किसी भी सीजन में अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कुछ बेहतरीन किस्मों को विकसित किया है, जिनमें पूसा अश्विनी, पूसा मेघना, पूसा कार्तिक और पूसा कार्तिक शंकर आदि शामिल हैं।

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वहीं, फूल गोभी की अन्य अगेती किस्मों में - पूसा दिपाली, अर्ली कुवारी, अर्ली पटना, पन्त गोभी- 2, पन्त गोभी- 3, पूसा कार्तिक, पूसा अर्ली सेन्थेटिक, पटना अगेती, सेलेक्सन 327 और सेलेक्सन 328 आदि शम्मिलित हैं। 

इसके अतिरिक्त फूलगोभी की पछेती किस्मों में- पूसा स्नोबाल-1, पूसा स्नोबाल-2, पूसा स्नोबॉल-16 आदि शम्मिलित हैं। फूलगोभी की मध्यम किस्मों में - पूसा सिंथेटिक, पंत सुभ्रा, पूसा सुभ्रा, पूसा अगहनी उयर पूसा स्नोबॉल आदि शम्मिलित हैं।

फूल गोभी की खेती के लिए आवश्यक बातें इस प्रकार हैं

  • फूलगोभी की खेती के लिए आपको पहले खेत को समतल बनाएं, ताकि मिट्टी जुताई योग्य बन जाए।
  • फिर आप जुताई दो बार मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
  • इसके बाद खेत में दो बार कल्टीवेटर चलाएं।
  • प्रत्येक जुताई के उपरांत पाटा जरूर लगाएं।
  • मिट्टी का PH मान 5.5 से 7 के बीच होना चाहिए।
  • फूल गोभी की खेती के लिए बेहतरीन जल निकासी वाली बलुई दोमट मृदा और चिकनी दोमट मृदा उपयुक्त मानी जाती है।
  • बतादें, कि जिस मृदा में जैविक खाद की मात्रा ज्यादा हो वह फूलगोभी की पैदावार के लिए बेहद अच्छी होती है।

किसान भाई महीनों के अनुरूप सब्जी उगाकर तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं ?

किसान भाई महीनों के अनुरूप सब्जी उगाकर तगड़ा मुनाफा कमा सकते हैं ?

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां के ग्रामीण क्षेत्रों की 70% फीसदी से ज्यादा आबादी कृषि व कृषि संबधी कार्यों से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है। हम लोग खेती-किसानी का कार्य हम जितना सहज समझते हैं, वास्तविकता में यह उतना ज्यादा आसान नहीं है। 

दरअसल, खेती में भी कृषकों को जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। कृषि क्षेत्र के अंदर सर्वाधिक जोखिम फसल को लेकर है। अगर उचित समय पर फसल की बुवाई कर दी जाए तो पैदावार शानदार हांसिल हो सकती है। 

वहीं अगर समय का प्रतिकूल चुनाव किया गया तो कोई सी भी फसल बोई जाए उत्पादन बहुत कम हांसिल होता है। परिणामस्वरूप, किसानों की आमदनी में भी गिरावट आ जाती है। 

किसानों को प्रत्येक फसल की शानदार उपज प्राप्त हो सके इसके लिए हम आपको बताएंगे कि आप किस महीने में कौन-सी सब्जी की बुवाई करें। जिससे आपको ज्यादा उपज के साथ ही बेहतरीन लाभ हांसिल हो सके। माहवार सब्जी की खेती कृषकों के लिए सदैव लाभ का सौदा रही है। 

किसान भाई जनवरी के महीने में इन फसलों को उगाएं

किसान भाइयों को वर्ष के प्रथम महीने जनवरी में किसान भाईयों को मूली, पालक, बैंगन, चप्पन कद्दू, राजमा और शिमला मिर्च की उन्नत किस्मों की बुवाई करनी चाहिए। 

किसान भाई फरवरी के महीने में इन फसलों को उगाएं

फरवरी के महीने में राजमा, शिमला मिर्च, खीरा-ककड़ी, लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, फूलगोभी, बैंगन, भिण्डी, अरबी, ग्वार बोना ज्यादा लाभदायक होता है। 

किसान भाई मार्च के महीने में इन फसलों को उगाएं

किसान भाइयों को मार्च के महीने में लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजा, तरबूज, पालक, भिंडी, अरबी, ग्वार, खीरा-ककड़ी, लोबिया और करेला की खेती करने से लाभ हांसिल हो सकता है। 

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किसान भाई अप्रैल के महीने में इन फसलों को उगाएं  

किसान भाई अप्रैल के महीने में चौलाई, मूली की बुवाई कर सकते हैं। 

किसान भाई मई के महीने में इन फसलों को उगाएं  

किसान भाई मई के महीने में मूली, मिर्च, फूलगोभी, बैंगन और प्याज की खेती से शानदार पैदावार अर्जित कर सकते हैं। 

किसान भाई जून के महीने में इन फसलों को उगाएं  

कृषक जून के महीने में किसानों को करेला, लौकी, तुरई, पेठा, बीन, भिण्डी, टमाटर, प्याज, चौलाई, शरीफा, फूलगोभी, खीरा-ककड़ी और लोबिया आदि की बुवाई करनी चाहिए।

किसान भाई जुलाई के महीने में इन फसलों को उगाएं  

किसान भाई जुलाई के महीने में खीरा-ककड़ी-लोबिया, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, भिंडी, टमाटर, चौलाई, मूली की फसल लगाना ज्यादा मुनाफादायक रहता है।

किसान भाई अगस्त के महीने में इन फसलों को उगाएं  

किसान भाई अगस्त के महीने में बीन, टमाटर, काली सरसों के बीज, पालक, धनिया, ब्रसल्स स्प्राउट, चौलाई, गाजर, शलगम और फूलगोभी की बुवाई करना अच्छा रहता है।

किसान भाई सितंबर के महीने में इन फसलों को उगाएं  

किसान भाई सितंबर के महीने में आलू, टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, धनिया, सौंफ के बीज, सलाद, ब्रोकोली, गाजर, शलगम और फूलगोभी की खेती से शानदार उपज प्राप्त हो सकती है।

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किसान भाई अक्टूबर के महीने में इन फसलों को उगाएं 

किसान भाई अक्टूबर के महीने में काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, धनिया, सौंफ के बीज, राजमा, मटर, ब्रोकोली, सलाद, बैंगन, हरी प्याज, लहसुन, गाजर, शलगम, फूलगोभी, आलू और टमाटर की खेती करना लाभकारी हो सकता है।

किसान भाई नवंबर के महीने में इन फसलों को उगाएं 

किसान भाई नवंबर के महीने में टमाटर, काली सरसों के बीज, मूली, पालक, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, लहसुन, प्याज, मटर, धनिया, चुकंदर, शलगम और फूलगोभी की फसल को उगाकर कृषक बेहतरीन लाभ कमा सकते हैं।

किसान भाई दिसंबर के महीने में इन फसलों को उगाएं 

किसान भाई दिसंबर के महीने में पालक, पत्ता गोभी, सलाद, बैंगन, प्याज, टमाटर, काली सरसों के बीज और मूली की खेती से बेहतरीन मुनाफा अर्जित किया जा सकता है।

फूलगोभी के कीट एवं रोग

फूलगोभी के कीट एवं रोग

फूलगोभी की अगेती किस्म के सापेक्ष पछेती किस्मों में खाद एवं उर्वरकों की ज्यादा आवश्यकता होती है। सामान्यतया गोभी के लिए करीब 300 कुंतल  सड़ी हुई गोबर की खाद के अलावा 120 किलोग्राम नत्रजन एवं 60—60 किलोग्राम फास्फोरस एवं पोटाश आ​खिरी जाते में मिला देनी चाहिए। इसकी अगेती किस्मों में कीट एवं रोगों का प्रभाव ज्यादा रहता है लिहाजा बचाव का काम नर्सरी से ही शुरू कर देना चाहिए। 

नर्सरी प्रबंधन

 


 फूलगोभी की पौध तैयार करते समय की सावाधानी फसल को आखिरी तक काफी हद तक स्वस्थ रखती है। ढ़ाई बाई एक मीटर की सात क्यारियों में करीब 200 ग्राम बीज बोया जा सकता है। क्यारियों को बैड के रूप मेें करीब 15 सेण्टीमीटर उठाकर बनाएं। गोबर की खाद हर क्यारी में पर्याप्त हो। बीज बोने के बाद भी छलने से छानकर गोबर की खाद का बुरकाव करें। इसके बाद हजारे से क्यारियों में सिंचाई करते रहें। अगेती किस्मों में पौधे और पंक्ति की दूरी 45 एवं पछती किस्मों में 60 सेण्टीमीटर रखें। अगेती किस्मों में पांच छह दिन बाद एवं पछेती किस्मों में 12 से 15 दिन बाद सिंचाई करें। गोभी में खरपतवार नियंत्रण के लिए निराई सतत रूप से जारी रहनी चाहिएं ।

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रोगों में पौध गलन एवं डैम्पिंग आफ रोग एक प्रकार की फफूंद से होता है। इसके कारण पौधों को अं​कुरित होने के साथ ही हानि होती है। बचाव हेतु दो से तीन ग्राम कैप्टान से एक किलाग्राम बीज को उपचारित करके बोएंं। भूमिशोधन हेतु फारमेल्डीहाइड 160ml को ढाई लीटर पानी में घोलकर जमीन पर छिड़काव करें। काला सड़न रोग के प्रभाव से प्रारंभ में पत्तियों पर वी आकार की आकृति बनती है जो बाद में काली पड़ जाती है। बचाव हेतु नर्सरी डालाते समय बीज को 10 प्रतिशत ब्लीचिंग पाउडर के घोल अथवा Streptocycline से उपचारित करके बोना चाहिए। गोभी में गिडार या सूंडी नियंत्रण हेतु पांच प्रतिशत मैला​​थियान धूल का 20 से 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से बुरकाव करना चाहिए।

ठंडी और आर्द्र जलवायु में रंगीन फूल गोभी की उपज कर कमायें अच्छा मुनाफा, जानें उत्पादन की पूरी प्रक्रिया

ठंडी और आर्द्र जलवायु में रंगीन फूल गोभी की उपज कर कमायें अच्छा मुनाफा, जानें उत्पादन की पूरी प्रक्रिया

छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग व्यक्ति के जीवन में रंगो का महत्वपूर्ण स्थान होता है। विभिन्न प्रकार के रंग लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं।लेकिन क्या आपको पता है कि अब ऐसी ही रंगीन प्रकार की फूल गोभी (phool gobhee; cauliflower) का उत्पादन कर, सेहत को सुधारने के अलावा आमदनी को बढ़ाने में भी किया जा सकता है। फूलगोभी के उत्पादन में उत्तरी भारत के राज्य शीर्ष पर हैं, लेकिन वर्तमान में बेहतर वैज्ञानिक तकनीकों की मदद से दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में भी फूलगोभी का उत्पादन किया जा रहा है।

फूलगोभी में मिलने वाले पोषक तत्व :

स्वास्थ्य के लिए गुणकारी फूलगोभी में पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट तथा विटामिन के अलावा कई जरूरी प्रकार के मिनरल भी पाए जाते हैं। शरीर में बढ़े रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल के नियंत्रण में भी फूल गोभी का महत्वपूर्ण योगदान है। किसी भी प्रकार की रंगीन फूल गोभी के उत्पादन के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु अनिवार्य होती है। उत्तरी भारत के राज्यों में सितंबर महीने के आखिरी सप्ताह और अक्टूबर के शुरुआती दिनों से लेकर नवम्बर के पहले सप्ताह में 20 से 25 डिग्री का तापमान रहता है, वहीं दक्षिण भारत के राज्यों में यह तापमान वर्ष भर रहता है, इसलिए वहां पर उत्पादन किसी भी समय किया जा सकता है।


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रंगीन फूलगोभी की लोकप्रिय और प्रमुख किस्में :

वर्तमान में पीले रंग और बैंगनी रंग की फूलगोभी बाजार में काफी लोकप्रिय है और किसान भाई भी इन्हीं दो किस्मों के उत्पादन पर खासा ध्यान दे रहे हैं। [caption id="attachment_11024" align="alignnone" width="357"]पीली फूल गोभी (Yellow Cauliflower) पीली फूल गोभी[/caption] [caption id="attachment_11023" align="alignnone" width="357"]बैंगनी फूल गोभी (Purple Cauliflower) बैंगनी फूल गोभी[/caption] पीले रंग वाली फूलगोभी को केरोटिना (Karotina) और बैंगनी रंग की संकर किस्म को बेलिटीना (Belitina) नाम से जाना जाता है।

कैसे निर्धारित करें रंगीन फूलगोभी के बीज की मात्रा और रोपण का श्रेष्ठ तरीका ?

सितंबर और अक्टूबर महीने में उगाई जाने वाली रंगीन फूलगोभी के बेहतर उत्पादन के लिए पहले नर्सरी तैयार करनी चाहिए। एक हेक्टेयर क्षेत्र के खेत में नर्सरी तैयार करने में लगभग 250 से 300 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।

कैसे करें नर्सरी में तैयार हुई पौध का रोपण ?

तैयार हुई पौध को 5 से 6 सप्ताह तक बड़ी हो जाने के बाद उन्हें खेत में कम से कम 60 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाना चाहिए। रंगीन फूलगोभी की बुवाई के बाद में सीमित पानी से सिंचाई की आवश्यकता होती है, अधिक पानी देने पर पौधे की वृद्धि कम होने की संभावना होती है।

कैसे करें खाद और उर्वरक का बेहतर प्रबंधन ?

जैविक खाद का इस्तेमाल किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है, इसीलिए गोबर की खाद इस्तेमाल की जा सकती है।सीमित मात्रा में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग उत्पादकता को बढ़ाने में सहायता प्रदान कर सकता है। समय रहते मृदा की जांच करवाकर पोषक तत्वों की जानकारी प्राप्त करने से उर्वरकों में होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकता है। यदि मृदा की जांच नहीं करवाई है तो प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 120 किलोग्राम नाइट्रोजन और 60 किलोग्राम फास्फोरस के अलावा 30 किलोग्राम पोटाश का इस्तेमाल किया जा सकता है। गोबर की खाद को पौध की बुवाई से पहले ही जमीन में मिलाकर अच्छी तरह सुखा देना चाहिए। निरन्तर समय पर मिट्टी में निराई-गुड़ाई कर अमोनियम और बोरोन जैसे रासायनिक खाद का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।


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कैसे करें खरपतवार का सफलतापूर्वक नियंत्रण ?

एक बार पौध का सफलतापूर्वक रोपण हो जाने के बाद निरंतर समय पर निराई-गुड़ाई कर खरपतवार को खुरपी मदद से हटाया जाना चाहिए। खरपतवार को हटाने के बाद उस स्थान पर हल्की मिट्टी चढ़ा देनी चाहिए, जिससे दुबारा खरपतवार के प्रसार को रोकने में मदद मिल सके।

रंगीन फूलगोभी में होने वाले प्रमुख रोग एवं उनका इलाज :

कई दूसरे प्रकार के फलों और सब्जियों की तरह ही रंगीन फूलगोभी भी रोगों से ग्रसित हो सकती है, कुछ रोग और उनका इलाज निम्न प्रकार है :-
  • सरसों की मक्खी :

यह एक प्रकार कीट होते हैं, जो पौधे के बड़े होने के समय फूल गोभी के पत्तों में अंडे देते हैं और बाद में पत्तियों को खाकर सब्जी की उत्पादकता को कम करते हैं।

इस रोग के इलाज के लिए बेसिलस थुरिंगिएनसिस (Bacillus thuringiensis) के घोल का छिड़काव करना चाहिए।

इसके अलावा बाजार में उपलब्ध फेरोमोन ट्रैप (pheromone trap) का इस्तेमाल कर बड़े कीटों को पकड़ा जाना चाहिए।

यह रोग छोटे हल्के रंग के कीटों के द्वारा फैलाया जाता है। यह छोटे कीट, पौधे की पत्तियों और कोमल भागों का रस को निकाल कर अपने भोजन के रूप में इस्तेमाल कर लेते हैं, जिसकी वजह से गोभी के फूल का विकास अच्छे से नहीं हो पाता है।

[caption id="attachment_11030" align="alignnone" width="800"]एफिड रोग (cauliflower aphid) एफिड रोग[/caption]

इस रोग के निदान के लिए डाईमेथोएट (Dimethoate) नामक रासायनिक उर्वरक का छिड़काव करना चाहिए।

  • काला विगलन रोग :

फूल गोभी और पत्ता गोभी प्रकार की सब्जियों में यह एक प्रमुख रोग होता है, जो कि एक जीवाणु के द्वारा फैलाया जाता है। इस रोग की वजह से पौधे की पत्तियों में हल्के पीले रंग के धब्बे होने लगते हैं और जड़ का अंदरूनी हिस्सा काला दिखाई देता है। सही समय पर इस रोग का इलाज नहीं दिया जाए तो इससे तना कमजोर होकर टूट जाता है और पूरे पौधे का ही नुकसान हो जाता है।

इस रोग के इलाज के लिए कॉपर ऑक्सिक्लोराइड (copper oxychloride) और स्ट्रैप्टो-साइक्लीन (Streptocycline)  का पानी के साथ मिलाकर एक घोल तैयार किया जाना चाहिए, जिसका समय-समय पर फसल पर छिड़काव करना चाहिए।

यदि इसके बावजूद भी इस रोग का प्रसार नहीं रुकता है तो, रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर इकट्ठा करके उन्हें जलाकर नष्ट कर देना चाहिए।

इसके अलावा रंगीन फूलगोभी में आर्द्रगलन और डायमंड बैकमॉथ (Diamondback Moth) जैसे रोग भी होते हैं, इन रोगों का इलाज भी बेहतर बीज उपचार और वैज्ञानिक विधि की मदद से आसानी से किया जा सकता है। आशा करते हैं Merikheti.com के द्वारा हमारे किसान भाइयों को हाल ही में बाजार में लोकप्रिय हुई नई फसल 'रंगीन फूलगोभी' के उत्पादन के बारे में संपूर्ण जानकारी मिल गई होगी और भविष्य में आप भी बेहतर लागत-उत्पादन अनुपात को अपनाकर अच्छी फसल ऊगा पाएंगे और समुचित विकास की राह पर चल रही भारतीय कृषि को सुद्रढ़ बनाने में अपना योगदान देने के अलावा स्वंय की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना पाएंगे।
दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

सर्दी का आगमन हो चुका है और इस व्यस्त मौसम के लिए किसानों के पास अपने खेत को तैयार करने का यह सही समय है। कई लोगों के लिए यह समय छुट्टियां मनाने और अपने प्रिय जनों के साथ समय बिताने का समय होता है, लेकिन किसानों के लिए सर्दी के इस मौसम में भी पूर्णमूल्यांकन और तैयारी करने का समय माना जाता है। दिसंबर के इस महीने को सब्जियों की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। मिट्टी में नमी और सर्द वातावरण के बीच किसान मूली, टमाटर, पालक, गोभी और बैगन की खेती कर अच्छे प्रोडक्शन के साथ बढ़िया मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। वैसे तो नई तकनीकों के कारण ऑफ सीजन में भी खेती करना आसान हो गया है, लेकिन प्राकृतिक वातावरण में उगने वाली सब्जियों की बात ही कुछ अलग होती है।


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यदि आप सोचते हैं, कि ज्यादातर स्वादिष्ट सब्जी गर्मियों के दौरान उगाई जाती हैं। जब आप के बगीचे में सब कुछ खिला हुआ होता है, तो आप गलत हैं। सर्दी अपने साथ स्वादिष्ट हरी सब्जियों की भरमार लेकर आती है, जिन्हें आप अपने बगीचे में काफी आसानी से उगा सकते हैं। इस मौसम में उगने वाली सब्जियां न केवल स्वाद में अच्छी होती हैं, बल्कि पोषण प्रदान करने के अलावा कई तरह से फायदेमंद भी होती हैं। सब्जी की खेती निश्चित रूप से एक लाभदायक व्यापार है और यह सिर्फ बड़े किसानों के लिए नहीं है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी लाभदायक है। एक छोटे पैमाने के सब्जी के खेत में सालभर कमाई की संभावना होती है। खुले आसमान में खेती के अलावा आप ग्रीन हाउस में भी इस सीजन में सब्जियां उगा सकते हैं। किसान अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखकर के सीजनल सब्जियों की खेती करें तो अच्छी उत्पादकता के साथ-साथ बढ़िया मुनाफा आराम से हासिल कर सकता है। दिसंबर के महीने में बोई जाने वाली जिन सब्जियों की जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं, उससे आपको कई गुना फायदा मिलेगा।

फूलगोभी की खेती

फूलगोभी सर्दियों की सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय सब्जियों में से एक है और यह भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सर्दियों के इस मौसम में गोभी वर्गीय सब्जियां जैसे फूलगोभी ब्रोकली पत्ता गोभी की खेती करना बहुत ही आसान होता है। क्योंकि इन दिनों मिट्टी में नमी और वातावरण में सर्दी होती है, जिससे नेचुरल प्रोडक्शन लेने में मदद मिलती है। किसान चाहे तो गोभी की खेती ग्रीन हाउस में भी कर सकते हैं, एक्सपर्ट की बात करें तो 75 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ तक का उत्पादन सर्दियों के मौसम में गोभी का होता है। जिसे आप आसानी से इस मौसम में उगा कर और नजदीकी बाजार में बेचकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।


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बैगन की खेती

बैगन की खेती करने के लिए भी यह महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों किसान बैगन की खेती करके लाखों रुपए कमाते हैं, बैगन की सब्जी भारतीय जन समुदाय में बहुत प्रसिद्ध है। विश्व में सबसे ज्यादा बैगन चीन में उगाया जाता है, बैगन उगाने के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। बैगन विटामिन और खनिजों का भी अच्छा स्रोत है। वैसे तो इसकी खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन इस मौसम में बैगन की खेती करना किसानों के लिए आसान होता है। क्योंकि मिट्टी में नमी के कारण और मौसम में ठंड के कारण किसानों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। एक्सपर्ट की राय की बात करें, तो एक हेक्टेयर में करीब साड़े 400 से 500 ग्राम बीज डालने पर लगभग 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का बैगन का उत्पादन आसानी से मिल जाता है।

टमाटर की खेती

टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। भारतीय पकवानों में टमाटर का अपना एक विशेष स्थान है। इसे सब्जी बनाने से लेकर सलाद सूप चटनी और ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर होती है कई किसान टमाटर की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं अगर आप एक हेक्टेयर में भी टमाटर की खेती करते हैं तो आप 800 से 1200 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। ज्यादा पैदावार पैदावार के कारण किसानों को लागत से ज्यादा मुनाफा होता है। एक्सपर्ट की राय की बात करें तो अगर आप एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती करते हैं तो आपको लगभग 15लाख रुपए तक की कमाई होगी।


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गाजर-मूली की खेती

मूली और गाजर भारत के लगभग हर क्षेत्र में उगाए जाते हैं, इनका उपयोग सब्जियों के अलावा अचार और मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है। सर्दी के मौसम में इनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है। इसकी खेती करके लागत बहुत ही कम लगती है, अगर वही हम बात कमाई की करें, तो किसान गाजर और मूली को 1 हेक्टेयर में लगभग 150 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। विशेष तौर पर सर्दी का मौसम है, गाजर और मूली की खेती करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। गर्मी के मौसम में अगर आप गाजर और मूली को उपजाना चाहते हैं, तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। तो किसान इस तरह की सब्जियों की खेती इस सर्दी के मौसम में करके बंपर पैदावार के साथ बंपर कमाई आसानी से अर्जित कर सकते है।
इस तकनीक के जरिये किसान एक एकड़ जमीन से कमा सकते है लाखों का मुनाफा

इस तकनीक के जरिये किसान एक एकड़ जमीन से कमा सकते है लाखों का मुनाफा

भारत के बहुत सारे किसानों पर कृषि हेतु भूमि बहुत कम है। उस थोड़ी सी भूमि पर भी वह पहले से चली आ रही खेती को ही करते हैं, जिसे हम पारंपरिक खेती के नाम से जानते हैं। लेकिन इस प्रकार से खेती करके जीवन यापन भी करना एक चुनौतीपूर्ण हो जाता है। परन्तु आज के समय में किसान स्मार्ट तरीकों की सहायता से 1 एकड़ जमीन से 1 लाख रूपये तक की आय अर्जित कर सकते हैं। वर्तमान में प्रत्येक व्यवसाय में लाभ देखने को मिलता है। कृषि विश्व का सबसे प्राचीन व्यवसाय है, जो कि वर्तमान में भी अपनी अच्छी पहचान और दबदबा रखता है। हालाँकि, कृषि थोड़े समय तक केवल किसानों की खाद्यान आपूर्ति का इकलौता साधन था। लेकिन वर्त्तमान समय में किसानों ने सूझ-बूझ व समझदारी से सफलता प्राप्त कर ली है। आजकल फसल उत्पादन के तरीकों, विधियों एवं तकनीकों में काफी परिवर्तन हुआ है। किसान आज के समय में एक दूसरे के साथ सामंजस्य बनाकर खेती किसानी को नई उचाईयों पर ले जाने का कार्य कर रहे हैं। आश्चर्यचकित होने वाली यह बात है, कि किसी समय पर एक एकड़ भूमि से किसानों द्वारा मात्र आजीविका हेतु आय हो पाती थी, आज वही किसान एक एकड़ भूमि से बेहतर तकनीक एवं अच्छी फसल चयन की वजह से लाखों का मुनाफा कमा सकता है। यदि आप भी कृषि से अच्छा खासा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको भूमि पर एक साथ कई सारी फसलों की खेती करनी होगी। सरकार द्वारा भी किसानों की हर संभव सहायता की जा रही है। किसानों को आर्थिक मदद से लेकर प्रशिक्षण देने तक सरकार उनकी सहायता कर रही है।

वृक्ष उत्पादन

किसान पेड़ की खेती करके अच्छा खासा लाभ अर्जित कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए किसानों को अपनी एकड़ भूमि की बाडबंदी करनी अत्यंत आवश्यक है। जिससे कि फसल को जंगली जानवरों की वजह से होने वाली हानि का सामना ना करना पड़े। पेड़ की खेती करते समय किसान अच्छी आमदनी देने वाले वृक्ष जैसे महानीम, चन्दन, महोगनी, खजूर, पोपलर, शीशम, सांगवान आदि के पेड़ों का उत्पादन कर सकते हैं। बतादें, कि इन समस्त पेड़ों को बड़ा होने में काफी वर्ष लग जाते हैं। किसान भूमि की मृदा एवं तापमान अनुरूप फलदार वृक्ष का भी उत्पादन कर सकते हैं। फलदार वृक्षों से फल उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है।

पशुपालन

पेड़ लगाने के व खेत की बाडबंदी के उपरांत सर्वप्रथम गाय या भैंस की बेहतर व्यवस्था करें। क्योंकि गाय व भैंस के दूध को बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जाता है। साथ ही, इन पशुओं के गोबर से किसान अपनी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए खाद की व्यवस्था भी कर सकते हैं। किसान चाहें तो पेड़ उत्पादन सहित खेत के सहारे-सहारे पशुओं हेतु चारा उत्पादन भी कर सकते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि बहुत से पशु एक दिन के अंदर 70-80 लीटर तक दूध प्रदान करते हैं। किसान बाजार में दूध को विक्रय कर प्रतिमाह हजारों की आय कर सकते हैं।


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मौसमी सब्जियां

किसान अपनी एक एकड़ भूमि का कुछ भाग मौसमी सब्जियों का मिश्रित उत्पादन कर सकते हैं। यदि किसान चाहें तो वर्षभर मांग में रहने वाली सब्जियां जैसे कि अदरक, फूलगोभी, टमाटर से लेकर मिर्च, धनिया, बैंगन, आलू , पत्तागोभी, पालक, मेथी और बथुआ जैसी पत्तेदार सब्जियों का भी उत्पादन कर सकते हैं। इन सब सब्जियों की बाजार में अच्छी मांग होने की वजह से तीव्रता से बिक जाती हैं। साथ इन सब्जिओं की पैदावार भी किसान बार बार कटाई करके प्राप्त हैं। किसान आधा एकड़ भूमि में पॉलीहाउस के जरिये इन सब्जियों से उत्पादन ले सकते हैं।

अनाज, दाल एवं तिलहन का उत्पादन

देश में प्रत्येक सीजन में अनाज, दाल एवं तिलहन का उत्पादन किया जाता है, सर्वाधिक दाल उत्पादन खरीफ सीजन में किया जाता हैं। बाजरा, चावल एवं मक्का का उत्पादन किया जाता है, वहीं रबी सीजन के दौरान सरसों, गेहूं इत्यादि फसलों का उत्पादन किया जाता है। इसी प्रकार से फसल चक्र के अनुसार प्रत्येक सीजन में अनाज, दलहन अथवा तिलहन का उत्पादन किया जाता है। किसान इन तीनों फसलों में से किसी भी एक फसल का उत्पादन करके 4 से 5 माह के अंतर्गत अच्छा खासा लाभ अर्जित कर सकते हैं।

सोलर पैनल

आजकल देश में सौर ऊर्जा के उपयोग में वृध्दि देखने को मिल रही है। बतादें, कि बहुत सारी राज्य सरकारें तो किसानों को सोलर पैनल लगाने हेतु धन प्रदान कर रही हैं। सोलर पैनल की वजह से किसानों को बिजली एवं सिंचाई में होने वाले खर्च से बचाया जा सकता है। साथ ही, सौर ऊर्जा से उत्पन्न विघुत के उत्पादन का बाजार में विक्रय कर लाभ अर्जित किया जा सकता है। जो कि प्रति माह किसानों की अतिरिक्त आय का साधन बनेगी। विषेशज्ञों द्वारा किये गए बहुत सारे शोधों में ऐसा पाया गया है, सोलर पैनल के नीचे रिक्त स्थान पर सुगमता से कम खर्च में बेहतर सब्जियों का उत्पादन किया जा सकता है।
ब्रोकली की खेती कर हरदोई के किसान हो रहे हैं मालामाल

ब्रोकली की खेती कर हरदोई के किसान हो रहे हैं मालामाल

उत्तर प्रदेश का हरदोई जिला अक्सर सुर्खियों में बना रहता है। आज उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान सब्जियां उगा कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां पर सबसे खास बात यह है, कि यहां के किसान अब इस तरह की सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं, जिनका भारी मात्रा में विदेशों से आयात किया जाता है। इस तरह की सब्जियों में सबसे खास सब्जी है ब्रोकली। ब्रोकली का नाम किसने नहीं सुना होगा, आजकल लोग भारी मात्रा में सब्जी का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। ब्रोकली को कैंसर जैसी बीमारी से बचाने के लिए सहायक माना गया है, साथ ही इसमें प्रोटीन भी काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश के जिले हरदोई के किसान भारी मात्रा में इस सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। हरदोई के कोथावां ब्लॉक के तेरवा पतसेनी निवासी किसान सुशील मौर्य पहले एक साधारण किसान थे। वह अपनी पुश्तैनी खेती की जमीन पर धान- गेहूं जैसी फसल उगा कर अपना गुजारा चला रहे थे। यहां के किसान सुशील बताते हैं, कि 2017 में हरदोई में स्थित गांधी भवन में उद्यान विभाग द्वारा एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें अलग-अलग तरह की सब्जियों के स्टाल लगाए गए थे। यहां पर किसानों को अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाने के बारे में जागरूक किया गया था तो वहीं पर सुशील मौर्य ने पहली बार गोभी जैसी दिखने वाली है हरी सब्जी देखी थी। जब उन्होंने सुपरवाइजर से पूछा कि यह कौन सी सब्जी है तो उनका उत्तर था कि यह ब्रोकली है।

भारत में भी किसान कर रहे हैं ब्रोकली की खेती

उत्तर प्रदेश के किसान सुशील मौर्य से बातचीत में पता चला कि वह अब ब्रोकली की खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है। साथ ही, उन्होंने हमें यह भी जानकारी दी कि जब उन्हें इस खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी तो उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया और वहां के अधिकारी सुरेश कुमार ने उन्हें अच्छी तरह से ब्रोकली की खेती और उससे मिलने वाले मुनाफे के बारे में जानकारी दी। एक बार जानकारी मिल जाने के बाद उन्होंने इसकी खेती शुरू की और अब वह लाखों में कमाई कर रहे हैं।


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सुशील मौर्य से मिली जानकारी से हमें पता चला है, कि वह साल 2017 से ही सब्जी की खेती कर रहे हैं। फसल की सबसे अच्छी बात है, कि उन्हें पहले साल में ही इससे मुनाफा मिलना शुरू हो गया था। पहले उन्हें कस्बे के बाजार में इसके लिए अच्छे खरीदार नहीं मिल रहे थे तो उन्होंने इस सब्जी को हरदोई की सब्जी मंडी तक पहुंचाया जहां पर उन्हें अपनी फसल का बहुत ही उचित दाम मिला। इसके बाद एक दिन उन्होंने लखनऊ जा रही पिकअप ट्रांसपोर्ट के जरिए अपनी फसल लखनऊ भेजी और वहां से मिले फायदे से तो मानो उनकी जेब नोटों से ही भर गई। लखनऊ से लौटकर इस सब्जी की खेती बड़े स्तर पर शुरू कर दी। अब कई व्यापारी खेत से ही इस ले जाते हैं, इस सब्जी का बाजार भाव समय के अनुसार 100 से 200 रूपये किलो तक मिल जाता है।

ठंडी जलवायु में पैदा होती है यह फसल

उद्यान विभाग के अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि, गोभी की तरह दिखने वाली इस ब्रोकली को बड़े बड़े मॉल एवं बड़े बड़े बाजारों में बहुत ही उचित दाम पर बेचा जाता है। इसके अलावा बहुत से पांच सितारा होटल में भी इसकी सब्जी और सलाद बड़े ही चाव से खाया जाता है। ब्रोकली की नर्सरी के लिए सबसे उत्तम महीना सितंबर, अक्टूबर और जनवरी माना जाता है। वैसे इसे अब किसान अपनी सुविधा के अनुसार 12 माह उगा रहे हैं। किसान सही वातावरण के अनुसार इसकी नर्सरी तैयार करते हैं। ब्रोकली की खेती के लिए 15 से 25 डिग्री के बीच तापमान उचित माना जाता है। यह ठंडी जलवायु में पैदा होने वाली सब्जी की फसल है।

फूलगोभी की तरह ही तैयार हो जाती है नर्सरी

हो सकता है यह आपने पहली बार सुना हो लेकिन ब्रोकली 3 रंगों में होती है, जिसमें बैंगनी, सफेद और हरा शामिल है। इसकी किस्मों में पेरिनियल, नाइन स्टार और इटालियन ग्रीन जैसी कई उन्नतशील किस्में शामिल हैं। हरदोई के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर रहे हैं और इसकी सबसे अच्छी बात है, कि आप फूलगोभी की तरह इस की नर्सरी तैयार कर सकते हैं।
रंगीन फूलगोभी उगा कर किसान हो रहें हैं मालामाल, जाने कैसे कर सकते हैं इसकी खेती

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आजकल भारत के किसान पहले की तुलना में अधिक जागरूक हो गए हैं। फसल का उत्पादन करते हुए वह अलग अलग तरह की फसलें उगाने की कोशिश करते हैं। आजकल बाजार में डिमांड के हिसाब से किसान भी अपने कृषि करने के तरीके और फसलों की किस्म को बदल रहे हैं। यहां पर किसानों की ज्यादा से ज्यादा कोशिश रहती है, कि वह डिमांड के हिसाब से फसल का उत्पादन करते हुए मुनाफा कमा सकें। सर्दियों में उत्तर भारत में शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां पर गोभी की सब्जी ना बनाई जाती हो। आप सभी ने सफेद गोभी के बारे में तो सुना होगा। लेकिन क्या आपने कभी रंग बिरंगी यानी की पीली और बैंगनी रंग के फूल गोभी देखी है?

रंगीन फूलगोभी की खेती

हो सकता है कुछ लोगों ने आजकल बाजार में यह
रंग बिरंगी फूल गोभी देखी भी हो। किसानों के हवाले से मानें तो यह फूल गोभी आजकल किसानों को बहुत ज्यादा मुनाफा दे रही है और इसका उत्पादन उनके लिए काफी लाभकारी है। फूलगोभी की कई तरह की किस्म होती हैं और यह रंगीन गोभी भी उन्हीं में से एक हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि इस फूलगोभी में किसी भी तरह का आर्टिफिशियल रंग नहीं डाला जाता है। बल्कि यह प्राकृतिक तौर पर ही ऐसी दिखाई देती है। आइए, जानते हैं रंगीन फूलगोभी की खेती से जुड़ी अहम बातें।

पोषक तत्वों से भरपूर रंगीन फूल गोभी

अलग-अलग रंगों में आ रही फूल गोभी देखने में तो सुंदर लगती ही है। साथ ही, यह आपकी सेहत के लिए भी बहुत ज्यादा फायदेमंद होती है। विशेषज्ञों की मानें तो पीले रंग की फूलगोभी में कैरोटेना नामक तत्व और बैंगनी रंग की गोभी में एलेंटीना तत्व पाया जाता है। जो आंखों की रोशनी बढ़ाने में मददगार है। साथ ही, यह दोनों तरह की फूल गोभी कैंसर से बचाव करने में भी मदद करती हैं। सफेद फूल गोभी के मुकाबले रंगीन फूल गोभी में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी है। इसके अलावा इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, जिंक आदि के गुण भी पाए जाते हैं। रंगीन गोभी बुज़ुर्गों और प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए लाभदायक है। अगर आप रंगीन फूलगोभी का सेवन करते हैं, तो यह आपकी इम्युनिटी बढ़ाता है और शरीर में हड्डियों को मजबूत बनाने में भी सहायक है। ये भी देखें: ब्रोकली की नई वैज्ञानिक उत्पादन तकनीक का सहारा लेकर पहाड़ी राज्यों के किसान कमा रहे हैं अच्छा मुनाफा, आप भी जानिए पूरी प्रक्रिया

कैसी होनी चाहिए रंगीन फूल गोभी की खेती के लिए मिट्टी और जलवायु

सामान्य फूल गोभी की तरह इसकी खेती के लिए भी ठंडी और नमी वाली जलवायु उपयुक्त होती है। तापमान की बात की जाए तो पौधे के अच्छी तरह से विकास के लिए 20 से 25 डिग्री सेल्सियस का तापमान उपयुक्त माना गया है। रंगीन फूल गोभी का उत्पादन अगर आप करना चाहते हैं, तो ऐसी मिट्टी का इस्तेमाल करें जिसमें जीवाश्म की अधिकता हो। इसके अलावा अच्छी तरह से जल निकासी वाली व्यवस्था को अपनाएं। ताकि फसल में पानी खड़ा ना हो। मिट्टी का पी.एच. बैलेंस 5.5 से 6.6 के बीच होना चाहिए।

रंगीन फूल गोभी की बुवाई कैसे करें?

सबसे पहले खेत की तीन से चार बार जुदाई करके उसे समतल बना लें। रंगीन फूल गोभी बनाने के लिए पौधों की नर्सरी तैयार करना बेहद जरूरी है। आप लगभग 1 हेक्टेयर की जमीन में 200 से 250 ग्राम नर्सरी में बीज लगाने के बाद जब पौधे 4-5 सप्ताह के हो जाएं, तो उन्हें खेतों में लगाना चाहिए। पौधों को 60*60 या 60*45 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं और एक बार पौधे लगाने के बाद थोड़ी सिंचाई ज़रूर करें। मौसम की बात की जाए तो चमकी फूल गोभी को लगाने के लिए सितंबर से अक्टूबर का समय काफी सही माना जाता है।

किस तरह से होगी रंगीन फूल गोभी में खाद और सिंचाई

किसी भी फसल की अच्छी उपज के लिए उसमें खाद डालना बेहद जरूरी है। रंगीन फूल गोभी में आप घर की बनी हुई गोबर की खाद मिट्टी में मिला कर डाल सकते हैं। मिट्टी आदि की जांच के हिसाब से आप उसमें अपने अनुसार रासायनिक खाद भी डाल सकते हैं। अगर आपने मिट्टी की जांच नहीं करवाई है, तो 120 किलो नाइट्रोनस 60 किलो फॉस्फोरस और 40 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालें। गोबर की खाद और कंपोस्ट को पौधों की रोपाई से 15 दिन पहले ही मिट्टी में मिला दें। अगर आप चाहते हैं, कि आप की फसल का उत्पादन अच्छे से हो और पौधों का विकास भी सही बना रहे तो 10 से 15 दिन के समय में सिंचाई जरूर करते रहें।

कितने दिनों में तैयार होती है रंगीन फूल गोभी की फसल

पौधों की रोपाई के बाद 100-110 दिनों बाद फसल काटने के लिए तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर जमीन से 200-300 क्विंटल गोभी की फसल प्राप्त होती है। सामान्य फूल गोभी के मुकाबले रंगीन फूलगोभी की आजकल बाजार में बेहद डिमांड है। इसलिए बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल जाती है और किसानों को बढ़िया मुनाफा भी मिल जाता है।
बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार में कृषि वैज्ञानिकों ने गर्मी में भी उगने वाली गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया

बिहार राज्य के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। फूल गोभी का सेवन हर किसी को पसंद है। 

सर्दी के मौसम में प्रमुख सब्जी फूल गोभी ही होती है। ऐसे लोग फूल गोभी से बनी भुजिया भी खाना काफी पसंद करते हैं। फूल गोभी के अंदर प्रोटीन, फॉस्फोरस, मैगनीज, पोटैशियम, फोलेट, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन के और फाइबर जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। 

इसका सेवन करने से कई सारे शारीरिक लाभ होते हैं। आमतौर पर सर्दी के मौसम में फूल गोभी बड़ी ही सहजता से मिल जाती है। परंतु, ग्रीष्मकाल में यह बाजार से गायब हो जाती है, क्योंकि गर्मी में इसका उत्पादन नहीं होता है। हालाँकि, अब से आपकों वर्षभर फूल गोभी खाने के लिए उपलब्ध मिलेगी।

कितने रकबे में गोभी की खेती शुरू हुई है

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, बिहार के नालंदा जनपद में किसानों ने 200 एकड़ में फूल गोभी की खेती चालू की है। विशेष बात यह है, कि नालंदा जनपद के किसान फूल गोभी की प्रजाति-6099 की खेती कर रहे हैं। 

उद्यान महाविद्यालय के प्राचार्य डा. पंचम कुमार सिंह का कहना है, कि पहले यहां किसान केवल सर्दी के मौसम में ही फूल गोभी की खेती किया करते थे। जुलाई माह में इसकी नर्सरी तैयार की जाती थी। 

गस्त महीने में पौधों की रोपाई का कार्य होता है, जिसके पश्चात अक्टूबर माह से बाजार में फूल गोभी आनी चालू हो जाती थी। परंतु, अब कृषि वैज्ञानिकों ने फूल गोभी की किस्म-6099 को विकसित किया है। अब ऐसी स्थिति में किसान वर्षभर फूल गोभी की खेती कर सकते हैं।

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विगत वर्ष किस्म-6099 की खेती परीक्षण के तौर पर की गई थी

आजकल बदलते दौर में कृषि वैज्ञानिकों की निरंतर कोशिशों और शोधों के चलते नई-नई किस्में विकसित की जा रही हैं। बतादें कि गोभी की किस्म-6099 की विगत वर्ष परिक्षण के तौर पर खेती शुरू की थी, जिसका नतीजा भी सकारात्मक देखने को मिला है। 

इस वजह से किसानों ने इस वर्ष पहली बार ग्रीष्मकाल में गोभी की किस्म-6099 की खेती शुरू की है। बतादें, कि बबुरबन्ना, सोहडीह एवं आशानगर में तकरीबन 200 एकड़ भूमि पर किसानों ने गरमा फूलगोभी की खेती शुरू की है।

इसी कड़ी में किसानों का कहना है, कि गरमा फूल गोभी की खेती के लिए फसलचक्र भी तैयार कर लिया है। फरवरी माह में नर्सरी तैयार की जानी है, जिसकी पैदावार मई माह तक मिल पाएगी। 

साथ ही, दूसरी नर्सरी जून माह में तैयार की जाएगी, जिसकी पैदावार अक्टूबर माह तक मिल पाएगी। ऐसे में सीधी सी बात है खेती का क्षेत्रफल निश्चित तौर पर बढ़ेगा।

फूल गोभी की खेती करने हेतु जरुरी बात

केंद्र एवं राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर किसानों के हित में नई नई योजनाएं जारी करती रहती हैं। बागवानी फसलों को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार एवं कृषि विभाग पूरी तन्मयता से जुटे हुए हैं। 

बागवानी के क्षेत्र में किसानों के लिए गोभी की नई किस्म-6099 विकसित की गई है। यदि किसान भाई खरीफ सीजन में फूल गोभी का उत्पादन करना चाहते हैं, तो उनको बेहद ही सावधानियां बरतने की जरुरत पड़ेगी। 

बतादें, कि इस गोभी की किस्म में दो से तीन दिन के अंतराल पर फसल की सिंचाई करनी होगी। साथ ही, रासायनिक खाद के स्थान पर जैविक खाद का इस्तेमाल करें। 

यूरिया खाद का उपयोग बिल्कुल भी ना करें। साथ ही, पौधरोपण से पूर्व प्रति चार कट्ठे में एक ट्रॉली गोबर डाल दें। इसके पश्चात खेत की जोताई करें।