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यूरिया का उत्पादन

2025 के समापन तक यूरिया का आयात बंद हो जाएगा - मनसुख मांडविया

2025 के समापन तक यूरिया का आयात बंद हो जाएगा - मनसुख मांडविया

भारत फसलों में उर्वरकों की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए अभी तक आयात पर निर्भर रहता है। हालांकि, अब भारत यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने के पथ पर अग्रसर नजर आ रहा है। 

इसको लेकर रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने यह दावा किया है, कि भारत 2025 के समापन तक पूर्ण रूप से यूरिया का आयात बंद कर देगा। घरेलू मांग को सुनिश्चित करने के लिए भारत को वार्षिक लगभग 350 लाख टन यूरिया की आवश्यकता पड़ती है। 

दरअसल, सरकार 2025 के अंत तक यूरिया का आयात बंद करने जा रही है। रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया का कहना है, कि भारत 2025 के आखिर तक यूरिया का आयात बंद कर देगा। 

उन्होंने कहा कि घरेलू विनिर्माण पर बड़े स्तर पर बल देने से आपूर्ति और मांग के मध्य अंतर को पाटने में सहायता हांसिल हुई है। मांडविया ने कहा भारतीय कृषि के लिए उर्वरकों की उपलब्धता बेहद महत्वपूर्ण है। 

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भारत पिछले 60-65 वर्ष से फसल उत्पादन बढ़ाने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहा है। वर्तमान में सरकार नैनो लिक्विड यूरिया और नैनो लिक्विड डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) जैसे वैकल्पिक उर्वरकों को प्रोत्साहन देने के प्रयास कर रही है।

रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया 

मंत्री ने कहा, ‘वैकल्पिक उर्वरकों का उपयोग फसल और मिट्टी की गुणवत्ता के लिए अच्छा है। हम इसे बढ़ावा दे रहे हैं।’ यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करने के बारे में पूछे जाने पर मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार ने यूरिया आयात पर निर्भरता खत्म करने के लिए दोतरफा रणनीति अपनाई है। 

मंत्री ने बताया सरकार ने चार बंद यूरिया संयंत्रों को फिर शुरू किया है और एक अन्य कारखाने को वापस चालू करने का काम जारी है। उन्होंने कहा कि घरेलू मांग को पूरा करने के लिए भारत को सालाना करीब 350 लाख टन यूरिया की जरूरत होती है।

उर्वरकों का उत्पादन और मांग को लेकर मांडविया ने क्या कहा है ?

मांडविया ने कहा कि स्थापित घरेलू उत्पादन क्षमता 2014-15 में 225 लाख टन से बढ़कर करीब 310 लाख टन हो गई है। मंत्री ने कहा, ‘वर्तमान में वार्षिक घरेलू उत्पादन और मांग के बीच का अंतर करीब 40 लाख टन है।’

उन्होंने कहा कि पांचवें संयंत्र के चालू होने के बाद यूरिया की वार्षिक घरेलू उत्पादन क्षमता करीब 325 लाख टन तक पहुंच जाएगी। 20-25 लाख टन पारंपरिक यूरिया के इस्तेमाल को नैनो तरल यूरिया से बदलने का लक्ष्य भी है। 

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हमारा लक्ष्य बिल्कुल स्पष्ट है। 2025 के अंत तक यूरिया के लिए देश की आयात पर निर्भरता समाप्त हो जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यूरिया का आयात बिल शून्य हो जाएगा।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 में यूरिया का आयात इससे विगत वर्ष के 91.36 लाख टन से घटकर 75.8 लाख टन रह गया। 2020-21 में यूरिया आयात 98.28 लाख टन, 2019-20 में 91.23 लाख टन और 2018-19 में 74.81 लाख टन था। 

मांडविया ने कहा कि मोदी सरकार ने पिछले 10 साल में कृषि क्षेत्र के लिए उर्वरकों की पर्याप्त आपूर्ति को सुनिश्चित किया है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र ने प्रमुख फसल पोषक तत्वों पर अनुदान बढ़ाकर भारतीय किसानों को वैश्विक बाजारों में उर्वरकों की कीमतों में तीव्र उछाल से भी बचाया है।

किसानों को सस्ते दर पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए इतना लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है केंद्र सरकार।

किसानों को सस्ते दर पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए इतना लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने जा रही है केंद्र सरकार।

सस्ते दर में किसानों को उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल लगभग ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च करने का निर्णय लिया है। बीते दिनों प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने तेलंगाना के रामागुंडम में आधारशिला रखने और 9500 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजना को राष्ट्र को समर्पित करने के बाद कहा कि केंद्र सरकार इस साल 2.5 लाख करोड़ रुपए खर्च करेगी, जिससे किसानों को उर्वरक खरीदने में कम रुपए लगेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार पिछले 8 वर्षों में किसानों को उर्वरक का लाभ पहुंचाने के लिए लगभग 10 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं जिसका मंसूबा यह है कि किसानों को उच्च वैश्विक उर्वरक के लागत में मोच का सामना नहीं करना पड़े।

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तेलंगाना के रामागुंडम में प्रधानमंत्री के द्वारा पंचानवे 100 करोड़ रुपए से अधिक की कई परियोजनाओं के लिए शिलान्यास किया गया। उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए अभी बताया कि, पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में अभी तक लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक पैसे भेजे गए हैं, जिससे किसानों को कृषि के कार्य क्षेत्र में काफी फायदा हुआ है। यूरिया में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए पीएम ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में पांच महत्वपूर्ण उर्वरक सुविधा जो बरसों से निष्क्रिय थी। उसे पुनर्जीवित करने का केंद्र सरकार के द्वारा लगातार कार्य किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है, कि अगर यह पांच संयंत्र पूरी तरह से चालू हो जाएंगे तो देश में लगभग 60 लाख टन यूरिया का उत्पादन हो पाएगा। जिसका परिणाम यह होगा कि किसानों को यूरिया अधिक आसानी से उपलब्ध हो पाएगा।

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अगर यह 5 संयत्र चालू हो जाएंगे तो देश के बाहर से आने वाले यूरिया जो कि अंतरराष्ट्रीय बाजार से चलकर भारत में आते हैं, उसमे कमी होगी, जिससे जो महत्वपूर्ण लागत है उसमें भी कमी आएगी और किसानों को और कम दाम में यूरिया आसानी से उपलब्ध हो पाएगा। वही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार “भारत यूरिया”नाम के तहत यूरिया का एकल ब्रांड को आगे बढ़ाने की पेशकश हुई है जिससे आने वाले समय में बेहतर लाभ पूरे भारतवर्ष को मिलेगा।

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अगर ऐसा होता है तो विशेषज्ञों का कहना है, कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में चीन से भी आगे निकल जाएगा और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी प्रथम स्थान पर अपना बाजार बुलंद करते हुए नजर आएगा। मोदी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में भाजपा के शासन के दौरान बहुत सारे बुनियादी बदलाव आए हैं। सरकारी प्रक्रिया में सुधार और व्यापार को करने में आसानी के साथ-साथ कृषि जगत को सुदृढ़ करने पर बहुत सारे कार्य लगातार किए जा रहे हैं, जिस पर हमारी पहली नजर है। 

₹2000 की यूरिया की बोरी अब मिलेंगे मात्र इतने रुपए में

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में यूरिया की बोरी की कीमत लगभग ₹2000 हैं। लेकिन हमने पिछले 8 सालों के शासन के दौरान जिस तरह से कार्य किए हैं, और कृषि के महत्व पर जिस तरह से हमने जोड़ दिया है, उससे ₹2000 की यूरिया की बोरी को मात्र अभी ₹270 में उपलब्ध कराया जा रहा है। आने वाले समय में अगर इस तरह से ही कार्य होते रहे तो यह दाम घटकर और नीचे आएगा और किसान आसानी से यूरिया प्राप्त कर पाएंगे।

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उर्वरक उपलब्धता के सुधार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि यूरिया की 100% नीम कोटिंग पर लगातार कार्य किया जा रहा है। बंद पड़े 5 बड़े शहरों के खुलने से प्रतिवर्ष लगभग 700000 टन से ज्यादा यूरिया का उत्पादन होगा, पूरे भारतवर्ष में एक ब्रांड यानी भारत ब्रांड के नाम से उर्वरक उपलब्ध हो पाएगा। उर्वरक को सस्ता रखने के लिए 8 सालों में लगभग 10 लाख करोड़ खर्च किए गए हैं, और इस साल अभी तक 2.5 लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके है। सरकार के लाख प्रयासों के बाद बाद भी पिछले कुछ महीनों में देखा गया कि यूरिया खाद की कालाबाजारी रुकने का नाम नहीं ले रहा था, जिससे किसानों को समय पर यूरिया खाद मिलने में परेशानी हो रही थी। यूरिया का कारोबार कालाबाजारी करके किसान द्वारा एक बोरी पर 500 से ₹550 प्रति बोरा की दर से कालाबाजारी की जा रही थी, जिससे किसान काफी परेशान नजर आ रहे थे और चौक चौराहे को जाम कर धरना प्रदर्शन कर रहे थे। सरकार के द्वारा उर्वरक को बढ़ावा देने और कालाबाजारी को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। कठिन से कठिन निर्णय भी लिए जा रहे हैं। जिससे आने वाले समय में किसानों को कम से कम दर में उर्वरक उपलब्ध कराया जाएगा और सही समय पर किसानों को यूरिया मिल पाएगा जिससे किसान बेहतर रूप से खेती करने में सक्षम होंगे।