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राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

बन्नी नस्ल की भैंस देती है 15 लीटर दूध, जानिए इसके बारे में

बन्नी नस्ल की भैंस देती है 15 लीटर दूध, जानिए इसके बारे में

बन्नी भैंस पाकिस्तान के सिंध प्रान्त की किस्म है, जो भारत में गुजरात प्रांत में दुग्ध उत्पादन के लिए मुख्य रूप से पाली जाती है। बन्नी भैंस का पालन गुजरात के सिंध प्रांत की जनजाति मालधारी करती है। जो दूध की पैदावार के लिए इस जनजाति की रीढ़ की हड्डी मानी जाती है। बन्नी नस्ल की भैंस गुजरात राज्य के अंदर पाई जाती है। गुजरात राज्य के कच्छ जनपद में ज्यादा पाई जाने की वजह से इसे कच्छी भी कहा जाता है। यदि हम इस भैंस के दूसरे नाम ‘बन्नी’ के विषय में बात करें तो यह गुजरात राज्य के कच्छ जनपद की एक चरवाहा जनजाति के नाम पर है। इस जनजाति को मालधारी जनजाति के नाम से भी जाना जाता है। यह भैंस इस समुदाय की रीढ़ भी कही जाती है।

भारत सरकार ने 2010 में इसे भैंसों की ग्यारहवीं अलग नस्ल का दर्जा हांसिल हुआ

बाजार में इस भैंस की कीमत 50 हजार से लेकर 1 लाख रुपये तक है। यदि इस भैंस की उत्पत्ति की बात की जाए तो यह भैंस पाकिस्तान के सिंध प्रान्त की नस्ल मानी जाती है। मालधारी नस्ल की यह भैंस विगत 500 सालों से इस प्रान्त की मालधारी जनजाति अथवा यहां शासन करने वाले लोगों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण पशुधन के रूप में थी। पाकिस्तान में अब इस भूमि को बन्नी भूमि के नाम से जाना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि भारत के अंदर साल 2010 में इसे भैंसों की ग्यारहवीं अलग नस्ल का दर्जा हांसिल हुआ था। इनकी शारीरिक विशेषताएं अथवा
दुग्ध उत्पादन की क्षमता भी बाकी भैंसों के मुकाबले में काफी अलग होती है। आप इस भैंस की पहचान कैसे करें।

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बन्नी भैंस की कितनी कीमत है

दूध उत्पादन क्षमता के लिए पशुपालकों में प्रसिद्ध बन्नी भैंस की ज्यादा कीमत के कारण भी बहुत सारे पशुपालक इसे खरीद नहीं पाते हैं। आपको बता दें एक बन्नी भैंस की कीमत 1 लाख रुपए से 3 लाख रुपए तक हो सकती है।

बन्नी भैंस की क्या खूबियां होती हैं

बन्नी भैंस का शरीर कॉम्पैक्ट, पच्चर आकार का होता है। इसके शरीर की लम्बाई 150 से 160 सेंटीमीटर तक हो होती है। इसकी पूंछ की लम्बाई 85 से 90 सेमी तक होती है। बतादें, कि नर बन्नी भैंसा का वजन 525-562 किलोग्राम तक होता है। मादा बन्नी भैंस का वजन लगभग 475-575 किलोग्राम तक होता है। यह भैंस काले रंग की होती है, लेकिन 5% तक भूरा रंग शामिल हो सकता है। निचले पैरों, माथे और पूंछ में सफ़ेद धब्बे होते हैं। बन्नी मादा भैंस के सींग ऊर्ध्वाधर दिशा में मुड़े हुए होते हैं। साथ ही कुछ प्रतिशत उलटे दोहरे गोलाई में होते हैं। नर बन्नी के सींग 70 प्रतिशत तक उल्टे एकल गोलाई में होते हैं। बन्नी भैंस औसतन 6000 लीटर वार्षिक दूध का उत्पादन करती है। वहीं, यह प्रतिदिन 10 से 18 लीटर दूध की पैदावार करती है। बन्नी भैंस साल में 290 से 295 दिनों तक दूध देती है।
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देश भर में देसी गाय-भैंस की लगातार कमी होती जा रही है, इसकी एक बहुत बड़ी वजह देसी गाय-भैसों के कारण लगातार घटता हुआ मुनाफा है। विदेशी नस्लों की गाय-भैंसों की अपेक्षा देसी गाय-भैंसों को पालने में किसानों को उतना फायदा नहीं होता, जितना किसान वास्तव में मुनाफा कमाना चाहते हैं। इसलिए दिन प्रतिदिन देसी गाय-भैंसों को लेकर किसानों की उदासीनता बढ़ती जा रही है। इसका परिणाम यह है कि गाय-भैंसों की कई प्रकार की देसी नस्लें अब विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गईं हैं।

गाय-भैंसों की देसी नस्लों का संरक्षण

इसको देखते हुए सरकार ने कई योजनाएं चलाईं हैं, ताकि गाय-भैंसों की देसी नस्लों का संरक्षण किया जा सके। इसी उद्देश्य के साथ आगे बढ़ते हुए केंद्र सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के
पशुपालन और डेयरी विभाग (Department of Animal Husbandry and Dairying) ने गोपाल रत्न पुरस्कार (National Gopal Ratna Award-2022) देना प्रारम्भ किया है, राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना (Rashtriya Gokul Mission ( RGM)) के तहत, जो हर साल की तरह इस साल भी पशुपालकों को दिया जाएगा। सरकार यह पुरस्कार पशुपालन में गाय भैंसों को संरक्षण देने के साथ ही दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए दिया जाता है। इस योजना का मकसद स्वदेशी दुधारू गाय-भैसों में कृतिम गर्भाधान करके दुग्ध उत्पादन को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाना है। किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार यह योजना लेकर आई है। 2022 के दौरान पशुपालन और डेयरी में राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार के निर्धारण के लिए दिशानिर्देश के लिए, यहां क्लिक करें। राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का एक अन्य उद्देश्य कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों को 100 प्रतिशत आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस या एआई (AI - Artifical Intelligence) कवरेज लेने के लिए प्रेरित करना है। इसके साथ ही सरकार इस योजना के माध्यम से सहकारी और दुग्ध उत्पादक कंपनियों को विकसित करने पर जोर दे रही है। साथ ही सरकार चाहती है कि दुग्ध उत्पादक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बनी रहे, ताकि उत्पादन के साथ दुग्ध क्वालटी को ज्यादा से ज्यादा ऊपर ले जाया जा सके।


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राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए पशुपालक 30 सितंबर तक ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। विजेताओं को 26 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस (NMD - National Milk Day) के अवसर पर केंद्र सरकार पुरस्कृत करेगी। राष्ट्रीय गोकुल मिशन योजना के तहत गोपाल रत्न पुरस्कार के तहत तीन पुरस्कार दिए जाएंगे। इसमें प्रथम पुरस्कार के अंतर्गत 5 लाख रूपये, द्वितीय पुरस्कार के अंतर्गत 3 लाख रूपये और तीसरे पुरस्कार के लिए 2 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। चूंकि अंतिम तारीख नजदीक ही है, इसलिए राजस्थान के पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने अपने राज्य के किसानों को जल्द से जल्द इस स्कीम के अंतर्गत आवेदन करने के लिए कहा है। पशुपालन, मत्स्य और डेयरी मंत्रालय ने पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहे दुग्ध उत्पादन को लेकर प्रसन्नता जाहिर की है। इसलिए मंत्रालय अब हर साल पशुपालकों के लिए गोपाल रत्न पुरस्कार प्रदान करेगा।

कौन लोग हैं इस पुरस्कार के लिए पात्र ?

इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए सिर्फ ऐसे पशुपालक ही पात्र हैं, जो गाय की प्रमाणित स्वदेशी 50 नस्लों अथवा भैंस की 17 देसी प्रमाणित नस्लों में से किसी एक का पालन करते हों। इसके साथ ही ऐसे तकनीशियन, जो पशुधन विकास बोर्ड, दुग्ध फेडरेशन, गैर सरकारी संगठन में काम करते हो तथा ऐसा कोई भी कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन जिसने इसके लिए 90 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया हो, ऐसे सभी लोग इस पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए आवेदन के पात्र हैं।


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इनके अलावा ग्राम स्तर की ऐसी सहकारी समिति जो दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में सहकारी कंपनी अधिनियम के तहत स्थापित हुई हो, ऐसा दुग्ध उत्पादक यूनियन जो प्रतिदिन 100 लीटर दूध का उत्पादन करता है, साथ ही उसके साथ कम से कम 50 किसान जुड़े हैं और एमपीसी या एफपीओ भी इस पुरस्कार के लिए आवेदन के पात्र होंगे।

कैसे कर सकते हैं आवेदन ?

इच्छुक किसान, कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन और सहकारी व दुग्ध उत्पादक कम्पनियां 30 सितंबर के पहले तक गोपाल रत्न पुरस्कार को प्राप्त करने के लिए भारत सरकार की ऑफिसियल वेबसाइट https://awards.gov.in में जाकर ऑनलाइन माध्यम से अपना आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते वक़्त किसान आधार कार्ड, बैंक खाता, फोटो, मोबाइल नंबर, पशु की जानकारी वाले कागजात ज़रूर साथ रखें। आवेदन करते वक़्त इनकी जरुरत पड़ सकती है।