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फसल

खस की खेती से बनाएं अपना फ्यूचर: जानें कैसे कमाएं ₹60,000 प्रति लीटर

खस की खेती से बनाएं अपना फ्यूचर: जानें कैसे कमाएं ₹60,000 प्रति लीटर

किसान भाइयों को अपने खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए पारंपरिक तौर तरीकों को छोड़कर लाभकारी फसलों की तरफ ध्यान देना जरूरी है। आज हम एक ऐसी ही फसल के बारे में बात करने वाले हैं।दरअसल, हम बात करेंगे विभिन्न कार्यों में उपयोग होने वाली खस की खेती के विषय में। हमारे देश के अंदर गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु जैसे राज्यों में इसकी सर्वाधिक खेती की जा रही है।खस के तेल से महंगे इत्र, सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तुएं, दवाएं, गर्मियों में बिछाने के लिए चटाइयां, कूलर की खस, खिडकियों के पर्दें, हस्तशिल्प की वस्तुएं निर्मित की...
कुम्हड़ा की खेती से करें भारी मुनाफा: जानें किस्में, पैदावार और उन्नत खेती टिप्स

कुम्हड़ा की खेती से करें भारी मुनाफा: जानें किस्में, पैदावार और उन्नत खेती टिप्स

किसान भाइयों आज हम आपको कुम्हड़ा की खेती के बारे में जानकारी देंगे। क्योंकि इससे निर्मित होने वाले पेठे की मांग निरंतर बाजार में बनी रहती है।इसको सफेद कद्दू, सर्दियो का खरबूजा या धुंधला खरबूजा भी कहा जाता है। इसका मूल स्थान दक्षिण-पूर्व एशिया है। यह चर्बी, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और रेशे का उच्चतम स्त्रोत है।इसका उपयोग काफी सारी औषधियां बनाने में भी किया जाता है। इसमें केलरी कम होने की वजह से यह शुगर के मरीजों के लिए अत्यंत फायदेमंद है।इसका इस्तेमाल कब्ज, एसिडिटी और आंतड़ी के कीट के उपचार के रूप में भी किया जाता है।प्रसिद्ध किस्में और...
तारामीरा की खेती: कम पानी और सूखे क्षेत्रों के लिए लाभदायक फसल

तारामीरा की खेती: कम पानी और सूखे क्षेत्रों के लिए लाभदायक फसल

तारामीरा की खेती अक्सर बारानी क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ अन्य फसलों को सफलतापूर्वक उगाया नहीं जा सकता है।ज्वार की फसल लेने के बाद खरीफ की चारे (उड़द, मूंग, चंवला आदि) को हल्की जुताई करके सफलतापूर्वक इसको बोया जा सकता है।रबी मौसम में तारामीरा की बुवाई करने के लिए वर्षा ऋतु में खेत खाली नहीं छोड़ना चाहिए। इस लेख में हम आपको तारामीरा की सफल खेती के बारे में जानकारी देंगे।तारामीरा की खेती के लिए जलवायु और मिट्टीतारामीरा की खेती रबी के मौसम में की जाती है इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्कता होती हैं।तारामीरा को...
कोदो की खेती: कम पानी में अधिक मुनाफा देने वाली फसल की सम्पूर्ण जानकारी

कोदो की खेती: कम पानी में अधिक मुनाफा देने वाली फसल की सम्पूर्ण जानकारी

कोदों एक वार्षिक पौधा है जिसमें रोएँदार नोड्स और पूरी तरह से आवरणयुक्त ठोस इंटरनोड्स होते हैं।यह 45-90 से.मी. की ऊंचाई तक बढ़ता है और इसमें प्रचुर मात्रा में टिलर्स होते हैं; प्रति पौधे 18 टिलर्स तक दर्ज किए गए हैं।पत्तियाँ मोटी और कड़ी होती हैं और रैखिक से रैखिक लांसोलेट होती हैं। लिग्यूल झिल्लीदार और रोएँदार होते हैं। पत्तियाँ और तने दोनों बैंगनी रंग के होते हैं।इसकी खेती कम पानी वाली स्थिति में भी आसानी से की जा सकती है इसलिए किसानों के लिए ये फसल अच्छे मुनाफे वाली हो सकती है।इस लेख में हम आपको कोदों की फसल उत्पादन...
तीखुर क्या है? इसकी खेती, उपयोग और फायदे जानें

तीखुर क्या है? इसकी खेती, उपयोग और फायदे जानें

तीखुर एक औषधीय पौधा हैं इसका उपयोग कई रोगो के उपचार के लिए किया जाता हैं। तीखुर का वानस्पतिक नाम कर्कुमा अंगस्टिफोलिया (Curcuma angustifolia) है।इसे संस्कृत में ट्वाक्सिरा और हिंदी में तीखुर कहा जाता है। यह हल्दी की तरह दिखने वाला औषधीय पौधा है, जिसे सफेद हल्दी भी कहते हैं।इसके कंदों से कपूर जैसी खुशबू आती है, जिससे इसे जंगलों में पहचानना आसान होता है।तीखुर क्या है?तीखुर एक बिना तने वाला कंदीय पौधा है। इसकी जड़ें मांसल और सिरों पर हल्के भूरे रंग के कंदों से युक्त होती हैं।इसकी भालाकार पत्तियां 30-40 सेंटीमीटर लंबी और नुकीली होती हैं। इसके...
कैक्टस की खेती कैसे करें: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक आदर्श समाधान

कैक्टस की खेती कैसे करें: सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक आदर्श समाधान

आज के समय में जलवायु परिवर्तन टिकाऊ फसल उत्पादन के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक बन गया है।लंबे समय तक सूखा और मरुस्थलीकरण भारतीय गर्म शुष्क क्षेत्र के सामने आने वाली समस्याओं में से एक हैं। जहां ग्रामीण गरीब और छोटे किसान सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।उच्च तापमान और ख़राब मिट्टी के कारण उनकी फसलों को ऐसी कठोर आपदाओं (जैसे सूखा) का सामना करने की आवश्यकता होती है।इन सभी समस्याओं के चलते कैक्टस (Cactus) की फसलें दुनिया भर में बढ़ती रुचि प्राप्त कर रही हैं।विशेष रूप से कैक्टस नाशपाती या कांटेदार नाशपाती (ओपंटिया फिकस-इंडिका (एल)) की डिमांड...
कम बारिश में भी उगाएं कैर: जानें सूखा-सहनशील कैर की खेती के राज

कम बारिश में भी उगाएं कैर: जानें सूखा-सहनशील कैर की खेती के राज

कैर (कैपेरिस डेसीडुआ (फोर्स्क) एक बहुउद्देशीय, बारहमासी, लकड़ीदार झाड़ी या छोटा पेड़ हैं, ये गर्म और शुष्क क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से उगता हुआ पाया जाता है।राजस्थान में इसे आमतौर पर कैर या केर कहा जाता है। जबकि हरियाणा में इसे टींट या डेला के नाम से जाना जाता है। जबकि अंग्रेजी में इसे केपर बेरी के नाम से जाना जाता है।यह प्रजाति शुष्क पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण घटक है और पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके कच्चे फल कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और खनिजों से भरपूर होते हैं।कैर की खेती के लिए जलवायुकैर अत्यधिक...
बीटी कपास क्या हैं? बीटी कपास उगाने के लाभ

बीटी कपास क्या हैं? बीटी कपास उगाने के लाभ

कपास हमारे देश की सबसे महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है, जो कपड़ा उद्योग की 75% तक कच्चे माल की जरूरतों को पूरा करती है और लगभग 60 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करती है।भारत कपास की खेती में क्षेत्रफल के हिसाब से सबसे आगे है, लेकिन यहां की उत्पादकता अपेक्षाकृत कम है, जिसका मुख्य कारण इनपुट की अपर्याप्त आपूर्ति और वर्षा आधारित खेती के अंतर्गत बड़े क्षेत्र में इसकी खेती होना है।क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत विश्व में पहले स्थान पर है, जबकि उत्पादन में चीन के बाद दूसरे स्थान पर आता है।भारत में गॉसिपियम की सभी चार स्पिनेबल फाइबर...