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रूस और यूक्रेन

भारत के गेंहू को सड़ा बताकर लौटाने वाला तुर्की, गेहूं के एक-एक दाने को हुआ मोहताज

भारत के गेंहू को सड़ा बताकर लौटाने वाला तुर्की, गेहूं के एक-एक दाने को हुआ मोहताज

नई दिल्ली। तुर्की ने भारत के गेहूं को सड़ा हुआ बताकर वापिस लौटा दिया था। तुर्की द्वारा गेहूं की खेप लौटाए जाने की खबर ने ग्लोबल मार्केट में खूब चर्चा बटोरी। तुर्की ने भारत के गेहूं की क्वालिटी को लेकर सवाल उठाए थे। इसके बाद भारत ने मिस्र के साथ गेहूं खरीद का करार कर लिया था। अब वही तुर्की गेहूं के एक-एक दाने को मोहताज है। रूस और यूक्रेन समेत कई देशों से गेहूं मांग चुका तुर्की, अब गेहूं के लिए मिस्र के आगे गिड़गिड़ा रहा है। लेकिन अभी तक गेहूं खरीद का कोई करार नहीं हो सका है।

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बढ़ गई है गेहूं के इम्पोर्ट की लागत

- रूस यूक्रेन के बीच बीते पांच महीने से ज्यादा समय से जंग चल रही है। इससे गेहूं के इम्पोर्ट की लागत लगातार बढ़ रही है। पहले मिस्र ने भारत से 5 लाख टन गेहूं निर्यात करने पर सहमति जताई थी। भारत ने भी यह डील स्वीकार कर ली थी। लेकिन मिस्र ने सड़ा गेहूं बताकर उस खेप को लौटा दिया। अब मिस्र के सामने भी गेहूं का संकट खड़ा हो गया है।

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फिर से भारत ही करेगा मिस्र को गेहूं की मदद

- भारत सरकार गेहूं निर्यात पर लगे प्रतिबंध को जल्द हटाने जा रही है, जिससे बड़ी मात्रा में बंदरगाहों पर फंसे गेहूं की खेप को निर्यात किया जा सके। आखिर में, भारत ही मिस्र को गेहूं देकर उसकी मदद करेगा। जल्दी ही इस पर करार हो सकता है।
तुर्की में अनाज संकट दूर करने के लिए यूक्रेन ने भेजी गेहूं की खेप

तुर्की में अनाज संकट दूर करने के लिए यूक्रेन ने भेजी गेहूं की खेप

नई दिल्ली। इन दिनों तुर्की (Turkey) में अनाज का भीषण संकट है। संकट के इस दौर में युक्रेन (Ukraine) ने गेहूं की एक बड़ी खेप भेजकर तुर्की की मदद की है। बता दें कि बीते माह भारत ने तुर्की को गेहूं की बड़ी खेप भेजी थी, लेकिन तुर्की ने भारत के गेहूं को सड़ा हुआ गेहूं बताकर उसे वापिस लौटा दिया था। हालांकि एक सप्ताह बाद ही तुर्की फिर से भारत से गेहूं की मांग करने लगा। भारत ने भी तुर्की को गेहूं भेजने का आश्वासन दिया। मगर इस बीच युक्रेन ने तुर्की को गेहूं की बड़ी खेप भेज दी है। तुर्की के रक्षा मंत्रालय के अनुसार यूक्रेनी बंदरगाह से अनाज कार्गो के साथ पहली शिपमेंट में तुर्की पहुंच चुका है।



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स्पूतनिक न्यूज एजेंसी के हवाले से दी गई खबर में राष्ट्रपति के प्रवक्ता, इब्राहिम कालिन ने कहा कि यूक्रेन से गेहूं की बड़ी खेप तुर्की आ चुकी है। उन्होंने बताया कि काला सागर के माध्यम से अनाज का निर्यात आने वाले दिनों में शुरू होगा। शीघ्र ही समुद्री अनाज परिवहन शुरू की जाएगी। जो आगामी वैश्विक खाद्य संकट में महत्वपूर्ण होगी।

यूक्रेनी संकट को कूटनीतिक रूप से हल करने का प्रयास करेगा तुर्की

- तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब इरदुगान के मुताबिक वह यूक्रेनी संकट को कूटनीतिक रूप से हल करने का प्रयास करेंगे। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में शांति बनाने के लिए राजनीतिक प्रयास किया जाएगा। शीघ्र ही इसका अच्छा समाचार मिलने की उम्मीद है। इसके लिए दोनों देशों के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से बातचीत चल रही है।

अनाज संकट बनेगा रूस और यूक्रेन युद्ध थामने में मददगार

- वैश्विक स्तर पर कई देशों में अनाज का भीषण संकट है। उधर रूस और यूक्रेन युद्ध अभी तक जारी है। अनाज संकट वाले देश इन दोनों देशों में शांति बनाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। लेकिन देखना यह है कि क्या वाकई अनाज संकट ही रूस और यूक्रेन युद्ध को थामने में कारगर साबित होगा।



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यूरोप की ब्रेडबास्केट माना जाता है यूक्रेन

- यूक्रेन गेहूं, मक्का और सूरजमुखी का बड़ा उत्पादक देश है। यूक्रेन में दुनिया का 10 फीसदी गेहूं, 12-17 फीसदी मक्का व 50 फीसदी सूरजमुखी का उत्पादन होता है। यही कारण है कि यूक्रेन को यूरोप का ब्रेडबास्केट के रूप में माना जाता है। रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते मानवीय आपदा की कगार पर हैं लोग - रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते ब्रिटेन जैसे कई देशों में रोजमर्या कई वस्तुओं की कीमत बढ़ गईं हैं। दुनियाभर में 47 मिलियन लोग मानवीय आपदा पर खड़े हैं। जिसका बड़ा कारण रूस और यूक्रेन युद्ध ही है। पश्चिम ने आरोप लगाया है कि रूस की कार्यवाइयों के कारण ही ऐसे हालात पैदा हुए हैं।
डीजल की कमी के कारण किसानों को क्या दिक्कतें आ रही हैं

डीजल की कमी के कारण किसानों को क्या दिक्कतें आ रही हैं

डीजल की कमी के कारण किसानों को क्या दिक्कतें आ रही हैं और सरकार इस समस्या पर काबू पाने के लिए क्या कर रही है?

जैसा की हम सबको पता है कि अभी बरसात का सीजन शुरू हुआ है. इस समय किसान
खेतो की जोताई और बोआई करते है. जोताई के लिए किसान ट्रैक्टरों का इस्तमाल करते है और ट्रैक्टर चलाने के लिए डीजल लगता है. परंतु अभी के समय भारत के कई सारे प्रदेशों में पेट्रोल और डीजल की कमी हो गई है. कई सारी जगह पर ये हालत है कि सिर्फ एक या दो दिन का स्टॉक ही बचा है. इस तरह की हालातो को देख कर ऐसा लगता है कि पेट्रोल और डीजल के दाम और बढ़ जाएंगे क्योंकि इनकी मांग ज्यादा और सप्लाई कम है. यहां तक कि जो पेट्रोल पंप हाईवे पे पड़ते हैं उनमें भी 60% पेट्रोल पंप में डीजल खतम हो गया है. पेट्रोल पंप में तेल की कमी पे पेट्रोल पंप एसोसिएशन का कहना है कि केंद्र सरकार के पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने के बाद तेल कंपनियों में सप्लाई कम कर दी है. यदि ऐसा ही चलता रहा तो आगे आने वाले दिनों में हालात बद से बदत्तर हो जाएंगे. हो सकता है कि किसान धरने पर उतर आए. सप्लाई न होने के कारण शहर के पेट्रोल पंप 2 से 3 घंटे तक बंद रहे.

सूत्रों के हिसाब से सरकार डीजल के एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है

प्राइवेट डीजल कंपनियां ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए डीजल को बाहर एक्सपोर्ट कर रही है और अपने ही देश में डीजल की सप्लाई को 50 फीसदी तक कम कर दिया है. रूस और यूक्रेन की लड़ाई के कारण ग्लोबल मार्केट में डीजल की मांगे उछाल दर्ज किया गया है.  
अब रूस देगा जरूरतमंद देशों को सस्ती कीमतों पर गेंहू, लेकिन पूरी करनी पड़ेगी यह शर्त

अब रूस देगा जरूरतमंद देशों को सस्ती कीमतों पर गेंहू, लेकिन पूरी करनी पड़ेगी यह शर्त

भारत बिना शर्त दे रहा है जरूरतमंद देशों को सस्ता गेंहू

नई दिल्ली। भारत पिछले 40 दिनों से जरूरतमंद देशों को बिना शर्त ही सस्ता गेंहू उपलब्ध करा रहा है, क्यूंकि इस साल 
गेंहू की कम पैदावार के चलते वैश्विक बाजार में गेंहू का भारी संकट है। रूस ने भी भारत की तरह जरूरतमंद देशों को सस्ता गेंहू देने की योजना बनाई है। लेकिन उसके लिए एक शर्त रखी है कि गेंहू खरीद का भुगतान केवल उसकी अपनी मुद्रा रूबल में ही करना होगा। इसके पीछे पहली वजह ये है कि प्रतिबंध की वजह से रूस डालर को रूबल से एक्सचेंज नहीं कर सकता है। दूसरी वजह है कि रूबल में भुगतान होने की सूरत में उसकी मुद्रा अधिक मजबूत होगी। इस तरह रूस ने वैश्विक बाजार में बड़ा पासा फेंक दिया है। रूस ने यह निर्णय अपने देश का निर्यात बढाने के लिए भी लिया है।

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यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के चलते रूस कई तरह के आर्थिक प्रतिबंधों की मार झेल रहा है। अब अपने गेंहू की नई पैदावार को नुकसान से बचाने के लिए रूस ने एक बड़ी योजना बनाई है। इस योजना के तहत उसने ग्रेन एक्‍सपोर्ट टैक्‍स को कम करने का फैसला किया है। इसका सीधा रूस से होने वाले गेहूं निर्यात पर पड़ेगा। रूस की मंशा भी यही है। यह भी बता दें कि रूस विश्‍व में गेहूं का सबसे बड़ा निर्यातक है। कई जरूरतमंद देश रूस से ही अपनी गेहूं की जरूरत को पूरा भी करते हैं। लेकिन इस बार कहानी कुछ और है।

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टैक्स में भी किया है बदलाव

- टैक्स की नई दरें छह जुलाई से लागू हो जाएंगी। रूसी कृषि मंत्रालय के अनुसार इस गर्मी के मौसम में रूस में गेहूं की बंपर पैदावार होने की उम्मीद है। इसके कारण निर्यात के लिए बड़ी मात्रा में गेहूं उपलब्ध रहेगा। रूस ने टैक्स घटाकर 4,600 रूबल (86 डालर) प्रति टन कर दिया है। रूस इसी टैक्स दर पर अपने परंपरागत ग्राहक पश्चिम एशिया और अफ्रीका के देशों को गेहूं की आपूर्ति करेगा।

दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई करते हैं रूस और यूक्रेन

- रूस और यूक्रेन दुनियाभर में गेहूं की सप्लाई करते हैं। दोनों देश खाद्यान्न और खाद्य तेल समेत दूसरे खाद्य पदार्थों के बड़े निर्यातक हैं। दोनों देश यूरोप के 'ब्रेड बास्केट' (Breadbasket of Europe) कहे जाते हैं। दुनिया के बाजार में आने वाले गेहूं में 29 और मक्के में 19 फीसदी की हिस्सेदारी यूक्रेन और रूस की है। सूरजमुखी तेल का सबसे बड़ा उत्पादक यूक्रेन है। रूस का नंबर दूसरा है। एसएंडपी ग्लोबल प्लैट्स (S&P Global Platts) के मुताबिक दोनों मिल कर सूरजमुखी तेल के उत्पादन में 60 फीसदी हिस्सेदारी रखते हैं।लेकिन लड़ाई की वजह से कुछ फ्यूचर एक्सचेंजों में तो कमोडिटी के भाव 14 साल के शिखर पर पहुंच गए।
सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

सरकार ने इन व्यापारियों को दी गेंहू निर्यात करने की अनुमति

रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच जारी जंग से ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई प्रभावित

नई दिल्ली। इस साल गेंहू की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के चलते भारत ने गत 14 मई को
गेंहू निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। उधर रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते ग्लोबल मार्केट में गेंहू की सप्लाई को बुरी तरह प्रभावित किया है। करीब 2 माह बाद भारत सरकार गेंहू निर्यात को मंजूरी देने जा रही है। लेकिन इसके लिए कुछ नए नियम बनाए गए हैं। केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के तहत आने वाले विदेश व्यापार महानिदेशालय ने करीब 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट को जारी कर दिया गया है। ये सर्टिफिकेट सिर्फ उन व्यापारियों को ही दिया जाएगा, जिनके पास लेटर ऑफ क्रेडिट होगा।

13 मई से पहले जारी हो चुके हैं लेटर ऑफ क्रेडिट

- सरकार गेंहू की उस खेप के निर्यात के लिए अनुमति देने जा रही है, जिनके लिए लेटर ऑफ क्रेडिट 13 मई या उससे पहले जारी किया गया था।

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रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण बढ़ी अनाज की कीमतों पर काबू पाने के लिए गेंहू की सप्लाई को बहुत बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। दोनों देश मिलकर वैश्विक गेंहू आपूर्ति का लगभग एक चौथाई हिस्सा पूरा करते हैं।

16 लाख टन गेंहू को मिली है मंजूरी

- वैध लेटर ऑफ क्रेडिट वाले निर्यातकों को अपनी खेप भेजने के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय के पास रजिस्ट्रेशन करना पड़ेगा। इसके बाद उन्हें गेंहू के एक्सपोर्ट के लिए मंजूरी दे दी जाएगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय के क्षेत्रीय अधिकारी निर्यातकों को आरसी भी जारी करेंगे। अब तक 16 लाख टन गेंहू के निर्यात के लिए आरसी जारी कर दी गई है। रूस ने तुर्की के माध्यम से गेंहू का निर्यात शुरू कर दिया है। वैश्विक बाजार में अब गेंहू की कीमतें स्थिर हो सकती हैं।

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भारत में 14 फीसदी गेहूं का उत्पादन

- भारत गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत ने 2020 में दुनिया के कुल उत्पादन में लगभग 14 फीसदी योगदान किया था। भारत सालाना लगभग 107.59 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन होता है। लेकिन इसका एक बड़ा भाग घरेलू खपत में जाता है। भारत में प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, बिहार और गुजरात हैं।

पिछले साल 70 लाख टन गेंहू का हुआ था निर्यात

- अन्य देशों की तुलना में भारतीय गेहूं की बेहतर मांग होने के कारण 2021-22 में भारत ने 70 लाख टन गेहूं का निर्यात हुआ था। इसकी कीमत करीब 2.05 बिलियन अमरीकी डॉलर के आस-पास थी। पिछले वित्त वर्ष में कुल गेहूं निर्यात में से लगभग 50% शिपमेंट बांग्लादेश को भेजा जा चुका था। 2020-21 में भारतीय गेहूं का सबसे अधिक आयात करने वाले देश बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, नेपाल, यमन और अफगानिस्तान आदि देश शामिल रहे थे। ------ लोकेन्द्र नरवार