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सब्जियों की खेती

युवक की किस्मत बदली सब्जियों की खेती ने, कमाया बेहद मुनाफा

युवक की किस्मत बदली सब्जियों की खेती ने, कमाया बेहद मुनाफा

सब्जियों की खेती के लिए काफी समझ और मेहनत की आवश्यकता होती है, क्योंकि सब्जियों की मांग के हिसाब से किसानों को सब्जी उत्पादन करना बेहद आवश्यक होता है, जिससे कि सब्जियों का सही और लाभप्रद मूल्य मिल सके।

देशभर में भिन्न भिन्न जगहों पर सब्जी की मांग उस क्षेत्र की भौगोलिक स्तिथि के अनुरूप होती है। अलग अलग जगहों पर सब्जी एवं अन्य खाद्यान्न पदार्थों की अहम भूमिका होती है। 

इन सभी बातों को ध्यांन में रखकर कश्मीर के शोपियां जिले के मोहम्मद अयूब ने सब्जियों की खेती की और उन सब्जियों को उगाने में प्राथमिकता दी जिन सब्जियों की बाज़ार में अत्यधिक मांग है, और इस वजह से मोहम्मद अयूब काफी मुनाफा कमाते हैं।

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मोहम्मद अयूब की सफलता की कहानी

मोहम्मद अयूब जम्मू कश्मीर के सोपिया जिले में सफा नगरी नामक गांव में रहते हैं। आजीविका के लिए सरकारी और प्राइवेट नौकरियों की तलाश में इधर से उधर प्रयास किया, लेकिन कोई आय का साधन नहीं मिला। 

उसके बाद मोहम्मद अयूब ने खेती के माध्यम से आय का स्त्रोत बनाने का निश्चय किया और बाजार में कौन सी फसल सबसे अधिक फायदा प्रदान कर सकती है, इस बारे में विचार विमर्श करके अत्याधिक मांग वाली सब्जियों का चयन किया। 

सब्जियों की अच्छी तरह देखरेख करके अयूब ने बेहतर उत्पादन किया और सब्जिओं के उत्पादन से अच्छा खासा मुनाफा कमाया है।

अयूब प्रति वर्ष कितना मुनाफा कमा लेते हैं ?

मोहम्मद अयूब सब्जियों के उत्पादन से लगभग ६ लाख तक का मुनाफा कमा लेते हैं। उपरोक्त में जैसा कि बताया गया है, अयूब ने अत्यधिक मांग वाली सब्जियों का चयन किया जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा कमाने में सहायता हुई। अयूब खुद की २ अकड़ ज़मीन को किसी भी समय खाली नहीं छोड़ते हैं।

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सेब के दाम में भारी गिरावट से सम्बंधित अयूब ने क्या कहा ?

इस सन्दर्भ में अयूब ने बोला है कि सेब के अत्यधिक उत्पादन के चलते सेब के दाम में कमी आयी है, लेकिन मूली के उत्पादन से अच्छा खासा लाभ प्राप्त हो सकता है। उन्होंने कहा कश्मीर की पहचान एक हॉर्टिकल्चर राज्य के रूप में है।

मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

आजकल रबी की फसल की कटाई का समय चल रहा है। मार्च-अप्रैल में किसान सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देते हैं। लेकिन किसान कौन सी सब्जी का उत्पादन करें इसका चयन करना काफी कठिन होता है। किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली सब्जियों के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले हैं। 

दरअसल, आज हम भारत के कृषकों के लिए मार्च-अप्रैल के माह में उगने वाली टॉप 5 सब्जियों की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम वक्त में बेहतरीन उपज देती हैं। 

भिंडी की फसल (Okra Crop)

भिंडी मार्च-अप्रैल माह में उगाई जाने वाली सब्जी है। दरअसल, भिंडी की फसल (Bhindi Ki Fasal) को आप घर पर गमले अथवा ग्रो बैग में भी सुगमता से लगा सकते हैं। 

भिंडी की खेती के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है। आमतौर पर भिंडी का इस्तेमाल सब्जी बनाने में और कभी-कभी सूप तैयार करने में किया जाता है।

खीरा की फसल (Cucumber Crop)

किसान भाई खीरे की खेती (Cucumber cultivation) से काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। दरअसल, खीरा में 95% प्रतिशत पानी की मात्रा होती है, जो गर्मियों में स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। गर्मियों के मौसम में खीरा की मांग भी बाजार में काफी ज्यादा देखने को मिलती है। 

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अब ऐसी स्थिति में अगर किसान अपने खेत में इस समय खीरे की खेती करते हैं, तो वह काफी शानदार कमाई कर सकते हैं। खीरा गर्मी के सीजन में काफी अच्छी तरह विकास करता है। इसलिए बगीचे में बिना किसी दिक्कत-परेशानी के मार्च-अप्रैल में लगाया जा सकता है। 

बैंगन की फसल (Brinjal Crop)

बैंगन के पौधे (Brinjal Plants) को रोपने के लिए दीर्घ कालीन गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। साथ ही, बैंगन की फसल के लिए तकरीबन 13-21 डिग्री सेल्सियस रात का तापमान अच्छा होता है। क्योंकि, इस तापमान में बैंगन के पौधे काफी अच्छे से विकास करते हैं।

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ऐसी स्थिति में यदि आप मार्च-अप्रैल के माह में बैंगन की खेती (baingan ki kheti) करते हैं, तो आगामी समय में इससे आप अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। 

धनिया की फसल (Coriander Crop)

एक अध्यन के अनुसार, हरा धनिया एक प्रकार से जड़ी-बूटी के समान है। हरा धनिया सामान्य तौर पर सब्जियों को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के कार्य करता है। 

इसे उगाने के लिए आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में भारत के किसान धनिया की खेती (Coriander Cultivation) मार्च-अप्रैल के माह में सुगमता से कर सकते हैं।

प्याज की फसल (Onion Crop)

प्याज मार्च-अप्रैल में लगाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। प्याज की बुवाई के लिए 10-32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। प्याज के बीज हल्के गर्म मौसम में काफी अच्छे से विकास करते हैं। इस वजह से प्याज रोपण का उपयुक्त समय वसंत ऋतु (Spring season) मतलब कि मार्च- अप्रैल का महीना होता है। 

बतादें, कि प्याज की बेहतरीन प्रजाति के बीजों की फसल लगभग 150-160 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि, हरी प्याज की कटाई (Onion Harvesting) में 40-50 दिन का वक्त लगता है।

जायद में हाइब्रिड करेला की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है, जानें कैसे

जायद में हाइब्रिड करेला की खेती किसानों को मालामाल बना सकती है, जानें कैसे

किसान भाई रबी की फसलों की कटाई करने की तैयारी में है। अप्रैल महीने में किसान रबी की फसलों के प्रबंधन के बाद हाइब्रिड करेला उगाकर तगड़ा मुनाफा हासिल कर सकते हैं। 

करेला की खेती सालभर में दो बार की जा सकती है। सर्दियों वाले करेला की किस्मों की बुआई जनवरी-फरवरी में की जाती है, जिसकी मई-जून में उपज मिलती है। 

वहीं, गर्मियों वाली किस्मों की बुआई बरसात के दौरान जून-जुलाई में की जाती हैं, जिसकी उपज दिसंबर तक प्राप्त होती हैं।

समय के बदलाव के साथ-साथ कृषि क्षेत्र भी आधुनिक तकनीक और अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं। वर्तमान में किसान पारंपरिक फसलों की बजाय बागवानी फसलों की खेती पर अधिक अग्रसर हो रहे हैं। 

अब किसान बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से बाजार में दोहरे उद्देश्य को पूर्ण करने वाली सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। क्योंकि, बाजार में इस प्रकार की सब्जियों की मांग बढ़ती जा रही है। 

दरअसल, करेला की सब्जी की भोजन हेतु सब्जी होने के साथ-साथ एक अच्छी औषधी है।

पारंपरिक खेती की बजाय व्यावसायिक खेती पर बल

तकनीकी युग में अधिकांश किसान व्यावसायिक खेती पर ज्यादा बल दे रहे हैं। विशेषकर, बहुत सारी कंपनियां किसानों को अग्रिम धनराशि देकर करेले की खेती करवा रही हैं। 

इसके लिए लघु कृषक कम जमीन में मचान प्रणाली का इस्तेमाल कर खेती कर रहे हैं। इससे करेले की फसल में सड़ने-गलने का संकट अत्यंत कम होता जा रहा है। साथ ही, किसानों को कम लागत में शानदार पैदावार हांसिल हो रही है।

हाइब्रिड करेला की खेती के लिए कैसा मौसम होना चाहिए  

हाइब्रिड करेला की सदाबहार प्रजातियों की खेती के लिए मौसम की कोई भी सीमा नहीं है। इसलिए बहुत सारे किसान अलग-अलग इलाकों में हाइब्रिड करेला उगाकर शानदार धनराशि अर्जित कर रहे हैं। 

इनके फल 12 से 13 सेमी लंबे और 80 से 90 ग्राम वजन के होते हैं। हाइब्रिड करेला की खेती करने पर एक एकड़ में 72 से 76 क्विंटल उत्पादन प्राप्त होता है, जो सामान्य से काफी ज्यादा है। 

हाइब्रिड करेला कम परिश्रम में अधिक फल प्रदान करता है 

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, हाइब्रिड करेला कम मेहनत में देसी करेले की तुलना में अधिक उपज प्रदान करते हैं। वर्तमान में किसान भाई देसी करेले की खेती पर ज्यादा जोर दे रहे हैं। 

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किसान भाई ध्यान रखें कि हाइब्रिड करेला के पौधे बड़ी तीव्रता से बढ़ते हैं। हाइब्रिड करेला के फल काफी बड़े होते हैं, जो कि सामान्य तौर पर नहीं होता है। इनकी संख्या काफी ज्यादा होती है। हालाँकि, हाइब्रिड करेला की खेती भी देसी करेला की तरह ही की जाती है। 

जानकारी के लिए बतादें, कि हाइब्रिड करेला का रंग और स्वाद काफी अच्छा होता है, इसलिए इसके बीज काफी ज्यादा महंगे होते हैं। 

हाइब्रिड करेला की सबसे अच्छी किस्में

कोयंबटूर लौंग और हाइब्रिड करेला की प्रिया किस्में उत्पादन में सबसे अग्रणी हैं। करेले की बेहतरीन और उत्तम किस्मों में कल्याणपुर सोना, बारहमासी करेला, प्रिया सीओ-1, एसडीयू-1, पंजाब करेला-1, पंजाब-14, सोलन हारा, सोलन, पूसा टू सीजनल, पूसा स्पेशल, कल्याणपुर, कोयंबटूर लॉन्ग और बारहमासी भी शामिल हैं। हाइब्रिड करेले की खेती करने के लिए खेत में अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी सबसे बढ़िया रहती है।

ऑफ सीजन में गाजर बोयें, अधिक मुनाफा पाएं (sow carrots in off season to reap more profit in hindi)

ऑफ सीजन में गाजर बोयें, अधिक मुनाफा पाएं (sow carrots in off season to reap more profit in hindi)

गाजर जो दिखने में बेहद ही खूबसूरत होती है और इसका स्वाद भी काफी अच्छा होता है स्वाद के साथ ही साथ विभिन्न प्रकार से हमारे शरीर को लाभ पहुंचाती है। गाजर से जुड़ी पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहें । जानें कैसे ऑफ सीजन में गाजर बोयें और अधिक मुनाफा पाएं। 

ऑफ सीजन में गाजर की खेती दें अधिक मुनाफा

सलाद के लिए गाजर का उपयोग काफी भारी मात्रा में होता है शादियों में फेस्टिवल्स विभिन्न विभिन्न कार्यक्रमों में गाजर के सलाद का इस्तेमाल किया जाता है। इसीलिए लोगों में इसकी मांग काफी बढ़ जाती है, बढ़ती मांग को देखते हुए इनको ऑफ सीजन भी उगाया जाता है विभिन्न रासायनिक तरीकों से और बीज रोपड़ कर। 

गाजर की खेती

गाजर जिसको इंग्लिश में Carrot के नाम से भी जाना जाता है। खाने में मीठे होते हैं तथा दिखने में खूबसूरत लाल और काले रंग के होते हैं। लोग गाजर की विभिन्न  विभिन्न प्रकार की डिशेस बनाते हैं जैसे; गाजर का हलवा सर्दियों में काफी शौक और चाव से खाया जाता है। ग्रहणी गाजर की मिठाइयां आदि भी बनाती है। स्वाद के साथ गाजन में विभिन्न प्रकार के विटामिन पाए जाते हैं जैसे विटामिनए (Vitamin A) तथा कैरोटीन (Carotene) की मात्रा गाजर में भरपूर होती है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए कच्ची गाजर लोग ज्यादातर खाते हैं इसीलिए गाजर की खेती किसानों के हित के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है। 

गाजर की खेती करने के लिए जलवायु

जैसा कि हम सब जानते हैं कि गाजर के लिए सबसे अच्छी जलवायु ठंडी होती है क्योंकि गाजर एक ठंडी फसल है जो सर्दियों के मौसम में काफी अच्छी तरह से उगती है। गाजर की फसल की खेती के लिए लगभग 8 से 28 डिग्री सेल्सियस का तापमान बहुत ही उपयोगी होता है। गर्मी वाले इलाके में गाजर की फसल उगाना उपयोगी नहीं होता। 

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ऑफ सीजन में गाजर की खेती के लिए मिट्टी का उपयोग

किसान गाजर की अच्छी फसल की गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए तथा अच्छी उत्पादन के लिए दोमट मिट्टी का ही चयन करते हैं क्योंकि यह सबसे बेहतर तथा श्रेष्ठ मानी जाती है। फसल के लिए मिट्टी को भली प्रकार से भुरभुरा कर लेना आवश्यक होता है। बीज रोपण करने से पहले जल निकास की व्यवस्था को बना लेना चाहिए, ताकि किसी भी प्रकार की जलभराव की स्थिति ना उत्पन्न हो। क्योंकि जलभराव के कारण फसलें सड़ सकती हैं , खराब हो सकती है, जड़ों में गलन की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है तथा फसल खराब होने का खतरा बना रहता है। 

गाजर की खेती का सही टाइम

किसानों और विशेषज्ञों के अनुसार गाजर की बुवाई का सबसे अच्छा और बेहतर महीना अगस्त से लेकर अक्टूबर तक के बीच का होता है। गाजर की कुछ अन्य किस्में  ऐसी भी हैं जिनको बोने का महीना अक्टूबर से लेकर नवंबर तक का चुना जाता है और यह महीना सबसे श्रेष्ठ महीना माना जाता है। गाजर की बुवाई यदि आप रबी के मौसम में करेंगे , तो ज्यादा उपयोगी होगा गाजर उत्पादन के लिए तथा आप अच्छी फसल को प्राप्त कर सकते हैं।

ऑफ सीजन में गाजर की फसल के लिए खेत को तैयार करे

किसान खेत को भुरभुरी मिट्टी द्वारा तैयार कर लेते हैं खेत तैयार करने के बाद करीब दो से तीन बार हल से जुताई करते हैं। करीब तीन से 5 दिन के भीतर अपने पारंपरिक हल से जुताई करना शुरू कर देते हैं और सबसे आखरी जुताई के लिए पाटा फेरने की क्रिया को अपनाते हैं।  खेत को इस प्रकार से फसल के लिए तैयार करना उपयुक्त माना जाता है।

गाजर की उन्नत किस्में

गाजर की बढ़ती मांग को देखते हुए किसान इनकी विभिन्न विभिन्न प्रकार की  किस्मों का उत्पादन करते हैं। जो ऑफ सीजन भी उगाए जाते हैं। गाजर की निम्न प्रकार की किस्में होती है जैसे:

  • पूसा मेघाली

पूसा मेघाली की बुआई लगभग अगस्त से सितंबर के महीने में होती है। गाजर की इस किस्म मे भरपूर मात्रा में कैरोटीन होता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है। यह फसल उगने में 100 से लेकर 110 दिनों का समय लेते हैं और पूरी तरह से तैयार हो जाती हैं।

  • पूसा केसर

गाजर कि या किस्म भी बहुत ही अच्छी होती है या 110  दिनों में तैयार हो जाती हैं। पूसा केसर की बुआई का समय अगस्त से लेकर सितंबर का महीना उपयुक्त होता है।

  • हिसार रसीली

हिसार रसीली सबसे अच्छी किस्म होती है क्योंकि इसमें विटामिन ए पाया जाता है तथा इसमें कैरोटीन भी होता है। इसलिए बाकी किस्मों से यह सबसे बेहतर किसमें होती है। यह फसल तैयार होने में लगभग 90 से 100 दिनों का टाइम लेती है।

  • गाजर 29

गाजर की या किस्म स्वाद में बहुत मीठी होती है इस फसल को तैयार होने में लगभग 85 से 90 दिनों का टाइम लगता है।

  • चैंटनी

चैंटनी किस्म की गाजर दिखने में मोटी होती है और इसका रंग लाल तथा नारंगी होता है इस फसल को तैयार होने में लगभग 80 से 90 दिन का टाइम लगता है।

  • नैनटिस

नैनटिस इसका स्वाद खाने में बहुत स्वादिष्ट तथा मीठे होते हैं या फसल उगने में 100 से 120 दिनों का टाइम लेती है। 

 दोस्तों हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह आर्टिकल Gajar (agar sinchai ki vyavastha ho to), Taki off-season mein salad ke liye demand puri ho aur munafa badhe काफी पसंद आया होगा और हमारा यह आर्टिकल आपके लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगा। हमारे इस आर्टिकल से यदि आप संतुष्ट है तो ज्यादा से ज्यादा इसे शेयर करें।

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

पाकिस्तान को टमाटर और प्याज निर्यात करेगा भारत

भीषण बाढ़ की वजह से पाकिस्तान में दिनोंदिन हालात खराब होते जा रहे हैं। इस दौरान पूरे देश में जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। भीषण बाढ़ आने के बाद पूरे देश में लगभग 1000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, जबकि कई लाख लोग बाढ़ की वजह से प्रभावित हुए हैं। फिलहाल लगभग आधा देश बाढ़ की चपेट में है, जिससे सरकार ने पूरे देश में आपातकाल की घोषणा की है। अनुमानों के मुताबिक़ पाकिस्तान को इस बाढ़ की वजह से लगभग 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान झेलना होगा। बाढ़ की स्थिति को देखते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अंतरराष्ट्रीय मदद की गुहार लगाई है। इस मामले में कई देश पाकिस्तान की मदद कर भी रहे हैं। हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को बाढ़ रिलीफ फंड के नाम पर 30 मिलियन डॉलर की मदद दी है। इसके अलावा आपदा की इस घड़ी में कई यूरोपीय देशों के अतिरिक्त दुनियाभर के अन्य देश पाकिस्तान की मदद करने के लिए आगे आ रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पाकिस्तान में बाढ़ पीड़ितों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की हैं। पाकिस्तान में बाढ़ की वजह से बहुत सारे लोग बेघर हो गये हैं। बाढ़ में उनका सामान या तो पानी के साथ बह गया है या खराब हो गया है, ऐसे में पूरे पाकिस्तान में चीजों के दामों में तेजी से इन्फ्लेशन (Inflation) देखने को मिल रहा है। वस्तुओं की कीमतें रातों रात आसमान छूने लगी हैं।


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ऐसे में खाने पीने की चीजों से लेकर सब्जियों के भी दाम आसमान छूने लगे हैं। पाकिस्तान के सिंध और बलूचिस्तान प्रांत में लगातार तीन महीने से हो रही बरसात ने सब्जियों की खेती को तबाह कर दिया है। इससे लाहौर के बाजार में टमाटर 500 रुपये प्रति किलो, जबकि प्याज 400 पाकिस्तानी रुपये प्रति किलो बिक रही है। पाकिस्तान में सब्जियों के दाम लगातार आसमान की ओर जा रहे हैं, ऐसे में पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने भारत से टमाटर और प्याज आयात करने का मन बनाया है, ताकि देश में बढ़ती हुई सब्जियों की कीमतों में लगाम लगाई जा सके। दक्षिण भारत में और इसके साथ ही पहाड़ी राज्यों में अगस्त-सितम्बर में टमाटर की फसल की जमकर पैदावार होती है। ऐसे में अगर भारत सरकार टमाटर और प्याज के निर्यात का फैसला करती है, तो देश में किसानों को टमाटर और प्याज के अच्छे दाम मिल सकते हैं। साथ ही देश में टमाटर और प्याज की गिरती हुई कीमतों को रोका जा सकेगा।


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पाकिस्तान पहले से ही अपनी ज्यादातर खाद्य चीजों का आयात करता रहा है। गेहूं से लेकर चीनी तक के लिए पाकिस्तान दूसरे देशों पर निर्भर है। ब्राजील पाकिस्तान में चीनी का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। इसी प्रकार प्याज और टमाटर, पाकिस्तान कुछ दिनों पहले तक अफगानिस्तान से खरीद रहा था। लेकिन बलूचिस्तान और सिंध में आई बाढ़ ने पाकिस्तान में प्याज और टमाटर की मांग को बढ़ा दिया है। इसकी आपूर्ति अकेले अफगानिस्तान नहीं कर पायेगा। इसलिए अब पाकिस्तान की सरकार इस मामले में भारत से आस अलगाये हुए है, ताकि भारत पाकिस्तान की जरुरत का प्याज और टमाटर पाकिस्तान को निर्यात करे, जिससे देश में प्याज और टमाटर की कमी न होने पाए और इन चीजों के भाव नियंत्रण में रहें।
फरवरी में उगाई जाने वाली सब्जियां: मुनाफा कमाने के लिए अभी बोएं खीरा और करेला

फरवरी में उगाई जाने वाली सब्जियां: मुनाफा कमाने के लिए अभी बोएं खीरा और करेला

फरवरी का महीना खेती के लिहाज से बेहद शानदार होता है। वातावरण में कई फसलों के मानक के अनुसार नमी-ठंडी-गर्मी होती है। असल में, फरवरी एक ऐसा माह है जब ठंड की विदाई होती है और गर्मी धीरे-धीरे आती है। सच पूछें तो प्रारंभिक श्रेणी की गर्मी का आगमन फरवरी के आखिरी दिनों में शुरू हो ही जाता है। 

ऐसे में, किसान भाई क्या करें। किसान भाईयों के लिए यह माह बेहद मुफीद है। इस माह अगर वह ध्यान दे दें तो अनेक नकदी फसलों का अपने खेत में लगाकर बढ़िया पूंजी कमा सकते हैं।

फरवरी में बोएं क्या

पहला सवाल बड़ा मार्के का है। फरवरी में आखिर बोएं क्या। फरवरी में बोने के लिए नकद फसलों की लंबी फेहरिस्त है। आप फरवरी में सब्जियां बो सकते हैं। कई किस्म की सब्जियां हैं जो इस मौसम में ही बोई जाएं तो बढ़िया मुनाफ होता है।

कौन सी सब्जियां

फरवरी में आप करेला, खीरा, ककड़ी, अरबी, गाजर, चुकंदर, प्याज, मटर, मूली, पालक, गोभी, फूलगोभी, बैंगन, लौकी, करेला, लौकी, मिर्च, टमाटर आदि बो सकते हैं। इनमें बहुत सारी सब्जियां ऐसी हैं जो 90 दिनों का वक्त लेती हैं लेकिन कुछेक सब्जियां ऐसी भी हैं जो मात्र 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती हैं।

खेत की तैयारी

मान लें कि आप अपने खेत में खीरा बोना चाहते हैं। खीरा बोने के पहले आपके खेत की कंडीशन कायदे की होनी चाहिए। पहली शर्त यह है कि जो खेत की मिट्टी होनी चाहिए, वह रेतीली दोमट होनी चाहिए। दोमट मिट्टी में भी शर्त यह है कि उसमें जैविक तत्वों की प्रचुर मात्रा हो और पानी की निकासी उम्दा स्तर की हो। 

ऐसे, किसी भी जमीन पर आप अगर खीरा उगाना चाहेंगे तो फेल कर जाएंगे। यह बहुत जरूरी है कि दोमट मिट्टी हो और पानी ठहरे नहीं, निकास होता रहे। वैज्ञानिक भाषा में बात करें तो मिट्टी की गुणवत्ता पीएच 6 या पीएच 7 होनी चाहिए।

जमीन कैसे बनाएं

यह बेहद जरूरी है कि खेत में कोई घास-पतवार नहीं हो। यह बिल्कुल साफ-सुथरा होना चाहिए। दोमट मिट्टी को भुभुरा बनाने के लिए पूरे खेत को तीन से चार बार जोत लेना जरूरी होता है। हल-बैल से जोत रहे हैं तो पांच बार। ट्रैक्टर से जोत रहे हैं तो कम से कम 3 या अधिकतम चार बार जोतें। 

खेत जोतने के बाद मिट्टी में गाय के गोबर को मिलाएं। गाय का गोबर मिलाने के बाद खेत की उर्वरा शक्ति कई गुना बढ़ जाती है। आप अन्य खाद का इस्तेमाल न करें तो बेहतर। जब गोबर मिला दिया गया तो अब आप 2.5 मीटर चौड़े और 60 सेंटीमीटर की लंबाई का फासला रख कर नर्सरी तैयार कर लें।

बिजाई

बिजाई फरवरी माह में करना उचित होता है। बीजों की बिजाई के वक्त 2.5 मीटर चौड़े नर्सरी बेड पर दो-दो बीज बोयें और दोनों बीजों के बीच में कम से कम 60 सेंटीमीटर का फैसला जरूर रखें। 

बीज की गहराई कम से कम 3 सेंटीमीटर होनी चाहिए। 3 सेंटीमीटर गहराई में आप जब बीज डालते हैं तो उसे पक्षी निकाल नहीं सकेंगे। फिर उन्हें मुकम्मल रौशनी और हवा भी मिल सकेगी।

कैसे करें बिजाई

खीरे की खेती के लिए छोटी सुरंगी विधि का भारत में बहुत प्रयोग किया जाता है। इस विधि के तहत 2.5 मीटर चौड़े नर्सरी के बेड पर बिजाई होती है। बीजों को बेड के दोनों तरफ 45 सेंटीमीटर के फा.ले पर बोया जाता है। बिजाई के पहले 60 सेंटीमीटर लंबे डंडों को मिट्टी में गाड़ देना चाहिए। 

फिर पूरे खेत को प्लास्टिक शीट से कवर कर देना चाहिए। जब मौसम सही हो जाए तो प्लास्टिक को हटा देना चाहिए। माना जाता है कि खीरे के बीज को गड्ढे में ही बोना चाहिए। आप चाहें तो गोलाकार गड्ढे बना कर भी बीज डाल सकते हैं।

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, एक एकड़ खेत में खीरे का एक किलोग्राम बीज काफी है। प्रति एकड़ एक किलोग्राम बीज इसका आदर्श फार्मूला है।

उपचार

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, बिजाई से पहले ही खीरे की फसल को कीड़ों और अन्य बीमारियों से बचाने के लिए अनुकूल रासायनिक का छिड़काव करना चाहिए। बेहतर यह हो कि आप बीजों का 2 ग्राम कप्तान के साथ उपचार कर लें, फिर बिजाई करें।

खीरे की किस्में

  • पंजाब खीरा

यह 2018 में जारी की गई किस्म है। इसके फल हरे गहरे रंग के होते हैं। इनका टेस्ट कड़वा नहीं होता। औसतन इनका वजन 125 ग्राम का होता है। इसकी तुड़ाई आप फसल बोने के 60 दिनों के भीतर कर सकते हैं। फरवरी में अगर आप यह फसल बोते हैं तो माना जा सकता है कि प्रति एकड़ 370 क्विंटल खीरा आपको मिलेगा।

  • पंजाब नवीन खीरा

यह आज से 14 साल पुरानी किस्म है। इसका आकार बेलनाकार होता है। इस फसल में न तो कड़वापन होता है, न ही बीज होते हैं। यह 68 जिनों में पक जाने वाली फसल है। इसकी पैदावार 70 क्विंटल प्रति एकड़ ही होती है।

करेले की बुआई

करेले की बुआई दो तरीके से होती हैः बीज से और पौधे से। आपकी जिससे इच्छा हो, उस तरीके से बुआई कर लें। बाजार में बीज और पौधे, दोनों मौजूद हैं। 

करेले के दो से तीन बीज 2.5 से 5 मीटर की दूरी पर बोएं। बोने के पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में जरूर भिगोना चाहिए ताकि अंकुरण जल्द हो। जो नदियों के किनारे का इलाका है, वहां करेले की बढ़िया खेती होती है। खेती के पहले जमीन को जोतना बेहद जरूरी है। 

इसके बाद दो से तीन बार जमीन पर कल्टीवेटर चलवा देना चाहिए। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ती है, अंकुरण में भी तेजी आती है। उम्मीद है, हमारी दी हुई यह जानकारी आपकी आमदनी बढ़ाने में फायदेमंद साबित होगी।

इन सब्जियों को आप अपने घर पर ही उगा सकते हैं

इन सब्जियों को आप अपने घर पर ही उगा सकते हैं

आज हम आपको घर में सब्जियां उगाने के कुछ अहम तरीकों के बारे में जानकारी देंगे। यहां आज हम आपको सबसे आसान, सस्ता एवं टिकाऊ तरीका बताने वाले हैं। बतादें, कि इन पांच सब्जियों का उत्पादन आप घर में भी बड़े आराम से कर सकते हैं।  भारत के प्रत्येक घर में सब्जियों का प्रतिदिन उपयोग होता है। महीने के खर्च के मुताबिक, देखें तो केवल सब्जियों के लिए आपको प्रति माह हजारों रुपये खर्च करने होते हैं। ऐसी स्थिति में यदि हम कहें कि आप अपने घर में ही कुछ सब्जियां बड़ी आसानी से उगा सकते हैं तो आप क्या कहेंगे। आइए आज हम आपको पांच ऐसी सब्जियों के विषय में बताऐंगे, जिन्हें आप अपने घर में किसी पुराने डिब्बे अथवा बाल्टी के अंदर भी उगा सकते हैं।

आप टमाटर और बैंगन भी घर में उगा सकते हैं 

सर्दियों का मौसम है, ऐसे में टमाटर का उपयोग भारतीय घरों में काफी होता है। सब्जी बनानी हो अथवा फिर चटनी खानी हो टमाटर तो चाहिए ही। यदि आप अपने घर के अंदर टमाटर उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए पहले एक पुरानी खाली बाल्टी अथवा टब लीजिए। उसके बाद उसमें मिट्टी एवं कोकोपीट आधा भर दीजिए। वर्तमान में टमाटर के अथवा बैंगन के पौधे लगा दीजिए। सुबह-शाम इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालें। आप देखेंगे कि कुछ ही समय के अंदर ये पौधे सब्जी देने लायक हो जाएंगे।

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धनिया और लहसुन सहजता से घर में ही उगा सकते हैं

सर्दियों में सर्वाधिक मांग धनिया की पत्ती एवं लहसुन की पत्ती की होती है। बाजार में ये काफी ज्यादा कीमतों पर बिकती हैं। इसके साथ ही बहुत बार ये ताजा भी नहीं मिलते। हालांकि, आप इन दोनों को बड़ी सहजता से घर में उगा सकते हैं। इन्हें उगाने के लिए आपको बस कोई टब अथवा पुरानी बाल्टी लेनी है, उसके बाद उसमें कोकोपीट एवं मिट्टी को मिलाकर आधा भर देना है। इसके उपरांत यदि आप धनिया उगाना चाहते हैं, तो उसके बीज इस के अंदर लगा सकते हैं। यदि आप लहसुन उगाना चाहते हैं, तो पहले लहसुन की कलियों को भिन्न-भिन्न कर लीजिए, फिर उनको सिरे की तरफ से मिट्टी में घुसा दीजिए। सुबह शाम इसमें थोड़ा-थोड़ा पानी डालिए। आप देखेंगे कि कुछ ही दिनों में आपकी बाल्टी अथवा टब हरी-हरी पत्तियों से भर जाएगी।

शिमला मिर्च भी आप घर पर ही उगा सकते हैं

शिमला मिर्च स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद होती है। सर्दियों में इसकी खूब मांग होती है। अब ऐसे में यदि आप अपने घर में शिमला मिर्च उगाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको ऊपर दी गई प्रक्रिया को दोहराना पड़ेगा। फिर उस बाल्टी अथवा टब में शिमला मिर्च के एक या दो पौधे लगा देने होंगे। इन पौधों को लगाने के कुछ दिनों पश्चात इनमें शिमला मिर्च लगने शुरू हो जाएंगे। 
इस तकनीकी से खेती करने वाले किसानों को हरियाणा सरकार देगी 90% सब्सिडी

इस तकनीकी से खेती करने वाले किसानों को हरियाणा सरकार देगी 90% सब्सिडी

बांस और जालियों के सहारे सब्जियां उगाने वाले किसानों को होगा फायदा

चंडीगढ़। हरियाणा राज्य सरकार ने बांस और जालियों के सहारे सब्जियां उगाने वाले किसानों के लिए बड़ी राहत देने का एलान किया है। बांस और जालियों के सहारे सब्जियों की खेती करने पर राज्य सरकार 90% सब्सिडी देगी। इस नई तकनीकी का इस्तेमाल करने पर सरकार ने किसानों को आर्थिक अनुदान देने का ऑफर दिया है। सब्जियों की खेती में बॉस और स्टैकिंग विधि का इस्तेमाल करने पर सब्सिडी का लाभ दिया जाएगा। इस विधि से किसानों की खेती में लागत कम होगी, और सरकार से अनुदान मिलने के बाद मुनाफा भी काफी अच्छा रहेगा।

क्या है यह नई तकनीकी ''स्टैकिंग''

- इस तकनीकी को छोटे खेतों में प्रयोग किया जाता है। जिनमें सब्जियां उगाई जाती हैं। या विधि में बांस या लोहे के डंडे, रस्सी या तार के सहारे बाड़ बनाई जाती है। शुरुआत में सब्जियों की अच्छी बढ़वार के लिए बेल और लताओं के बांस, रस्सी अथवा तार के जाल का सहारा दिया जाता है। कुछ दिन बाद सब्जियों की बेल व लताएं खुद ही इनसे लिपट जाती हैं। इस तकनीकी में सब्जियां जमीन को नहीं छू पातीं। कीट-रोगों से सुरक्षित रहने के साथ-साथ सब्जियों में जलन-सड़न नहीं होती है।

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कैसे और किन किसानों को मिलेगी सब्सिडी?

- हरियाणा राज्य सरकार ने किसानों को स्टैकिंग तकनीकी से सब्जियों उगाने वाले किसानों को 50% से 90% तक सब्सिडी देने की बात कही है। इस योजना में एक किसान के पास 2.5 एकड़ भूमि होनी चाहिए। और वह किसान स्टैकिंग तकनीकी से खेती करे। तब सब्सिडी का लाभ मिलेगा।

स्टैकिंग तकनीकी पर कितना होगा खर्च?

- एक एकड़ खेत में लोहे की स्टैकिंग लगाने में करीब 1 लाख 40 हजार रुपए की लागत आती है। इसमें सरकार द्वारा 75 हजार से लेकर 1 लाख 25 हजार तक सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है।

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कैसे व कहां करें आवेदन?

- सबसे पहले किसानों को अपनी जमीन का पंजीकरण 'मेरी फसल मेरा ब्यौरा' पोर्टल पर करवाना होगा। बांस स्टैकिंग व लोहे की स्टैकिंग पर सब्सिडी योजना का लाभ लेने के लिये हरियाणा कृषि विभाग के बागवानी पोर्टल http://hortharyanaschemes.in/ पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसान चाहें तो अपने जिले के कृषि और बागवानी कार्यालय में जाकर अधिक जानकारी ले सकते हैं।

इन दस्तावेजों की होगी जरूरत:

- हरियाणा के किसानों को स्टैकिंग विधि पर सब्सिडी लेने के लिए आवदेन फार्म के साथ इन दस्तावेजों की जरूरत होगी। 1- निवास प्रमाण पत्र 2- आधार कार्ड 3- जमीन के कागजात 4- बैंक खाते की पासबुक 5- दो पासपोर्ट साइज फोटो 6- किसान का मोबाइल नम्बर नोट: यह सूचना सिर्फ मीडिया रिपोर्ट्स और जानकारियों पर आधारित है। merikheti.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले सही जांच कर लें। ------ लोकेन्द्र नरवार
बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा

बारिश में लगाएंगे यह सब्जियां तो होगा तगड़ा उत्पादन, मिलेगा दमदार मुनाफा

बारिश के मौसम में खेतों में जहां पानी की समस्या नहीं रहती, वहीं ज्यादा बारिश की स्थिति में पैदावार के नष्ट होने का भी खतरा मंडराने लगता है। लेकिन हम बात कर रहे हैं बारिश के मौसम में कम समय, अल्प लागत में पनपने वाली ऐसी सब्जियों की जिनसे किसान वर्ग दमदार उत्पादन के साथ तगड़ा मुनाफा कमा सकता है। आम जन भी इससे अपने घरेलू खर्च में बचत कर सकते हैं। मानसून की बारिश सब्जियों की पैदावार के लिए एक तरह से आदर्श स्थिति है। ऐसा इसलिए क्योंकि बरसात के मौसम में सिंचाई की समस्या से किसान को छुटकारा मिल जाता है। देश के कई हिस्सों में मानसून की दस्तक के साथ ही वेजिटेबल फार्मिंग (Vegetable Farming) यानी सब्जियों की पैदावार का भी बढ़िया वक्त आ चुका है। मानसून का मौसम खरीफ की किसानी के लिए अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके अलावा कुछ सब्जियां ऐसी भी हैं जो बारिश के पानी की मदद से तेजी से वृद्धि करती हैं।

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 सिंचाई की लागत कम होने से ऐसे में किसान के लिए मुनाफे के अवसर बढ़ जाते हैं। तो फिर जानें कौन सी हैं वो सब्जियां और उन्हें किस तरह से उगाकर किसान लाभ हासिल कर सकते हैं। 

ककड़ी (खीरा) और मूली

किसानों के लिए सलाद के साथ ही तरकारी में उपयोग की जाने वाली ककड़ी (खीरा) और मूली बारिश में कमाई का तगड़ा जरिया हो सकती है। इन दोनों के पनपने के लिए बारिश का मौसम एक आदर्श स्थिति है। इतना ही नहीं इसकी पैदावार के लिए किसान को ज्यादा जगह की जरूरत भी नहीं पड़ती, बल्कि छोटी सी जगह पर किसान मात्र 21 से 28 दिनों के भीतर बेहतर कमाई कर सकते हैं। 

फली वाली सब्जियां

जी हां हरी-भरी बीन्स जैसे कि सेम, बरबटी लगाकर भी किसान कम समय में अच्छे उत्पादन के साथ बढ़िया आमदनी कर सकते हैं।

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फलीदार सब्जियों के पनपने के लिए जुलाई और अगस्त का महीना सबसे अनुकूल माना गया है। बेलदार पौधे होने के कारण इन्हें लगाने के लिए भी ज्यादा जरूरत नहीं होती। पेड़ या दीवार के सहारे फलीदार सब्जियों की पैदावार कर किसान रुपयों की बेल भी पनपा सकते हैं। मानसूनी जलवायु फलीदार पौधों के विकास के लिए आदर्श स्थिति भी है। 

कड़वा नहीं कमाऊ है करेला

कड़वाहट की बात आए तो भारत में यह जरूर कहते हैं कि, करेला वो भी नीम चढ़ा, लेकिन किसान के लिए कमाई के दृष्टिकोण से करेला मिठास घोल सकता है। दरअसल करेला कड़वा जरूर है, लेकिन यह कई तरीकों से औषधीय गुणों से भी भरपूर है। करेला मनुष्य को कई तरह की बीमारियों से बचाव करने में भी सहायक है। विविध व्यंजनों एवं औषधीय रूप से महत्वपूर्ण करेले की मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है। तो किसान बारिश के कालखंड में बेलदार करेले की पैदावार कर अल्प अवधि में बड़ा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। 

हरी मिर्च की खनक और धनिया की महक

कहते हैं न साग-तरकारी का स्वाद हरी मिर्च और धनिया की रंगत के बगैर अधूरा है। खास तौर पर बारिश के मौसम में बाजार में हरी मिर्च और धनिया की मांग और दाम उफान पर रहते हैं। किसान के खेत की मिट्टी बलुआ दोमट या लाल हो तो यह फिर सोने पर सुहागा वाली स्थिति होगी। ये दोनों ही मिट्टी इनकी पैदावार के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं। बारिश के मौसम किसान खेत में, जबकि इसके स्वाद के दीवाने लोग अपने किचन या फिर छत एवं बाग-बगीचे में मिर्च और धनिया को उगा सकते हैं। किचन में उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की जालीदार टोकनियों में भी पानी की मदद से हरा-भरा धनिया तैयार किया जा सकता है। 

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भटा, टमाटर की पैदावार

वैसे तो बैंगन यानी की भटा और टमाटर की पैदावार साल भर की जा सकती है। लेकिन बारिश का मौसम इन दोनों सब्जियों की पैदावार के लिए बहुत अनुकूल माना गया है। सर्दी में भी इनकी खेती की जा सकती है। तो क्या तैयार हैं आप अपने खेत, छत या फिर बगीचे में ककड़ी, मूली, फलीदार सब्जियों, धनिया-मिर्च और भटा-टमाटर जैसी किफायती सब्जियों को उगाने के लिए।

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

इजराइल की मदद से अब यूपी में होगी सब्जियों की खेती, किसानों की आमदनी बढ़ाने की पहल

लखनऊ।

इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती

केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी लगातार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं। अब
उत्तर प्रदेश में इजराइल की मदद से सब्जियों की खेती होने जा रही है। उत्तर प्रदेश में चंदौली जिला ''धान का कटोरा'' नाम से जाना जाता है। चंदौली में अब इजराइल की मदद से आधुनिक तकनीकी से सब्जियों की खेती करने की योजना बनाई जा रही है। चंदौली में इंडो-इजरायल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर वेजिटेबल की स्थापना की जा रही है। इसका फायदा चंदौली के साथ-साथ गाजीपुर, मिर्जापुर, बनारस व आसपास के कई जिलों को मिलेगा। उक्त सेंटर के द्वारा किसानों को सब्जियों की पैदावार बढ़ाने में काफी फायदा मिलेगा।


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खेतों में आधुनिक तकनीकी का प्रयोग कर किसान को बेहतर उपज देने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। यूपी में कृषि क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए कृषि उत्पादों की नर्सरी तैयार की जा रही है। जिससे कई जिलों के किसानों को लाभ मिलेगा। इसके अलावा यूपी के इस जिले का कृषि और सब्जियों के क्षेत्र में पूरी दुनियां में नाम रोशन होगा। यूपी सरकार की योजना है कि धान व गेहूं के उत्पादन में बेहतर रहने वाला जिला सब्जियों के उत्पादन में भी बेहतर परिणाम दे सके, जिसके लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है।


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इस तकनीकी से किसानों को मिलेंगे उन्नत बीज

- इजराइल तकनीकी से होने वाली खेती के लिए किसानों को उन्नत बीज मिलेंगे। उत्कृष्टता केन्द्र बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीकी के लिए प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में काम किया करते हैं। कृषि सेंटर से चंदौली के साथ-साथ पूर्वांचल के किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।


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चंदौली में बागवानी फसलों के लिए मिलती है अच्छी जलवायु

उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में बागवानी खेती के लिए अच्छी जलवायु एवं वातावरण मिलता है। यही कारण है कि चंदौली को चावल का कटोरा कहा जाता है। यूपी में 9 ऐसे राज्य हैं जिनमें विभिन्न बागवानी फसलों के लिए अनुकूल वातावरण मिलता है। सब्जियों के लिए उत्कृष्टता केन्द्र टमाटर, काली मिर्च, बैंगन, खीरा, हरी मिर्च व विदेशी सब्जियों का हाईटेक क्लाइमेंट कंट्रोल्ड ग्रीन हाउस में सीडलिंग उत्पादन किया जाना प्रस्तावित है।
दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

सर्दी का आगमन हो चुका है और इस व्यस्त मौसम के लिए किसानों के पास अपने खेत को तैयार करने का यह सही समय है। कई लोगों के लिए यह समय छुट्टियां मनाने और अपने प्रिय जनों के साथ समय बिताने का समय होता है, लेकिन किसानों के लिए सर्दी के इस मौसम में भी पूर्णमूल्यांकन और तैयारी करने का समय माना जाता है। दिसंबर के इस महीने को सब्जियों की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। मिट्टी में नमी और सर्द वातावरण के बीच किसान मूली, टमाटर, पालक, गोभी और बैगन की खेती कर अच्छे प्रोडक्शन के साथ बढ़िया मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। वैसे तो नई तकनीकों के कारण ऑफ सीजन में भी खेती करना आसान हो गया है, लेकिन प्राकृतिक वातावरण में उगने वाली सब्जियों की बात ही कुछ अलग होती है।


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यदि आप सोचते हैं, कि ज्यादातर स्वादिष्ट सब्जी गर्मियों के दौरान उगाई जाती हैं। जब आप के बगीचे में सब कुछ खिला हुआ होता है, तो आप गलत हैं। सर्दी अपने साथ स्वादिष्ट हरी सब्जियों की भरमार लेकर आती है, जिन्हें आप अपने बगीचे में काफी आसानी से उगा सकते हैं। इस मौसम में उगने वाली सब्जियां न केवल स्वाद में अच्छी होती हैं, बल्कि पोषण प्रदान करने के अलावा कई तरह से फायदेमंद भी होती हैं। सब्जी की खेती निश्चित रूप से एक लाभदायक व्यापार है और यह सिर्फ बड़े किसानों के लिए नहीं है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी लाभदायक है। एक छोटे पैमाने के सब्जी के खेत में सालभर कमाई की संभावना होती है। खुले आसमान में खेती के अलावा आप ग्रीन हाउस में भी इस सीजन में सब्जियां उगा सकते हैं। किसान अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखकर के सीजनल सब्जियों की खेती करें तो अच्छी उत्पादकता के साथ-साथ बढ़िया मुनाफा आराम से हासिल कर सकता है। दिसंबर के महीने में बोई जाने वाली जिन सब्जियों की जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं, उससे आपको कई गुना फायदा मिलेगा।

फूलगोभी की खेती

फूलगोभी सर्दियों की सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय सब्जियों में से एक है और यह भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सर्दियों के इस मौसम में गोभी वर्गीय सब्जियां जैसे फूलगोभी ब्रोकली पत्ता गोभी की खेती करना बहुत ही आसान होता है। क्योंकि इन दिनों मिट्टी में नमी और वातावरण में सर्दी होती है, जिससे नेचुरल प्रोडक्शन लेने में मदद मिलती है। किसान चाहे तो गोभी की खेती ग्रीन हाउस में भी कर सकते हैं, एक्सपर्ट की बात करें तो 75 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ तक का उत्पादन सर्दियों के मौसम में गोभी का होता है। जिसे आप आसानी से इस मौसम में उगा कर और नजदीकी बाजार में बेचकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।


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बैगन की खेती

बैगन की खेती करने के लिए भी यह महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों किसान बैगन की खेती करके लाखों रुपए कमाते हैं, बैगन की सब्जी भारतीय जन समुदाय में बहुत प्रसिद्ध है। विश्व में सबसे ज्यादा बैगन चीन में उगाया जाता है, बैगन उगाने के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। बैगन विटामिन और खनिजों का भी अच्छा स्रोत है। वैसे तो इसकी खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन इस मौसम में बैगन की खेती करना किसानों के लिए आसान होता है। क्योंकि मिट्टी में नमी के कारण और मौसम में ठंड के कारण किसानों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। एक्सपर्ट की राय की बात करें, तो एक हेक्टेयर में करीब साड़े 400 से 500 ग्राम बीज डालने पर लगभग 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का बैगन का उत्पादन आसानी से मिल जाता है।

टमाटर की खेती

टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। भारतीय पकवानों में टमाटर का अपना एक विशेष स्थान है। इसे सब्जी बनाने से लेकर सलाद सूप चटनी और ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर होती है कई किसान टमाटर की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं अगर आप एक हेक्टेयर में भी टमाटर की खेती करते हैं तो आप 800 से 1200 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। ज्यादा पैदावार पैदावार के कारण किसानों को लागत से ज्यादा मुनाफा होता है। एक्सपर्ट की राय की बात करें तो अगर आप एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती करते हैं तो आपको लगभग 15लाख रुपए तक की कमाई होगी।


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गाजर-मूली की खेती

मूली और गाजर भारत के लगभग हर क्षेत्र में उगाए जाते हैं, इनका उपयोग सब्जियों के अलावा अचार और मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है। सर्दी के मौसम में इनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है। इसकी खेती करके लागत बहुत ही कम लगती है, अगर वही हम बात कमाई की करें, तो किसान गाजर और मूली को 1 हेक्टेयर में लगभग 150 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। विशेष तौर पर सर्दी का मौसम है, गाजर और मूली की खेती करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। गर्मी के मौसम में अगर आप गाजर और मूली को उपजाना चाहते हैं, तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। तो किसान इस तरह की सब्जियों की खेती इस सर्दी के मौसम में करके बंपर पैदावार के साथ बंपर कमाई आसानी से अर्जित कर सकते है।
ब्रोकली की खेती कर हरदोई के किसान हो रहे हैं मालामाल

ब्रोकली की खेती कर हरदोई के किसान हो रहे हैं मालामाल

उत्तर प्रदेश का हरदोई जिला अक्सर सुर्खियों में बना रहता है। आज उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में किसान सब्जियां उगा कर अच्छा खासा मुनाफा कमा रहे हैं। यहां पर सबसे खास बात यह है, कि यहां के किसान अब इस तरह की सब्जियों की खेती भी कर रहे हैं, जिनका भारी मात्रा में विदेशों से आयात किया जाता है। इस तरह की सब्जियों में सबसे खास सब्जी है ब्रोकली। ब्रोकली का नाम किसने नहीं सुना होगा, आजकल लोग भारी मात्रा में सब्जी का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक मानी गई है। ब्रोकली को कैंसर जैसी बीमारी से बचाने के लिए सहायक माना गया है, साथ ही इसमें प्रोटीन भी काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है। उत्तर प्रदेश के जिले हरदोई के किसान भारी मात्रा में इस सब्जी का उत्पादन कर रहे हैं। हरदोई के कोथावां ब्लॉक के तेरवा पतसेनी निवासी किसान सुशील मौर्य पहले एक साधारण किसान थे। वह अपनी पुश्तैनी खेती की जमीन पर धान- गेहूं जैसी फसल उगा कर अपना गुजारा चला रहे थे। यहां के किसान सुशील बताते हैं, कि 2017 में हरदोई में स्थित गांधी भवन में उद्यान विभाग द्वारा एक प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिसमें अलग-अलग तरह की सब्जियों के स्टाल लगाए गए थे। यहां पर किसानों को अलग-अलग तरह की सब्जियां उगाने के बारे में जागरूक किया गया था तो वहीं पर सुशील मौर्य ने पहली बार गोभी जैसी दिखने वाली है हरी सब्जी देखी थी। जब उन्होंने सुपरवाइजर से पूछा कि यह कौन सी सब्जी है तो उनका उत्तर था कि यह ब्रोकली है।

भारत में भी किसान कर रहे हैं ब्रोकली की खेती

उत्तर प्रदेश के किसान सुशील मौर्य से बातचीत में पता चला कि वह अब ब्रोकली की खेती कर रहे हैं और इससे उन्हें अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है। साथ ही, उन्होंने हमें यह भी जानकारी दी कि जब उन्हें इस खेती के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी तो उन्होंने उद्यान विभाग से संपर्क किया और वहां के अधिकारी सुरेश कुमार ने उन्हें अच्छी तरह से ब्रोकली की खेती और उससे मिलने वाले मुनाफे के बारे में जानकारी दी। एक बार जानकारी मिल जाने के बाद उन्होंने इसकी खेती शुरू की और अब वह लाखों में कमाई कर रहे हैं।


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सुशील मौर्य से मिली जानकारी से हमें पता चला है, कि वह साल 2017 से ही सब्जी की खेती कर रहे हैं। फसल की सबसे अच्छी बात है, कि उन्हें पहले साल में ही इससे मुनाफा मिलना शुरू हो गया था। पहले उन्हें कस्बे के बाजार में इसके लिए अच्छे खरीदार नहीं मिल रहे थे तो उन्होंने इस सब्जी को हरदोई की सब्जी मंडी तक पहुंचाया जहां पर उन्हें अपनी फसल का बहुत ही उचित दाम मिला। इसके बाद एक दिन उन्होंने लखनऊ जा रही पिकअप ट्रांसपोर्ट के जरिए अपनी फसल लखनऊ भेजी और वहां से मिले फायदे से तो मानो उनकी जेब नोटों से ही भर गई। लखनऊ से लौटकर इस सब्जी की खेती बड़े स्तर पर शुरू कर दी। अब कई व्यापारी खेत से ही इस ले जाते हैं, इस सब्जी का बाजार भाव समय के अनुसार 100 से 200 रूपये किलो तक मिल जाता है।

ठंडी जलवायु में पैदा होती है यह फसल

उद्यान विभाग के अधिकारी सुरेश कुमार ने बताया कि, गोभी की तरह दिखने वाली इस ब्रोकली को बड़े बड़े मॉल एवं बड़े बड़े बाजारों में बहुत ही उचित दाम पर बेचा जाता है। इसके अलावा बहुत से पांच सितारा होटल में भी इसकी सब्जी और सलाद बड़े ही चाव से खाया जाता है। ब्रोकली की नर्सरी के लिए सबसे उत्तम महीना सितंबर, अक्टूबर और जनवरी माना जाता है। वैसे इसे अब किसान अपनी सुविधा के अनुसार 12 माह उगा रहे हैं। किसान सही वातावरण के अनुसार इसकी नर्सरी तैयार करते हैं। ब्रोकली की खेती के लिए 15 से 25 डिग्री के बीच तापमान उचित माना जाता है। यह ठंडी जलवायु में पैदा होने वाली सब्जी की फसल है।

फूलगोभी की तरह ही तैयार हो जाती है नर्सरी

हो सकता है यह आपने पहली बार सुना हो लेकिन ब्रोकली 3 रंगों में होती है, जिसमें बैंगनी, सफेद और हरा शामिल है। इसकी किस्मों में पेरिनियल, नाइन स्टार और इटालियन ग्रीन जैसी कई उन्नतशील किस्में शामिल हैं। हरदोई के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर रहे हैं और इसकी सबसे अच्छी बात है, कि आप फूलगोभी की तरह इस की नर्सरी तैयार कर सकते हैं।