अप्रैल महीने में अरबी की खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
भारत में अधिकतर किसान अरबी की खेती करते हैं। अरबी `को घुईया और कुचई के नाम से भी जाना जाता है। इसकी खेती मुख्यतः कंद के रुप में होती है।
इसकी पत्तियां और कंदों, दोनों में एक प्रकार का कैल्शियम ऑक्जीलेट पाया जाता है, जिसकी वजह से खाते समय मुंह और गले में खुजलाहट होती है।
इस तत्व की मात्रा किस्मों पर आधारित होती है। अरबी कार्बोहाइड्रेट,और प्रोटीन, विटामिन ए, फास्फोरस, कैल्शियम और आयरन पाया जाता है।
अरबी की खेती से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु
- अरबी की खेती एक हेक्टेयर में करीब 250 से 300 क्विंटल तक उपज देती है, जिससे किसानों को खूब मुनाफा होता है।
- किसानों के लिए अरबी की खेती खूब फायदेमंद होती है। अरबी की खेती जायद और खरीफ में की जाती है। अरबी की मुख्य दो किस्में होती हैं।
- अरबी की खेती सामान्य तौर पर अफ्रीकन देशों में होती है। इसके लिए 21-27 डिग्री सेल्सियस औसतन तापमान की जरूरत होती है।
- अरबी में विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन होता है। अरबी की सब्जी लोगों को काफी पसंद होती है। गर्मियों में इसकी खूब मांग होती है।
- अरबी की खेती से करने के लिए खेत में अच्छे से जुताई कर लें। इसके साथ ही खेत को अच्छे से भुरभुरा कर लें। अरबी की बुवाई जायद में फरवरी और खरीफ में जून में करना सही रहता है।
- अरबी की बुवाई लाइन में लगाकर करनी चाहिए। अरबी की एक लाइन की दूसरी लाइन से दूरी 45 सेंटीमीटर रखें और एक पौधे को दूसरे पौधे से दूरी 30 सेंटीमीटर रखें।
- बुवाई के 5-6 दिन बाद इसकी सिंचाई करें। इसके बाद फिर 9-10 दिनों के बाद बीच-बीच में सिंचाई करते रहें। बुवाई के बाद 5-6 महीनों में ही फसल तैयार हो जाती है।
- अरबी की खेती एक हेक्टेयर में करीब 250 से 300 क्विंटल तक पैदावार देती है, जिससे किसानों को खूब मुनाफा होता है।
01-Apr-2024