भिंडी की खेती जायद मौसम में की जाती है। भिंडी की खेती करना आसान और उपयुक्त है। भिंडी का वैज्ञानिक नाम ऐलेबमोस्कस एस्कुलेंटेश है। भिंडी गर्म मौसम की सब्जी है इसे इंग्लिश में ओकरा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बहुत से पोषक तत्व होत्ते है जो हमारे स्वास्थ को स्वस्थ बनाये रखने में महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान करते है।
किसान भिंडी का उत्पादन करने के लिए बेहतर किस्मों का चयन करें। भिंडी की अधिक उपज देने वाली फसलें काशी क्रांति, काशी प्रगति, अर्का अनामिका और परभड़ी क्रांति है। इन किस्मों का उत्पादन कर किसान ज्यादा लाभ कमा सकता है।
पौधों के अच्छे विकास के लिए उपयुक्त जलवायु रहना आवश्यक है। भिंडी गर्मी का पौधा है यह लम्बे समय तक ठन्डे मौसम को सहन नहीं कर सकती। भिंडी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है लेकिन इसके लिए ज्यादा उपयुक्त बुलई दोमट मिट्टी को माना जाता है।
खेत में जलनिकासी का भी अच्छा प्रबंध होना चाहिए। भिंडी की खेती के लिए पी एच स्तर 5 -6.5 के बीच में बेहतर बताया जाता है।
भिंडी के पौधों को एक दूसरे के बहुत करीब लगाया जाता है। भिंडी की बुवाई पंक्तियों में की जाती है, जिसकी दूरी 12 -24 इंच होनी चाहिए। भिंडी के पौधे में होने वाली खरपतवार को नियंत्रण करने के लिए उसमे समय समय पर नराई का काम किया जाना चाहिए। भिंडी की के विकास के लिए भरपूर मात्रा में सूरज की रोशनी आवश्यकता रहती है।
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भिंडी की खेती में वृद्धि करने के लिए किसान गोबर खाद का प्रयोग कर सकते है। भिंडी की खेती के लिए खेत को तैयार करते वक्त उसमे उर्वरक खादों का भी उपयोग किया जा सकता है। साथ ही भिंडी की बुवाई के 4 -6 सप्ताह बाद खेत में जैविक उर्वरको का छिड़काव किया जा सकता है।
भिंडी के अच्छे और बेहतर उत्पादन के लिए अच्छी किस्मों का चयन करना ज्यादा जरूरी है। इसके अलावा भिंडी की बुवाई का काम करने से पहले बीज का अच्छे से उपचार कर ले कही बीज रोग ग्रस्त तो नहीं है।
यदि बीज रोग ग्रस्त रहता है तो फसल अच्छी नहीं होगी। बीज उपचार के लिए किसान 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम को प्रति लीटर पानी में मिलाकर बीज को 6 घंटे तक उसमे भिगोकर रखे। समय पूरा हो जाने के बाद बीज को छाया में सूखा ले।
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भिंडी की फसल में रोगो को नियंत्रित करने के लिए किसान फसल चक्र को भी अपना सकता है। इससे पौधे में कम रोग लगते है और उत्पादन भी बढ़ता है।
फसल की रोजाना निरीक्षण करें, ऐसा करने से फसल में लगने वाले रोगो को रोका जा सकता है। कीटों की रोकथाम के लिए भिंडी पर स्पिनोसेड का छिड़काव किया जा सकता है।