धान और प्याज की खेती में हानि होने पर सिंघाड़े की खेती की
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि किसान साहेब उदयनी गांव जनपद पटना के निवासी हैं। साहेब जी पहले धान और प्याज की खेती किया करते थे। इससे उन्हें काफी अच्छा मुनाफा नहीं हो रहा था। लागत की तुलना उन्हें घाटा ही उठाना पड़ रहा था। ऐसी स्थिति में उन्होंने पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ सिंघाड़े की खेती चालू कर दी, जिससे वह एक वर्ष में ही लखपति बन गए। विशेष बात यह है, कि वह 10 बीघा भूमि किराए पर लेकर सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। इससे उनको प्रति वर्ष 15 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
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सिंघाड़े की फसल को काफी समय में तैयार होती है
किसान साहेब का कहना है, कि सिंघाड़े की खेती करने से पूर्व उन्होंने इसकी बारीकियों को सीखा। उन्होंने बताया है, कि सिंघाड़े की फसल तैयार होने में अन्य फसलों की तुलना में ज्यादा समय लेती है। ऐसी स्थिति में इसकी खेती करने वाले किसान भाइयों को थोड़ा धैर्य के साथ कार्य करना पड़ेगा।
किसी फसल में हानि हो तो दूसरी फसल शुरू करदें
प्रगतिशील किसान साहेब अपने गांव में लगभग दो वर्ष से सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं। इनका कहना है, कि रबी सीजन के दौरान ये गेहूं एवं चना की भी खेती करते हैं। इससे भी उन्हें काफी मोटी आय हो जाती है। 55 वर्षीय साहेब जी ने बताया है, कि यदि आधुनिक विधि से खेती की जाए, तो आप कम खर्चे में अच्छी आमदनी कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको थोड़ा परिश्रम करना पड़ेगा। उनकी मानें तो यदि किसी एक फसल की खेती में बार-बार हानि हो रही है, तो किसान को तुरंत दूसरी फसल की खेती शुरू कर देनी चाहिए।
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बिहार लीची एसोसिएशन के अध्यक्ष बच्चा प्रसाद सिंह ने बताया है कि निर्यात का काम बिहार लीची एसोसिएशन देखेगी, तथा इस काम में किसानों की यथासंभव मदद की जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले मुजफ्फरपुर में मात्र एक प्रोसेसिंग यूनिट की व्यवस्था थी, लेकिन अब मांग बढ़ने के कारण सरकार ने जिले में 6 प्रोसेसिंग यूनिट लगवा दी हैं। अगर भविष्य में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस की मांग बढ़ती है तो उसकी व्यवस्था भी की जाएगी। जिससे किसान बेहद आसानी से अपने उत्पादों को विदेशों में निर्यात कर पाएंगे।
बिहार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि इस प्रोजेक्ट को बागवानी मिशन के तहत लॉन्च किया गया है। जिससे किसानों को अपने उत्पादों को मनचाहे बाजार में एक्सपोर्ट करने में मदद मिले। लीची की प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 4 लाख रुपये का खर्च आता है, जिसमें 50 फीसदी सब्सिडी सरकार देती है। ऐसे में अगर किसान चाहें तो खुद ही लीची की प्रोसेसिंग यूनिट लगा सकते हैं और खुद के साथ अन्य किसानों की भी मदद कर सकते हैं। उत्पादन को देखते हुए आने वाले दिनों में जिलें में लीची की प्रोसेसिंग यूनिट्स में बढ़ोत्तरी होगी।
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कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि वर्तमान में मुजफ्फरपुर के मानिका, सरहचियां, बड़गांव, गंज बाजार और आनंदपुर में कोल्ड स्टोरेज और पैक हाउस खोले गए हैं। जहां लीची को सुरक्षित रखा जा सकेगा। इनका उद्घाटन आगामी 19 मई को किया जाएगा। किसानों को मदद करने के लिए बिहार लीची एसोसिएशन, भारतीय निर्यात बैंक और बिहार बागवानी मिशन तैयार हैं। ये किसानों को यथासंभव मदद उपलब्ध करवाएंगे, ताकि मुजफ्फरपुर की लीची का विदेशों में बड़ी मात्रा में निर्यात हो सके।
मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत बेगूसराय जनपद में अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मुख्य बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत जनपद में 5 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की खेती की जाएगी। जिन किसान भाइयों के पास न्यूनतम 25 डिसमिल भूमि है, वह अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को कृषि विभाग की आधिकारिक वेवसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा।
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अमरुद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान
बतादें, कि बेगूसराय जनपद में किसान केला,नींबू, पपीता और आम की बड़े स्तर पर खेती करते हैं। लेकिन, जनपद में अमरूद की खेती करने वाले कृषकों की तादात आज भी जनपद में बेहद कम होती है। यही कारण है, कि कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत जनपद में अमरूद की खेती का क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी करने की योजना बनाई और किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। किसान रामचंद्र महतो ने कहा है, कि यदि सरकार अनुदान प्रदान करती है, तो वह अमरूद की खेती अवश्य करेंगे।
बेगूसराय में कितने अमरुद लगाने का लक्ष्य तय किया गया है
साथ ही, जिला उद्यान पदाधिकारी राजीव रंजन ने कहा है, कि सरदार अमरूद एवं इलाहाबादी सफेदा जैसी प्रजातियों के पौधे कृषकों को अनुदान पर मुहैय्या कराए जाऐंगे। उनका कहना है, कि अमरूद के बाग में 3×3 के फासले पर एक पौधा लगाया जाता है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर भूमि में खेती करेंगे तो उनको 1111 अमरूद के पौधे लगाने होंगे। साथ ही, बेगूसराय जनपद में 5555 अमरूद के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
हजारों की संख्या में किसान अपने घर के अंदर ही मशरूम उगा रहे हैं
बतादें कि मशरूम बागवानी के अंतर्गत आने वाली फसल है। साथ ही, मशरूम की खेती में काफी कम खर्चा आता है। मशरूम उत्पादन हेतु खेत व सिंचाई की भी कोई आवश्यकता नहीं होती है। यदि किसान भाई चाहें तो अपने घर के अंदर भी मशरूम का उत्पादन कर सकते हैं। फिलहाल, बिहार में हजारों की तादात में किसान घर के अंदर ही मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनको काफी अच्छी-खासी आमदनी भी हो रही है। दरअसल, मशरूम अन्य सब्जियों जैसे कि लौकी, फूलगोभी और करेला आदि की तुलना में महंगा बिकता है। अब ऐसी स्थिति में मशरूम की खेती करने पर किसानों को कम खर्च में अधिक मुनाफा होता है। यही वजह है, कि बिहार सरकार मशरूम की खेती पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है।
मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 फीसद अनुदान
वर्तमान में बिहार राज्य के मशरूम उत्पादकों के लिए काफी अच्छा अवसर है। बतादें, कि फिलहाल कृषि विभाग एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत मशरूम कम्पोस्ट उत्पादन पर 50 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या करा रही है। मुख्य बात यह है, कि राज्य सरकार द्वारा कंपोस्ट उत्पादन के लिए इकाई लागत 20 लाख रुपए तय की गई है। उद्यान निदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर किसान भाई इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।
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बिहार में पिछले साल हजारों टन मशरूम की पैदावार हुई थी
बिहार राज्य में बागवानी फसलों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार निरंतर कुछ न कुछ योजना जारी कर रही है। बिहार सरकार किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अगर किसान भाई चाहें, तो अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रखंड उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जनपद के सहायक उद्यान निदेशक से सम्पर्क साध सकते हैं। बतादें, कि बिहार मशरूम उत्पादन के मामले में भारत के अंदर प्रथम स्थान पर है। इसके उपरांत दूसरे स्थान पर ओडिशा आता है। विगत वर्ष बिहार में 28000 टम मशरूम की पैदावार हुई थी।
बिहार सरकार द्वारा कृषि यंत्र के लिए इस योजना के अंतर्गत 4,87,67,796 रुपये के बजट की धनराशि को आवंटित किया गया है। राज्य सरकार इसके लिए कुल 108 प्रकार के कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देगी। इस अनुदान में कुछ खास कृषि यंत्रों पर विशेष बल दिया जायेगा, इनके अंतर्गत स्ट्रा बेलर, स्ट्रा रीपर एवं रीपर कम बाईंडर, हैपी सीडर और सुपर सीडर आदि होंगे। बिहार सरकार यह धनराशि अनुदान के लिए कुल धनराशि का 33 फीसद खर्च करेगी।
राज्य सरकार की इस योजना के अंतर्गत फायदा लेने वाले कृषकों के लिए अद्यतन मालगुजारी रसीद दिखाना अत्यंत जरूरी होगा। दरअसल, बिहार सरकार ने यह नियम सिर्फ 20 हजार रुपये से ज्यादा के कृषि यंत्रों की खरीद पर रखा है। मालगुजारी रसीद के लिए किसान 2022-23 अथवा 2021-22 में से कोई भी एक साल की रसिद दिखा कर योजना का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। परंतु, यदि किसानों ने तात्कालिक रसीद भी अर्जित की हुई है, तो वह रसीद भी योजना लाभ के लिए मान्य रहेगी। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यदि किसानों के पास किसी भी साल की रसीद मौजूद नहीं है एवं वह इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनको जनपद के कृषि समन्वयक के द्वारा सत्यापन कराना आवश्यक होगा। 20 हजार से कम के यंत्रों के लिए एलपीसी अथवा 3 सालों में से कोई एक रसीद लगाने का प्रावधान नहीं है। इस तरह के उपकरणों की खरीद करने पर किसान सीधे-तौर पर फायदा उठा सकते हैं।
कृषकों को इस कृषि यंत्र अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऑनलाइन फार्म मेकेनाईजेशन एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (OFMAS) पोर्टल पर जाकर अप्लाई करना होगा। लेकिन यह आवश्यक नहीं है, कि आवेदन करने के उपरांत किसानों को अनुदान मिल ही जाए। यह भी संभव है, कि उनको यह अनुदान का लाभ न भी मिल पाए। दरअसल, राज्य सरकार ज्यादा आवेदन की परिस्थिति में ऑनलाइन लॉटरी के प्रावधान को रखेगी। इसमें भी कई किसानों को नंबर के मुताबिक प्रतीक्षा में रखा जायेगा।