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Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

Rajasthan ka krishi budget: किसानों के लिए बहुत कुछ है राजस्थान के कृषि बजट में

13 महीनों तक चले किसान आंदोलन ने यह साबित किया कि अब सरकारों को उनकी तरफ ध्यान देना होगा अन्यथा सरकारें चल नहीं पाएंगी। उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में चल रहे चुनावों के मद्देनजर ही, डैमेज कंट्रोल करने के वास्ते प्रधानमंत्री को तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े। यह वापसी इसलिए हुई क्योंकि देश भर के किसान एकजुट हो गए थे। किसानों की एकता का ही यह परिणाम था कि कानून वापस हुए और अब किसान अपने घरों पर हैं। लेकिन, इसके दूरगामी परिणाम को आपने देखा क्या। इसका दूरगामी परिणाम है, 23 फरवरी को राजस्थान में पेश किया गया कृषि बजट। जी हां, जब से राजस्थान बना है, तब से लेकर अब तक ऐसा कभी नहीं हुआ था कि बजट के बाद कोई कृषि बजट पेश किया गया हो। वह भी अलग से। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। राजस्थान में जो कृषि बजट पेश किया गया, वह किसानों के आंदोलन की ही परिणिति है, ऐसा मानना गलत नहीं होगा।

क्या है कृषि बजट में

अब बड़ा सवाल यह है कि इस किसान बजट में है क्या।

दरअसल, इस किसान बजट में कई व्यवस्थाएं दी गई हैं। इन व्यवस्थाओं को गौर से देखें तो समझ जाएंगे कि राजस्थान सरकार किसानों को लेकर कितनी चिंतित है। हां, सरकारी खजाने की अपनी एक सीमा होती है। कृषि ही सब कुछ नहीं होती पर कृषि को तवज्जो देकर सरकार ने एक सकारात्मक रुख का प्रदर्शन तो जरूर किया है। आइए समझें कि इस कृषि बजट में है क्या।

1. मुख्यमंत्री कृषक साथी का बजट बढ़ गया

दरअसल, 2021 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उद्योग क्षेत्र में चलाई जाने वाली योजना को कृषि क्षेत्र में, थोड़े परिवर्तन के साथ लागू कर दिया। अर्थात, अगर आप किसान हैं और कृषि कार्य करते हुए आपके साथ कोई हादसा हो गया तो इस योजना के तहत आपको दो से 5 लाख रुपये तक की तात्कालिक सहायता मिलेगी। यह योजना कई क्लाउजेज की व्याख्या करती है। जैसे, यदि आपकी एक अंगुली कट जाए तो सरकार आपको 5000 रुपये देगी। दो कट जाए तो 10000 रुपये, तीन कट जाए तो 15000 रुपये और चार कट जाए तो 20000 रुपये का भुगतान करेगी सरकार। ऐसे ही अगर आपकी पांचों अंगुलियां कट जाती हैं तो सरकार आपको 25000 रुपये देगी। इस योजना के लिए बीते साल के बजट में 2000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। अब इसका दायरा बढ़ाने की गरज से सरकार ने इस योजना के लिए 5000 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। धनराशि बढ़ाने को किसानों ने बेहद बढ़िया माना है।

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2. मुख्यमंत्री जैविक कृषि मिशन

कृषि बजट में सरकार ने घोषणा की है कि इसी सत्र से मुख्यमंत्री जैविक खेती मिशन शुरू कर दिया जाएगा। इसके तहत सरकार उन किसानों को ज्यादा लाभ देगी, जो शुद्ध रूप से जैविक केती के लिए तैयार होंगे। इस योजना के तहत, सरकार उन्हें आर्थिक पैकेज तो देगी ही, जरूरत पड़ी तो उनकी फसलों को भी खरीद लेगी। इसके लिए पहले 600 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। अगले बजट में इस धनराशि को बढ़ाया भी जा सकता है।

3. बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने एक ऐसा तंत्र विकसित करने की घोषणा की, जिसके तहत सभी किसानों तक सरकारी योजनाएं पहुंच सकें। खास कर बीज और कृषि के अन्य अवयवों को सरकार एक साथ किसानों तक पहुंचाना चाहती है। सरकार का जोर इस बात पर ज्यादा है कि राज्य के कम से कम दो लाख छोटे किसानों तक मूंग, मोठ और उड़द के प्रमाणित बीजों के मिनी किट्स मुफ्त में उपलब्ध कराए जाएं। इन चीजों के लिए ही बीज उत्पादन एवं विपणन तंत्र की घोषणा की गई है। सरकार एक सिस्टम बनाना चाह रही है जिससे समय पर और सिस्टमेटिक रुप में किसानों तक कृषि संबंधित चीजों की डिलीवरी हो सके। इस किस्म का सिस्टम छत्तीसगढ़ में पहले से चल रहा है।

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4. राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा

इस कृषि बजट में सरकार ने राजस्थान भूमि उर्वरकता मिशन की घोषणा की। इस मिशन के तहत राजस्थान के किसान यह जान सकेंगे कि उनकी जो जमीन है, उसकी उर्वरक क्षमता क्या है। किस किस्म की खेती उन्हें कब और कैसे करनी चाहिए। अभी राजस्थान में सभी किसान परंपरागत खेती कर रहे हैं। इस मिशन के शुरू हो जाने के बाद माना जा रहा है कि खेती कार्य में विविधता आएगी। समय-समय पर जब मिट्टी की जांच होगी तो किसानों को यह एडवाइस भी दिया जाएगा कि इसकी उर्वरकता बढ़ाने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए।

5. दूध पर 5 रुपये प्रति लीटर अनुदान

राजस्थान सरकार ने अपने कृषि बजट में यह व्यवस्था की है कि जो भी किसान अपना दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों को देंगे, उन्हें 5 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से अनुदान भी मिलेगा। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि दूध सहकारी दुग्ध उत्पादक संघों के माध्यम से राजस्थान भर में बिके। 

6. कर्ज की व्यवस्था

इस कृषि बजट में घोषणा की गई है कि सरकार वर्ष 2022 में किसानों को फसली ऋण भी देगी। यह फसली ऋण 20000 करोड़ की लिमिट के भीतर होगी। ऐसे लाभार्थी किसानों की संख्या इस साल के लिए पांच लाख तय की गई है। इतना ही नहीं, जो लोग कृषि कार्य से प्रत्यक्ष रुप से नहीं जुड़े हैं, उन्हें भी कर्ज दिया जाएगा। इस साल ऐसे परिवारों की संख्या एक लाख तय की गई है। कर्ज कितना मिलेगा, यह तय नहीं है पर मिलेगा जरूर। कुल मिलाकर, यह किसानों के भीतर हौसला बुलंद करने वाला बजट है। इसे अगर अमली जामा पहना दिया जाए तो राजस्थान के किसानों की स्थिति बेहद सुदृढ़ हो सकती है। जिस भाव से बजट पेश किया गया है, वह बेहतर है। उसी भाव से इस पर अमल हो तो किसानों का सच में भला हो जाएगा।

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

खुशखबरी: इस राज्य में आवारा पशुओं से परेशान किसानों को मिलेगी राहत

राजस्थान राज्य सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को स्वीकृति प्रदान करदी है। इस योजना के अंतर्गत कृषकों को आवारा पशुओं द्वारा मचाई जा रही तबाही से राहत प्रदान करने हेतु 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं आश्रय निर्मित किए जाएंगे। वर्तमान में अधिकांश राज्यों में छुट्टा घूमने वाले गौवंशों की संख्या में बढ़वार देखने को मिल रही है। इन दुधारू पशुओं से जब पशुपालकों को दूध की प्राप्ति नहीं होती तो इनको सड़कों पर आवारा छोड़ देते हैं। ऐसी स्थिति में यह पशु सड़कों को ही अपना घर मान लेती हैं। जिसकी वजह से आए दिन सड़क दुर्घटनाओं की खबर सुनने को मिलती हैं। साथ ही, इनके खाने के लिए चारे की कोई व्यवस्था ना होने की वजह से ये पशु खेतों में घुंसकर फसलों को नष्ट कर देते हैं। जो कि किसानों के लिए ही चुनौती उत्पन्न करती है। राजस्थान, यूपी और बिहार में आवारा गौवंशों की परेशानियों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है। इन तीनों प्रदेशों की राज्य सरकारें स्वयं के स्तर पर इस चुनौती से निपटने हेतु कार्य कर रही हैं। इसी क्रम में हाल ही में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत यानी राजस्थान सरकार ने भी अहम निर्णय लिया है। राजस्थान राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा ग्राम पंचायतों के अंतर्गत पशु आश्रय स्थल एवं गौशालाओं के निर्माण की घोषणा करदी है। इस कार्य को मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के चलते किया जाना है।

गौशाला/पशु आश्रय स्थल बनाने की क्या रणनीति है

राजस्थान राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री जन सहभागिता योजना को मंजूरी देदी है। इसके प्रथम चरण में 1,500 ग्राम पंचायतों में गौशालाएँ व पशु आश्रय स्थल बनेंगे, इसके लिए 1,377 करोड़ रुपये का बजट जारी किया गया है। इस योजना के अंतर्गत ऐसी ग्राम पंचायतों में प्राथमिकता से पशुओं हेतु आश्रय स्थल निर्मित किए जाने हैं। जहां इनको चलाने हेतु बेहतर कार्यकारी एजेंसी (ग्राम पंचायत, स्वयं सेवी संस्था उपस्थित रहेगी। राज्य इन इन ग्राम पंचायतों में गौशाला निर्माण हेतु एक-एक करोड़ रुपये की धनराशि का आबंटन किया जाना है । इस योजना के अनुसार, 90% फीसद धनराशि को राज्य सरकार एवं 10% फीसद धनराशि को कार्यकारी एजेंसी द्वारा वहन किया जाना है। फिलहाल, इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2022-23 में 183.60 करोड़ रुपये के खर्च से 200 एवं वर्ष 2023-24 में 1,193.40 करोड़ रुपये के खर्च से 1,300 ग्राम पंचायतों में गौशालाऐं बनायी जा रहा है।
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किसानों को छुट्टा पशुओं से मिलेगी राहत

आवारा पशुओं की तादात में वृद्धि का सर्वाधिक नुकसान किसानों को ही तो भोगना होता है। यह आवारा पशु खेतों में जाकर के फसलों को खा जाते हैं। फसल का उत्पादन प्राप्त होने से पूर्व ही किसानों के सारा खेत पशु खाकर साफ कर देते हैं। इस प्रकार पूरे सीजन अथक प्रयास और परिश्रम करने वाले किसानों को केवल निराशा और हताशा ही प्राप्त होती है। आवारा पशुओं द्वारा बहुत बार किसानों को उस हद तक हानि हो जाती है। जिसका मुआवजा तक किसानों को मिलना काफी कठिन सा हो जाता है, जिस की वजह से आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाती है। परंतु, अब राजस्थान के किसानों की इस परेशानी का निराकरण तो निकलेगा ही, साथ ही, छुट्टा एवं निराश्रित पशुओं को आश्रय स्थल भी मुहैय्या हो पाएगा।
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सरकार पशुपालकों को भी अनुदान मुहैय्या करा रही है

मीडिया की खबरों के मुताबिक, वर्ष 2022-23 के अंतर्गत ही राजस्थान सरकार द्वारा अपने बजट में ग्राम पंचायतों में गौशाला एवं पशु आश्रय स्थल निर्माण एवं उनके बेहतरीन ढ़ंग से संचालन हेतु की घोषणा करदी थी। इसी दिशा में अग्रसर होकर कार्य करते हुए राजस्थान राज्य में गौशालाओं को 9 महीने तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। वहीं, पशुपालकों हेतु 5 रुपये प्रति लीटर के अनुरूप दूध पर अनुदान का भी प्रावधान दिया गया है।