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महिला किसान स्मारिका चंद्राकर ने MNC कंपनी से लाखों की नौकरी छोड़ खेती को चुना

महिला किसान स्मारिका चंद्राकर ने MNC कंपनी से लाखों की नौकरी छोड़ खेती को चुना

आज हम मेरीखेती के इस लेख में आपको एक सफल महिला किसान स्मारिका चंद्राकर के विषय में बताऐंगे। बतादें, कि महिला किसान के कृषि फार्म में 19 एकड़ में बैंगन और टमाटर लगा हुआ है। हालाँकि, इससे पूर्व उसी खेत में अन्य बागवानी फसलें जैसे कि खीरा, करेला और लौकी लगा हुआ था। दरअसल, स्मारिका का बचपन गांव में बीता है, इसके बाद वह पढ़ाई करने के लिए पुणे चली गई हैं। परंतु, वह पुनः गांव में ही आकर बस गई। अब वह आत्मनिर्भर किसान है। कृषि वर्तमान में एक व्यवसाय भी बन गया है। नवीनतम एवं उन्नत तकनीकों के आने से पूर्व की तुलना में फल, सब्जी और अनाजों का उत्पादन भी गढ़ गया है। इससे किसानों की आय काफी बढ़ गई है। यही कारण है, कि अब पढ़े- लिखे युवा भी लाखों रुपये महीने की नौकरी छोड़ कर खेती- किसानी की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। परंतु, आज हम एक ऐसी युवती के विषय में जानकारी देंगे, जो नौकरी छोड़ने के उपरांत खेती से करोड़पति बन गई। वर्तमान में अन्य दूसरे लोग भी युवती से खेती करने की बारीकी सीख रहे हैं।

स्मारिका चंद्राकर मूलतयः कहाँ की रहने वाली है

दरअसल, हम जिस युवती के विषय में चर्चा कर रहे हैं, उसका नाम स्मारिका चंद्राकर है। वह छत्तीसगढ़ के धमतरी जनपद स्थित कुरुद प्रखंड के चरमुड़िया गांव की मूल निवासी हैं। स्मारिका चंद्राकर ने पुणे महाराष्ट्र से एमबीए पास है। साथ ही, उसने कम्प्यूटर साइंस में बीई भी कर रखी है। पहले वह मल्टीनेशनल कंपनी में 15 लाख रुपए के वार्षिक पैकेज पर नौकरी किया करती थी। बतादें, कि सबकुछ अच्छा चल रहा था। इसी दौरान उसके पिताजी की तबीयत खराब हो गई। यही स्मारिका चंद्राकर के लिए टर्निंग प्वांइट साबित हुआ।

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स्मारिका चंद्राकर बागवानी से जबरदस्त उत्पादन प्राप्त कर रही हैं

स्मारिका चंद्राकर का कहना है, कि उसके पिता के पास गांव में काफी ज्यादा भूमि है। उन्होंने वर्ष 2020 में 23 एकड़ भूमि पर सब्जी की खेती चालू की थी। परंतु, स्वास्थ्य खराब होने के चलते वे बेहतर ढ़ंग से खेती नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में स्मारिका चंद्राकर ने नौकरी छोड़ गांव आकर अपने पिता के साथ खेती में सहयोग करना शुरू कर दिया। उसके बाद देखते ही देखते वह वैज्ञानिक ढ़ंग से अपने समस्त भू-भाग पर खेती शुरू कर दी। उसने मृदा की गुणवत्ता के मुताबिक ही फसल का चुनाव भी किया। इससे उन्हें जबरदस्त उत्पादन प्राप्त होने लगा।

स्मारिका चंद्राकर की सब्जियों की सप्लाई कई राज्यों में होती है

बतादें, कि स्मारिका चंद्राकर ने कुछ रुपये खर्च कर अपने खेत को आधुनिक कृषि फार्म बना दिया। इसका लाभ यह हुआ कि अब स्मारिका चंद्राकर के धारा कृषि फार्म से प्रतिदिन 12 टन टमाटर और 8 टन बैंगन की पैदावार हो रही है। स्मारिका का वार्षिक टर्नओवर एक करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। मुख्य बात यह है, कि स्मारिका न केवल खेती से आमदनी कर रही है, बल्कि 150 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कर रखा है। स्मारिका के खेत में उगाए गए बैंगन और टमाटर की आपूर्ति उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और दिल्ली में भी होती है।
गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ की अनूठी पहल

गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ की अनूठी पहल

कभी कृषि किसान और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले गौर्धन की दुर्दशा हर राज्य में हो रही है। उत्तर प्रदेश में गोधन को बचाने के लिए आश्रय सदन खोले गए हैं वहीं छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के माध्यम से एक ठोस पहल की गई हुई है। सरकार ₹2 प्रति किलोग्राम की दर से किसानों का गोबर खरीद रही है। इससे गांव धन पालने वाले गरीब किसान करो जान गोपालन की ओर होना तय है। इतना ही नहीं गौ संरक्षण की दिशा में है इस योजना के कई अहम दूरगामी परिणाम सामने आएंगे। विदित हो की मशीनीकरण के चलते गौर्धन विशेषकर नर गोवंश हर राज्य में दुर्दशा का शिकार हो रहा है। पशु शक्ति का कृषि और वजन ढोने वाले कामों में प्रयोग बेहद कम होने के कारण नर पशु का उपयोग खेती में नहीं रहा है। यही वजह है छोटी जोत के किसान और गरीबों के लिए इनका भरण पोषण करना मुश्किल हो गया है। छत्तीसगढ़ राज्य की गोधन न्याय योजना ग्रामीणों और पशुपालकों के लिए अतिरिक्त आय का जरिया बन गई है। राज्य में हरेली पर्व से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के अंतर्गत ग्रामीणों से दो रूपए प्रतिकिलो की दर से गोबर की खरीदी की जा रही है। ग्रामीण किसान पशुपालन को लेकर उत्साहित हैं तथा बड़ी संख्या में ग्रामीण गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने आ रहे हैं। गौठानों में स्थित गोबर खरीदी केन्द्र में गोबर बेचने के लिए सभी हितग्राहियों को गोबर क्रय पत्रक दिया गया है। क्रय पत्रक में गोबर खरीदी की मात्रा, राशि दर्ज की जा रही है। गोबर को दो रूपए प्रतिकिलो की दर से खरीद कर प्रत्येक 15 दिनों में भुगतान हितग्राही के बैंक खाते में सीधे ही किया जाएगा। कोरबा जिले में गोधन न्याय योजना शुरू होने के दो दिनों मे ही किसानों नेे लगभग 11 हजार किलो गोबर की बिक्री की है, जिससे 21 हजार रूपए से अधिक आय हुई है। जनपद कोरबा में सर्वाधिक गोबर की बिक्री हुई है। किसानों ने तीन हजार 975 किलोग्राम गोबर बेचकर सात हजार 950 रूपए की आवक प्राप्त की है। जनपद करतला मे किसानों से एक हजार 817 किलोग्राम गोबर खरीदी की गई जिससे तीन हजार 634 रूपए की आमदनी किसानों को हुई। जनपद कटघोरा के किसानों ने एक हजार 753 किलोग्राम गोबर बेचकर तीन हजार 306 रूपए कमाए। जनपद पाली के किसानों ने एक हजार 216 किलोग्राम गोबर बेची और दो हजार 433 रूपए का लाभ प्राप्त किए। इसी प्रकार जनपद पोड़ी-उपरोड़ा में कुल दो हजार 130 किलोग्राम गोबर की खरीदी की गई जिससे किसानों को चार हजार 260 रूपए का लाभ मिला। इसी तरह उत्तर बस्तर कांकेर जिले के 197 गौठानों में किसानों और पशुपालकों ने 137 क्विंटल तथा नारायणपुर नगर पंचायत क्षेत्र के बखरूपारा और कुम्हार पारा स्थित एसएलआरएम सेंटर में गोधन न्याय योजना के शुभारंभ अवसर पर 3.57 क्विंटल गोबर की खरीदी दो रूपए किलो की दर पर की गई। जांजगीर-चांपा जिले के 216 गौठानों में 13 हजार 771 क्विंटल तथा दंतेवाड़ा जिले के 4 गौठानों में 8.68 क्विंटल गोबर की खरीदी हुई है। जिससे किसानों और पशुपालकों को अतिरिक्त लाभ होने लगा है। विकासखंड पाली के ग्राम रैनखुर्द की महिलाएं गोधन न्याय योजना से बहुत खुश नजर आ रही है। इस योजना को उन्होंने किसान हितैषी और ग्रामीणों की आय का अतिरिक्त जरिया बताया। ग्राम रैनखुर्द की श्रीमती नंदनी यादव ने बताया कि उनके पास सात मवेशी है, जिससे वह लगभग 35 किलो गोबर एक दिन में बेच रही है। श्रीमती यादव बताती है कि पहले गोबर को बिना उपयोगी समझकर फेंक देते थे अब गोबर के दो रूपए प्रतिकिलो पैसा मिलने से और अधिक संख्या में मवेशी रखने को प्रोत्साहित हो रही है। महिलाओं ने बताया कि पहले गोबर से खाद बनाने में तीन महीने लग जाते थे, जिससे गोबर खाद का उपयोग बेहतर तरीके से नहीं हो पाता था।

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अब गौठानों में गोबर बेचने से 45 दिनो में ही वर्मी कम्पोस्ट तैयार हो जाएगी और किसान अपनी सुविधाजनक समय में इसका उपयोग कर सकेंगे। गोधन न्याय योजना से महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ होगा। जैैविक खाद के उपयोग से विषसहित खाद्यान्न का उत्पादन होगा। रसायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी। खेती की लागत कम होगी। खुले में मवेशी चराई पर रोक लगेगी। लोग अपने मवेशी को घर में ही रखेंगे। गोबर बेचने से होने वाली अतिरिक्त आय से ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

सरकार की अनूठी और सार्थक पहल

बुंदेलखंड में हजारों गायों को संरक्षण देने वाले एवं पूर्व में यमुना बचाओ आंदोलन की हुंकार दिल्ली दरबार तक पहुंचाने वाले बाबा जय कृष्ण दास कहते हैं कि सरकार ने बेहद सार्थक पहल की है। वह यह मांग तकरीबन एक दशक से करते चले आ रहे हैं। गौ संरक्षण पर काम करने वाले अनेक लोग हुई गाय के गोबर और गोमूत्र के उत्पाद बनाकर वह संरक्षण की वकालत करते रहे हैं।बसंत गाय केवल दूध के लिए नेपाली जाए उसके अन्य उत्पादों की भी कीमत मिले उनके उत्पाद बनें और उनकी मार्केटिंग हो। बाबा कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में आश्रय सदनों पर जितनी धनराशि खर्च हो रही है उसका एकांश भी यदि गोबर खरीद जैसी योजनाओं पर खर्च करना शुरू कर दिया जाए तो गांव संरक्षण की दिशा में सार्थक रहेगा। वह कहते हैं कि आश्रय सदनों में काय हो या कोई और उतनी हिफाजत से नहीं रह सकता जितनी फासत से एक पशुपालक पशुओं की देखभाल कर सकता है।
सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

सब कुछ जानिये किसान हितैषी एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) के बीटा वर्जन के बारे में

केंद्र ने छत्तीसगढ़ में बतौर पायलट प्रोजेक्ट किया है लॉन्च

केंद्र सरकार ने राज्य की किसान हितैषी नीतियों को देखते हुए छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुना है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय (The Union Ministry of Agriculture) ने 21 जुलाई को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अपने किसान शिकायत निवारण (FGR) पोर्टल के बीटा वर्जन को लॉन्च किया है। यह एफजीआर पोर्टल (FGR Portal) क्या है, इससे किसानों को क्या मदद मिलेगी, पायलट प्रोजेक्ट क्या है, इससे जुड़ी खास बातें जानिये।

एफजीआर (FGR) -

फार्मर ग्रीवेंस रिड्रेसल (Farmer Grievance Redressal (FGR)) यानी किसान शिकायत निवारण (kisaan shikaayat nivaaran) पोर्टल का बीटा वर्जन केंद्र सरकार की पहल है। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ का चयन राज्य सरकार की किसान हितैषी नीतियों और कार्यक्रमों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।



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केंद्रीय मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ कृषि उत्पादन आयुक्त को इस कार्यक्रम में किसान प्रतिनिधियों, किसानों और पंचायत अधिकारियों के साथ कृषि विभाग के अधिकारियों की ऑनलाइन भागीदारी सुनिश्चित करने निर्देशित किया था।

ऑनलाइन पोर्टल सर्विस -

केंद्र सरकार के इस पायलट प्रोजेक्ट का मकसद छत्तीसगढ़ राज्य के किसानों से जुड़ी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने का है। केंद्र की नई योजना के तहत गुरुवार को छत्तीसगढ़ में किसानों की समस्याएं निपटाने ऑनलाइन पोर्टल की वर्चुअल लॉन्चिंग हुई। https://twitter.com/pmfby/status/1549984032548864000

एफजीआर इसलिए तैयार -

किसानों की खेती-किसानी संबंधी समस्याओं के निदान के लिए एफजीआर (FGR) तैयार किया गया है। खास तौर पर फसल बीमा से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए एफजीआर को बनाया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा फिलहाल इस सुविधा को छत्तीसगढ़ में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया है। सकारात्मक परिणाम को देखते हुए बाद में इसे संपूर्ण देश में शुरू करने की योजना है।



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केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के एपीसी डॉ. कमलप्रीत सिंह से एफजीआर (FGR) पोर्टल के बारे में संपर्क साधे रखा।

पीएम फसल बीमा सफल क्रियान्वन -

गौरलतब है केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ का चयन प्रधानमंत्री फसल बीमा के क्रियान्वयन में बढ़िया प्रदर्शन के लिए किया है। प्रदेश ने पीएम फसल बीमा योजना में बेहतर परफॉरमेंस दिखाई है। बीमा दावा राशि के भुगतान में देश का अग्रणी राज्य होने की वजह से छग को पायलट प्रोजेक्ट के लिए चुना गया है।

बीटा वर्जन -

कृषि मंत्रालय ने राज्य में किसानों के पंजीयन, समर्थन मूल्य पर धान खरीदी, राजीव गांधी न्याय योजना, मुख्यमंत्री पौधरोपण प्रोत्साहन योजना संबंधी एकीकृत किसान पोर्टल के परिणामों को देखते हुए एफजीआर (FGR) के बीटा वर्जन की शुरूआत छत्तीसगढ़ में की है।

एफजीआर (FGR) पोर्टल कैसे करेगा काम -

वर्चुअली तरीके से 21 जुलाई शुरू एफजीआर के बीटा वर्जन के माध्यम से किसान अपनी खेती-किसानी संबंधी समस्याओं का समाधान कर सकेेंगे। विशेषकर फसल बीमा से संबंधित समस्याओं का निदान इससे हो सकेगा। किसानों द्वारा टेलीफोन अथवा मोबाइल के माध्यम से बताई गई समस्या एवं शिकायत इस पोर्टल में ऑनलाइन दर्ज की जाएगी। समस्याओं के निदान एवं मौजूदा स्थिति के बारे में किसानों को ऑनलाइन सूचित किया जाएगा।

किसान कॉल कर अपनी शिकायत टोल-फ्री नम्बर 14447 पर कराएं दर्ज :

किसान शिकायत निवारण (एफजीआर) पोर्टल में फसल बीमा से संबंधित शिकायत दर्ज कराने हेतु, किसान भाई टोल-फ्री नंबर 14447 पर कॉल करें। कॉल के पश्चात्, किसान की शिकायत कॉल सेन्टर द्वारा दर्ज की जाएगी व साथ ही साथ संबंधित बीमा कंपनी को शिकायत का विवरण प्रेषित कर, निर्धारित समय-सीमा में निराकरण करने हेतु निर्देशित किया जायेगा। किसान शिकायत निवारण पोर्टल के संचालित होने से, किसानों को अब फसल बीमा संबंधी शिकायतों के लिए कार्यालयों और अधिकारियों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगें और लिखित आवेदन की भी आवश्यकता नहीं रहेगी। किसान के मोबाईल नंबर पर शिकायत दर्ज कराने का संदेश व शिकायत क्रमांक आयेगा, जिसके माध्यम से शिकायत पोर्टल पर शिकायत की वास्तविक स्थिति का पता ऑनलाईन लगाया जा सकता है।
CG: छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड ऑनलाइन (Chhattisgarh Misal Bandobast Record) ऑनलाइन ऐसे देखें

CG: छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड ऑनलाइन (Chhattisgarh Misal Bandobast Record) ऑनलाइन ऐसे देखें

CG Misal Bandobast Record से जुड़े ऑनलाइन मंत्र

छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्रीय डिजिटल भारत मिशन के अंतर्गत छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड (Chhattisgarh Misal Bandobast Record) प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन (Online) कर दिया है। CG मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड (CG Misal Bandobast Record) प्रक्रिया के ऑनलाइन होने से
छत्तीसगढ़ प्रदेश के नागरिकों को संबंधित रिकॉर्ड की वर्तमान स्थिति जानने में आसानी होगी। इस प्रक्रिया के तहत छत्तीसगढ़ शासन कार्यालय कलेक्टोरेट ने प्रदेश के सभी जिलों के लिए अलग-अलग जिलों के अनुसार मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड का डिजिटल ऑनलाइन खाका (फॉर्मेट) बनाकर उसको जिलेवार उपलब्ध कराया है। संबंधित नागरिक इस कार्य के लिए तैयार की गई आधिकारिक वेबसाइट www.cg.nic.in/ के माध्यम से मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड स्थिति का ऑनलाइन अध्ययन कर प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं।

नो दफ्तर, ऑनलाइन अवसर

छत्तीसगढ़ में मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड इंटरनेट पर मुहैया हो जाने के कारण आदिवासी बहुल प्रदेश के किसी भी जिले के निवासी अब ऑनलाइन तरीके से मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड की खाना तलाशी कर सकेेंगे।


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छत्तीसगढ़ में दुर्ग, धमतरी, जांजगीर, कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, रायपुर जैसे प्रमुख शहर आधारित जिलों के साथ ही सुदूरवर्ती ग्रामीण अंचल से नाता रखने वाले जिलों का मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड तैयार कर ऑनलाइन उपलब्ध कराने से शासकीय प्रक्रिया में गति आएगी। छत्तीसगढ़ के नागरिकों को अब CG मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड की जानकारी प्राप्त करने के लिए सरकारी दफ्तर तक नहीं जाना पड़ेगा। छत्तीसगढ़ के नागरिक अब इंटरनेट की मदद से लगभग सभी जिलों से संबंधित मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड को प्राप्त कर सकते हैं। इस सुविधा से पटवारियों पर से भी काम का बोझ कम होगा।


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डाउनलोड एंड प्रिंट

छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड (Chhattisgarh Misal Bandobast Record) प्रक्रिया को पूर्णतः ऑनलाइन (Online) करने का सबसे प्रमुख लाभ यह है कि, जानकारी हासिल करने के लिए लोगों की पटवारी पर निर्भरता अब समाप्त हो गई है। अतिरिक्त लाभ यह भी है कि इससे कागज, बिजली, स्याही की तक बचत होगी। वेबसाइट पर जिलों के रिकॉर्ड को डाउनलोड करने यानी कंप्यूटर, मोबाइल या फिर किसी मैमोरी में सेव करने का विकल्प भी प्रदान किया गया है। आवश्यक होने पर संबंधित जानकारी जुटाने वाला नागरिक सूचनाओं का प्रिंट भी इस वेबसाइट से ले सकता है। स्क्रीन शॉट से भी संबंधित जानकारी को अपने पास इमेज के रूप में सुरक्षित रखा जा सकता है।

CG मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड क्या है

छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड प्रदेश के नागरिकों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दस्तावेज है।


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ब्रिटिश हुकूमत ने भारत में 1929-30 के दशक में संपूर्ण देश की भूमि संबंधी मूल रिकॉर्ड का दस्तावेजीकरण किया था। मिसल रिकॉर्ड को पी1 रिकॉर्ड भी कहा जाता है। इसे 1929-30, 1938-39, 1942-43 के वर्षों के दौरान रिकॉर्ड किया गया था। इस महत्वपूर्ण दस्तावेज में किसानों के नाम और उनकी मूल जाति का उल्लेख किया जाता है। अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह दस्तावेजीकरण ही मिसल बंदोबस्त के नाम से पहचाना जाता है। यह वही रिकॉर्ड है जिसके आधार पर देश के राज्य एवं केंद्र सरकार जमीनों का प्रबंधन करती आई हैं। मध्यप्रदेश से विखंडित होकर छत्तीसगढ़ राज्य का सृजन भी मिसल बंदोबस्त के आधार पर ही हुआ था। नए राज्य के गठन के बाद छत्तीसगढ़ राज्य में कई जिलों के मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड न मिलने की शिकायतें भी सामने आईं। मिसल बंदोबस्त कई तरह के शासकीय कार्यों के लिए अति महत्वपूर्ण दस्तावेज है।

जानिये ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में

छत्तीसगढ़ सरकार ने जिलों की जानकारी के मान से जिलेवार सूचनाओं का समंकन किया है। इस प्रक्रिया के तहत अलग-अलग जिलों के लिहाज से मिसल रिकॉर्ड के डिजिटल फॉर्म को ऑनलाइन प्रक्रिया के लिए तैयार किया गया है।

इस ऑनलाइन सुविधा का लाभ छत्तीसगढ़ प्रदेश के सभी नागरिक उठा सकते हैं।

छत्तीसगढ़ मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड (Misal Bandobast Records Chhattisgarh ) देखने के लिए पहले कुछ आसान प्रक्रिया को पूरा करना होगा। वेबसाइट www.cg.nic.in/ के होमपेज पर संबंंधित जिला, तहसील, राजस्व न., प.ह.नं, गांव, अभिलेख, CG मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड आदि के बारे में चयन करने के बाद सर्च (खोजें) विकल्प पर क्लिक करने से संबंधित उपयोगकर्ता को मिसल बंदोबस्त के बारे में इच्छित जानकारी प्राप्त हो सकती है। सर्च ऑप्शन को क्लिक करने के बाद स्क्रीन पर संबंधित क्रमांक के तहत शामिल गांव का संपूर्ण मिसल बंदोबस्त रिकॉर्ड नाम सहित दिखने लगेगा। इसी तरह अन्य विकल्पों के माध्यम से उपयोगकर्ता संबंधित रिकॉर्ड को डाउनलोड करने के साथ ही उसका प्रिंट भी प्राप्त कर सकता है।
आदत बदलने पर छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में 3 साल तक मिलेंगे पूरे इतने हजार

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किसान पंचायत समिति से जुड़ी स्कीम

फसल चक्र बदलने सीएम बघेल का प्लान

इमारती लकड़ी, फल, बाँस, लघु वनोपज बढ़ाने का संकल्प

निरंतर एक सी खेती के लती किसानों को यदि छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक मदद से जुड़ी एक योजना का तीन सालों तक लाभ हासिल करना है, तो उन्हें पहले अपनी आदतों में भी बदलाव करना होगा। जी हां, छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजना की यह प्रथम एवं अनिवार्य शर्त है। अब कौन सी आदत किसान मित्र को बदलनी होगी, सरकार के कहने पर चले तो किसान का क्या भला होगा, आदत बदलने पर कितना आर्थिक लाभ होगा, इन सवालों के जानिये जवाब मेरी खेती के साथ। पर्यावरण एवं मृदा संरक्षण के लिए कृषि वैज्ञानिक खेत पर उपज बदल-बदल कर खेती करने की सलाह किसानोें को देते हैं। पारंपरिक फसल चक्र से जुड़े किसानों को अन्य फसलों, पौधों, बागवानी, वानिकी आधारित कृषि आय से जोड़ने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं।

छग में भूपेंद्र सरकार की अभिनव पहल

इस तारतम्य में छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि भूमि की उर्वरता की रक्षा एवं वृद्धि के साथ ही पर्यावरण सहेजने के लिए महत्वाकांक्षी चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम (Chhattisgarh Chief Minister Tree Plantation Incentive Scheme) स्टार्ट की है।


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इस योजना के तहत, छत्तीसगढ़ राज्य में वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुसार किसानों, किसान समितियों के साथ ही निजी भूमि में भी पौधरोपण (शासकीय योजनानुसार वृक्षारोपण) से जुड़े खेती-किसानी कार्य को प्रोत्साहित किया जाएगा।

दबाव होगा कम

छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार का मानना है कि इस अभिनव योजना से जंगल की आग से रक्षा, चारा, लकड़ी और औद्योगिक सेक्टर के लिए जरूरी भू-जनित उत्पाद के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। साथ ही आधुनिक खेती से पर्यावरण पर मंडराने वाले खतरों को कम करने में भी आसानी होगी।

एक साल पहले हुई घोषणा

फसल चक्र में बदलाव के लिए किसानों को प्रेरित करने की दिशा में प्रयासरत देश की राज्य सरकारों के मध्य छत्तीसगढ़ राज्य सरकार (Chhattisgarh State Government) ने बीते साल 1 जून 2021 को अहम योजना की घोषणा की थी। इस दिन छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा आदिवासी बहुल प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का शुभारंभ किया गया। गौरतलब है कि, 18 मई 2021 को मंत्रिमंडल की बैठक में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghe) ने चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम (Chief Minister Tree Plantation Incentive Scheme) को छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) राज्य में लागू करने का निर्णय लिया था।

किसका कितना भला

चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम (Chief Minister Tree Plantation Incentive Scheme) अर्थात मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का छत्तीसगढ़ राज्य में किसको, कितना, क्या लाभ हासिल होगा, इन विषयों पर सवाल दर जानिये जवाब।


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इनको मिलेगा लाभ

छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार ने यह पेशकश राज्य के सभी किसानों, ग्राम एवं संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के हित में जारी की है। निजी भूमि में भी पौधरोपण (शासकीय योजनानुसार वृक्षारोपण) से जुड़े खेती-किसानी कार्य को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहित किया जाएगा।

योजना का मकसद

छत्तीसगढ़ में पौधरोपण (वृक्षारोपण) योजना शुरू करने का मूल मकसद नागरिकों एवं किसानों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करते हुए राज्य में जल, जंगल एवं जमीन का संरक्षण एवं संवर्धन करते हुए पर्यावरण में सुधार लाना है। पिछले वर्ष जून 2021 से शुरू की गई प्लांटेशन स्कीम के तहत छत्तीसगढ़ राज्य सरकार जागरूकता कार्यक्रमों एवं शिविरों के माध्यम से लोगों को जल-जंगल-जमीन के महत्व से परिचित करा रही है। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का मूल उद्देश्य वृक्षों की कमी के कारण जल-जंगल-जमीन, प्राणी और पर्यावरण के स्वास्थ्य पर पड़ रहे बुरे प्रभावों को रोककर प्राकृतिक घटक आधारित उत्पाद को मानव एवं पर्यावरण हितकारी बनाना है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की मंशा पौधरोपण कर वृक्ष का स्वरूप प्रदान करने वाले किसानों को आर्थिक मदद प्रदान करना है, ताकि पारंपरिक कृषि चक्र अपनाने वाले अन्य किसान भी, बदलाव करने वाले कृषकों से सीख लेकर फसल चक्र में बदलाव के लिए प्रेरित हो सकेें। इस योजना को शुरू करने के पीछे राज्य सरकार का उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में हो रहे जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव को कम करके, इसे स्थिर करना एवं प्रदूषण को कम करने वृक्षों की संख्या में वृद्धि करना है।

लेकिन बदलना होगी आदत

चूंकि प्रदेश सरकार की योजना का मकसद फसल चक्र में बदलाव करना है, अतः परंपरागत फसल चक्र के बजाए पौधरोपण के जरिए वृक्ष संवर्धन करने वाले किसानों को छग सरकार प्रोत्साहित करेगी। खरीफ वर्ष 2020 में धान की फसल की पैदावार करने वाले किसानों को इस बार अपनी आदत में बदलाव करना होगा। यदि इस बार वे धान के बदले अपने खेतों में वृक्षारोपण (पौधरोपण) करते हैं, तो वे योजना हितग्राही पात्रता की प्रथम अनिवार्य शर्त की पूर्ति कर योजना का लाभ ले सकेंगे। ग्राम पंचायतें भी स्वयं की उपलब्ध राशि से वाणिज्यिक उपयोग के लिए वृक्षारोपण (पौधरोपण) कर मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का लाभ प्राप्त कर सकती हैं। यह सुविधा भविष्य में पंचायतों की आय में वृद्धि करने का लाभ भी प्रदान करेगी।

CMTPIS का क्रियान्वन

चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम (सीएमटीपीआईएस) (Chief Minister Tree Plantation Incentive Scheme/ CMTPIS) अर्थात मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का छत्तीसगढ़ राज्य में क्रियान्वयन करने के लिए राज्य सरकार ने विशेष रूपरेखा बनाई है। राज्य स्तर पर योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं कृषि उत्पादन आयुक्त की सहभागिता खास तौर पर सुनिश्चित की गई है। जिला स्तर पर स्कीम के सफल क्रियान्वन की जिम्मेदारी क्षेत्रीय वन मंडल अधिकारियों को सौंपी गई है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना में किसानों को प्रदान करने के लिए उच्च गुणवत्ता के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों का रोपण वन अधिकार प्रदत्त वन एवं राजस्व वन भूमि पर हितग्राहियों की सहमति से किया जाएगा।


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योजना में शामिल किस्में

मुख्यमंत्री वृक्षारोपण (पौधरोपण) प्रोत्साहन योजना के तहत गैर वन क्षेत्रों में इमारती, गैर इमारती लकड़ी, फलदार वृक्षों, बांस, अन्य लघु वनोपज एवं औषधीय पौधों की खेती करने वाले किसानों को लाभान्वित किया जाएगा। इमारती लकड़ी, फल, बाँस, लघु वनोपज एवं औषधीय पौधे खेत में लगाने वाले किसानों को प्रदेश सरकार से बदले में आर्थिक मदद प्राप्त होगी। इसके अलावा निजी क्षेत्र में तैयार परिपक्व एवं उम्र दराज पेड़ों, वृक्षों को काटने के बारे में लागू अनुमति संबंधी प्रावधानों को अपेक्षाकृत रूप से पहले के मुकाबले और अधिक आसान बनाया गया है। हितग्राही द्वाला लगाए जा रहे पौधों के परिपक्व पेड़ बनने के बाद उसकी कटाई से जुड़े अनुमति के प्रावधानों के बारे में भी राज्य सरकार ने प्रबंध किए हैं।

योजना पात्रता मानदंड

मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना का लाभ अव्वल तो सिर्फ छत्तीसगढ़ राज्य के स्थाई निवासी को ही प्रदान किया जाएगा। सीएम ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम के तहत लाभ लेने के इच्छुक किसानों, ग्राम पंचायतों या संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के पास कम से कम 1 एकड़ भूमि की अनिवार्यता योजना में एक अन्य अहम शर्त है। मतलब एक एकड़ भूमि के मालिक हितग्राही ही योजना का लाभ ले सकेंगे। कृषक मित्र याद रखें कि छत्तीसगढ़ चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम 2022 के हितग्राही को योजना का लाभ केवल तब ही प्रदान किया जाएगा जब स्कीम के तहत पौधरोपण का एक साल सफलतम रूप से पूरा हो चुका हो। यह योजना की तीसरी प्रमुख शर्त कही जा सकती है।

योजना आवेदन प्रक्रिया

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना 2022 का लाभ हासिल करने आवेदन के लिए ऑनलाइन प्रोसेस अभी शुरू नहीं हो पाई है। राज्य के इच्छुक लाभार्थी मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना लिए लाभ प्राप्त करने फिलहाल ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं। जिले के वन परिक्षेत्र कार्यालय में योजना अहर्ता फॉर्म आवेदक को प्राप्त होंगे। फॉर्म में अनिवार्य जानकारी दर्ज करने एवं जरूरी दस्तावेजों की प्रतिलिपि संलग्न कर आवेदक को कार्यालय में फॉर्म जमा करना होगा।


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अहम सवाल, कितना लाभ मिलेगा

छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना 2022 के तहत योजना की पात्रता रखने वाले किसानों को राज्य सरकार द्वारा अगले 3 सालों तक 10 हजार रुपये प्रति एकड़, प्रति वर्ष की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। स्वयं के पास उपलब्ध राशि से योजना के तहत पौधरोपण करने वाली ग्राम पंचायतों को एक साल बाद सफल पौधरोेपण की स्थिति में शासन की ओर से योजना के लाभ बतौर 10 हजार रूपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। इससे पंचायतों की आय में वृद्धि के साथ ही पर्यावरण संवर्धन हेतु सामूहिक प्रयास की कोशिश भी साकार होगी। संयुक्त वन प्रबंधन समिति भी स्वयं के खर्चे पर राजस्व भूमि पर व्यवसायिक उपयोग आधार संबंधी पौधरोपण कर योजना का लाभ हासिल कर सकती है। योजना में पात्र वन प्रबंधन समिति को पंचायत की ही तरह एक साल बाद शासन की ओर से 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाएगी। योजना के तहत तैयार किए जाने वाले पौधों, वृक्षों, पेड़ों की कटाई एवं विक्रय के अधिकार योजना के अनुसार संबंधित समिति के पास सुरक्षित रखे गए हैं। सरकार पात्र हितग्राहियों को चीफ मिनिस्टर ट्री प्लांटेशन इंसेंटिव स्कीम अर्थात मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के तहत 3 साल तक 10000 रुपये प्रति वर्ष प्रति एकड़ की दर से प्रदान किए जाएंगे। आपको बता दें राज्य सरकार की योजनाओं के बारे में आधिकारिक वेबसाइट पर महत्वपूर्ण सूचनाएं उपलब्ध हैं : https://chhattisgarh.nic.in/ भू, जल एवं पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास निश्चित ही अनुकरणीय कहा जा सकता है। पेड़ पौधों को सहेजने के लिए भले ही वर्तमान पीढ़ी ने देर कर दी हो, लेकिन इस बारे में ताकीद पहले की अनुभवी पीढ़ी यह कहते हुए पहले ही दे चुकी है कि, “इन टहनियों को मत काटो, ये चमन का जेवर हैं, इन्हीं में से कल आफताब उभरेगा।” छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना 2022 का लाभ हासिल करने आवेदन के लिए ऑनलाइन प्रोसेस अभी शुरू नहीं हो पाई है। इस बारे में पुष्टि जरूर कर लें।
बाजारी गुलाल को टक्कर देंगे हर्बल गुलाल, घर बैठे आसानी से करें तैयार

बाजारी गुलाल को टक्कर देंगे हर्बल गुलाल, घर बैठे आसानी से करें तैयार

होली के त्यौहार की रौनक बाजारों में दिखने लगी हैं. हर तरफ जश्न का मौहाल और खुशियों के रंग में डूब जाने की हर किसी की तैयारी है. तो ऐसे में बाजारी गुलाल रंग में भंग न डालें, इसलिये हर्बल गुलाल की डिमांड बाजार में सबसे ज्यादा देखने को मिल रही है. हालांकि पिछले साल की तरह इस साल भी होली के सीजन में हर्बल गुलाल तेजी से तैयार किये जा रहे  हैं. को पालक, लाल सब्जियों, हल्दी, फूलों और कई तरह की जड़ी बूटियों से तैयार किये जा रहे हैं. ये हर्बल गुलाल बाजारी गुलाल को मात देने के लिए काफी हैं. विहान यानि की राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की महिलाएं होली के त्यौहार को देखते हुए हर्ब गुलाल बनाने में जुट चुकी हैं. हर्बल गुलाल लगाने से स्किन में किसी तरह का कोई भी इन्फेक्शन या साइड इफेक्ट होने का डर नहीं होता. क्योनी ये गुलाल पूरी तरह से केमिकल फ्री होते हैं.

प्रदेश में बढ़ रही हर्बल गुलाल की डिमांड

अच्छे गुणों की वजह से हर्बल गुलाल की डिमांड पूरे प्रदेश के साथ साथ स्थानीय बाजारों में बढ़ रही है. जिसे देखते हुए विहान की महिलाओं को घर बैठे बैठे ही रोजगार मिल रहा है और अच्छी कमाई हो रही है. इसके अलावा महासमुंद के फ्राम पंचायत डोगरीपाली की जय माता दी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं भी तैयारियों में जुट गयी हैं और हर्बल गुलाल बना रही गौब. समूह की सदस्यों की मानें तो पिछले साल की होली में लगभग 50 किलो तक हर्बल गुलाल के पैकेट तैयार किये थे. जिसकी डिमांड ज्यादा रही. महिलाओं ने बताया कि, हर्बल गुलाल के पैकेट 10 रुपये से लेकर 20 और 50 रुपये के हर्बल गुलाल के पैकेट बनाए गये थे. इस बार ज्यादा मात्रा में गर्ब्ल और गुलाल तैयार किया जा रहा है. बात इस हर्बल गुलाल की तैयारी की करें तो इसे पालक, लाल सब्जी, हल्दी, जड़ी-बूटी, फूल और पत्तियों को सुखाकर प्रोसेसिंग यूनिट में पीसकर तैयार किया जाता है. ये भी देखें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

हरी पत्तियां भी होती हैं प्रोसेस

हरी पत्तियों में गुलाब, चुकंदर, अमरूद, आम और स्याही फूल की पत्तियों को प्रोसेस किया जाता है. करीब 150 रुपये तक का खर्च एक किलो गुलाल बनाने में आता है. सिंदूर के अलावा पालक और चुकंदर का इस्तेमाल गुलाल बनाने में किया जाता है. बाजार में हर्बल गुलाल की कीमत बेहद कम होती है. गर्ब्ल गुलाल बनाने से न सिर्फ महिलाओं को घर बोथे रोजगार मिल रहा है, बल्कि अच्छी कमाई भी हो रही है. जिले की ग्राम पंचायत मामा भाचा महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं इस साल पालक, लाल सब्जी, फूलों और हल्दी से हर्बल गुलाल तैयार कर रही हैं. जिससे पीला, नारंगी, लाल और चंदन के कलर के गुलाल बनाए जा रहे हैं. जिसे स्व सहायता समूह की महिलाएं गौठान परिसर और दुकानों के जरिये बेच रही हैं. इतना ही नहीं समूह को हर्बल गुलाल के ऑर्डर भी मिलने लगे हैं. हर्बल गुलाल बनाने में हल्दी, इत्र, पाल्स का फूल समेत कई तरह की साग सब्जियों और खाने वाले चूने का इस्तेमाल किया जाता है.
करनी है बंपर कमाई, तो बनिये बागवानी मिशन का हिस्सा

करनी है बंपर कमाई, तो बनिये बागवानी मिशन का हिस्सा

किसानों की अच्छी आय के लिए छत्तीसगढ़ सरकार काफी मेहनत कर रही है. इसके लिए तरह तरह की योजनाएं सरकार धरातल में उतार रही है. जिसके लिए सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है. ताकि उनकी आर्थिक रूप से मदद हो सके. सरकार की तरफ से किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा किसानों को बागवानी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. हालांकि बागवानी की खेती करके किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. ताकि किसानों की आर्थिक मदद हो सके. बागवानी की खेती करके किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. छत्तीसगढ़ में किसान बागवानी के जरिये अमरूद, केला, आंवला और आम जैसे फलों की खेती कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तर्ज पर राज्य सरकार कृषि के साथ साथ उद्यानिकी फसलों से जुड़े क्षेत्रों के विस्तार और उत्पादन में बढ़ोतरी करना चाहती है. बता दें इस योजना के तहत राज्य के मुंगेली जिले के अंतर्गत करीब 443 सदस्य कृषकों की तीन ने समेती लाभंडी रायपुर में प्रशिक्षण लिया है. यह प्रशिक्षण 1 फरवरी, 2 से 4 फरवरी, 6 से 8 फरवरी, 9 से 11 फरवरी, 20 से 22 फरवरी और 23 से 25 फरवरी 2023 तक चला. आपको बता दें कि, इस दौरान किसानों ने नई तकनीक से कैसे खेती करनी है, इसका गुण भी सीखा.

इस तरह मिली जानकारी

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिले के किसानों ने उद्यानिकी फसलों से जुड़ी दाल और सब्जियों जैसी उन्नत तकनीक से खेती करने की जानकारी शामिल है. इसके तहत कीट प्रबंधन, बीमारियों की रोकथाम से जुड़ी जानकारी, बीजों का उत्पादन, फूलों के उत्पादन तकनीक से जुड़ी सम्भावनाएं, मशरूम का उत्पादन की खेती में इस्तेमाल  होने वाले यंत्रों की भी जानकारी दी गयी. ये भी पढ़ें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय के साइंटिस के अलावा विषय वस्तु से जुड़े एक्सपर्ट्स और संस्थान के अधिकारीयों ने इन सभी विषयों में टेक्निकल जानकारी किसानों को दी. यह प्रशिक्षण 14 महिलाओं और 55 पुरुषों ने 23 से 25 फरवरी के भ्रमण दौरे के दौरान लिया. इस दौरान दौरे पर आये हुए किसानों ने राज्य सरकार की इस नई तकनीक की काफी ज्यादा सरहाना की. साथ ही इस तकनीक को अपनाने की बात भी कही. इसके अलावा राज्य कृषि प्रबंधन और विस्तार प्रशिक्षण संस्थान ने किसानों को सर्टिफिकेट बांटा.
छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के ‘भरोसे का बजट’ कितना भरोसेमंद, जानिए असल मायने

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश सिंह बघेल जल्द ही बजट पेश करने वाले हैं. उन्हों इस बजट को भरोसे का बजट नाम दिया है, हालांकि सीएम के पिटारे से जनता के लिए क्या कुछ निकलने वाला है,न और क्या यह बजट जनता की कसौटियों पर उतर पाएगा, इस बात से पर्दा तो बजट पेश होने के बाद ही उठेगा. लेकिन इससे पहले सीएम ने जनता के नाम संबोधन दिया. जिसमें उन्होंने कई अहम बातों का जिक्र किया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार के बजट को भरोसे का बजट कहा है. उन्होंने बजट को यह नाम प्रदेश की जनता जो संबोधन करते वक्त दिया. बजट में क्या ख़ास है, और इसके मायने क्या हैं, इसका बेसब्री से जनता को इन्तजार है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सीएम ने गृह विभाग, कृषि विभाग, सिंचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा विभाग, रोजगार विभाग और सड़क विभाग से जुड़े अलग अलग मंत्रियों के साथ साथ अफसरों से भी चर्चा की और उसी के आधार पर बजट की रूप रेखा को तैयार किया.

सीएम के कार्यकाल का आखिरी बजट बेहद ख़ास

बताया जा रहा है कि, भूपेश सिंह बघेल सीएम और वित्त मंत्री दोनों का जिम्मा खुद उठा रहे हैं. उनके कार्यकाल का यह आखिरी बजट है. जिस वजह से इस बजट को बेहद खास बताया जा रहा है. विधानसभा चुनाव साल 2023 के चलते हर वर्ग और हर तबके के लोगों को साधने की तैयारी है. वहीं जो कर्मचारी सरकार की नीतियों से रूठे हैं, उन्हें मनाने की कोशिश भी इस बार के बजट में की जाएगी. इसके अलावा सालों से लम्बित पड़ी मांगों को भी पूरा किया जा सकता है. वहीं छत्तीसगढ़ के इस साल के बजट में नियमित समय कई तरह की जनता से जुड़ी घोषणाएं की जा सकती हैं.

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बजट में किसानों को मिल सकती है सौगात

किसानों के जरिये सत्ता हासिल करने वाली कांग्रेस सरकार किसानों के हित में बजट के पिटारे से कुछ खास घोषणाएं कर सकती है. हालांकि राज्य में धान की खेती सबसे ज्यादा की जाती है, जिसपर राजनीती भी केन्द्रित रहती है. बताया जा रहा है कि, धान पर बोनस को लेकर केंद्र से लेकर राज्य सरकार के बीच हमेशा से ही खींचतान रहती है. जिस बझ से छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के हित में बड़ा ऐलान कर सजती है. खबरों के मुताबिक धान के अलावा अन्य खाद्यान के समर्थन मूल को लेकर बड़ा तोहफा दिया जा सकता है. वहीं खेती और किसानी से जुड़े उपकरणों में करों में छूट देने के साथ सब्सिडी को बढ़ाया जा सकता है.

अनियमित संविदा कर्मचारियों के सपने हो सकते हैं पूरे

छत्तीसगढ़ के बजट में अनियमित संविदा कर्मचारियों को अच्छी खबर मिल सकती है. बजट के जरिये उनका सपना पूरा हो सकता है. बताया जा रहा है कि, कर्मचारियों के संविलियन की राह आसान हो सकती है. इसके अलावा युवाओं के लिए नौकरी, पुलिस में भर्ती और और शिक्षक में भर्ती समेत कई अहम ऐलान हो सकता है.

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युवाओं और महिलाओं के लिए भी खास है बजट

इस बजट में युवाओं और महिलाओं के लिए भी काफी कुछ हो सकता है. जिसमें स्टार्टअप योजना से लेकर इनोवेशन सेंटर खोलने और महिलाओं को सेल्फ डिपेंड बनाने को लक्सर बड़ा ऐलान किया जा सकता है.

यहां पर भी सरकार की नजर

अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और आदिवासी वर्ग को वोट को साधने का सरकार का सबसे बड़ा मास्टर प्लान है. जिसके लिए सरकार कई बड़े ऐलान कर सकती है.
इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

इस राज्य में आमदनी दोगुनी करने वाली तकनीक के लिए दिया जा रहा 50 % अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य के कृषक बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। इससे उनकी आमदनी भी काफी बढ़ गई है। किसान केवल पारंपरिक फसलों की खेती से हटकर फूल उगाकर भी अच्छी आमदनी कर सकते हैं। फूलों की मांग भारत सहित पूरी दुनियाभर में है। यदि किसान भाई शेडनेट तकनीक से फूलों का उत्पादन करें, तब उनको अधिक आमदनी होगी। इस तकनीक से जरिए वर्षभर एक ही खेत में फूल का उत्पादन किया जा सकता है। शेडनेट तकनीक में खर्चा भी कम आता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई शेडनेट तकनीक का उपयोग करके अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। छत्तीसगढ़ जनसंपर्क के अनुसार, छत्तीसगढ़ के किसान बड़े पैमाने पर शेडनेट तकनीक द्वारा फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। नतीजतन, उनकी आमदनी भी काफी बढ़ चुकी है। साथ ही, इस तकनीक के चलते फूलों की पैदावार भी बढ़ गई है। विशेष बात यह है, कि यहां के कृषक शेडनेट के अतिरिक्त पॉली हाऊस, ड्रिप और मच्लिंग तकनीक द्वारा भी फूलों की खेती कर रहे हैं। इन किसानों द्वारा उत्पादित फूलों की मांग हैदराबाद, भुवनेश्वर, अमरावती और नागपुर जैसे बड़े शहरों में भरपूर है। 

शेडनेट तकनीक किसानों की मेहनत कम कर देती है

फूलों की खेती करने के लिए शेडनेट तकनीक बेहद फायदेमंद है। इस तकनीक के उपयोग से खेती करने पर फसल में कीट संक्रमण और रोगिक भय नहीं रहता है। अब ऐसी स्थिति में फूलों की पैदावार एवं गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ता हैं। विशेष बात यह है, कि दीर्घकाल तक एक ही स्थान पर फसल के लगे रहने से कृषकों को परिश्रम कम करना पड़ता है। इससे उनकी आमदनी भी दोगुनी हो जाती है। 

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छत्तीसगढ़ सरकार शेडनेट तकनीक के लिए 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

जानकारों के अनुसार, इस तकनीक का उपयोग गर्मी से पौधों को संरक्षण देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। शेडनेट के अंतर्गत आप गर्मी के मौसम में नहीं उगने वाले पौधों का भी उत्पादन कर सकते हैं। साथ ही, बारिश के मौसम में भी शेडनेट के कारण फूल सुरक्षित रहते हैं। परंतु, फिलहाल छत्तीसगढ़ सरकार अपने प्रदेश में इस तकनीक के माध्यम से खेती करने वाले कृषकों को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है। प्रदेश सरकार इसके लिए राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत संरक्षित खेती हेतु 50 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है। इस योजना के चलते किसान भाई ज्यादा से ज्यादा 4000 वर्गमीटर में शेडनेट स्थापित कर सकते हैं। 

किसान लगभग 10 लाख रुपये तक की आमदनी कर रही है

छत्तीसगढ़ राज्य के राजनांदगांव जनपद के डोंगरगढ़ विकासखंड में किसान शेडनेट तकनीक के इतेमाल से बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। बतादें, कि ग्राम कोलिहापुरी के किसान गिरीश देवांगन ने जरबेरा, रजनीगंधा और गुलाब की खेती कर रखी है। इससे वर्षभर में लगभग 10 लाख रुपये की आमदनी हो रही है। गिरीश देवांगन के अनुसार, उनके गांव में उत्पादित किए जाने वाले फूलों की अधिकांश मांग सजावट के उद्देश्य से हो रही है। इसके अतिरिक्त भुवनेश्वर, हैदराबाद, अमरावती एवं नागपुर में भी इस गांव से फूलों का निर्यात किया जा रहा है।

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

किसान फसल की देखभाल के लिए 7 करोड़ का हेलीकॉप्टर खरीद रहा है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि नक्सल प्रभावित जनपदों में रहने वाले एक किसान ने अपने खेत की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। तकरीबन 1000 एकड़ जमीन में खेती की देखभाल के लिए 7 करोड़ रुपये का हेलीकॉप्टर उन्होंने पसंद किया है। भारत के सर्वश्रेष्ठ किसान सम्मान से नवाजे गए छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित कोंडा गांव जनपद के निवासी उन्नत किसान राजाराम त्रिपाठी अपनी एक हजार एकड़ खेती की देखरेख करने के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी राज्य के पहले ऐसे किसान हैं, जो कि हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। 7 करोड़ के खर्चे से खरीदे जा रहे हेलीकॉप्टर के लिए उन्होंने हॉलैंड की रॉबिन्सन कंपनी से सौदा भी कर लिया है। वर्ष भर के अंतर्गत उनके समीप R-44 मॉडल का 4 सीटर हेलीकॉप्टर भी आ जाएगा।

राजाराम सैकड़ों आदिवासी परिवारों के साथ 1000 एकड़ में खेती करते हैं

बतादें, कि किसान राजाराम त्रिपाठी सफेद मूसली, काली मिर्च एवं
जड़ी बूटियों की खेती करने के साथ-साथ मां दंतेश्वरी हर्बल समूह के संचालन में अपनी अलग पहचान स्थापित कर चुके हैं। हाल ही में उनको लगभग 400 आदिवासी परिवार के साथ 1000 एकड़ में सामूहिक खेती करने एवं यह खेती सफल होने के चलते उन्हें सम्मानित भी किया गया था। उन्हें जैविक खेती के लिए भी बहुत बार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। साथ ही, वर्तमान में अपनी खेती किसानी में एक और इतिहास रचते हुए 7 करोड़ की लागत से हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं।

बैंक की नौकरी छोड़ शुरू की खेती

बस्तर के किसान राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि उनका पूरा परिवार खेती पर ही आश्रित रहता है। कई वर्ष पहले उन्होंने अपनी बैंक की छोड़ के वह दीर्घकाल से खेती करते आ रहे हैं। साथ ही, वह मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का भी बेहतर ढ़ंग से संचालन कर रहे हैं। बस्तर जनपद में पाई जाने वाली जड़ी बूटियों की खेती कर इसे प्रोत्साहन देने के साथ ही संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर इकलौते सफेद मूसली की खेती करते आ रहे हैं। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि उनके समूह द्वारा यूरोपीय एवं अमेरिकी देशों में काली मिर्च का भी निर्यात किया जा रहा है। वर्तमान में अपनी करीब एक हजार एकड़ खेती की देखभाल के लिए हेलीकॉप्टर खरीदने जा रहे हैं। ये भी देखें: आने वाले दिनों में औषधीय खेती से बदल सकती है किसानों को तकदीर, धन की होगी बरसात

राजाराम को हेलीकॉप्टर से खेती करने का विचार कैसे आया

राजाराम त्रिपाठी ने बताया कि अपने इंग्लैंड एवं जर्मनी प्रवास के दौरान वहां उन्होंने देखा कि दवा और खाद के छिड़काव के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे पैदावार का बेहतरीन परिणाम भी मिल रहा है। इसी को देखते हुए उन्होंने अपने किसान समूह के 1 हजार एकड़ के साथ आसपास के खेती वाले इलाकों में हेलीकॉप्टर से ही खेतो की देखभाल करने का संकल्प किया। साथ ही, हेलीकॉप्टर खरीदने का पूर्णतय मन बना लिया और हॉलैंड की रॉबिंसन कंपनी से सौदा भी कर लिया। राजाराम त्रिपाठी का कहना है, कि वे कस्टमाइज हेलीकॉप्टर बनवा रहे हैं। जिससे कि इसमें मशीन भी लगवाई जा सकें। उन्होंने कहा है, कि फसल लेते वक्त विभिन्न प्रकार के कीड़े फसलों को हानि पहुंचाते हैं। हाथों से दवा छिड़काव से भी काफी भूमि का हिस्सा दवा से छूट जाता है, जिससे कीटों का संक्रमण काफी बढ़ जाता है। हेलीकॉप्टर से दवा छिड़काव से पर्याप्त मात्रा में फसलों में दवा डाली जा सकती है, जिससे फसलों को क्षति भी नहीं पहुंचती।

हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण ले रहे राजाराम के भाई और बेटा

राजाराम त्रिपाठी ने कहा है, कि हेलीकॉप्टर को चलाने के लिए उनके भाई व बेटे को उज्जैन में स्थित उड्डयन अकादमी में हेलीकॉप्टर उड़ाने का प्रशिक्षण लेने के लिए भेजने की तैयारी हो चुकी है। प्रशिक्षण लेने के बाद उनके भाई व बेटे हेलीकॉप्टर से खेती की देखभाल करेंगे। उन्होंने कहा कि बस्तर में किसान की छवि नई पीढ़ी को खेती किसानी के लिए प्रेरित नहीं कर सकती। नई पीढ़ी के युवा आईटी कंपनी में नौकरी कर सकते हैं। लेकिन वह खेती को उद्यम बनाने की कोशिश नहीं करते। इसी सोच में तब्दीली लाने के लिए वह हेलीकॉप्टर खरीद रहे हैं। जिससे कि युवा पीढ़ी में खेती किसानी को लेकर एक सकारात्मक सोच स्थापित हो सके। ये भी देखें: Ashwgandha Farming: किसान अश्वगंधा की खेती से अच्छी-खासी आमदनी कर रहे हैं

सालाना कितने करोड़ का टर्न ओवर है

राजाराम का कहना है, कि उनके भाई व बच्चे भी नौकरी की वजह खेती किसानी कर रहे हैं। साथ ही, खेती बाड़ी में उनको काफी रूचि भी है। खेती-बाड़ी और दंतेश्वरी हर्बल समूह से उनका वार्षिक टर्न ओवर लगभग 25 करोड़ रुपए है। अब उनके साथ-साथ आसपास के आदिवासी किसान भी उन्नत किसान की श्रेणी में आ गए हैं। उनके द्वारा भी हर्बल उत्पादों का उत्पादन किया जा रहा है, जिसमें सफेद मूसली एवं बस्तर की जड़ी-बूटी भी शम्मिलित है। गौरतलब है, कि उनकी इसी सोच व खेती किसानी के लिए किए जा रहे नए नए प्रयास और उससे मिल रही सफलता की वजह से राजाराम त्रिपाठी चार बार सर्वश्रेष्ठ किसान अवार्ड से सम्मानित हो चुके हैं।
इस योजना के तहत विवाहित महिलाओं को सालाना 12 हजार की आर्थिक मदद

इस योजना के तहत विवाहित महिलाओं को सालाना 12 हजार की आर्थिक मदद

किसानों की आय दोगुनी करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें अपने-अपने स्तर से किसानों के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाऐं जारी करती हैं। महतारी वंदना योजना के अंतर्गत किसान भाइयों को 12 हजार रुपये वार्षिक की सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के लिए पात्र महिलाएं आधिकारिक साइट पर जाकर आवेदन कर सकती हैं। 

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के लोगों के लिए एक नई योजना की शुरुआत की है, जिसे महतारी वंदना योजना का नाम दिया गया है। इस योजना के माध्यम से सरकार विवाहित महिलाओं को प्रत्येक माह 1 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगी। हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में इस योजना को स्वीकृति दी गई है।  इस योजना का फायदा किसान भाइयों की पत्नियां भी प्राप्त कर सकती हैं। 

महतारी वंदना योजना के तहत विवाहित महिलाओं को आर्थिक मदद 

महतारी वंदना योजना के माध्यम से राज्य की विवाहित महिलाओं को प्रति महीने 1000 रुपये की आर्थिक मदद प्रदान की जाऐगी। ये योजना महिलाओं को आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर बनाने में सहयोग करने के लिए जारी की जा रही है। यह आशा की जा रही है, कि ये योजना महिलाओं के जीवन स्तर को शानदार बनाने में सहयोग करेगी।

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महतारी वंदना योजना से किसको लाभ मिलेगा

महतारी वंदना योजना का फायदा लेने के लिए महिला छत्तीसगढ़ राज्य की स्थायी मूल निवासी होनी चाहिए। इस योजना का फायदा सिर्फ विवाहित महिलाओं को ही प्रदान किया जाऐगा। महतारी वंदना योजना के अंतर्गत आवेदन करने वाली महिला की 21 वर्ष आयु होनी चाहिए। योजना के अंतर्गत महिलाओं को वार्षिक 12 हजार रुपये प्रदान किए जाऐंगे। इस योजना के लिए आवेदन करने हेतु प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसके लिए उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट mahtarivandan.cgstate.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। साथ ही, यदि अधिक जानकारी चाहिए तो आवेदक आधिकारिक साइट की भी मदद ले सकते हैं।

योजना का लाभ लेने के लिए जरूरी दस्तावेज

  • आधार कार्ड
  • बैंक अकाउंट पास बुक
  • आयु प्रमाण पत्र
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • पहचान पत्र
  • निवास प्रमाण पत्र
  • मोबाइल नंबर

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महतारी वंदना योजना के लिए किस तरह आवेदन करें 

महतारी वंदना योजना के लिए आवेदन ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरीकों से किया जा सकता है। ऑनलाइन आवेदन करने के लिए महिलाओं को छत्तीसगढ़ सरकार की वेबसाइट पर जाना पड़ेगा। ऑफलाइन आवेदन करने के लिए महिलाओं को अपने समीपवर्ती जनपद पंचायत कार्यालय में जाना जरूरी है।