Rht13 गेंहू की बुवाई जमीन के बेहद अंदर तक की जाती है। ये एक बेहतरीन उत्पादन देने वाली प्रजाति है। इसमें विभिन्न तरह की मृदा एवं जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ सकने की शक्ति है। Rht13 गेहूं में एक जीन होता है, जिसे Rht13 के नाम से जाना जाता है। यह जीन पौधे को ज्यादा शाखाओं और ज्यादा दाने उत्पादित करने में सहयोग करता है। Rht13 जीन की वजह, Rht13 गेंहू पारंपरिक किस्मों की तुलना में अधिक उत्पादन देता है।
Rht13 किस्म के गेंहू से किसानों को क्या क्या लाभ हैं
Rht13 से किसानों को फायदे ही फायदे हैं, क्योंकि Rht13 गेहूं पारंपरिक किस्मों के मुकाबले में लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा उत्पादन देता है। सिर्फ इतना ही नहीं Rht13 गेहूं विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु परिस्थितियों में बेहतर ढ़ंग से बढ़ता है।
Rht13 किस्म तूफानी मौसम को सहन करने में भी समर्थ है
शोधकर्ताओं की मानें, तो गेंहू की किस्म Rht13 की जमीन के अंतर्गत काफी गहराई से बुवाई की जाए तो, ये किसानों को कई प्रकार से फायदा पहुंचा सकता है। इसमें तूफान को भी झेलने की क्षमता होती है। किसानों को इसकी खेती करने से कम परिश्रम में अच्छा मुनाफा मिल सकता है।
आईएआरआई के निदेशक ए.के. सिंह द्वारा मीडिया को कहा गया है, कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के सह-अध्यक्ष एवं ट्रस्टी बिल गेट्स (Bill Gates) द्वारा आईएआरआई के कृषि-अनुसंधान कार्यक्रमों, प्रमुख रूप से जलवायु अनुकूलित कृषि एवं संरक्षण कृषि में गहन रुचि व्यक्त की।
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इसी मध्य गेट्स (Bill Gates) द्वारा आईएआरआई की जलवायु में बदलाव सुविधा एवं कार्बन डाइऑक्साइड के उच्च पैमाने के सहित खेतों में उत्पादित की जाने वाली फसलों के विषय में जानकारी अर्जित की है। बिल गेट्स ने मक्का-गेहूं फसल प्रणाली के अंतर्गत सुरक्षित कृषि पर एक कार्यक्रम में भी मौजूदगी दर्ज की। गेट्स ने संरक्षण कृषि के प्रति अपनी विशेष रुचि व्यक्त की। उसकी यह वजह है, कि गेट्स का एक लक्ष्य विश्व स्तर पर कुपोषण की परेशानी का निराकरण करना है। इसलिए ही वह स्थायी कृषि उपकरण विकसित करने के लिए निवेश कर रहे हैं।
बिल गेट्स द्वारा खेतों में कीड़ों एवं बीमारियों की निगरानी हेतु आईएआरआई द्वारा विकसित ड्रोन तकनीक समेत सूखे में उत्पादित होने वाले छोले पर हो रहे एक कार्यक्रम को ध्यानपूर्वक देखा।
बिल गेट्स (Bill Gates) ने दौरा करने के बाद क्या कहा
संस्थान के निदेशक डॉ. अशोक कुमार सिंह द्वारा गेट्स के दौरा को कृषि अध्ययन एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कारगर कदम बताया है। गेट्स का कहना है, कि देश में कृषि के राष्ट्रीय प्रोग्राम अपनी बेहद अच्छी भूमिका निभा रहे हैं। फाउंडेशन से जुड़कर कार्य करने एवं सहायता लेने हेतु योजना निर्मित कर दी जाएगी।
जलवायु परिवर्तन, बायोफोर्टिफिकेशन से लेकर फाउंडेशन सहयोग व मदद करेगा तब और बेहतर होगा। आईएआरआई को जीनोम एडिटिंग की भाँति नवीन विज्ञान के इलाकों में जीनोम चयन एवं मानव संसाधन विकास का इस्तेमाल करके पौधों के प्रजनन के डिजिटलीकरण पर परियोजनाओं हेतु धन उपलब्ध कराया जाएगा।
आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि केरल में 8 जून को मानसून का आगमन हुआ था। जिसके बाद मानसून काफी आहिस्ते-आहिस्ते चल रही है। यह समस्त राज्यों में विलंब से पहुँच रहा है। विशेष बात यह है, कि मानसून के आगमन के उपरांत भी अब तक बिहार समेत विभिन्न राज्यों में वर्षा समान्य से भी कम दर्ज की गई है। अब ऐसी स्थिति में सामान्य से कम बारिश होने से खरीफ फसलों की बिजाई पर प्रभाव पड़ सकता है। अगर मानसून के अंतर्गत समुचित गति नहीं आई, तो देश में महंगाई में इजाफा हो सकता है।
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2023-24 में इतने प्रतिशत महंगाई होने की संभावना
भारत में अब तक बारिश सामान्य से 53% प्रतिशत कम दर्ज की गई है। सामान्य तौर पर जुलाई माह से हरी सब्जियां महंगी हो जाती हैं। साथ ही, ब्रोकरेज फर्म ने फाइनेंसियल ईयर 2023-24 में महंगाई 5.2 प्रतिशत रहने का अंदाजा लगाया है। उधर रिजर्व बैंक ने कहा है, कि चालू वित्त वर्ष में महंगाई 5 प्रतिशत अथवा उससे कम भी हो सकती है।
चीनी की पैदावार में इस बार गिरावट देखने को मिली है
बतादें, कि भारत में सामन्यतः चीनी की पैदावार में विगत वर्ष की अपेक्षा कमी दर्ज की गई है। साथ ही, चावल की हालत भी ठीक नहीं है। इस्मा के अनुसार, चीनी की पैदावार 3.40 करोड़ टन से घटकर 3.28 करोड़ टन पर पहुंच चुकी है। साथ ही, यदि हम चावल की बात करें तो अलनीनो के कारण इसका क्षेत्रफल इस बार सिकुड़ सकता है। वर्षा कम होने के चलते किसान धान की बुवाई कम कर पाऐंगे, क्योंकि धान की फसल को काफी ज्यादा जल की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में धान की पैदावार में गिरावट आने से चावल महंगे हो जाएंगे, जिसका प्रभाव थोक एवं खुदरा बाजार में देखने को मिल सकता है।
ये भी पढ़ें: इस राज्य सरकार ने देश के सरोवरों को सुंदर और संरक्षित करने की कवायद शुरू करदी हैइसमिशनकेअंतर्गतभारतकेहरजनपदमेंकमसेकम 75 अमृतसरोवरोंकानिर्माणअथवाकायाकल्पकियाजासकेगा।हरएकअमृतसरोवरमेंकमसेकम 01 एकड़कातालाबक्षेत्रहोगा, जिसकीजलधारणक्षमतातकरीबन 10,000 घनमीटरहोगी।हरएकअमृतसरोवरनीम, पीपलएवंबरगदइत्यादिवृक्षोंसेघिराहोगा।प्रत्येकअमृतसरोवरसिंचाई, मछलीपालन, बत्तखपालन, सिंघाड़ेकीखेती, जलपर्यटनएवंबाकीगतिविधियोंजैसेबहुतसारेउद्देश्योंकेलिएपानीकाइस्तेमालकरकेआजीविकासृजनकास्रोतहोगा।अमृतसरोवरउसक्षेत्रमेंएकसामाजिकमिलनस्थलकेतोरपरभीकार्यकरेगा।मिशनअमृतसरोवरआजादीकाअमृतमहोत्सवकेदौरानकीगईकार्रवाईकाएकस्पष्टउदाहरणहै।प्रत्येकअमृतसरोवरस्थलहरएकस्वतंत्रतादिवसपरध्वजारोहणकास्थानहै।मिशनअमृतसरोवरमेंस्वतंत्रतासेनानीअथवाउनकेपरिवारकेसदस्य, शहीदोंकेपरिवारकेसदस्य, पद्मपुरस्कारविजेताजुड़ेहुएहैं।मिशनअमृतसरोवरराज्योंएवंजनपदोंकेजरिएसेविभिन्नयोजनाओंजैसेमहात्मागांधीराष्ट्रीयग्रामीणरोजगारगारंटीयोजना (महात्मागांधीएनआरईजीएस), 15वेंवित्तआयोगअनुदान, प्रधानमंत्रीकृषिसिंचाईयोजनाउपयोजनाएंजैसेवाटरशेडविकासघटक, हरखेतकेअभिसरणकेसाथकार्यकरताहै।मिशनअमृतसरोवरबुनियादीढांचागतपरियोजनाओंकोप्रोत्साहनदेनेकेलिएजलसंरक्षण, लोगोंकीहिस्सेदारीऔरजलनिकायोंसेनिकालीगईमृदाकेउचितइस्तेमालपरकेंद्रितहै।रेलमंत्रालय, सड़कपरिवहनतथाराजमार्गमंत्रालयएवंबुनियादीढांचापरियोजनाविकासकेलिएलगीबाकीसार्वजनिकएजेंसियांभीअमृतसरोवरसेनिकलीमृदा, खादकेउपयोगकेउद्देश्यसेमिशनमेंशम्मिलितहैं।