किसान उत्पादक संगठन एक प्रकार का उत्पादक संगठन होता है, जिसमें किसान इस संगठन के सदस्य होते हैं। किसान उत्पादक संगठन का कार्य छोटे और सीमान्त किसानों की आय में सुधार लाना है। यह संगठन किसानों के आर्थिक सुधार के लिए बाजार संपर्क बढ़ाने में मदद करते है। किसान उत्पादक संगठन, उत्पादकों द्वारा बनाया गया एक ऐसा संगठन है जिसमें गैर कृषि उत्पाद, कारीगर उत्पाद और कृषि से सम्बन्धित सभी उत्पादों को सम्मिलित किया गया है। यह संगठन छोटे किसानों को विपणन, प्रसंस्करण और तकनीकी सहायता भी प्रदान करता है।
छोटे और सीमान्त किसानों की समस्या की पहचान कर सरकार द्वारा भी किसान उत्पादक संगठन (Farmer Producer Organization)को सक्रीय रूप से प्रोत्साहित किया जा रहा है। ताकि छोटे और मध्य किसानों के बाजार से लिंक को बढ़ाया जा सके और किसानों की आय में वृद्धि की जा सके।
किसान उत्पादक संगठन कब लागू हुआ ?
किसान उत्पादक संगठन की शुरुआत 29 -02 -2020 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा यू पी के चित्रकूट में की गई थी। सरकार द्वारा इस योजना में 10000 किसान उत्पादक संगठनों का गठन तैयार किया गया। इस संगठन का मुख्य उद्देश्य, खुद के संगठन के माध्यम से उत्पादकों के लिए आय बढ़ाना है। इस संगठन द्वारा कृषि विपणन में से बिचौलियों की शृंखला को खत्म कर दिया गया है। क्योंकि बिचौलिए कृषि विपणन कार्य में गैर कानूनी रूप से कार्य करते है। जिसकी वजह से छोटे और माध्यम किसानों को सिर्फ मूल्य का एक छोटा हिस्सा ही मिल पाता है।
किसान उत्पादक संगठन (FPO) की विशेषताएँ
1. किसान उत्पादक संगठन, किसानों द्वारा नियंत्रित किया गया एक स्वैच्छिक संगठन है। इस संगठन के लिए बनाये जानें वाली नीतियों के निर्माण में इस संगठन के सदस्य सक्रीय रूप से भाग लेते है। किसान उत्पादक संगठन की सदस्यता बिना किसी धर्म, लिंग, जाती, सामाजिक भेदभाव के प्राप्त की जा सकती है। लेकिन जो व्यक्ति इस संगठन का सदस्य बनना चाहता है वो इस संगठन से सम्बंधित सभी जिम्मेदारियों को लेने के लिए तैयार होना चाहिए।
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2. किसान उत्पादक संगठन के संचालक, इस संगठन के सभी किसान सदस्यों को शिक्षा और प्रशिक्षण देते है, ताकि वो भी किसान उत्पादक संगठन के विकास में अपना योगदान कर सके। राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में इस संगठन के काफी अच्छे परिणाम देखने को मिले है।
3. किसान उत्पादक संगठनों को सीबीबीओ यानी कलस्टर आधारित व्यवसायिक संगठनों के आधार पर गठित किया जाता है। इसमें एजेंसियों को लागू करके राज्य स्तर पर लगाया जाता है। सीबीबीओ द्वारा प्रारंभिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है जबकि किसान उत्पादक संगठनों द्वारा हैंड होल्डिंग प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है।
किसान उत्पादक संगठन के लाभ
1 कॉर्पोरेट्स के साथ वार्तालाप
किसान उत्पादक संगठन किसानों को बड़ी बड़ी कॉर्पोरेट्स के साथ प्रतिस्पर्धा का अवसर प्रदान करता है। यह सभी किसानों को एक समूह में बात करने के लिए भी प्रेरित करता है। यह आउटपुट एवं इनपुट दोनों बाजारों में छोटे किसानों की सहायता करने के लिए अनुमति प्रदान करता है।
2 सामाजिक प्रभाव
किसान उत्पादक संगठन द्वारा सामाजिक पूंजी का विकास होगा। यह संगठन सामाजिक संघर्षो को कम करने के साथ साथ, समुदाय में पोषण मूल्यों को भी कम करेगा। किसान उत्पादक संगठन द्वारा महिला किसानों को भी निर्णय लेने में आसानी होगी, उनकी निर्णय क्षमता में भी वृद्धि होगी। यह संगठन लिंग भेदभाव को भी कम करने में सहायता प्रदान करेगा।
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3 औसत जोत आकार की चुनौती का समाधान
इसमें किसानों को सामूहिक खेती के लिए भी प्रेरित किया जा सकता है। इससे उत्पादकता में वृद्धि होगी और रोजगार सर्जन में भी सहायता मिलेगी। कृषि क्षेत्र में छोटे और सीमान्त किसानों की हिस्सेदारी 1980 -1981 में 70% से बढ़कर वर्ष 2016 -17 में 86% हो गई है। और इतना ही नहीं बल्कि 1970 -71 में जोत का आकर 2.3 हेक्टेयर से घटकर 2016 -17 में 1.08 हेक्टेयर रह गया है।
4 एकत्रीकरण
किसान उत्पादक संगठन द्वारा किसानों को अच्छे गुणवत्ता वाले उपकरण बहुत ही कम लागत पर उपलब्ध कराये जाते है। कम लागत वाले उपकरणों में जैसे मशीनरी की खरीद, फसल के लिए ऋण एवं कीटनाशक और उर्वरक। इन् सभी की खरीद के बाद प्रत्यक्ष विपणन करना। किसान उत्पादक संगठन किसानों को समय बचाने, परिवहन में सक्षम बनाने, लेन-देन लागत और गुणवत्ता रखरखाव में सक्षम बनने के लिए कार्य करता है।