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पपीता का खाली पेट सेवन करने से होने वाले लाभ, इसके अंदर औषधीय गुण भी मौजूद हैं

पपीता का खाली पेट सेवन करने से होने वाले लाभ, इसके अंदर औषधीय गुण भी मौजूद हैं

पपीते में बहुत सारे औषधीय गुण विघमान होते हैं। अगर आप इसका सेवन खाली पेट करते हैं, तो यह हमारे शरीर को काफी ज्यादा सेहतमंद बनाता है। पपीता एक बेहद ही स्वादिष्ट फल होता है। पपीता मीठा और सबसे फायदेमंद फलों में से एक होता है। इसका सेवन मधुमेह, पेट दर्द, वजन घटाने, शरीर के मानसिक तनाव को कम करने और घावों के उपचार में तेजी लाने के साथ अन्य स्वास्थ्य लाभों के लिए किया जाता है। इसमें विघमान एंटीऑक्सिडेंट, एंजाइम, विटामिन सी और ए, फाइबर, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे खनिज तत्व पाए जाते हैं। यदि आप इसका सेवन खाली पेट करते हैं, तो इसका लाभ हमारे शरीर को अधिक होता है। तो आइये आगे इस लेख में जानेंगे इसके गुणों के विषय में।

खाली पेट पपीता का सेवन करने से क्या-क्या लाभ होते हैं

पपीता पाचन तंत्र में सहयोग करता है

पपीते में उपस्थित पपेन एंजाइम हमारे शरीर की पाचन प्रक्रिया में सुधार लाता है। इसका खाली पेट सेवन हमारे पाचन तंत्र को शक्तिशाली बनाता है। बतादें, कि इससे हमारा शरीर पूरे दिन भोजन को प्रभावी ढंग से संभालने में समर्थ हो जाता है। यह भी पढ़ें:
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पपीता प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है

पपीते में सबसे ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है, जो हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली की कार्यक्षमता को मजबूत करता है। सुबह के समय भरपूर मात्रा में विटामिन सी का सेवन हमारे शरीर को विभिन्न प्रकार के रोगों से लड़ने में सहयोग करता है।

पपीता ब्लड शुगर नियंत्रण में सहायता करता है

पपीता का सेवन हमारे शरीर के रक्त शर्करा के स्तर को काबू करता है। पपीता के अंदर शर्करा की मात्रा कम होती है। पपीता एक फाइबर युक्त फल होता है। खाली पेट इसका सेवन करने से हमारे शरीर मे पूरे दिन रक्त शर्करा के स्तर को स्थिर बनाए रखता है। अगर आपको मधुमेह की शिकायत है, तो इसका सेवन अवश्य करें।

पपीता का सेवन करके सूजन का उपचार

पपीते में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण विघमान होते हैं। यह तत्व शरीर में सूजन को कम करने में सहायता करता है। खाली पेट पपीता के सेवन से सूजन के स्तर में कमी आती है। साथ ही, बीमारी से लड़ने में भी यह सहायता करता है। पपीता के सेवन के बहुत सारे फायदे होते हैं। हमें केवल बिमारियों के दौरान ही नहीं बल्कि एक दिनचर्या के तौर पर पपीता का सेवन करना चाहिए। जिससे कि आने वाली बीमारियों से शरीर को स्वस्थ बनाया जा सके।
विश्व खाद्य दिवस 2023 से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां

विश्व खाद्य दिवस 2023 से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां

विश्व खाद्य दिवस प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर के दिन मनाया जाता है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूख से निपटने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक मुहिम है। विश्व खाद्य दिवस 2023 की थीम “जल ही जीवन है, जल ही भोजन है” पर आधारित है। विश्व खाद्य दिवस प्रत्येक वर्ष 16 अक्टूबर को मनाया जाता है। यह एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूख से निपटने और खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए एक मुहिम है। विश्व खाद्य दिवस 2023 की थीम “जल ही जीवन है, जल ही भोजन है”. इस मुहिम के माध्यम से विश्व भर के संगठन एक जुट होकर वैश्विक भुखमरी और खाद्य सुरक्षा को लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नागरिकों एवं दुनियाभर की सरकारों को जागरूक करने की कोशिश करेंगे। वर्तमान में यह दिवस 150 देशों और 50 से ज्यादा भाषाओं के साथ पूरी दुनिया भर में मनाया जा रहा है। इसमें राष्ट्रीय स्तर की सरकारों से लेकर कॉर्पोरेट जगत, किसान और आम नागरिक सभी शम्मिलित होते हैं।

एम.एस. स्वामीनाथन को इस दिन के लिए याद किया जा रहा है

भारत में हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन की कोशिशों के चलते आज दुनिया के विभिन्न देशों को भारत खाद्यान्न उपलब्ध करा रहा है। विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दुनियाभर में आज एम.एस. स्वामीनाथन प्रमुख व्यक्तियों की श्रेणी में स्मरणीय हैं। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 1960 के दशक के दौरान इन्होंने भारत में अधिक उत्पादन वाली किस्म (एचवाईवी) के बीज, खेती के मशीनी उपकरण, सिंचाई तंत्र,
खाद और कीटनाशक के उपयोग पर बल दिया था। नतीजतन, आज भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य निर्यातक देश है।

विश्व खाद्य दिवस 2023 की थीम किस पर आधारित है

संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन की स्थापना के साथ ही इस दिवस को वैश्विक पहचान मिल पाई थी। यह एक वैश्विक वार्षिक कार्यक्रम है, जो दुनियाभर में एक साथ एक विषय के लिए मनाया जाता है। विश्व खाद्य दिवस 2023 की थीम “जल ही जीवन है, जल ही भोजन है” पर आधारित है।

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जानें विश्व खाद्य दिवस के इतिहास के बारे में

बतादें, कि इसकी शुरुआत वर्ष 1945 से होती है। जब संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन को स्थापित किया गया। इसी के साथ इसे वर्ष 1979 में 20वें एफएओ सम्मलेन में वैश्विक रूप से मान्यता प्रदान की गई। आज दुनियाभर के 150 से अधिक देश इस दिवस को एक साथ मिल कर मनाते हैं। वहीं, खाद्य सुरक्षा और भुखमरी जैसे विषयों पर जागरूकता फैलाने का कार्य करते हैं।