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Kisan Diwas

किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान दिवस के आयोजन के दौरान merikheti.com ने की मासिक किसान पंचायत

किसान भाइयों आपको यह बताते हुए बहुत ही हर्ष महसूस हो रहा है, कि 23 दिसंबर को किसान मसीहा के रूप में पहचाने जाने वाले चौधरी चरण सिंह जी के जन्म दिवस पर merikheti.com द्वारा मुरादग्राम, पुर पुर्सी, मुरादनगर ग़ाज़ियाबाद में किसान गोष्टी एवं मासिक किसान पंचायत का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों व काफी संख्या में किसानों ने भाग लिया। मासिक किसान पंचायत का मुख्य उद्देश्य किसानों को सजग बनाना एवं उनके हित में चलायी जा रही विभिन्न योजनाओं की जानकारी उन तक समयानुसार पहुँचाना। किसानों की समस्याओं को सुनने के बाद उनका सही व सटीक समाधान प्रदान करना वैज्ञानिकों का मुख्य उद्देश्य होता है। merikheti.com द्वारा आयोजित मासिक किसान पंचायत के दौरान डॉ सी.बी. सिंह प्रिंसिपल साइंटिस्ट (RETD) IARI, पूसा दिल्ली व डॉ विपिन कुमार असोसिएट डायरेक्टर / प्रोफेसर (एग्रोनोमी) विशेषज्ञ आर्गेनिक फार्मिंग कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर , डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत वैज्ञानिक (प्लांट एंड ब्रीडिंग) विशेषज्ञ सीड प्रोडक्शन ऑफ वेजिटेबल कृषि विज्ञान केंद्र हापुड़ merikheti.com के कंटेंट हैड दिलीप कुमार एवं AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं बिज़नेस हैड श्री कृष्ण पाठक जी व merikheti.com की टीम मौजूद रही है। डॉ सी.बी. सिंह जी का कहना है, कि किसान केवल उत्पादन करने और उसको मंडी में बेचने तक ही सीमित न रहें उनको एक किसान से किसान व्यापारी बनने की नई दिशा की और कदम बढ़ाने की अत्यंत आवश्यकता है। क्योंकि किसानों की हालत दिन प्रतिदिन ख़राब होती जा रही है, जबकि व्यवसाय एवं व्यापार करने वाले दिनोंदिन अमीर होते जा रहे हैं, वहीं किसान भुखमरी व गरीबी जैसी समस्याओं से घिरे हुए हैं। इसकी मुख्य वजह किसानों में जागरुकता का अभाव और आधुनिक कृषि की सही जानकारी नहीं होना है। किसान कृषि विशेषज्ञों व कृषि वैज्ञानिकों की सहायता से आधुनिक एवं प्रगतिशील जानकारी लेकर स्वयं व्यापारी की भाँति अपनी फसल का व पैदावार का समुचित प्रबंधन व प्रयोग करें।


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डॉ विपिन कुमार जी ने बताया है, कि जैविक खेती के माध्यम से किसान कम लागत में अच्छा उत्पादन कर सकते हैं। परंतु उनको किसी अच्छे कृषि विशेषज्ञ या कृषि वैज्ञानिक की सलाह के अनुसार ही जैविक खाद बनाना चाहिए। क्योंकि किसान जानकारी के आभाव के कारण जैविक खाद को समुचित रूप से प्रयोग नहीं कर पाते हैं। जैविक कृषि करने के लिए किसानों को जैवक खाद की आवश्यकता होती है। लेकिन किसान तापमान एवं मापदंडो को सही से न जानने की वजह से उसका ढंग से उपयोग नहीं कर पाते हैं। इसी वजह से किसानों को सही पैदावार एवं बेहतर परिणाम नहीं मिलते हैं। डॉ लक्ष्मी कांत सारस्वत जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, आजकल बढ़ती जनसँख्या की वजह से किसानों की भूमि विभाजित होती जा रही है इस वजह से अधिकांश किसान कम जमीन में ही खेती किसानी करके अपनी गुजर बसर करते हैं। उन्होंने कहा कि किसानों की स्थिति काफी दयनीय है इसकी एक वजह किसानों द्वारा परंपरागत तरीके से की जाने वाली खेती है। किसान आधुनिक कृषि तकनीकों एवं रचनात्मक सोच से कार्य नहीं करेंगे तब तक वह गरीबी एवं भुखमरी जैसी चुनौतियों का सामना करते रहेंगे। इसी संदर्भ में उन्होंने किसानों को बीज उत्पादन करके कैसे कम जमीन में अधिक उत्पादन कर सकते हैं इस बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की। merikheti.com के कंटेंट एवं चैनल हेड दिलीप यादव जी ने कहा कि, किसान एकजुट होकर श्रेष्ठतम फसल उत्पादन करें एवं उसको विषमुक्त उत्पाद के नाम से बाजार में बेचें। क्योंकि अत्यधिक रासायनिक खाद एवं उर्वरकों के प्रयोग से फसल बेहद जहरीली होती जा रही हैं। यदि आपको अनुभव करना है, तो बाहरी बाजार के अनाज को खाकर देखें उसके बाद स्वयं बिना रासायनिक खाद एवं उर्वरक वाले अनाज को खाएं आपके पेट की गैस बता देगी कि कौन-सा अच्छा है और कौन-सा हानिकारक। यदि आप सब किसान एकजुट होकर विषमुक्त उत्पादन करेंगे तो निश्चित रूप से आपके उत्पाद को लोग जो आप चाहेंगे उस मूल्य पर खरीदेंगे आज देश में बीमारियों के बढ़ते प्रकोप की वजह से ऐसे उत्पादों की अत्यंत आवश्यकता है। AdbirdMedia Pvt. Ltd. के Co-founder एवं CEO श्री कृष्ण पाठक जी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि वह किसान परिवार से होने की वजह से किसानों की समस्याओं एवं उनकी आवश्यकताओं के बारे में भली-भांति जानते हैं। इसलिए ही उन्होंने किसानों के हित में merikheti.com वेबसाइट को चालू किया था। वर्तमान में merikheti.com किसानों को सही एवं सटीक जानकारी देने का उत्तम माध्यम है। कृषि क्षेत्र में merikheti.com वेबसाइट अपनी अच्छी खासी पहचान रखती है, इसकी मुख्य वजह किसानों को दी जाने वाली उनके हित में जानकारी है। किसान दिवस के अवसर पर आयोजित मासिक किसान पंचायत में किसानों ने बढ़चढ़ कर बेबाकी के साथ अपनी समस्याएं अपने सवाल कृषि वैज्ञानिकों के समक्ष रखें। वैज्ञानिकों ने भी उनके सवालों को ना केवल अच्छी तरह सुना और समझा बल्कि उनके सवालों का जवाब समाधान के साथ दिया है। किसानों को आधुनिक एवं नवीनतम किस्मों की जानकारी भी दी गयी, साथ ही किसानों ने कम लागत में अधिक पैदावार करने की विधियों के बारे में भी जाना है।
Kisan diwas 2023: किसान दिवस पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिवस पर ही क्यों मनाया जाता है?

Kisan diwas 2023: किसान दिवस पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिवस पर ही क्यों मनाया जाता है?

भारत एक कृषि प्रधान देश माना जाता है। क्योंकि, यहां की आधी से ज्यादा जनसंख्या आज भी कृषि अथवा इससे संबंधित कार्यों पर आश्रित है। अब ऐसी स्थिति में आपके मन में विचार रहा होगा कि किस वजह से 23 दिसंबर के दिन ही किसान दिवस मनाया जाता है? आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि 23 दिसंबर को ही देश के पांचवें प्रधानमंत्री और दिग्गज किसान नेता चौधरी चरण सिंह की जयंती है। उन्होंने अन्नदाताओं के हित में एवं खेती के लिए विभिन्न अहम कार्य किए हैं, जिन्हें इस दिन याद किया जाता है।

किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह जी का राजनैतिक सफर 

फरवरी 1937 में वह 34 वर्ष की आयु में छपरौली (बागपत) निर्वाचन क्षेत्र से संयुक्त प्रांत की विधान सभा के लिए चुने गए। चौधरी चरण सिंह कहा करते थे कि किसानों की दशा बदलेगी, तभी देश बढ़ेगा और इस दिशा में वे अपने जीवन भर निरंतर कार्य करते रहे। चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 - 29 मई 1987) वह भारत के किसान राजनेता एवं पाँचवें प्रधानमंत्री थे। उन्होंने यह पद 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक संभाला।

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अब किसान ऐप से कर सकेंगे किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की ई-केवाईसी प्रक्रिया चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री बने। हालांकि, उनका कार्यकाल दोनों बार ज्यादा लंबा नहीं चला था। इसके बावजूद भी उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए भूमि सुधार लागू करने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए किसान वर्ग के हितों में बहुत सारे बड़े एवं ऐतिहासिक निर्णय लिए थे। ऐसा कहा जाता है, कि चौधरी चरण सिंह ने स्वयं ही उत्तर प्रदेश जमींदारी और भूमि सुधार बिल का प्रारूप तैयार किया था।

चौधरी चरण सिंह जी द्वारा किसानों के लिए उठाए गए ऐतिहासिक कदम 

भारत में प्रत्येक वर्ष 23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि, इस दिन भारत अथक परिश्रम करने वाले अन्नदाताओं के प्रति आभार व्यक्त करता है। भारत की अर्थव्यवस्था के अंदर उनका अहम योगदान रहा है। किसान दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में कृषि वैज्ञानिकों के योगदान, किसानों की समस्याएं, कृषि क्षेत्र में नए प्रयोग, नई तकनीक, फसल पद्धति और खेती में सकारात्मक बदलाव जैसे विभिन्न मुद्दों पर महत्वपूर्ण चर्चा होती है। 1938 में उन्होंने विधानसभा में एक कृषि उपज बाजार विधेयक पेश किया जो दिल्ली के हिंदुस्तान टाइम्स के 31 मार्च 1938 के अंक में प्रकाशित हुआ था। इस विधेयक का उद्देश्य व्यापारियों की लोलुपता के खिलाफ किसानों के हितों की रक्षा करना था। किसानों के हित में अपना जीवन समर्पित करने की वजह से चौधरी चरण सिंह जी को किसान मसीहा की उपाधि मिली है। किसान दिवस के दिन पूरे देशभर में चौधरी चरण सिंह जी के किसान हित में किए गए प्रयासों को याद किया जाता है।  
इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

इस महिला किसान को कृषि व पशुपालन में प्रगति के लिए मिला पुरुस्कार

खेती-किसानी के क्षेत्र में प्राचीन काल से पशुपालन विशेषकर गाय का विशेष महत्व रहा है। आज वंदना कुमारी दूध प्रसंस्करण के माध्यम से अच्छी कमाई कर अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं। 

बतादें, कि वंदना कुमारी ने गौ-पालन शुरू करने का फैसला लेने से पहले दो बार नहीं सोचा। जीवन में बेहतर उपलब्धि हांसिल करने का उनका दृढ़ संकल्प ही था, जिसने उनको गौ-पालन प्रारंभ करने के लिए प्रेरित किया। 

एक गृहिणी के लिए जीवन में सब कुछ काफी सुगम नहीं था। कुछ नवीन करने के उनके जूनून ने समस्या और बाधाओं का सामना करने में काफी सहायता की। 

कृषि विज्ञान केन्द्र (KVK), बांका (बिहार) की मदद के फलस्वरूप बन्दना को पारंपरिक फसलों के अतिरिक्त सफल डेयरी किसान के तोर पर स्थापित करने में सहयोग प्राप्त हुआ। 

बतादें, कि 13 एकड़ कृषि योग्य जमीन और 8 एकड़ बंजर जमीन वाले परिवार में आय बढ़ाने के लिए अपने परिवार की मदद करना उनके लिए बड़ी मजबूरी थी। 

महिला किसान वंदना महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से सम्मानित   

खेती में सक्रियता से भाग लेने के उपरान्त कृषि उत्पादकता को बेहतर करना वंदना का लक्ष्य बन गया था। बंदना ने साल 2011 में केवीके का भ्रमण करके और वैज्ञानिकों से मिलकर कृषि भूमि की उत्पादक क्षमता को बढ़ाने के संबंध में दिशा-निर्देश लिया। 

इसके पश्चात कृषि विज्ञान केन्द्र से उनका जुड़ाव काफी बढ़ता गया और उत्पादकता बढ़ाने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों द्वारा समयानुसार सही सलाह दी गई। केवीके के वैज्ञानिकों की मदद से वह अपनी कृषि योग्य भूमि की उत्पादकता में बढ़ोतरी करने में सफल हुई। 

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वंदना ने समकुल बंजर जमीन में से 2.75 एकड़ को कृषि योग्य भूमि में परिवर्तित करने में सफलता हांसिल की। एक नया कीर्तिमान स्थापित करने का जज्बा रखने वाली वंदना ने खेती के दौरान केवीके की तकनीकी मदद से वर्ष 2012 में एक धान ओसाई मशीन को विकसित किया। 

वंदना के नवाचार को परखते हुए एक विख्यात निजी कंपनी द्वारा महिंद्रा समृद्धि अवार्ड से उन्हें पुरस्कृत किया गया और सम्मान स्वरूप 51 हजार की नकद धनराशि प्राप्त हुई। 

महिला किसान वंदना की दूध प्रसंस्करण से तरक्की 

वंदना के गांव को National Innovative वित Climate Resilient Agriculture (NICRA) परियोजना के कार्यान्वयन हेतु चयन किया गया, जिसके तहत उन्होंने हाइड्रोपोनिक चारा उत्पादन, यूरिया से पुआल का उपचार, साइलेज बनाने के अतिरिक्त हरे चारे की उपज संबंधी तकनीकें सीखी और अपनाई। इसके अलावा कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा संचालित विभिन्न गतिविधियों में भी हिस्सा लिया। 

NICRA परियोजना के अंतर्गत ग्रामीणों के लिए आयोजित किए जाने वाले कृषि गतिविधियों में बेहतर सहयोग देने के बाद वंदना ने विविधता लाने के लिए साल 2016 में गौपालन शुरू करने का निर्णय किया। 

उन्होंने अपने पिता (पेशे से पशु चिकित्सक) से पशुपालन की बारीकियां सीखीं जो वंदना को असलियत में डेयरी फार्मिंग के लिए प्रेरित करने वाला साबित हुआ, उन्होंने दूध देने वाली 10 गायों को खरीदकर नया उद्यम शुरू किया।

प्रत्येक गाय व चारा उत्पादित 7-10 लीटर दूध के साथ उनकी गोशाला में औसत दूध उत्पादन लगभग 70-80 लीटर प्रति दिन प्राप्त होता था। वह अपनी गोशाला में उत्पादित दूध की मात्रा से संतुष्ट थीं। 

लेकिन जब दूध बेचने की बात आई तो बंदना को खरीदार ढूंढने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसी दौरान केवीके के जरिए से वंदना को फरवरी, 2020 में "आय बढ़ाने के लिए दुग्ध उत्पाद विकास" विषय पर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने का अवसर मिला, जिसका आयोजन पश्चिम बंगाल पशु एवं मत्स्य विज्ञान विश्वविद्यालय, मोहनपुर, नदिया, पश्चिम बंगाल द्वारा किया जा रहा था।