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ट्रैक्टर(Tractor) किसान का साथी

ट्रैक्टर(Tractor) किसान का साथी

ट्रैक्टर(Tractor) और किसान एक दूसरे के साथी हैं या आप कह सकते है की किसान बिना ट्रेक्टर(Tractor) के अधूरा ही होता है.पुराने समय में लोग हल बैल से खेती करते थे तो सारी जमीं में बुआई नहीं कर पाते थे जिससे की जमीं पड़ी रह जाती थी और उसकी वजह से हम अपने खाद्यान्य के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहते थे. पहले हालत ये थे की एक जोड़ी ( दो बैल ) बैल रखना ही हो पाता था और जिस किसान के पास तीन से चार जोड़ी बैल होते थे वो आज के किसी 70HP ट्रेक्टर से कम नहीं माने जाते थे यानि जिस किसान के पास एक से अधिक बैलों की जोड़ी होती थी वो जमींदार होते थे, पैसे वाले और उन्नत किसानों में उनकी गिनती होती थी. फसल के उत्पादन का आलम ये था की अगर किसी की 100 मन ( 40 कुंतल) पैदावार हो जाये तो लोगों में उसका अलग ही सम्मान होता था. बोलते थे " देखो उसका सेकरा पूज गया" यानि उसके पास 100 मन अनाज हो गया.धीरे धीरे समय बदला और आज 100 मन गेंहूं 10 बीघे ( छोटा बीघा) खेत में ही हो जाते हैं और आज हल बैलों की जगह ट्रैक्टर(Tractor) ने लेली और बड़े से बड़ा काम एक अकेला आदमी करने लगा.

ट्रैक्टर(Tractor) का काम:

आज ये कहना की ट्रैक्टर का क्या काम है तो बहुत ही अलग हो जायेगा, आज हम ये कह सकते हैं की क्या काम नहीं कर सकता. आज हर छोटे या बड़े किसान की जरूरत है एक
ट्रेक्टर(Tractor) के आने से किसान अब सारी जमीन पर खेती करने लगा है और अब तो जो ग्राम समाज की जमीन पर भी कब्ज़ा करके उसमे भी खेती करने लगा है. कई ऐसे किसान होते है जिन पर हकीकत में जमीन न के बराबर होती है और वैसे उनके पास ग्राम समाज की बहुत जमीन होती है. ट्रैक्टर(Tractor) से आप जुताई , बबाई, पानी , नराई, फसल काटना ,भूसा बनाने से लेकर खेत को समतल करना , मेढ़बंदी करना यानि आप जो सोच सकते है वो काम आप ट्रेक्टर से ले सकते है.

किस किसान के लिए कौन सा ट्रेक्टर(Tractor) :

वैसे तो आजकल 35HP से कम का ट्रैक्टर कोई किसान लेना पसंद नहीं करता लेकिन ट्रेक्टर का चुनाव कई बातों को देख कर करना चाहिए, जैसे: जमीन की मिट्टी, फसल , और कितनी जमीन पर काम करना है.मसलन आपके पास 100 बीघा जमीं है तो आपको 35HP से 45HP का ट्रेक्टर काम दे देगा. और आपको पानी भी अपने ट्रैक्टर से निकालना है तो आप 20HP से 25HP तक भी जा सकते हो इसमें आपको ज्यादा खर्चा नहीं पड़ेगा. अगर आपके पास जमीन भी ज्यादा है और आप काम भी उससे ज्यादा लेना चाहते है तो आपको 50HP से 60HP का ट्रेक्टर लेना होगा जिससे आप कटर, रीपर , रोटाबेटर , और कंप्यूटर मांझा चला सकते हो अगर आप इससे ऊपर भी जाना चाहते हो तो आप कंबाइन और JCB चलना चाहते हो तो आपको 60HP के ऊपर का ट्रेक्टर चाहिए होगा. जितने बड़ा हॉर्स पावर उतना ही ज्यादा डीज़ल का खर्चा. मेरा अपना मानना है की अगर आपका ज्यादा बड़ा काम नहीं है तो आप 35HP से 50HP का ट्रैक्टर(Tractor) ले सकते है और अपने सारे छोटे बड़े काम कर सकते हैं. ये भी पढ़े: ट्रैक्टर Tractor खरीदने पर मिलेगी 50 फीसदी सब्सिडी(subsidy), ऐसे उठा सकते हैं इस योजना का लाभ

ट्रेक्टर(Tractor) कैसे लें:

Tractor ट्रैक्टर आप दो तरह से ले सकते है, आप ज्यादा ट्रैक्टर के बारे में नहीं जानते और 8 से 10 साल तक चिंता मुक्त होना चाहते हैं तो नया ट्रैक्टर ही लें और अगर आप थोड़ी भी जानकारी रखते हैं और कोई छोटी मोटी समस्या आती है और उसको अपने आप भी देख सकते हैं तो आप पुराना ट्रैक्टर(Tractor) भी ले सकते हैं. ये भी पढ़े: खेती करो या उठाओ भार,एस्कॉर्टस ट्रैक्टर रहे हमेशा तैयार

लोन(Loan) कहाँ से मिलेगा:

जैसा की सभी जानते है किसान के पास इतना पैसा नहीं होता की वो नगद पैसा से कृषि यंत्र खरीद सके तो उसको लोन(Loan) के लिए जाना ही पड़ता है. ज्यादातर किसान बिचौलियों के चक्कर में आकर प्राइवेट कर्ज ले लेते है जिसे पुराने समय में पूंजीपति के कर्ज में किसान फसता था वही आजकल ये प्राइवेट वाले कर रहे है. किसान को कर्ज देने में सरकार कई योजनाए ला रही है जैसे KCC पर लोन , आप SBI , HDFC , ICICI Bank से भी लोन(Loan) ले सकते है. कोशिश करें की आप किसी सरकारी बैंक से ही लोन लेकर ट्रैक्टर(Tractor) लें.आजकल बैंक किसान को कृषि यंत्रों पर भी कर्ज दे रही है. आप ज्यादा जानकारी के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके पाता कर सकते हैं या आप हमारे कमेंट बॉक्स में भी पूछ सकते है हम आपकी पूरी सहायता करने की कोशिश करेंगें. SBI: https://sbi.co.in/web/agri-rural/agriculture-banking/farm-mechanization-loan/tractor-loan
आप कृपया कमेंट बॉक्स में बताएं अगली जानकारी किस बारे में चाहते है.
किसान बनें, सब कुछ पाएं

किसान बनें, सब कुछ पाएं

बीए-एमए पास करके भी अगर आप बेरोजगार हैं तो कृपया अपनी तकदीर को मत कोसिये, सरकार को गालियां मत दीजिए। अगर आपके पास एक रुपया भी नहीं है तो कोई बात नहीं। आप खेती करके न सिर्फ अपना परिवार चला सकते हैं, बल्कि अच्छा पैसा कमाने के साथ-साथ खूब नाम भी कमा सकते हैं। इस देश की आबादी है 1 अरब 43 करोड़, इनमें से 96 करोड़ लोग खेती कर रहे हैं। किसी की फसल ज्यादा बेहतर होती है, किसी की कम। जो संसाधन वाले हैं वो बढ़िया कर जाते हैं, लेकिन जो बिना संसाधन वाले हैं, वो भी अक्ल लगाएं तो बढ़िया कर सकते हैं। शर्त ये है कि आपमें सीखने की गुंजाइश होनी चाहिए, थोड़ा धैर्य होना चाहिए।

बेरोजगार ग्रेजुएट

मान लें कि आप किसी भी विषय में ग्रेजुएट हैं, आप शहर में रहते हैं। बेरोजगार हैं, तो परेशान किस बात के लिए होना। सबसे पहले तो आप यह मन बना लें कि आपको किसानी करनी है। जब तक यह कांसेप्ट आपके दिमाग में साफ नहीं होगा, इरादा पक्का नहीं होगा, तब तक आप किसानी में सफल नहीं हो सकेंगे। आपको धैर्यवान होना ही पड़ेगा, बिना धैर्य के किसानी असंभव है।

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जमीन का पट्टा

आप एक जमीन का टुकड़ा देखें, कम से कम एक एकड़ या उससे कुछ कम या ज्यादा का टुकड़ा हो। वह खेती के लायक जरूर हो, बेशक आपके शहर से दूर हो पर आप उसे देखें। जमीन के मालिक से बात करें, अगर वह खेती कर रहा है तो उससे पूछें कि जिस सीजन में वह खेती नहीं कर रहा हो, उस सीजन में आप उस पर खेती करें। वह तैयार हो जाएगा, आप पट्टादारी पर साइन करा लें या कोर्ट से एफिडेविट ले लें या नोटरी बना दें। कुल मिलाकर एक निश्चित काल खंड के लिए उस जमीन को आप ले लें, मन में रखें कि आपको उस पर खेती करनी है।

मिट्टी की जांच

एक कृषि वैज्ञानिक से बात कर आप उस मिट्टी की जांच करा लें, मिट्टी की जांच में उसकी उर्वरकता के बारे में पता चल जाएगा। आपको पता चल जाएगा कि इसमें कौन सी फसल बोनी है या लगानी है। आप उसी फसल की खेती के लिए खुद को तैयार करें, जब तक आप मानसिक तौर पर तैयार नहीं होंगे, यह काम नहीं होगा।

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कृषि संस्थानों से मदद

आपने जीवन में कभी हल-बैल या ट्रैक्टर से खेती नहीं की है, फिर आप खेती करेंगे कैसे, इसका भी जवाब है। आप अपने गांव से किसी एक मजदूर को बुला लें। खेती के बढ़िया तौर-तरीकों के बारे में कृषि विश्वविद्यालय, पूसा या फिर पंतनगर की वेबसाइट पर एक से एक वीडियो पड़े हुए हैं। कई यू ट्यूबर हैं, जो खेती पर ही वीडियो बनाते हैं। आप उन्हें देख कर प्रारंभिक जानकारी ले सकते हैं। फिर, गांव से जिस मजदूर को आप बुलाएंगे, उसे भी पता होगा। अगर वह भी गोबर गणेश है, तो आप उसे समझाएं कि कैसे क्या करना है। इसके लिए आप सोशल मीडिया पर एक्टिव रहेंगे तो सब मालूम चल जाएगा। आप एक इनोसेंट पर्सन की तरह कॉल सेंटर पर भी बात कर सकते हैं। डीडी किसान का प्रोग्राम देख सकते हैं, खेती करने के बहुत सारे नायाब तरीके हैं। जरूरत यह है, कि आप उसे सही अर्थों में देखें, सीखें और आगे उस पर काम करें।

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पैसे ये देंगे

आपने जमीन देख ली, मजदूर तय कर लिया, खेती कैसे करनी है, यह भी सीख लिया। अब मुद्दा आता है धन का आपके पास तो पैसे हैं ही नहीं, कोई बात नहीं। इसके लिए आप या तो मित्रों से पैसे ले सकते हैं या फिर बैंकों का रूख कर सकते हैं। बैंक आपको दस्तावेज के आधार पर पर्सनल लोन दे सकता है। अगर बैंक मना कर दे तो कोई बात नहीं। फिर आप प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में जा सकते हैं। अगर यहां भी दिक्कत है, तो आप किसी एनजीओ से संपर्क कर सकते हैं। कई धन्ना सेठ हैं, इस देश में जो आपको खेती के नाम पर पैसे दे सकते हैं। आपको पैसे मैनेज करना पड़ेगा, यह आपके विवेक पर है, कि आप कैसे मैनेज करते हैं।

पटाने की व्यवस्था

हमने मान लिया कि, आपके पास पैसा आ गया। अब आप खेती शुरू करें, पूरी जमीन को उतना ही जोतें, जितना एक्सपर्ट ने कहा है। ट्रैक्टर का इस्तेमाल करें, उसी से बीज डलवाएं। बीज वही हो, जो एक्सपर्ट ने सुझाया हो। एक्सपर्ट जो बीज सुझाएंगे, उसकी प्रोडक्टिविटी ज्यादा होगी। इसलिए अपना दिमाग न लगाएं, अब बारी है पानी देने की, उसके लिए आप पंपिंग सेट हायर कर सकते हैं।

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मंडी का रूख

अब सब हो गया, फसल लग गई मान लो, आपने आलू ही लगाया है। एक एकड़ में मान लो मोटे तौर पर 25 क्विंटल भी आलू हुआ तो यह बेहतर माना जाएगा। वैसे, कई बार ज्यादा आलू भी हो जाता है। आप इस फसल को लेकर क्या करेंगे? जाहिर है, आपने इसे उगाया है, तो बिजनेस के प्वाइंट आफ व्यू से ही मोटे तौर पर आप मान लें कि देश के किसी भी मंडी में प्रति क्विंटल आलू का रेट 1600 रुपये से कम का नहीं है। खुदरा रेट 2200 रुपये प्रति क्विंटल तक जाता है। यह आपको तय करना है, आप खुदरा बाजार में इसे बेचेंगे या थोक मंडी में आपका आलू बेहतर है, तो रेट ज्यादा भी मिल सकता है। हमने मान लिया कि आप उसे थोक मंडी में बेचेंगे। 25 क्विंटल आलू को 1600 रुपये से गुणा करेंगे तो कुल राशि आएगी 40000 रुपये। अगर आप इसे खुदरा मार्केट में बेचेंगे तो आपको मिलेगा 55000 रुपये। आपकी लागत बहुत आई होगी तो 10000 रुपये, आमदनी देखें और खर्च देखें। इन दोनों के बीच का जो फर्क है, वह आपका पैसा है, जहां फूटी कौड़ी की भी आमदनी नहीं थी, वहां दो पैसे तो आए. इसी तरह की पट्टादारी आप अगर एक साथ में पांच-सात-दस कर लेते हैं, तो अंदाजा करें, आपको कितने पैसे मिलने लगते हैं।

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन व्यवसाय में है पैसा ही पैसा

बकरी पालन के आधुनिक तरीके को अपना कर आप मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। जरूरत सिर्फ इतनी है, कि आप चीजों को बारीकी से समझें और एक रणनीति बना कर ही काम करें। 

पेशेंस हर बिजनेस की जरूरत है, अतः उसे न खोएं, बकरी पालन एक बिजनेस है और आप इससे बढ़िया मुनाफा कमा सकते हैं।

गरीबों की गाय

पहले बकरी को गरीब किसानों की गाय कहा जाता था। जानते हैं क्यों क्योंकि बकरी कम चारा खाकर भी बढ़िया दूध देती थी, जिसे किसान और उसका परिवार पीता था। 

गाय जैसे बड़े जानवर को पालने की कूवत हर किसान में नहीं होती थी। खास कर वैसे किसान, जो किसी और की खेती करते थे। 

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आधुनिक बकरी पालन

अब दौर बदल गया है, अब बकरियों की फार्मिंग होने लगी है। नस्ल के आधार पर क्लोनिंग विधि से बकरियां पैदा की जाती हैं। देसी और फार्मिंग की बकरी, दोनों में फर्क होता है। यहां हम देसी की नहीं, फार्मिंग गोट्स की बात कर रहे हैं। 

जरूरी क्या है

बकरी पालन के लिए कुछ चीजें जरूरी हैं, पहला है, नस्ल का चुनाव, दूसरा है शेड का निर्माण, तीसरा है चारे की व्यवस्था, चौथा है बाजार की व्यवस्था और पांचवां या सबसे जरूरी चीज है, फंड का ऐरेन्जमेंट। ये पांच फंडे क्लीयर हैं, तो बकरी पालन में कोई दिक्कत नहीं जाएगी। 

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नस्ल या ब्रीड का चयन

अगर आप बकरी पालने का मूड बना ही चुके हैं, तो कुछ ब्रीडों के बारे में जान लें, जो आने वाले दिनों में आपके लिए फायदे का सौदा होगा। 

आप अगर पश्चिम बंगाल और असम में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो आपके लिए ब्लैक बेंगार ब्रीड ठीक रहेगा। लेकिन, अगर आप यूपी, बिहार और राजस्थान में बकरी पालन करना चाहते हैं, तो बरबरी बेस्ट ब्रीड है। 

ऐसे ही देश के अलग-अलग हिस्सों में आप बीटल, सिरोही जैसे ब्रीड को ले सकते हैं। इन बकरियों का ब्रीड बेहतरीन है। ये दूध भी बढ़िया देती हैं, इनका दूध गाढ़ा होता है और बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए आदर्श माना जाता है। 

ट्रेनिंग कहां लें

आप बकरी पालन करना तो चाहते हैं, लेकिन आपको उसकी एबीसी भी पता नहीं है। तो चिंता न करें, एक फोन घुमाएं नंबर है 0565-2763320 यह नंबर केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा, यूपी का है। यह संस्थान आपको हर चीज की जानकारी दे देगा। अगर आप जाकर ट्रेनिंग लेना चाहते हैं, तो उसकी भी व्यवस्था है। 

शेड का निर्माण

इसका शेड आप अपनी जरूरत के हिसाब से बना सकते हैं, जैसे, शुरुआत में आपको अगर 20 बकरियां पालनी हैं, तो आप 20 गुणे 20 फुट का इलाका भी चूज कर सकते हैं। 

उस पर एसबेस्डस शीट लगा कर छवा दें, बकरियां सीधी होती हैं। उनको आप जहां भी रखेंगे, वो वहीं रह जाएंगी, उन्हें किसी ए सी की जरूरत नहीं होती। 

भोजन

बकरियों को हरा चारा चाहिए, आप उन्हें जंगल में चरने के लिए छोड़ सकते हैं, आपको अलग से चारे की व्यवस्था नहीं करनी होगी। लेकिन, आप अगर जंगल से दूर हैं, तो आपको उनके लिए हरे चारे की व्यवस्था करनी होगी। 

हरे चारे के इतर बकरियां शाकाहारी इंसानों वाले हर भोजन को बड़े प्यार से खा लेती हैं, उसके लिए आपको टेंशन नहीं लेने का। 

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कितने दिनों में तैयार होती हैं बकरियां

एक बकरी का नन्हा बच्चा/बच्ची 10 माह में तैयार हो जाता है, आपको जो मेहनत करनी है, वह 10 माह में ही करनी है। इन 10 माह में वह इस लायक हो जाएगा कि परिवार बढ़ा ले, दूध देना शुरू कर दे। 

बाजार

आपकी बकरी का नस्ल ही आपके पास ग्राहक लेकर आएगा, आपको किसी मार्केटिंग की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसलिए नस्ल का चयन ठीक से करें। 

फंड की व्यवस्था

आपके पास किसान क्रेडिट कार्ड है, तो उससे लोन ले सकते हैं। बकरी पालन को उसमें ऐड किया जा चुका है। केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) नहीं है तो आप किसी भी बैंक से लोन ले सकते हैं। 

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कोई बीमारी नहीं

अमूमन बकरियों में कोई बीमारी नहीं होती, ये खुद को साफ रखती हैं। हां, अब कोरोना टाइप की ही कोई बीमारी आ जाए तो क्या कहा जा सकता है, इसके लिए आपको राय दी जाती है, कि आप हर बकरी का बीमा करवा लें। खराब हालात में बीमा आपकी बेहद मदद करेगा।

जानिए धान कटाई की सबसे बेहतरीन और शानदार मशीन के बारे में

जानिए धान कटाई की सबसे बेहतरीन और शानदार मशीन के बारे में

फसलों की कटाई करने के लिए किसान कई तरह के महंगे उपकरण को अपनाते हैं। परंतु, छोटू रीपर मशीन बाजार में धान कटाई करने वाली सबसे सस्ती एवं जबरदस्त मशीन है। अपनी फसल की कटाई के साथ-साथ ज्यादा आमदनी कमा सकते हैं। फसलों की कटाई के लिए किसान बाजार से विभिन्न प्रकार के महंगे उपकरण खरीदते हैं। परंतु, वहीं छोटे व सीमांत किसान महंगे कृषि उपकरणों को खरीदने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं, जिसके चलते वह हसिया इत्यादि का उपयोग करते हैं। 

किसानों की इसी परेशानी को मंदेनजर रखते हुए तकनीकी क्षेत्र की कंपनियां भी किसानों के बजट के हिसाब से उपकरणों को तैयार करने लगी हैं। दरअसल, फसल कटाई में रीपर मशीन का नाम सबसे ज्यादा सुनने को मिलता है। बतादें, कि यह मशीन गेहूं, धान, धनिया एवं ज्वार की फसल की कटाई बेहद ही सुगमता से करती है। इस मशीन की विशेषता यह है, कि इसमें किसान ब्लेड बदलकर बाकी फसलों की कटाई भी सहजता से कर सकते हैं। भारतीय बाजार में फसल कटाई के लिए बहुत सारी रेंज की बेहतरीन मशीनें है, जो किसानों के लिए काफी किफायती है। सिर्फ यही नहीं किसान इन मशीनों को घर बैठे ऑनलाइन माध्यम से भी खरीद सकते हैं। 

छोटू रीपर मशीन की कीमत काफी किफायती होती है

फसल की कटाई के लिए छोटू रीपर मशीन का इस्तेमाल किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है। बतादें, कि इस मशीन से चना, सोयाबीन और बरसीम की फसल की कटाई बड़ी ही सुगमता से की जा सकती है। यह मशीन तकरीबन 1 फुट तक के पौधे की कटाई सहजता से कर सकती है। साथ ही, इस मशीन के इंजन की बात की जाए, तो इसमें 50cc का 4 स्ट्रोक इंजन दिया गया है। इसके साथ-साथ इसमें इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले के जरिए अन्य जानकारी किसानों को प्रदान की जाती है।

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छोटू रीपर मशीन वजन में काफी हल्की होती है। बतादें, कि इसका कुल वजन ही 8-10 किलो ग्राम तक है। अगर हिसाब किताब लगाया जाए तो इस मशीन से गेहूं फसल की कटाई करने पर 4 गुना तक मजदूरी कम लगती है। साथ ही, इस मशीन में ईंधन की खपत की मात्रा ना के बराबर होती है। खेत में छोटू रीपर मशीन से प्रति घंटे 1 लीटर से भी कम तेल की खपत होती है। इस मशीन में किसान ब्लेड बदलकर भी बाकी फसलों की सुगमता से कटाई कर सकते हैं। देखा जाए तो ज्यादा दांत वाले ब्लेड का उपयोग मोटे और कड़े पौधों की कटाई करने के लिए किया जाता है। 

छोटू रीपर मशीन के माध्यम से बेहतरीन कमाई होगी

यदि आप इस मशीन का उपयोग किसान के किसी दूसरे खेत में भी करते हैं, तो इससे प्रति दिन अच्छी आय की जा सकती है। प्राप्त हुई जानकारी के मुताबिक, छोटू रीपर मशीन का किराया एक बीघा खेत के लिए 300 रुपए तक है। वहीं, यदि आप एक दिन में 1 एकड़ खेत की फसल कटाई करते हैं, तो दिन में आप 1500 से 1800 रुपए की आसानी से कमाई कर सकते हैं। साथ ही, इस मशीन के अंदर 1 बीघा खेत में न्यूनतम आधा लीटर डीजल लगता है। इसके अतिरिक्त इसके मेंटीनेंस इत्यादि का खर्च निकालकर आपकी आमदनी से 200-300 रुपए की बचत होती है। अब इस तरह से यह मशीन किसानों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराती है।

लघु और सीमांत किसानों को अब सुगमता से मिला ऋण

लघु और सीमांत किसानों को अब सुगमता से मिला ऋण

भारत के लघु कृषकों को वर्तमान में आसानी से कर्जा मिल पाऐगा। बतादें, कि मोदी सरकार शीघ्र ही एक नया प्रोग्राम लॉन्च करने जा रही है, जिसके अंतर्गत ऋण और इससे जुड़ी सेवाओं के लिए एआरडीबी से जुड़े छोटे और सीमांत किसानों को फायदा होगा। देश के लघु कृषकों के लिए केंद्र सरकार शीघ्र ही नवीन योजना जारी करने जा रही है। दरअसल, केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह शीघ्र ही कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (Rural Development Banks) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (Registrar of Cooperative Societies) लिए कम्प्यूटरीकरण परियोजना का आरंभ करने जा रही है। 

आधिकारिक बयान के मुताबिक, अमित शाह राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में एआरडीबी और आरसीएस की कम्प्यूटरीकरण परियोजना को लागू करेंगे। इस कार्यक्रम का आयोजन सहकारिता मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) की मदद से किया जा रहा है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (RCSs) कार्यालयों का कम्प्यूटरीकरण मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। 

एनसीडीसी की मदद से सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित

यह कार्यक्रम एनसीडीसी (राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम) के सहयोग से सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है। योजना के अंतर्गत राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (ARDBs) और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार (RCSs) कार्यालयों का पूर्णतय कंप्यूटरीकरण  किया जाएगा, जो सहकारिता मंत्रालय द्वारा उठाया गया एक अहम कदम है। बयान में कहा गया है, कि इस परियोजना के जरिए सहकारी क्षेत्र का आधुनिकीकरण और दक्षता बढ़ाई जाऐगी। जहां संपूर्ण सहकारी तंत्र को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाया जाऐगा। 

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एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत करने का कार्य जारी 

बयान में कहा गया है, कि 13 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में एआरडीबी की 1,851 इकाइयों को कंप्यूटरीकृत किया जाएगा। साथ ही, इन्हें राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के साथ जोड़ा जाऐगा। इसके जरिए सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले एक सामान्य राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर आधारित होंगे। यह पहल कॉमन अकाउंटिंग सिस्टम (सीएएस) और मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (एमआईएस) के द्वारा व्यावसायिक प्रक्रियाओं को मानकीकृत करके एआरडीबी में कार्य संचालन क्षमता, जवाबदेही और पारदर्शिता को प्रोत्साहित करेंगे। इस कदम से प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटीज (पैक्स) के जरिए छोटे और सीमित कृषकों को एकड़ और संबंधित सेवाओं के लिए एआरडीबी से लाभ मिलेगा। 

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के फायदे

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाने के फायदे

खेती के लिए किसान किसी बैंक से या वही के किसी सेठ से पैसे उधार पे लेते है, और बैंक या सेठ पैसे के साथ ब्याज भी बहुत ज्यादा रख देता है. 

बाद में जअब पैसे वापस करने होते है तो बहुत ज्यादा ब्याज की वजह से किसान जितना कमाते है उतना उनका उधर चुकाने में चला जाता है. जिस वजह से सरकार ने किसानों के लिए सस्ते लोन लेने के लिए और साहूकारों के कर्ज से बचने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड किसानों के लिए बनवाया है. 

3 लाख तक का कर्ज 9 प्रतिशत की ब्याज दर पे मिलता है . जिसमे सरकार 2 प्रतिशत तक की सब्सिडी और अगर आपने अपने लोन के पैसे निर्धारित समय पर वापस कर दिए तो ब्याज में 3% की और छूट मिल जाएगी. 

इस तरह तो सिर्फ 4% ब्याज दर पे 3 लाख का लोन किसान क्रेडिट कार्ड से मिलेगा. किसान क्रेडिट कार्ड से 1.60 लाख तक का लोन किसान बिना कोई गारंटी दिखाए ले सकता है.

किसान क्रेडिट कार्ड कैसे बनवाए

किसान क्रेडिट कार्ड बनवाना बहुत आसान है. इसे बनवाने से आपको खेती के लिए सस्ते दरों पर लोन मिल जाएगा. अगर आप पीएम किसान सम्मान निधि योजना के लाभार्थी है तो आप केसीसी आसानी से बनवा सकते है.  

पीएम किसान की अधिकारिक वेबसाइट  में आप जाकर किसान क्रेडिट फॉर्म को डाउनलोड कर प्रिंट निकलवा ले फिर उसमे जो भी डिटेल्स हो भरने को कही हो वो भर दे. इसमें आवेदक का आधार कार्ड और पैन कार्ड की फोटो कॉपी लगाइए. 

और साथ ही किसान की पासपोर्ट साइज फोटो. साथ ही साथ एक एफिडेविट भी होना चाहिए जिसमे लिखा हो कि," मैने किसी और बैंक से लोन नहीं लिया है और न ही मेरा किसी बैंक में बकाया है". 

नजदीक के किसी बैंक में इस फॉर्म को जमा करवा दे. यदि बैंक को आपका आवेदन सही लगता है तो वो आपका 14 दिन के अंदर आपका कार्ड बन जाएगा.

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आप किसी नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर भी इसके लिए अप्लाई कर सके है. इसमें पट्टेदार व बटाईदार भी इसका लाभ उठा सकते हैं. यहां से किसान केसीसी आसानी से बनावा सकते है. समय पर मूलधन और ब्याज जमा कर आप इसका अधिक लाभ उठा सकते है. 

किसानों का काम सरकार ने किया आसान

पहले किसानों के लगभग 5 हजार रूपए क्रेडिट कार्ड बनवाने पर प्रॉसेसिंग फीस के रूप में लग जाते थे. परंतु अब 3 लाख रुपए तक के लोन के लिए कोई भी बैंक अप्लीकेंट से प्रोसेसिंग फीस, वेरिफिकेशन, लेजर फाॅलियों चार्ज और सर्विस टैक्स नहीं मांग सकता है.

एग्री लोन लें फसल बुवाई पर, चुकाएं किसान कटाई पर : प्रोत्साहन राशि दे रही सरकार उस पर

एग्री लोन लें फसल बुवाई पर, चुकाएं किसान कटाई पर : प्रोत्साहन राशि दे रही सरकार उस पर

फसल बुवाई पर एग्री लोन लेकर कटाई के समय चुकाएं किसान, सरकार देगी प्रोत्साहन राशि

पंचकूला। हरियाणा में सरकार किसानों के लिए एक अच्छी योजना बनाने की तैयारी कर रही है। इस योजना के अंतर्गत किसान फसल बुवाई के समय एग्री लोन लेकर, कटाई के समय उस लोन को चुकता करेंगे। क्योंकि फसल बुवाई के दौरान किसान के हाथ में पैसा कम होता है और खर्चा बहुत ज्यादा, जबकि फसल कटाई के समय किसान के हाथ में पैसा होता है, इसीलिए यह योजना किसानों के लिए फायदेमंद रहेगी। समय पर एग्री लोन लेकर समय से ही जमा करने वाले किसानों को सरकार ने एक प्रतिशत प्रोत्साहन राशि देने का ऐलान किया। हरियाणा के मुख्यमंत्री
मनोहरलाल खट्टर ने हरियाणा स्टेट को-ऑपरेटिव अपेक्स बैंक (हरको) (The Haryana State Co-op Apex Bank Ltd (HARCO)) की समीक्षा में बैठक में यह बातें कहीं। अगर बैंक सीएम का सुझाव मानते हैं तो किसानों को कुछ राहत जरूर मिलेगी।

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पैक्स की जगह वैक्स को करेंगे प्रभावी

- मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता वाली बैठक में एक और अहम फैसला लिया गया, जिसमें पैक्स (प्राइमरी एग्रीकल्चर क्रेडिट सोसायटी) (Primary Agricultural Credit Society (PACS)) के एकाधिकार को खत्म करके वैक्स, यानी ग्राम कृषि प्राथमिक सहकारी समितियों (Village Agriculture primary Cooperative Societies (VACS)) को बनाने का फैसला लिया गया है। वैक्स में गांव-देहात के पढ़े-लिखे युवा किसान भी शामिल होंगे, जिनका रजिस्ट्रेशन भी को-ऑपरेटिव सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत किया जाएगा और किसान भाई ही वैक्स का संचालन करेंगे।

हर जिले में खोले जाएं हरको बैंक

- जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखाओं के नियंत्रण हरको बैंक ही रखते हैं। वर्तमान में हरियाणा के चंडीगढ़ व पंचकूला में ही हरको बैंक की शाखाएं संचालित हैं। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के हर जिले में हरको बैंक खोलने की संभावना तलाशी जाएं। भले की हरको बैंक का सीधा संबंध पैक्स से नहीं होता है, लेकिन हरको बैंक केन्द्रीय सहकारी बैंक की शाखाओं पर तो नियंत्रण रखते ही हैं। ----- लोकेन्द्र नरवार
भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारतीय स्टेट बैंक दुधारू पशु खरीदने के लिए किसानों को देगा लोन

भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, लेकिन यहां दूध की खपत भी बहुत ज्यादा है, इसलिए केंद्र तथा राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा दुग्ध उत्पादन में बढ़ोत्तरी की कोशिश कर रही हैं, ताकि घरेलू जरुरत को पूरा करने के साथ ही दूध का निर्यात भी किया जा सके। जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके और भारत सरकार विदेशी मुद्रा अर्जित कर पाए। इन लक्ष्यों को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार भी प्रदेश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है, जिसके लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश शासन ने पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के अंतर्गत कई नई दूध डेयरी खोली हैं तथा दूध के प्रोसेसिंग के लिए नए प्लांट लगाए हैं। इसके साथ ही अब मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के लिए एक नया रास्ता अपनाया है। इसके लिए मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ने भारतीय स्टेट बैंक के साथ एक एमओयू (MOU) साइन किया है, जिसके अंतर्गत भारतीय स्टेट बैंक किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाएगा। एमओयू में शामिल किये गए अनुबंधों के अनुसार, अब दुग्ध संघों की वार्षिक सभाओं में भारतीय स्टेट बैंक के अधिकारी मौजूद रहेंगे तथा किसानों को दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन दिलाने में सहायता करेंगे।

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मध्य प्रदेश स्टेट कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के प्रबंध संचालक तरूण राठी ने बताया कि दुग्ध संघ के कार्यक्षेत्र में जो भी समितियां आती हैं, उनके पात्र सदस्यों को त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दुधारू पशु खरीदने में मदद की जाएगी। पात्र समिति सदस्य या किसान 2 से लेकर 8 पशु तक खरीद सकता है। इसके लिए प्रत्येक जिले में भारतीय स्टेट बैंक की चयनित शाखाएं लोन उपलब्ध करवाएंगी।

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लोन लेने वाले किसान को प्रारंभिक रूप में 10 प्रतिशत रूपये मार्जिन मनी (Margin Money) के रूप में जमा करना होगा। उसके बाद 10 लाख रुपये तक का लोन बिना कुछ गिरवी रखे उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके साथ ही किसान को 1 लाख 60 हजार रुपए का नान मुद्रा लोन बिना कुछ गिरवी रखे, त्रि-पक्षीय अनुबंध के तहत दिलवाया जाएगा।

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जिस किसान या पशुपालक ने पशु खरीदने के लिए लोन लिया है, उसे यह रकम 36 किस्तों में बैंक को वापस करनी होगी। लोन लेने वाले किसान को समिति में दूध देना अनिवार्य होगा। जिसके बाद समिति प्रति माह दूध की कुल राशि का 30 प्रतिशत, लोन देने के लिए बैंक को भुगतान करेगी। बाकी 70 प्रतिशत किसान को दे देगी। लोन लेने के लिए पात्र किसान को दुग्ध संघ द्वारा जारी किये गए निर्धारित प्रोफार्मा में आवेदन के साथ फोटो, वोटर आईडी, पेनकार्ड, आधार कार्ड, दुग्ध समिति की सक्रिय सदस्यता का प्रमाण पत्र तथा त्रि-पक्षीय अनुबंध (संबंधित बैंक शाखा, समिति एवं समिति सदस्य के मध्य) आदि दस्तावेज संलग्न करने होंगे। जिसके बाद उन्हें दुधारू पशु खरीदने के लिए लोन उपलब्ध करवाया जाएगा।
जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

जल्द ही इस राज्य के 3.17 लाख किसानों को मिलेगा बिना ब्याज का फसल ऋण

केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके लिए लगभग सभी राज्य सरकारें अपने स्तर पर प्रयास भी कर रही हैं। जिसके अंतर्गत सरकारें किसानों को खाद बीज से लेकर सौर कृषि सिंचाई पंप तक उपलब्ध करवा रही हैं, ताकि किसान अपनी उत्पादकता को तेजी से बढ़ा सकें। खेती करने के लिए किसानों को सरकारें ऋण भी उपलब्ध करवाती हैं, ताकि किसानों को धन की कमी न पड़े। कई बार तो किसानों की ब्याज भी सरकारें खुद ही वहन करती हैं, ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़े।


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इस कड़ी में राजस्थान सरकार भी अपने किसानों का खास ख्याल रखते हुए उन्हें धन उपलब्ध करवा रही है। ताकि किसानों को पैसों की तंगी का सामना न करना पड़े। राजस्थान की कैबिनेट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए कहा है, कि राज्य सरकार राजस्थान के किसानों को लोन देने की योजना में 3.17 लाख अतिरिक्त किसानों को शामिल करने जा रही है। जिसमें किसानों को बिना ब्याज के लोन बांटा जाएगा, साथ ही यह काम मार्च 2023 के पहले पूर्ण कर लिया जाएगा। इसके पहले किसानों को लोन देने की योजना के अंतर्गत इस साल नवम्बर माह तक सरकार ने 26.92 लाख किसानों को लोन बांटा है। इस योजना के अंतर्गत सरकार ने किसानों को अब तक 12 हजार 811 करोड़ रुपये का लोन दिया है। राजस्थान सरकार ने इस योजना में इस साल 1.29 लाख नए किसानों को जोड़ा है। अब इस योजना को आगे बढ़ाते हुए राज्य सरकार सभी किसानों को सहकारी समितियों के साथ जोड़ रही है। जो किसानों को बेहद आसानी से लोन उपलब्ध करवाती हैं।


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किसानों को लोन उपलब्ध करवाने की जानकारी सहकारिता विभाग के अधिकायों ने एक बैठक में दी। यह बैठक जयपुर स्थित अपेक्स बैंक के हॉल में पूर्ण हुई। इस अवसर पर अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार किसानों को बिना ब्याज का ऋण उपलब्ध करवाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए राज्य सरकार नेशनल बैंक फॉर रूरल एंड एग्रीकल्चर डेवलपमेंट (नाबार्ड) की योजनाओं का उपयोग करेगी। अपेक्स बैंक के हॉल में हुई मीटिंग में अधिकारियों ने बताया कि सरकार लगातार किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयत्न कर रही है। इसको ध्यान में रखते हुए किसानों को एग्री बिजनेस के मॉडल से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं। अगर केंद्र सरकार की बात करें तो केंद्र सरकार ने खेती बाड़ी को बढ़ावा देने के लिए एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना की भी शुरुआत की है। इन योजनाओं का लाभ उठाकर किसान भाई कृषि का धंधा या कृषि स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं, जिससे किसानों को अपनी आमदनी बढ़ाने में मदद मिल सकती है।


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इसके साथ ही बैठक के दौरान बताया गया कि एग्री क्लिनिक-एग्री बिजनेस सेंटर योजना के अंतर्गत सरकार किसान को 45 दिनों का प्रशिक्षण देती है। यह प्रशिक्षण सरकार की तरफ से कृषि लोन या आर्थिक सहायता मिलने से पहले ही दिया जाता है। जिससे किसान को कई तरह के फायदे होते हैं ओर वह अपने बिजनेस को तेजी से आगे बढ़ा सकता है। पहले जहां किसानों को सहकारी समितियों से सीमित मात्रा में ही लोन मिलता था और उसके लिए किसानों को बहुत सारी परेशानियां झेलनी पड़ती थी। लेकिन अब स्थिति परिवर्तित हो रही है। अगर वर्तमान की बात करें तो अब एग्री बिजनेस यानी कृषि से जुड़ा कोई भी व्यवसाय करने के लिए नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) बहुत आसानी से लोन उपलब्ध करवाता है। यह लोन 20-25 लाख रुपये तक हो सकता है, जिसके लिए किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना होता है।


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अगर किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त करने की बात करें, तो केंद्र सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं। जिन योजनाओं के माध्यम से किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कारवाई जा रही है ताकि किसानों के ऊपर अतिरिक्त बोझ न पड़ने पाए। यह सब्सिडी ऋण पर लगने वाले ब्याज पर दी जाती है, जो 36 प्रतिशत से 44 प्रतिशत तक हो सकती है। इस सब्सिडी योजना में समान्य वर्ग के किसान को ब्याज पर 36 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है जबकि एससी-एसटी और महिला आवेदकों को ब्याज पर 44 प्रतिशत सब्सिडी प्रदान की जाती है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार यदि 5 या 5 से अधिक किसान ऋण लेने के लिए एक साथ आवेदन करते हैं, तो उन्हें 1 करोड़ रुपये तक का ऋण दिया जा सकता है, साथ ही केंद्र सरकार किसानों को प्रशिक्षण भी दिलवाती है।
बच्चों की पढ़ाई हो या शादी यह बैंक किसानों की हर जरूरत का ख्याल रखेगा

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हम सभी जानते हैं, कि खेती-बाड़ी करते समय किसानों के पास एक साथ बड़ी रकम जुटा पाना कई बार संभव नहीं है। कभी-कभी फसल से बहुत ज्यादा उत्पादन नहीं हो पाता है। साथ ही, किसी ना किसी और तरह के खर्चे के चलते भी किसानों के पास बहुत सी जरूरत की चीजों के लिए पैसा नहीं जुड़ पाता है। किसानों को अक्सर अपने बच्चों की पढ़ाई या फिर उनकी शादी करने के लिए बैंक से लोन लेना पड़ता है। इस समय में एक साथ बहुत ज्यादा पैसा किसानों के पास उपलब्ध नहीं होता है। इसी तरह के कुछ खर्चों के लिए पंजाब नेशनल बैंक किसानों के लिए एक खास योजना लेकर आया है। पंजाब नेशनल बैंक ने कृषि और उससे जुड़े हुए सभी क्षेत्रों में उत्पादन और निवेश को बढ़ाने के लिए खास तौर पर किसानों के लिए किसान स्वर्ण योजना (Kisan Gold Scheme) शुरू की है। केंद्रीय सरकार इस योजना के तहत गांव में अनेक तरह की गतिविधियों और अन्य जरूरतों के साथ-साथ शादी, पढ़ाई, धार्मिक और परिवार से जुड़े हुए कार्यों के लिए किसानों को पैसा उपलब्ध करवाएगी जिससे उनकी मदद हो सके।

क्या है इस योजना के लिए पात्रता मानदंड

इस योजना के तहत वही किसान लाभ उठा पाएंगे जिनके पास अच्छी खासी जमीन है और वह पहले से भी किसी ना किसी तरह के लोन का फायदा उठा चुके हैं। इसके अलावा किसानों का एनपीए(NPA) यानी कि नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट (Non-performing asset) भी देखा जाएगा। वह किसान जिसका 2 वर्षों से कोई भी एनपीए नहीं है केवल उसे ही यह लोन दिया जाएगा।


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साथ ही यह लोन लेते समय आप जो भूमि गिरवी रख रहे हैं, अगर वह दो लोगों के नाम है तो दोनों ही लोग संयुक्त रूप से इस लोन के पात्र होंगे।

क्या है लोन लिमिट

कोई भी लोन जारी किए जाने से पहले उसका अधिकतम मूल्य निर्धारित किया जाता है, इस योजना के तहत अधिकतम मूल्य 5000000 रखा गया है।
डिफॉल्टर किसान दोबारा ले सकेंगे लोन, बस इन नियमों का रखना होगा ध्यान

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सहकारी और राष्ट्रीकृत बैंकों का लाखों करोड़ों किसानों पर कर्ज बकाया है. अगर किसान समय पर अपना लोन नहीं चुका पाते, तो उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया जाता है. जिसके बाद किसानों के कर्ज लेने के सारे रस्ते बंद हो जाते हैं. हालांकि लोन लेने के अपने कुछ क़ानूनी नियम होते हैं. लेकिन ऐसा कई बार होता हैं जहां फसलों की बर्बादी या फिर मौसम की मार की वजह से किसान अपना लोन नहीं चुका पाते. लों की किस्ते चुकाने के लिए बैंक की तरफ से भी कई फोन किये जाते हैं. लेकिन देरी की वजह से कई तरह तरह की पेनाल्टी लग जाती है और लोन की रकम पहले से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है. एल तो पहले का लोन उसके ऊपर से उसमें लगी पेनाल्टी किसानों पर डबल बोझ डाल देती है. जिसे चुकाना आसान नहीं होता. ऐसा कई बार होता है कि, जमानत के तौर पर किसानों को अपनी जमीन तक बेचनी पड़ जाती है. खेती किसानी में पैसों की जरूरत होती है, इसलिए जो किसान डिफॉल्टर घोषित कर दिए जाते हैं, वो किसी बैंक से लोन ले सकते हैं.

डिफॉल्टर किसानों के बारे में

किसान जब पुराने लोन की किस्ते या फिर ईएमआई (EMI) का सही समय पर भुगतान नहीं कर पाते तो बैंक उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर देती है. इस वजह किसानों को दोबारा लोन लेने में काफी समस्या होती है. क्योंकि बैंक चाहे कोई भी हो, बैंक लोन देने से पहले रिकॉर्ड जरूर चेक कर लेती है. ऐसे में लोन वसूलने के लिए बैंक और एजेंट्स लगातार संपर्क करते हैं. अपनी क्रेडिबिलिटी को दिखाने केलिए किसान लेट फीस के साथ लोन की रकम जमा करके अपना क्रेडिट स्टेट्स सुधार सकते हैं. ये भी देखें:
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डिफॉल्टर किसानों को दोबारा मिल सकता है लोन

लोन देने के लिए सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्टेटस को जांचा जाता है. अगर किसान ने पुराना लोन भले ही देर से चुका दिया जाए, तो दोबारा लोन मिल सकता है. लोन के लिए 750 सिबिल स्कोर होने जरूरी है. इसके अलावा देश में कई वित्तीय संस्थान 300 से ज्यादा सिबिल स्कोर वाले आवेदकों को लोन दे देते हैं. लेकिन उनकी ब्याज ड्रोन की बात करें, तो वो काफी ज्यादा होती है.

सिबिल स्कोर सुधारने के लिए करें ये काम

अगर आप डिफॉल्टर किसान घोषित नहीं होना चाहते हैं, तो अपना सिबिल स्कोर सुधारने की कोशिश करें. इसके लिए आपने जिस भी बैंक से लोन लिया है, उसकी बजाय किस्त समय पर चुका दें. किसान की जितनी आय हो उस हिसाब से लोन पास करवाना चाहिए. ताकि उसे आसानी से चुकाया जा सके. ये भी देखें: अगर बरसात के कारण फसल हो गई है चौपट, तो ऐसे करें अपना बीमा क्लेम

लोन के लिए शर्तें भी

डिफॉल्टर किसानों के लिए प्राइवेट बैंक और कंपनी ने लोन के लिए रास्ता साफ़ कर दिया है. लेकिन इसकी शर्त यही है कि, किसान को जमानत या कोई गारंटी देनी होगी. देश में कई ऐसे राज्य हैं, जहां की सरकारें कर्जमाफी और ब्याज पर माफ़ी की योजनाएं ला चुकी हैं. इतना ही नहीं लोन पर बीज, खाद, मशीन खरीदने और उर्वरक पर सहूलियत दी जाती है.
इस राज्य के किसानों को ग्रीन हाउस के लिए मिल रहा है, 70 फीसद तक अनुदान

इस राज्य के किसानों को ग्रीन हाउस के लिए मिल रहा है, 70 फीसद तक अनुदान

बागवानी फसलों को मौसमिक प्रभाव से संरक्षित करने हेतु राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत राजस्थान राज्य के कृषकों को ग्रीन हाउस के निर्माण के व्यय पर 50 से 70 फीसद तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है। आधुनिक तकनीकों द्वारा फिलहाल कृषि को बहुत गुना सुगम कर दिया है। विगत समय में किसान खेतों में मौसमिक आधार पर बागवानी फसल यानी सब्जियां-फलों का उत्पादन किया करते थे। परंतु फिलहाल ग्रीन हाउस, लो टनल एवं पॉलीहाउस जैसे संरक्षित ढांचों में गैर-मौसमी सब्जियों का उत्पादन करके सामान्य से ज्यादा पैदावार ली जा सकती है। यदि हम बात करें ग्रीनहाउस की तब इस संरक्षित ढांचे में उत्पादित की जा रही बागवानी फसलें जैसे सब्जियां-फल सर्दियों में पाले एवं गर्मियों में धूप के भयंकर ताप से सुरक्षित रहती है। इसकी सहायता से मौसमिक मार एवं कीट-रोग से उत्पन्न समस्याओं को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यही कारण है, कि फिलहाल सरकार भी कृषकों को ग्रीन हाउस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसी क्रम में राजस्थान के किसान भाइयों के लिए भी ग्रीन हाउस निर्मित करने हेतु अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

किसानों के लिए कितने फीसद अनुदान प्रदान किया जा रहा है

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत राजस्थान के किसान भाइयों को ग्रीनहाउस के लिए किए जाने वाले निर्माण व्यय पर 50 से 70 फीसद तक अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
  • सामान्य वर्गीय कृषकों को ग्रीन हाउस के इकाई व्यय पर 50 फीसद अनुदान दिया जाएगा।
  • लघु, सीमांत, एससी, एसटी वर्ग के किसान भाइयों को इकाई व्यय पर 20 फीसद ज्यादा मतलब 70% अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • इस अनुदान योजना का फायदा उठाने के लिए किसान भाइयों को न्यूनतम 4000 वर्ग मीटर का ग्रीन हाउस निर्मित करना पड़ेगा।
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जानें किन किसानों को मिल पाएगा लाभ

ग्रीन हाउस पर अनुदान योजना का फायदा प्रति पात्र किसान तक पहुंच पाए। इस वजह से योजना की पात्रता तय की गई है, जिसके अंतर्गत किसान के पास स्वयं की कृषि लायक भूमि का होना अति आवश्यक है। ध्यान रहे कि आवेदन करते वक्त कृषकों को स्वयं का मूल निवास प्रमाण पत्र भी लगाना होगा। किसान भाई खेत में सिंचाई संबंधित उत्तम व्यवस्था रखें। मृदा-जलवायु की जांच रिपोर्ट एवं एससी-एसटी की पहचानने हेतु जाति प्रमाण पत्र भी जोड़ना होगा।

किसान भाई योजना का लाभ लेने के लिए यहां आवेदन करें

राजस्थान राज्य में किसान भाइयों के लिए जारी ग्रीन हाउस पर अनुदान योजना का फायदा उठाने हेतु राज किसान ऑफिशियल पोर्टल rajkisan.rajasthan.gov.in पर आवेदन करना पड़ेगा। यदि किसान भाई चाहें तो अपने आसपास किसी जन सेवा केंद्र अथवा ई-मित्र केंद्र पर भी आवेदन कर सकते हैं। इस योजना से जुड़ी जानकारी राजस्थान सरकार के सूचना और जनसंपर्क विभाग की आधिकारिक वेबसाइट https://dipr.rajasthan.gov.in/ पर विस्तृत रूप से प्रदान की गई है। ज्यादा जानकारी हेतु किसान अपने जनपद के कृषि या बागवानी विभाग के कार्यालय में जाकर संपर्क करें।