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Narendra Singh Tomar

दुनिया को दिशा देने वाली हो भारतीय कृषि – तोमर कृषि मंत्री

दुनिया को दिशा देने वाली हो भारतीय कृषि – तोमर कृषि मंत्री

कृषि क्षेत्र में तकनीकों का उपयोग बढ़ाते हुए गांवों में ढांचागत विकास की दिशा में सरकार सतत संलग्नत है। सरकार खेती में रोजगार के अवसर बढाते हुए शिक्षत युवाओं को आकर्षित करना चाहती है ताकि युवाओं का ग्रामीण अंचल से पलायन रोका जा सके। खेती में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और पढ़े-लिखे युवा गांवों में ही रहकर कृषि की ओर आकर्षित होंगे। टेक्नालाजी व इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ किसानों को होगा, साथ ही कृषि के क्षेत्र को और सुधारने में कामयाबी मिलेगी। यह विचार कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Minister of State for Agriculture and Farmer Welfare Narendra Singh Tomar) ने बीते दिनों व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि “जब देश की आजादी के 100 वर्ष पूरे होंगे, यानी आजादी के अमृत काल तक भारतीय कृषि सारी दुनिया को दिशा देने वाली होनी चाहिए। अमृत काल में हिंदुस्तान की कृषि की विश्व प्रशंसा करे, लोग यहां ज्ञान लेने आएं, ऐसा हमारा गौरव हों, विश्व कल्याण की भूमिका निर्वहन करने में भारत समर्थ हो,” ।

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केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर - ICAR) द्वारा आयोजित व्याख्यान श्रंखला की समापन कड़ी में कही। “प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से उद्बोधन में भी कृषि क्षेत्र को पुनः महत्व दिया है, जो इस क्षेत्र में तब्दीली लाने की उनकी मंशा प्रदर्शित करता है। पीएम ने आह्वान किया था कि किसानों की आय दोगुनी होनी चाहिए, कृषि में टेक्नालाजी का उपयोग व छोटे किसानों की ताकत बढ़नी चाहिए, हमारी खेती आत्मनिर्भर कृषि में तब्दील होनी चाहिए, पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर होना चाहिए, कृषि की योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता होनी चाहिए, अनुसंधान बढ़ना चाहिए, किसानों को महंगी फसलों की ओर जाना चाहिए, उत्पादन व उत्पादकता बढ़ने के साथ ही किसानों को उनकी उपज के वाजिब दाम मिलना चाहिए।

पीएम के इस आह्वान पर राज्य सरकारें, किसान भाई-बहन, वैज्ञानिक पूरी ताकत के साथ जुटे हैं और इसमें आईसीएआर (ICAR - Indian Council of Agricultural Research) की भी प्रमुख भूमिका हो रही है। पिछले दिनों में किसानों में एक अलग प्रकार की प्रतिस्पर्धा रही है कि आमदनी कैसे बढ़ाई जाएं, साथ ही पीएम श्री मोदी के आह्वान के बाद कार्पोरेट क्षेत्र को भी लगा कि कृषि में उनका योगदान बढ़ना चाहिए,” उन्होंने कहा। एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड योजना के दिशानिर्देशों का पूरा सरकारी दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें श्री तोमर ने कहा कि “खाद्यान्न की अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ अन्य देशों को भी उपलब्ध करा रहे हैं। यह यात्रा और बढ़े, इसके लिए भारत सरकार प्रयत्नशील है। खेती व किसानों को आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ाना है। 

आईसीएआर व कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि के विकास में बहुत अच्छा काम किया है। उनकी कोशिश रही है कि नए बीजों का आविष्कार करें, उन्हें खेतों तक पहुंचाएं, उत्पादकता बढ़े, नई तकनीक विकसित की जाएं और उन्हें किसानों तक पहुंचाया जाएं। जलवायु अनुकूल बीजों की किस्में, फोर्टिफाइड किस्में जारी करना इसमें शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में वैज्ञानिकों ने कम समय में अच्छा काम किया, जिसका लाभ देश को मिल रहा है। आईसीएआर बहुत ही महत्वपूर्ण संस्थान हैं, जिसकी भुजाएं देशभर में फैली हुई हैं। कृषि की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संस्थान लगा हुआ है।


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किसानों की माली हालत सुधारना हमारे लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए 6,865 करोड़ रुपये के खर्च से दस हजार नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाना शुरू किया गया है। इनमें से लगभग तीन हजार एफपीओ बन भी चुके हैं। इनके माध्यम से छोटे-छोटे किसान एकजुट होंगे, जिससे खेती का रकबा बढ़ेगा और वे मिलकर तकनीक का उपयोग कर सकेंगे, अच्छे बीज थोक में कम दाम पर खरीदकर इनका उपयोग कर सकेंगे, वे आधुनिक खेती की ओर अग्रसर होंगे, जिससे उनकी ताकत बढ़ेगी और छोटे किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे। 

श्री तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में निजी निवेश के लिए सरकार ने एक लाख करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर फंड का प्रावधान किया है। साथ ही अन्य संबद्ध क्षेत्रों को मिलाकर डेढ़ लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड तय किया गया है। एग्री इंफ्रा फंड (Agri Infra Fund) के अंतर्गत 14 हजार करोड़ रु. के प्रोजेक्ट आ चुके हैं, जिनमें से 10 हजार करोड़ रु. के स्वीकृत भी हो गए हैं। सिंचाई के साधनों में भी बढ़ोत्तरी हो रही है, जल सीमित है इसलिए सूक्ष्म सिंचाई पर फोकस है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ आम किसानों तक पहुंचाने के लिए सूक्ष्म सिंचाई कोष 5 हजार करोड़ रु. से बढ़ाकर 10 हजार करोड़ रु. किया गया है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि छोटे किसानों के लिए वरदान साबित हुई है। इस स्कीम में अभी तक लगभग साढ़े 11 करोड़ किसानों के बैंक खातों में 2 लाख करोड़ रु. से ज्यादा राशि जमा कराई जा चुकी हैं। 

Source : PIB (Press Information Bureau) Government of India आजादी का अमृत महोत्सव में केंद्रीय कृषि मंत्री के उद्बोधन के साथ संपन्न हुई आईसीएआर की 75 व्याख्यानों की श्रंखला का पूरा सरकारी दस्तावेज पढ़ने के लिए, यहां क्लिक करें प्रारंभ में आईसीएआर के महानिदेशक डा. हिमांशु पाठक ने स्वागत भाषण दिया। संचालन उप महानिदेशक डा. आर.सी. अग्रवाल ने किया।

आजादी के अमृत महोत्सव में डबल हुई किसानों की आय, 75000 किसानों का ब्यौरा तैयार - केंद्र

आजादी के अमृत महोत्सव में डबल हुई किसानों की आय, 75000 किसानों का ब्यौरा तैयार - केंद्र

आजादी के अमृत महोत्सव में डबल हुई 75000 किसानों की आय का ब्यौरा तैयार - केंद्र

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पिछले साल तय अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया है। परिषद ने पिछले साल आजादी के अमृत महोत्सव में किसानों की सफलता का दस्तावेजीकरण करने का टारगेट तय किया था। इस वर्ग में ऐसे कृषक मित्र शामिल हैं जिनकी आय दोगुनी हुई है या फिर इससे ज्यादा बढ़ी है। परिषद के अनुसार ऐसे 75 हजार किसानों से चर्चा कर उनकी सफलता का दस्तावेजीकरण कर किसानों का ब्यौरा जारी किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आय बढ़ने वाले लाखों किसानों में से 75 हजार किसानों के संकलन का एक ई-प्रकाशन तैयार कर उसे जारी किया गया। [embed]https://youtu.be/zEkVlSwkq1g[/embed]

भाकृअनुप ने अपना 94वां स्थापना दिवस और पुरस्कार समारोह – 2022 का किया आयोजन

प्रेस रिलीज़ :

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 94वें स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री की अध्यक्षता में समारोह, पुरस्कार दिए

केंद्रीय मंत्री तोमर ने किया विमोचन

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समारोह में कहा कि, देश में कृषि क्षेत्र एवं कृषक मित्रों का तेजी से विकास हो रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), भारत के कृषि विज्ञान केंद्रों के समन्वित प्रयास के साथ ही जागरूक किसान भाईयों के सहयोग से किसान की आय में वृद्धि हुई है। परिषद ने 'डबलिंग फार्मर्स इनकम' पर राज्य आधारित संक्षिप्त प्रकाशन भी तैयार किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विमोचन अवसर पर ई-बुक को जारी किया।

पुरस्कार से नवाजा

कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 94वें स्थापना दिवस पर मंत्री तोमर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वैज्ञानिकों व किसानों को पुरस्कृत भी किया। पूसा परिसर, दिल्ली में आयोजित समारोह में तोमर ने कहा कि, आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि आईसीएआर ने पिछले साल, आजादी के अमृत महोत्सव में ऐसे 75 हजार किसानों से चर्चा कर उनकी सफलता का दस्तावेजीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिनकी आय दोगुनी या इससे ज्यादा दर से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सफल किसानों का यह संकलन भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। केंद्रीय मंत्री तोमर ने आईसीएआर के समारोह में अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया। उन्होंने आईसीएआर के स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की बात इस दौरान कही।

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कृषि क्षेत्र में निर्मित किए जा रहे रोजगार अवसर

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि, कृषि प्रधान भारत देश में निरंतर कार्य की जरूरत है। इस क्षेत्र में आने वाली सामाजिक, भौगोलिक, पर्यावरणीय चुनौतियों के नित समाधान की जरूरत भी इस दौरान बताई। उन्होंने पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के मामले में तकनीक के समन्वित इस्तेमाल का जिक्र अपने संबोधन में किया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की कोशिश है कि गांव और गरीब-किसानों के जीवन में बदलाव आए। मंत्री तोमर ने ग्रामीण क्षेत्र में एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर, कृषि का मुनाफा बढ़ाने के लिए किए जा रहे केंद्र सरकार के कार्यों पर इस दौरान प्रकाश डाला।

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर से की जा रही फंडिंग

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नव रोजगार सृजन के लिए हितग्राही योजनाएं लागू कर उचित फंडिंग की जा रही है। ग्रामीण नागरिकों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। खास तौर पर कृषि में रोजगार के ज्यादा अवसर निर्मित करने का सरकार का लक्ष्य है।

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जलवायु परिवर्तन चिंतनीय

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आईसीएआर की स्थापना के 93 साल पूर्ण होने के साथ ही वर्ष 1929 में इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान तक संस्थान द्वारा जारी की गईं लगभग 5,800 बीज-किस्मों पर गर्व जाहिर किया। वहीं इनमें से वर्ष 2014 से अभी तक 8 सालों में जारी की गईं लगभग दो हजार किस्मों को उन्होंने अति महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को चिंतनीय कारक बताकर कृषि वैज्ञानिकों, साथियों से इसके सुधार की दिशा में रोडमैप बनाकर आगे बढ़ने का आह्वान किया।

नई शिक्षा नीति का उदय -

मंत्री तोमर ने प्रधानमंत्री की विजन आधारित नई शिक्षा नीति का उदय होने की बात कही। उन्होंने स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम के समावेश में कृषि शिक्षा संस्थान द्वारा प्रदान किए जा रहे सहयोग पर प्रसन्नता व्यक्त की। मंत्री तोमर ने दलहन, तिलहन, कपास उत्पादन में प्रगति के लिए आईसीएआर (ICAR) और केवीके ( कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)) को अपने प्रयास बढ़ाने प्रेरित किया। समारोह के पूर्व देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों से कृषि मंत्री ने ऑनलाइन तरीके से विचार साझा किए। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों से हुई चर्चा में सरकारी योजनाओं, संस्थागत सहयोग से किसानों की आय में किस तरह वृद्धि हुई इस बात की जानकारी मिली।
PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

कृषि मंत्री तोमर ने सदन में दी जानकारी : बीमा दावे पर 1.19 करोड़ का भुगतान किया

बीमा कंपनियों को 40 हजार करोड़ की कमाईः मीडिया रिपोर्ट्स

खेती को मुनाफे का धंधा बनाने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारें विभन्न प्रोत्साहन योजनाएं संचालित कर रही हैं। कृषि फसल को प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी वजह से हुए नुकसान आदि के कारण, किसान को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा योजना भी, इन्हीं कृषि प्रोत्साहन योजनाओं में से एक योजना है।

पीएमएफबीवाई (PMFBY)

केंद्रीय स्तर पर संचालित, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY) से भी देश के किसानों के आर्थिक नुकसान की भरपाई का प्रबंध करने केंद्र सरकार ने सुविधा प्रदान की है। इस योजना को लागू करने का उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है, हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते पांच सालों के दौरान कंपनियों से ज्यादा भला कृषि बीमा करने वाली कंपनियों का हुआ है। इन मीडिया रिपोर्ट्स को कृषि मंत्री द्वारा प्रस्तुत जानकारी के बाद बल मिला है। न्यूज रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्ष 2016-17 से 2021-22 के कालखंड में, कृषि बीमा करने वाली विभिन्न इंश्योरेंस कंपनियों को 40,000 करोड़ रुपए की कमाई हुई है।


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इतनी कंपनियां करती हैं बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत बीमा सुविधा प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ने 18 बीमा कंपनियों को काम सौंपा है। इन कंपनियों का काम किसानों को प्राकृतिक आपदा से होने वाले फसल के नुकसान के लिए बीमा राशि के रूप में नियमानुसार जरूरी वित्तीय मदद प्रदान करना है।

केंद्रीय मंत्री ने दी जानकारी

भारत सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि बीमा के बारे में ब्यौरा प्रस्तुत किया है। केंद्रीय मंत्री के मुताबिक बीमा कंपनियों के पास प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत डेढ़ लाख करोड़ (कुल 159,132) रुपए से अधिक की प्रीमियम राशि जमा की गई थी। उन्होंने बताया कि, किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा संबंधी दावे के लिए 119,314 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया गया। आपको बता दें कि, इस योजना से जुड़े किसानों को मामूली प्रीमियम जमा करना पड़ता है।

4190 रुपए प्रति हेक्टेयर

एक समाचार माध्यम ने केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा राज्यसभा में दिए गए लिखित जवाब पर न्यूज रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) के अंतर्गत खरीफ 2021-22 सीजन तक किसानों द्वारा प्रस्तुत बीमा के दावों के भुगतान के रुप में 4190 रुपए प्रति हेक्टेयर की दर से बीमा राशि का भुगतान किया गया।

साल 2020 में बदले नियम

बीते 6 साल पहले शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में वर्ष 2020 में बदलाव किया गया था। इस बदलाव के तहत अब किसान अपनी स्वैच्छिक भागीदारी से भी योजना में जुड़ सकते हैं।


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72 घंटे का समय

योजना के पात्र किसान को फसल के नुकसान की सूचना संबंधित पात्र केंद्र अथवा अधिकारी तक पहुंचाने के लिए समय निर्धारित किया गया है। नुकसान प्रभावित किसान को इस योजना के तहत फसल बीमा ऐप, सीएससी केंद्र या निकटतम कृषि अधिकारी के माध्यम से नुकसान के 72 घंटों के अंदर फसल नुकसान की सूचना प्रस्तुत करना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया से किसानों को हुए नुकसान के बारे में फसल बीमा का दावा करने में आसानी हुई है। योजना की खास बात यह भी है कि इसमें दावा राशि का भुगतान सीधे किसानों के खाते में किया जाता है।

इतना प्रीमियम भुगतान

  • प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई/PMFBY) में फसल बीमा कराने के इच्छुक किसान को खरीफ फसल की बीमा राशि का दो प्रतिशत अदा करना होता है।
  • रबी फसल के लिए यह राशि और कम है। रबी की फसल के लिए किसान को 1.5 फीसदी बीमा राशि का भुगतान करना होगा।
  • बागवानी एवं वाणिज्यिक फसलों के बीमा के लिए किसान को प्रीमियम बतौर 5 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा।
पीएमएफबीवाई के राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (एनसीआईपी) से कृषि बीमा कार्य को और आसान बनाने की कोशिश सरकार ने की है। फसल बीमा मोबाइल ऐप नामांकन प्रक्रिया को आसान बनाता है। एनसीआईपी इसके अलावा प्रीमियम प्रेषण, भूमि रिकॉर्ड के एकीकरण आदि में भी किसान के लिए मददगार है।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के ट्वीट में छिपी है यह तारांकित खुशखबरी

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के ट्वीट में छिपी है यह तारांकित खुशखबरी

ट्रैक्टर से जुड़ी है गुड न्यूज़, जानिये कब मिलेगी सौगात

भारत की केंद्रीय सरकार में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने अधिकृत ट्विटर हैंडल से कृषक हितैषी तारांकित खुशखबरी दी है। यूनियन एग्रीकल्चर मिनिस्टर (Union Agriculture Minister)
नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने जुलाई मासांत, दिवस 31 जुलाई 2022 को दोपहर 1.24 बजे ट्वीट के जरिए किसान और किसानी के हित से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी जारी की। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने अपने ट्वीट (Tweet) में मध्य प्रदेश के केंद्रीय कृषि मशीनरी प्रशिक्षण और परीक्षण संस्थान बुदनी (Central Farm Machinery Training & Testing Institute, Budni, Madhya Pradesh, INDIA/सीएफएमटीटीआई/CFMTTI), द्वारा लिए गए निर्णय के बारे में जानकारी दी। उन्होंने #आजादीकाअमृतमहोत्सव (#AzadiKaAmritMahotsav) एवं #आत्मनिर्भरकृषि (#AatmaNirbharKrishi) हैश टैग के साथ ट्रैक्टर से जुड़े बड़े फैसले के बारे में जानकारी दी।
आत्मनिर्भर कृषि ऐप्प (Atmanirbhar Krishi app) से सम्बंधित सरकारी प्रेस रिलीज़ दस्तावेज पढ़ने या पीडीऍफ़ डाउनलोड के लिए, यहां क्लिक करें
उन्होंने ट्वीट में सीएफएमटीटीआई बुदनी द्वारा खेती कार्य में प्रयुक्त होने वाले ट्रैक्टर्स की टेस्टिंग प्रोसेस यानी परीक्षण प्रक्रिया के लिए पूर्व में निर्धारित समय सीमा 9 माह को घटाकर 75 दिन करने के बारे में सूचना प्रदान की। अपने ट्वीट में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक पोस्टर शेयर किया है। इस पोस्टर में किसान, ट्रैक्टर के साथ स्वयं केंद्रीय मंत्री तोमर भी दृष्टव्य हैं। गौर करने वाली बात यह है कि यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर नरेंद्र सिंह तोमर द्वारा साझा किए गए पोस्टर में तारांकित सूचना पर आपको जरा बारीकी से नजर डालनी होगी। दरअसल पोस्टर में ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया डेडलाइन कम करने, आजादी के अमृत महोत्सव आदि सभी को तो बड़े अक्षरों में प्रदर्शित किया गया है, लेकिन इस बात का खुलासा तारांकित चिह्न के साथ अपेक्षाकृत महीन अक्षरों में जाहिर किया गया है कि, प्रक्रियागत यह बदलाव कब से लागू होगा। इमेज को जूम कर गौर से पढ़ने पर पता चलता है कि, ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया 9 माह से घटाकर 75 दिन करने संबंधी प्रोसेस इस महीने 15 अगस्त से लागू होगी।


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इस लिंक में आप भी पढ़िये केंद्रीय मंत्री तोमर का ट्वीट एवं देखिए ट्वीट में साझा किए गए पोस्टर को। सौजन्य- ट्विटर: https://twitter.com/nstomar/status/1553650290603110400

ट्वीट पर प्रतिक्रिया

जैसा कि ट्विटर पर क्रिया की प्रतिक्रिया की प्रक्रिया की रवायत है, तो आपको बता दें इस सिलसिले में 31 जुलाई 2022 को दोपहर 1.24 बजे केंद्रीय मंत्री के सोशल मीडिया अकाउंट से जारी इस ट्वीट पर तीन शाब्दिक प्रतिक्रियाएं ही दर्ज हुईं, जिसमें से दो बधाई संबंधी हैं, तो एक में शिकायती भाव में किसान का दुखड़ा दर्ज है। हिसार, हरियाणा के एक यूजर ने रिप्लाई में बीमा योजना का लाभ अपात्रों को प्रदान करने एवं पात्र हितग्राहियों के वंचित रहने की परेशानी का जिक्र किया है, आप भी पढ़िये। सौजन्य- ट्विटर : https://twitter.com/yaarabmole/status/1553677560214863872?t=1ZUT0NhVtICm6cKYpKZTLw&s=19 वैसे ट्रैक्टर परीक्षण प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने से क्या लाभ और परिणाम होंगे, इस बारे में आप अपने विचार हमारे साथ साझा करें।
प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

प्राकृतिक खेती के जरिये इस प्रकार होगा गौ संरक्षण

मध्य प्रदेश राज्य के मुरैना जनपद में आयोजित हुए कृषि मेला के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया है, कि खेती में डीएपी, यूरिया का बेहद कम इस्तेमाल करें। साथ ही, जैव उर्वरक व नैनो यूरिया का प्रयोग बढ़ना चाहिए। किसानों को जैविक व प्राकृतिक खेती की तरफ रुख करना चाहिए। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से प्राकृतिक खेती पर अधिक ध्यान देने की बात कही है। मध्य प्रदेश के मुरैना जनपद में आयोजित कृषि मेले में उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के माध्यम से गौवंश की उपयोगिता में वृद्धि होगी। गाय के गोबर व गौमूत्र के प्रयोग से उर्वरक निर्मित करेंगे तो निश्चित रूप से कम लागत लगेगी। साथ ही, इस प्रकार से उत्पादन करना स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद रहेगा। आज आवश्यकता इस बात की है, कि खेती की लागत कम हो और किसानों की आमदनी बढ़ती रहे। उत्पाद उम्दा किस्म के होने चाहिए एवं खेतों में सूक्ष्म सिंचाई का प्रयोग करना चाहिए, इससे जल की बचत भी होगी और फसल की पैदावार भी होगी। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह भी कहना है, कि भारत में ८० प्रतिशत लघु किसान हैं, जिनकी सहायता के लिए १० हजार नवीन एफपीओ गठित करने की योजना तैयार की है। जिसके लिए ६,८६५ करोड़ खर्च करेगी केंद्र सरकार।


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खाद्य तेलों की कमी की भरपाई होगी

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि तिलहन की घटोत्तरी व आयात निर्भरता को कम करने हेतु सरकार द्वारा ऑयल पाम मिशन बनाया गया है। जिसके लिए ११ हजार करोड़ रूपये खर्च करेगी सरकार। किसान तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो इसका लाभ आने वाली पीढ़ियों को भी होगा एवं गांव देहातों में नवीन आय के स्त्रोत उत्पन्न होंगे। भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए आर्थिक संकट व मुसीबत की घड़ी में कृषि क्षेत्र अपनी अहम भूमिका निभाता है

इन किसानों को काफी लाभ मिलेगा

नरेंद्र तोमर ने कहा कि यह कृषि मेला अंचल, चंबल व ग्वालियर के लिए बेहतर कृषि के हिसाब से बहुत सहायक साबित होगा। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर ने इस कृषि मेले के दौरान लगभग हजारों किसानों का मार्गदर्शन किया एवं प्रशिक्षण भी दिया साथ ही किसानों की सहायता हेतु भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) समेत पुरे देश से आये हुए कृषि संस्थानों से जुड़े वैज्ञानिकों को साधूवाद दिया। साथ ही, मेले को आयोजित करने हेतु समस्त सहायक निधियों का आभार व्यक्त किया। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=BwU3hGXNodM&t=86s[/embed]

नरेंद्र तोमर ने कहा किसानों की आय दोगुनी हो गयी है

नरेंद्र तोमर का कहना है कि आज कृषि संबंधित योजनाएं आय बढ़ाने से संबंधित बनाई गयी हैं जबकि पूर्व में सिर्फ पैदावार से संबंधित योजनाएं बनाई जाती थी। आय में वृद्धि हेतु कई सारी योजनाएं लागू की जा रही हैं, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दोगुना से ज्यादा करने के लिए कहा उसके उपरांत केंद्र एवं राज्य सरकारों व किसानों ने एक जुट होकर इस ओर भरपूर प्रयास किए हैं। श्रीनगर (कश्मीर) में केसर का उत्पादन होता है, इसलिए केंद्र सरकार द्वारा केसर पार्क स्थापित हुआ साथ ही अन्य सहायक सुविधाऐं प्रदान की जिसके परिणामस्वरूप १ लाख रूपये किलो भाव से बढ़कर २ लाख रूपये किलो हो गयी है।
देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है इस फसल की खेती जरूरी विदेश मंत्री ने कहा

देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है इस फसल की खेती जरूरी विदेश मंत्री ने कहा

वर्ष 2023 को संयुक्त राष्ट्र द्वारा अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया गया है। केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मानें तो संयुक्त राष्ट्र ने यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर लिया है। हाल ही में केंद्रीय कृषि और कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और विदेश मंत्री डॉक्टर सुब्रह्मण्यम जयशंकर की अध्यक्षता में अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष के प्रीलॉन्च के उत्सव को मनाया गया। इसमें मिलेट के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के बारे में बात की गई है।


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विदेश मंत्री के अनुसार मिलेट (MILLET) की खेती करने से ना सिर्फ देश आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि इससे वैश्विक खाद्य समस्या का जोखिम भी कम होगा। इसके अलावा अगर किसानों के दृष्टिकोण से देखा जाए तो ये किसानों को आत्मनिर्भर बनाएगा और विकेंद्रीकरण उत्पादन में भी इससे फायदा होगा।

क्या है मिलेट और क्यों बढ़ रही है वैश्विक बाजार में मांग

मिलेट (MILLETS) को जिस नाम से हम जानते हैं, वह है बाजरा। जी हां छोटे छोटे दाने वाला यह अनाज आजकल बहुत लोकप्रिय हो रहा है। ऐसे में सोचने वाली बात है, कि मिलेट के अचानक से लोकप्रिय होने का कारण क्या है। कोविड-19 के दौरान वैश्विक खाद संकट एक बार फिर से सामने आ गया था, और ऐसे में बाजरा एक ऐसा अनाज है, जो कम पानी और विषम परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। इसके अलावा कोविड-19 से लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर भी काफी सजग हो गए हैं, और बाजरे को हमेशा से ही स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। इसीलिए जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है उस को ध्यान में रखते हुए कुछ इस तरह की ही खेती की ओर हमें ध्यान देना चाहिए ताकि हम देश और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा के बारे में पहल कर सकें।


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क्या है मिलेट के पोषक तत्व

मिलेट में पाए जाने वाले पोषक तत्व के बारे में बात की जाए तो लिस्ट काफी लंबी है, इसमें आपको भरपूर मात्रा में फाइबर, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, विटामिन बी-6 और केराटिन भी पाया जाता है।

क्या गुण बनाते हैं मिलेट को खास

पहले से ही मिलेट को कई अलग-अलग तरह के नामों से जाना जाता है, इसे ‘भविष्य की फसल’ या फिर ‘चमत्कारी अनाज’ भी कहा गया है। उसका कारण है कि मिलेट में पोषक तत्व तो होते ही हैं साथ ही विषम परिस्थितियों और कम लागत में भी उससे उत्पादन होने के कारण इसे खास माना गया है। अगर किसी किसान के पास सिंचाई आदि की सुविधाएं नहीं है, तब भी वह मिलेट की खेती कर सकता है।

पर्यावरण के लिए भी है चमत्कारी

जैसा कि बताया जा चुका है, कि मिलेट की खेती में पानी तो कम लगता ही है साथ ही इसकी खेती में कार्बन उत्सर्जन भी कम होता है। जो सुरक्षित वातावरण बनाए रखने के लिए लाभकारी है। यही कारण है कि भारत में बहुत से राज्य एक से अधिक मिलेट की नस्लों का उत्पादन करते हैं।

इससे जुड़े स्टार्टअप को दी जा रही है आर्थिक सहायता

इसके उत्पादन को बढ़ाने के लिए जो भी स्टार्टअप काम कर रहे हैं, उनको सरकार की तरफ से सहायता भी दी जा रही है। आंकड़ों की मानें तो लगभग 500 से ज्यादा स्टार्टअप इसके उत्पादन के लिए काम कर रहे हैं, जिनमें से 250 स्टार्टअप को भारतीय मिलेट अनुसंधान की तरफ से चयनित किया गया है। उसमें से 70 के करीब स्टार्टअप्स को 6 करोड़ से ज्यादा का इन्वेस्टमेंट दिया जा चुका है।


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पिछले काफी सालों से यह अनाज लोगों की थाली से गायब रहा था और इसका असर आजकल लोगों के स्वास्थ्य पर सीधे तौर पर देखा जा सकता है। अब धीरे ही सही लेकिन लोगों का ध्यान इसकी ओर फिर से आकर्षित हो रहा है।
दिल्ली में होने जा रहा है 2-4 मार्च को पूसा कृषि विज्ञान मेला जाने यहां क्या होगा खास

दिल्ली में होने जा रहा है 2-4 मार्च को पूसा कृषि विज्ञान मेला जाने यहां क्या होगा खास

दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के ग्राउंड में लगने वाला कृषि मेला 2 से 4 मार्च तीन दिनों तक चलेगा। आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ अशोक कुमार सिंह ने कृषि मेला की जानकारी देते हुए कहा,

"इस बार पूसा कृषि विज्ञान मेला मार्च 2 से 4 तक लगाया जाएगा। मेले का उद्घाटन 2 मार्च को केंद्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर करेंगे।"

पूसा कृषि विज्ञान मेले का मुख्य आकर्षण क्या होगा

अगर आप भी संरक्षित खेती, प्राकृतिक खेती और
मोटे अनाजों के बारे जानकारी चाहते हैं, तो आपके लिए बढ़िया मौका है, पूसा कृषि विज्ञान मेला में सारी जानकारियां आपको एक ही जगह पर एक साथ मिल जाएंगी। 

इस बार कृषि मेले में अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष 2023 के अंर्तगत मोटा अनाज आधारित मुल्य श्रृंखला विकास, स्मार्ट खेती/ संरक्षित खेती मॉडल, जलवायु तन्यक एवं संपोषक, कृषि विपणन एवं निर्यात, किसानों के नवाचार- संभावनाएं एवं समस्याएं, किसान उत्पादक संगठन- स्टार्टअप लिंकेज जैसी जानकारियां दी जाएंगी। 

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पूसा कृषि विज्ञान मेले में उन्नतशील किसानों को किया जाएगा सम्मानित

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा कृषकों के नवाचारों को महत्ता देता है तथा व्यावहारिक कृषि प्रौद्योगिकियों एवं तकनीकों को विकसित और प्रसारित करने वाले प्रतिभावान कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए हर वर्ष पूसा कृषि विज्ञान मेले में  लगभग 25-30 उन्नतशील किसानों को उनके नवाचार सृजन और प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए भाकृअनुसं-नवोन्मेषी किसान और भाकृअनुसं-अध्येता किसान पुरस्कारों से सम्मानित करता है । 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान वर्ष 2023 के भाकृअनुसं-नवोन्मेषी किसान और भाकृअनुसं-अध्येता किसान पुरस्कारों के लिए योग्य नवोन्मेषी कृषकों के आवेदन आमंत्रित करता है, जिन्हें मार्च 2-4, 2023 के दौरान आयोजित होने वाले पूसा कृषि विज्ञान मेले में प्रदत्त किया जाएगा। 

मेरीखेती की टीम भी इस कृषि मेले में उपस्थित रहने वाली है अगर आप इस मेले से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो हमारे यूट्यूब चैनल https://www.youtube.com/c/MeriKheti/ पर देख सकते है।

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

किसानों के हित में सरकारें एक से एक योजनाएं ला रही है. इसी की तर्ज में छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर में एक खास अभियान की शुरुआत की गयी है. इस अभियान का नाम मेरी पॉलिसी मेरे हाथ है. बता दें आजादी के अमृत महोत्सव भारत 75 के तहत मेरी पॉलिसी मेरे हाथ नाम का अभियान शुरू हो चुका है. यह अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ मौसम साल 2022 की तरह ही 15 फरवरी से इस अभियान को शुरू किया गया है. वहीं कृषि विभाग के अनुसार ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ के अंतर्गत रबी सीजन 2022 से 2023 में ग्राम पंचायत स्तर पर जान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को क्रियान्वयक बीमा कंपनी इस फसल बीमा पॉलिसी को बांटेगी. ये भी देखें: PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

योजना से जुड़ने की अपील

इसके लिए कृषि विभाग द्वारा विरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समिति प्रबंधक आदिम जाति सेवा समितियों को निर्देशित किया गया है. साथ ही इस कार्य्रकम को सफल बनाने के लिए मौसम रबी 2022 से 2023 में जिन किसानों को बिमा हुआ है, उन्हें बीमा पत्रक बांटने के लिए योयोजना से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स क्रियान्वयक बीमा कंपनी से समन्वय करना होगा, इसके अलावा मेरी पॉलिसी मेरे हाथ अभियान को ग्राम पंचायत स्तर से सफल संचालन और प्रक्रिया के हिसाब से उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए गये हैं.
केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान 12 अगस्त तक जारी रहेगा

केंद्र सरकार द्वारा चलाया जा रहा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान 12 अगस्त तक जारी रहेगा

केंद्र सरकार के मिशन के अंतर्गत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ मिलकर भारत में ऑयल पाम की खेती को और प्रोत्साहन देने के लिए 25 जुलाई 2023 से एक मेगा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान जारी किया है। पाम तेल उत्पादन क्षेत्र को 10 लाख हेक्टेयर तक बढ़ाने एवं 2025-26 तक कच्चे पाम तेल की पैदावार को 11.20 लाख टन तक पहुँचाने के मकसद से भारत सरकार ने अगस्त 2021 में राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन- ऑयल पाम जारी किया है। मिशन खाद्य तेलों की पैदावार में वृद्धि के अतिरिक्त आयात बोझ को कम करके भारत को 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में भी सफलतापूर्वक लेकर जा रहा है।

ये कंपनियां भी सक्रिय प्रचार और हिस्सेदारी कर रही हैं

मिशन के अंतर्गत राज्य सरकारों ने ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियों के साथ मिलकर भारत में ऑयल पाम की खेती को और प्रोत्साहन देने के लिए 25 जुलाई 2023 से एक मेगा ऑयल पाम प्लांटेशन अभियान चालू किया है। तीन प्रमुख ऑयल पाम प्रोसेसिंग कंपनियां- पतंजलि फूड प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट एवं 3एफ (3F) विस्तार के लिए अपने-अपने राज्यों में किसानों के साथ सक्रिय तौर से प्रचार और हिस्सेदारी कर रहे हैं।

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मेगा प्लांटेशन अभियान कब तक जारी रहेगा

मेगा प्लांटेशन अभियान की शुरुआत 25 जुलाई 2023 से हो चुकी है। बतादें, कि यह अभियान 12 अगस्त 2023 तक सुचारू रहेगा। इस पहल के अंतर्गत प्रमुख तेल पाम उत्पादक राज्यों जैसे कि ओडिशा, कर्नाटक, गोवा, असम, त्रिपुरा, नागालैंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु भागीदारी करेंगे। यह अभियान 25 जुलाई 2023 को रेस्ट ऑफ इंडिया (ROI) मतलब कि ओडिशा, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु में शुरू हुआ और 08-08-2023 तक सुचारू रहेगा। यह तकरीबन 7000 हेक्टेयर क्षेत्रफल को कवर करेगा, जिसमें से 6500 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को कवर करने का संकल्प है।

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पूर्वोत्तर क्षेत्र (NER) के राज्यों जैसे कि त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, असम और अरुणाचल प्रदेश में यह अभियान 27 जुलाई 2023 को आरंभ हुआ और 12 अगस्त 2023 तक 19 जनपदों में 750 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल को कवर करते हुए जारी रहेगा।

असम सरकार ने कितने हेक्टेयर रकबे को कवर करने का लक्ष्य तय किया

असम सरकार 75 हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्रफल को कवर करने का लक्ष्य निर्धारित कर रही है। बतादें, कि 27 जुलाई 2023 से 05 अगस्त 2023 तक मेगा प्लांटेशन अभियान 8 जनपदों में चलेगा। इस अभियान में हिस्सेदारी लेने वाली कंपनियां पतंजलि फूड्स प्राइवेट लिमिटेड, गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड, 3एफ ऑयल पाम लिमिटेड एवं विभिन्न कल्टीवेशन शम्मिलित हैं। अरुणाचल प्रदेश सरकार तकरीबन 700 हेक्टेयर रकबे को कवर करने का लक्ष्य तय कर रही है। 29 जुलाई 2023 से 12 अगस्त 2023 तक अभियान के दौरान 6 जनपदों में अभियान जारी रहेगा। राज्य के लिए इस अभियान में हिस्सा लेने वाली कंपनियां 3F प्राइवेट लिमिटेड और पतंजलि फूड्स प्रा. लिमिटेड हैं।
पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

सरकार ने पीएम फसल बीमा के पंजीयन की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया है। जहां 31 जुलाई ही रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख थी। उसको अब बढ़ाकर 16 अगस्त कर दी गई है। केंद्र सरकार ने किसानों के फायदे के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई गई थी। भारत के किसानों की फसल बारिश, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तबाह हो जाती थी। ऐसी स्थिति में किसानों को आर्थिक मदद के लिए भारत सरकार नें पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिससे इन विपदाओं से बचने के लिए किसान अपनी फसलों का बीमा करा सकें।

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख

केंद्र सरकार ने किसानो को काफी राहत प्रदान की है। इस दौरान फसल बीमा के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख को बढ़ा दिया गया है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख 31 जुलाई थी। परंतु, कृषि मंत्रालय ने इसको 16 अगस्त तक आगे बढ़ा दिया है। अब देश के किसान ऑनलाइन माध्यम से अथवा अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन का तरीका

आप किसान भाई अपनी खरीफ की फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल ( www.pmfby.gov.in) पर जाकर अपनी फसल के बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत किसान की फसलों के व्यक्तिगत नुकसान का लाभ मिलेगा, जो पहले सिर्फ सामूहिक स्तर पर ही मिलता था। इन सभी नुकसानों की भरपाई सरकार द्वारा निर्धारित बीमा कंपनियों द्वारा की जाती है।

फसल क्षति के 72 घंटे के अंदर सूचना देना अनिवार्य है

अगर आपकी फसल की बर्बादी प्राकृतिक आपदा की वजह से होती है। ऐसे में आप 72 घंटों के अंदर किसान क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के जरिए इसकी जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा आप बीमा कंपनियों द्वारा प्रदान किए गए टोल फ्री नंबर पर भी कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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प्रीमियम की धनराशि कितनी है

सरकार ने विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए इसकी प्रीमियम दर निर्धारित की है। अगर आप भी पीएम फसल बीमा योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक निर्धारित प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा। किसानों के आर्थिक हालातों को देखते हुए सरकार ने इस प्रीमियम का मुल्य बहुत कम रखा है। आपको अपनी खरीफ की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी की फसल के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत के प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा।
मुरैना जनपद में पहले हॉर्टिकल्चर कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने 160 करोड़ रुपए दिए

मुरैना जनपद में पहले हॉर्टिकल्चर कॉलेज की स्थापना के लिए केंद्र सरकार ने 160 करोड़ रुपए दिए

केंद्र सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान तथा शिक्षा विभाग ने रानी लक्ष्मी बाई केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत मुरैना जनपद में हार्टिकल्चर कालेज स्थापित करने का फैसला लिया है। बतादें, कि इसके लिए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर की कवायद पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने मंजूरी प्रदान की है। साथ ही, मध्य प्रदेश राज्य सरकार की तरफ से तहसील पोरसा, जिला मुरैना में तकरीबन 300 एकड़ भूमि का आवंटन भी कर दिया गया है। इस कालेज की स्थापना पर लगभग 160 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसका वहन केंद्र सरकार द्वारा किया जाएगा। श्री तोमर ने केंद्रीय वित्त मंत्रालय और म.प्र. शासन का इसके लिए विशेष आभार प्रकट किया है।

मुरैना जनपद में खुलेगा प्रथम हार्टिकल्चर कॉलेज

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यह कालेज अपनी तरह का पहला कालेज होगा। बतादें, कि इसमें स्नातक स्तर की पढ़ाई होगी, जिसमें फल विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, बुनियादी विज्ञान, सब्जी विज्ञान,
फूलों की खेती और भू-निर्माण, पौध संरक्षण आदि जैसे बहुत सारे विभाग होंगे। इस कालेज के जरिए हार्टिकल्चर संबंधी अनुसंधान कार्यों को भी रफ्तार मिलेगी। साथ ही, नए रोजगार भी सृजित होंगे एवं क्षेत्र के किसानों की आमदनी बढ़ाने में भी यह कालेज मददगार होगा। चंबल-ग्वालियर इलाके में केंद्रीय मंत्री श्री तोमर की निरंतर कोशिशों से इस तरह एक के बाद एक अनेक सौगातें मिली हैं।

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मुरैना कृषि, बागवानी एवं डेयरी के लिए जाना जाता है

मुरैना मध्य भारत के पठार एवं कृषि पारिस्थितिक उप क्षेत्र, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईईसीएआर) के बुंदेलखंड ऊपरी क्षेत्र के अंतर्गत आता है। मुरैना जनपद की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि प्रधान है। जिले में कृषि, बागवानी एवं डेयरी मुख्य व्यवसाय है। यहां बागवानी फसलों के अंतर्गत अमरूद, नींबू, आम जैसे फल तथा आलू, टमाटर, बैंगन, मिर्च, खीरा आदि सब्जियां पैदा की जाती हैं। मुरैना जनपद में धनिया, अदरक, हल्दी, मिर्च, फनल, लहसुन जैसे बहुत सारे मसालों के साथ-साथ गेंदा, गुलाब एवं गिलार्डिया जैसे फूलों की भी खेती की जाती है। मुरैना जनपद विभिन्न फलों, सब्जियों और फूलों के बड़े उत्पादक के तौर पर उभर रहा है। यद्यपि क्षेत्र में हाल के दशक में बागवानी फसलों की खेती अत्यधिक फायदेमंद उद्यम के रूप में उभरी है। फिर भी यह जनपद में सकल फसल क्षेत्र का लगभग 2.5% ही है। इस वजह से प्रस्तावित कॉलेज न सिर्फ मुरैना जिले, बल्कि चंबल-ग्वालियर क्षेत्र की समग्र प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हुए मील का पत्थर साबित होगा।
pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

पीएम फसल बीमा योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए कृषक भाई यहां दी गई प्रक्रिया को फॉलो कर सकते हैं। किसान भाइयों की सहायता के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती हैं, जिसमें से एक बड़ी योजना पीएम फसल बीमा योजना है। इस योजना के जारी होने से फिलहाल किसान भाइयों को फसल हानि का भय नहीं है। साथ ही, मौसम की वजह से यदि किसानों की फसल को हानि पहुँचती है, तब भी उन्हें योजना का फायदा मिलेगा। इसी कड़ी केरल के किसान विजयावन का कहना है, कि उन्हें कभी फसलों के क्षतिग्रस्त होने का भय तो कभी मौसम की अनिश्चितता हम कृषकों को घेरे रहती थी। परंतु, जब से प्रधानमंत्री फसल बीमा का सहयोग मिला है, तब से हम किसान और अधिक लगन-आत्मविश्वास के साथ किसानी में जुट गए हैं। बतादें, कि हमारे क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी दिक्कत है। हम स्थानीय लोग जलवायु परिवर्तन के मुताबिक खेती कर रहे हैं। परंतु, साथ-साथ गंभीर बाढ़ एवं हवाएं आती हैं, जो हमारी फसलों को काफी प्रभावित करती हैं। साथ ही, फसलों में कीड़े लग जाना भी सामान्य सी बात है। फसल बीमा के लिए पीएम फसल बीमा योजना सबसे बेहतरीन विकल्प है। किसान विजयावन के पास वर्ष 2019 से यह बीमा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमें संबल और शक्ति प्रदान कर रही है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या होती है

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के लिए चलाई गई एक सरकारी बीमा योजना है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, ओलावृष्टि, सूखों, कीटों और रोगों से होने वाली हानि से संरक्षण के लिए है। 

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योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक दस्तावेज 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए आपके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, जमीन का पट्टा, बैंक खाता पासबुक, फसल खराब होने का प्रमाण आदि जैसे प्रमाण पत्र या दस्तावेजों की अनिवार्यता होती है।  

पीएम फसल बीमा योजना के लिए कैसे आवेदन करें 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान भाई आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इसके पश्चात वह होमपेज पर किसान कॉर्नर पर क्लिक करें। अब किसान अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर लॉगिन करें। इसके बाद किसान समस्त आवश्यक डिटेल्स नाम, पता, आयु, राज्य इत्यादि दर्ज करें। बतादें, कि अंतिम में किसान भाई सबमिट बटन पर क्लिक करें।