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धान की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को होगा काफी फायदा

धान की एमएसपी में वृद्धि से किसानों को होगा काफी फायदा

केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मार्केटिंग सीजन 2023-23 के लिए खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिक करने का निर्णय किया गया है। केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है, कि इस निर्णय का सबसे ज्यादा लाभ तेलंगाना के किसानों को होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में बुधवार को कैबिनेट की बैठक हुई। इसके चलते आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी ने 2023-24 मार्केटिंग सीजन हेतु खरीफ की फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) इजाफा करने पर मुहर लगा दी है। इस पर केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी का कहना है, कि सरकार के इस निर्णय से तेलंगाना के धान से लेकर मक्का, सूरजमुखी एवं कॉटन किसानों को काफी लाभ होगा।

तेलंगाना भारत का दूसरा सर्वोच्च धान उत्पादक राज्य है

तेलंगाना से आने वाले केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जी. किशन रेड्डी ने बताया केंद्र सरकार साल 2014 से निरंतर एमएसपी में वृद्धि कर रही है। तेलंगाना भारत का दूसरा सबसे बड़ा धान उत्पादक राज्य है। अब धान के एमएसपी में बढ़वार होने का फायदा यहां के किसान भाइयों को मिलेगा। राज्य में उत्पादित की जाने वाली प्रमुख फसलों की एमएसपी में 2014 से 2023 के मध्य 60 से 80 फीसद तक की वृद्धि हुई है।

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इन फसलों के उत्पादकों को काफी लाभ है

जी. किशन रेड्डी ने बताया है, कि प्रदेश में मक्का, धान, सूरजमुखी और कपास की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। बतादें, कि साल 2014 से अब तक सूरजमुखी के बीजों की एमएसपी में सर्वाधिक 80 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। साथ ही, कपास किसानों को लाभ पहुंचाने एवं तेलंगाना के हैंडलूम एवं टेक्सटाइल क्षेत्र को प्रोत्साहन देने में भी एमएसपी बढ़ाने का योगदान है। कपास की एमएसपी 2014 से अब तक 75 प्रतिशत तक बढ़ गई है। अन्नदाता मतलब कि कृषकों की आमदनी भी 2014 के पश्चात से बढ़ी है। तेलंगाना धान का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। साथ ही, मक्का का भी काफी उत्पादन करता है। इन दोनों फसलों की एमएसएपी में 60 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है।

इन फसलों की एमएसपी कितनी है

तेलंगाना में उत्पादित होने वाली प्रमुख फसलों में धान-सादा की एमएसपी 2014 में 1360 रुपये प्रति क्विंटल थी। वर्तमान में यह 61 प्रतिशत बढ़कर 2183 क्विंटल पर पहुँच गई है। साथ ही, धान-ग्रेड ए पूर्व में 1400 रुपये क्विंटल था, जो कि फिलहाल 2203 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। मतलब कि 57 प्रतिशत का इजाफा।

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इसी प्रकार मक्का की दर 1310 रुपये से 60 प्रतिशत बढ़कर 2090 रुपये क्विंटल, सनफ्लावर सीड की 3750 रुपये से 80 प्रतिशत बढ़कर 6760 रुपये क्विंटल, कॉटन (मीडियम स्टेपल) की 3750 रुपये से 77 प्रतिशत बढ़कर 6620 रुपये क्विंटल और कॉटन (लॉन्ग स्टेपल) की 4050 रुपये से 73 प्रतिशत बढ़कर 7020 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

किसानों को कितना लाभ मिलेगा

केंद्र सरकार का यह निर्णय आम बजट 2018-19 की उस घोषणा के अनुरूप है, जिसमें एमएसपी को फसलों की औसत लागत पर 50 प्रतिशत अधिक के समतुल्य करना था। तेलंगाना में उत्पादित होने वाली फसलों के साथ भी कुछ ऐसा हुआ है। प्रदेश में धान-सादा का औसत खर्चा 1455 रुपये क्विंटल है। वहीं, एमएसपी 50 प्रतिशत ज्यादा 2183 रुपये है। उधर मक्का की लागत 1394 रुपये है और एमएसपी 2090 रुपये क्विंटल, सनफ्लावर सीड की लागत 4505 रुपये है एवं एमएसपी 6760 रुपये एवं कॉटन (मीडियम स्टेपल) की लागत 4411 रुपये और एमएसपी 6620 रुपये क्विंटल है।
किसान भाई परमल किस्म की धान की ई-खरीद ना होने से निराश

किसान भाई परमल किस्म की धान की ई-खरीद ना होने से निराश

अनाज मंडियों में अन्य दूसरे प्रदेशों से परमल धान की किस्मों के आने की संभावना के कारण प्रशासन ने ई-खरीद पोर्टल के जरिए से परमल किस्मों की खरीद रोक दी है। इस वजह से जिन कृषकों का परमल धान अब भी खेतों में पड़ा हुआ है, वे काफी परेशान हैं। हरियाणा में करनाल जनपद की अनाज मंडियों में अन्य राज्यों से परमल धान की किस्मों के आने के अंदेशे की वजह से प्रशासन ने ई-खरीद पोर्टल के जरिए से परमल किस्मों की खरीद को रोक दिया है। इस कारण से जिन किसानों का परमल धान आज भी खेतों में पड़ा हुआ है, वे काफी कठिनाई में फंस गए हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, किसानों ने आरोप लगाया है, कि प्रशासन का यह कदम उनको निजी खरीदारों को औने-पौने भावों पर अपनी फसल विक्रय के लिए विवश कर सकता है। साथ ही, अधिकारियों ने यह दावा किया है, कि जनपद में कटाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। साथ ही, उनको यह आशंका है, कि जनपद की अनाज मंडियों में कुछ व्यापारी अन्य राज्यों से धान ला सकते हैं तथा एमएसपी पर विक्रय कर सकते हैं।साथ ही, किसानों की मांग है, कि धान की फसल खेतों में पड़ी है अथवा नहीं, इसकी जांच कर अधिकारी धान की खरीद शुरू करें। रिपोर्ट के मुताबिक, परमल धान (एमएसपी 2,203 रुपये प्रति क्विंटल) का पंजीकरण फिलहाल ई-खरीद की जगह ई-एनएएम पोर्टल पर किया जा रहा है। सरकारी एजेंसियों की जगह, उनका उत्पादन फिलहाल निजी खरीदारों द्वारा खरीदा जा रहा है।


 

परमल धान की 97 लाख क्विंटल आवक हुई है

करनाल जनपद में अब तक लगभग 97 लाख क्विंटल परमल धान की आवक हो चुकी है। वहीं, विगत वर्ष आवक लगभग 107 लाख क्विंटल थी। जरीफाबाद के पुनीत गोयल ने बताया कि, “बाढ़ के बाद, मैंने नौ एकड़ में परमल किस्म के धान की खेती की थी। वर्तमान में फसल कटाई के दौरान मुझे पता चला कि खरीद बंद कर दी गयी है। सरकार को धरातल पर आकर देखना चाहिए और जो धान अभी भी खेतों में है, उसे खरीदना चाहिए।” एक अन्य किसान निरवेर सिंह ने कहा कि आठ एकड़ में परमल किस्म के धान की कटाई अभी बाकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी खरीदार एमएसपी से नीचे उत्पादन को खरीदेंगे।

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धान खरीद कम एमएसपी में होगी

खबर के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि व्यापारियों को राज्य के बाहर से धान लाने से रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। " हम यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी धान एमएसपी से नीचे न खरीदा जाए। इस संबंध में अधिकारियों को निर्देश दे दिये गये हैं.” उन्होंने कहा, ''जिले भर के खेतों में शायद ही परमल की कोई फसल खड़ी है।" गौरतलब है, कि परमल धान की बिक्री करने के लिए वर्तमान में किसानों को पंजीकरण फिलहाल ई-खरीद पोर्टल की जगह ई-नाम पोर्टल पर करना पड़ रहा है। साथ ही, सरकारी एजेंसियों के बजाय, उपज अब निजी खरीदारों द्वारा खरीदी जा रही है।