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फसल बीमा सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान शुरू

फसल बीमा सप्ताह के तहत जागरूकता अभियान शुरू

खरीफ सीजन की बुआई के साथ ही पुरे देश में फसलों का बीमा की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। फसलों का बीमा कराने के लिए पंजीयन करने का काम शुरू हो गया है। फसल बीमा योजना का लाभ किसानो को अधिक से अधिक मिले, इसके लिये सरकारी स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। अधिक से अधिक किसान योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाएँ, इसी को लेकर विभिन्न राज्य सरकारों के साथ ही केंद्र सरकार द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) को लेकर जागरूकता अभियान के तहत ही देशभर में 7 जुलाई तक फसल बीमा सप्ताह मनाया जा रहा है।

जागरूकता अभियान के तहत फसल बीमा वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया :

शुक्रवार को राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने 35 फसल बीमा वाहनों को हरी झण्ड़ी दिखाकर रवाना किया। मौके पर कृषि मंत्री श्री कटारिया नें कहा कि इस वैन केम्पेन द्वारा राज्य के दूर-दराज के गांवों एवं किसानों तक कृषक बीमा पॉलिसी का प्रचार-प्रसार किया जायेगा और जानकारी पहुंचाई जाएगी।

किसानों को फसल बीमा क्लेम 15 हजार 800 करोड़ रूपये का भुगतान :

कृषि मंत्री श्री कटारिया ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत पिछले साढे तीन वर्षों में अनावृष्टि, अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण फसलों को भारी नुकसान हुआ था, जिसकी भरपाई के लिए 149 लाख फसल बीमा पॉलिसी धारक किसानों को तकरीबन 15 हजार 800 करोड़ रूपये का फसल बीमा क्लेम वितरित किये गये हैं। फसल बीमा क्लेम में खरीफ 2021 में 39 लाख 56 हजार तथा रबी 2021-22 में 25 लाख कृषक बीमा पॉलिसियों का वितरण किया गया है। कृषि मंत्री श्री कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा खरीफ 2021 में गांव-गांव में कैम्प लगाकर पॉलिसी वितरित करने के निर्णय लिया गया था।

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इसकी प्रशंसा करते हुए केन्द्र सरकार ने भी पूरे देश में फसल पॉलिसियां वितरण करने के लिये एक अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस अभियान का नाम ‘‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ‘‘ ('Meri Policy Mere Haath' Campaign) है। उन्होंने बताया कि 2022 खरीफ में कुल 284 वाहनों के माध्यम से राज्य के सभी गाँव और तहसीलों में किसानों को फसल बीमा की जानकारियां दी जायेंगी। इसी अभियान के तहत सभी जिलों कलेक्टरों द्वारा 204 फसल बीमा रथों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। बीमा रथ के माध्यम से किसानों को सरल भाषा में पॉलिसी के बारे में बताया जाएगा। वहीँ किसान पाठशाला के माध्यम से भी प्रचार-प्रसार किया जायेगा। अभियान के दौरान 1 से 31 जुलाई तक किसानों को बीमा राशि, बीमित फसलों के प्रकार तथा कुल बीमित क्षेत्र आदि की जानकारी दी जाएगी। 

ज्ञात हो कि फसल बीमा योजना को लेकर किसान भी बहुत जागरूक हैं और चाहते हैं की फसल बीमा करायें। क्योंकि जलवायु के बदलते मिजाज और बाढ़ और सुखा से फसलों को होने वाली क्षति की भरपाई के लिये फसल बीमा बहुत जरूरी है। पिछले वर्ष अतिवृष्टि और अनावृष्टि के कारण फसलों को काफी क्षति हुई थी ऐसे में फसल बीमा किसानो का सबसे बड़ा सहारा बना।

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान जारी, किसानों को होगा फायदा

किसानों के हित में सरकारें एक से एक योजनाएं ला रही है. इसी की तर्ज में छत्तीसगढ़ के जशपुरनगर में एक खास अभियान की शुरुआत की गयी है. इस अभियान का नाम मेरी पॉलिसी मेरे हाथ है. बता दें आजादी के अमृत महोत्सव भारत 75 के तहत मेरी पॉलिसी मेरे हाथ नाम का अभियान शुरू हो चुका है. यह अभियान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ मौसम साल 2022 की तरह ही 15 फरवरी से इस अभियान को शुरू किया गया है. वहीं कृषि विभाग के अनुसार ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ के अंतर्गत रबी सीजन 2022 से 2023 में ग्राम पंचायत स्तर पर जान प्रतिनिधियों की मौजूदगी में किसानों को क्रियान्वयक बीमा कंपनी इस फसल बीमा पॉलिसी को बांटेगी. ये भी देखें: PMFBY: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में किसान संग बीमा कंपनियों का हुआ कितना भला?

योजना से जुड़ने की अपील

इसके लिए कृषि विभाग द्वारा विरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी और समिति प्रबंधक आदिम जाति सेवा समितियों को निर्देशित किया गया है. साथ ही इस कार्य्रकम को सफल बनाने के लिए मौसम रबी 2022 से 2023 में जिन किसानों को बिमा हुआ है, उन्हें बीमा पत्रक बांटने के लिए योयोजना से जुड़े सभी स्टेकहोल्डर्स क्रियान्वयक बीमा कंपनी से समन्वय करना होगा, इसके अलावा मेरी पॉलिसी मेरे हाथ अभियान को ग्राम पंचायत स्तर से सफल संचालन और प्रक्रिया के हिसाब से उचित कार्यवाही के निर्देश भी दिए गये हैं.
अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

अन्न के साथ किसान पैदा कर रहे ऊर्जा, बिना बिजली के खेतों तक पहुंच रहा पानी

क्या आप कभी ऐसा सोच सकते हैं, कि बिना बिजली कनेक्शन के खेतों तक पानी पहुंच जाए? जाहिर है, कि ये बात हर किसी को नामुमकिन लगेगी. आपको बता दें किसानों ने इसी नामुकिन सी बात को मुमकिन कर दिखाया है. आपको बता दें कि, मध्य प्रदेश में एक विकासशील राज्य है. लेकिन वहन अभी भी इसे कई कृषि क्षेत्र हैं, जहां पर बिजली का कनेक्शन नहीं पहुंचा है. ऐसी स्थिति में कृषि क्षेत्रों के लिए एमपी सरकार की सोलर पंप योजना को काफी ज्यादा पसंद की जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य में 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप क्षेत्रों में स्थापित किये गये हैं. जिसके बाद एमपी के किसान सिर्फ अन्न ही नहीं बल्कि खेतों में उर्जा भी पैदा कर रहे हैं.

एमपी सरकार ने शुरू की योजना

मध्य प्रदेश की सिवराज सिंह चौहान की सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ी योजन की शुरुआत की है. इस योजना के तहत
किसानों के लिए सोलर पंप की सौगात दी है. सरकार की इस योजना के पीछे सिर्फ एक ही उद्देश्य है, कि किसान भाई बिजली कनेक्शन के बिना अपने खेतों की फसलों में सिंचाई कर सकें. बिजली की समस्या से राज्य के कई ग्रामीण क्षेत्र के किसान परेशान हैं. बिजली ही एक मात्र ऐसा जरिया है, जिससे खेतों में पानी पहुंचाया जा सके. किसानों की इस समस्या को देखते हुए, सरकार ने नई योजना शुरू करके किसानों के लिए एक विकल्प तैयार कर दिया है. जिससे किसान खेतों में सोलर पंप की मदद सिंचाई करने का फायदा उठा रहे हैं.

बदल गयी सोलर पंप से तक़दीर

राज्य सरकार के मुताबिक 20 हजार 6 सौ से ज्यादा सोलर पंप खेतों में लगाये जा चुके हैं. वहीं सरकार का लक्ष्य 60 हजार सोलर पंप लगाने का है. सबसे अहम बात यह है कि, इस योजना का फायदा उन किसानों को सबसे ज्यादा मिल रहा है, जिनके नदी, तालाब, नलकूप या फिर अन्य स्रोत में पानी था, लेकिन उस पानी का इस्तेमाल करने के लिए बिजली नहीं मिल पा रही थी. जो भी किसान भाई सरकार की सोलर पंप वाली योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड भोपाल में अपना रजिस्ट्रेशन करना होगा. रजिस्ट्रेशन के लिए 5 हजार रुपये की धनराशी निर्धारित की गयी है. ऐसे में अगर किसी किसान का रजिस्ट्रेशन रिजेक्ट होता है, तब किसान को पूरा अमाउंट लौटा दिया जाएगा.

सरकार देगी अनुदान

सोलर पंप के लिए सरकार की ओर से किसानों को अनुदान दिया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक एचपी डीसी समर्सिबल पंप के लिए किसानों को सिर्फ 19 हजार रूपये देने होंगे. जिसके माध्यम से उन्हें करीब 30 हजार का फायदा दिया जाएगा. बात दो एचपी डीसी सरफेस की करें तो, उसके लिए किसान को 23 हजार रुपये देने होंगे. दो एचपी डीसी समर्सिबल के लिए सिर्फ 25 हजार रुपये में किसान को सोलर पंप की सुविधा मिलेगी.

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तीन एचपी के लिए 36 हजार और 5 एचपी के लिए 72 हजार, तो वहीं 7.5 एचपी के लिए एक लाख 35 हजार रुपयों का भुगतान किसानों को करना होगा.

इस योजना के लिए पात्रता

  • मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना की पात्रता के लिए किसान आवेदक को एमपी का स्थाई निवासी होना जरूरी है.
  • आवेदक के पास किसान कार्ड भी होना जरूरी है.
  • आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, खेती योग्य जमीन के कागज, मोबाइल नंबर और पासपोर्ट साइज़ की फोटो के साथ आवेदक का रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.
  • एमपी के किसी भी क्षेत्र का किसान क्यों ना हो, वो मुख्यमंत्री किसान सोलर पंप योजना के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकता है.

इन नियमों का जानना जरूरी, वरना नहीं मिलेगा सोलर पंप

  • आवेदक किसान सोलर पंप का इस्तेमाल सिर्फ सिंचाई के लिए ही कर सकता है.
  • सोलर पंप से निकले पानी को बेचा या हस्तांतरित नहीं किया जा सकता.
  • मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम से सोलर पंप की स्थापना के लिए सहमती लेनी जरूरी होगी.
  • जहां पर बिजली कनेक्शन नहीं है, यह योजना सिर्फ उन्हीं किसानों के लिए बनाई गयी है.
भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर प्रतिबन्ध से कई सारे शक्तिशाली देशों में चीनी उत्पाद हुए महंगे

पूरी दुनिया में भारत चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक देश है। आमतौर पर देखा जाता है कि यदि भारत में चीनी की पैदावार कम होती है, तो इसका प्रभाव दुनिया पर भी पड़ता दिखता है। अमेरिका के चीनी बाजार मेें इस बार इस बैन का अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है। 

भारत विभिन्न खाद्य पदार्थों को निर्यात कर विभिन्न देशों का भरण-पोषण करने की भूमिका निभा रहे हैं। साथ ही, चावल, गेहूं, दाल सहित बहुत सारे खाद्य उत्पादों की आपूर्ति भारत से विदेशों में की जाती है। 

आटे की भाव अधीक महंगा होते देख गेहूं निर्यात प्रतिबंधित किया गया था। वहीं, बहुत सारे देशों में गेहूं की समस्या सामने देखने को मिली थी। 

भारत द्वारा चीनी निर्यात पर भी प्रतिबंधित कर रखा है। इसका प्रभाव भी अब देखने को मिल रहा है। वैश्विक महाशक्ति के रूप में माने जाने वाले देश में भी भारत की वजह से चीनी महंगी हो चुकी है।

अमेरिका में चीनी के दामों में रिकॉर्ड वृद्धि

भारत द्वारा चीनी के निर्यात पर रोक लगाने का प्रभाव अमेरिका पर देखने को मिला है। अमेरिका में चीनी के भावों में रिकॉर्ड की वृद्धि दाखिल की गई है। 

न्यूयार्क में चीनी 6 वर्ष के रिकॉर्ड स्तर पर महंगी हो चुकी है। चीनी के बढ़ते भावों से स्थानीय लोगों का भी काफी बजट डगमगा चुका है। ध्यान देने योग्य बात यह है, कि चीनी पर महंगाई का प्रभाव केवल न्यूयार्क ही नहीं बाकी देशों में भी देखने को मिल रहा है। 

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चीनी महँगाई में हुई काफी बढ़ोत्तरी

चीनी के बढ़ते दामों से न्यूयॉर्क में कच्ची चीनी की कीमत 2.2 प्रतिशत बढ़कर 23.46 सेंट प्रति पाउंड पर पहुंच गए हैं। यह अक्टूबर 2016 के उपरांत से सर्वाधिक दर्ज किया जा चुका है। 

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की तरफ से भी इसको लेकर बयान जारी किया गया है। इस्मा ने भी चीनी पैदावार में गिरावट होने की बात कही है।

भारत में चीनी उत्पादन में आई गिरावट

जानकारी के लिए बतादें, कि इस्मा की तरफ से जारी बयान में कहा गया है, कि सितंबर में समाप्त हुए विपणन वर्ष 2022-23 की प्रथम छमाही में देश में चीनी की पैदावार घटी है। 

भारत में चीनी उत्पादन 299.6 लाख टन दर्ज किया गया है। वहीं, विपणन वर्ष 2021-22 की प्रथम छमाही में भारत में 309.9 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।

केंद्र सरकार ने भी चिंता व्यक्त की है

केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा द्वारा भी गिरावट हुए चीनी पैदावार की आशंका पर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने बोला था, कि सितंबर में समाप्त होने वाले साल में भारत चीनी निर्यात करने की मंजूरी दे सकता है। 

हालाँकि, इस बार पैदावार में गिरावट होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। भारत घरेलू खपत को लेकर काफी सजग दिखाई दे रही है।

इस राज्य में आकाशीय बिजली गिरने से 1200 मुर्गियों की हुई मौत

इस राज्य में आकाशीय बिजली गिरने से 1200 मुर्गियों की हुई मौत

उत्तर प्रदेश राज्य में आकाशीय बिजली गिरने की वजह से एक बड़ी दुर्घटना हुआ है। अंबेडकर नगर के बड़े गांव में बिजली गिरने से मुर्गी फार्म हाउस आग की चपेट में आ गया। इससे लगभग 1200 मुर्गियों की जलकर मृत्यु हो गई। भारत में मुर्गी पालन का एक बड़ा व्यवसाय है। लाखों की तादात में लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। पोल्ट्री फार्म हाउस के माध्यम से काफी मोटी आमदनी भी अर्जित करते हैं। मुर्गी पालन के लिए बहुत सारे नार्म्स होते हैं। इन नियमों का भी अनुपालन करना पड़ता है। परंतु, भारत के एक प्रदेश में गिरी आकाशीय बिजली ने पोल्ट्री फार्म हाउस संचालक की अधिकांश संपत्ति ही बर्बाद हो चुकी है। उसे लाखों रुपये की हानि भी हुई है।

यूपी के अंबेडकर नगर में 1200 मुर्गियों की आकाशीय बिजली गिरने से मौत

उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में आकाशीय बिजली गिरने से एक बड़ी दुर्घटना हो गई है। रविवार को मौसमिक परिवर्तन के चलते तेज बारिश चालू हो गई। आसमान में काले बादल के साथ जोरदार बिजली की चमक की वजह से लोग घरों में ही छुप गए। इसी दौरान जहांगीरगंज के बड़ागांव में मुर्गी हाऊस पर आकाशीय बिजली जा गिरी। बिजली इतनी तेजी से गिरी कि अतिशीघ्र ही आग लग गई। धीरे-धीरे आग पूरे फार्म हाउस में फैल गई। इसके चलते 1200 मुर्गियों की जलकर मोके पर ही मृत्यु हो गई। 

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स्थानीय लोगों पर भी नहीं बुझ सकी आग

स्थानीय लोगों का कहना है, कि रविवार के दिन में मौसम अच्छा था। परंतु, जैसे-जैसे रात आती गई मौसम खराब होना चालू हो गया। देर रात्रि में आकस्मिक तीव्र बिजली चमक, बारिश एवं ओलावृष्टि होनी चालू हो गई। इसके चलते बिजली जहांगीरगंज के बड़ागांव में स्थापित फार्म हाउस पर बिजली गिर चुकी। बिजली गिरते ही फार्म हाउस में आगजनी हो गई। आग की लपटों को देखते हुए आसपास के लोग आग बुझाने के लिए घटना स्थल पर पहुंच गए। परंतु, वह आग पर काबू करने में असमर्थ रहे। 

अबुबकर के मुर्गी फार्म हाउस को हुई लाखों की हानि

जहांगीरगंज के बड़ागांव के उत्तर घाघरा नदी के किनारे गांव में स्थित अबुबकर का मुर्गी फार्म हाउस है। कहा गया है, कि पेड़ को फाड़ते हुए मुर्गी फार्म हाउस पर जा गिरी। अबु बकर को आकाशीय बिजली गिरने से लाखों रुपये की हानि का सामना करना पड़ा है। अबु बकर ने राज्य सरकार से आर्थिक सहायता की मांग की है।

केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने से अमेरिका में हलचल

केंद्र सरकार द्वारा भारत की जनता को सहूलियत प्रदान करने के लिए विगत सप्ताह एक निर्णय लिया गया। वर्तमान में इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका के सुपरमार्केट्स में दिखना चालू हो चुका है। 

केंद्र सरकार ने चावल की कीमतों में आ रहे उछाल पर रोक लगाने के उद्देश्य से विगत सप्ताह नॉन बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। अब सरकार के इस निर्णय का प्रभाव अमेरिका में दिखना चालू हो गया। 

दरअसल, चावल निर्यात प्रतिबंधित होने से विश्वभर के बहुत सारे देशों में किल्लत उत्पन्न हो सकती है। लिहाजा इनकी कीमतें भी बढ़ जाऐंगी। 

ऐसी स्थिति में अमेरिका के लोग चावल खरीदने के लिए सुपरमार्केट्स के बाहर कतार लगाकर खड़े हो रहे हैं। अमेरिका के सुपरमार्केट में चावल खरीदने के लिए भीड़ जुट रही है। 

भारत चावल का सबसे बड़ा निर्यातक देश माना जाता है। वर्तमान में भारत सरकार ने देश के अंदर चावल की कीमतें कम करने के लिए यह फैसला लिया है। अब इस फैसले का असर अमेरिका ही नहीं बल्कि विश्व के विभिन्न देशों में देखने को मिल सकता है।

भारत सबसे ज्यादा इन देशों में चावल का निर्यात करता है

भारत नॉन बासमती चावल का निर्यात बहुत सारे देशों में करता है। इनमें अमेरिका के अतिरिक्त नेपाल, फिलीपींस और कैमरुन जैसे देश भी शम्मिलित हैं। 

एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया की आधी जनसंख्या का मुख्य भोजन चावल को ही माना जाता है। वर्तमान में सामान्य बात यह है, कि एक्सपोर्ट न होने की स्थिति में इन देशों में चावल की कमी होगी। माँग एवं आपूर्ति के खेल के चक्कर में इनके भाव बढ़ने निश्चित हैं।

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भारत ने नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगा रखा है

अमेरिका में काफी बड़ी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं। विगत सप्ताह में भारत ने जब नॉन बासमती चावल के निर्यात पर बैन लगाने का फैसला किया था, तो अमेरिका के सुपरमार्केट्स में चावल की कमी दर्ज हो गई थी। 

रअसल, लोग अधिक से अधिक मात्रा में चावल खरीदने के लिए काफी ज्यादा भीड़ लगा रहे हैं। यह बहुत ही आम बात है, कि जब विश्व का सबसे ज्यादा राइस एक्सपोर्टर देश चावल के निर्यात को रोक देगा तो मांग और आपूर्ति निश्चित रूप से प्रभावित होगी। इससे चावल की विदेशो में कीमतें काफी बढ़ जाऐंगी।

अमेरिका में किस वजह से मचा हड़कंप

अमेरिका के अंदर काफी बड़ी तादाद में भारतीय रहते हैं। पिछले हफ्ते भारत सरकार ने जब ये फैसला किया तो अमेरिकी की कुछ जगहों पर नॉन बासमती चावल की आपूर्ति में कमी आने लगी। 

लिहाजा लोग ज्यादा से ज्यादा चावल खरीदने के लिए अमेरिका के सुपरमार्केट्स पर भीड़ लगाने लग रह हैं। इन्हें पता है, कि अब चावल की कीमतें अभी और बढ़ जाऐंगी। यहां के सुपरमार्केट्स में लोगों के मध्य चावल खरीदने की होड़ सी लग चुकी है।

भारत सरकार ने यह फैसला क्यों लिया है

भारत में बीते कुछ दिनों से टमाटर, अदरक जैसी सब्जियों की कीमतों में निरंतर बढ़ोत्तरी हुई है। टमाटर और सब्जियों के उपरांत चावल के भाव भी निरंतर बढना चालू हो गए हैं। 

विशेष रूप से नॉन बासमती चावल के भाव में 10 से 18 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। ऐसे में सरकार ने यह निर्धारित किया है, कि इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाए जिससे कि कीमतों में और इजाफा ना हो सके।

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख बढ़ कर 16 अगस्त हो गई है

सरकार ने पीएम फसल बीमा के पंजीयन की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया है। जहां 31 जुलाई ही रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख थी। उसको अब बढ़ाकर 16 अगस्त कर दी गई है। केंद्र सरकार ने किसानों के फायदे के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई गई थी। भारत के किसानों की फसल बारिश, सूखा और अन्य प्राकृतिक आपदाओं की वजह से तबाह हो जाती थी। ऐसी स्थिति में किसानों को आर्थिक मदद के लिए भारत सरकार नें पीएम फसल बीमा योजना की शुरुआत की थी, जिससे इन विपदाओं से बचने के लिए किसान अपनी फसलों का बीमा करा सकें।

पीएम फसल बीमा योजना में आवेदन की अंतिम तारीख

केंद्र सरकार ने किसानो को काफी राहत प्रदान की है। इस दौरान फसल बीमा के रजिस्ट्रेशन की अंतिम तारीख को बढ़ा दिया गया है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन की तारीख 31 जुलाई थी। परंतु, कृषि मंत्रालय ने इसको 16 अगस्त तक आगे बढ़ा दिया है। अब देश के किसान ऑनलाइन माध्यम से अथवा अपने नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं।

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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में आवेदन का तरीका

आप किसान भाई अपनी खरीफ की फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के पोर्टल ( www.pmfby.gov.in) पर जाकर अपनी फसल के बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत किसान की फसलों के व्यक्तिगत नुकसान का लाभ मिलेगा, जो पहले सिर्फ सामूहिक स्तर पर ही मिलता था। इन सभी नुकसानों की भरपाई सरकार द्वारा निर्धारित बीमा कंपनियों द्वारा की जाती है।

फसल क्षति के 72 घंटे के अंदर सूचना देना अनिवार्य है

अगर आपकी फसल की बर्बादी प्राकृतिक आपदा की वजह से होती है। ऐसे में आप 72 घंटों के अंदर किसान क्रॉप इंश्योरेंस ऐप के जरिए इसकी जानकारी दे सकते हैं। इसके अलावा आप बीमा कंपनियों द्वारा प्रदान किए गए टोल फ्री नंबर पर भी कॉल कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

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प्रीमियम की धनराशि कितनी है

सरकार ने विभिन्न प्रकार की फसलों के लिए इसकी प्रीमियम दर निर्धारित की है। अगर आप भी पीएम फसल बीमा योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए एक निर्धारित प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा। किसानों के आर्थिक हालातों को देखते हुए सरकार ने इस प्रीमियम का मुल्य बहुत कम रखा है। आपको अपनी खरीफ की फसल के लिए 1.5 प्रतिशत और बागवानी की फसल के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत के प्रीमियम का भुगतान करना पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश कृषकों के लिए सरकार ने घर बैठे मिलेट्स की फसल को विक्रय करने की सुविधा को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य के किसान नीचे दी गई जानकारी के अनुरूप रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं। कृषक भाइयों को उनकी फसल का उचित भाव दिलाने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू किया, जिसमें करोड़ों किसानों को फायदा भी मिला है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के किसान भाई जो मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, उन्हें भी उनकी फसल का समुचित फायदा पहुंचाने के लिए MSP की खरीद चालू कर दी है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य मतलब कि MSP की खरीद पर ज्वार, बाजरा, मक्का से किसानों को लाभ पहुंचेगा। कहा जा रहा है, कि इस काम के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन कार्य भी आरंभ कर दिए हैं। जिससे किसानों को वक्त पर इसका पूर्ण फायदा मिल सके।

जानिए मिलेट्स की यह फसलें कितने में बिकेंगी

खबरों के अनुसार, किसान अपनी फसल को सही भाव पर बेच सकते हैं। मक्का (Maize ) - 2090 /- प्रति क्विंटल, बाजरा (Millet) - 2500 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (हाइब्रिड) - 3180 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (मालदाण्डी) - 3225 /- प्रति क्विंटल

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इस प्रकार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करें

बतादें कि यदि आप उतर प्रदेश के किसान हैं और आपने धान की बिक्री करने के लिए पंजीकरण नहीं किया है, तो आप खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट fcs.up.gov.in अथवा विभाग के मोबाइल एप UP KISHAN MITRA से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूर्ण करें। बतादें, कि फसलों की रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक कर सकते हैं। ख्याल रहे कि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने का वक्त प्रातः 9 बजे से लगाकर शाम 5 बजे तक हैं। वहीं, इस संदर्भ में ज्यादा जानकारी के लिए आप चाहें तो सरकार के द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर- 1800 1800 150 पर कॉल कर संपर्क साध सकते हैं।

पंजीकरण के लिए आवश्यक कागजात

बतादें, कि यदि रजिस्ट्रेशन के दौरान आपका कोई भी कागजात सही नहीं पाया जाता है, तो आप इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाएंगे। आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया जाएगा। इस वजह से जब आप रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, उस वक्त अपने सही व आवश्यक कागजात को ही दें। जैसे कि- किसान समग्र आई डी नंबर, ऋण पुस्तिका, आधार नंबर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड और मोबाइल नंबर इत्यादि।

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किसान मिलेट्स की फसल इन जगहों पर बेच सकते हैं

उत्तर प्रदेश के कृषक भाई अपने घर बैठे ऑनलाइन ढ़ंग से विभिन्न जनपदों में अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं। चंदौली, बलिया, मिर्जापुर, भदोही, जालौन, चित्रकूट, बाँदा, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, कानपुर देहात, कानपुर शहर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाज़ीपुर, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई, सुलतानपुर, अमेठी, मिर्जापुर, जालौन, अयोध्या, वाराणसी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, अलीगढ, कासगंज, एटा, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोज़ाबाद, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फरुखाबाद, वाराणसी, जौनपुर और गाजीपुर आदि बहुत सारे जिले हैं।
pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

pmfby: पीएम फसल बीमा योजना को लेकर किसानों का क्या कहना है ?

पीएम फसल बीमा योजना का फायदा प्राप्त करने के लिए कृषक भाई यहां दी गई प्रक्रिया को फॉलो कर सकते हैं। किसान भाइयों की सहायता के लिए सरकार की तरफ से विभिन्न योजनाएं संचालित की जाती हैं, जिसमें से एक बड़ी योजना पीएम फसल बीमा योजना है। इस योजना के जारी होने से फिलहाल किसान भाइयों को फसल हानि का भय नहीं है। साथ ही, मौसम की वजह से यदि किसानों की फसल को हानि पहुँचती है, तब भी उन्हें योजना का फायदा मिलेगा। इसी कड़ी केरल के किसान विजयावन का कहना है, कि उन्हें कभी फसलों के क्षतिग्रस्त होने का भय तो कभी मौसम की अनिश्चितता हम कृषकों को घेरे रहती थी। परंतु, जब से प्रधानमंत्री फसल बीमा का सहयोग मिला है, तब से हम किसान और अधिक लगन-आत्मविश्वास के साथ किसानी में जुट गए हैं। बतादें, कि हमारे क्षेत्र में बाढ़ सबसे बड़ी दिक्कत है। हम स्थानीय लोग जलवायु परिवर्तन के मुताबिक खेती कर रहे हैं। परंतु, साथ-साथ गंभीर बाढ़ एवं हवाएं आती हैं, जो हमारी फसलों को काफी प्रभावित करती हैं। साथ ही, फसलों में कीड़े लग जाना भी सामान्य सी बात है। फसल बीमा के लिए पीएम फसल बीमा योजना सबसे बेहतरीन विकल्प है। किसान विजयावन के पास वर्ष 2019 से यह बीमा है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमें संबल और शक्ति प्रदान कर रही है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना क्या होती है

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना केंद्र सरकार की तरफ से किसानों के लिए चलाई गई एक सरकारी बीमा योजना है। यह योजना किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि बाढ़, ओलावृष्टि, सूखों, कीटों और रोगों से होने वाली हानि से संरक्षण के लिए है। 

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योजना का लाभ उठाने के लिए आवश्यक दस्तावेज 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाने के लिए आपके पास आधार कार्ड, राशन कार्ड, जमीन का पट्टा, बैंक खाता पासबुक, फसल खराब होने का प्रमाण आदि जैसे प्रमाण पत्र या दस्तावेजों की अनिवार्यता होती है।  

पीएम फसल बीमा योजना के लिए कैसे आवेदन करें 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए आवेदन करने के लिए सबसे पहले किसान भाई आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। इसके पश्चात वह होमपेज पर किसान कॉर्नर पर क्लिक करें। अब किसान अपना मोबाइल नंबर दर्ज कर लॉगिन करें। इसके बाद किसान समस्त आवश्यक डिटेल्स नाम, पता, आयु, राज्य इत्यादि दर्ज करें। बतादें, कि अंतिम में किसान भाई सबमिट बटन पर क्लिक करें।
पंजाब के किसानों की फिर हुंकार 22 से 26 जनवरी तक करेंगे हड़ताल

पंजाब के किसानों की फिर हुंकार 22 से 26 जनवरी तक करेंगे हड़ताल

पंजाब के किसानों ने एक बार फिर हड़ताल करने का बिगुल बजा दिया है। किसानों का यह आंदोलन 22 जनवरी से शुरू होकर 26 जनवरी तक चलेगा। पंजाब में किसानों की अभी एक हड़ताल समाप्त हुई ही थी, कि अब कृषक पुनः एक बार हड़ताल करने की योजना बनाई है। अब अगर इसकी वजह पर नजर डालें तो यह नई कृषि नीति पेश करने में राज्य सरकार की "विफलता" है। इसको लेकर किसान 22 जनवरी से 26 जनवरी तक डिप्टी कमिश्नरों के कार्यालयों के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगे।

कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन

बतादें, कि विगत वर्ष जनवरी में तत्कालीन कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने 31 मार्च 2023 तक नई कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था। विभिन्न मीडिया एजेंसियों के अनुसार इस समिति के एक सदस्य ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि फिलहाल नीति का मसौदा तैयार नहीं हुआ है। समिति के कुछ सदस्य विदेश गए थे, इसके चलते नीति पर चर्चा काफी लंबित है। शीघ्र ही, इसको अंतिम रूप देने के लिए बैठक आयोजित की जाऐगी।

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आप सरकार द्वारा जल्द किया जाऐगा ऐलान

बतादें, कि इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग का कहना है, कि राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में इस मुद्दे पर कृषकों से वार्तालाप की है। राज्य में आप सरकार के लिए कृषि नीति सर्वोच्च प्राथमिकता है। तकरीबन 5 हजार कृषकों से सुझाव पहले ही लिए जा चुके हैं। नीति में विलंब के विषय में प्रवक्ता ने कहा कि 2000 के बाद कोई कृषि नीति नहीं आई और आप सरकार ने सत्ता में आने के शीघ्र उपरांत नीति पर कार्य प्रारंभ कर दिया था। उनका कहना है, कि नीति का ऐलान जल्द ही किया जाऐगा।

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बीकेयू (एकता उग्राहन) ने पहले ही अल्टीमेटम दिया था

दरअसल, बीकेयू (एकता उग्राहन) ने पूर्व में ही सरकार को 21 जनवरी तक नीति का ऐलान करने अथवा फिर विरोध का सामना करने का अल्टीमेटम दिया हुआ है। यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां का कहना है, कि हमने पहले ही नीति में शामिल किए जाने वाले किसान समर्थक कदमों को लेकर ज्ञापन दिया है। मगर ऐसा लगता है, कि सरकार कॉरपोरेट्स के दबाव में आ आकर इसमें विलंब कर रही है। वहीं, बीकेयू (कादियान) के राष्ट्रीय प्रवक्ता रवनीत बराड़ का कहना है, कि सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समस्त फसलों पर एमएसपी एवं नवीन कृषि नीति का वादा किया था। लेकिन, सत्ता में आने के लगभग 2 साल के पश्चात भी कुछ नहीं किया गया है।