पंजाब के किसानों ने एक बार फिर हड़ताल करने का बिगुल बजा दिया है। किसानों का यह आंदोलन 22 जनवरी से शुरू होकर 26 जनवरी तक चलेगा। पंजाब में किसानों की अभी एक हड़ताल समाप्त हुई ही थी, कि अब कृषक पुनः एक बार हड़ताल करने की योजना बनाई है। अब अगर इसकी वजह पर नजर डालें तो यह नई कृषि नीति पेश करने में राज्य सरकार की "विफलता" है। इसको लेकर किसान 22 जनवरी से 26 जनवरी तक डिप्टी कमिश्नरों के कार्यालयों के समक्ष विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बतादें, कि विगत वर्ष जनवरी में तत्कालीन कृषि मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने 31 मार्च 2023 तक नई कृषि नीति का मसौदा तैयार करने के लिए 11 सदस्यीय समिति का गठन किया था। विभिन्न मीडिया एजेंसियों के अनुसार इस समिति के एक सदस्य ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि फिलहाल नीति का मसौदा तैयार नहीं हुआ है। समिति के कुछ सदस्य विदेश गए थे, इसके चलते नीति पर चर्चा काफी लंबित है। शीघ्र ही, इसको अंतिम रूप देने के लिए बैठक आयोजित की जाऐगी।
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बतादें, कि इसी कड़ी में आम आदमी पार्टी (AAP) पंजाब के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कांग का कहना है, कि राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने हाल ही में इस मुद्दे पर कृषकों से वार्तालाप की है। राज्य में आप सरकार के लिए कृषि नीति सर्वोच्च प्राथमिकता है। तकरीबन 5 हजार कृषकों से सुझाव पहले ही लिए जा चुके हैं। नीति में विलंब के विषय में प्रवक्ता ने कहा कि 2000 के बाद कोई कृषि नीति नहीं आई और आप सरकार ने सत्ता में आने के शीघ्र उपरांत नीति पर कार्य प्रारंभ कर दिया था। उनका कहना है, कि नीति का ऐलान जल्द ही किया जाऐगा।
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दरअसल, बीकेयू (एकता उग्राहन) ने पूर्व में ही सरकार को 21 जनवरी तक नीति का ऐलान करने अथवा फिर विरोध का सामना करने का अल्टीमेटम दिया हुआ है। यूनियन के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरी कलां का कहना है, कि हमने पहले ही नीति में शामिल किए जाने वाले किसान समर्थक कदमों को लेकर ज्ञापन दिया है। मगर ऐसा लगता है, कि सरकार कॉरपोरेट्स के दबाव में आ आकर इसमें विलंब कर रही है। वहीं, बीकेयू (कादियान) के राष्ट्रीय प्रवक्ता रवनीत बराड़ का कहना है, कि सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए समस्त फसलों पर एमएसपी एवं नवीन कृषि नीति का वादा किया था। लेकिन, सत्ता में आने के लगभग 2 साल के पश्चात भी कुछ नहीं किया गया है।