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इस राज्य ने 40 टन आलू को ओमान निर्यात किया, आलू की एमएसपी भी निर्धारित की गई

इस राज्य ने 40 टन आलू को ओमान निर्यात किया, आलू की एमएसपी भी निर्धारित की गई

प्रदेश सरकार निरंतर किसानों के फायदे में कदम उठाती आ रही है। राज्य सरकार की तरफ से अब निर्यात को बढ़ाने पर अधिक बल दिया है। इससे प्रदेश के किसानों की आमदनी में भी अच्छी-खासी बढ़ोत्तरी भी हो पाएगी। प्रत्येक किसान का यही प्रयास और उम्मीद रहती है, कि उसको प्रत्येक फसल से आमदनी मिल सके। हर उत्पादन से उसको मुनाफा हो भी जाती है। आलू, सब्जी की ऐसी पैदावार होती है, कि इससे किसान काफी हद तक आमदनी कर लेते हैं। आलू की पैदावार भी उन्हीं में से एक है। मुख्य बात यह है, कि आलू की ऐसी विशेष किस्में विकसित की जा रही हैं इससे किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभ उठा सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आलू उत्पादन से जुड़ी बड़ी कार्रवाई की गई है। फिलहाल, उत्तर प्रदेश सरकार आलू की पैदावार को लेकर बड़ी कार्रवाई कर रही है। बतादें, कि आलू के साथ-साथ बाकी बागवानी फल सब्जियों को सड़क पर फेंकने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

किसानों ने मजबूरन अपना आलू सड़कों पर फेंका

इस वर्ष भारत में आलू की बुरी हालत रही है। भारत के विभिन्न हिस्सों में
आलू का भाव काफी ज्यादा गिर गया है। इसके प्रभाव से किसानों को अपने आलू को सड़कों पर फेंकते हुए देखा गया है। किसानों के आलू की कीमत 1 रुपये से 2 रुपये प्रति किलो तक गिर गई। किसानों का मंड़ी तक आलू ले जाने का खर्चा तक भी नहीं निकल पा रहा था। यह भी पढ़ें : शिमला मिर्च, बैंगन और आलू के बाद अब टमाटर की कीमतों में आई भारी गिरावट से किसान परेशान

उत्तर प्रदेश से 40 टन आलू ओमान निर्यात किया है

उत्तर प्रदेश सरकार किसानों के फायदे के लिए निरंतर कदम उठा रही है। प्रदेश के किसानों का आलू सरकारी मदद से विदेश निर्यात किया जा रहा है। मीडिया खबरों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के उद्यान कृषि विपणन द्वारा लुलु ग्रुप की मदद से ओमान को 40 टन अनाज निर्यात किया गया है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार का कहना है, कि अन्य उत्पादों को प्रोत्साहन देने के लिए भी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इससे किसानों की आमदनी में भी इजाफा होना निश्चित है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने आलू का एमएसपी प्राइस निर्धारित किया है

किसानों के कहने के मुताबिक, उत्तर प्रदेश सरकार आलू के मिनीमम प्राइस निर्धारित करने में लगी हुई है। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से आलू का मिनीमम प्राइस रेट 650 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। दरअसल, किसान अपने आलू को उतनी कीमत पर बेच नहीं पा रहे हैं। मंडी में कीमत 800 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है। यहां कीमत कम करना वास्तविकता में परेशान करने वाला है।
पंजाब के इन क्षेत्रों में कुल आलू उत्पादन का 80 प्रतिशत बीज के लिए उपयोग होता है

पंजाब के इन क्षेत्रों में कुल आलू उत्पादन का 80 प्रतिशत बीज के लिए उपयोग होता है

पंजाब के कपूरथला और जालंधर में होने वाले आलू का सर्वाधिक उपयोग बीजों के लिए किया जाता है। आलू की ये किस्में कुफरी पुखराज और ज्योति हैं। भारत में इनकी सबसे अधिक खरीदारी कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में की जाती है। विश्व में आलू उत्पादन के संबंध में भारत दूसरे स्थान पर आता है। परंतु, यदि हम खपत की बात करें, तो भारत में ही इसका काफी भाग खाने में उपयोग कर लिया जाता है। परंतु, आज हम आपको आलू की पुखराज और ज्योति किस्म के विषय में बताने जा रहे हैं, जिसकी मांग भारत ही नहीं, बल्कि विश्व भर में है। हम बात कर रहे हैं, पंजाब के कपूरथला-जालंधर जनपद में हो रहे आलू के विषय में। दरअसल यहां होने वाले आलू की मांग इसलिए ज्यादा है, क्योंकि इसका बीज उत्पादन एवं गुणवत्ता के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माने जाने वाला बीज है। 

यहां के समकुल आलू उत्पादन का 85 फीसद बीजों के लिए होता है

कपूरथला और जालंधर में होने वाले इस आलू की बात करें, तो इसकी कुल पैदावार का 85 फीसद तो सिर्फ बीजों के लिए ही निकाल दिया जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इन क्षेत्रों में समकुल
आलू उत्पादन का 85 प्रतिशत किसान बीज के लिए ही निकाल देते हैं। इसकी प्रमुख वजह यह है, कि आलू की तुलना में उसके बीजों को बेचने पर किसानों का मुनाफा कई गुना तक बढ़ जाता है। भारत के बहुत से किसान तो इन बीजों की बुकिंग यहां के किसानों से फसल के काटने से पहले ही करा लेते हैं।

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सबसे ज्यादा पुखराज और ज्योति किस्म की खेती की जाती है

आलू के लिए पुखराज और ज्योति की किस्में पंजाब के दोआब क्षेत्र की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली किस्मों में सबसे खास हैं। इसकी मुख्य वजह है, कि यह किस्में दोआब क्षेत्र में सबसे ज्यादा देखी जाती हैं। इसके होने वाले बीजों के द्वारा जो उत्पादन मिलता है, वो काफी ज्यादा होता है। यही कारण है, कि इन कि स्मों की खेती इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा होती है। 

जानें कितने हेक्टेयर में इसकी खेती होती है

पंजाब में आलू की इस फसल को जनपद में बहुत बड़ी मात्रा में बोया जाता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इसकी जनपद में लगभग 10000 हेक्टेयर में बुवाई की जाती है। वहीं, यदि हम इसके उत्पादन की बात करें, तो तकरीबन 2 लाख मैट्रिक टन आलू की उपज की पैदावार जनपद में प्रति वर्ष होती है।

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इन राज्यों में सप्लाई की जाती है

कपूरथला में पैदा होने वाले इस आलू को भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा काफी पसंद किया जाता है। परंतु, यदि हम इसकी सबसे अधिक मांग की बात करें, तो यह आलू सर्वाधिक कर्नाटक, पश्चिम बंगाल एवं दिल्ली के द्वारा खरीदा जाता है। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड और कुछ मात्रा में उत्तर प्रदेश के अंदर भी खरीदा जाता है।