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Rose

अप्रैल माह में गुलाब के फूल की खेती की विस्तृत जानकारी

अप्रैल माह में गुलाब के फूल की खेती की विस्तृत जानकारी

गुलाब यानी रोज एक ऐसा फूल है, जिसको प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्रेम स्वरुप भेंट करता है। अब इससे आप इस फूल की संसार में महत्ता और विशेषता को समझ सकते हैं। 

गुलाब का फूल दिखने में आकर्षक और सुन्दर होने के साथ-साथ बहुत सारे औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। गुलाब को सबसे पुराना सुगन्धित फूल माना जाता है। इन्हीं सब वजहों के चलते बाजार में इसकी हमेशा मांग बनी रहती है। इसलिए भारत के विभिन्न राज्यों में किसान गुलाब की खेती (Rose Cultivation) करते हैं। 

सामान्य तौर पर गुलाब का पौधा ऊंचाई में 4 से 6 फुट का होता है। इसके तने में असमान कांटे लगे होते हैं। इसके साथ ही गुलाब की 5 पत्तियां मिली हुई होती हैं। 

गुलाब का फल अंडाकार होता है, तो वहीं इसका तना कांटेदार, पत्तियां बारी-बारी से घेरे में होती हैं। इसकी पत्तियों के किनारे दांतेदार होते हैं। गुलाब की खेती उत्तर और दक्षिण भारत के मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में जाड़े के दिनों में की जाती है। 

लेकिन, आज हम इस लेख में एक सफल किसान रविन्द्र सिंह तेवतिया से आपको रूबरू कराएंगे जो कि उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के मूल निवासी हैं। आइए जानते हैं, किसान रविंद्र  सिंह तेवतिया ने मार्च और अप्रैल में गुलाब की खेती (Rose Cultivation) करने वाले किसानों को किन-किन बातों का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी है।

मौसमिक परिवर्तन के समय विशेष सावधानी की जरूरत  

रविन्द्र सिंह तेवतिया का कहना है, कि जब मौसम में बदलाव होता है यानी सर्दी से गर्मी के मौसम में प्रवेश करते हैं, तब पौधे का विकास हो रहा होता है। 

ऐसे में पौधे में बुवाई के बाद खरपतवार उग आती है। क्योंकि, बुवाई के बाद फसल को दैनिक सिंचाई की आवश्यकता होती है। इसलिए हर 1 से 2 महीने के बाद और फिर 3 से 4 महीने में खरपतवार को निकालना जरूरी होता है।

गुलाब के पौधों का कीट व रोगों से संरक्षण 

रविंद्र सिंह तेवतिया ने कहा, कि मौसमिक परिवर्तन के चलते कई बार गुलाब में विभिन्न तरह के कीट और रोगों का आक्रमण शुरू हो जाता है। 

इसलिए इसके बचाव के लिए पौधों पर सही कीटनाशकों का छिड़काव करना बेहद जरूरी होता है। रविन्द्र सिंह ने बताया कि अक्सर गुलाब में थिप्स और माइट कीट का प्रकोप हो जाता है। इसलिए ऐसी स्थिति में कीटनाशक का इस्तेमाल करना चाहिए। 

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कीट की रोकथाम के लिए गुलाब के खेत में सफाई बनाए रखें। साथ ही, ग्रसित पौधे के भागों को नष्ट कर दें, ताकि वह अधिक नुकसान ना पहुँचा सकें। 

डाइमेथोएट 2 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल का 10 से 15 दिन के समयांतराल पर छिड़काव कर दें। वहीं, दीमक पर काबू करने के लिए हर पौधे की मिट्टी में 10 से 15 ग्राम फोरट डालना चाहिए। 

गुलाब के फूलों की छटाई कब की जानी चाहिए 

गुलाब की खेती में फूल की एक या दो पंखुडियां खिल जाए, तो फूल को पौधे से अलग कर देना चाहिए। इसके लिए तेज धार वाले चाकू या ब्लेड का उपयोग करना चाहिए। 

फूल की कटाई के शीघ्र बाद उसको पानी से भरे बर्तन में रख दें। इसके बाद कोल्ड स्टोरेज में रख दें। इसका तापमान लगभग 10 डिग्री तक होना चाहिए। इसके बाद फूलों की ग्रेडिंग की जाती है, जिसे कोल्ड स्टोरेज में ही पूरा किया जाता है। इसको फूलों की छटाई भी कहा जाता है। 

गुलाब की खेती के लिए अत्यंत जरूरी बातें  

रविन्द्र सिंह तेवतिया का कहना है, कि गुलाब की खेती में फूलों को बढ़ाने के लिए बर्ड कैप का उपयोग करना चाहिए। इससे आप फूलों को तकरीबन 4 दिनों तक सुरक्षित व संरक्षित रख सकते हैं।

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गुलाब की खेती से किसान कितना मुनाफा कमा सकते हैं

गुलाब की खेती से मुनाफा कमाना सीजन पर निर्भर करता है। रविन्द्र सिंह तेवतिया ने बताया कि मौजूदा समय में फूल 40 से 120 रुपए प्रति किलो के हिसाब से बिक रहा है, जो कि अप्रैल में 100 से 150 रुपए प्रति किलो तक पहुंच जाएगा।

बतादें, कि अप्रैल में शादी का सीजन शुरू हो जाता है। इसके अलावा फरवरी में फूलों की कीमत 500 रुपए प्रति किलो तक थी। इस तरह किसान गुलाब की खेती से अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। सरकार गुलाब के फूलों की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान भी प्रदान करती है।

फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

फूलों की खेती से चमकी किसान श्रीकांत की तकदीर, जानें इनकी सफलता की कहानी

भारत एक कृषि प्रधान देश है। देश की अधिकांश आबादी कृषि या कृषि से जुड़े कार्यों से आजीविका चलाती है। वर्तमान में भारत के कई पढ़े-लिखे शिक्षित लोग नौकरी को छोड़कर कृषि में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। 

साथ ही, सफलता भी हांसिल कर रहे हैं। इसी कड़ी में फूलों की खेती करके श्रीकांत बोलापल्ली ने एक छोटी स्तर से शुरुआत करके आज वार्षिक करोड़ों की आय का मुकाम हांसिल किया है। 

उन्होंने फूलों की खेती करने से पूर्व आधुनिक कृषि तकनीकों के विषय में सही से जानकारी ग्रहण की और इसका अनुसरण करके इसको कृषि में लागू किया। आज के समय में फूलों की खेती और इसके व्यवसाय में इनका काफी जाना-माना नाम है। 

फूलों की खेती की कहानी कब और कैसे शुरू हुई 

अपनी युवावस्था में आज से तकरीबन 22 वर्ष पूर्व तेलंगाना के एक छोटे से शहर से आने वाले श्रीकांत बोलापल्ली का सपना था, कि वह अपनी जमीन पर खेती करें। 

लेकिन, गरीबी के चलते और घर-परिवार की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह जमीन खरीद सकें। समय के चलते हालात बिगड़ने पर श्रीकांत ने अपने शहर ‘निजामाबाद’ को छोड़ दिया और 1995 में बेंगलुरु करियर बनाने आ गये। 

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उस दौरान डोड्डाबल्लापुरा क्षेत्र में श्रीकांत को फूलों की खेती से जुड़ी एक कंपनी में बतौर पर्यवेक्षक के रूप में काम मिला। इस समय श्रीकांत की सैलरी 1000 रुपये महीना हुआ करती थी।

बैंगलुरु से प्रारंभ किया फूलों का व्यवसाय 

2 सालों तक श्रीकांत ने इसी कंपनी में कार्य किया और फूलों की खेती करने के लिए वैज्ञानिक खेती के विषय में जानकारी अर्जित की है। 

उन्होंने यहां नौकरी करके 24000 हजार रुपये जमा किए और बैंगलुरु में ही फूलों का छोटा सा व्यवसाय शुरू किया। श्रीकांत ने विभिन्न कंपनियों और किसानों से संपर्क करके फूलों का व्यापार करना शुरू कर दिया। 

प्रारंभिक समय में वह अकेले ही फूलों को इकट्ठा किया करते थे और इनकी पैकिंग करके पार्सल किया करते थे। धीरे-धीरे मांग में वृद्धि हुई और उन्होंने दो कर्मचारियों को अपने साथ में जोड़ लिया।

श्रीकांत को इस साल करोड़ों की आय की संभावना 

बतादें, कि श्रीकांत ने काफी लंबे समय तक फूलों का व्यवसाय करने के बाद 2012 में श्रीकांत ने डोड्डाबल्लापुरा में ही 10 एकड़ भूमि खरीदी। किसान श्रीकांत ने इस भूमि पर आधुनिक तकनीकों के साथ फूलों की खेती करनी चालू की है।

श्रीकांत आज 30 एकड़ भूमि पर फूलों की खेती कर रहे हैं। फूलों की खेती करके उन्होंने पिछले वर्षों में 9 करोड़ रुपये का मुनाफा प्राप्त किया है। 

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उन्होंने इस वर्ष 12 करोड़ रुपये का लाभ कमाने का आंकलन किया है। 20 सालों में श्रीकांत के साथ कार्य करने वाले कर्मचारियों की तादात 40 हो चुकी है।

श्रीकांत ने आधुनिक कृषि तकनीकों का किया उपयोग  

किसान श्रीकांत ने पिछले चार वर्षों में आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया और अपने खेतों में इन तकनीकों का उपयोग करने लगे। 

श्रीकांत ने अपने खेत में फूलों की खेती के लिए ग्रीन हाउस तैयार किया है। इस ग्रीन हाउस में उन्होंने उच्च कृषि तकनीकों को अपनाया और फूलों को अनुकूल वातावरण प्रदान किया। 

इस ग्रीन हाउस में श्रीकांत ने सिंचाई, उवर्रक का प्रयोग, घुलनशील उवर्रक, मिट्टी, कीटनाशक उपयोग और फूलों के विकास के नियमों का ख्याल रखा है। 

उन्होंने इस ग्रीन हाउस में फूलों के लिए सूर्य की रौशनी की भी व्यवस्था की हुई है। इसके अलावा उन्होंने कीट जाल भी बनाकर रखे हैं, ताकि कीटनाशक का कम से कम इस्तेमाल किया जा सके। 

श्रीकांत ने आधुनिक तकनीक को अपनाते हुए हवा की भी व्यवस्था की हुई है, जिससे फूलों को समुचित नमी प्राप्त हो सके। 

उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

उत्तर प्रदेश के आलू का जलवा अब अमेरिका में भी, अलीगढ़ में एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट केंद्र खोलने की तैयारी

आलू की खेती से किसान रबी सीजन में करते हैं, किसानों को इससे काफी मुनाफा अर्जित होता है। जैसा कि हम सब जानते हैं, कि खरीफ की फसलों की कटाई का समय आ चुका है। यूपी की उपजाऊ मृदा से हो रही पैदावार निरंतर विदेशों में लोकप्रियता अर्जित कर रही है। यहां पर उगने वाले आलू की मांग सात समुंदर पार भी हो रही है। प्रथम बार यूपी के आलू को अमेरिका के गुनाया में निर्यात किया गया है। किसानों को अपनी समझ और सूझबूझकर से खेती करने के लिए विशेषज्ञों की सलाह की भी जरूरत होती है। उत्तर प्रदेश के आलू का दबदबा विदेशों तक भी है। दरअसल, यूपी के आलू को पहली बार हजारों किलोमीटर दूर स्थित अमेरिका भेजा गया है। यूपी के आलू का जलवा विदेशों में भी है। मीडिया खबरों के अनुसार, फार्मर ग्रुप (FPO) की सहायता से 29 मीट्रिक टन आलू अमेरिका के गुयाना में भेजा गया। बतादें, कि इसके साथ ही योगी सरकार का किसानों की आमदनी दोगुनी करने का सपना भी साकार हो रहा है।

आलू का निर्यात अब सात समुंदर पार भी होगा

वाराणसी के एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) के उप महाप्रबंधक का कहना है, कि आलू को पहली बार व्‍यापारिक रूप से अमेरिका के गुयाना शहर निर्यात किया गया है। उन्‍होंने बताया है, कि निर्यात किए गए आलू को अलीगढ़ के एफपीओ से खरीद कर शीत गृह में पैक किया गया। 29 मीट्रिक टन आलू समुद्र मार्ग के जरिए गुयाना पहुंचेगा।

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अलीगढ़ में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खोलने की मुहिम

बतादें, कि इसी कड़ी में अलीगढ़ के किसान उद्यमी के साथ-साथ निर्यातक भी बन रहे हैं। अलीगढ़ में आलू के उत्पादन को मंदेनजर रखते हुए एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी अलीगढ़ में कृषि निर्यात केंद्र खोलने की तैयारी कर रहा है। बतादें, कि यदि अलीगढ़ जनपद में एग्रीकल्‍चर एक्‍सपोर्ट सेंटर खुलता है, तो जनपद के आसपास के हजारों लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा।

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योगी सरकार किसानों की आय दोगुनी करने का प्रयास कर रही है

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बिचौलियों को अलग करके किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिश कर रही है। इसी कड़ी में एफपीओ के जरिए से किसानों को निर्यातक बनाया जा रहा है। प्रदेश में योगी सरकार एफपीओ एवं किसान समूहों को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की तरफ प्रोत्साहन देने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। किसानों को विदेशों में निर्यात कर बेहतरीन आमदनी देने वाली फसलों की पैदावार करनी चाहिए। किसान केवल पारंपरिक फसलों पर ही आश्रित ना रहें।
रोज़मेरी - सुगंधित पौधे की खेती (Rosemary Aromatic Plant Cultivation Info in Hindi)

रोज़मेरी - सुगंधित पौधे की खेती (Rosemary Aromatic Plant Cultivation Info in Hindi)

दोस्तों आज हम बात करेंगे एक ऐसे सुगंधित पौधे की जिसका नाम रोज़मेरी है, रोज़मेरी से जुड़ी सभी प्रकार की जरूरी और अवश्य बातें जानने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।

रोज़मेरी (Rosemary)

आम भाषा में कहे तो रोजमेरी एक जड़ी बूटी है जिसका वैज्ञानिक नाम Rosamarinus officinalis हैं, तथा हिंदी में इसको गुलमेहंदी के नाम से पुकारा जाता है। लेकिन ज्यादातर  इसका परिचय रोजमेरी और गुलमेंहदी के नाम से ही होता हैं। ग्रहणी से प्राप्त की गई जानकारी के अनुसार रोजमेरी सबसे ज्यादा रसोई घर में पाए जाने वाली जड़ी बूटियों में से एक। रोज़मेरी एक चिकित्सक पौधा है। जिसकी ज्यादातर पैदावार भूमध्यसागरीय क्षेत्र में होती है। रोजमेरी दिखने में पूरी तरह से सुई के आकार की होती है इसकी लंबाई लगभग 3 से 4 सेंटीमीटर की होती है। रोजमेरी के फूल दिखने में नीले रंग के होते हैं। रोजमेरी का स्वाद थोड़ा कड़वा और बहुत ज्यादा कसैला होता है तथा या गर्म भी होता है। रोजमेरी का उपयोग ज्यादातर सॉस, सूप स्टाफिंग, स्टॉज, रोस्ट्स इत्यादि के लिए किया जाता है। भारत देश में रोजमेरी की खेती कई क्षेत्रों में की जाती है यह क्षेत्र कुछ इस प्रकार है जैसे: जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश यह क्षेत्रों में रोजमेरी की खेती की जाती है।

रोज़मेरी की बुवाई का समय

रोजमेरी की बुवाई करने के लिए किसान जो सबसे अच्छा समय चुनते हैं, वह अक्टूबर से फरवरी के बीच का होता है इस बीच रोजमेरी की बुवाई की जाती है। इन 2 माह मे बुवाई से रोजमेरी की अच्छी खेती की प्राप्ति होती है।

रोजमेरी खेती की बुवाई का तरीका

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार रोजमेरी की खेती दो प्रकार से की जाती है, पहले आप रोजमेरी की खेती की बुवाई आप बीज द्वारा कर सकते हैं  या फिर आप कटिंग यानी कलम विधि को अपनाकर इसकी बुवाई करें। इन दो बुवाई के  तरीकों में से जो आपको बेहतर लगे उसे अपना कर आप रोजमेरी की बुवाई कर सकते हैं।

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रोजमेरी नर्सरी तैयार करें

इन की नर्सरी तैयार करने के लिए आपको लगभग 2 किलो बीज की जरूरत पड़ती है तथा  बीज प्रति हेक्टर की आवश्यकता होती है। नर्सरी तैयार करने के लिए कम से कम 2 ग्राम बीज को प्रति 1 वर्ग मी भूमियों पर छिड़काव किया जाता है उसके बाद रेत से ढक देना होता है। बीज रोपण के बाद इनका जमाव लगभग 14 - 15 सेल्सियस डिग्री के तापमान पर होता है। रोजमेरी के पौधे 8 से 10 दिन के सप्ताह के अंदर पौधे के रूप में रोपण होने के लिए तैयार हो जाते हैं। प्रवर्धन कटिंग की प्रक्रिया को अपनाकर भी आप रोजमेरी का उत्पादन कर सकते हैं।

रोजमेरी पौधरोपण

किसान रोजमेरी पौधों का रोपण खेतों में लगभग 45 × 45 सेंटीमीटर की दूरियों पर इसके पौधों का रोपण करते हैं। इन दूरियों पर पौधारोपण करने से फसल को काफी अच्छा लाभ होता है।

रोजमेरी पौधों के लिए अनुकूल जलवायु

रोजमेरी पौधों के लिए जो सबसे उपयुक्त जलवायु होती है वह जलवायु  शीतोष्ण है। शीतोष्ण जलवायु पौधों के लिए बहुत ही लाभदायक होती है। इन जलवायु में मौसम साल भर काफी ठंडा रहता है तथा पाला युक्त जलवायु की बहुत ज्यादा उपयोगिता होती है।

रोजमेरी खेती के लिए भूमि का चयन

रोजमेरी की खेती किसान विभिन्न विभिन्न प्रकार की भूमि में कर सकते हैं। इसके लिए किसी एक भूमि के चयन की कोई आवश्यकता नहीं होती है। हर प्रकार की भूमि में रोजमेरी की खेती कर सकते हैं।

लेकिन किसान रोजमेरी की खेती के लिए हल्की कंकड़ से युक्त मृदा भूमि को ही उपयुक्त समझते हैं। भूमि को अच्छी तरह से जुताई की बहुत ही ज्यादा आवश्यकता होती है पौधारोपण से पहले, जुताई के बाद भूमि में खाद डालकर भूमि को समतल तथा भुरभुरा करना आवश्यक होता है।

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रोजमेरी के लिए खेत को तैयार करना

किसी भी फसल की बुआई के लिए खेत को भिन्न भिन्न प्रकार से तैयार किया जाता है। लेकिन सबसे पहले खेतों को खूब अच्छी तरह से गहरी जुताई की आवश्यकता होती है। इन जुताई के बाद खेतों में अच्छी गोबर खाद को डालना आवश्यक होता है। जब आप गोबर की खाद को खेतों में डालें तो आपको भूमि को समतल कर देना है। भूमि समतल के बाद  आपको मिट्टियों का भुरभुरा पन भी चेक कर लेना होता है। इन क्रियाओं के बाद सबसे आखिरी और आवश्यक बात जो खेत तैयार करने के लिए आवश्यक होती है। कि आपको जल व्यवस्था का खास ख्याल रखना होता है। आपको अच्छे प्रकार से जल निकास की व्यवस्था को बनाए रखना होता है।

रोजमेरी के लिए खाद एवं रासायनिक उर्वरक का इस्तेमाल

जैसा कि हमने आपको पहले ही बता दिया है। कि रोजमेरी एक जड़ी बूटी है, इसलिए ध्यान रखिए कि आपको किसी भी प्रकार की रसायनिक खाद का इस्तेमाल रोजमेरी की खेती के लिए नहीं करना है। खेती के लिए किसानों को चाहिए, कि वह ओरिजिनल यानी बनाई हुई खाद का ही इस्तेमाल खेतों में करें। रोजमेरी की खेती के लिए किसान लगभग खेत को तैयार करने के लिए 20 टन अच्छी और सड़ी हुई गोबर की खाद का ही चयन करते हैं, तथा माइक्रो भू पॉवर 20 किलोग्राम का इस्तेमाल करते हैं। इन दोनों खादो को प्रति एकड़ के हिसाब से मिलाया जाता है।

खरपतवार नियंत्रण करना

विभिन्न प्रकार के खरपतवार से बचने के लिए तथा खरपतवार की रोकथाम के लिए किसानों को चाहिए। कि वह समय-समय पर  आवश्यकतानुसार खेतों की जांच पड़ताल करते रहे। खरपतवार जैसी समस्या की रोकथाम के लिए समय  समय पर निराई और गुड़ाई करें।

रोजमेरी खेतों की सिंचाई

रोजमेरी की खेती की बुवाई के बाद लगभग 3 से 4 बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। इन तीन से चार बार सिंचाई हो जाने के बाद फिर आपको समय समय पर जब सिंचाई की आवश्यकता हो तभी सिंचाई करनी होगी। रोजमेरी की खेती के लिए सिंचाई बहुत ही आवश्यक होती है रोजमेरी फसल उत्पादन के लिए।

रोज़मेरी फसल की कटाई

रोजमेरी फसल की कटाई लगभग पहले साल में फसल बुवाई के बाद 4 महीने के भीतर करनी होती है। जब रोजमेरी के 50% फूल आ जाए, तो उसके कोमल हिस्से को अलग करना होता है तथा इसके हर्ब्स को एकजुट करना होता है। किसान पहले साल में दो बार और तीसरे साल में तीन से चार बार करीबन हर्ब्स  को प्राप्त करते हैं। हम उम्मीद करते हैं आपको हमारा यह टॉपिक रोज़मेरी (Rosemary) - सुगंधित फसल की खेती अच्छा लगा होगा। हमारे इस टॉपिक के माध्यम से आप ने रोजमेरी जैसे सुगंधित फसल की पूर्ण जानकारी प्राप्त की होगी। जो आपके भविष्य में रोजमेरी के विषय को लेकर काम आएगी। इस आर्टिकल में रोजमेरी की सभी जानकारियां दी गई है, यदि आप हमारी दी जानकारियों से संतुष्ट हुए हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। धन्यवाद।

घर की बालकनी को गुलाब के फूलों से महकाने का आसान तरीका

घर की बालकनी को गुलाब के फूलों से महकाने का आसान तरीका

नई दिल्ली। हर कोई अपने आशियाने को सुंदर और खूबसूरत बनाना चाहता है। घर के आस-पास के वातावरण को भी अच्छा रखना हर किसी की इच्छा रहती है। बालकनी में लगे पौधे न सिर्फ आपके घर को स्वच्छ बनाने का काम करते हैं बल्कि पूरे घर को ब्यूटीफुल भी बनाते हैं। इसलिए कई लोग आउटडोर प्लांट के अलावा इंडोर प्लांट भी लगाते हैं। अपने घर के अंदर लोगज्यादा फ्लावर प्लांट जैसे - चमेली, रोज प्लांट आदि लगाना पसंद करते हैं।

अगर आप भी अपने घर की बालकनी को सुंदर गुलाब के फूलों से महकता हुआ देखना चाहते हैं, तो पढ़िए ये पूरी खबर:

1. अच्छी नर्सरी से गुलाब के पौधे का चयन

- बालकनी में गुलाब के पौधा लगाने के लिए किसी अच्छी नर्सरी से ही पौधा लें। अच्छी नर्सरी से मिलने वाले पौधे जन्म से ही स्वस्थ होते हैं। इनमें कोई रोग नहीं होता है और रोगों से लड़ने की क्षमता भी अधिक होती है।

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2. गमले में उपयोगी मिट्टी पर विशेष ध्यान दें

- पौधों के लिए मिट्टी अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए आपकी बालकनी के गमले में उपयोगी मिट्टी ही होनी चाहिए। इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। क्योंकि गुणवत्तापूर्ण मिट्टी से पौधे के विकास अच्छा होता है।

3. इस तकनीकी से लगाएं पौधे

- बालकनी में गुलाब का पौधा लगाने के लिए मिट्टी के बने हुए गमले खरीद लें। उसमें उचित मात्रा में उपयोगी मिट्टी डालें। पौधे को गमले में ठीक से लगाकर पानी डालें। फिर समय-समय पर पौधे की देखभाल करें। और बीच-बीच में कीट-पतंगों से भी बचाकर रखें। इसके लिए पौधे पर कीटनाशक छिड़काव भी करें। पौधे में पोषक तत्वों का छिड़काव भी आवश्यकता करते रहें। पौधे की वृद्धि का भी ख्याल रखें।

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4. गुलाब के पौधे के लिए ठंडा मौसम है अच्छा

- गुलाब के पौधे के लिए ठंडा मौसम काफी प्रतिकूल रहता है। अत्यधिक धूप और गर्मी से गुलाब के पौधे को नुकसान की आशंका रहती है। इसीलिए बालकनी में मौसम को देखते हुए गुलाब के गमले को रखें।

5. घर में गुलाब के फूल से फायदे

- गुलाब के फूल के पौधे सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाते हैं। इन पौधों को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए। - घर में पेड़-पौधे लगाने से वातावरण में ठंडक बनी रहती है। ये पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद है। - गुलाब के फूल की खुशबू (महक) से घर का वातावरण भी शुद्ध रहता है। - गुलाब के फूल की पत्तियों को खाने के उपयोग में लिया जा सकता है। - गुलाब के साथ-साथ अन्य फूलों से भी बालकनी की रौनक बढ़ती है। ------- लोकेन्द्र नरवार
पारंपरिक खेती की जगह इस फूल की खेती किसानों को कर सकता है मालामाल

पारंपरिक खेती की जगह इस फूल की खेती किसानों को कर सकता है मालामाल

हाल के दिनों में आपको देखने को मिलता होगा कि पारंपरिक खेती से किसान अपना रुख बदल रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक खेती में किसानों को लागत के अनुसार मुनाफा नहीं मिल पा रहा है। 

विगत कुछ दिनों में आपको ये भी देखने को मिल रहा होगा कि किसान फूलों की खेती की तरफ अपना रुझान दे रहे हैं, क्योंकि उनको ऐसा लगता है कि फूलों की खेती में पारंपरिक खेती से ज्यादा मुनाफा मिल सकता है। 

इसके अलावा भी फूलों की खेती करने के पीछे किसानों की मंशा ये भी है कि आए दिन फूलों की मांग पूरे देश में काफी बढ़ गयी है। गौरतलब हो कि पूरे भारत में लगभग 2 लाख मैट्रिक टन फूल का उत्पादन किया जाता है।

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फूलों में भी आजकल जिस फूल की खेती सबसे ज्यादा की जा रही है वो है गुलाब (Gulab; Rose)। गुलाब को फूलों का राजा कहा जाता है, आपको बता दें कि इसका कारण यह नहीं है की सिर्फ इसको सजावट के लिए प्रयोग करते हैं। 

अपितु इसका बहुत सारा औषधीय प्रयोग भी है, जैसे कि गुलाब जल, गुलाब इत्र आदि। आपको यह जान कर भी हैरानी होगी कि किसान इस फूल को एक बार लगा कर इससे लगभग 10 साल तक फूलों का उत्पादन कर पैसा कमा सकते हैं।

आपको बताते चलें कि गुलाब की खेती के लिए किसान को किसी खास तरह की मिट्टी की बाध्यता नहीं है। किसान इसे किसी भी तरह के मिट्टी में उपजा कर अच्छा मुनाफा कमा सकता है। 

लेकिन अगर किसान बलुई या दोमट मिट्टी का प्रयोग करते हैं, तो फसल और भी अच्छी होगी। लेकिन अगर मिट्टी की उपज अच्छी हो या फिर इसमें जीवांश की मात्रा अधिक हो तो उपज और भी अच्छी होती है। लेकिन किसान एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि इस मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए।

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अगर बात करें गुलाब के खेती के लिए जलवायु का तो इसके लिए जलवायु समशीतोष्ण किस्म का होना चाहिए। किसानों को यह भी ध्यान रखना होगा कि गुलाब की खेती के लिए गर्म जलवायु काफी नुकसानदेह हो सकता है, 

जिससे किसानों को नुकसान भी हो सकता है। आपको बता दें कि किसानों को गुलाब की खेती के लिए 25 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान से नीचे का तापमान अच्छी उपज दे सकता है। 

गौरतलब हो की पूरे भारत में गुलाब के किस्म की बात करें तो लगभग 20 हजार से ज्यादा है। लेकिन जिस किस्म का प्रयोग किसान आमतौर पर करते हैं, उनमें मोहनी, प्रेमा, डेलही प्रिंसेज नूरजहां आदि शामिल हैं।

खूब गुलाब बेच रहे किसान, वेलेंटाइन पर कमा रहे भारी मुनाफा

खूब गुलाब बेच रहे किसान, वेलेंटाइन पर कमा रहे भारी मुनाफा

वेलेंटाइन वीक शुरू हो चुका है. अब ऐसे में जहां एक तरफ युवाओं के सिर पर प्यार का खुमार चढ़ा हुआ है, वहीं दूसरी तरफ किसान भी इसका जमकर फायदा उठा रहे हैं और खूब सारा मुनाफा कमा रहे हैं. आमतौर पर वेलेंटाइन वीक को गुलाबों का त्यौहार भी कह सकते हैं. जिस वजह से इसका बाज़ार भी तेजी पकड़े हुए है. हालांकि सर्दी और पाले की वजह से किसानों की फसलों का काफी नुकसान हुआ है, जिस कारण आवक में कमी और कीमतों में बढ़ोतरी हो गयी है. देखा जाए तो इस वक्त बाजार में गुलाब अपनी कीमत से चार गुना ज्यादा दामों पर बेचा जा रहा है. वेलेंटाइन में गुलाब किसानों की कमाई का एक बढ़िया जरिया बना हुआ है. मार्केट में एकदम से गुलाब की डिमांड बढ़ गयी है. जिसका सीधा फायदा फूलों की खेती करने वाले किसानों को हो रहा है. इतना ही नहीं देश की अलग-अलग मंडियों की बात करें तो गुलाब की कीमतें आसमान पर हैं. 10 से 15 रुपये में मिलने वाला गुलाब इस समय बाजार में कम से कम 100 से 150 रुपये में बिक रहा है. जिसकी वजह से किसानों की खूब बल्ले-बल्ले हो रही है.

गाजीपुर में आसमान छू रहे फूलों के दाम

वेलेंटाइन वीक के शुरू होते ही गाजीपुर में भी गुलाब के दामों ने आसमान छू लिया. इस वीक के पहले ही दिन से गुलाब की कीमत 50 रुपए तक हो गयी. ऐसे में किसान को भी इसका खूब फायदा हो रहा है. सिर्फ गुलाब ही नहीं बल्कि अन्य फूलों की कीमत भी लोगों से खूब वसूली जा रही है. किसानों की मानें तो जब आवक ज्यादा होता है और बिक्री कम होती है तो कीमतें भी कम हो जाती हैं. लेकिन कम आवक और ज्यादा डिमांड होने की वजह से कीमतों में भी बढ़ोतरी कर दी जाती है. ये भी देखें: पारंपरिक खेती की जगह इस फूल की खेती किसानों को कर सकता है मालामाल

क्या है किसानों को अनुदान

वेलेंटाइन वीक गुलाब के अलावा जरबेरा के फूलों की भी जबरदस्त डिमांड होती है. जो प्रेमी जोड़ों की पहली पसंद भी है. इन दिनों किसान जरबेरा की ऊटी वैरायटी बाजार में बेच रहा है. एक एकड़ में जरबेरा की खेती लगभग 50 लाख की होती है. लेकिन बागवानी विभाग से इसे लेकर सब्सिडी भी जाती है. जिसके बाद इसकी लागत काफी कम हो जाती है. जानकारी के लिए बता दें कि तेलंगाना में सबसे ज्यादा जरबेरा की खेती की जाती है. वेलेंटाइन वीक ना सिर्फ कपल्स के लिए बल्कि किसानों के लिए भी खूब मुनाफेदार साबित हो रहा है. इस सीजन में गुलाबों का यह व्यापार किसानों के लिए सबसे ज्यादा फायदेमंद हो रहा है.
इस राज्य के गुलाब उत्पादक किसान ने गुलाब की खेती कर मिशाल पेश की है

इस राज्य के गुलाब उत्पादक किसान ने गुलाब की खेती कर मिशाल पेश की है

आज हम आपको इस लेख में एक सफल फूल उत्पादक किसान के बारे में बताने जा रहे हैं। जो कि प्रतिमाह 80 किलो तक गुलाब के फूल की पैदावार कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि वह गुलाब के फूल की स्वयं ही बाजार में आपूर्ति करते हैं। सामान्य तौर पर जब हम हरियाणा का नाम सुनते हैं, तो सबसे पहले हमारे मन में धान और गेंहू की खेती का नाम सामने आता है। लोगों का ऐसा मनना है, कि हरियाणा में किसान केवल धान और गेंहू की ही खेती किया करते हैं। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। देश के अन्य राज्यों की ही भांति हरियाणा में भी किसान बागवानी फसलों का उत्पादन किया करते हैं। इससे किसान भाइयों की अच्छी-खासी कमाई हो जाती है। विशेष बात यह है, कि बागवानी फसलों पर राज्य सरकार के स्तर से किसान भाइयों को अनुदान दिया जाता है। हरियाणा के फूल उत्पादक किसान राजेश कुमार ने गुलाब की खेती करके अन्य लोगों के लिए नजीर पेश की है।

राजेश ने 6 कनाल में गुलाब की खेती कर रखी है

किसान तक के मुताबिक, इस किसान का नाम राजेश कुमार है। जो कि हिसार जनपद के हिदवान गांव के निवासी हैं। दरअसल, पहले राजेश सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी किया करते थे। परंतु, इसके बावजूद भी उनके घर में आर्थिक समस्या बनी रहती थी। ऐसी स्थिति में उनको एक माली ने गुलाब की खेती करने की राय दी। इसके उपरांत राजेश ने सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी छोड़ दी। वह हिदवान गांव में आकर अपनी पुश्तैनी जमीन पर जैविक विधि से गुलाब की खेती करने लगे। वर्तमान में राजेश ने 6 कनाल में गुलाब की खेती कर रखी है। इससे वह प्रतिमाह 80 किलो तक गुलाब के फूल उत्पादित कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि वह गुलाब के फूल को स्वयं ही बाजार में सप्लाई करते हैं।

राजेश कुमार प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं

साथ ही, अपने खेत में उत्पादित किए गए गुलाब के फूल द्वारा गुलकंद, शरबत और गुलाब जल भी तैयार करते हैं। इन उत्पादों को वह और उनकी पत्नी मिलकर स्वयं ही घर-घर जाकर बेचते हैं। राजेश ने बताया है, कि गुलाब की खेती से वह प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये की आमदनी कर रहे हैं। विशेष बात यह है, कि अब वह अन्य किसानों को भी जैविक विधि से गुलाब के फूलों की खेती करने का प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं। उनको देखकर फिलहाल 40 किसानों ने गुलाब की खेती चालू कर दी है। इससे समस्त किसान भाइयों को काफी ज्यादा लाभ हो रहा है। ये भी देखें: गमले में कैसे उगाएं गुलाब के खूबसूरत फूल

किसान राजेश खाद के तौर पर सदैव गोबर का ही उपयोग करते हैं

किसान राजेश कुमार ने बताया है, कि उनके खेत में उत्पादित किए गए गुलाब के फूल एवं उससे निर्मित किए गए उत्पादों की मांग बाजार में आहिस्ते-आहिस्ते बढ़ती जा रही है। उनका कहना है, कि अपने खेत में वह खाद के तौर पर सदैव गोबर का ही उपयोग किया करते हैं। वह अपने उत्पाद को भिवानी, बहादुरगढ़, पंचकूला, सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, चंडीगढ़, मोहाली, अंबाला और रोहतक में जाकर स्वयं ही सप्लाई करते हैं। राजेश कुमार के मुताबिक, किसान राजेश और उनकी पत्नी दोनों एकसाथ मिलकर प्रतिदिन सुबह गुलाब के फूलों को तोड़ने के बाद बेचने के लिए बाजार लेकर जाते हैं।
इस राज्य में गुलाब की खेती से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहा किसान

इस राज्य में गुलाब की खेती से सालाना लाखों का मुनाफा कमा रहा किसान

आज हम आपको एक सफल फूल उत्पादक किसान के बारे में बताने वाले हैं। जो कि गुलाब की खेती करके अच्छी-खासी आमदनी कर रहा है। बतादें, कि महाराष्ट्र के लातूर जनपद में काफी बड़ी संख्या में किसान गुलाब की खेती कर रहे हैं। इन किसानों में से ही एक किसान हैं बाबूराव शामराव सुरवसे। यह पहले पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे। लेकिन, पारंपरिक फसलों की खेती करने से किसान बाबूराम शामराव सुरवसे को अच्छी आय अर्जित नहीं हो पा रही थी। इस वजह से उन्होंने बागवानी की तरफ अपना रुख करके गुलाब की खेती करना शुरू किया।

महाराष्ट्र में बागवानी फसलों के रकबे में काफी वृद्धि हुई है

अधिकांश लोगों की यह धारणा है, कि महाराष्ट्र में किसान केवल गन्ना, कपास, प्याज और
सोयाबीन की ही खेती करते हैं। परंतु, इस प्रकार की कोई बात नहीं है। वर्तमान में यहां पर किसान बाकी राज्यों की भांति बागवानी में भी रुची दिखा रहे हैं। महाराष्ट्र में काफी बड़ी तादात में किसान केला, हरी सब्जी, आम और अमरूद की खेती कर रहे हैं। हालाँकि, विशेष बात यह है कि वर्तमान में बहुत सारे किसानों ने तो फूलों की खेती भी चालू कर दी है, जिससे उन्हें काफी अच्छी कमाई हो रही है। खबरों के अनुसार किसानों ने सरकार की सलाह पर आधुनिक विधि से फूलों की खेती शुरू की है।

पारंपरिक फसलों की जगह शुरू की गुलाब की खेती

मीडिया खबरों के मुताबिक, महाराष्ट्र के लातूर जनपद में बड़ी संख्या में किसान गुलाब का उत्पादन कर रहे हैं। बाबूराव शामराव सुरवसे भी इन्ही किसानों में से एक हैं। इन्होंने पहले पारंपरिक फसलों की खेती की जिसमें प्राकृतिक आपदाओं के की वजह से उनको प्रति वर्ष नुकसान वहन करना पड़ता था। अब ऐसी स्थिति में उन्होंनें 9 एकड़ भूमि में गुलाब की खेती चालू कर दी। इसकी खेती आरंभ करते ही बाबूराव शामराव सुरवसे की तकदीर पूर्णतय बदल गई। अब वह साढ़े 3 लाख रुपये सालाना शुद्ध मुनाफा उठा रहे हैं। यह भी पढ़ें: इस राज्य के गुलाब उत्पादक किसान ने गुलाब की खेती कर मिशाल पेश की है

बाबूराव शामराव सुरवसे से गुलाब की खेती सीखने आ रहे अन्य किसान

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि वर्तमान में बाबूराव शामराव सुरवसे से गांव के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा के स्त्रोत बन चुके हैं। दरअसल, अब उनके पास गांव व आसपास के इलाकों से लोग गुलाब की खेती करने के गुर सीख रहे हैं। बाबूराव शामराव सुरवसे का कहना है, कि उन्होंने 9 एकड़ भूमि पर गुलाब की खेती की है। इसके लिए उन्हें 35 हजार रुपये का खर्चा करना पड़ा है। परंतु, फिलहाल वह फूल विक्रय करके खर्च निकाल कर प्रतिदिन एक हजार रुपये का मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। इस प्रकार बाबूराम एक वर्ष में लगभग साढ़े तीन लाख रुपये से ज्यादा की आय कर रहे हैं।

हरियाणा का राजेश भी फूल की खेती से उठा रहा लाखों का मुनाफा

बतादें, कि विभिन्न राज्यों में फूल की खेती करने पर किसानों को बढ़ावा दिया जा रहा है। विगत माह इसी प्रकार की एक खबर हरियाणा में सामने आई थी। जहां पर एक किसान गुलाब की खेती से अमीर हो गया। जानकरी के लिए बतादें, कि हरियाणा के उस किसान का नाम राजेश कुमार है। जो कि पहले गार्ड की नौकरी किया करता था। परंतु, इससे उसके घर का भरण पोषण भी ठीक से नहीं हो पा रहा था। इस वजह से राजेश ने गुलाब की खेती करना शुरू किया था। वर्तमान में राजेश साल में 5 लाख रुपये तक की आमदनी कर रहे हैं।