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आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

आलू प्याज भंडारण गृह खोलने के लिए इस राज्य में दी जा रही बंपर छूट

राजस्थान राज्य के 10,000 किसानों को प्याज की भंडारण इकाई हेतु 50% प्रतिशत अनुदान मतलब 87,500 रुपये के अनुदान का प्रावधान किया गया है। बतादें, कि राज्य में 2,500 प्याज भंडारण इकाई शुरू करने की योजना है। फसलों का समुचित ढंग से भंडारण उतना ही जरूरी है। जितना सही तरीके से उत्पादन करना। क्योंकि बहुत बार फसल कटाई के उपरांत खेतों में पड़ी-पड़ी ही सड़ जाती है। इससे कृषकों को काफी हानि वहन करनी होती है। इस वजह से किसान भाइयों को फसलों की कटाई के उपरांत समुचित प्रबंधन हेतु शीघ्र भंडार गृहों में रवाना कर दिया जाए। हालांकि, यह भंडार घर गांव के आसपास ही निर्मित किए जाते हैं। जहां किसान भाइयों को अपनी फसल का संरक्षण और देखभाल हेतु कुछ भुगतान करना पड़ता है। परंतु, किसान चाहें तो स्वयं के गांव में खुद की भंडारण इकाई भी चालू कर सकते हैं। भंडारण इकाई हेतु सरकार 50% प्रतिशत अनुदान भी प्रदान कर रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि राजस्थान सरकार द्वारा प्याज भंडारण हेतु नई योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत प्रदेश के 10,000 किसानों को 2,550 भंडारण इकाई चालू करने हेतु 87.50 करोड़ रुपए की सब्सिड़ी दी जाएगी।

भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए इतना अनुदान मिलेगा

मीडिया खबरों के मुताबिक, किसानों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत प्याज के भंडारण हेतु सहायतानुदान मुहैय्या कराया जाएगा। इसमें प्याज की भंडारण संरचनाओं को बनाने के लिए प्रति यूनिट 1.75 लाख का खर्चा निर्धारित किया गया है। इसी खर्चे पर लाभार्थी किसानों को 50% फीसद अनुदान प्रदान किया जाएगा। देश का कोई भी किसान अधिकतम 87,500 रुपये का फायदा हांसिल कर सकता है। ज्यादा जानकारी हेतु निजी जनपद में कृषि विभाग के कार्यालय अथवा राज किसान पोर्टल पर भी विजिट कर सकते हैं। ये भी पढ़े: Onion Price: प्याज के सरकारी आंकड़ों से किसान और व्यापारी के छलके आंसू, फायदे में क्रेता

किस योजना के अंतर्गत मिलेगा लाभ

राजस्थान सरकार द्वारा प्रदेश के कृषि बजट 2023-24 के अंतर्गत प्याज की भंडारण इकाइयों पर किसानों को सब्सिड़ी देने की घोषणा की है। इस कार्य हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत 1450 भंडारण इकाइयों हेतु 12.25 करोड रुपये मिलाके 34.12 करोड रुपये व्यय करने जा रही है। इसके अतिरिक्त 6100 भंडारण इकाईयों हेतु कृषक कल्याण कोष द्वारा 53.37 करोड़ रुपये के खर्च का प्रावधान है। ये भी पढ़े: भंडारण की परेशानी से मिलेगा छुटकारा, प्री कूलिंग यूनिट के लिए 18 लाख रुपये देगी सरकार

प्याज की भंडारण इकाई बनाने की क्या जरूरत है

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इन दिनों जलवायु परिवर्तन से फसलों में बेहद हानि देखने को मिली है। तीव्र बारिश और आंधी के चलते से खेत में खड़ी और कटी हुई फसलें तकरीबन नष्ट हो गई। अब ऐसी स्थिति में सर्वाधिक भंडारण इकाईयों की कमी महसूस होती है। यह भंडारण इकाईयां किसानों की उत्पादन को हानि होने से सुरक्षा करती है। बहुत बार भंडारण इकाइयों की सहायता से किसानों को उत्पादन के अच्छे भाव भी प्राप्त हो जाते हैं। यहां किसान उत्पादन के सस्ता होने पर भंडारण कर सकते हैं। साथ ही, जब बाजार में प्याज के भावों में वृद्धि हो जाए, तब भंडार गृहों से निकाल बेचकर अच्छी आय कर सकते हैं।
अत्यधिक गर्मी से खराब हो रहे हैं आलू और प्याज, तो अपनाएं ये तरीके आज

अत्यधिक गर्मी से खराब हो रहे हैं आलू और प्याज, तो अपनाएं ये तरीके आज

नई दिल्ली। चिलचिलाती धूप और उमस भरी तेज गर्मी से आम जनमानस परेशान हैं। गर्मी से जीव-जन्तु भी व्याकुल हो रहे हैं। ऐसे में अगर अत्यधिक गर्मी के कारण आपके आलू या प्याज खराब हो रहे हैं, तो आप इन आसान तरीकों को अपनाएं और अपने आलू व प्याज को गलन व सड़न से बचाएं।

प्रति वर्ष खराब होता है १२%आलू और १०% प्याज

  • जानकारों की मानें तो कोल्ड स्टोरेज में रखने के बावजूद भी प्रतिवर्ष, १२ फीसदी आलू और १० फीसदी प्याज गलने व सड़ने से खराब हो जाती है। आलू व प्याज के भाव में गिरावट होने पर यह आंकड़ा और भी बढ़ जाता है, जिससे सीधे तौर पर किसानों का नुकसान होता है।


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अत्यधिक गर्मी में अपनाएं ये तरीके आज, बचा लें अपने आलू और प्याज :

★आलू और प्याज को एक साथ स्टोर न करें

  • आलू और प्याज में अलग-अलग तरह की गंध होती है। हल्की सी तापमान में भी दोनों एक-दूसरे को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देते हैं। इसीलिए कभी भी आलू और प्याज को एक साथ स्टोर नहीं करना चाहिए।

★भीगे हुए आलू और प्याज की सफाई

  • आलू हो या प्याज, अगर आपने भीगे हुए आलू-प्याज को स्टोर में रख दिया, तो इनमें बहुत ही जल्दी गलन शुरू हो जाएगी, जो काफी नुकसानदायक है। भीगे हुए आलू और प्याज को अच्छे सूती कपड़े से साफ करें, फिर सूखा के स्टोर करें।


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★आलू और प्याज को हवादार जगह रखें

  • प्याज को जालीदार बाँस की खुली टोकरी या ऐसी जगह रखें जो हवादार हो, तो इनमें फफूंदी लगने की सम्भावना कम हो जाती है। प्लास्टिक की थैलियों के उपयोग से बचें, क्यूंकि वेंटिलेशन के अभाव में प्याज़ जल्दी खराब हो सकते हैं। आवश्यकता के अनुसार इनके बीच वेंटिलेशन रखनी चाहिए।

★कागज में रखना ज्यादा कारगर

  • आलू और प्याज को कागज के लिफाफे में रखकर स्टोर करना चाहिए। ऐसा करने से दोनों ही सब्जियां अधिक समय तक खराब नहीं होतीं हैं। अंधेरा और ठंडी जगह इनके लिए सबसे उत्तम स्थान होता है।
------ लोकेन्द्र नरवार
प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात, मिल रहा है 50 फीसदी अनुदान

देश में फसल उत्पादन के बाद उसे सुरक्षित भंडारण की बहुत बड़ी समस्या है। इस समस्या के कारण भारी मात्रा में फसल खराब हो जाती है। 

सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए किसानों को सुरक्षित भंडारण के लिए प्रोत्साहित किया और उसके लिए एक योजना बनायी है। इस योजना के तहत सरकार ने किसानों को प्याज के भंडार गृह बनाने के लिए 50 प्रतिशत अनुदान यानी सब्सिडी देने की योजना चलायी है। 

इस बारे में जानकारी जुटाकर किसान भाई लाभ उठा सकते हैं। आइये जानते हैं कि किसान भाई किस प्रकार इस योजना का लाभ उठा सकते हैं।

प्याज भंडार गृह न होने से होता है किसानों का नुकसान

हमारे देश के महाराष्ट्र के नासिक और राजस्थान के अलवर जिले में सबसे अच्छी प्याज उगाई जाती है। इसकी पैदावार भी अच्छी होती है लेकिन उचित भंडारण के कारण किसान भाई अपनी फसल को सुरक्षित नहीं रख पाते हैं। 

इसलिये अधिकांश किसान भाई अपनी फसल को औने-पौने दामों में ही बेच डालते हैं। इससे उनकी आमदनी पर काफी असर पड़ता है। इसके अलावा जिस किसान की फसल भंडारण के कारण खराब हो जाती है वो दुबारा प्याज की पैदावार नहीं करता है।

सरकार ने किसानों से मांगे आवेदन पत्र

इस समस्या को देखते हुए मध्य प्रदेश की सरकार ने अपने किसानों को उनकी प्याज की फसल के उचित मूल्य दिलाने के लिए प्याज के भंडार गृह बनाने में 50 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की है।  

मध्य प्रदेश सरकार के उद्यानिकी विभाग ने राज्य के चयनित जिलों से किसानों से प्याज भंडार गृह के निर्माण हेतु आवेदन पत्र मांगे हैं।

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सब्सिडी पाने के लिए कुछ आवश्यक नियम

मध्य प्रदेश सरकार की ओर से जारी इस योजना में राज्य के किसानों के लिए कुछ शर्तें भी रखी गयीं हैं। इन शर्तों को पूरा करने वाले किसान को ही सब्सिडी का लाभ मिल सकता है। आइये जानते हैं कौन-कौन सी हैं शतैं:-

  1. आवेदन करने वाले किसान को कम से कम 2 हेक्टेयर भूमि में प्याज का उत्पादन करना आवश्यक है। इसके साथ ही खेत में बनाये गये इस भंडार का उपयोग प्याज के अलावा किसी दूसरी वस्तु के लिये नहीं किया जायेगा।
  2. प्याज भंडार गृह का निर्माण सरकार द्वारा अधिसूचित संस्थान एनएचआरडीएफ की डिजाईन के अनुसार व निर्धारित मानकों के अनुरूप होना चाहिये। साथ ही आशय पत्र जारी होने के अधिकतम छह माह के भीतर प्याज भंडार गृह का निर्माण कार्य पूरा हो जाना चाहिये।
  3. प्याज भंडारण की क्षमता 50 मीट्रिक टन तक होगी।
  4. आवेदक पूर्व में किसी अन्य योजना में प्याज भंडार गृह के अंतर्गत लाभ न ले रहा हो।
  5. योजना की निष्पक्षता के लिए सरकान ने आदेश दिये हैं कि चयनित जिले के उप/सहायक संचालक उद्यान विभाग द्वारा लाभार्थी किसानों की अनुदान स्वीकृति सूची विभागीय वेबसाइट http://mphorticulture.gov.in/ पर उपलब्ध करायी जायेगी।
  6. प्याज भंडार के निर्माण के समय योजना को लागू करने के लिए ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी और वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी समय समय पर भंडार गृह का निरीक्षण करेंगे तथा जरूरत पड़ने पर किसानों को तकनीकी सलाह भी देंगे।
  7. किसान ने इस निर्माण के संबंध में परामर्शीय सेवा देने के उपरांत जियो टेगिंग की कार्यवाही भी करेंगे लेकिन इस कार्यवाही के दौरान लाभार्थी किसान का उपस्थित होना अनिवाय है।
  8. उद्यान विभाग के संभागीय संयुक्त संचालक भी प्याज भंडार गृह के दस प्रतिशत हिस्से का निरीक्षण कर सत्यापन करेंगे और इसकी रिपोर्ट भी तैयार करेंगे।
प्याज़ भंडारण को लेकर सरकार लाई सौगात

कौन आवेदन कर सकता है

सरकार ने अपनी योजना के पहले चरण में कुछ ही जिलों का चयन किया है। सरकार द्वारा चयनित जिलों के अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसान ही अभी आवेदन कर पाऐंगे। 

इसके अलावा सामान्य या पिछड़े वर्ग के किसान अभी आवेदन नहीं कर सकते हैं। योजना के अगले चरण में अन्य वर्ग के किसानों के आवेदन पर विचार किया जायेगा।

कैसे मिलेगा सब्सिडी का लाभ

सरकार ने यह नियम बनाया है कि कृषकों द्वारा बनाये गये प्याज भंडार गृह का पूरी तरह से भौतिक सत्यापन किया जायेगा। यह जांच पड़ताल जिले के उप/ सहायक संचालक उद्यान विभाग की अध्यक्षता में बनी तीन सदस्यीय समिति करेगी।  

इस समिति के मूल्यांकन और भौतिक सत्यापन  के बाद जो सिफारिश की जायेगी उसके आधार पर किसान को अनुदान की राशि का भुगतान एमपी एगो द्वारा डी.बी.टी . के जरिये किया जायेगा। जो किसानों के बैंक खातों में सीधा जायेगा।

सब्सिडी के लिए किसान भाई कहां करें आवेदन

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा घोषित प्याज भंडारण की योजना का लाभ राज्य का उद्यानिकी विभाग  उपलब्ध करायेगा। इसलिये  आवेदन करने वाले इच्छुक किसान भाई अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन उद्यानिकी विभाग की वेबसाइट https://mpfsts.mp.gov.in/ पर कर सकते हैं। 

इस आवेदन को राज्य के उद्यान विभाग के अधिकारियों द्वारा 15 दिन में स्वीकृति दी जायेगी। अधिकारियों द्वारा यदि कोई कमी नहीं बताई गयी तो लाभार्थी का चयन पूर्ण माना जायेगा।

कितने रुपये तक की मिल सकती है सब्सिडी

प्याज भंडार गृह निर्माण पर सब्सिडी की योजना मध्य प्रदेश सरकार की पोषित योजना है। इसलिये किसानों को इस योजना के तहत सब्सिडी देने की जिम्मेदारी राज्य के उद्यानिकी विभाग की है।  

इस योजना के तहत लाभार्थी किसानों को प्याज भंडार गृह के निर्माण पर 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है। 

मध्य प्रदेश राज्य के उद्यानिकी विभाग की ओर से प्याज के 50 मीट्रिक टन की भंडारण क्षमता वाले भंडार के निर्माण के लिए अधिकतम 3.5 लाख रुपये निर्धारित की गयी है। इसमें किसानों को लागत का अधिकतम 1.75 लाख रुपये की सब्सिडी दी जायेगी। प्याज़ भंडारण योजना से कितना होगा लाभ

आवेदन के लिए बिलकुल देरी न करें किसान भाई

मध्य प्रदेश सरकार की प्याज भंडार गृह निर्माण की सब्सिडी योजना का लाभ उठाने के लिए किसान भाई कतई देर न करें और इसके लिए आवेदन 23 सितम्बर सुबह 11 बजे से करें क्योंकि यह योजना पहले आओ पहले पाओ पर आधारित है। 

आवेदकों की संख्या सरकार द्वारा जिले को दिये गये लक्ष्य के अनुसार होगी। हालांकि सरकार ने जिले के उप व सह संचालक उद्यान विभाग को लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक आवेदन लेने को कहा है।

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प्याज भंडार गृह के लिए निर्धारित लक्ष्य

राज्य के एक पोर्टल द्वारा जारी किये गये लक्ष्य की सूचना के अनुसार अभी केवल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के किसानों को ही आवेदन करने की यह सुविधा दी गयी है। 

इस योजना में अनुसूचित जाति के कुल 351 किसानों के आवेदन का लक्ष्य जारी किया गया है। वहीं अनुसूचित जनजाति के लिए लक्ष्य 267 आवेदकों का रखा गया है। इस लक्ष्य के अनुसार अनुसूचित जाति के 188 किसानों और अनुसूचित जनजाति के 266 किसानों को इस योजना का लाभ दिया जा सकता है। 

इसके साथ ही जो किसान भाई इस बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो वे राज्य सरकार की वेबसाइट https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/new-application पर जाकर विवरण जानें।  

इसके अलावा किसान भाई राज्य के उद्यानिकी विभाग व खाद्य विभाग प्रसंस्करण विभाग पर भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही विकास खंड स्तर पर कार्यालय में भी संपर्क करके पूरी जानकारी पायी जा सकती है।

सरकारी योजना से कितना होगा लाभ

राज्य सरकार के लक्ष्य के बारे में एक पोर्टल द्वारा दी जा रही सूचना के अनुसार कम से कम 454 किसानों को लाभ प्राप्त होगा। यदि इस योजना से लाभ प्राप्त करने वालें लाभार्थी किसानों की संख्या औसत रही तो इस योजना के विस्तार के बारे में भी विचार किया जा सकता है।

किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)

किसान रेल योजना (Kisan Rail info in Hindi)

भारत सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने और कृषि उत्पादों, खासतौर से जल्दी खराब होने वाली उपज को सस्ते दरों पर, दूसरे राज्यों तक पहुँचाने के लिए परिवहन सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से किसान रेल योजना (Kisan Rail) चलाई है. किसान रेल की घोषणा वित्त मंत्री ने वित्त वर्ष २०२०-२१ के केंद्रीय बजट में की थी. वित्त मंत्री ने नेशनल कोल्ड सप्लाई चेन (National Cold Supply Chain) बनाने की घोषणा की थी और कहा था कि भारतीय रेलवे (Indian Railways) एक किसान रेल की शुरुआत करेगा. इस एकीकृत शीत-श्रृंखला को बढ़ावा देने और विकसित करने के लिए नेशनल सेंटर फॉर कोल्ड चेन डेवलपमेंट (National Center for Cold-Chain Development (NCCD)) की स्थापना की गई।

हालांकि एयरकंडिशन की सुविधा के साथ फल और सब्जियों को लाने ले जाने की सुविधा का प्रस्ताव पहली बार २००९-१० के बजट में तत्कालीन रेल मंत्री ममता बनर्जी ने किया था, लेकिन तब शुरुआत नहीं हो सकी थी. ७अगस्त २०२० को पहली बार भारतीय रेलवे ने किसान रेल सेवा शुरू की. पहली किसान रेल महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच चलाई गई थी. इस ट्रेन से जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों जैसे दूध, मांस, मछली, फल और सब्जियों को नासिक रोड, मनमाड, जलगांव, भुसावल, बुरहानपुर, खंडवा, इटारसी, जबलपुर, सतना, कटनी, मानिकपुर, प्रयागराज, पंडित दीन दायल उपाध्याय नगर, बक्सर और दानापुर तक पहुंचाया गया था.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा इस ट्रेन को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और केंद्रीय रेल व वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल नें हरी झंडी दिखाई थी. किसान रेल पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल पर संचालित किया जा रहा है. किसान रेल के जरिए सामान ढुलाई में करीब ५० फीसदी तक की सब्सिडी भी दी जाती है.

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने १००वीं किसान रेल को हरी झंडी दीखाई थी. उस मौके पर उन्होंने कहा था कि “किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है. इससे देश के 80 फीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बड़ी शक्ति मिली है. कोल्ड स्टोरेज चेन के लिए भी यह मजबूती देने वाला कदम साबित होगा. किसी किसान के लिए कोई सीमा तय नहीं है. उत्पाद कम हो या ज्यादा, सब सही समय पर पहुंच सकेगा. महज ३ किलो अनार का पैकेट भी ट्रेन से भेजे गए. मुर्गी के १७ दर्जन अंडे भी इससे भेजे गए हैं. किसान रेल के जरिए छोटे किसानों को भी बड़ा बाजार दिया जा रहा है. पहले किसान रेल साप्ताहिक थी, लेकिन अब इस ट्रेन को सप्ताह में ३ दिन चलाया जा रहा है. बेहद कम समय में १००वीं किसान रेल चलना ये साफ करता है कि इससे किसानों को फायदा हो रहा है.’’

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अब तक १४०० से भी ज्यादा किसान रेलगाड़ियाँ चलाई जा चुकी हैं. ३ फ़रवरी '२०२२ को १०००वीं किसान रेल महाराष्ट्र के सादवा से दिल्ली के आदर्शनगर तक चलाई गयी थी, जिसके १८ पार्सल वैन सहित २३ डब्बे थे और इस रेलगाड़ी से ४५३ टन केला गंतव्य तक पहुँचाया गया था. अब तक १४ से ज्यादा राज्यों में किसान रेल चलाई जा रही है. किसानों को किसान रेल योजना से बहुत लाभ है.

  kisan rail 1000th trip flag off ceremony


मिलती हैं किसान रेल के भाड़े में सब्सिडी

खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्रालय की तरफ से किसान रेल से फलों और सब्जियों के ट्रांसपोर्टेशन के माल भाड़ा पर वसूले जाने वाले टैरिफ पर ५०% की सब्सिडी दी जाती है. किसानों को यह सब्सिडी राशि तुरंत मिल जाती है, जिससे फसल के यातायात का खर्च आधा हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर सड़क मार्ग से ट्रांसपोर्टेशन लागत ७-८ रुपये प्रति किलोग्राम है, तो किसान ट्रेन के जरिए यह लागत २.८२ रुपये ही बैठती है. सड़क मार्ग की अपेक्षा इसका भाड़ा बहुत ही कम है, जिससे किसानों को अपना उत्पाद दुसरे जगह पर सुगमता से पहुँचाने का अवसर मिल रहा है.

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किसान रेल में कोल्ड-स्टोरेज की है सुविधा

कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) की सुविधा से संपन्न होती है किसान रेल, जिसके कारण जल्दी ख़राब होने वाले कृषि उत्पाद जैसे फल, सब्जियां, मछलियां और एसे दुसरे उत्पादों की गुणवत्ता बनी रहती है, वे ख़राब नहीं होते. सही समय पर मंडियों में पहुँच जाती हैं और उचित मूल्य भी मिल जाता है. किसान ट्रेन का परिचालन बिल्कुल सही समय से किया जाता है.

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किसान रेल से इन फसलों की होती है धुलाई

सब्जियों में शिमला मिर्च, केला, आलू, टमाटर, मिर्च, अदरक, लहसुन, प्याज, फूलगोभी, कीवी, वहीं फलों में संतरा, सेब, खरबूजे, अमरूद, पपीता, अनार, अंगूर को भेज सकते हैं. इसके अतिरिक्त फूल, डेयरी उत्पाद, अंडे और मछलियां भी किसान रेल द्वारा दुसरे जगहों पर भेजे जा सकते हैं. देश के कई राज्यों से भारी संख्या में किसान इसका फायदा ले रहे हैं.

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

कोल्ड स्टोरेज योजना में सरकारी सहायता पच्चास प्रतिशत तक

हर साल भण्डारण की सुविधा नहीं होने के कारण किसानों के लाखों करोड़ों का कृषि उत्पाद नष्ट हो जाता है. किसानों को ही इसका खामियाजा उठाना पड़ता है और काफी आर्थिक क्षति होती है. विगत वर्ष देश के कई क्षेत्रों में किसानों को फल सब्जियां औने पौने दाम में बेचना पड़ा और कई जगहों पर प्याज, टमाटर सहित अन्य फल और सब्जियों को नाले और कूड़े पर फेंकते देखा गया था. इस बर्बादी को बचाने और किसानों के कृषि उत्पाद के सही ढंग से भण्डारण के लिए केंद्र सरकार एक योजना लाई है, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ाई जा सके. इस योजना का नाम है एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of Horticulture (MIDH)).

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज अनुदान

एकीकृत बागवानी विकास मिशन के तहत कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) खोलने के लिए सरकार किसानों को 50 फीसदी अनुदान देती है. कृषि व किसान कल्याण विभाग, बागवानी के एकीकृत विकास मिशन (एमआईडीएच) के माध्यम से कोल्ड स्टोरेज की स्थापना सहित विभिन्न बागवानी के कार्यों के लिए सरकार की ओर से वित्तीय सहायता दी जाती है.

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कोल्ड स्टोरेज के लिए सब्सिडी

किसानों में यह भ्रम होता है की कोल्ड स्टोरेज के लिए सरकार लोन देती है. लेकिन यहाँ स्पष्ट करना जरूरी है की सरकार कोल्ड स्टोरेज के लिए कोइ लोन नहीं देती है. इसके लिए क्रेडिट लिंक्ड बैक एंडेड सब्सिडी (Credit Linked Back Ended Subsidy) दी जाती है. इस सब्सिडी में भी क्षेत्रवार अंतर होता है. मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए सब्सिडी में भिन्नता होती है. मैदानी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 35 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है, जबकि पहाड़ी क्षेत्रों में परियोजना लागत के 50 फीसदी की दर से सब्सिडी दी जाती है. पूर्वोत्तर इलाकों में एक हजार मीट्रिक टन से ज्यादा क्षमता वाली परियोजना को भी सब्सिडी का लाभ दिया जाता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कितना मिलता है अनुदान ?

  • 15 लाख रुपए तक के कोल्ड रूम (स्टेंटिक) यूनिट के लागत पर 5.25 लाख रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप 1 यूनिट लागत 4 करोड़ रुपए पर 1.40 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-1 (अनुसूचित क्षेत्र) लागत 4 करोड़ रुपए पर 2 करोड़ रुपए
  • कोल्ड स्टोरेज टाइप-2 (वैकल्पिक प्रौद्योगिकी सामान्य क्षेत्र) लागत 35 लाख रुपए पर 12.25 लाख रुपए


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कोल्ड स्टोरेज के लिए पात्रता

  • किसान व्यक्ति,उपभोक्ताओं/उत्पादकों का समूह, किसान उत्पादक संगठन
  • स्वामित्व/ भगीदारी फर्म, गैर सरकारी संगठन, स्वयं सहायता समूह, कम्पनियाँ, निगम.
  • कृषि उत्पादन विपणन समितियां, विपणन बोर्ड/ समितियां, नगर निगम, समितियां, कृषि उद्योग निगम, सहकारी समितियां, सहकारी विपणन संघ एवं अन्य सम्बंधित अनुसंधान एवं विकास संगठन.

कोल्ड स्टोरेज के लिए कहाँ करें आवेदन ?

कोल्ड स्टोरेज की स्थापना के लिए आवेदन हेतु एकीकृत बागवानी विकास मिशन के जिला कार्यालय में पदस्थापित उप संचालक, सहायक संचालक उद्यान से बृहत् जानकारी ली जा सकती है. आवेदन प्रस्ताव जिला कार्यालय में जमा करना होगा. प्राप्त प्रस्ताव आवेदन को 'पहले आओ पहले पाओ ' के आधार पर स्वीकार किया जाता है. योजना में आवेदन के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट http://nhb.gov.in/OnlineApplication/RegistrationForm.aspx पर जाकर आवेदन किया जा सकता है.

कोल्ड स्टोरेज के लिए आवश्यक दस्तावेज

  • स्व-सत्यापित पैन कार्ड/ वोटर कार्ड
  • स्व-सत्यापित आधार कार्ड
  • कम्पनी/ सोसाईटी/ ट्रस्ट/ पार्टनरशिप फर्म का पंजीकरण प्रमाण पत्र
  • एससी के लिए जाति प्रमाण पत्र और एसटी के लिए स्वप्रमाणित प्रमाण पत्र
  • व्यक्तिगत किसान के लिए परियोजना भूमि आवेदक किसान के नाम से होना आवश्यक होगा.
  • आवेदक परियोजना भूमि में संयुक्त मालिकों में से एक होगा, तो अनापत्ति प्रमाण पत्र
  • साझेदारी फर्म के लिए यदि भूमि की मल्कियत साझेदारों में से किसी एक की हो, तो भूमि मालिक साझेदार की ओर से शपथ पत्र देगा की परियोजना की जमीन वापस नहीं लेगा, बिक्री या हस्तानान्तरण नहीं करेगा.
  • भूमि पर कब्ज़ा प्रमाण पत्र
  • परियोजना की विस्तृत रिपोर्ट
उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

उपभोक्ता मंत्रालय ने बताया प्याज-टमाटर के दामों में हुई कितनी गिरावट

जानिए एक महीने में कितने कम हो गए प्याज-टमाटर के दाम

आपने सुना होगा "आसमान से गिरे खजूर में अटके"…. लेकिन प्याज-टमाटर के मामले में "खेत में टूटे..मंडी में पिचके" वाली बात साबित हो रही है… जी हां, प्याज-टमाटर की कीमतों में आई गिरावट के बारे में केंद्र सरकार ने जानकारी दी है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की जानकारी कहती है कि
मानसूनी बारिश के कारण मंडियों में आवक बढ़ी है। इससे औसत खुदरा मूल्य में पिछले महीने की तुलना में 29 फीसदी गिरावट आई है। मंत्रालय के अनुसार प्याज की खुदरा कीमत भी पिछले साल के मुकाबले 9 प्रतिशत कम यानी काफी हद तक नियंत्रण में है। आम आदमी की बात करें तो पिछले दिनों टमाटर के भाव जहां सुर्ख रहे तो वहीं प्याज की कीमतें नियंत्रण में रहीं। अंतर की बात करें तो टमाटर की खुदरा कीमत में पिछले माह के मुकाबले 29 जबकि प्याज के दाम में 9 फीसदी तक की कमी आई।

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उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार टमाटर के अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य पिछले महीने की तुलना में 29 प्रतिशत कम हुए। मंत्रालय के आंकड़े कहते हैं कि, टमाटर का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य मंगलवार को 37.35 रुपए प्रति किलोग्राम था। एक महीने पहले की समान अवधि में टमाटर की कीमत 52.5 रुपए प्रति किलोग्राम थी। बीते दिनों टमाटर के दाम (Tomato Price) में बढ़त के कारण आम जनता को खासी परेशानी हुई थी। टमाटर के मुकाबले हालांकि प्याज की कीमतें (Onion Price) नियंत्रण में रहीं।

बफर स्टॉक का सहारा -

भविष्य में भी प्याज की कीमत पर नियंत्रण के लिए सरकार की ओर से किए जा रहे इंतजाम के बारे में भी जानकारी दी गई है। मंत्रालय ने बताया है कि, सरकार ने चालू वर्ष में प्याज के 2.50 लाख टन भंडारण की व्यवस्था की है। ये भी पढ़े: अत्यधिक गर्मी से खराब हो रहे हैं आलू और प्याज, तो अपनाएं ये तरीके आज यह अभी तक का सबसे अधिक खरीदा गया प्याज का बफर स्टॉक है। मंत्रालय का कहना है कि बफर की खरीद ने कृषि मंत्रालय द्वारा 317.03 लाख टन के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद इस साल, प्याज के मंडी दाम को टूटने से बचाने में मदद प्रदान की है। बताया गया है कि, अगस्त-दिसंबर के दौरान कीमतों की तेजी को कम करने के लिए प्याज का बफर स्टॉक सुनियोजित तरीके से जारी किया जाएगा। इस संग्रह को लक्षित खुले बाजार में बिक्री के माध्यम से रिलीज़ किया जाएगा। इसे खुदरा दुकानों के माध्यम से आपूर्ति के लिए राज्यों और सरकारी एजेंसियों को प्रदान किया जाएगा। खुले बाजार में जारी करने के लिए उन राज्यों/शहरों को लक्षित किया जाएगा, जहां कीमत पिछले महीने की तुलना में बढ़ रही है।
इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

इस राज्य के किसान अब करेंगे औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती

देश की अन्य राज्य सरकारों की तरह ही जम्मू-कश्मीर की सरकार भी अपने किसानों की आय बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है। इसके तहत सरकार समय-समय पर राज्य के किसानों को सहायता उपलब्ध करवाती रहती है। इसी के साथ सरकार किसानों के लिए नई योजनाओं की घोषणा भी करती है ताकि किसान भाई अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। अब सरकार ने अपने प्रदेश के किसानों के हितों को देखते हुए एक मेगा प्लान तैयार किया है जिसमें किसानों को अब औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार का कहना है, कि जम्मू-कश्मीर के किसान सेब, केसर और बासमती चावल के अलावा औषधीय और सुगंधित पौधों की भी खेती करेंगे, जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। साथ ही प्रदेश की जीडीपी में भी बढ़ोत्तरी होगी। इस प्लान के तहत जम्मू-कश्मीर की सरकार ने कहा है, कि प्रदेश में 625 हेक्टेयर भूमि पर औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती की जाएगी। इसके साथ ही सरकार का कहना है, कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती के साथ ही प्रदेश के किसान दूसरी अन्य फसलों की खेती करने के लिए भी प्रोत्साहित होंगे। जम्मू-कश्मीर राज्य के अधिकारियों का कहना है, कि औषधीय और सुगंधित पौधों की खेती से प्रदेश के किसान 750 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी सालाना प्राप्त कर सकते हैं।


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जम्मू-कश्मीर के कृषि उत्पादन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा है, कि जम्मू-कश्मीर में फिलहाल बहुत कम खेती की जा रही है। जबकी यहां पर खेती की अपार संभावनाएं हैं। अटल डुल्लू ने कहा कि हिमालय के पास औषधीय और सुगंधित गुण वाले लगभग 1,123 पौधों की प्रजातियां पाई जाती हैं। अगर किसान इस खेती पर मेहनत करें तो हर साल प्रदेश को करोड़ों रुपये का लाभ हो सकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक हर्बल व्यापार लगभग 120 अरब डॉलर का है और भविष्य में इसमें तेजी देखने को मिल सकती है। आंकड़ों के अनुसार यह व्यापार साल 2050 तक 7,000 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर राज्य के पास इस व्यापार में अपनी जगह बनाने का अच्छा मौका है। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में औषधीय और सुगंधित पौधों का बहुत कम उत्पादन किया जा रहा है। औषधीय और सुगंधित गुण वाली खेती के मद्देनजर अटल डुल्लू ने बुधवार को तालाब तिल्लो में एक कोल्ड स्टोरेज के निर्माण का शुभारंभ किया है। इस कोल्ड स्टोरेज की क्षमता 5200 मीट्रिक टन है। इसके निर्माण के लिए नाबार्ड ने ऋण उपलब्ध करवाया है, जिसे जे एंड के एग्रो इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड विकसित कर रही है। यह कंपनी जम्मू-कश्मीर सरकार की एक प्रीमियम सरकारी कंपनी है। अपर मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने कहा है, कि इस कोल्ड स्टोरेज का सबसे ज्यादा लाभ राजौरी, पुंछ, उधमपुर, जम्मू, कठुआ, सांबा और अन्य क्षेत्रों के किसानों को होने वाला है। यहां पर ये किसान अपने ताजे फल और सब्जियां, सूखे मेवे, डेयरी उत्पाद, फूल, मांस, मछली और अन्य उत्पादों का भंडारण बेहद आसानी से कर सकेंगे। अब किसानों को बिना भाव के सस्ते दामों पर अपनी फसल बेचने पर मजबूर नहीं होना पड़ेगा। जिससे अब किसानों को पहले के मुकाबले ज्यादा फायदा होगा और किसानों की आमदनी में बढ़ोत्तरी हो सकेगी।
बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

बिहार सरकार कोल्ड स्टोरेज खोलने पर 50% प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है

एकीकृत बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत राज्य में कोल्ड स्टोरेज यूनिट की स्थापना हेतु किसानों को अनुदान देने का निर्णय किया गया है। बिहार राज्य में पारंपरिक खेती समेत बागवानी फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। बिहार राज्य के किसान सेब, अंगूर, केला, अनार, आम और अमरूद की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं। इससे कृषकों की आय में काफी बढ़ोत्तरी भी हुई है। परंतु, कोल्ड स्टोरेज के अभाव की वजह से किसान उतना ज्यादा लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार द्वारा इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों के फायदे हेतु बड़ा निर्णय लिया है। सरकार के इस निर्णय से प्रदेश में बागवानी फसलों की खेती में अत्यधिक गति आएगी। साथ ही, कृषकों की आमदनी में भी इजाफा हो सकता है।

कोल्ड स्टोरेज से किसानों को काफी फायदा होगा

बिहार सरकार ऐसा मानती है, कि कोल्ड स्टोरेज होने से किसानों की आमदनी बढ़ जाएगी। बाजार में कम भाव होने पर वह अपनी फसल को कोल्ड स्टोरेज में स्टोर कर सकते हैं। जैसे ही भाव में वृद्धि आएगी, वह इसको बाजार में बेच सकते हैं। इससे अच्छा भाव मिलने से किसानों की आमदनी निश्चित रूप से बढ़ेगी। वैसे भी कोल्ड स्टोर के भीतर बहुत दिनों तक खाद्य पदार्थ बेकार नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई हरी सब्जियों एवं फल की तुड़ाई करने के उपरांत कोल्ड स्टोरेज में रखेंगे तो फसलों का खराब होना भी कम हो पाएगा। साथ ही, काफी समय तक वह खराब नहीं होंगे।

बिहार सरकार किसानों को 4000 रुपये अनुदान स्वरूप प्रदान करेगी

बिहार सरकार द्वारा एकीकृत बागवानी मिशन योजना के चलते कोल्ड स्टोरेज यूनिट (टाइप-1) की स्थापना करने के लिए 8000 रुपये की लागत धनराशि तय की गई है। बिहार सरकार की तरफ से इसके लिए किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। ऐसी स्थिति में कृषकों को 4000 रुपये मुफ्त में प्राप्त होंगे। जो किसान भाई इस योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो वह कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

आम उत्पादन के मामले में बिहार कौन-से स्थान पर है

जानकारी के लिए बतादें, कि बिहार में बागवानी की खेती काफी बड़े पैमाने पर की जाती है। आम के उत्पादन के मामले में बिहार पूरे भारत में चौथे स्थान पर आता है। तो उधर लीची की पैदावार के मामले में बिहार का प्रथम स्थान पर है। मुज्फ्फरपुर की शाही लीची पूरी दुनिया में मशहूर है। बतादें, कि इसके स्वाद की कोई टक्कर नहीं है। इसके उपयोग से जूस एवं महंगी- महंगी शराबें तैयार की जाती हैं।
केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार ने अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी, हर एक ब्लॉक में बनेगा गोदाम

केंद्र सरकार की तरफ से भारत के अंदर बढ़ती अन्न की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए। अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दी है। इस योजना के अंतर्गत देश के प्रत्येक ब्लॉक में गोदाम निर्मित किए जाएंगे। भारत में अन्न की बर्बादी ना हो इसको लेके केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार की ओर से अन्न भंडारण योजना को स्वीकृति दे दी गई है। जिसके अंतर्गत हर एक ब्लॉक में 2 हजार टन के गोदाम स्थापित किए जाएंगे। इस व्यवस्था को शुरू करने के लिए त्रिस्तरीय प्रबंध किए जाएंगे। इस योजना का उद्देश्य अन्न की बर्बादी को रोकना है। बतादें, कि फिलहाल भारत में अन्न भंडारण की कुल क्षमता 47 प्रतिशत है। परंतु, केंद्र सरकार की इस योजना से अन्न भंडारण में तीव्रता आएगी। कैबिनेट की बैठक खत्म हो जाने के उपरांत केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर का कहना है, कि सहकारिता मंत्री के नेतृत्व में समिति बनाई जाएगी। योजना की शुरुआत 700 टन अन्न भंडारण के साथ होगी। इस योजना की शुरूआत होने पर भारत में खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगा। इस योजना को जारी होने पर अन्न भंडारण क्षमता में इजाफा होगा। वर्तमान में भारत के अंतर्गत अनाज भंडारण की क्षमता 1450 लाख टन है। जो कि फिलहाल बढ़कर 2150 लाख टन हो जाएगी।

हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि इस लक्ष्य को हांसिल करने के लिए 5 साल का वक्त लग जाएगा। इसके लिए केंद्र सरकार पांच साल में 1 लाख करोड़ रुपये का खर्चा करने वाली है। योजना के अंतर्गत भारत के हर एक ब्लॉक में गोदाम स्थापित किए जाऐंगे। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक, यह योजना सहकारिता क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा अन्न भंडारण कार्यक्रम है। इस योजना से भारत में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे। इसके अतिरिक्त फसल की बर्बादी भी रुकेगी। यह भी पढ़ें: भंडारण की समस्या से मिलेगी निजात, जल्द ही 12 राज्यों में बनेंगे आधुनिक स्टील गोदाम

खाद्य सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी

केंद्र सरकार के अनुसार, सहकारिता क्षेत्र में गोदाम के अभाव के चलते अन्न की बर्बादी ज्यादा हो रही है। अगर ब्लॉक स्तर पर गोदाम निर्मित होंगे तो अन्न का भंडारण होने के साथ-साथ ट्रांसपोर्टिंग पर आने वाली लागत भी कम आएगी। योजना के अंतर्गत खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिलेगी। फिलहाल, भारत में प्रत्येक वर्ष 3100 लाख टन खाद्यान्न की पैदावार होती है। लेकिन, सरकार के पास केवल उत्पादन के 47 प्रतिशत भाग को भंडारण करने की ही व्यवस्था है। जो कि इस योजना के आने के उपरांत ठीक हो जाएगी।
इस राज्य में प्याज स्टोरेज हाउस खोलने पर 75% सब्सिडी

इस राज्य में प्याज स्टोरेज हाउस खोलने पर 75% सब्सिडी

भारत में आजकल प्याज काफी मंहगा हो चुका है। अब आप भी ऐसे में इसका लाभ उठा सकते हैं। परंतु, उसके लिए आपको प्याज स्टोरेज हाउस खोलना होगा। यदि आप भी प्याज के माध्यम से तगड़ी आमदनी करना चाहते हैं, तो एक प्याज स्टोरेज हाउस खोल लें। यहां बड़ी बात यह है, कि इसके निर्माण पर आपको 4.5 लाख रुपये तक का अनुदान भी मिल जाएगा। भारत में आजकल प्याज जनता के खूब आंसू निकाल रहा है। इसकी कारण इसकी कीमत है। भारत में प्याज की कीमतें पुनः आसमान छू रही हैं। सप्लाई के अनुसार, प्याज का भंडारण न होने के चलते इसकी कीमतों में वृद्धि दर्ज की गई है। परंतु, प्याज की कीमतों में आए उछाल का फायदा आप भी प्राप्त कर सकते हैं। आपको बस एक प्याज स्टोरेज हाउस खोलना होगा, जिसके निर्माण पर आपको अनुदान भी मिलेगा। वहीं, बाद में प्याज के भंडारण व उसकी नीलामी से मुनाफा भी होगा।

बिहार सरकार ने उठाया अहम कदम

दरअसल, बिहार सरकार ने व्यापक प्याज भंडारण प्रणाली को विकसित करने के लिए एक बड़ी कवायद की है। राज्य सरकार प्याज भंडारण के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। जिससे कि राज्य में प्याज का भंडारण सुनिश्चित किया जा सके। वहीं, इससे लोगों को भी लाभ मिले। ऐसी स्थिति में यदि आप भी बिहार से हैं और कोई नवीन व्यवसाय चालू करने की सोच रहे हैं, तो बिहार सरकार की इस योजना का फायदा उठा सकते हैं। इसी प्रकार ग्रामीण इलाकों में भी किसान अपनी लोकल स्टोरेज बना सकते हैं, जिस पर सरकार 75 फीसद तक की सब्सिड़ी दे रही है।

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बिहार सरकार कितनी सब्सिडी प्रदान कर रही है

बिहार सरकार के उद्यान विभाग के मुताबिक, सब्जी विकास कार्यक्रम (2023-2024) के अंतर्गत प्याज स्टोरेज की स्थापना के लिए राज्य सरकार अनुदान मुहैय्या करा रही है। सरकार की इस योजना के मुताबिक, 50 मीट्रिक टन प्याज स्टोरेज यूनिट के लिए 6 लाख रुपये की लागत निर्धारित की गई है। इस पर सरकार आपको 75 फीसद अनुदान देगी। ऐसे में अगर आप एक प्याज स्टोरेज हाउस का निर्माण करते हैं तो इस पर आपको 4 लाख 50 हजार रुपये तक की सब्सिडी मिलेगी। इसका मतलब कि आपको अपनी जेब से निर्माण करने पर सिर्फ 1 लाख 50 रुपये का खर्चा करना होगा।

बिहार के इन जिलों में आवेदन कर सकते हैं

बिहार सरकार वर्तमान में कुछ ही जनपदों में इस योजना को चला रही है। इसके अंतर्गत औरंगाबाद, गया, नालंदा, पटना, बक्सर, नवादा और शेखपुरा जैसे जनपद के लोग एवं किसान प्याज भंडारण के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने की प्रक्रिया पूर्ण रूप से ऑनलाइन है, जो वर्तमान में शुरू हो गई है।

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योजना का लाभ लेने के लिए इस तरह आवेदन करें

यदि आप भी इस योजना का फायदा उठाकर प्याज स्टोरेज हाउस खोलना चाहते हैं, तो बागवानी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (https://horticulture.bihar.gov.in) पर जाकर इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने के लिए सबसे पहले वेबसाइट पर जाएं। इसके बाद 'सब्जी विकास योजना' पर क्लिक करें, जहां आपको प्याज स्टोरेज हाउस के निर्माण पर मिल रहे अनुदान से जुड़ा एक लिंक मिलेगा। लिंक पर क्लिक करने के पश्चात अपनी समस्त जानकारियां भर दें एवं फॉर्म जमा कर दें।

भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के चलते खाद्यान्न की काफी बर्बादी होती है

भंडारण की उचित व्यवस्था न होने के चलते खाद्यान्न की काफी बर्बादी होती है

भारत में खाद्यान्न की पैदावार काफी हो रही है और इस उपज में साल दर साल बढ़ोतरी भी हो रही हैं। बतादें, कि इसके बावजूद भी कृषकों को उनकी फसल का सही भाव भी नहीं मिलता हैं। भारत में लाखों लोग भूखे सोने के लिए विवश होते हैं। इसकी वजह कहीं कहीं भंडारण के लिए शानदार सुव्यवस्थित सुविधाओं का ना होना भी है। अधिकांश खबरें सुनने को मिलती हैं, कि खुले गगन के नीचे रखा लाखों टन अनाज बेमौसम वर्षा से भीग गया, करोड़ो रूपये का अनाज पूरी तरह सड़ गया और बह गया। इससे बेचारे कृषकों के परिश्रम पर पानी फिर जाता हैं। इसके अतिरिक्त कीड़े, कृन्तकों (चूहे, गिलहरी), सूक्ष्म जीवों और अवैज्ञानिक भंडारण आदि की वजह भी भरपूर मात्रा में फसल की हानि होती हैं। सरकार पैदावार में वृध्दि के विषय में तो बताती हैं, परंतु यह नहीं बताती कि अन्न को सुरक्षित संरक्षण कैसे रखा जायेगा।

अवैज्ञानिक ढ़ंग से सरकार स्वयं भंडारण कराती हैं  

भारत में अवैज्ञानिक तरीकों से भंडारण स्वयं सरकार कराती हैं। खुले आकाश के नीचे बिना ढंके बोरों में या कभी यूं ही ढेरों में पड़ा अनाज सामान्य तौर पर सभी ने देखा है। भारतीय अनाज संचयन प्रबंधन एवं अनुसंधान संस्थान (आईजीएमआरआई), हापुड़ (यू.पी) के आंकड़े कहते हैं, कि वार्षिक भंडारण नुकसान तकरीबन 7,000 करोड़ रुपये का है, जिसमें 14 मिलियन टन खाद्यान्न नष्ट होता है, जिसमें एकमात्र कीड़ों की वजह से लगभग 1,300 करोड़ रुपये की हानि शम्मिलित है। सूक्ष्म जीवों, कीड़े, कृन्तकों और अवैज्ञानिक भंडारण आदि की वजह से फसल कटाई के पश्चात कुल खाद्यान्न का तकरीबन 10% प्रतिशत हानि होती है।

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कुल खाद्यान्न उत्पादन का महज 45 फीसद भंडारण करने की क्षमता

भारत में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 3,235 लाख टन अनाज पैदावार का अनुमान हैं। परंतु, सरकारी आंकड़ो के अनुसार भारत में कुल अनाज भंडारण क्षमता 1,450 लाख टन हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एंव कृषि संगठन (एफएओ) के मुताबिक देश में वार्षिक अनाज उत्पादन का महज 45 प्रतिशत ही भंडारण करने की क्षमता हैं। इसके अतिरिक्त शेष अनाज का क्या होता है, इसका उत्तर देने में सरकार भी कतराती हैं।

खाद्यान्न बचाओ कार्यक्रम से आप क्या समझते हैं 

भारत में सन 1979 मेंखाद्यान्न बचाओकार्यक्रम चालू किया गया था। इस योजना के अंतर्गत किसानों में जागरुकता उत्पन्न करने और उन्हें सस्ती कीमतों पर भंडारण के लिए टंकियाँ मुहैय्या कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। परंतु, आज भी लाखों टन अनाज बर्बाद होता है।

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फिजूल खर्च को को कम करने के लिए काम 

भारत में विश्व की सबसे बड़ी भंडारण क्षमता विकसित करने की योजना चालू की गई हैं। सरकार इस योजना पर लगभग 1 लाख करोड़ रूपये का खर्चा कर रही है। इससे 5 वर्ष में भंडारण क्षमता 2,150 लाख टन तक हो जाएगी। इसके अतिरिक्त ब्लॉक स्तर पर 500 से 2000 टन के गोदाम निर्मित करने की योजना हैं। इन कोशिशों से कितना अनाज बर्बाद होने से बच पायेगा , यह भविष्य पर निर्भर है l
इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

पंजाब और हरियाणा में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद चालू हो गई है। खरीद के लिए तीनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है, कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी।

गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। गेहूं की सरकारी खरीद अब चालू हो गई है। दरअसल, 1 अप्रैल से हरियाणा और पंजाब में गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। 

गेहूं की खरीद के लिए दोनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी। तीनों राज्यों में सरकार ने क्या-कुछ व्यवस्था कर रखी है।

हरियाणा राज्य में सैकड़ों क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं

अगर हरियाणा की बात की जाए तो सरकार ने प्रदेश भर में गेहूं की खरीद के लिए 414 क्रय केंद्र खोले हैं। बाजार समिति के अधिकारियों का कहना है, कि उन्होंने गेहूं खरीद के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। 

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा खरीदे गए स्टॉक को मंडियों से गोदामों तक पहुंचाने के लिए टेंडर्स भी जारी कर दिए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशालय ने कहा कि कुल 414 खरीद केंद्रों में से सर्वाधिक 63 सिरसा जनपद में स्थापित किए गए हैं। 

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इसके पश्चात फतेहाबाद में 51 क्रय केंद्र खोले गए हैं। कैथल और जींद जनपदों में क्रमशः 43 और 41 खरीद केंद्र तैयार किए गए हैं।

किसानों को 72 घंटे में एमएसपी का भुगतान सुनिश्चित होगा

बतादें, कि इस बार बीते साल की तुलना में गेहूं की अधिक आवक आने की संभावना है, जिसको देखते हुए फसलों की खरीद की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। 

इस बार भी फसल खरीद का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 48 से 72 घंटे के अंदर-अंदर सीधे कृषकों के खातों में भेजा जाएगा। सरकार ने खरीद के संबंध में सभी चीजों का ब्यौरा द‍िया है। 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुमिता मिश्रा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) के साथ खरीद की तैयारियों के संबंध में बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

पंजाब में गेंहू खरीद के लिए विशेष इंतजाम

हम यदि पंजाब की बात करें तो यहां भी आज से खरीद प्रारंभ हो चुकी है। मंडी बोर्ड ने गेहूं की खरीद के लिए अपनी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। खरीद का कार्य 45 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

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पंजाब मंडी बोर्ड ने ऐलान किया है, कि खरीद एजेंसियों की सलाह के मुताबिक विभिन्न एजेंसियों को 1,908 खरीद केंद्र आवंटित किए जाएंगे। 

मुख्य सचिव ने डीसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, कि खरीद के दौरान किसानों को किसी तरह की दिक्कत-परेशानी का सामना ना करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को परेशानी मुक्त तरीके से शीघ्र भुगतान करने के भी निर्देश दिए हैं।