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Wheat Price

केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा

केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा

पिछले साल गेहूं की खरीद पर काफी कमी आई थी. जिसके पीछे का कारण घरेलू उत्पादन में गिरावट के साथ साथ ज्यादा निर्यात था. साल 2023 से साल 2024 में गेहूं का उत्पादन रिकॉर्ड 11 करोड़ टन से भी ज्यादा की आशंका है. हालांकि यह अनुमान कृषि मंत्रालय के अनुसार लगाया गया है.

केंद्र सरकार ने तय किया लक्ष्य

अप्रैल के महीने में शुरू होने वाले विपणन साल 2023 से 2024 के लिए केंद्र सरकार ने लगभग 341.5 लाख टन
गेहूं खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है. हालांकि पिछले साल के आंकड़े की बात करें तो यह 187.9 लाख टन ही था. जानकारी के मुताबिक यह लक्ष्य खरीद व्यवस्था पर रचा के लिए राज्यों के खाद्य सचिवों ने निर्धारित किया है.

इन राज्यों में रखा गया खरीद का लक्ष्य

खाद्य मंत्रियों के एक सम्मेलन में इस बैठक का आयोजन किया गया. जिसकी अध्यक्षता खाद्य सचिव सचिव संजीव चोपड़ा ने की थी. इसके अलावा खाद्य मंत्रालय की ओर से एक बयान भी जारी किया गया. जिसमें विपणन साल 2022 से 2023 के लिए गेहूं की कुल खरीद का लक्ष्य अन्य राज्यों के लिए भी रखा गया. जिसमें से मध्य प्रदेश से 20 लाख टन, पंजाब से 25 लाख टन और हरियाणा से करीब 15 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य रखा जाएगा. ये भी देखें: गेहूं की बुवाई हुई पूरी, सरकार ने की तैयारी, 15 मार्च से शुरू होगी खरीद

इस बार रिकॉर्ड 11.22 करोड़ टन का अनुमान

आपको बता दें कि, पिछले साल गेहूं की खरीद में कमी घरेलू उत्पादन में गिरावट और ज्यादा निर्यात की वजह से हुई थी. वहीं बात कृषि मंत्रायल की करें तो, दूसरे अनुमान के मुताबिक फसल साल 2023 से 2024 में गेहूं उत्पादन रिकॉर्ड करीब 11.22 करोड़ टन तक रहने का जताया जा रहा है.

जल्द लागू हो सकती है स्मार्ट पीडीएस

सरकार ने विपणन साल 2022 से 2023 में चावल की खरीद का लक्ष्य भी तय किया है. जिसके मुताबिक चावल की क्रीड 106 टन होनी है. वहीं मोटे अनाजों की क्रीड के लिए इस साल करीब 7.5 लाख टन तक जाने की उम्मीद है. इसके अलावा सभी राज्यों की सरकारों से स्मार्ट पीडीएस को लागू करने की अपील भी सम्मेलन के दौरान की गयी है. खबरों के मुताबिक गेहूं और गेहूं की आटे की लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए, इन पर लगाम लगाने की कोशिश में एफसी आई ने ई नीलामी के चौथे दौर में करीब 5.40 लाख टन गेहूं की बिक्री की थी. वहीं सरकारी बयानों के मुताबिक अब तक कुल 11.57 लाख टन गेहूं की पेशकश में लगभग 23 राज्यों में एक हजार से ज्यादा दावेदारों को गेहूं बेचा गया, जोकि 5.40 लाख टन था.
दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से पहले ही गेहूं की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा दर्ज किया गया

दिवाली से आने से पूर्व पुनः एक बार फिर से गेहूं महंगा हो चुका है। बतादें, कि इससे राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच चुकी है। ऐसा कहा जा रहा है, कि आगामी दिनों में इसका भाव और बढ़ सकता है। साथ ही, इससे पूर्व जनवरी माह में भी गेहूं की कीमत सातवें आसमान पर पहुँच गई थी। केंद्र सरकार के बहुत सारे प्रयासों के बावजूद भी महंगाई कम ही नहीं हो पा रही है। आलम यह है, कि एक वस्तु सस्ती होती है, तो दूसरी वस्तु महंगी हो जाती है। टमाटर एवं हरी सब्जियों के भाव में गिरावट दर्ज की है। वर्तमान में गेहूं एक बार पुनः महंगा हो गया है। ऐसा बताया जा रहा है, कि त्योहारी सीजन से पूर्व ही गेहूं के भाव 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है। ऐसी स्थिति में फूड इन्फ्लेशन बढ़ने की संभावना एक बार पुनः बढ़ गई है। साथ ही, व्यापारियों ने बताया है, कि इंपोर्ट ड्यूटी के कारण विदेशों से खाद्य पदार्थों का आयात प्रभावित हो रहा है। इससे सरकार के ऊपर निर्यात ड्यूटी हटाने को लेकर काफी दबाव बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार को महंगाई पर लगाम लगाने के लिए समय-समय पर सरकारी भंडार से भी गेहूं और चावल जैसे खाद्य पदार्थ को जारी करना पड़ रहा है।

गेंहू की कीमत बढ़ने से इन खाद्यान पदार्थों की कीमत भी बढ़ेगी

कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, त्योहारी दिनों की वजह से बाजार में गेहूं की डिमांड बढ़ गई है। वहीं, मांग में बढ़ोतरी से गेहूं की आपूर्ति काफी प्रभावित हो गई है, जिससे कीमतें 8 माह के अपने सबसे उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी हैं। यदि कीमतों में इजाफे का यह हाल रहा तो, आगामी दिनों में खुदरा महंगाई और भी बढ़ सकती है। गेहूं एक ऐसा अनाज है, जिससे विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ तैयार किए जाते हैं। अगर
गेहूं की कीमत में बढ़ोतरी होती है, तो रोटी, बिस्कुट, ब्रेड एवं केक समेत विभिन्न खाद्य पदार्थ काफी महंगे हो जाएंगे।

भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद इंपोर्ट ड्यूटी

मुख्य बात यह है, कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गेहूं के भाव में मंगलवार को 1.6% का इजाफा दर्ज किया गया। इससे गेहूं की कीमत थोक बाजार में 27,390 रुपये प्रति मीट्रिक टन तक पहुंच गई, जोकि 10 फरवरी के बाद का सर्वोच्च स्तर है। ऐसा बताया जा रहा है, कि विगत छह महीनों के दौरान गेहूं का भाव तकरीबन 22% प्रतिशत बढ़ा हैं। साथ ही, रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद कुमार एस ने केंद्र सरकार के समक्ष गेहूं के आयात पर से ड्यूटी हटाने की मांग उठाई है। दरअसल, उन्होंने बताया है, कि अगर सरकार गेहूं पर से इंपोर्ट ड्यूटी हटा देती है, तो निश्चित रूप से इसकी कीमत कम हो सकती है। दरअसल, भारत सरकार द्वारा गेहूं पर 40% फीसद आयात ड्यूटी लगाई है, जिसे हटाने को लेकर कोई तत्काल योजना नजर नहीं आ रही है।

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खाद्य पदार्थों की कीमतों में इस तरह गिरावट होगी

साथ ही, 1 अक्टूबर तक सरकारी गेहूं भंडार में केवल 24 मिलियन मीट्रिक टन ही गेहूं का भंडार था। जो पांच वर्ष के औसतन 37.6 मिलियन टन के मुकाबले में बेहद कम है। हालांकि, केंद्र ने फसल सीजन 2023 में किसानों से 26.2 मिलियन टन गेहूं की खरीदारी की है, जो लक्ष्य 34.15 मिलियन टन से कम है। वहीं, केंद्र सरकार का अंदाजा है, कि फसल सीजन 2023-24 में गेहूं उत्पादन 112.74 मिलियन मीट्रिक टन के करीब होगा। इससे खाद्य पदार्थों के भाव में गिरावट आएगी।
आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

आलू के बाद अब गेहूं का समुचित मूल्य ना मिलने पर किसानों में आक्रोश

उत्तर प्रदेश में आलू का बेहद कम दाम मिलने की वजह से किसानों में काफी आक्रोश है। ऐसी हालत में फिलहाल गेहूं के दाम समर्थन मूल्य से काफी कम प्राप्त होने पर शाजापुर मंडी के किसान काफी भड़के हुए हैं, उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए परेशानियों पर ध्यान देने की बात कही गई है। आलू के उपरांत फिलहाल यूपी के किसान गेहूं के दाम कम मिलने से परेशान हैं। प्रदेश के किसान गेहूं का कम भाव प्राप्त होने पर राज्य की भारतीय जनता पार्टी की सरकार से गुस्सा हैं। प्रदेश की शाजापुर कृषि उत्पादन मंडी में उपस्थित किसानों ने सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन व नारेबाजी की है। किसानों ने बताया है, कि कम भाव मिलने के कारण उनको हानि हो रही है एवं यदि गेहूं के भाव बढ़ाए नहीं गए तो आगे भी इसी तरह धरना-प्रदर्शन चलता रहेगा। कृषि उपज मंडी में जब एक किसान भाई अपना गेहूं बेचने गया, जो 1981 रुपये क्विंटल में बिका। किसान भाई का कहना था, कि केंद्र सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2125 रुपये क्विंटल निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद भी यहां की मंडी में समर्थन मूल्य की अपेक्षा में काफी कम भाव पर खरीद की जा रही है। उन्होंने चेतावनी देते हुए बताया है, कि सरकार को अपनी आंखें खोलनी होंगी एवं मंडियों पर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया है, कि सरकार किसानों की दिक्कत परेशानियों को समझें। ये भी देखें: केंद्र सरकार का गेहूं खरीद पर बड़ा फैसला, सस्ता हो सकता है आटा आक्रोशित एवं क्रोधित किसानों का नेतृत्व किसानों के संगठन भारतीय किसान संघ के जरिए किया जा रहा है। संगठन का मानना है कि, सरकार को किसानों की मांगों की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। खून-पसीना एवं कड़े परिश्रम के उपरांत भी किसानों को उनकी फसल का समुचित भाव नहीं मिल पा रहा है।

आलू किसानों की परिस्थितियाँ काफी खराब हो गई हैं

उत्तर प्रदेश में आलू उत्पादक किसान भाइयो की स्थिति काफी दयनीय है। आलू के दाम में गिरावट आने की वजह से किसान ना कुछ दामों में अपनी फसल बेचने पर मजबूर है। बहुत से आक्रोशित किसान भाइयों ने तो अपनी आलू की फसल को सड़कों पर फेंक कर अपना गुस्सा व्यक्त किया है। ऐसी परिस्थितियों में विरोध का सामना कर रही उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 650 रुपये प्रति क्विंटल के मुताबिक आलू खरीदने का एलान किया है। परंतु, किसान इसके उपरांत भी काफी गुस्सा हैं। कुछ किसानों द्वारा आलू को कोल्ड स्टोर में रखना चालू कर दिया है। दामों में सुधार होने पर वो बेचेंगे, परंतु अब कोल्ड स्टोर में भी स्थान की कमी देखी जा रही है। ऐसी स्थितियों के मध्य किसान हताश और निराश हैं।
भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत में कम होंगे गेंहू की कीमत, भारत सरकार खुले बाजार में उतारने जा रही गेंहू

भारत के अंदर गेहूं व आटे के भाव काफी तीव्रता से बढ़ रहें हैं। आटा 34 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा हो गया है। आटे का भावों को काबू में रखने के लिए केंद्र सरकार द्वारा पहल की गयी है। केंद्र सरकार ने बाजार में 30 लाख टन गेहूं उतारने का निर्णय लिया है। अनाज के भाव ज्यादा ना बढ़ें। इस विषय पर केंद्र सरकार निरंतर पहल कर रही है। भारत के अंदर गेहूं का भाव विगत काफी समय से बढ़ा हुआ हैं। इससे देश की आम जनता की रसोई का बजट डगमगा रहा है। साथ ही, केंद्र सरकार पर भी दबाव बनाया जा रहा है, कि अतिशीघ्र गेहूं के भावों को काबू में लाया जा सके, ताकि आमजन आर्थिक रूप से चिंतित नहीं रहें। केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं का भाव काबू करने हेतु निरंतर पहल की जा रही है। परंतु, फिलहाल वह नाकामयाब साबित माने जा रहे हैं। केंद्र सरकार इसी कड़ी में बड़ा कदम उठाने जा रही है।

खुले बाजार में उपलब्ध कराया जाना है 30 लाख टन गेहूं

गेहूं के भावों का प्रभाव आटे पर निश्चित रूप से पड़ने जा रहा है। गेहूं के भावों में वृद्धि होने के साथ आटे के भाव भी बढ़ते चले गए हैं। परंतु, गेहूं एवं आटे के भाव को राहत पहुँचाने के लिए केंद्र सरकार बड़ी पहल कर रही हैं। आटे के बढ़ते भावों को रोकने हेतु केंद्र सरकार खुले बाजार में 30 लाख टन गेहूं आवंटित करेगी। जिसके लिए सरकार की तरफ से गठित समिति ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी है। विशेषज्ञों ने बताया है, कि बाजार में गेहूं की कमी आने से खपत ज्यादा होने की वजह से गेहूं एवं आटें के भाव में वृद्धि देखी गई है।
ये भी देखें: केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना

गेंहू भंडारण FCI ई-ऑक्शन से जारी किया जाएगा

मीडिया से मिली खबरों के मुताबिक, बाजार में गेहूं की उपलब्धता का दायित्व एफसीआई के पास है। ई-ऑक्शन मतलब ई-नीलामी के माध्यम से ओपन मार्केट सेल योजना के अंतर्गत गेहूं बाजार में उपलब्ध किया जाएगा। गेहूं का भंडारण आटा मिलर एवं भारत के बड़े-बड़े थोक खरीदारों को टेंडर के माध्यम से विक्रय किया जाएगा। केंद्र सरकार का प्रयास है, कि बाजार में गेहूं की खपत काफी बढ़ने पर भी मांग में ज्यादा बढ़ोत्तरी नहीं हो पाए। इससे गेहूं एवं आटे के भाव में घटोत्तरी देखी जा रही है।

गेहूं 2350 रुपये प्रति क्विंटल तक उपलब्ध कराया जाना है

भारत में गेहूं के भाव को कम करने हेतु राज्य के अतिरिक्त को-ऑपरेटिव एवं सरकारी कंपनियों को भी गेहूं प्रदान किया जाएगा। केंद्र सरकार के स्तर से केंद्रीय भंडार, एनसीसीएफ एवं नाफेड को भी गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा इन्हें बिना टेंडर के 2350 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर गेहूं का विक्रय किया जाएगा।

गेंहू का भाव 34 रुपये से कम होकर 29 रुपए प्रति किलो में बिकेगा अनाज

केंद्र सरकार का प्रयास है, कि किसी भी कीमत पर आमजन की रसोई के अंदर महंगा आटा नहीं पहुँचे। इसी बात को ध्यान में रखकर ओएमएस योजना में एक नई शर्त जारी कर दी गई है। शर्त के मुताबिक, कंपनी अथवा मिलर सरकार के स्तर से गेहूं खरीदेंगे। वह गेहूं से आटा तैयार करें और उनको किसी से भी महँगा आता खरीदने की आवश्यकता नहीं है। फिलहाल खुदरा दाम 29.50 रुपये से अधिक नहीं होगा। स्पष्ट है, कि आम जनता को आटा 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिलेगा। वर्तमान समय में आटे का भाव 34 रुपये से ज्यादा पहुँच गया हैं। ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार की पहल से आटे का भाव 30 रुपये से भी कम हो गया है।

गेहूं और आटा बाजार में काफी मूल्य पर बेचा जा रहा है

आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2022 में आटे के भाव में 18 फीसद और गेहूं के भाव में 14 फीसद तक बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। गेहूं का भाव भारत की विभिन्न जगहों पर 29 से 41 रुपये जबकि आटे का भाव 34 से 45 रुपये किलोग्राम तक है। गेहूं भी 3200 से 3300 रुपये प्रति क्विंटल तक विक्रय किया जा रहा है। गेहूं ही खुले में 32 से 33 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से विक्रय किया जा रहा है। ऐसे में आटे की कीमत बढ़ी हों, तब इसमें कुछ भी हैरान करने वाली बात नहीं है।
एफसीआई के प्रयास से आटे की कीमतों में आई फिर गिरावट

एफसीआई के प्रयास से आटे की कीमतों में आई फिर गिरावट

एफसीआई के जरिए से आटे का भाव लगातार निरंत्रण में किया जा रहा है। अब तक 33 लाख मीट्रिक टन गेंहू का विक्रय किया गया है। नतीजतन फिर से गेंहू के भाव में गिरावट देखने को मिली है। गेहूं और आटे के भाव में निरंतर बढ़ोत्तरी को नियंत्रित करने के उद्देश्य से फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा उठाए गए अहम कदमों का प्रभाव फिलहाल भूमि पर देखने को मिल रहा है। इसलिए ही गेहूं की कीमत में कमी हुई है। जानकारों ने बताया है, कि खुदरा बाजार में गेहूं का भाव कम हो गया है। असलियत में जनवरी माह में अचानक गेहूं और आटे का मूल्य काफी हद तक बढ़ा हुआ था। इस वजह से खाद्यान उत्पादों की कीमत काफी महंगी हो गई थीं। ऐसी हालत में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने ई- नीलामी के जरिए खुद बाजार में गेहूं बेचने का निर्णय लिया। ये भी देखें: केंद्र सरकार ने गेंहू के भावों को नियंत्रण करने के लिए जारी की यह योजना खबरों के अनुसार, एफसीआई द्वारा 33 लाख मीट्रिक टन गेंहू बेचने की वजह से खुदरा बाजार में गेंहू के भाव में 6 से 8 रुपए किलो की गिरावट आई है। विशेष बात यह है, कि इस बात की पुष्टि स्वयं रोलर मिल फेडरेशन के प्रेसिडेंट एस प्रमोद कुमार द्वारा की गई है। उनका कहना है कि आटे के भाव में आई गिरावट की मुख्य वजह एफसीआई द्वारा बेचा गया गेंहू है। इसके चलते आटा 32 से 35 रुपए किलोग्राम हो गया है।

अचानक जनवरी में गेंहू के बढ़े भाव को एफसीआई ने किया नियंत्रित

आपको याद दिलादें कि जनवरी माह में आकस्मिक गेंहू के भाव में बढ़ोत्तरी हो गई थी। निश्चित रूप से इसकी वजह से आटा के दाम भी खूब बढ़ गए थे। जो आटा 30 से 35 रुपये किलो में बिकता था, उस आटे का भाव 40 से 45 रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से हो गया था। इससे आम जनता काफी प्रभावित हुई थी उनके रसोई का बजट खराब हो गया और उनकी थाली से रोटी तक गायब हो गई थी। ऐसी स्थिति में महंगाई की वजह से केंद्र सरकार भी काफी चिंता में पड़ गई। जिसके उपरांत एफसीआई द्वारा गेहूं की ई-नीलामी आरंभ की गई। इससे महंगाई पर रोकथाम लगाई गई है।

इस वर्ष होगी गेंहू की बेहतरीन पैदावार : केंद्र सरकार

केंद्र सरकार का कहना है, कि गर्मी के बढ़ने का गेहूं की फसल पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। फिलहाल, किसान भाइयों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। केंद्र सरकार के अनुमानुसार, इस वर्ष गेहूं की फसल की बेहतरीन पैदावार हो सकती है। सरकार के अनुसार, 108-110 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होने की संभावना है। साथ ही, गेहूं की कीमत एमएसपी से अधिक ही रहने वाली है। साथ ही, आपको बतादें कि मध्य प्रदेश में 25 मार्च से गेहूं की खरीद चालू हो जाएगी। वहीं, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब समेत बाकी राज्यों में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद चालू होनी है। .
रूस यूक्रेन युद्ध, अनाज का हथियार के तौर पर इस्तेमाल

रूस यूक्रेन युद्ध, अनाज का हथियार के तौर पर इस्तेमाल

आपको बतादें कि रूस ने अपने हाथों गेहूं निर्यात का नियंत्रण ले लिया है। इससे खाद्यान्न युद्ध शुरू होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। इसी कड़ी में दो बड़े इंटरनैशनल ट्रेडर्स ने रूस से गेहूं निर्यात के कारोबार से पीछे हटने की घोषणा की है। इसका मतलब यह है, कि विश्व का सर्वोच्च गेहूं निर्यातक रूस की खाद्य निर्यात पर दखल और अधिक होगी। अनुमानुसार, रूस गेहूं निर्यात को रणनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग कर सकता है। जरुरी नहीं कि दुश्मन को मजा चखाने के लिए अपना शारीरिक और आर्थिक बल ही उपयोग किया जाए। ना ही किसी अस्त्र शस्त्र की आवश्यकता जैसे कि आजकल बंदूक, मिसाइल, तोप, पनडुब्बी आदि आधुनिक हथियारों का उपयोग होता है। खाद्यान पदार्थों में अनाज भी एक बड़े हथियार की भूमिका अदा करता है। क्योंकि आज के समय खाद्यान्न जियोपॉलिटिक्स का बड़ा हथियार है। बीते दिनों रूस-यूक्रेन के भीषण युद्ध के बीच मॉस्को फिलहाल गेहूं को हथियार के रूप में उपयोग करने जा रहा है, जिसकी चिंगारी पूरे विश्व को प्रभावित करेगी। रूस विश्व का सर्वोच्च गेहूं निर्यातक देश है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पूर्व से ही वैश्विक खाद्यान आपूर्ति डगमगाई हुई है। रूस यूक्रेन युद्ध की वजह से विगत वर्ष खाद्यान्न के भावों में वृद्धि बड़ी तीव्रता से हुई थी। फिलहाल, रूस जिस प्रकार से गेहूं निर्यात पर सरकारी नियंत्रण को अधिक तवज्जो दे रहा है, उससे हालात और अधिक गंभीर होंगे। रूस का यह प्रयास है, कि गेहूं निर्यात में केवल सरकारी कंपनियां अथवा उसकी घरेलू कंपनियां ही रहें। जिससे कि वह निर्यात को हथियार के रूप में और अधिक कारगर तरीके से उपयोग कर सके। इसी मध्य दो बड़े इंटरनैशनल ट्रेडर्स निर्यात हेतु रूस में गेहूं खरीद को प्रतिबंधित करने जा रहे हैं। नतीजतन, वैश्विक खाद्यान आपूर्ति पर रूस का नियंत्रण और अधिक हो जाएगा।

गेंहू निर्यात हेतु रूस से दो इंटरनेशनल ट्रेडर्स ने कदम पीछे हटाया

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कारगिल इंकॉर्पोरेटेड और विटेरा ने रूस से गेहूं का निर्यात प्रतिबंधित करने की घोषणा की है। इन दोनों की विगत सीजन में रूस के कुल खाद्यान्न निर्यात में 14 फीसद की भागीदारी थी। इनके जाने से विश्व के सर्वोच्च गेहूं निर्यातक रूस का ग्लोबल फूड सप्लाई पर नियंत्रण और पकड़ ज्यादा होगी। इनके अतिरिक्त आर्कर-डेनिएल्स मिडलैंड कंपनी भी व रूस भी अपने व्यवसाय को संकीर्ण करने के विषय में विचार-विमर्श कर रही है। लुइस ड्रेयफस भी रूस में अपनी गतिविधियों को कम करने की सोच रही है। जैसा कि हम जानते हैं, गेहूं का नया सीजन चालू हो गया है। रूस गेहूं के नए उत्पादन का निर्यात चालू कर देगा। फिलहाल, इंटरनैशनल ट्रेडर्स के पीछे हटने से रूसी गेहूं निर्यात पर सरकारी और घरेलू कंपनियों का ही वर्चश्व रहेगा। रूस द्वारा और बेहतरीन तरीके से इसका उपयोग जियोपॉलिटिक्स हेतु कर पायेगा। वह मूल्यों को भी प्रभावित करने की हालात में रहेगा। मध्य पूर्व और अफ्रीकी देश रूसी गेहूं की अच्छी खासी मात्रा में खरीदारी करते हैं।

रूस करेगा गेंहू निर्यात को एक औजार के रूप में इस्तेमाल

रूस द्वारा वर्तमान में गेहूं निर्यात करने हेतु सरकार से सरकार व्यापार पर ध्यान दे रहा है। बतादें, कि सरकारी कंपनी OZK पहले ही तुर्की सहित गेहूं बेचने के संदर्भ में बहुत सारे समझौते कर चुकी है। उसने विगत वर्ष यह कहा था, कि वह इंटरनैशनल ट्रेडर्स के हस्तक्षेप से निजात चाहती है और प्रत्यक्ष रूप से देशों को निर्यात करने की दिशा में कार्य कर रही है। रूस गेहूं का शस्त्र स्वरुप उपयोग करते हुए स्वयं की इच्छानुसार चयनित देशों को ही गेंहू निर्यात करेगा। इससे फूड सप्लाई चेन तो प्रभावित होगी ही, विगत वर्ष की भाँति अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के मूल्यों में बेइंतिहान वृद्धि भी हो सकती है। ये भी पढ़े: बंदरगाहों पर अटका विदेश जाने वाला 17 लाख टन गेहूं, बारिश में नुकसान की आशंका

रूस ने खाद्य युद्ध को यदि हथियार बनाया तो क्या होगा

रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव से विगत वर्ष विश्वभर में गेहूं एवं आटे के भावों में तीव्रता से बढ़ोत्तरी हुई थी। बहुत सारे देश खाद्य संकट की सीमा पर पहुँच चुके हैं। तो बहुत से स्थानों पर खाद्य पदार्थ काफी महंगे हो चुके हैं। विगत वर्ष भारत में भी गेहूं एवं आटे के मूल्यों में तेजी से इजाफा हुआ था। जिसके उपरांत सरकार द्वारा गेहूं निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया था। हालाँकि, भारत अपने आप में एक बड़ा खाद्यान्न उत्पादक देश है। परंतु, जो देश खाद्यान्न की आवश्यकताओं के लिए काफी हद तक आयात हेतु आश्रित हैं। उनको काफी खाद्यान संकट से जूझना पड़ेगा। विश्व में एक बार पुनः गेहूं एवं आटे के मूल्यों में तेजी से इजाफा होने की संभावना भी बढ़ गई है।

पुरे विश्व को प्रभावित कर सकता है फूड वॉर

अगर हम सकारात्मक तौर पर इस बात का विश्लेषण करें तो खाद्यान्न को एक हथियार के रूप में उपयोग करना कही तक उचित तो कतई नहीं है। इससे काफी लोग भुखमरी तक के शिकार होने की संभावना होती है। वर्ष 2007 में सर्वप्रथम फूड वॉर की भयावय स्थिति देखने को मिली थी। उस वक्त सूखा, प्राकृतिक आपदा की भांति अन्य कारणों से भी पूरे विश्व में खाद्यान्न की पैदावार कम हुई थी। उस समय रूस, अर्जेंटिना जैसे प्रमुख खाद्यान्न निर्यातक देशों ने घरेलू मांग की आपूर्ति करने हेतु 2008 में कई महीनों तक खाद्यान्न के निर्यात को एक प्रकार से बिल्कुल प्रतिबंधित कर दिया था। जिसके परिणामस्वरूप, विश्व के विभिन्न स्थानों पर राजनीतिक अस्थिरता एवं आर्थिक संकट उत्पन्न हो गए थे। संयोगवश उस समय वैश्विक मंदी ने भी दस्तक दे दी थी। फूड वॉर को भी इसके कारणों में शम्मिलित किया जा सकता है।
सरकार ने खाद्यान्न सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण हेतु क्या तैयारी की है ?

सरकार ने खाद्यान्न सुनिश्चित करने के लिए गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण हेतु क्या तैयारी की है ?

गेंहू व आटे की कीमतों को नियंत्रण में रखना सरकार की जिम्मेदारी होती है। अब जैसा कि हम सब जानते हैं, कि अनाज की कीमतों में इजाफा देखा जा रहा है। इसके लिए सरकार ने कीमतों को कम करने हेतु 3.46 लाख टन गेहूं और 13,164 टन चावल खुले बाजार में विक्रय किया है। लेकिन, 5 लाख टन और खाद्यान्न बाजार में उतारने की योजना बनाई है, जिससे कि कीमतों को नियंत्रण में रखा जा सके। खाद्य वस्तुओं की बढ़ती महंगाई ने सरकार की चिंता को बढ़ा रखा है। बाजार में पर्याप्त उपलब्धता बरकरार रखने के लिए सरकार ने लगभग 4 लाख टन गेहूं एवं चावल खुले बाजार में उतार दिया है। वहीं, वर्तमान में 5 लाख टन अनाज तथा उतारने की तैयारी चल रही है। ऐसा कहा जा रहा है, कि जनवरी के दूसरे सप्ताह तक यह खाद्यान्न खुले बाजार में उतार दिया जाएगा।


 

एफसीआई की तरफ से इन थोक विक्रेताओं को खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है

केंद्र सरकार ने खाद्यान्न खरीद तथा वितरण नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (FCI) के माध्यम से खुले बाजार में खद्यान्न उपलब्ध करा रही है। खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने की कोशिशों के अंतर्गत थोक उपभोक्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से इस सप्ताह 3.46 लाख टन गेहूं एवं 13,164 टन चावल विक्रय किया है। विगत वर्ष चावल की बिक्री 3,300 मीट्रिक टन की गई थी।

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चावल को कितनी कीमत पर बिक्रय किया गया है

26वीं ई-नीलामी में 4 लाख टन गेहूं तथा 1.93 लाख टन चावल की प्रतुति थोक विक्रेताओं के लिए की गई थी, जिसके पश्चात 3.46 लाख टन गेहूं एवं 13,164 टन चावल थोक विक्रेताओं को बिक्रय किया गया है। गेहूं की औसत कीमत 2,178.24 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है। वहीं, चावल 2905.40 रुपये प्रति क्विंटल औसत कीमत पर विक्रय किया गया था।


 

सरकार द्वारा खाद्यान्न सुरक्षा के लिए क्या किया जा रहा है ?

केंद्र सरकार खुले बाजार बिक्री योजना (OMSS) के अंतर्गत खुदरा कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए अपने बफर स्टॉक से गेहूं एवं चावल बिक्री कर रही है। सरकार ने मार्च 2024 तक खुले बाजार बिक्री योजना के अंतर्गत बिक्री के लिए 101.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया है। केंद्र सरकार ने कहा है, कि चावल, गेहूं और आटे की खुदरा कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार गेहूं एवं चावल दोनों की साप्ताहिक ई-नीलामी करती रहेगी। इसके अंतर्गत अब जनवरी 2024 के दूसरे सप्ताह तक लगभग 5 लाख टन गेहूं तथा चावल खुले बाजार में उतारने की योजना है।

देश भर की मंडियों में गेहूं की कीमतों में वृद्धि बरकरार रहने की संभावना

देश भर की मंडियों में गेहूं की कीमतों में वृद्धि बरकरार रहने की संभावना

गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए 2023 की तुलना में 2024 अत्यंत लाभदायक साबित हो सकता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि भारत भर की मंडियों में नवीन गेहूं ने दस्तक दे दी है और प्रारंभिक तौर पर गेहूं की फसल को काफी उचित भाव मिल रहा है। 

भारत भर की मंडियों में नए गेहूं की आवक चालू हो गई है। शुरुआती तौर पर गेहूं को काफी अच्छा भाव मिल रहा है, जिससे किसान भाई बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं। 

भारत की अधिकांश मंडियों में गेहूं का मूल्य MSP से भी ऊपर पहुँच रहा है। कीमतों में निरंतर बढ़ोतरी को देखकर किसान भाई काफी ज्यादा खुश नजर आ रहे हैं। किसानों को यह आशा है, कि कीमतों में निरंतर वृद्धि जारी रहेगी। 

गेंहू की कीमतों में गिरावट आने की कोई संभावना नहीं  

बतादें, कि बाजार के जानकारों के अनुसार, गेहूं की कीमतों में वृद्धि का यह आलम आगे भी जारी रहने की पूर्ण संभावना है। विशेषज्ञों ने बताया कि भारतभर की मंडियों में नए गेहूं की आवक चालू हो गई है, जिससे कीमतों में काफी तेजी बनी हुई है। 

अगले कुछ महीनों तक कीमतों में यह इजाफा जारी रहेगा। हालांकि, उसके पश्चात हल्की गिरावट भी देखने को मिल सकती है। परंतु, कीमतें MSP से ऊपर ही रहेंगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, जहां गेहूं की घरेलू मांग काफी अच्छी है, तो वहीं निर्यात बाजार में भी भारत के गेहूं की अच्छी-खासी मांग है, जिस कारण से कीमतों में गिरावट की वर्तमान में कोई संभावना नहीं है। 

भारत की मंडियों में ताजा भाव क्या चल रहा है ?

अगर हम गेंहू के मूल्य पर नजर डालें तो अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कीमत चल रही हैं। हालांकि, भारत की अधिकांश मंडियों में गेहूं का भाव MSP से भी ऊपर चल रहा है। 

ये भी पढ़ें: पहले सब्जी, मसाले और अब गेंहू की कीमतों में आए उछाल से सरकार की बढ़ी चिंता

वर्तमान में केंद्र सरकार गेहूं पर 2275 रुपये की एमएसपी प्रदान कर रही है। वहीं, गेहूं का औसतन भाव 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के करीब बना हुआ है। 

केंद्रीय कृष‍ि व क‍िसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के मुताबिक, सोमवार को कर्नाटक की गडग मंडी में गेहूं को सबसे उचित भाव मिला है। जहां, गेहूं की पैदावार 5039 रुपये/क्विंटल के मूल्य पर बिकी। वहीं, मध्य प्रदेश की आष्टा मंडी में गेहूं का 4500 रुपए/क्विंटल का भाव मिला है।

इसके अतिरिक्त मध्य प्रदेश की अशोकनगर मंडी में गेहूं को 3960 रुपये/क्विंटल, शरबती मंडी में 3780 रुपये/क्विंटल, कर्नाटक की बीजापुर मंडी में 3700 रुपए/क्विंटल और गुजरात की सेचोर मंडी में 3830 रुपये/क्विंटल का भाव प्राप्त हुआ। वहीं, बाकी राज्यों की बात की जाए तो वहां भी कीमत MSP के समान या उससे ज्यादा चल रही है। 

किसान भाई अन्य फसलों की सूची यहां से देख सकते हैं 

बतादें, कि किसी भी फसल का भाव उसकी गुणवत्ता पर भी निर्भर होता है। ऐसे में व्यापारी गुणवत्ता के हिसाब से ही कीमत निर्धारित करते हैं। फसल जितनी शानदार गुणवत्ता की होगी, उसके उतने ही अच्छे भाव मिलेंगे। 

यदि आप भी अपने राज्य की मंडियों में भिन्न-भिन्न फसलों का भाव देखना चाहते हैं, तो आधिकारिक वेबसाइट https://agmarknet.gov.in/ पर जाकर पूरी सूची चेक कर सकते हैं। 

मंडियों में इस बार गेहूं का MSP से ज्यादा भाव मिलने की संभावना

मंडियों में इस बार गेहूं का MSP से ज्यादा भाव मिलने की संभावना

गेहूं की कीमतों में वृद्धि निरंतर होती जा रही है। गेहूं की खेती करने वाले कृषकों के लिए 2023 की अपेक्षा 2024 शानदार मुनाफा दिलाने वाला वर्ष सिद्ध हो सकता है। 

हम यह बात इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि मंडियों में गेहूं की नई फसल की आवक जल्द शुरू होने वाली है और इसी बीच गेहूं की कीमतों में निरंतर उछाल देखने को मिल रहा है। 

भारत की अधिकांश मंडियों में गेहूं का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य मतलब कि MSP से भी अधिक चल रहा है। कीमतों में आए उछाल को देख किसान भी काफी खुश दिखाई दे रहे हैं। 

किसानों को आशा है, कि कीमतों में ये वृद्धि निरंतर जारी रहेगी। गेंहू किसानों को मार्च-अप्रैल में आने वाली नई फसल का काफी अच्छा भाव मिलेगा।

कीमतों में किसी तरह की कोई गिरावट की आशंका नहीं है 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि कृषि विशेषज्ञों के अनुसार भी गेहूं की कीमतों में तेजी का ये आलम आगे भी ज्यों का त्यों बने रहने की संभावना है। जानकारों ने कहा कि मार्च-अप्रैल में गेहूं की नई फसल आते ही पहले तो भाव तेजी से चढ़ेगा। 

परंतु, उसके बाद हल्की गिरावट भी देखने को मिल सकती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, जहां गेहूं की घरेलू मांग काफी अच्छी है, तो वहीं निर्यात बाजार में भी भारत के गेहूं की बड़े पैमाने पर मांग है। 

इस वजह से गेंहू की कीमतों में गिरावट आने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।

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भारत की विभिन्न मंडियों में गेंहू का रेट 

अगर गेहूं के भाव की बात करें तो फिलहाल भिन्न-भिन्न राज्यों में गेहूं के भाव अलग-अलग निर्धारित किए गए हैं। हालांकि, देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं का भाव MSP से भी ऊपर चल रहा है। 

वर्तमान में केंद्र सरकार गेहूं पर 2275 रुपये की एमएसपी प्रदान कर रही है। वहीं, गेहूं का औसतन भाव 2,275 रुपये प्रति क्विंटल के तकरीबन बना हुआ है। केंद्रीय कृष‍ि व क‍िसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, बुधवार (21 फरवरी) को कर्नाटक की मंडियों में गेहूं को सबसे शानदार भाव मिला।

कर्नाटक की बीदर और शिमोगा मंडी में गेहू 4500 रुपये/क्विंटल के भाव में बिका है। इसी प्रकार मध्य प्रदेश की जोबट मंडी में गेहूं को 4400 रुपये/क्विंटल का भाव मिला है। 

जबकि, आष्टा मंडी दाम 3881 रुपए/क्विंटल रहा है। इसके अतिरिक्त गुजरात की जेतपुर मंडी में गेहूं 3150 रुपये/क्विंटल और कर्नाटक की मैसूर मंडी में 3450 रुपये/क्विंटल के भाव पर बिका।

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गेंहू की बंपर आवक होने की संभावना 

भारत में इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होने की भी संभावना है। केंद्र सरकार भी पैदावार में बढ़ोतरी होने की बात कह चुकी है। साथ ही, बाजार जानकारों का कहना है, कि गेहूं की कीमतों में फिलहाल कोई बड़ी गिरावट की आशंका नहीं है।

हालांकि, इसमें कुछ कमी अथवा वृद्धि भी संभावित है। परंतु, यह ज्यादा होने की संभावना नहीं है। गेहूं के दाम तेजी से बढ़ते रहेंगे, जब तक मंडियों में नई फसल न आ जाए। 

नई फसल के आते ही दामों में कमी की संभावना है। हालांकि, गेंहू की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा ही रहेंगी। 

इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

इन राज्यों में गेहूं खरीद शुरू 72 घंटे के अंदर खरीद के भुगतान का आदेश

पंजाब और हरियाणा में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद चालू हो गई है। खरीद के लिए तीनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है, कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी।

गेहूं की खेती करने वाले किसान भाइयों के लिए खुशखबरी है। गेहूं की सरकारी खरीद अब चालू हो गई है। दरअसल, 1 अप्रैल से हरियाणा और पंजाब में गेहूं की खरीद शुरू हो गई है। 

गेहूं की खरीद के लिए दोनों राज्यों में प्रशासन ने सभी इंतजाम पूरे कर लिए हैं। सरकार का कहना है कि किसानों को किसी भी तरह की कोई दिक्कत पेश नहीं आने दी जाएगी। तीनों राज्यों में सरकार ने क्या-कुछ व्यवस्था कर रखी है।

हरियाणा राज्य में सैकड़ों क्रय केंद्र स्थापित किए गए हैं

अगर हरियाणा की बात की जाए तो सरकार ने प्रदेश भर में गेहूं की खरीद के लिए 414 क्रय केंद्र खोले हैं। बाजार समिति के अधिकारियों का कहना है, कि उन्होंने गेहूं खरीद के लिए पूरी तैयारियां कर ली हैं। 

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग द्वारा खरीदे गए स्टॉक को मंडियों से गोदामों तक पहुंचाने के लिए टेंडर्स भी जारी कर दिए हैं। खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के निदेशालय ने कहा कि कुल 414 खरीद केंद्रों में से सर्वाधिक 63 सिरसा जनपद में स्थापित किए गए हैं। 

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इसके पश्चात फतेहाबाद में 51 क्रय केंद्र खोले गए हैं। कैथल और जींद जनपदों में क्रमशः 43 और 41 खरीद केंद्र तैयार किए गए हैं।

किसानों को 72 घंटे में एमएसपी का भुगतान सुनिश्चित होगा

बतादें, कि इस बार बीते साल की तुलना में गेहूं की अधिक आवक आने की संभावना है, जिसको देखते हुए फसलों की खरीद की बेहतरीन व्यवस्था की गई है। 

इस बार भी फसल खरीद का भुगतान इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से 48 से 72 घंटे के अंदर-अंदर सीधे कृषकों के खातों में भेजा जाएगा। सरकार ने खरीद के संबंध में सभी चीजों का ब्यौरा द‍िया है। 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ सुमिता मिश्रा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों और जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) के साथ खरीद की तैयारियों के संबंध में बैठक कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं।

पंजाब में गेंहू खरीद के लिए विशेष इंतजाम

हम यदि पंजाब की बात करें तो यहां भी आज से खरीद प्रारंभ हो चुकी है। मंडी बोर्ड ने गेहूं की खरीद के लिए अपनी तैयारियां पूर्ण कर ली हैं। खरीद का कार्य 45 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। 

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पंजाब मंडी बोर्ड ने ऐलान किया है, कि खरीद एजेंसियों की सलाह के मुताबिक विभिन्न एजेंसियों को 1,908 खरीद केंद्र आवंटित किए जाएंगे। 

मुख्य सचिव ने डीसी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है, कि खरीद के दौरान किसानों को किसी तरह की दिक्कत-परेशानी का सामना ना करना पड़े। इसके साथ ही उन्होंने किसानों को परेशानी मुक्त तरीके से शीघ्र भुगतान करने के भी निर्देश दिए हैं।