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पाम आयल उत्पादकों को छूट देगी सरकार

पाम आयल उत्पादकों को छूट देगी सरकार

देश में खाद्य तेलों की कमी अब नहीं रहेगी। सरकार ने इस दिशा में खाद्य तेल मिशन पाम आयल को मंजूरी देदी है। इस पर 11 हजार 40 करोड़ की राशि खर्च होगी। किसानों को पौधे से लेकर फसल सुरक्षा तक तकनीकी मदद मिलेगी। इतना ही प्रति हैक्टेयर पाम की खेती करने वाले किसानों को 12 हजार के बजाय 29 हजार रुपए की धनराशि दी जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ताड़ के तेल (पाम ऑयल) के लिए एक नए मिशन की शुरूआत को मंजूरी दी गई है, जिसका नाम राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) है। यह केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित नई योजना है, जिसका फोकस पूर्वोत्तर के क्षेत्रों तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी।

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रामदेव बाबा ने पाम ऑयल का उत्पादन करने का ऐलान किया है उन्होंने कहा कि खाद्य तेलों का काफी आयात होता है, इसलिए जरूरी है कि देश में ही खाद्य तेलों के उत्पादन में तेजी लाई जाए, जिसके लिए पाम ऑयल का रकबा व पैदावार बढ़ाना बहुत अहम है। इसके लिए सरकार जरूरी आर्थिक सहायकता किसानों को मुहैया कराएगी ताकि किसानों को अन्य फसलों के बराबर आय हो सके।

केन्द्र—राज्य कैसे करेंगे योजना का संचालन

योजना के कुल 11,040 करोड़ रुपए के खर्च में से केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रु.वहन करेगी, वहीं 2,196 करोड़ रु. राज्यों को वहन करना है। योजना में वर्ष 2025-26 तक पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर बढ़ाने और इस तरह अंततः 10 लाख हैक्टेयर रकबे का लक्ष्य पूरा करना प्रस्तावित है। आशा है कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की पैदावार 2025-26 तक 11.20 लाख टन व 2029-30 तक 28 लाख टन तक पहुंच जाएगी। श्री तोमर ने बताया कि पाम ऑयल की पैदावार की क्षमता के मद्देनजर वर्ष 2020 में भारतीय तेल ताड़ अनुसंधान संस्थान ने पाम ऑयल की खेती के लिए विश्लेषण कर 28 लाख हेक्टेयर में पाम ऑयल की खेती के बारे में विचार बताए थे। लिहाजा, ताड़ के पौधे लगाने की अपार क्षमता मौजूद है, जिसके आधार पर कच्चे ताड़ के तेल की पैदावार भी बढ़ाई जा सकती है। मौजूदा समय में ताड़ की खेती के तहत केवल 3.70 लाख हेक्टेयर का रकबा ही आता है। अन्य तिलहनों की तुलना में प्रति हेक्टेयर के हिसाब से ताड़ के तेल का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 10 से 46 गुना अधिक होता है। इसके अलावा एक हेक्टेयर की फसल से लगभग चार टन तेल निकलता है। इस तरह, इसकी खेती में बहुत संभावनाएं हैं। अभी कच्चे ताड़ का तेल अधिकांशतः आयात किया जाता है। इसे मद्देनजर नई योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। इससे देश में ताड़ की खेती का रकबा व पैदावार बढ़ाई जा सकेगी।

किसानों को घाटा न होने की गारंटी देगी सरकार

श्री तोमर ने बताया कि नई योजना में दो प्रमुख क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया है। पाम ऑयल के किसान ताजे फलों के गुच्छे (एफएफबी) तैयार करते हैं, जिनके बीज से तेल-उद्योग तेल निकालता है। इस समय इन एफएफबी की कीमतें सीपीओ के अंतर्राष्ट्रीय मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव के आधार पर तय होती हैं। पहली बार केंद्र सरकार इन एफएफबी की कीमत के लिए किसानों को आश्वासन दे रही है। यह व्यवहार्यता मूल्य (वीपी) कहलाएगा, यानी किसानों को कोई घाटा नहीं होने दिया जाएगा। इसके जरिये सीपीओ की अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में उतार-चढ़ाव से किसानों के हितों की रक्षा की जाएगी। यह व्यवहार्यता मूल्य पिछले पांच वर्षों के दौरान वार्षिक औसत सीपीओ कीमत के आधार पर होगा तथा थोक मूल्य सूचकांक में दिए गए पाम ऑयल के आंकड़े में 14.3 प्रतिशत का इजाफा कर दिया जाएगा, यानी व्यवहार्यता मूल्य इन दोनों को मिलाकर तय होगा। इसे तय करने की शुरुआत एक नवंबर से होगी और अगले वर्ष 31 अक्टूबर तक की अवधि तक जारी रहेगी, जिसे ‘पाम ऑयल वर्ष’ कहा जाता है।

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केंद्र सरकार का यह बहुत बड़ा निर्णय है, जिससे भारत के ताड़ की खेती करने वाले किसानों में विश्वास पैदा होगा और वे खेती का रकबा बढ़ाएंगे। इस तरह ताड़ के तेल का उत्पादन भी बढ़ेगा। फार्मूला मूल्य (एफपी) भी निर्धारित किया जाएगा, जिसके तहत क्रेता-विक्रेता अग्रिम रूप से कीमतों पर राजी होंगे। यह महीने के आधार पर सीपीओ का 14.3 प्रतिशत होगा। जरूरत पड़ी तो व्यवहार्यता मूल्य व फार्मूला मूल्य के आधार पर आय-व्यय के अंतराल की भरपाई की जाएगी, ताकि किसानों को घाटा न हो। इस धनराशि को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के रूप में सीधे किसानों के खातों में भेज दिया जाएगा। किसानों को व्यवहार्यता अंतराल की भरपाई के रूप में आश्वासन दिया गया है। उद्योग सीपीओ कीमत का 14.3 प्रतिशत का भुगतान करेंगे, जो 15.3 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। पूर्वोत्तर और अंडमान में इस संबंध में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार सीपीओ की दो प्रतिशत लागत अतिरिक्त रूप से वहन करेगी, ताकि यहां के किसानों को देश के अन्य स्थानों के किसानों के बराबर भुगतान सुनिश्चित हो सके।

पुराने बागों को चालू करेंगे

पुराने बागों को दोबारा चालू करने के लिए 250 रु. प्रति पौधा के हिसाब से विशेष सहायता दी जा रही है, यानी एक पौधा रोपने पर 250 रु. मिलेंगे। पौधारोपण सामग्री की कमी दूर करने के लिए, बीजों की पैदावार करने वाले बागों को सहायता दी जाएगी। इसके तहत भारत के अन्य स्थानों में 15 हेक्टेयर के लिए 80 लाख रु. तक की सहायता राशि दी जाएगी, जबकि पूर्वोत्तध्र तथा अंडमान क्षेत्रों में यह सहायता राशि 15 हेक्टेयर पर एक करोड़ रु. निर्धारित की गई है। इसके अलावा शेष भारत में बीजों के बाग के लिए 40 लाख रु. और पूर्वोत्तर तथा अंडमान क्षेत्रों के लिए 50 लाख रु. तय किए गए हैं। पूर्वोत्त और अंडमान को विशेष सहायता का भी प्रावधान है, जिसके तहत पहाड़ों पर सीढ़ीदार अर्धचंद्राकार में खेती बायो-फेंसिंग और जमीन को खेती योग्य बनाने के साथ एकीकृत किसानी के लिए बंदोबस्त किए गए हैं।
अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

अब समय पर खाद आपूर्ति सुनिश्चित करेगी उत्तर प्रदेश सरकार, कृषि मंत्री और रेल मंत्री के बीच हुई बातचीत

किसानों के लिए खाद एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है, जिसके बिना आज के आधुनिक युग में खेती कर पाना बहुत हद तक संभव नहीं है। इतने महत्वपूर्ण घटक होने के बावजूद कई बार देखा गया है, कि किसानों को खाद समय से नहीं मिल पाती। जिसके कारण किसानों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से नुकसान झेलना पड़ता है। इसलिए अब उत्तर प्रदेश की सरकार ने किसानों को समय पर खाद उपलब्ध करवाने के लिए कमर कस ली है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है, कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है, कि किसानों को समय पर गुणवत्तापूर्ण खाद मिले। ताकि किसानों को किसी भी प्रकार की परेशानी न झेलनी पड़े, साथ ही किसानों को खाद की कमी से किसी भी प्रकार का नुकसान न हो।

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किसानों को मिलेगा आसानी से खाद-बीज, रेट में भारी गिरावट इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से बातचीत की है। जिसमें उन्होंने ट्रेन के माध्यम से खाद की ढुलाई का मुद्दा उठाया है। साथ ही खाद की ढुलाई में हो रही देरी की तरफ भी ध्यान आकृष्ट कराया है। कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को बताया है, कि वर्तमान में डीएपी और यूरिया खाद की ढुलाई में बंदरगाह से स्टेशन तक खाद की बोरियों को पहुंचाने में 8 से 10 दिन का समय लग जाता है। साथ ही कई स्टेशन ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने खाद की ढुलाई को प्रतिबंधित कर दिया है। जिसके कारण खाद की ढुलाई में अनावश्यक समय लगता है। इस वजह से किसानों को समय पर खाद नहीं मिल पाती और किसानों को बुवाई करते समय परेशानी का सामना करना पड़ता है।

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किसानों को भरपूर डीएपी, यूरिया और एसएसपी खाद देने जा रही है ये सरकार इस पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खाद की ढुलाई में लगने वाले समय को कम करने का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि भारतीय रेल अपनी तरफ से भरपूर कोशिश करेगी, जिससे उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में खाद को उपलब्ध करवाने में कम से कम समय लगे। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि उत्तर प्रदेश में कृषि मुख्य व्यवसाय है। यहां 140 लाख हेक्टेयर जमीन में रबी की फसल बुवाई होती है। इसके साथ ही 26 लाख हेक्टेयर जमीन में गन्ने की फसल ली जाती है। फसलों को बिना खाद के उपजाना आसान नहीं है। इसलिए राज्य में खाद की भारी मांग रहती है। इसलिए रेलवे को चाहिए कि उत्तर प्रदेश में खाद की सप्लाई समय पर सुनिश्चित करे, जिससे किसान आसानी से बुवाई कर पाएं।

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अब किसानों को नहीं झेलनी पड़ेगी यूरिया की किल्लत उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने बताया कि इस साल रबी की फसल के समय खाद की आपूर्ति बहुत ही धीमी गति से हो रही है। जिसके कारण रबी की फसल की बुवाई प्रभावित हो रही है। उर्वरक आपूर्तिकर्ता कंपनियों ने जानकारी दी कि भारत के पूर्वी तट पर स्थित बंदरगाहों जैसे- कीनाडा, कृष्णापटनम, गंगावरम, विशाखापत्तनम और पारादीप में खाद के स्टॉक रखे हुए हैं। वहां से रेक उपलब्ध न हो पाने के कारण खाद की जल्द से जल्द आपूर्ति करने में देरी हो रही है। इन बंदरगाहों में 149,800 मिलियन टन खाद वितरण के लिए रखी गई थी। जिसमें से नवंबर तक मात्र 82,143 मिलियन टन खाद की आपूर्ति की जा सकी है। शेष खाद की आपूर्ति जल्द से जल्द पूरी करवाने की कोशिश की जा रही है। सूर्य प्रताप शाही ने केन्द्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से मांग की है, कि दैनिक आधार पर उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य को खाद के 10-12 रैक उपलब्ध कराएं जाएं। फिलहाल राज्य को प्रतिदिन 3 से 4 रेक ही उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। उस खाद को सहकारी समितियों के माध्यम से जल्द से जल्द किसानों तक पहुंचाया जा रहा है। रेल मंत्री ने कहा है, कि अभी फिलहाल 25 से 30 रेक रास्ते में हैं जो जल्द ही अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच जाएंगे। खाद की मुख्य आपूर्तिकर्ता संस्था इफको(IFFCO) लगातार उत्तर प्रदेश के किसानों की मांग को पूरा करने की कोशिश कर रही है।
लाखों किसानों को सिखाए जाएंगे उन्नत खेती के गुण, होगा फायदा

लाखों किसानों को सिखाए जाएंगे उन्नत खेती के गुण, होगा फायदा

उत्तर प्रदेश में किसानों की आर्थिक मदद के लिए अब उन्हें उन्नत खेती के गुण सिखाए जाएंगे. इतना ही नहीं इंटरनेशनल मिलेट ईयर को सफल बनाने के लिए यूपी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण होने वाली है. साल 2023 में पूरी दुनिया इंटरनेशनल मिलेट ईयर पूरी दुनिया मना रही है. यह आयोजन भारत की पहल पर हो रहा है. इस आयोजन को सफल बनाने के लिए जोरों पर तैयारियां की जा रही हैं. हालांकि खेती उत्तर प्रदेश में ज्यादातर लोगों की रोजी रोटी का साधन है. उत्तर प्रदेश में दुनिया की सबसे ज्यादा उर्वरतम जमीन है. जोकि गंगेटिक बेल्ड का अधिकांश हिस्सा भी है. इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में ना तो पानी की कमी है, और ना ही मानव संसाधन की, जिसके चलते यहां पर खेती की संभावना भी अच्छी है. उत्तर पदेश मात्र एक ऐसा राज्य है, जिसमें सिर्फ मात्र 11 रकबे का है, और 20 फीसद खाद्यान पैदा करता है. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी खेती बाड़ी में ज्यादा रूचि है. जिस वजह से अंतरराष्ट्रीय मिलेट को सफल बनाने के लिए यूपी की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर तैयारियां

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्र निर्देश के हिसाब से तैयारियां की जा रही हैं. इसके अलावा कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के निर्देशों का पालन भी किया जा रहा है, उत्तर प्रदेश मिलेटस पुनरोद्धार कार्यक्रम को चलाने के पीछे की मंशा यही है कि, मिलेट्स से जुड़ी पोषण सम्बंधी खूबियों को लोगों तक पहुंचाएं. अच्छे स्वास्थ्य और पोषण सुरक्षा के लिए ज्यादा से ज्यादा लोग इनका किसी ना किसिया रूप से उपयोग उपभोग कर सकें.

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इस योजना के तहत मिलेट्स फसलों में जैसे ज्वार, बाजरा, कोदो, सवा की खेती को बड़े पैमाने में बढ़ावा देने के लिए उचित प्रयास किये जा रहे हैं. यूपी सरकार मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम में करीब 186.27 करोड़ रुपये खर्चा कर रही है. साल 2021 से 2022 में कुल 10.83 लाख हेक्टेयर की एरिया में खास मिलेट्स फसलों का उत्पादन किया जाता है. इसमें बाजरा , ज्वार, कोदो और सावा का रकबा क्यों लाख हेक्टेयर में फैला हुआ है. यूपी की योगी सरकार ने साल 2026 से 2027 तक इनकी बुवाई का रकबा बढाकर तकरीबन 25 लाख हेक्टेयर करने का लक्ष्य तय किया है.

सरकार देगी फ्री में बीज

यूपी सरकार ने आने वाले चार सैलून में ढ़ाई लाख किसानों को फ्री में बीज देने का फैसल किया है. जिसके लिए वो 11.86 करोड़ रुपये भी खर्च करने वाली है. इतना ही नहीं मिलेट्स बीजों के उत्पादन के लिए सरकार की तरफ से साल 2023 से 2024 और साल 2026 से 2027 तक कुल 180 कृषक उत्पादक संगठनों को चार लाख रुपये प्रति एफपीओ (FPO) के हिअब से सीड मनी दी जाएगी. जिससे भविष्य में राज्य में मिलेट्स की तरह तरह की फसलों के बीज को स्थानीय स्तर पर किसानों को उपलब्ध करवा सकेंगे. इतना ही नहीं इस कार्यक्रम के लिए चार सालों में 7 करोड़ से भी ज्यादा की धन राशि खर्च की जाएगी.
उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश सरकार के ऐलान से किसानों में खुशी की लहर

उत्तर प्रदेश कृषकों के लिए सरकार ने घर बैठे मिलेट्स की फसल को विक्रय करने की सुविधा को मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य के किसान नीचे दी गई जानकारी के अनुरूप रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को पूर्ण कर सकते हैं। कृषक भाइयों को उनकी फसल का उचित भाव दिलाने के लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को चालू किया, जिसमें करोड़ों किसानों को फायदा भी मिला है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के किसान भाई जो मोटे अनाज का उत्पादन करते हैं, उन्हें भी उनकी फसल का समुचित फायदा पहुंचाने के लिए MSP की खरीद चालू कर दी है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि उत्तर प्रदेश में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य मतलब कि MSP की खरीद पर ज्वार, बाजरा, मक्का से किसानों को लाभ पहुंचेगा। कहा जा रहा है, कि इस काम के लिए सरकार ने रजिस्ट्रेशन कार्य भी आरंभ कर दिए हैं। जिससे किसानों को वक्त पर इसका पूर्ण फायदा मिल सके।

जानिए मिलेट्स की यह फसलें कितने में बिकेंगी

खबरों के अनुसार, किसान अपनी फसल को सही भाव पर बेच सकते हैं। मक्का (Maize ) - 2090 /- प्रति क्विंटल, बाजरा (Millet) - 2500 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (हाइब्रिड) - 3180 /- प्रति क्विंटल, ज्वार (मालदाण्डी) - 3225 /- प्रति क्विंटल

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इस प्रकार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी करें

बतादें कि यदि आप उतर प्रदेश के किसान हैं और आपने धान की बिक्री करने के लिए पंजीकरण नहीं किया है, तो आप खाद्य एवं रसद विभाग की वेबसाइट fcs.up.gov.in अथवा विभाग के मोबाइल एप UP KISHAN MITRA से रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को पूर्ण करें। बतादें, कि फसलों की रजिस्ट्रेशन की यह प्रक्रिया 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर, 2023 तक कर सकते हैं। ख्याल रहे कि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करने का वक्त प्रातः 9 बजे से लगाकर शाम 5 बजे तक हैं। वहीं, इस संदर्भ में ज्यादा जानकारी के लिए आप चाहें तो सरकार के द्वारा जारी किए गए टोल फ्री नंबर- 1800 1800 150 पर कॉल कर संपर्क साध सकते हैं।

पंजीकरण के लिए आवश्यक कागजात

बतादें, कि यदि रजिस्ट्रेशन के दौरान आपका कोई भी कागजात सही नहीं पाया जाता है, तो आप इस सुविधा का फायदा नहीं उठा पाएंगे। आपकी रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को भी निरस्त कर दिया जाएगा। इस वजह से जब आप रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, उस वक्त अपने सही व आवश्यक कागजात को ही दें। जैसे कि- किसान समग्र आई डी नंबर, ऋण पुस्तिका, आधार नंबर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड और मोबाइल नंबर इत्यादि।

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किसान मिलेट्स की फसल इन जगहों पर बेच सकते हैं

उत्तर प्रदेश के कृषक भाई अपने घर बैठे ऑनलाइन ढ़ंग से विभिन्न जनपदों में अपनी फसल की बिक्री कर सकते हैं। चंदौली, बलिया, मिर्जापुर, भदोही, जालौन, चित्रकूट, बाँदा, प्रयागराज, कौशाम्बी, फतेहपुर, बांदा, चित्रकूट, हमीरपुर, महोबा, कानपुर देहात, कानपुर शहर, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशाम्बी, प्रतापगढ़, जौनपुर, गाज़ीपुर, रायबरेली, सीतापुर, उन्नाव, हरदोई, सुलतानपुर, अमेठी, मिर्जापुर, जालौन, अयोध्या, वाराणसी, प्रतापगढ़, बुलंदशहर, गौतमबुद्ध नगर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, अमरोहा, अलीगढ, कासगंज, एटा, हाथरस, आगरा, मथुरा, मैनपुरी, फिरोज़ाबाद, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फरुखाबाद, वाराणसी, जौनपुर और गाजीपुर आदि बहुत सारे जिले हैं।
मेरीखेती की टीम ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आयोजित मेले को कवर किया

मेरीखेती की टीम ने पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में आयोजित मेले को कवर किया

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में दो दिवसीय किसान व पशुपालन मेले का भव्य आयोजन हुआ। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यहां पहुंचकर कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन देने वाले लोगों को पुरस्कार दिया। इस दौरान मुख्यमंत्री मान ने कहा कि पंजाब की खेती की आन बान शान एवं पंजाबियों के दिलों के करीब पीएयू ने कृषि क्षेत्र को दिशा दिखाई है। मेले में आकर किसानों ने काफी नवीन तकनीकों के बारे में जाना। सीएम भगवंत मान ने इस दौरान कहा कि जब मैं आ रहा था तो नहर वाले रास्ते पर मुझे यह देखकर खुशी हुई कि पंजाब के नौजवानों ने हाथों में बीजों की बोरियां पकड़ी हुई थीं और वे खेती के लिए जा रहे थे। उन्होंने कहा कि अब खेती के तरीके बदल गए हैं। साइंस ने कृषि को और एडवांस कर दिया है। खेत में सिंचाई के भी अब एक नहीं कई तरीके आ गए हैं।

भारत में पंजाब बासमती चावल का सबसे बड़ा उत्पादक: मुख्यमंत्री भगवंत मान

सीएम भगवंत मान ने कार्यक्रम में कहा कि पंजाब सरकार ने
बासमती चावल की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया है। भारत में पंजाब बासमती का सबसे बड़ा उत्पादक है। हमने विदेश में बासमती को लेकर मापदण्डों के विषय में पता किया। विदेश में बासमती के लिए जिन कीटनाशक दवाइयों को लेकर प्रतिबंधित थी। हमारी सरकार द्वारा उन दस की दस स्प्रे पर रोक लगा दी। ताकि बासमती को ज्यादा से ज्यादा खरीदा जाए।

मेरीखेती के संवाददाता ने कृषि मंत्री से की बात

मेरीखेती के संवाददाता सोनेश पाठक जी ने पंजाब के कृषि मंत्री श्री गुरमीत सिंह खुडियां से अपनी वेबसाइट से संबंधित समस्त किसान हितेषी कार्यों के बारे में अवगत कराया। साथ ही, उन्होंने कृषि क्षेत्र में आधुनिक एवं नवीनतम मशीनरी के उपयोग और महत्व के संदर्भ में भी चर्चा की। पंजाब एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां कृषि उद्योग की सफलता के लिए काफी अवसर होते हैं।
केंद्रीय कृषि मंत्री ने झारखंड में तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेले का उद्घाटन किया

केंद्रीय कृषि मंत्री ने झारखंड में तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेले का उद्घाटन किया

केंद्रीय कृषि मंत्री श्री अर्जुन मुंडा ने रविवार 10 मार्च को झारखंड के सिमडेगा जनपद में तीन दिवसीय पूसा कृषि विज्ञान मेले का उद्घाटन किया। सिमडेगा जनपद के अल्बर्ट एक्का स्टेडियम में आयोजित इस मेले का प्रमुख विषय “कृषि उद्यमिता– समृद्ध किसान” है।

भारत को दलहन-तिलहन में आत्मनिर्भर बनाने का निश्चय

मुख्य अतिथि श्री अर्जुन मुंडा ने कहा, कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में किसानों के कल्याण के लिए पूसा संस्थान और अन्य अनुसंधान संस्थाओं द्वारा लगातार बेहतरीन प्रयास किया रहा है। 

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उन्होंने किसानों से नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके वैज्ञानिक नवाचारों का अधिकतम लाभ उठाने का आह्वान किया। श्री मुंडा ने दलहन-तिलहन के क्षेत्र में भी देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बड़ी संख्या में मौजूद किसानों को संकल्प दिलाया।

प्रदर्शनी से फसलों का रोग से संरक्षण हो सकेगा 

केंद्रीय मंत्री ने कहा, कि बीज में रोग ना लगे, इसके लिए कृषि वैज्ञानिकों द्वारा निरंतर कार्य किया जा रहा है। धान की फसल में जल की कम खपत हो, इसके लिए कैसे बीज तैयार किए जाएं, इस संबंध में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान सहित विभिन्न संस्थानों के माध्यम से शोध व अध्ययन किया जा रहा है और नई फसल किस्में तैयार भी की गई हैं। इस प्रदर्शनी के जरिए से किसानों को फसलों में रोग से संरक्षण के बारे में भी जानकारी मिलेगी।

किसानों का डेटाबेस तैयार किया जा रहा है 

अर्जुन मुंडा ने बताया कि सिमडेगा जिले को आदर्श जिला बनाना है। कृषि के आधुनिकीकरण के मकसद से केंद्रीय स्तर पर केंद्र के माध्यम से किसानों का डेटाबेस बनाया जा रहा है, जिससे वह सीधे कृषि मंत्रालय से जुड़कर नई तकनीकों का लाभ ले सकें और उनके गांव-खेत की जानकारी डिजिटल रूप से जुटाकर सरकार उनके कल्याण के लिए ज्यादा मजबूती से कार्य कर सकें।

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा, नई दिल्ली द्वारा सिमडेगा में आयोजित मेले के दौरान देशभर से विभिन्न कृषि संस्थान, कृषि विश्वविद्यालय व कृषि विज्ञान केंद्र नवीन तकनीकियों का प्रदर्शन कर रहे हैं। 

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उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मूल्य संवर्धन और फसल विविधता पर चर्चा की जाएगी। मेले में कृषक उत्पादक संगठन व महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा भी स्टॉल लगाये गए है। पूसा संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा संगोष्ठी भी की जा रही है, जिससे किसानों को नवीन तकनीकों की जानकारी प्राप्त हो सकेगी।

पूसा कृषि विज्ञान मेले में कौन-कौन उपस्थित रहे 

कृषि विज्ञान मेले के इस अवसर पर श्रीमती विमला प्रधान पूर्व मंत्री झारखंड, श्री निर्मल कुमार बेसरा पूर्व विधायक, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, दिल्ली के निदेशक डा. अशोक कुमार सिंह, डा. एस.सी. दुबे कुलपति बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, डा. सुजय रक्षित, निदेशक, भारतीय कृषि जैव प्रोद्यौगिकी अनुसंधान संस्थान, रांची, डा. विशाल नाथ समेत विभिन्न कृषि अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिक एवं प्रतिनिधि भी मौजूद थे।