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वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से इस राज्य के गाँव में हुआ केसर का उत्पादन

वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयास से इस राज्य के गाँव में हुआ केसर का उत्पादन

कश्मीर केसर की पैदावार के मामले में अलग ही पहचान रखता है। पहली बार इसका उत्पादन सिक्किम के एक गांव में किया गया था। वैज्ञानिक अब इस फसल का रकबा मेघालय एवं अरुणांचल प्रदेश की तरफ विस्तृत कर रहे हैं। केसर सुगंध एवं औषधीय गुणों की विशेषता की वजह से जानी जाती है। भारत का कश्मीर बड़े पैमाने पर केसर की फसल का उत्पादन करता है। कश्मीर का केसर देश के साथ-साथ दुनियाभर में अपनी बेहतरीन पहचान रखता है। केंद्र सरकार द्वारा बीते काफी वक्त से केसर की खेती का रकबा बढ़ाने की कोशिश में जुटी हुई है। साथ ही, केसर का उत्पादन कश्मीर के अतिरिक्त अन्य राज्यों में भी किया जाना चाहिए। फिलहाल वैज्ञानिकों द्वारा अद्भुत कार्य कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कश्मीर के अलावा भी अन्य राज्यों में केसर की फसल होगी।

सिक्किम के किस गाँव में की गयी केसर की खेती

मीडिया खबरों के मुताबिक, वैज्ञानिक काफी वक्त से प्रयासरत थे, कि कश्मीर के अतिरिक्त अन्य प्रदेशों में भी केसर की पैदावार की जा सके। साथ ही इसके रकबे को बढ़ाने में भी लगे हुए थे। नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रिसर्च द्वारा बहुत पहले से इस विषय पर शोध किया जा रहा था। नतीजतन दक्षिण सिक्किम में उपस्थित यांगतांग गांव में प्रथम बार केसर का सफलतापूर्वक उत्पादन एवं खेती हुई है। सामने आये परिणामों की वजह से वैज्ञानिक बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं।

इन राज्यों में बढ़ाया जायेगा केसर का उत्पादन

सिक्किम के उपरांत वैज्ञानिक फिलहाल दूसरे प्रदेशों तक बढ़ावा देने हेतु प्रयासरत हैं। आज केसर की बुवाई अरुणाचल प्रदेश में तवांग एवं मेघालय के बारापानी तक विस्तृत की जा रही है। मीडिया खबरों के मुताबिक, बहुत वक्त पूर्व सिक्किम सरकार द्वारा अपने राज्य के अलग अलग इलाकों में केसर की खेती की जाने की संभावना देखी गयी। क्योंकि सिक्किम की भूमि केसर की खेती हेतु उपयुक्त मानी गयी है। बतादें, कि पूर्वी सिक्किम में खमडोंग, पदमचेन, पंगतांग, सिमिक एवं समीपवर्ती इलाकों को केसर की बुवाई हेतु चिन्हित किया गया है। सिक्किम के अधिकारियों द्वारा जम्मू कश्मीर में पहुँच केसर की स्थिति का मुआयना किया जा चुका है।
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जानिए किस वजह से हो रही है केसर की खेती सफल

जम्मू कश्मीर एवं सिक्किम के बागवानी विभाग के अधिकारी केसर की पैदावार को लेकर निरंतर संपर्क साधे हुए हैं। इसके लिए अधिकारियों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, किसी भी फसल का उत्पादन पर्यावरण पर काफी ज्यादा निर्भर होता है। यदि हम केसर की खेती के बारे में बात करें तो कश्मीर एवं सिक्किम मौसमिक एवं भौगोलिक दृष्टि से एक समान ही हैं। मीडिया खबरों के मुताबिक, अधिकारिक रूप से यह सिद्ध किया गया है, कि सिक्किम सरकार द्वारा करीब डेढ़ एकड़ रकबे में केसर का उत्पादन किया जाता है। जिसका अच्छा खासा परिणाम भी देखने को मिला है।

जमीन के छोटे से भाग में किया गया केसर का उत्पादन

मीडिया खबरों के मुताबिक, सिक्किम के गवर्नर गंगा प्रसाद ने बताया था, कि मिशन 2020 में सिक्किम विश्वविद्यालय की निगरानी में जमीन के छोटे से भाग पर केसर का उत्पादन किया गया था। परिणामस्वरूप उस भूमि में बेहद अच्छा उत्पादन भी हुआ था। परिणामों को देखने के बाद केसर को अन्य राज्यों के दूसरे हिस्सों में बोने का फैसला लिया गया है। प्रदेश में 80 फीसद की दर से केसर का उत्पादन हुआ है।
कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

जब से बिहार में सरकार बदली है, उसके बाद से नीतिश कुमार छात्रों ही नहीं, किसानों पर भी बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं। खेती में मशीनों का इस्तेमाल आज कल बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इनके उपयोग से ही किसान अपना ज्यादा काम कम समय में कर पाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी का असर ये होगा कि जो किसान ज्यादा लागत की मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी इन्हें खरीद पाएंगे। गौर करने वाली बात है कि सरकार यह सब्सिडी 90 प्रकार की कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर दे रही है। सब्सिडी वाली मशीनों के लिए एप्लिकेशन प्रोसेस भी शुरू हो गया है। इच्छुक किसान इसके लिए 31 दिसंबर तक एप्लिकेशन दे सकते हैं


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किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही MP सरकार
इस योजना की शुरुआत बिहार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने की है। इस योजना का नाम कृषि यंत्रीकरण है। इसी योजना के अंतर्गत सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे किस तरह की मशीनें हैं जिन पर सब्सिडी दी जा रही है, तो आपको बता दें कि इसके लिए कटाई, सिंचाई, गुडाई, निराई गन्ना और बागवानी से जुड़ी मशीनें शामिल हैं। अगर आपको इन सारी मशीनों की लिस्ट चाहिए और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानना है, तो आपको OFMAS पोर्टल (OFMAS - Online Farm Mechanization Application Software) पर जाना होगा। यहां आपका पूरा ब्योरा मिल जाएगा।

इस योजना को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने ट्वीट किया था, जिसमें पूरा ब्योरा बताया गया था

लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि जो लोग पहले अप्लाई करेंगे तो उन्हें लाभ पहले मिलेगा, क्योंकि यह पूरा प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के तहत है। चूंकि बिहार सरकार ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फौरन कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर दें ताकि आपका नंबर पहले लग सके। लेकिन आवेदन के पहले आपको पंजीकरण करना होगा, जो अनिवार्य है। बिहार सरकार ने इस योजना के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है। इसी बजट के अंर्तगत किसानों को कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी। बिहार में किसान अक्सर की मौसम की मार झेलते रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में शानदार है। इस योजना से छोटे व मझोल किसानों को मदद मिलेगी।
इस राज्य के लाखों किसानों के खाते में भेजे गए 140 करोड़ रुपये, इस तरह करें जाँच

इस राज्य के लाखों किसानों के खाते में भेजे गए 140 करोड़ रुपये, इस तरह करें जाँच

मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत एमपी के 7 लाख से अधिक कृषकों को 140 करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि स्थानांतरित की जा चुकी है। किसानों को दो किस्तों में 4,000 रुपये भेजे जाते हैं। कृषि क्षेत्र की उन्नति एवं प्रगति जब ही संभव है, जब कृषकों की आर्थिक हालत सुद्रण रहेगी एवं कृषकों की आमदनी में वृद्धि हेतु बहुत सारी कोशिशें की जा रही हैं। खेती की लागत को कम करने की पहल की जा रही है। 

केंद्र एवं राज्य सरकारें विभिन्न योजनाओं के माध्यम से किसानों को आर्थिक ताकत दे रही हैं। इसी क्रम में केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना जारी की है। इस योजना के अंतर्गत करोड़ों कृषकों के खाते में वार्षिक 6,000 रुपये दो-दो हजार रुपये की किस्तों में सीधे तौर पर स्थानांतरित किए जाते हैं। राज्य सरकारें भी स्वयं के स्तर पर कृषकों को आर्थिक सशक्तिकरण प्रदान करती हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश की सरकार ने भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना जारी की है, इसके अंतर्गत वार्षिक 4,000 रुपये प्रदेश के कृषकों को प्रदान किए जाते हैं।

7 लाख किसानों के खाते में 140 करोड़ रुपये हस्तांतरित

हाल ही, में मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत 7 लाख किसान परिवारों को 140 करोड़ रुपये की धनराशि अंतरित की गई है। यह धनराशि रीवा संभाग में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डायरेक्ट किसानों के खाते में हस्तांतरित की है। प्रदेश के लाखों किसानों को इस योजना के जरिए काफी फायदा पहुँचाया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत प्रतिवर्ष 4,000 रुपये की आर्थिक सहायता किसानों को दी जाता है। यह धनराशि प्रत्येक 6 माह में हस्तांतरितकी जाती है। इस योजना का सर्वाधिक लाभ उन किसानों को प्राप्त होता है। जो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत वार्षिक 6,000 रुपये की सहायक धनराशि का फायदा उठाते हैं।

खाते में पैसे आए कि नहीं कैसे पता करें

हाल ही, में 7 लाख कृषकों के खाते में 140 करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गई है। अगर आप भी मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के पात्र हैं तब आप ऑफिशियल साइट https://saara.mp.gov.in/ पर जाकर योजना की हस्तांतरित धनराशि की जाँच कर सकते हैं। 

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  • सर्व प्रथम https://saara.mp.gov.in/ पर जाकर क्लिक बटन दबाएं।
  • वेबसाइट के होम पेज पर किसान स्वयं के आधार कार्ड या बैंक खाते नंबर दर्ज करें।
  • यहां पर वर्ष, जिले, तहसील, किस्त एवं स्वयं के गांव का चयन करें।
  • उसके बाद स्क्रीन पर गांव के समस्त किसानों की सूची स्वयं जाएगी।
  • यहां निज गांव के समीप अंकित संख्या पर क्लिक करके बैंक में हस्तांतरित धनराशि की जाँच कर सकते हैं।

किसान किस तरह से फायदा उठा सकते हैं।

अगर स्वयं आप भी मध्य प्रदेश निवासी हैं एवं निजी भूमि पर खेती किसानी करते हैं। तो मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना के अंतर्गत लाभ लेने हेतु अधिकार रखते हैं। इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करना बहुत ज्यादा सुगम है। 

यदि आप चाहें तो, सर्वप्रथम कृषि विभाग के कार्यालय में पहुँचकर योजना की पात्रता आदि के विषय में अवगत हो सकें। आप जब आवेदन करें उस समय किसान को स्वयं का आधार कार्ड, खेत का खसरा-खतौनी, निवास प्रमाण पत्र, पंजीकृत मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो। अगर पूर्व से ही आप प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से फायदा उठा रहे हैं, तब भी पंजीकरण के उपरांत डायरेक्ट आवेदन किया जा सकता हैं।

पोस्ट ऑफिस ने चलाई योजना, किसानों को मिलेगा लाभ

पोस्ट ऑफिस ने चलाई योजना, किसानों को मिलेगा लाभ

शहरों के मुकाबले, गांव की अर्थव्यवस्था एक दूसरे से काफी अलग होती है. गांव के लोग खेती, किसानी और पाशुपालन जैसे काम करके अपनी आजीविका चलाते हैं. ऐसे सरकार उनकी आबादी की आय और कई तरह की सुविधाएं देने की लिए योजनाएं बना रही है. जिनके चलते ग्रामीण किसान अपने भविष्य को सुरक्षित कर सकें. इसी के तर्ज पर काफी लोग कई जगह निवेश करते हैं. लेकिन बात पोस्ट ऑफिस की करें, तो इसकी कुछ योजनाएं पैसों को बढ़ाने में मदद कर रही हैं. पोस्ट ऑफिस ग्राम सुरक्षा योजना भी इसी योजना का हिस्सा है. जो खास तौर पर ग्रामीण आबादी के लिए ही चलाई जा रही है. इस योजना के तहत लाभार्थियों को सिर्फ 50 रुपये रोज के हिसाब से निवेश करना होगा. हालांकि यह पैसा हर दिन नहीं देना होगा. बल्कि हर महीने एक मुश्त 15 सौ रुपये जमा करने होंगे. जिसके बदले एन निश्चित समय के बाद 35 लाख रुपये का रिटर्न मिल सकता है.

कैसे मिलता है योजना का लाभ?

19 साल की उम्र से लेकर 35 साल की उम्र तक कोई भी पोस्ट ऑफिस ग्राम सुरक्षा योजना में आवेदन कर सकता है. इस स्कीम के तहत 10 हजार से लेकर 10 लाख रुपये का निवेश करने की सहूलियत दी जाती है. अगर आप चाहें तो इसे महीने से लेकर तिमाही, छमाई या फिर हर साल भी निवेश कर सकते हैं. ये भी देखें:
जनधन योजना की खाताधारक महिलाओं को तीन माह तक 500 रुपए की मदद इसके अलावा हर रोज 50 रुपये या फिर महीने में 15 सौ रुपये का आंशिक निवेश करना होता है. उसके बाद आपको 31 से 35 लाख तक का रिटर्न मिल सकता है. इंवेस्ट करने वाले लाभार्थी की मौत अगर 80 साल की उम्र में होती है, तो बोनस के साथ पूरा पैसा उसके लाभार्थी को मिल सकता है.

चार साल तक निवेश पर लोन की सुविधा

पोस्ट ऑफिस ग्राम सुरक्षा योजना के तहत निवेश करने वाले लाभार्थी को चार साल तक निवेश करने पर लोन की सुविधा भी दी जाती है. अगर लाभार्थी लगातार पांच साल तक इंवेस्ट करता है, तो उसे बोनस मिलना शुरू हो जाता है. वहीं अगर लाभार्थी बीच में ही इसे छोड़ना चाहे तो तारीख के तीन साल बाद इस सुविधा का फायदा उठाना चाहिए.

पैसे मिलने की पॉलिसी

जो भी लाभार्थी पोस्ट ऑफिस ग्राम सुरक्षा योजना के तहत निवेश करेंगे उन्हें उनकी 80 साल की उम्र पूरी करते ही पॉलिसी की पूरी रकम सौंप दी जाएगी. नियमों के मुताबिक 55 साल के निवेश पर 31 लाख 60 हजार रुपये, ५८ साल में 33 लाख 40 हजार और ६०साल पर 34 लाख 60 हजार रुपयों का लाभ दिया जाएगा. अगर आप भी इस योजना का लाभ पाना चाहते हैं तो www.indiapost.gov.in यहां पर संपर्क कर सकते हैं.
किसानों के लिए वरदान है किसान उत्पादक संगठन, मिलती है मदद

किसानों के लिए वरदान है किसान उत्पादक संगठन, मिलती है मदद

अगर आप भी किसान हैं तो आपके लिए किसान उत्पादक संगठन एक वरदान की तरह साबित हो सकता है. कई तरह की मदद के साथ बढेगा मनोबल भी. किसानों की एक जुटता बड़े से बड़े तूफान से लड़ने का दम रखती है. 

इसके अलावा किसानों को कृषि कार्यों में बखूबी प्रदर्शन करने की भी प्रेरणा मिलती है. एक किसान एक जुट हो जाएं, तो खेती किसानी से जुड़ी मुश्किलों का हल आसानी से निकाला जा सकता है. इतना ही नहीं किसानों की यही एक जुटता सामाजिक और आर्थिक मदद की मिसाल बन कर खड़ी हो जाती है. 

इसी तर्ज पर किसानों की एक जुटता के लिए किसान उत्पादक संगठन बनाने पर जुट गया है. अगर आज के समय में कृषि उत्पादकों सफलता का श्रेय में कहीं ना कहीं किसान उत्पादक संगठनों को दिया जा सकता है. जिस संगठन से जुड़कर किसान अपना आने वाला कल संवार सकते हैं.

जानिए किसान उत्पादक संगठन के बारे में

किसान उत्पादक संगठन किसानों द्वारा बनाया गया स्वयं सहायता समूह है. जहां किसान ही दूसरे किसान की मदद करते हैं. अगर कोई किसान इस संगठन से जुड़ता है तो, उसे ना सिर्फ सस्ते दामों में बीज मिल सकते हैं बल्कि, कीटनाशक, उर्वरक, नेटवर्किंग, तकनीकी मदद, कृषि तकनीक, मार्केट लिंकेज के साथ साथ आर्थिक मदद भी मिलती है. इस मदद का ख़ास उद्देश्य यही है कि, इससे किसानों का मनोबल बढ़े और खेती में अच्छा प्रदर्शन कर सकें. 

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महामारी के दौरान किसान उत्पादक संगठन ने लाखों किसानों की मदद की. जिसके बाद केंद्र सरकार ने भी इस संगठन को परखा और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए 10 हजार किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना को प्रोत्साहित किया.

संगठन कैसे करते हैं काम?

किसान उत्पादक संगठन के नाम से ही इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि, यह संगठन पूरी तरह से किसानों का संगठन है. इसमें शामिल सदस्य एक दूसरे की मदद करते हैं. हर संगठन में कम से कम 11 किसान होने जरूरी हैं. जिसमें हर तरह के किसान होते हैं. 

अगर कोई किसान आर्थिक रूप से कमजोर है तो वो भी इस संगठन का हिस्सा बन सकते हैं. इतना ही नहीं किसानों को जरूरत पड़ने आदानों और सेवाओं को रियारती खर्च दिया जाता है. जिसकी मदद से किसान कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा सकता है.

सरकार दे रही सहायता राशि

केंद्र सरकार की तरफ से किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना पर जोर दिया जा रहा है. जिसके लिए एक योजना भी चलाई जा रही है. 

जिसमें आवेदन करके कम से कम तीन सल तक किसानों के लिए काम करने वाले संगठन को 15 लाख रुपयों की सरकार की तरफ से मदद दी जाती है.

इस तरह से करें आवेदन

अगर कोई किसान भाई किसान उत्पादक संगठन से जुड़ना चाहता है तो वो, आवेदन करने के लिए अपना आधार कार्ड, स्थाई निवास प्रमाण पत्र बैंक कि पूरी डिटेल, जमीन के कागज और पासपोर्ट साइज की फोटो देना जरूरी होगा. 

इसके अलावा इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए http://sfacindia.com/FPOS.aspx पर भी जा सकते हैं.

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

भारत सरकार किसानों के कल्याण के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है. अभी भी सरकार द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए पीएम किसान सम्मान निधि, किसान समृद्धि केंद्र, किसान क्रेडिट कार्ड और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. 

हम सभी जानते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6000 दिए जाते हैं जो उन्हें ₹2000 की किस्त में तीन बार खाते में दिए जाते हैं. 

सरकार द्वारा किसानों को उनके बुढ़ापे के दौरान मदद करने के लिए एक पेंशन स्कीम भी चलाई जा रही है. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसान सरकार से पेंशन ले सकते हैं.

क्या है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना?

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सरकार के द्वारा चलाई गई योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए चालू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बुढ़ापे में किसानों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देना है. 

18 से 40 साल की उम्र के किसान इस योजना के तहत फायदा ले सकते हैं. अगर जमीन की बात की जाए तो 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान इस योजना के लिए आवेदन दे सकते हैं. 

इसके अलावा अगर उनके नाम पर राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी तरह की भूमिका रिकॉर्ड है तो इस योजना के तहत उन्हें योग्य नहीं माना जाएगा. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अनुसार एक बार किसान जब 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेता है तो उसके बाद उन्हें हर महीने ₹3000 की न्यूनतम पेंशन सरकार द्वारा दी जाएगी.  

इसके अलावा अगर किसी कारण से किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी या फिर परिवार को पेंशन का आधा हिस्सा यानी कि 50% पेंशन मुहैया करवाई जाएगी. सरकार द्वारा दी जाने वाली यह पेंशन केवल पति पत्नी के लिए ही लागू है एक बार किसान की मृत्यु होने पर उसके बच्चे इस योजना के तहत लाभ नहीं उठा सकते हैं. 

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कितने किसान  दे रहे हैं आवेदन?

इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच में किसान आवेदन दे सकता है.  इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों को 60 साल की उम्र तक हर महीना केवल 55 से ₹200 का योगदान करना होगा. 

एक बार 60 वर्ष का हो जाने के बाद आप इस स्कीम के तहत पेंशन राशि प्राप्त करने के लिए योग्य हो जाते हैं. इसके बाद हर महीने उनके पेंशन खाते में एक निश्चित राशि सरकार द्वारा जमा होती रहेगी. 

इस योजना में सरकार मिलान योगदान देती है. उदाहरण के लिए अगर कोई भी किसान खाते में ₹200 जमा कर रहा है तो सरकार की तरफ से भी उस खाते में ₹200 जमा किए जाएंगे. आंकड़ों की मानें तो अभी तक लगभग 2 करोड़ से ज्यादा किसान प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के विकल्प को चुनने के लिए आवेदन दे चुके हैं

अब किसानों को घर बैठे मिलेगा कृषि योजनाओं का लाभ, इस एप पर मिलेगी सम्पूर्ण जानकारी

अब किसानों को घर बैठे मिलेगा कृषि योजनाओं का लाभ, इस एप पर मिलेगी सम्पूर्ण जानकारी

सरकार लगातार किसानों की सुविधाओं का ध्यान रखने का प्रयत्न करती है, इसके लिए समय-समय पर नई योजनाएं चलाई जाती हैं। जिससे किसान भाई आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं साथ ही खेती किसानी में भी तरक्की करते हैं। लेकिन किसानों के साथ एक समस्या अब भी बनी हुई हैं कि किसानों को खेती बाड़ी से संबंधित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने के लिए  कृषि विभाग या ई-मित्र सेवा केंद्रों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। अब राजस्थान सरकार ने इस समस्या का पूरी तरह से समाधान कर दिया है। अब सरकार ने 'राज किसान सुविधा मोबाइल एप्लीकेशन' लॉन्च किया है जिसके माध्यम से अब किसान भाई घर बैठे बिना किसी मशक्कत के सरकारी योजनाओं का लाभ बेहद आसानी से ले पाएंगे। इस एप्लीकेशन को किसान भाई अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं। साथ ही इस एप्लीकेशन के माध्यम से बेहद आसानी से सरकारी योजनाओं में पंजीकरण और आवेदन कर सकते हैं।

इन लोगों को मिलेगा राज किसान सुविधा एप्लीकेशन का लाभ

राजस्थान सरकार की तरफ से जारी किए गए इस एप्लीकेशन का लाभ कृषि,
बागवानी, पशुपालन और कृषि मार्केटिंग से जुड़े लोगों को मिल सकेगा। अब लोग बेहद आसानी से योजनाओं या सुविधाओं की जानकारी एप्लीकेशन के माध्यम से हासिल कर सकेंगे। राजस्थान सरकार के अधिकारियों ने बताया है कि इस एप्लीकेशन पर राजस्थान सरकार की सभी योजनाओं की जानकारी विस्तृत रूप से उपलब्ध है। सरकारी अधिकारियों ने यह भी बताया है कि एप्लीकेशन पर ग्रामीण अर्थव्यवस्था, कृषि बागवानी और पशुपालन की जानकारी एक जगह पर उपलब्ध करवा दी गई है ताकि किसान भाइयों को जानकारी प्राप्त करने के लिए परेशान न होना पड़े। ये भी देखें: करनी है बंपर कमाई, तो बनिये बागवानी मिशन का हिस्सा

एप्लीकेशन पर मिलेंगी ये सुविधाएं

राजस्थान के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि राज किसान सुविधा एप्लीकेशन पर किसानों की सहूलियत के लिए हर तरह की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। अब किसान एप्लीकेशन के माध्यम से कृषि यंत्रों की किसी भी प्रकार की जानकारी हासिल कर सकते हैं साथ ही एप्लीकेशन पर रजिस्टर करके सीधे कृषि यंत्र की बुकिंग करवा सकते हैं। जिससे कुछ दिनों बाद कृषि यंत्र किसान के घर डिलीवर हो जाएगा। इसके अलावा इस एप पर खेती करने की तकनीकों के वीडियो, मौसम की जानकारी, खाद बीज से संबधित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध होगी। साथ ही उर्वरक, कीटनाशक के विक्रेताओं की लिस्ट, कोल्ड स्टोरेज की जानकारी, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी भी उपलब्ध होगी। यह एप्लीकेशन खेती किसानी से जुड़ी हर तरह की जानकारी उपलब्ध करवाता है।

इस एप्लीकेशन कर आसानी से दर्ज करवा सकते हैं फसलों को हुए नुकसान की शिकायत

इन दिनों राजस्थान में आंधी, पानी और ओलावृष्टि की लहर चल रही है। जिसके कारण किसानों की सैकड़ों एकड़ की फसलें तबाह हो गई हैं। साथ ही कई बीमारियों के कारण फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं। इन सब को देखते हुए राजसथान सरकार ने इस एप्लीकेशन में फसलों को हुए नुकसान की शिकायत दर्ज करवाने का भी विकल्प दिया है ताकि किसान भाई बिना किसी परेशानी के फसलों को होने वाले नुकसान का ब्यौरा सरकार तक पहुंचा पाएं। जिससे सरकार को किसानों को मुआवजा देने में आसानी हो। इसके लिए सरकार ने इस एप्लीकेशन में फसल बीमा का अलग से कॉलम दिया है।
प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल नुकसान होने पर किसानों को मिलेगा बम्पर मुआवजा, ऐसे करें आवेदन

खेती किसानी एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें हमेशा अनिश्चितताएं बनी रहती हैं। कभी भी मौसम की मार किसानों की साल भर की मेहनत पर पानी फेर सकती है। मौसम की बेरुखी के कारण किसानों को जबरदस्त नुकसान झेलना पड़ता है।

अगर पिछले कुछ दिनों की बात करें तो देश भर में मौसम ने अपना कहर बरपाया है, जिससे लाखों किसान बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। कई दिनों तक चली बरसात और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलें तबाह हो गईं। 

सबसे ज्यादा नुकसान गेहूं, चना, मसूर और सरसों की फसलों को हुआ है। ऐसे नुकसान से बचने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना चलाई है, जिससे किसानों को हुए नुकसान की भरपाई आसानी से की जा सकती है।

लेकिन कई बार देखा गया है कि किसान इस योजना के साथ नहीं जुड़ते। ऐसे में किसानों को सरकार अपने स्तर पर अनुदान देती है ताकि किसान अपने पैरों पर खड़े रह पाएं। 

किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए बिहार की सरकार ने 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' चलाई है। इस योजना के तहत यदि किसानों की फसलों को प्राकृतिक आपदा के कारण किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो सरकार अनुदान के रूप में किसानों को 13,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करेगी। 

यह मदद ऐसे किसानों को दी जाएगी जो सिंचित इलाकों में खेती करते हों। इसके साथ ही 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत असिंचित इलाकों में खेती करने वाले किसानों को फसल नुकसान पर 6,800 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई जाएगी। 

राज्य के ऐसे कई इलाके हैं जहां पर नदियों से आने वाली रेत के कारण फसल चौपट हो जाती है। ऐसे किसानों को फसल नुकसान पर 12,200 रुपये का अनुदान दिया जाएगा।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ये किसान कर सकते हैं आवेदन

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए किसान को बिहार का स्थायी निवासी होना जरूरी है। इसके साथ ही किसान के पास खुद की कम से कम 2 हेक्टेयर कृषि भूमि होना चाहिए। 

डीबीटी के माध्यम से अनुदान ट्रांसफर करने में आसानी हो, इसके लिए किसान का बैंक खाता उसके आधार कार्ड नंबर से लिंक होना चाहिए। 

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योजना का लाभ लेने के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी

इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान के पास आधार कार्ड, पैन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, वोटर आई डी, मोबाइल नंबर, पासपोर्ट साइज फोटो, घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र आदि होना जरूरी है। इन सभी चीजों का विवरण आवेदन करते समय देना अनिवार्य है।

कृषि इनपुट अनुदान योजना का लाभ लेने के लिए ऐसे करें आवेदन

प्राकृतिक आपदाओं से फसल को होने वाले नुकसान का अनुदान प्राप्त करने के लिए किसान भाई बिहार के कृषि विभाग की वेबसाइट https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

इस वेबसाइट पर जाकर किसान खुद को रजिस्टर कर सकते हैं। इसके साथ ही आवेदन करने के लिए अपने जिले के कृषि विभाग के कार्यालय, वसुधा केंद्र या जन सेवा केंद्र पर भी संपर्क कर सकते हैं।

बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

बेमौसम बरसात या ओलावृष्टि से फसल बर्बाद होने पर KCC धारक किसान को मिलती है ये सुविधाएं

सरकार किसानों के कल्याण के लिए बहुत सारी योजनाएं चल रही है, जिनका फायदा उठाकर किसानों का आर्थिक एवं सामाजिक सशक्तिकरण हुआ है। अब मध्यम एवं छोटे किसान भी सरकार से मिलने वाली सहायता के कारण बिना किसी चिंता और परेशानी के खेती कर पा रहे हैं। ऐसी ही हम आपको एक योजना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे अभी तक लाखों किसान लाभान्वित हुए हैं। इस योजना को 'किसान क्रेडिट कार्ड योजना' के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत सबसे पहले साल 1998 में की गई थी। इस योजना के अंतर्गत किसानों को बेहद आसानी से कृषि कार्यों के लिए लोन मिल जाता है, जिससे किसानों को खाद बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए पैसे की कमी नहीं होती। इसके साथ ही अगर किसान ने KCC लिया हुआ है तो प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने की स्थिति में भी किसानों को बड़ी राहत प्रदान की जाती है।

ऐसे लें KCC लोन

इस योजना में किसानों को नकद पैसे न देकर क्रेडिट कार्ड पर लोन दिया जाता है। जिससे किसान खेती के लिए कृषि यंत्रों सहित अन्य जरूरी समान की खरीदी समय पर कर पाएं। नाबार्ड और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अंतर्गत आने वाले बैंक इस योजना के तहत किसानों को लोन मुहैया करवाते हैं। जो बेहद रियायती दरों पर होता है। इससे किसान साहूकारों और महाजनों के कर्ज के जाल में फंसने से बच जाते हैं। ये भी पढ़े: सरकार ने बढ़ाई KCC की लिमिट, अब 1 लाख नहीं बल्कि इतना मिलेगा लोन इस कार्ड के अंतर्गत लोन लेने के बाद किसान को एक साल के भीतर लोन चुकता करना होता है। लोन चुकता करने के लिए किसानों के साथ किसी भी तरह की जोर जबरदस्ती नहीं की जाती है।

इतने रुपये का मिलता है लोन

KCC के अंतर्गत बिना किसी गारंटी के 1 लाख रुपये तक का लोन मुहैया करवाया जाता है। इसके लिए किसान को बैंक में किसी भी प्रकार की जमानत नहीं रखनी होती है। इसके अलावा बैंक 5 साल के लिए 3 लाख रुपये का अल्पकालिक लोन भी देते हैं। इसके लिए किसान को बैंक में कुछ न कुछ जमानत रखनी होती है। क्रेडिट कार्ड जारी करने के 15 दिन के भीतर बैंक द्वारा लोन जारी कर दिया जाता है।

फसल बर्बाद होने पर किसानों को ऐसे मिलता है प्रोटेक्शन

जब बैंक किसानों को लोन जारी करता है तब सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार किसान की फसलों को इश्योरेंस कवरेज भी दिया जाता है। अगर किसान की फसल कीटों से प्रभावित होती है या किसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित होती है तो किसान अपना इश्योरेंस क्लेम कर सकता है। इन दिनों देश में प्राकृतिक आपदा के कारण बड़े स्तर पर फसलें प्रभावित हुई हैं। ऐसे में जिन भी किसानों ने KCC के माध्यम से लोन लिया होगा, वो बेहद आसानी से अपनी नष्ट हुई फसल के लिए इश्योरेंस क्लेम कर सकते हैं।
खुशखबरी: इस राज्य में एक लाख तक के कृषि लोन पर किसी भी प्रकार की ब्याज नहीं देनी पड़ेगी

खुशखबरी: इस राज्य में एक लाख तक के कृषि लोन पर किसी भी प्रकार की ब्याज नहीं देनी पड़ेगी

ओडिशा के किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। अब ओड़िशा के कृषकों को एक लाख रुपये तक के कृषि कर्ज पर किसी प्रकार का ब्याज नहीं देना पड़ेगा। प्रदेश में 35 लाख किसान कृषि लोन का फायदा उठा रहे हैं। इनमें से लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या तकरीबन 30 लाख है। ओडिशा के किसानों के लिए यह एक बड़ी राहत भरी खबर है। बतादें कि ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कृषि लोन पर 441.76 करोड़ रुपये का ब्याज अनुदान वितरित किया है। नतीजतन, राज्य के 35 लाख किसानों को प्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलेगा। विशेष बात यह है, कि साल 2022-23 के लिए कृषि ब्याज सबवेंशन के दूसरे फेज में यह अनुदान धनराशि वितरित की गई है। साथ ही, राज्य सरकार के इस फैसले से किसानों के बीच खुशी की लहर है।

ओड़िशा के 35 लाख किसान कृषि लोन का फायदा उठा सकेंगे

ओडिशा बाइट्स की खबरों के अनुसार, राज्य में किसानों को एक लाख रुपये तक के कृषि कर्ज पर किसी भी तरह का ब्याज नहीं देना होगा। प्रदेश में 35 लाख किसान कृषि लोन का फायदा उठाएंगे। इनमें से लघु और सीमांत किसानों की संख्या 30 लाख है। राज्य की समस्त सहकारी बैंकों से किसान कृषि लोन प्राप्त कर सकते हैं। किसानों को ब्याज पर काफी सहूलियत भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त यदि किसान भाई चाहें, तो 2409 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों से भी सस्ती ब्याज पर कृषि कर्ज का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आज तक सरकार द्वारा समकुल 856.99 करोड़ रुपये ब्याज अनुदान के तौर पर खर्च किए हैं।

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कालिया शिक्षा छात्रवृत्ति से गरीब परिवारों का उत्थान होगा

इस संदर्भ में किसान भाइयों का कहना है, कि ब्याज पर अनुदान प्रदान करना मुख्यमंत्री नवीन पटनायाक की सरकार का एक काफी सराहनीय कदम है। इससे किसान भाइयों को काफी लाभ हुआ है। साथ ही, सरकार की इस योजना से ग्रामीण क्षेत्रों में अर्थव्यवस्था को काफी बल मिला है। विशेष कर महिलाओं को स्वावलंबी बनने का अवसर प्राप्त हुआ है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अनुदान धनराशि वितरित करने के उपरांत कहा है, कि कृषकों को मजबूत बनाने के लिए हमारी सरकार ने अलग से बजट तैयार किया है। इसके अंतर्गत किसानों को एक लाख रुपये तक कृषि लोन लेने पर किसी भी प्रकार की कोई ब्याज नहीं देनी होगी। साथ ही, खेती करने वाले परिवारों के कल्याण के लिए कालिया शिक्षा छात्रवृत्ति जारी की जा रही है।

एकमात्र सहकारी क्षेत्रों की तरफ से 60 प्रतिशत कृषि लोन दिया जाएगा

मुख्यमंत्री की मानें तो कालिया शिक्षा छात्रवृत्ति योजना के माध्यम से गरीब किसान परिवारों को बेहद लाभ मिला है। उनका कहना है, कि हमारी सरकार की तरफ से चलाई गई विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की वजह से प्रदेश में सहकारिता आंदोलन को और भी ज्यादा शक्ति अर्जित हुई है। यही कारण है, कि आज 60% प्रतिशत कृषि लोन एकमात्र सहकारी क्षेत्रों के माध्यम से दिया जा रहा है। बतादें, कि ओडिशा एक कृषि प्रधान राज्य है। यहां धान की खेती के साथ-साथ किसान बड़े पैमाने पर सब्जी और बागवानी की खेती भी किया करते हैं। ऐसे में ब्याज पर अनुदान मिलने से इन किसानों को बेहद फायदा होगा।
इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

इस राज्य में किसानों को निःशुल्क पौधे, 50 हजार रुपये की अनुदानित राशि भी प्रदान की जाएगी

बिहार सरकार बागवानी को प्रोत्साहन दे रही है। कृषकों को बागवानी क्षेत्र से जोड़ने के लिए सब्सिडी दी जा रही है। उनको शर्ताें के मुताबिक फ्री पौधे, आर्थिक तौर पर सहायता भी की जा रही है। भारत के कृषक अधिकांश बागवानी पर आश्रित रहते हैं। बतादें कि देश के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार सहित समस्त राज्यों में बागवानी की जाती है। किसान लाखों रुपए की आमदनी कर लेते हैं। साथ ही, राज्य सरकारों के स्तर पर कृषकों को काफी सहायता दी जाती है। इसी कड़ी में बिहार सरकार की तरफ से एक अहम कवायद की गई है। राज्य सरकार से कृषकों को बागवानी हेतु नि:शुल्क पौधे मुहैय्या किए जाऐंगे। साथ ही, उनको मोटा अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। राज्य सरकार की इस योजना से किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं।

इस प्रकार किसानों को निःशुल्क पौधे दिए जाऐंगे

बिहार सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा जनपद में निजी जमीन पर 15 हेक्टेयर में आम का बगीचा लगाता है, तो उसको निःशुल्क पौधे दिए जाएंगे। सघन बागवानी मिशन के अंतर्गत 10 हेक्टेयर जमीन में आम का बगीचा लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। एक किसान 8 कट्ठा साथ ही ज्यादा से ज्यादा एक हेक्टेयर में पौधे लगा सकते हैं। 5 हेक्टेयर में अमरूद और 5 हेक्टेयर में केला और बाग लगाने वाले किसानोें को भी सब्सिड़ी प्रदान की जाएगी। ये भी पढ़े: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी

योजना का लाभ पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर मिलेगा

किसान भाई इसका फायदा उठाने के लिए ऑनलाइन माध्यम से आवेदन किया जा सकता है। इसमें पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर चुनाव होगा। मतलब योजना के अंतर्गत जो पहले आवेदन करेगा। उसे ही योजना का फायदा मिल सकेगा। द्यान विभाग के पोर्टल (horticulture.bihar.gov.in) पर ऑनलाइन आवेदन कर आप योजना का फायदा उठा सकते हैं।

धनराशि इस प्रकार से खर्च की जाएगी

बिहार सरकार के मुताबिक, 50 फीसद अनुदान के उपरांत प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये के प्रोजेक्ट पर तीन किस्तों में धनराशि व्यय की जानी है। प्रथम वर्ष में 60 प्रतिशत तक धनराशि प्रदान की जाएगी। जो कि 30,000 रुपये तक होगी। एक हेक्टेयर में लगाए जाने वाले 400 पौधों का मूल्य 29,000 रुपये होगा। शेष धनराशि कृषकों के खाते में हस्तांतरित की जाएगी। द्वितीय वर्ष में 10 हजार, तीसरे वर्ष में भी 10 हजार रुपये का ही अनुदान मिलेगा। हालांकि, इस दौरान पौधों का ठीक रहना काफी जरूरी है। मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत 5 हेक्टेयर में आम का बाग लगाया जाना है। प्रति हेक्टेयर 100 पौधों पर 18 हजार रुपये खर्च किए जाऐंगे। आम की किस्मों में मल्लिका, बंबइया, मालदाह, गुलाब खास, आम्रपाली शम्मिलित हैं।
इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान

इस राज्य के किसानों को मिलेगा सोलर पंप पर अब 75% प्रतिशत अनुदान

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि पीएम कुसुुम योजना केंद्र सरकार की बेहतरीन योजनाओं में से एक महत्वपूर्ण योजना है। फिलहाल, इसके अंतर्गत किसान भाइयों को 75 प्रतिशत अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। इसकी मदद से किसान भाइयों को बेहद सस्ती दरों पर अपने खेतों में सोलर पंप लगवाने में सहायता मिलेगी। खेती-किसानी के लिए जितना आवश्यक मृदा का उपयुक्त होना है। उतना ही बेहतर बीजों का होना भी रहता है। इनके न होने पर फसल पर काफी बुरा असर पड़ता है। साथ ही, जल रहित कृषि की कल्पना करना भी मुश्किल होता है। खरीफ सीजन की फसलें सामान्यतः जल के अभाव का सामना करती हैं। धान और गन्ना की फसलों को अधिकांश जल की आवश्यकता होती है। ऐसी स्थिति में केंद्र और राज्य सरकारें किसानों की सहायता के लिए खड़ी होती हैं। किसानों को सिंचाई के लिए विभिन्न संसाधन मुहैय्या कराए जाते हैं। किसानोें का सिंचाई पर ज्यादा खर्चा ना हो पाए, इसके संबंध में एक राज्य सरकार बड़ी सहूलियत दे रही है।

हरियाणा सरकार की तरफ से किसानों को सिंचाई के लिए 75 % अनुदान

हरियाणा सरकार की तरफ से किसानों के हित में सिंचाई पर अनुदान दिया जा रहा है। केंद्र सरकार के स्तर से देश के तमाम राज्यों के कृषकों की सहायता कर रही है। प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा एवं सुरक्षा उत्थान महाभियान के अंतर्गत हरियाणा राज्य सरकार किसानों को 75 प्रतिशत तक अनुदान दे रही है। ये भी पढ़े: किसानों के लिए खत्म होगा बिजली का संकट, 2 हजार यूनिट बिजली मिलेगी मुफ़्त

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 60 प्रतिशत तक अनुदान

केंद्र सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री कुसुम योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत कृषकों को 60 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत किसानों को अपने खेतों पर सोलर पंप लगवाने के खर्चे का 30 प्रतिशत तक कर्ज प्रदान करती है। कृषकों को सोलर प्लांट लगाने सिर्फ 10 प्रतिशत तक खर्चा करनी पड़ेगी।

75 प्रतिशत सब्सिडी किस पर मिलेगी

हरियाणा सरकार ने पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को बड़ी सहूलियत प्रदान की है। एक से 10 हॉर्स पॉवर बिजली आधारित कृषि ट्यूबवेल आवेदकों को 75 प्रतिशत तक अनुदानित दर पर सौर पंप उपलब्ध कराया जाएगा।

आवेदन की आखरी तिथि 15 मई तक है

पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत पंजीकरण की प्रक्रिया चालू हो गई है। 28 अप्रैल से पोर्टल पर आवेदन चालू कर दिया है। किसान भाई आवेदन की आखरी तिथि तक 15 मई तक ही कर सकते हैं। आवेदन में लगभग एक सप्ताह का वक्त रह गया है। पीएम कुसुम योजना के लिए आवेदक आधिकारिक वेबसाइट pmkusum.hareda.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।