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अशोक का पेड़ लगाने से क्या-क्या फायदा हो सकते हैं ?

अशोक का पेड़ लगाने से क्या-क्या फायदा हो सकते हैं ?

अशोक के पेड़ को ताम्रपल्लव के रूप में भी जाना जाता है। क्योंकि इसकी पत्तियों का रंग शुरुआत में तांबे की तरह होता है। अशोक के पेड़ की पत्तियों की लम्बाई 8 -9 इंच होती है, साथ ही पत्तियों की चौड़ाई 2-2.5 इंच होती है। अशोक का पेड़ छायादार होता है। अशोक के पेड़ को पूरे भारत में सबसे प्राचीन और पवित्र माना जाता है। अशोक के पेड़ में बहुत से आयुर्वेदिक गुण भी पाए जाते है, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों के लिए भी किया जाता है। 

अशोक का पेड़ कितने प्रकार का होता है 

अशोक का पेड़ मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है : एक है असली अशोक वृक्ष जो की आम के पेड़ की तरह फैलता है और दूसरा है लंबा अशोक वृक्ष जो की सामान्य रूप से सबके घरो में देखने को मिलता है। लम्बे बढ़ने वाले अशोक वृक्ष को देवदार की प्रजाति का वृक्ष माना जाता है। अशोक के पेड़ का वैज्ञानिक नाम सरका असोच है। 

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अशोक के वृक्ष से मिलने वाले फायदे 

अशोक के पेड़ में बहुत से आयुर्वेदिक गुण पाए जाते है, जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों में भी किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल ,पत्तियों और जड़ों का भी उपयोग बहुत सी चीजों में किया जाता है। अशोक के पेड़ को शारीरिक और मानसिक ऊर्जा बढ़ाने में मददगार माना जाता है। अशोक के पेड़ को इकोफ्रैंडली माना जाता है , यह 24  में से 22 घंटे ऑक्सीजन देता है। 

त्वचा को स्वस्थ रखने में है फायदेमंद 

अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते है, जो शरीर के साथ साथ त्वचा को भी स्वस्थ रखते है। अशोक की छाल  को पीस कर चेहरे पर लेप करने से त्वचा में निखार आता है , साथ ही चेहरे पर होने वाले कील ,मुँहासे और दाग धब्बो को भी कम करता है। अशोक की छाल में एंटीबायोटिक गुण पाए जाते है , जो त्वचा को स्वस्थ रखने में मददगार साबित होती है। 

मधुमेह के लक्षणों को कम करता है 

अशोक के पेड़ में हाइपोग्लाइसेमिक गुण भी पाए जाते है, जो शरीर के अंदर रक्त में होने वाले सर्करा यानी शुगर की मात्रा को कम करते है।  इससे शरीर के अंदर मधुमेह की बीमारी पर नियंत्रित किया जा सकता है। मधुमेह की बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अशोक के पत्तो का भी सेवन किया जा सकता है। इससे मधुमेह के रोग में राहत मिलती है, साथ ही मधुमेह के रोग से शरीर में आने वाली कमजोरी और चिड़चिड़ापन को भी कम किया जा सकता है। 

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बबासीर जैसी बीमारी में राहत 

जिन व्यक्तियों को बबासीर जैसी बीमारियां है, उनके लिए अशोक का पेड़ लाभकारी है। अशोक के पेड़ की छाल को धूप में अच्छे से सूखा ले , उसके बाद छाल को अच्छे से पीस ले। रोजाना अशोक के पेड़ की छाल से बने चूर्ण का सेवन करने से बबासीर की बीमारी में राहत मिलेगी। इसके साथ साथ अशोक के पेड़ के फूलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।  यह पाचन किर्या को भी स्वस्थ बनाये रखता है।  

टूटी हड्डियों को जोड़ने में मददगार 

अशोक के पेड़ का उपयोग टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए भी किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल में टैनिन और एनालजैसिक नामक गुण पाए जाते है , जो टूटी हुई हड्डियों , माँस फटना और गुम चोटों में काफी लाभदायक होती है। इसीलिए अशोक के पेड़ का पेड़ बहुत से आयुर्वेदिक दवाइयों में किया जाता है। अशोक के पेड़ की छाल का लेप बहुत से ओर्थपेडीक द्वारा भी रोगियों के इलाज के लिए किया जाता है। 

साँस संबंधी बीमारियों में है फायदेमंद 

अशोक के पौधे का सेवन साँस संबंधी बीमारियों में राहत पाने के लिए भी किया जाता है। इसमें अशोक के पेड़ के  बीजो को पीसकर एक चूर्ण तैयार कर लिया जाता है , जिसका सेवन पान के पत्ते के साथ किया जाता है। इसका रोजाना सेवन करने से साँस संबंधी बीमारियों में राहत मिलती है। स्वसन किर्या को भी बेहतर बनाता है। 

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क्या अशोक का पेड़ घर में लगाना शुभ है ?

अशोक का पेड़ घर में लगाना शुभ माना जाता है , क्योंकि अशोक का पेड़ घर में नकारात्मक ऊर्जा को आने से रोकता है। अशोक का पेड़ देखने में तो सूंदर लगता है , साथ ही यह घर में सुख और समृद्धि का भी प्रतीक है। जिन घर में वास्तु दोष होता है , उन्हें घर में अशोक का पेड़ लगाने की सलाह दी जाती है।  

अशोक के पेड़ से होने वाले नुक्सान क्या है ?

अशोक के पेड़ से मिलने वाले बहुत से फायदे है। लेकिन यही दूसरी तरफ इसके कुछ नुक्सान या दुष्प्रभाव भी है, जो स्वास्थ्य को विशेष रूप से नुक्सान पहुँचा सकते है।  इसीलिए अशोक के पेड़ का  इस्तेमाल कुछ दिशाओ में हानिकारक माना जाता है। इन परिस्तिथियों में हो सकते है अशोक के पेड़ के सेवन करने से नुक्सान। 

हाई ब्लड प्रेसर वाले न करें अशोक का सेवन 

जिन लोगो को हाई ब्लड प्रेसर की समस्या है ,उन्हें अशोक के पेड़ से मिलने वाले किसी भी प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग नहीं करना चाहिए। यदि आप इस स्तिथि में इनका सेवन करते है तो आपको बहुत से नुक्सान या परेशानियों का सामना करना पड सकता है जैसे :सीने में दर्द होना ,साँस का फूलना ,नींद ना आना और बहुत ज्यादा थकावट महसूस करना ये सभी परेशानियां हो सकती है। इसीलिए हाई ब्लड प्रेसर के रोगियों को अशोक का सेवन नहीं करना चाहिए। 

गर्भवती महिलाये न करें सेवन 

अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे तत्व पाए जाते हैं , जिनका तासीर गर्म होता है और वो अंदर शरीर में जाकर किसी प्रकार की परेशानी का भी कारन बन सकता है।  गर्भवती महिलाओ को अशोक के पेड़ से बनी किसी भी प्रकार की आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ अगर कोई और व्यक्ति जो पहले से ही किसी बीमारी से सम्बंधित दवाइयाँ ले रहा है , उसे भी इसका उपयोग नहीं करना चाहिए। शरीर में इन्फेक्शन या अलेर्जी सम्बंधित बीमारियाँ हो सकती है। गर्भवती महिलाये डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद इसका सेवन कर सकती है। 

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मासिक धर्म में न करें उपयोग

मासिक धर्म के दौरान अशोक के पेड़ का उपयोग नहीं करना चाहिए। बहुत से लोगों का मानना है मासिक धर्म के वक्त अधिक रक्त बहने पर अशोक के पेड़ की छाल का काढ़ा बनाकर पीने से आराम मिलता है। लेकिन ऐसा करने से मासिक धर्म और भी बिगड़ सकता है , इसीलिए इसका उपयोग किसी डॉक्टर की परामर्श के बाद ही करें।  यदि अशोक की चाल का काढ़ा बनाकर या फिर रोज सुबह उसके पत्तों का सेवन मासिक धर्म के दौरान किया जाता है तो इससे मासिक धर्म में अनियमित्ता आ सकती है।

साथ ही अशोक के पत्तों का इस्तेमाल धार्मिक और मांगलिक कार्यों में भी किया जाता है।  अशोक के पेड़ को सबसे शुद्ध और पवित्र पेड़ माना जाता है। हिन्दू धर्म में अशोक के पेड़ को शुभता का प्रतीक माना जाता है।  अशोक का पेड़ घर में गुरुवार और शुक्रवार को लगाना शुभ माना जाता है, इसलिए अशोक के पेड़ को हमेशा इन्ही दिनों लगाना फायदेमंद माना जाता है। 

अशोक के पेड़ का उपयोग पथरी के दर्द को दूर करने के लिए , पेट के कीड़ो को मारने के लिए और साथ ही बदन में होने वाले दर्द में भी सहायक होता है। अशोक के पेड़ में बहुत से ऐसे गुण भी पाए जाते है , जो हृदय संबंधी बीमारियों को भी नियंत्रित करते है।  अशोक के पत्तों या फूलों का सेवन शरीर में रक्त के सर्क्युलेशन को सुचारु रूप से बनाये रक्त है।  साथ ही ये याद्दश्त या दिमाग के लिए भी बेहतर माना जाता है। 

जानिए नीम की पत्तियों के अद्भुत गुणों के विषय में

जानिए नीम की पत्तियों के अद्भुत गुणों के विषय में

जैसा कि हम सब जानते हैं, कि नीम एक औषधीय पौधा होता है। इसका उपयोग औषधियां बनाने, सौंदर्य प्रसाधन एवं जानवरों के उपचार के लिए किया जाता है। नीम एक औषधीय पौधा होता है, इसके बीज, पत्ती, तना, छाल, गोंद सभी चीजों में औषधीय गुण विघमान होता है। इसकी खेती उष्णकटिबंधीय इलाकों में अधिकांश की जाती है। नीम औषधीय गुणों के साथ पाया जाता है। इतने ढेर सारे गुणों के चलते इसे दूसरे पौधों के मुकाबले में एक लाभकारी पेड़ के रूप में जाना जाता है। संस्कृत में नीम को 'अरिस्टा' के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है अच्छा स्वास्थ्य देने वाला। यहां तक नीम का महत्व पर्यावरण संरक्षण, कीट नियंत्रण और चिकित्सा तक हर क्षेत्र में होता है।


 

नीम का इस्तेमाल विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है

औषधीय गुण:

आयुर्वेद में नीम का एक काफी लंबा इतिहास रहा है। इसमें एंटी-एलर्जेनिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीपायरेटिक और एंटी-डायबिटिक गुण होते हैं। नीम-आधारित उपचारों का उपयोग मुंहासे, एक्जिमा और सोरायसिस जैसी त्वचा के रोग से संरक्षण के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल करके संभावित कैंसर-रोधी दवाओं की भी खोज की जा रही है। 

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कृषि

नीम के अर्क का इस्तेमाल प्राकृतिक उर्वरक के तौर पर किया जाता है। यह फसलों को कीटों एवं बीमारियों से भी बचाता है। नीम आधारित कीटनाशकों को सबसे उत्तम उर्वरक माना जाता है। यह कीटों की प्रजनन क्षमता को कम करते हैं।


 

नीम से जानवरों का उपचार व देखभाल

कीड़ों एवं परजीवियों को दूर रखने के लिए नीम का तेल मवेशियों पर लगाया जाता है, जिससे पशुओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। साथ ही, रासायनिक उपचार की जरूरत भी काफी कम हो जाती है। नीम की पत्तियों का इस्तेमाल जानवरों के लिए स्वास्थ्य लाभ के तोर पर किया जाता है। रोग ग्रसित जानवरों के चारे में मिलाकर इसका उपयोग किया जाता है। 

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नीम से सौंदर्य प्रसाधन

नीम के अर्क का इस्तेमाल लोशन, साबुन, शैंपू और अन्य सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद तैयार करने में किया जाता है। इसमें बहुत से पोषक गुण उपलब्ध होते हैं, जो कि हमारी त्वचा के लिए अच्छा होता है। नीम के तेल का इस्तेमाल करने से मनुष्यों को मच्छरों एवं अन्य काटने वाले कीड़ों से बचाता है। नीम एक बेहद ही ज्यादा गुणकारी पौधा है। इसके औषधीय गुणों के अतिरिक्त घर के सामने भी लगाया जाता है, जिससे घर के आस-पास ऑक्सीजन की मात्रा अच्छी बनी रहती है।