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इस तरह लगाएं केला की बागवानी, बढ़ेगी पैदावार

इस तरह लगाएं केला की बागवानी, बढ़ेगी पैदावार

तमिलनाडु। केले की प्रोसेसिंग से आज कई तरह के उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जैसे चिप्स, पापड़ । केले के तने और पत्ते से पत्तल, दोना, कपड़े के लिए रेसा आदि । अगर आप भी केला की खेती करके अच्छी कमाई करना चाहते हैं, तो केला की बागवानी का यह तरीका अधिक फायदेमंद साबित होगा। अपने देश में केला की लगातार मांग बढ़ती जा रही है। किसानों में भी केला की खेती को लेकर जबरदस्त उत्साह है। किसान केला की फसल से बंपर पैदावार ले रहे हैं।

केला की इस प्रजाति के पौधे लगाएं

- प्रत्येक पेड़-पौधों के लिए प्रजाति का बड़ा महत्व होता है। अच्छी और बेहतर क्वालिटी के पेड़-पौधों की प्रजाति हमेशा फायदेमंद रहती है। केला की रोबस्टा एवं बसराई प्रजाति के पौधे ज्यादा कारगर होते हैं। इस प्रजाति के पौधों से अधिक उत्पादन होता है।

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इस तकनीकी से लगाएं केला बागवानी

- तमिलनाडु विश्वविद्यालय में हुए एक विशेष शौध में यह निष्कर्ष निकाला गया कि केला की बागवानी लगाने के लिए प्रत्येक पंक्ति के बीच की दूरी 2×3 मीटर और उतनी ही दूरी पर पौधे से पौधा लगाया जाए। एक हेक्टेयर खेत में तकरीबन 5000 पौधे लगाए जाएं। इसमें पोटाश, नाइट्रोजन व फास्फोरस की मात्रा थोड़ी बढ़ाई जाए। इस विधि से उत्पादन में वृद्धि की संभावना बढ़ सकती है। इस तरह आप केला की प्रथम फसल केवल 12 महीने में ही ले सकते हैं। और इसमें उपज भी बेहतर मिलेगी।

बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से चिंतित हैं केला किसान

- केला की खेती करने वाले किसानों को विभिन्न सावधानी बरतने की जरूरत होती है। केला में एक विशेष प्रकार के रोग के कारण केरल और गुजरात के किसानों की चिंता बढ़ गई है। केला में बीटिंग एंड ब्लास्ट नाम के रोग ने किसानों को चिंतित किया है। इससे किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

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कैसे मिलेगी केला में रोग से निजात

- केला में होने वाले बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से निजात पाने के लिए किसानों को फिलहाल कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। केला में पाए जाने वाले इस रोग से किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। ऐसे में जरुरी है कि इस रोग का बचाव सही समय पर किया जाए। यदि केले की फसल में इस रोग का प्रकोप हो जाए, तो इसके लिए आपको सबसे पहले बाज़ार में मिलने वाले फफूंदनाशक में से कोई भी एक का चयन कर घोल बनाकर 15 दिन के अंतराल में 2 बार पौधों पर छिड़क दें। ध्यान रहे कि छिड़काव केले के फलों के बंच को निकालने के बाद ही करना चाहिए। इस तरह आप बीटिंग एंड ब्लास्ट रोग से फसल का बचाव कर सकते हैं। ------ लोकेन्द्र नरवार
किसान संजय सिंह आम की बागवानी करके वार्षिक 20 लाख की आय कर रहे हैं  

किसान संजय सिंह आम की बागवानी करके वार्षिक 20 लाख की आय कर रहे हैं  

बिहार के इस किसान ने आम की बागवानी आरंभ कर अपनी तकदीर बदल दी है। आज वह तकरीबन 20 लाख रुपये तक वार्षिक आमदनी कर रहे हैं। बिहार के सहरसा के जनपद के निवासी किसान संजय सिंह ने पारंपरिक खेती को छोड़ आम की बागवानी चालू की। आज वह प्रति वर्ष लगभग 20 लाख से अधिक आम का टर्नओवर कर रहे हैं। इसके पहले संजय सब्जियों की खेती किया करते थे। परंतु, उनके एक दोस्त की सलाह पर उन्होंने आम की बागवानी के विषय में सोचा और वह आज अपने क्षेत्र में लोगों के लिए एक मिशाल बन गए हैं।  

किसान संजय सिंह ने 20 बीघे में बागवानी शुरू की 

संजय जी ने अपनी विरासत की भूमि पर आम के पौधों को लगाने के विषय में विचार किया। उन्होंने जनपद के कृषि विभाग से आम की नवीन प्रजातियों की खरीदारी की एवं जैविक तरीके से इसकी बुआई की। संजय का कहना है, कि शुरु में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। परंतु, परिवार की सहायता से उन्हें काफी हौसला मिला। वहीं, आज उनकी सफलता की कहानी सबको पता है। वह विगत 8 वर्षों से आम की बागवानी कर रहे हैं। पारंपरिक खेती के मुकाबले में बागवानी फसलों का उत्पादन करना काफी फायदेमंद होता है।  

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संजय सिंह की आर्थिक स्थिति में भी आया सुधार 

संजय सिंह का कहना है, कि आम की खेती से बेहतरीन आमदनी होने लगी। साथ ही, उनके घर की स्थिति भी अच्छी हो गई। पहले खेती से उनको कोई फायदा नहीं होता था। परंतु, अब वह काफी बेहतरीन आमदनी कर अपने परिवार की देख भाल कर रहे हैं। 

 

संजय सिंह प्रतिवर्ष लाखों की आय करते हैं 

किसान संजय सिंह का कहना है, कि उन्होंने शुरुआत में कुछ ही पेड़ों से आम का उत्पादन कर बेचना शुरु किया था। परंतु, मांग बढ़ने के उपरांत उन्होंने इसकी खेती बड़े पैमाने पर चालू की और इससे उनको आमदनी काफी ज्यादा होने लगी। वह इन आमों की बिक्री से प्रति वर्ष 20 लाख रुपये तक की आमदनी कर लेते हैं। संजय जी ने अपने खेतो में कुल 300 से ज्यादा आम के पेड़ लगा रखे हैं। आपको बतादें, एक आम के पौधे की कीमत 400 रुपये के आसपास थी। यह 5 से 6 वर्ष तक फल देने योग्य होता है।

अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

देश की बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के कारण बागवानी फसलों अर्थात फलों और सब्जियों की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है। जिसके फलस्वरूप किसानों का ध्यान बागवानी फसलों के उत्पादन की ओर ज़्यादा हो गया है। 

किसान इनके उत्पादन में रुचि भी ले रहे हैं। जिसके चलते केंद्र सरकार एसे किसानों की मदद करने, किसानों की आय बढ़ाने और बागवानी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चला रही है। 

इसी बीच बिहार सरकार द्वारा बागवानी फसल उत्पादन करने वाले किसानों के लिए एक योजना चलाई गई है। जिसके अंतर्गत किसानों को बागवानी उत्पादन के लिए सब्सिडी की व्यवस्था की गई है।

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ने विभिन्न प्रकार के फलों और सब्जियों के उत्पादन में 50% की सब्सिडी एवं पपीता की खेती करने वाले किसानों को उत्पादन लागत का सिर्फ 25% खर्च करना होगा। मतलब किसानों को पपीता खेती पर 75% तक की मदद दी जा रही है।

बागवानी फसलें जिन पर सब्सिडी का प्रावधान :-

इस योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की बागवानी फसलों में सब्सिडी का प्रावधान है जैसे पपीता की खेती करने में कृषक को 75% तक की सब्सिडी दी जाती है।

इसके साथ ही कुछ अन्य फसलें जैसे आंवला, जामुन, कटहल, अनानास, आम, लीची, अमरूद आडियानेक प्रकार की बागवानी करने वाले किसानों के लिए 50% की सब्सिडी का प्रावधान है।

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इस योजना का लाभ उठाने के लिए निम्न नियमों का पालन करना होगा :-

इस योजना में किसान को 50% लगभग 62 हजार रुपए सब्सिडी के तौर पर दी जाती है। जिसके कारण बिहार बागवानी विभाग इस योजना का लाभ कुछ नियमों के अंतर्गत दे रही है। 

जैसे जो भी किसान स्ट्रॉबेरी की खेती करना चाहते हैं उन्हें 1 एकड़ में 2500 स्ट्रॉबेरी पौधे लगाने होंगे और शर्त यह है कि उन्हें 2 मीटर की दूरी पर स्ट्रॉबेरी का पौधा लगाना होगा। इसके लिए विभाग द्वारा 1.25 लाख रुपए की लागत रखी गई है जिसका 50% रुपए सरकार किसान को सब्सिडी के तौर पर देगी। 

अगर किसान इन नियमों का पालन करते हैं तो वे इस योजना का लाभ उठाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए बिहार बागवानी विभाग में संपर्क कर सकते हैं।

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आवेदन करने की तिथि :-

इस योजना में आवेदन करने की आखिरी तिथि 7 जुलाई रखी गई है। अर्थात जो किसान इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं वे इस योजना में 7 जुलाई तक आवेदन कर सकते हैं। 

लेकिन इसके पूर्व जो शर्तें इस योजना के अंतर्गत रखी गई है वह पूरी होना आवश्यक है इसके लिए किसानों का नियमानुसार खेत तैयार होना चाहिए। 

इस योजना में ऑनलाइन आवेदन करने के लिए बिहार सरकार ने ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं जिसके लिए उनके द्वारा एक लिंक तैयार की गई है। horticulture.bihar.gov.in पर जाकर आप इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मल्लिका आम की विशेषताएं (Mallika Mango Information in Hindi)

मल्लिका आम की विशेषताएं (Mallika Mango Information in Hindi)

आम की विभिन्न प्रकार की किस्में मौजूद है। उसमें से एक मल्लिका आम (Mallika Mango) की किस्म है जो बाकी आमो को बराबरी से टक्कर देती है और अपने स्वाद के लिए जानी जाती है। मल्लिका आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक और महत्वपूर्ण बातों को जाने के लिए हमारी पोस्ट के अंत तक जरूर बने रहे।

मल्लिका आम:

मल्लिका आम दिखने में चौसा और दशहरी की तरह ही होता है। इसका रंग पीला होता है परंतु या दशहरी के मुकाबले काफी बड़ा होता है। आजकल मल्लिका आम अपने स्वाद के लिए सभी आम की किस्मों को पीछे छोड़ रहा है।

मल्लिका आम का वज़न:

मल्लिका आम वजन में लगभग 700 ग्राम तक पहुंच चुका है, इसी वजह से लोग इस आम की उच्च कीमत देकर इसे खरीदने के लिए इच्छुक है। बाजारों में मलिका आम, चौसा आम की तुलना में ज्यादा बिकने वाला फल बन चुका है। मल्लिका आम की लोकप्रियता लखनऊ में काफी बढ़ रही है।

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मल्लिका आम भारत में कहां उगता है?

किसानों के अनुसार मल्लिका आम भारत के कर्नाटका तथा तमिलनाडु में व्यावसायिक रूप से उगाए जाते हैं। इनकी खेती का मुख्य क्षेत्र कर्नाटक और तमिलनाडु को ही कहा जाता है जहां इनकी खेती काफी भारी मात्रा में होती है। साथ ही साथ मल्लिका आम की कीमत भी अच्छी दर पर मिलती है।

मल्लिका आम का पेड़ कैसा होता हैं?

किसानों के अनुसार मल्लिका आम का पेड़ दशहरी आम की तरह ही लंबा होता है। इस पेड़ की पूरी आकृति दिखने में दशहरी आम की तरह ही नजर आती है। परंतु अपने वजन में भारी होने के कारण या दशहरी आम के मुकाबले अलग प्रतीत होता है। मल्लिका आप अपनी विशेषताओं के कारण चौसा और सफेदा जैसे आमों को पीछे छोड़ रहा है लखनऊ में सफेदा जैसे आम को इसने काफी टक्कर दी है।

मल्लिका आम स्वाद, रूप और गुणों से परिपूर्ण:

किसानों ने मल्लिका आम को धीरे-धीरे काफी मशहूर कर दिया है। मल्लिका आम रूप और खाने के भरपूर गुणों के मुकाबले आम की सबसे उत्कृष्ट किस्म मानी जाती है। कुछ सालों तक ज्यादातर लोग मल्लिका आम की गुणवत्ता से अनजान थे। तथा नई किस्में होने के कारण बाजारों तथा मार्केट में यह कम मात्रा में ही उपलब्ध थी। मल्लिका जैसे औषधीय गुणों वाली किस्म का आनंद कुछ ही बागबान और विशेष प्रेमी ले रहे थे। परंतु आज या काफी लोगों की पसंद बन चुकी है और आमों की डेढ़ सौ किस्मों में से सबसे उपयुक्त मल्लिका आम की किस्म मानी जाती है।

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चार दशक में मशहूर हुईं मल्लिका आम की किस्म :

लखनऊ में कुछ आम बेचने वालों का यह मानना है कि करीब 40 साल लग गए मल्लिका आम की विशेषता और गुणवत्ता के बारे में जानने के लिए। और जब लोगों ने मल्लिका आम की विशेषताओं को जान लिया, तो आम कि इस किस्म की मांग काफी बढ़ गई। आम की मल्लिका किस्म को खाने के बाद लोग इसकी दुगना कीमत देने के लिए तैयार हो गए। यहां तक कि लोग मल्लिका आम की किस्म का मुंह मांगा दाम देने लगे हैं। डॉ. राजन यह दावा करते हैं, कि मल्लिका आम सभी प्रकार की आमों की तुलना में जैसे: चौसा आम, दशहरी आम, नीलम आम, हापुस आम, लंगड़ा आम, केसर आम, तोतापुरी आम, हिमसागर आम, बंगानपल्ले आम जैसी किस्मों को मात दे सकता है। कुछ साल पहले तक चौसा और दशहरी आमो ने जो जगह बनाई थी। अब वह जगह मल्लिका आम की किस्म ने स्थापित कर ली है।

मल्लिका आम की किस्म के लिए उपयुक्त मिट्टी:

किसानों के लिए मल्लिका आम की फसल सबसे उपयोगी होती है, और इसीलिए इस फसल की उपयोगिता को देखते हुए किसान दोमट मिट्टी या बलुई मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं। खेतों को भली प्रकार से जोत लेते हैं उपयुक्त गहराई प्राप्त करने के बाद मिट्टियों को भुरभुरा बना देते हैं।

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मल्लिका आम की फसल का बीज उपचार:

मल्लिका आम की फसल का बीज उपचार करने के लिए किसान कुछ मिनटों तक डाइमेथोएट के समाधान में पत्थरों को डूबा देते हैं और फिर उसके बाद रोपण की क्रिया को शुरू करते हैं। इन प्रक्रियाओं द्वारा फसलों में किसी भी तरह का कीट या फिर फंगस नहीं लग पाते हैं, ना ही फसल खराब होती है। फसल का बीज उपचार करने का यह सबसे सरल और उपयोगी तरीका है।

मल्लिका आम की फसल के लिए अनुकूलित जलवायु:

किसान सबसे उपयुक्त आम की खेती के लिए उष्ण और समशीतोष्ण जलवायु को बताते हैं। दोनों ही प्रकार की जलवायु मल्लिका आम की फसल के लिए सबसे उपयोगी होती है। तापमान लगभग 23 .8 से लेकर 26. 6 डिग्री सबसे उत्तम माना जाता है। इस तापमान में मल्लिका फसल की उत्पत्ति काफी अच्छी मात्रा में होती है।

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मल्लिका आम की फसल के लिए सिंचाई:

किसानों के अनुसार सिंचाई पूर्ण रूप से मिट्टी के प्रकार और जलवायु पर ही निर्भर होती है। बीज रोपण करने से कुछ देर पहले मिट्टियों को भुरभुरा करने के बाद उन में नमी बना लेनी चाहिए, यह सिंचाई का सबसे उत्तम तरीका होता है। लगभग 2 से 3 दिन के अंदर हल्की हल्की सिंचाई करते रहना चाहिए हल्की सिंचाई सबसे उपयोगी होती है। जब बीज आ जाए तो एक बार अच्छी तरह से पूरे खेतों में सिंचाई कर लेनी चाहिए। वर्षा के दिनों में ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती हैं। परंतु जल निकास का उचित साधन बनाए रहे , ताकि किसी भी प्रकार के जलभराव से फसलों को नुकसान ना पहुंचे।

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मल्लिका आम के फायदे:

मल्लिका आम ना सिर्फ अपने स्वाद बल्कि अपने आवश्यक गुणों के लिए भी जाना जाता। मल्लिका आम खाने से विभिन्न प्रकार के औषधीय गुणों की प्राप्ति होती है। मल्लिका में मौजूद औषधि गुण हमारे शरीर का संतुलित बनाने में कारगर साबित हैं। त्वचा की चमक, पाचन तंत्र, विटामिंस आदि जैसी महत्वपूर्ण गुण मौजूद होते हैं।

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दोस्तों हम उम्मीद करते हैं,आपको हमारा यह आर्टिकल मल्लिका आम की विशेषताएं पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में मल्लिका आम से जुड़ी सभी प्रकार की आवश्यक बातें मौजूद हैं। जिससे आप मल्लिका आम की विशेषताओं को भली प्रकार से जान सकेंगे। यदि आप हमारी दी हुई जानकारियों से संतुष्ट हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ शेयर करें। ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया आदि प्लेटफार्म पर भी शेयर करते रहे। धन्यवाद।

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

कृषि मशीनों पर सब्सिडी दे रही बिहार सरकार, 31 दिसंबर तक करें आवेदन

जब से बिहार में सरकार बदली है, उसके बाद से नीतिश कुमार छात्रों ही नहीं, किसानों पर भी बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं। खेती में मशीनों का इस्तेमाल आज कल बेहद जरूरी हो गया है, क्योंकि इनके उपयोग से ही किसान अपना ज्यादा काम कम समय में कर पाते हैं। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। इस सब्सिडी का असर ये होगा कि जो किसान ज्यादा लागत की मशीन खरीदने में सक्षम नहीं हैं, वे भी इन्हें खरीद पाएंगे। गौर करने वाली बात है कि सरकार यह सब्सिडी 90 प्रकार की कृषि में इस्तेमाल होने वाली मशीनों पर दे रही है। सब्सिडी वाली मशीनों के लिए एप्लिकेशन प्रोसेस भी शुरू हो गया है। इच्छुक किसान इसके लिए 31 दिसंबर तक एप्लिकेशन दे सकते हैं


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इस योजना की शुरुआत बिहार के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने की है। इस योजना का नाम कृषि यंत्रीकरण है। इसी योजना के अंतर्गत सरकार ने कृषि मशीनों पर सब्सिडी देने का ऐलान किया है। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वे किस तरह की मशीनें हैं जिन पर सब्सिडी दी जा रही है, तो आपको बता दें कि इसके लिए कटाई, सिंचाई, गुडाई, निराई गन्ना और बागवानी से जुड़ी मशीनें शामिल हैं। अगर आपको इन सारी मशीनों की लिस्ट चाहिए और सब्सिडी के बारे में विस्तार से जानना है, तो आपको OFMAS पोर्टल (OFMAS - Online Farm Mechanization Application Software) पर जाना होगा। यहां आपका पूरा ब्योरा मिल जाएगा।

इस योजना को लेकर बिहार के कृषि विभाग ने ट्वीट किया था, जिसमें पूरा ब्योरा बताया गया था

लेकिन इस बीच गौर करने वाली बात है कि जो लोग पहले अप्लाई करेंगे तो उन्हें लाभ पहले मिलेगा, क्योंकि यह पूरा प्रक्रिया पहले आओ पहले पाओ के तहत है। चूंकि बिहार सरकार ने आवेदन आमंत्रित कर दिए हैं, इसलिए जरूरी है कि आप फौरन कृषि विभाग की वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर दें ताकि आपका नंबर पहले लग सके। लेकिन आवेदन के पहले आपको पंजीकरण करना होगा, जो अनिवार्य है। बिहार सरकार ने इस योजना के लिए अच्छा खासा बजट जारी किया है। इसी बजट के अंर्तगत किसानों को कृषि मशीनों पर सब्सिडी दी जाएगी। बिहार में किसान अक्सर की मौसम की मार झेलते रहे हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम कई मायनों में शानदार है। इस योजना से छोटे व मझोल किसानों को मदद मिलेगी।
जानें कौन से राज्य के किसान सबसे ज्यादा और कम आय करते हैं

जानें कौन से राज्य के किसान सबसे ज्यादा और कम आय करते हैं

भारत में प्रति कृषि परिवार मासिक औसत आमंदनी को लेकर केंद्र सरकार के अनुमान देखने को मिले हैं। सर्वश्रेष्ठ हालत मेघालय की है, विभिन्न राज्य ऐसे हैं, जहां कृषक परिवार 12 से 13 हजार रुपये माह में जीवन यापन कर रहे हैं। प्रति वर्ष प्राकृतिक आपदाएं जैसे कि सूखा, बाढ़ एवं बारिश किसानों बुरी तरह प्रभावित करती है। किसान बीज, उर्वरक एवं खाद इत्यादि को खेत में उपयोग करते हैं, जिसके लिए उन्हें काफी खर्च करके उत्पादन करते हैं। बतादें कि जब फसल को हानि होती है, उस स्थिति में कृषक केंद्र एवं राज्य सरकार से सहायता की गुहार करते हैं। सरकारें कृषकों की सहायता भी करती हैं, फिलहाल, केंद्र सरकार के प्रति कृषि परिवार मासिक औसत आय का आँकड़ा देखने को मिला है। ऐसे आंकड़ों के सामने आने के उपरांत तो कुछ राज्यों में कृषक परिवारों की मासिक आमंदनी में अच्छा सुधार भी हुआ है। साथ ही, कुछ राज्यों के किसानों की स्थिति आर्थिक रुप से बेकार है।

कौन है पहले स्थान पर और कौन निचले स्तर पर



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किसान और उसकी चुनौतियां
केंद्र सरकार की तरफ से जो भी आंकड़े देखने को मिले हैं, उनमें से कुछ राज्यों की मासिक आय ही 20 हजार रुपये प्रति माह के ज्यादा हैं। विभिन्न राज्यों में तो कृषक परिवार 12 से 13 हजार रुपये माह में ही जीवन यापन कर रहे हैं। इस संदर्भ में मेघालय अव्वल नंबर पर बना है। आंकड़ों के अनुसार, प्रति कृषि परिवार औसत मासिक आमंदनी मेघालय में 29,348 रुपये है। हिमाचल प्रदेश की 12,153 रुपये, अरुणाचल प्रदेश 19,225 रुपये, जम्मू और कश्मीर 18,918 रुपये, पंजाब 26,701 रुपये, हरियाणा 22,841 रुपये, कर्नाटक 13,441 रुपये, गुजरात 12,631 रुपये, राजस्थान 12,520 रुपये, सिक्किम 12,447 रुपये, केंद्र शासित प्रदेशों के समूह की आय 18,511 रुपये, मिजोरम 17,964 रुपये, केरल 17,915 रुपये,और उत्तराखंड में 13,552 रुपये किसान परिवार प्रति माह आय बनी हुई है।

केंद्र सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए बागवानी को प्रोत्साहित कर रही है

केंद्र सरकार के अधिकारियों ने बताया है, कि यदि किसानों की आय में वृद्धि करनी है तो पारंपरिक कृषि के अतिरिक्त अन्य फसलों की पैदावार पर भी हाथ आजमाना बेहद आवश्यक होंगे। बागवानी फसलों की पैदावार करके भी कृषक बेहतरीन उत्पादन अर्जित कर सकते हैं। भारत के कृषक नकदी फसलों पर ज्यादा आश्रित रहते हैं। पंजाब राज्य मेें बागवानी फसलों पर अधिक जोर दिया जाता है, इसके अतिरिक्त अन्य फसलों का भी उत्पादन किया जाता है। समान दशा मेघालय राज्य की है, इसी वजह से भारत के किसान अच्छा उत्पादन कर रहे हैं। पंजाब राज्य में उत्पादित की जाने वाली विशेष फसलों के अंतर्गत बाजरा, गन्ना, तिलहन, मक्का, कपास, चावल और गेहूं सम्मिलित हैं।

कितना बढ़ा है गन्ने का समर्थन मूल्य

पंजाब में कृषकों की आमंदनी बढ़ाने हेतु राज्य सरकार निरंतर जोरदारी से प्रयासरत है। आपको बतादें कि अक्टूबर माह में पंजाब में गन्ने का समर्थन मूल्य 360 रुपये प्रति क्विंटल से 20 रुपये की वृद्धि के साथ 380 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। वर्तमान दौर में पंजाब राज्य के अंदर 1.25 लाख हेक्टेयर भूमि के अंतर्गत गन्ने का उत्पादन किया जाता है। खरीफ सीजन के दौरान किसानों की सहायता हेतु बीज एवं मशीन अनुदान पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं।
नए साल पर अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए खरीदें आधुनिक कृषि यंत्र, ये सरकारें दे रही हैं बंपर सब्सिडी

नए साल पर अपनी खेती को बेहतर बनाने के लिए खरीदें आधुनिक कृषि यंत्र, ये सरकारें दे रही हैं बंपर सब्सिडी

भारत सरकार चाहती है, कि देश के किसान अपने खेतों में बंपर उत्पादन प्राप्त करें, जिससे उनकी आय में बढ़ोत्तरी हो पाए। इसके साथ ही अगर किसानों की बात करें तो अब किसानों ने भी आधुनिक खेती को अपनाया है। जिसमें किसान खेती-किसानी में आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों का इस्तेमाल करने लगे हैं। लेकिन यह अभी तक सिर्फ अमीर और बड़े किसानों तक ही सीमित है। अमीर और बड़े किसानों के पास पर्याप्त संसाधन और पैसा होने के कारण वो आधुनिक तकनीक और कृषि यंत्रों को उपयोग करते हैं, लेकिन छोटे किसान अब भी इससे वंचित हैं। भारत में ट्रेंड देखा गया है, कि अब लघु-सीमांत किसानों के साथ अब छोटे किसानों की भी आधुनिक कृषि यंत्रों की तरफ रुचि बढ़ती जा रही है। आधुनिक मशीनें कम समय, कम मेहनत और कम खर्च में फसलों से ज्यादा उत्पादन हासिल करने में मदद करती हैं। इन फ़ायदों को देखते हुए कई राज्य सरकारें अपने किसानों को आधुनिक कृषि यंत्र खरीदेने के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं। इसके तहत सरकारें आधुनिक कृषि यंत्र खरीदी पर बंपर सब्सिडी दे रही हैं, जिससे किसान भाई ये आधुनिक कृषि यंत्र अपने घर में ला पाएं और खेती किसानी में इनका उपयोग कर पाएं। कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी देने के तहत बिहार और हरियाणा की राज्य सरकारें अपने किसानों को बंपर सब्सिडी दे रही हैं। इसके लिए दोनों राज्य की सरकारों ने योजनाओं को लागू कर दिया है। अगर बिहार सरकार की बात करें तो किसानों को 90 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर पर 80 फीसदी तक अनुदान दिया जा रहा है। वहीं हरियाणा सरकार 55 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर 50 फीसद तक का अनुदान दे रही है।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए बिहार के किसान ऐसे करें आवेदन

बिहार की सरकार ने कृषि यंत्रों की खरीद के लिए कृषि यंत्रीकरण योजना चलाई है, जिसके अंतर्गत सरकार 90 तरह के कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान देती है। ये कृषि यंत्र जुताई, बुवाई, निकाई, गुड़ाई, सिंचाई, कटाई आदि कार्यों के लिए खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा सरकार गन्ना और बागवानी फसलों की खेती के लिए कुछ कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दे रही है।


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बिहार राज्य के कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा है, कि इस योजना का लाभ लेने के लिए किसान की बिहार राज्य में खेती योग्य जमीन होना अनिवार्य है। जो भी किसान इस योजना के अंतर्गत आधुनिक कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान प्रात करना चाहते हैं। वो 31 दिसम्बर 2022 के पहले बिहार राज्य के कृषि विभाग के OFMAS Portal या DBT Portal पर अपना आवेदन ऑनलाइन भर सकते हैं।

हरियाणा के किसान यहां आवेदन करके प्राप्त करें अनुदान

बिहार राज्य की तरह हरियाणा की सरकार भी कृषि यंत्रों की खरीद के लिए अपने किसानों को अनुदान प्रदान करती है। राज्य सरकार ने ऐसी 55 तरह की मशीनों का चयन किया है, जिनमें किसानों को अनुदान दिया जाएगा। ये मशीनें 1500 रुपये से लेकर 25 लाख रुपये तक की हो सकती हैं। जिनमें लगभग आधी कीमत की सब्सिडी दी जाती है। हरियाणा सरकार के कृषि विभाग ने अपने नोटिस में बताया है, कि कृषि यंत्र अनुदान योजना में आवेदन करने वाला किसान हरियाणा राज्य का होना चाहिए। इसके साथ ही किसान के पास खुद की खेती योग्य भूमि होना चाहिए। किसान भाई कृषि यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए बागवानी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट https://hortnet.gov.in/StatesNewDesign/Login-har.aspx पर ऑनलाइन माध्यम से आवेदन करें। इसके अलावा इस योजना की ज्यादा जानकारी के लिए अपने नजदीकी कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर सकते हैं। साथ ही हेल्पलाइन नंबर 18001802021 पर भी फोन करके पूछताछ कर सकते हैं।

राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार भी दे रही है कृषि यंत्रों की खरीदी पर अनुदान

राज्य सरकारों के साथ-साथ अब केंद्र सरकार भी आधुनिक कृषि यंत्रों की खरीद पर अनुदान दे रही है। ताकि किसान अपनी खेती की लागत को कम कर पाएं और उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सके। इसके लिए केंद्र सरकार कृषि यंत्रीकरण पर उपमिशन योजना लाई है जिसके अंतर्गत अनुदान दिया जा रहा है। इस योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार राज्यों के सहयोग से किसान भाइयों को कृषि यंत्रों की खरीद पर 25 से 90 प्रतिशत की सब्सिडी देती है। इस योजना की ज्यादा जानकारी प्राप्त करने के लिए और आवेदन करने के लिए किसान भाई ऑफिशियल वेबसाइट https://agrimachinery.nic.in/ पर विजिट कर सकते हैं।
देश में सासनी का सुप्रशिद्ध अमरूद रोगग्रसित होने की वजह से उत्पादन क्षेत्रफल में भी आयी गिरावट

देश में सासनी का सुप्रशिद्ध अमरूद रोगग्रसित होने की वजह से उत्पादन क्षेत्रफल में भी आयी गिरावट

आपको बतादें, कि सासनी के अमरूद ने विगत 6 वर्षों में फल मंडी के अंतर्गत स्वयं की विशेष पहचान स्थापित की है। परंतु, अब दीमक एवं उकटा रोग जैसे रोगों की वजह से इस विशेष अमरूद के बाग काफी संकीर्ण होते जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश राज्य के सासनी क्षेत्र के प्रसिद्ध अमरूद के बागानों का क्षेत्रफल काफी कम होता दिखाई दे रहा है। इन अमरूदों ने विगत 6 दशकों के अंतर्गत फल मंडी में खुद का अच्छा खासा वर्चस्व स्थापित किया है। लेकिन वर्तमान में इन अमरूदों के बागान और पैदावार को दीमक रोग, उखटा रोग, कीट एवं मौसमिक मार की वजह से बर्बाद होती दिखाई दे रही है। हानि में होती वृद्धि की वजह से कृषकों ने अमरूद के बागों की अपेक्षा अन्य फसलों का उत्पादन करना आरंभ कर दिया है। हालाँकि, बागवानी विभाग द्वारा कृषकों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान की गई है। फिर भी कीट-रोगों के संक्रमण में वृद्धि की वजह से उत्पादन में कमी होती दिखाई दे रही है। इस वजह से किसान समुचित आय अर्जित नहीं कर पाते हैं। ऐसी स्थिति में किसान निराश और हतास होकर फिलहाल सासनी इलाके के अमरूद उत्पादक बागवानी को छोड़ते जा रहे हैं।

सासनी के अमरुद के बागानों में कमी आने की वजह

अमरूद की बागवानी करने वाले किसान वीरपाल सिंह का कहना है, कि इस वर्ष कम बारिश की वजह से अमरूद के बागों में बेहद गंभीर हानि हुई है। बागों में कीट संक्रमण भी देखने को मिल रहा है, जिससे बागवानी में काफी घटोत्तरी देखने को मिली है। साथ ही, कुछ किसानों का कहना है, कि उनके क्षेत्र का पानी बहुत बेकार है, जिसकी वजह से अमरूद के पेड़ों में दीमक का संक्रमण होना आरंभ हो जाता है। रोगों के चलते पेड़ में बहुत सूखापन हो जाता है। ऐसी स्थिति में स्वभाविक सी बात है, कि फलों की पैदावार अच्छी तरह से अर्जित नहीं हो पाती है। अधिकाँश ठंड के दिनों में पाले की वजह से पेड़ की टहनियां बेहद कमजोर हो जाती हैं एवं टूटके नीचे गिर पड़ती हैं, तो पैदावार में घटोत्तरी हो गई है।

अमरुद के बागों को कौन-कौन से रोग प्रभावित कर रहे हैं

कृषि क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन काफी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। बहुत से क्षेत्रों में फलों के बागान कीट-रोगों के संक्रमण की वजह से नष्ट होते जा रहे हैं। फिलहाल, मशहूर सासनी के अमरूद के बागानों के ऊपर भी दीमक और उखटा रोग का संकट काफी प्रभावित कर रहा है। पेड़ के ऊपरी भागों तक समुचित पोषण संचारित ना होने की वजह से पेड़ सूखकर नष्ट होते ही जा रहे हैं।
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बहुत से बागों में दीमक का संक्रमण आरंभ हो चुका है। ऐसी स्थिति में सामान्यतः पेड़ की जड़ें खोखली हो रही हैं। किसान अन्य पेड़ों को संक्रमण से बचाने के लिए रोगग्रस्त पेड़ पौधों को जड़ समेत उखाड़ फेंकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है, कि दीमक का संक्रमण बढ़ने की स्थिति में पेड़ की जड़ों में गोबर की खाद सहित ट्राइकोडर्मा उर्वरक का मिश्रण कर उपयोग करना चाहिए।

बागवानी विभाग द्वारा नई पहल शुरू की गई है।

मीडिया द्वारा दी गयी खबरों के हिसाब से हाथरस की जिला उद्यान अधिकारी अनीता यादव जी ने कहा है, कि उखटा रोग जैसी बहुत-सी बीमारियों के संक्रमण बड़ने पर कृषकों ने बागवानी के स्थान पर खेती करना आरंभ कर दिया है। इन चुनौतियों का निराकरण करने हेतु राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड द्वारा वार्षिक नवीन बागों की स्थापना हेतु लक्ष्य तय किया गया है। इस वर्ष लगभग 30 हेक्टेयर में नवीन बागान लगाए गए हैं। इसके अंतर्गत 17 हैक्टेयर में अमरूद के बागान भी शम्मिलित हैं। पौधरोपण के उपरांत पेड़ बनने एवं फलों के पकने तक भिन्न-भिन्न कृषि कार्यों हेतु अनुदान प्रदान किया जाता है। अमरूद के बागान में कीट-रोगों के समुचित प्रबंधन हेतु कृषकों को भी शिविर के जरिए से जागरूक किया जा रहा है।

यह अमरुद बाजार में सासनी अमरुद के नाम से ही बिकता है

अगर सासनी के सुप्रसिद्ध अमरूदों की सप्लाई की बात करें तो उत्तर प्रदेश समेत उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में भी की जा रही है। सासनी के किसानों से अमरूद खरीदकर उनमें से बेहतरीन गुणवत्ता वाले अमरूदों को छांटा जाता है। अमरूद का भाव उसकी गुणवत्ता के अनुरूप निर्धारित किया जाता है। उसके बाद इन अमरूदों को पैक किया जाता है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में माँग के अनुरूप आपूर्ति की जाती है। अन्य राज्यों में अमरूद सासनी अमरुद के नाम से ही बेचे जाते हैं।
करनी है बंपर कमाई, तो बनिये बागवानी मिशन का हिस्सा

करनी है बंपर कमाई, तो बनिये बागवानी मिशन का हिस्सा

किसानों की अच्छी आय के लिए छत्तीसगढ़ सरकार काफी मेहनत कर रही है. इसके लिए तरह तरह की योजनाएं सरकार धरातल में उतार रही है. जिसके लिए सरकार किसानों को सब्सिडी दे रही है. ताकि उनकी आर्थिक रूप से मदद हो सके. सरकार की तरफ से किसानों को पारंपरिक खेती के अलावा किसानों को बागवानी खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. हालांकि बागवानी की खेती करके किसानों को सब्सिडी भी दी जाती है. ताकि किसानों की आर्थिक मदद हो सके. बागवानी की खेती करके किसानों की अच्छी कमाई हो रही है. छत्तीसगढ़ में किसान बागवानी के जरिये अमरूद, केला, आंवला और आम जैसे फलों की खेती कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तर्ज पर राज्य सरकार कृषि के साथ साथ उद्यानिकी फसलों से जुड़े क्षेत्रों के विस्तार और उत्पादन में बढ़ोतरी करना चाहती है. बता दें इस योजना के तहत राज्य के मुंगेली जिले के अंतर्गत करीब 443 सदस्य कृषकों की तीन ने समेती लाभंडी रायपुर में प्रशिक्षण लिया है. यह प्रशिक्षण 1 फरवरी, 2 से 4 फरवरी, 6 से 8 फरवरी, 9 से 11 फरवरी, 20 से 22 फरवरी और 23 से 25 फरवरी 2023 तक चला. आपको बता दें कि, इस दौरान किसानों ने नई तकनीक से कैसे खेती करनी है, इसका गुण भी सीखा.

इस तरह मिली जानकारी

जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ राज्य के मुंगेली जिले के किसानों ने उद्यानिकी फसलों से जुड़ी दाल और सब्जियों जैसी उन्नत तकनीक से खेती करने की जानकारी शामिल है. इसके तहत कीट प्रबंधन, बीमारियों की रोकथाम से जुड़ी जानकारी, बीजों का उत्पादन, फूलों के उत्पादन तकनीक से जुड़ी सम्भावनाएं, मशरूम का उत्पादन की खेती में इस्तेमाल  होने वाले यंत्रों की भी जानकारी दी गयी. ये भी पढ़ें: बागवानी के साथ-साथ फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर हर किसान कर सकता है अपनी कमाई दोगुनी इंदिरा गांधी कृषि विश्विद्यालय के साइंटिस के अलावा विषय वस्तु से जुड़े एक्सपर्ट्स और संस्थान के अधिकारीयों ने इन सभी विषयों में टेक्निकल जानकारी किसानों को दी. यह प्रशिक्षण 14 महिलाओं और 55 पुरुषों ने 23 से 25 फरवरी के भ्रमण दौरे के दौरान लिया. इस दौरान दौरे पर आये हुए किसानों ने राज्य सरकार की इस नई तकनीक की काफी ज्यादा सरहाना की. साथ ही इस तकनीक को अपनाने की बात भी कही. इसके अलावा राज्य कृषि प्रबंधन और विस्तार प्रशिक्षण संस्थान ने किसानों को सर्टिफिकेट बांटा.
अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

अमरूद की खेती को बढ़ावा देने के लिए इस राज्य में मिल रहा 50 प्रतिशत अनुदान

बेगूसराय जनपद में किसान केला, नींबू, पपीता और आम की खेती काफी बड़े पैमाने पर करते हैं। परंतु, अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों की तादात आज भी बहुत कम है। बिहार राज्य में किसान दलहन, तिलहन, धान और गेहूं के साथ-साथ बागवानी फसलों की भी बड़े पैमाने पर खेती करते हैं। दरभंगा, हाजीपुर, मुंगेर, मधुबनी, पटना, गया और नालंदा समेत तकरीबन समस्त जनपदों में किसान फल और सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं। विशेष कर इन जनपदों में किसान सेब, आलू, भिंडी, लौकी, आम, अमरूद, केला और लीची की खेती बड़े स्तर पर की जाती है। परंतु, वर्तमान में उद्यान विभाग द्वारा बेगूसराय जनपद में अमरूद का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए शानदार योजना तैयार की है। इस योजना के अंतर्गत अमरूद की खेती चालू करने वाले उत्पादकों को मोटा अनुदान दिया जाएगा।

केवल इतनी डिसमिल भूमि वाले किसान उठा पाएंगे लाभ

मीडिया एजेंसियों के अनुसार, मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत बेगूसराय जनपद में अमरूद की खेती करने वाले किसान भाइयों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। मुख्य बात यह है, कि इस योजना के अंतर्गत जनपद में 5 हेक्टेयर भूमि पर अमरूद की खेती की जाएगी। जिन किसान भाइयों के पास न्यूनतम 25 डिसमिल भूमि है, वह अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं। इसके लिए कृषकों को कृषि विभाग की आधिकारिक वेवसाइट पर जाकर आवेदन करना पड़ेगा। यह भी पढ़ें: अब सरकार बागवानी फसलों के लिए देगी 50% तक की सब्सिडी, जानिए संपूर्ण ब्यौरा

अमरुद उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 40 प्रतिशत अनुदान

बतादें, कि बेगूसराय जनपद में किसान केला,नींबू, पपीता और आम की बड़े स्तर पर खेती करते हैं। लेकिन, जनपद में अमरूद की खेती करने वाले कृषकों की तादात आज भी जनपद में बेहद कम होती है। यही कारण है, कि कृषि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के अंतर्गत जनपद में अमरूद की खेती का क्षेत्रफल में बढ़ोत्तरी करने की योजना बनाई और किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का फैसला लिया है। किसान रामचंद्र महतो ने कहा है, कि यदि सरकार अनुदान प्रदान करती है, तो वह अमरूद की खेती अवश्य करेंगे।

बेगूसराय में कितने अमरुद लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

साथ ही, जिला उद्यान पदाधिकारी राजीव रंजन ने कहा है, कि सरदार अमरूद एवं इलाहाबादी सफेदा जैसी प्रजातियों के पौधे कृषकों को अनुदान पर मुहैय्या कराए जाऐंगे। उनका कहना है, कि अमरूद के बाग में 3×3 के फासले पर एक पौधा लगाया जाता है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर भूमि में खेती करेंगे तो उनको 1111 अमरूद के पौधे लगाने होंगे। साथ ही, बेगूसराय जनपद में 5555 अमरूद के पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
बिहार सरकार की तरफ से छत पर फल-सब्जी उगाने के लिए अनुदान

बिहार सरकार की तरफ से छत पर फल-सब्जी उगाने के लिए अनुदान

अगर आप भी अपने घर को सुंदर और पर्यावरण को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो आप अपनी छत पर फल, सब्जी उगाऐं। दरअसल, बिहार सरकार छत के ऊपर बागवानी करने के लिए 37500 रुपये तक का अनुदान प्रदान कर रही है। आजकल आजीविका के लिए भागमभाग भरी जिंदगी में लोगों के पास इतना वक्त नहीं होता है, कि वह खेत में जाकर बागवानी कर सके। इस वजह से अधिकतर लोग अपने घरों की छत पर अथवा फिर छोटे से ही भूभाग पर ही बागवानी करते हैं। 

ऐसे ही लोगों के लिए सरकार ने अब एक योजना का प्रारंभ किया है। इनके पास बागवानी करने के लिए पर्याप्त भूमि नहीं है। साथ ही, वह अपने घर की छत पर ही बागवानी किया करते हैं। बतादें, कि ऐसे लोगों को बिहार सरकार की तरफ से शानदार अनुदान दिया जा रहा है। यह अनुदान छत पर जैविक फल, फूल और सब्जी पर दिया ज रहा है। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि लोगों को यह अनुदान 'छत पर बागवानी योजना'/Roof Top Gardening Scheme के अंतर्गत दिया जाऐगा। 

बिहार के इन शहरों के लोगों को मिलेगा योजना का फायदा 

सरकार की इस योजना का प्रमुख मकसद शहरी क्षेत्रों में बागवानी को प्रोत्साहन देना है। इस योजना का फायदा पटना, गया, मुजफ्फरपुर और भागलपुर में रहने वाले लोगों को प्रदान किया जाऐगा। इन शहरों में बागवानी करने वाले लोगों को सरकार की ओर से तकरीबन 75% प्रतिशत तक अनुदान की सुविधा मुहैय्या करवाई जा रही है। इसके लिए मकान की छत लगभग 300 वर्ग फीट तक खुली होनी चाहिए।

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कृषि विभाग बिहार की तरफ से जारी की गई सूचना के मुताबिक, फार्मिंग बेड प्रति इकाई (300 वर्ग फीट) की कुल लागत तकरीबन 50,000 रुपये है। इस प्रकार से इस पर अनुदान 37,500 रुपये और शेष 12,500 रुपये तक लाभार्थी द्वारा दिए जाऐंगे।

वहीं, इसके अलावा छत बागवानी योजना के अंतर्गत गमले की योजना की इकाई लागत 10,000 रुपये तय की गई है। इस पर अनुदान 7,500 रुपये और शेष 2,500 रुपये तक लाभार्थी द्वारा देय होंगे। इसमें अधिक से अधिक 5 इकाई का लाभ किसी भी आवेदक द्वारा उठाया जा सकेगा। इस योजना का फायदा किसी भी संस्थान को नहीं दिया जाऐगा।

जानिए किन पौधों पर अनुदान मिलेगा

यदि आप चाहें तो अपनी छत पर फार्मिंग बेड और गमले में लगने वाले पौधे भी उगा सकते हैं। दरअसल, इन पौधों पर भी बिहार सरकार की ओर से अनुदान दिया जाएगा। फार्मिंग बेड और गमले में लगने वाले पौधे कुछ इस प्रकार से हैं-

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फार्मिंग बेड के अंतर्गत लगने वाले पौधे कौन- कौन से हैं ?

सब्जी: गोभी, गाजर, मूली, भिंडी, पत्तेदार सब्जी, कद्दू, बैंगन, टमाटर और मिर्च आदि।

फल: अमरुद, कागजी नींबू, पपीता (रेड लेडी), आम (आम्रपाली), अनार और अंजीर आदि।

औषधीय पौधे: धृत कुमारी, करी पत्ता, वसाका, लेमन ग्रास एवं अश्र्वगंधा आदि।

गमले के अंदर लगने वाले पौधों की जानकारी 

  • 10 inch वाले पौधें: तुलसी, अव्श्रगंधा, एलोवेरा, स्टीविया, पुदीना आदि। 
  • 12 inch वाले पौधें: स्नेक प्लांट डकॉन, मनी, गुलाब, चांदनी आदि। 
  • 14 inch वाले पौधें: एरिका पाम, फिकस पांडा, एडेनियम, अपराजिता, करी पत्ता, भूटानी मल्लिका, स्टारलाईट फिकस, टेकोमा, अल्लामांडा, वोगनविलिया आदि। 
  • 16 inch वाले पौधें: अमरुद, आम, निंबू, चीकू, केला, एप्पल बेर, रबड़ पौधा, एक्स मास, क्रोटन, मोरपंखी पौधा, उड़हुल आदि।

छत पर बागवानी योजना में कैसे आवेदन करें ?

अगर आप भी सरकार की इस योजना का लाभ उठाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको उद्यान निदेशालय, कृषि विभाग, बिहार की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर विजिट करना होगा। जहां से आप सफलतापूर्वक ऑनलाइन माध्यम से आवेदन कर सकते हैं।