Ad

coriander farming

किसान अपनी छत पर इन महंगी सब्जियों को इस माध्यम से उगाऐं

किसान अपनी छत पर इन महंगी सब्जियों को इस माध्यम से उगाऐं

शिमला मिर्च की खेती भी बिल्कुल उसी तरह कर सकते हैं, जैसे बैंगन की करते हैं। हालांकि, इसमें धूप का और पानी का खास ध्यान रखना पड़ता है। प्रयास करें कि शिमला मिर्च के पौधों पर प्रत्यक्ष तौर पर धूप ना पड़े। बाजार में कुछ दिन पूर्व तक टमाटर की कीमत 350 रुपए प्रतिकिलो थी। दरअसल, सरकार के हस्तक्षेप के उपरांत इनके भाव अब 70 से 80 रुपए किलो तक आ गए हैं। परंतु, क्या आपको जानकारी है, कि बाजार के अंदर विभिन्न ऐसी सब्जियां हैं, जो आज भी 150 के पार चल रही हैं। इन सब्जियों में शिमला मिर्च, बैगन और धनिया शम्मिलित हैं। आइए आपको जानकारी दे दें कि कैसे आप इन सब्जियों को अपनी छत पर सहजता से उगा सकते हैं।

गमले के अंदर बैंगन की खेती

बैंगन को छत पर उगाना सबसे सुगम होता है। बाजार में इसके पौधे मिलते हैं, जिन्हें लाकर आप किसी भी गमले में इसको उगा सकते हैं। इसकी संपूर्ण प्रक्रिया के विषय में बात की जाए तो सबसे पहले आपको एक गमला लेना पड़ेगा। जो थोड़ा बड़ा हो उसके बाद उसमें मिट्टी और जैविक खाद मिला लें। जब इस प्रकार से गमला तैयार हो जाए तो नर्सरी से लाए हुए बैंगन के पौधों की इनमें रोपाई करें। एक गमले में आपको एक से ज्यादा पौधा नहीं रोपना चाहिए। ऐसे करके आप छत पर पांच से सात गमलों में बैंगन का उत्पादन कर सकते हैं। ये पौधे दो महीनों के अंतर्गत बैंगन देने लगेंगे। ये भी पढ़े: सफेद बैंगन की खेती से किसानों को अच्छा-खासा मुनाफा मिलता है

गमले के अंदर शिमला मिर्च की खेती

शिमला मिर्च की खेती भी बिल्कुल वैसे ही की जा सकती है, जैसे कि बैंगन की करते हैं। हालांकि, इसमें धूप का और पानी का विशेष ख्याल रखना पड़ता है। प्रयास करें कि शिमला मिर्च के पौधों पर प्रत्यक्ष तौर पर धूप ना पड़े। यदि ऐसा हुआ तो पौधा सूख सकता है। इसी प्रकार से आप हरी मिर्च की भी खेती सहजता से कर सकते हैं। यदि आपका छत बड़ा है, तो आप उस पर बहुत सारे गमले रख के एक छोटा सा वेजिटेबल गार्डेन तैयार कर सकते हैं, जिसमें आप प्रतिदिन बगैर रसायन वाली ताजी-ताजी सब्जियां उगा सकते हैं।

गमले के अंदर धनिया की खेती

संभवतः धनिया की खेती सबसे आसान ढ़ंग से की जाती है। हालांकि, इसके लिए आपको गमला नहीं बल्कि कोई चौड़ी वस्तु जैसे कोई बड़ा सा गहरा ट्रे लेना पड़ेगा। इस ट्रे में पहले आप जैविक खाद और मृदा डाल दें, उसके उपरांत इसमें बाजार से लाए धनिया के बीज छींट दें। फिर उसमें पानी का मध्यम छिड़काव कर दें। दस से बीस दिनों के समयांतराल पर धनिया के पौधे तैयार हो जाएंगे, एक महीने के पश्चात आप इनकी पत्तियों का इस्तेमाल कर पाएंगे।
सुगंधित धनियां लाए खुशहाली

सुगंधित धनियां लाए खुशहाली

धनियां मसालों और आमतौर पर हर घर में उपयोग में लाया जाता है। इसके पत्तों की महक किसी भी सब्जी के जायके में चार चांद लगाने का काम करती है। इसमें अनेक ओषधीय गुण भी हैं। इसके चलते इसकी खेती बेहद लाभकारी है। इसकी खेती देश के आधे से हिस्से में कम कहीं ज्यादा होती है। इसकी खेती के लिए भी बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। बेहतर जल निकासी वाली जमीन में धनियां लगाया जाना उचित होता है। धनियां को कतर कर बेचना एवं जड़ सहित बेचने की प्रक्रिया मंडियों के अनुरूप अपनाएं। 

धनियां की किस्में

 

 वर्तमान दौर में किसी भी खेती के लिए उस इलाके के चिए संस्तुत किस्मों का चयन बेहद जरूरी है। राजस्थान के कोटा अदि में धनियां की अच्छी खेती होती है। वहां की किस्में भी कई गर्म इलाकों में बेहद अच्छी सुगंध और उत्पादन दानों दे रही हैं। इसके अलावा गुजरात धनियां 1 व 2, पंत धनियां 1, मोरोक्कन, सिमपो एस 33, ग्वालियर 5365, जवाहर 1, सीएस 6, आरसीआर 4, सिंधु, हरीतिमा, यूडी 20 साहित अनेक किस्में बाजार में मौजूद हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी नई खेती को करने से पूर्व अपने जनपद के कृषि या उद्यान अधिकारी या कृषि विज्ञान केन्द्रों के विशेषज्ञों से संपर्क करें ताकि उन्हें उचित जानकारी प्राप्त हो सके।

धनियां की खेती के लिए जमीन की सिंचाई कर तैयार करें। इससे पूर्व सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में जरूर डालें। धनियां की बिजाीई हेतु 5-5 मीटर की क्यारियां बना लें, जिससे पानी देने में और निराई-गुड़ाई का काम करने में आसानी रहे। 

बुवाई का समय

 

 धनिया की फसल के लिए अक्टुंबर से नवंबर तक बुवाई का उचित समय रहता है। बुवाई के समय अधिक तापमान रहने पर अंकुरण कम हो सकता है। बुवाई का निर्णय तापमान देख कर करें। क्षेत्रों में पला अधिक पड़ता है वहां धनिया की बुवाई ऐसे समय में न करें, जिस समय फसल को अधिक नुकसान हो।

ये भी पढ़ें:
नींबू, भिंडीऔर धनिया पत्ती की कीमतों में अच्छा खासा उछाल आया है

बीजदर व बीजोपचार

 

 धनियां का 15 से 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीजोपचार के लिए दो ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पहले दाने को दो भागों में तोड़ देना चाहिए। ऐसा करते समय ध्यान दे अंकुरण भाग नष्ट न होने पाए और अच्छे अंकुरण के लिए बीज को 12 से 24 घंटे पानी में भिगो कर हल्का सूखने पर बीज उपचार करके बोएं। सिंचित फसल में बीजों को 1.5 से 2 सेमी. गहराई पर बोना चाहिए, क्योंकि ज्यादा गहरा बोने से सिंचाई करने पर बीज पर मोटी परत जम जाती हैं, जिससे बीजों का अंकुरण ठीक से नहीं हो पाता हैं।

खरपतवार नियंत्रण

धनिये में शुरूआती बढ़वार धीमी गति से होती हैं इसलिए निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकलना चाहिए। सामान्यतः धनिये में दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। पहली निराई-गुड़ाई के 30-35 दिन पर व दूसरी 60 दिन पर अवश्य करेंं। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमिथालीन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण से पहले छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए और छिड़काव शाम के समय करें।

किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती कर कमाया मोटा मुनाफा

किसान ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती कर कमाया मोटा मुनाफा

किसान रमेश विठ्ठलराव विगत दिनों अंगूर की खेती करते थे। परंतु, अंगूर की खेती में उन्हें घाटा उठाना पड़ा। इसके पश्चात उन्होंने धनिया की खेती करना चालू कर दिया। विशेष बात यह है, कि धनिया की खेती शुरू करने पर प्रथम वर्ष ही रमेश विठ्ठलराव को 25 लाख रुपये का मुनाफा अर्जित हुआ। लोगों का मानना है, कि सिर्फ गेहूं, मक्का, बाजार और धान जैसी पारंपरिक फसलों की खेती से ही बेहतरीन आमदनी की जा सकती है। परंतु, इस तरह की कोई बात नहीं है। अगर कृषक भाई आधुनिक विधि से हरी सब्जी एवं मसाले की खेती करते हैं, तो बहुत ही कम वक्त में वह धनवान बन सकते हैं। महाराष्ट्र के लातुर जनपद में एक किसान ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है। वह धनिया की खेती से धनवान हो गया है। अब उनकी चर्चा संपूर्ण जनपद में हो रही है। लोग उनसे धनिया की खेती करने के गुर सीख रहे हैं।

रमेश ने पारंपरिक खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती की

जानकारी के अनुसार, किसान का नाम रमेश विठ्ठलराव है। पहले वह पारंपरिक फसलों की खेती किया करते थे। इससे उन्हें इतनी ज्यादा आमदनी नहीं हो रही थी। ऐसी स्थिति में उन्होंने 4 साल पहले पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ वैज्ञानिक विधि से धनिया की खेती चालू कर दी। मुख्य बात यह है, कि धनिया की खेती चालू करते ही रमेश विठ्ठलराव की किस्मत चमक गई। उन्होंने धनिया बेचकर बेहद ही आलीशान घर बनवाया है, जिसकी सुन्दरता वास्तव में देखने लायक है।

ये भी पढ़ें:
जानिए कैसे की जाती है धनिया की खेती? ये किस्में देंगी अधिक उत्पादन

रमेश विठ्ठलराव विगत चार वर्षों से 5 एकड़ जमीन में धनिया की खेती कर रहे हैं।

रमेश विठ्ठलराव विगत चार वर्षों से 5 एकड़ जमीन में धनिया की खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया है, कि धनिया बेचकर अभी तक वे लाखों रुपये की आमदनी कर चुके हैं। रमेश विठ्ठलराव की मानें तो लातूर जनपद सूखा प्रभावित क्षेत्र है। यहां पर बहुत ही कम बारिश होती है। ऐसी स्थिति में पारंपरिक फसलों की खेती से किसानों को उतनी अच्छी आमदनी नहीं हो पाती है। बहुत बार तो कृषक भाई लागत तक भी नहीं निकाल पाते हैं। यही वजह है, कि मैंने धनिया की खेती करने का निर्णय लिया।

रमेश ने वर्ष 2019 में धनिया उत्पादन आरंभ किया था

विशेष बात यह है, कि किसान रमेश ने वर्ष 2019 में धनिया की खेती की शुरुआत की थी। पहले वर्ष ही उन्हें धनिया बेचकर 25 लाख रुपये की आय अर्जित हुई। बतादें, कि 5 एकड़ जमीन में धनिया बोने में उन्हें सिर्फ एक लाख रुपये की लागत लगानी पड़ी। इस प्रकार उन्होंने 24 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा अर्जित किया। इसी प्रकार उन्होंने साल 2020 में 16 लाख, साल 2021 में 14 लाख, 2022 में 13 लाख रुपये का धनिया बेचा। इस साल भी वे अभी तक धनिया बेचकर 16 लाख 30 हजार रुपए कमा चुके हैं। इस प्रकार रमेश ने धनिया बेचकर कुल 84 लाख रुपये से भी ज्यादा की कमाई करली है।