मार्च का महीना किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। किसान इस महीने विभिन्न प्रकार की सब्जियों की बुवाई करते है तथा धन की उच्च दर पर प्राप्ति करते हैं।
इस महीने किसान तरह तरह की सब्जियों की बुवाई करते है जैसे: खीरा, ककड़ी, करेला, लौकी, तुरई, पेठा, खरबूजे, तरबूजे, भिंडी, ग्वारफल्ली आदि। मार्च के महीने में बोई जाने वाली सब्जियों की जानकारी:
खीरे की खेती के लिए खेतों में आपको क्यारियां बनानी होती है। इसकी बुवाई लाइन में ही करें। लाइन की दूरी 1.5 मीटर रखें और पौधे की दूरी 1 मीटर।
बुवाई के बाद 20 से 25 दिन बाद गुड़ाई करना चाहिए। खेत में सफाई रखें और तापमान बढ़ने पर हर सप्ताह हल्की सिंचाई करे, खेत से खरपतवार हटाते रहें।
ककड़ी की फ़सल की पूर्ण जानकारी ( Cucumber crop complete information) in Hindi
ककड़ी की फसल आप किसी भी उपजाऊ जमीन पर उगा सकते हैं।ककड़ी की बुवाई के लिए मार्च का समय बहुत ही फायदेमंद होता है। या सिर्फ 1 एकड़ भूमि में 1 किलो ग्राम बीज के आधार पर उगना शुरू हो जाती है।
खेत को आपको तीन से चार बार जोतना होता है ,उसके बाद आपको खेतों में गोबर की खाद डालनी होती है। ककड़ी की बीजों को किसान 2 मीटर चौड़ी क्यारियों में किनारे किनारे पर लगाते है। इनकी दूरी लगभग 60 सेंटीमीटर होती है।
करेले की खेती दोमट मिट्टी में की जाती है। करेले को आप दो तरह से बो सकते हैं। पहले बीच से दूसरा पौधों द्वारा ,आपको करेले की खेती के लिए दो से तीन दिन की जरूरत पढ़ती है।
इसकी बीच की दूरियों को 2.5 से लेकर 5 मीटर तक की दूरी पर रखना चाहिए।किसान करेले के बीज को बोने से पहले लगभग 24 घंटा पानी में डूबा कर रखते हैं। ताकि उसके अंकुरण जल्दी से फूट सके।
पहली जुताई किसान हल द्वारा करते हैं उसके बाद किसान तीन से चार बार हैरो या कल्टीवेटर द्वारा खेत की जुताई करते हैं।
लौकी की खेती आप हर तरह की मिट्टी में कर सकते हैं लेकिन दोमट मिट्टी इसके लिए बहुत ही उपयोगी है। लौकी की खेती करने से पहले आपको इसके बीज को 24 घंटे पानी में डूबा कर रखना है अंकुरण आने तक, एक हेक्टेयर में आपको 4.5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।
तुरई फसल की पूर्ण जानकारी ( Full details of turai crop) in Hindi
तोरई की फसल को हल्की दोमट मिट्टी में लगाना चाहिए। किसानों द्वारा प्राप्त जानकारियों से यह पता चला है।कि नदियों के किनारे वाली भूमि पर खेती करना बहुत ही अच्छा होता है।
खेती करने से पहले जमीन को अच्छे से जोत लेना चाहिए। पहले हल द्वारा उसके बाद दो से तीन बार हैरो या कल्टीवेटर से जुताई करना चाहिए। एक हेक्टेयर भूमि में कम से कम 4 से 5 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
पेठा फसल की पूर्ण जानकारी( Complete information about Petha crop)
पेठा यानी कद्दू को दोमट मिट्टी में बोना बहुत ही फायदेमंद होता है। पेठा की खेती के लिए दो से तीन बार कल्टीवेटर से जुताई करें। मिट्टियों को भुरभुरा बनाएं तथा खेतों की अच्छे ढंग से जुताई करें। एक हेक्टेयर में लगभग 7 से 8 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।
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खरबूजे की फसल (melon crop) in Hindi
मार्च के महीने में खरबूजा बहुत ही फायदेमंद तथा पसंदीदा फलों में से एक है। किसान इसकी खेती नदी तट पर करते हैं। खेती करने से पहले बालू में एक थाला बनाते हैं और बीज बोने से थोड़ी देर पहले खेत को अपने हल के जरिए जोतते हैं। खरबूजे की फसल बोने के बाद इसकी सिंचाई को कम से कम 2 या 3 दिन बाद से करना शुरू कर देना चाहिए।
तरबूजे की फसल ( watermelon crop) in Hindi
गर्मी में तरबूज को बहुत ही शौक से खाया जाता है।तरबूज में पानी की मात्रा बहुत ही ज्यादा होती है, इसको खाने से आप ताजगी का अनुभव करते हैं। इस फसल में लागत बहुत कम लगती है लेकिन मुनाफा उससे कई गुना होता है।
तरबूज की फसल बहुत ही कम समय में उग जाती है, जिससे किसानों को काफी मुनाफा भी मिलता है। लेकिन इस बात का ध्यान रखें ,कि तरबूज में कीट और रोग का प्रकोप काफी बड़ा रहता है। किसानों को चाहिए कि वैज्ञानिकों के मुताबिक तरबूज की फसलों की देखरेख करें। तरबूज की फसलें 75 से 90 दिनों के अंदर पूर्ण रुप से तैयार हो जाती है।
किसान भिंडी की फसल फरवरी से मार्च के दरमियान जोतना शुरू कर देते हैं। भिंडी की खेती हर तरह की मिट्टी में की जाती है। खेती से पूर्व दो तीन बार खेतों की जुताई करें।
जिससे मिट्टियों में भुरभुरा पन आ जाए, जमीन को समतल कर दे। खेतों में लगभग 15 से 20 दिन पहले इनकी निराई-गुड़ाई करें। खरपतवार नियंत्रण रहे इसके लिए कई प्रकार का रासायनिक प्रयोग भी किसान करते हैं।
ग्वार फली किसानों कि आय का बहुत महत्वपूर्ण साधन होता है। किसान ग्वार फली का इस्तेमाल हरी खाद ,हरा चारा ,हरी फली , दानों आदि के लिए करते है। ग्वार फली में प्रोटीन तथा फाइबर का बहुत ही अच्छा स्त्रोत होता है।
इनके अच्छे स्त्रोत के कारण इनको पशुओं के चारे के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। जिससे पशुओं को विभिन्न प्रकार के प्रोटीन की प्राप्ति हो सके। किसान ग्वार फली की खेती दो मौसम में करते हैं पहला बहुत गर्मी के मौसम में तथा दूसरा बारिश के मौसम में।
ग्वार फली की बुवाई किसान मार्च के महीने में 15 से लेकर 25 तारीख के बीच खेती करना शुरू कर देते हैं। ग्वार फली की फसलें 60 से 90 दिन के अंदर पूर्ण रूप से तैयार हो जाती है तथा यहां कटाई के लायक़ हो जाती हैं।
ग्वार फली में बहुत तरह के पौष्टिक तत्व भी मौजूद होते हैं इनका उपयोग विभिन्न प्रकार की सब्जियों को बनाने तथा सलातो के रूप में किया जाता है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारी इस पोस्ट द्वारा मार्च के महीने में उगाई जाने वाली सब्जियों की पूर्ण जानकारी पसंद आई होगी।
आपने इन सब्जियों के विभिन्न प्रकार के लाभ को जान लिया होगा। यदि आप हमारी दी गई जानकारी से संतुष्ट हैं तो आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करें धन्यवाद।