Ad

destroyed

टिड्डी दल नियंत्रण को यूपी में खुले कंट्रोल रूम

टिड्डी दल नियंत्रण को यूपी में खुले कंट्रोल रूम

उत्तर प्रदेश के कई हिस्सों में टिड्डी दल पहुंच चुका है, यह बहुत ही चिंताजनक है। प्रदेश सरकार टिड्डी दल पर नियंत्रण करने की पूरी कोशिश कर रही है। संबंधित अधिकारी को इसके रोकथाम के लिए आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। टिड्डी दल की रोकथाम के लिए सीमावर्ती जिले मथुरा,आगरा,झांसी ललितपुर आदि जनपदों के लिए 5 लाख रुपये और अन्य जनपदों के लिए 2 लाख की धनराशि दी गयी है। साथ ही सभी जिला अधिकारियों को कोषागार नियम 27 के अंतर्गत आवश्यकता अनुसार धनराशि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 के अंतर्गत नियमानुसार व्यय करने के निर्देश दे दिए गए हैं। 

टिड्डी दल पर नियंत्रण के दृष्टिगत प्रदेश स्तर पर एक कंट्रोल रूम की स्थापना कृषि निदेशालय की गई है। जिसका दूरभाषा 0522-2205867 है। किसान भाई सोमवार से रविवार प्रातः 8:00 बजे से रात 8:00 बजे तक दिए गए नंबर पर संपर्क कर सकते हैं। टिड्डी दल के प्रकोप से सुरक्षा हेतु जनपद एवं प्रदेश स्तर पर निरंतर निगरानी रखने के लिए आपदा राहत दल का गठन किया गया है।

ये भी पढ़ें:
टिड्डी के हमले से बचें किसान
 

निदेशालय स्तर पर गठित आपदा राहत दल में कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) मुख्यालय अध्यक्ष, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) द्वितीय, सहायक निदेशक (कृषि रक्षा) प्रथम सदस्य है, जो प्रदेश स्तर पर टिड्डी दल के रोकथाम के लिए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे। साथ ही जिले स्तर पर गठित आपदा राहत दल में मुख्य विकास अधिकारी अध्यक्ष, उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी और कृषि रक्षा अधिकारी सदस्य है, जो टिड्डी दल के प्रकोप से सुरक्षा हेतु आवश्यक उपाय करने के साथ-साथ इसके रोकथाम के लिए समुचित कार्यवाही सुनिश्चित करेंगे।

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि ने एमपी और राजस्थान के किसानों की फसलें करदीं तबाह

मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में आकस्मिक रूप से आई बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से रायडा, तारामीरा, ईसबगोल और जीरा जैसी फसलें नष्ट हो गई हैं। होली पर्व के तुरंत उपरांत फसलों की कटाई होनी थी। इस बार किसान भाई बेहतर आमदनी की आस में बैठे थे। वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के समूचे अरमानों पर पानी फिर गया है। बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि की वजह से राजस्थान के किसानों को बेहद हानि का सामना करना पड़ा है। जालौर एवं बाड़मेर जनपद में बेहद कृषि रकबे में फसलों पर इसका प्रभाव देखने को मिला है। आकस्मिक आन पड़ी इस विपत्ति से निराश किसानों द्वारा केंद्र सरकार से समुचित आर्थिक मदद देकर हानि की भरपाई करने की मांग व्यक्त की है।

इतने अरब रुपये की फसल हुई तबाह

जालौर कृषि विभाग के उपनिदेशक आरबी सिंह का कहना है कि यहां सर्वाधिक इसबगोल की फसल को हानि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, इसबगोल की फसल 80 फीसद तक तबाह हो गई है। साथ ही, अरण्डी, तारामीरा, जीरा, सरसों, गेंहू की 30 फीसद फसल नष्ट हो गई है। दावे के अनुसार जनपद में 35600 हेक्टेयर में खड़ी 2.13 अरब रुपये की फसल खराब हो गई है। किसानों के समक्ष आजीविका की समस्या उत्पन्न हो गई है। ऐसे वक्त में जालोर के सरपंच संघ के जिलाध्यक्ष सुनील साहू द्वारा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर समुचित आर्थिक सहायता की मांग की है। साथ ही, बाड़मेर जनपद मुख्यालय के समीप के गांवों सहित गुड़ामालानी, सेड़वा, धोरीमन्ना, चौहटन, बायतु में बारिश एवं ओलावृष्टि से दर्जनों गांवों में किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं हैं। होली के पावन पर्व के तुरंत बाद फसलों की कटाई जरूरी थी। किसान अच्छी आय की उम्मीद लगाए इंतजार में थे। लेकिन, बेमौसम वर्षा और ओलावृष्टि की वजह से किसानों के अरमानों पर पानी फिर गया है।

ये भी पढ़ें:
सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

मध्य प्रदेश में भी बेमौसम बारिश बनी किसानों की मुसीबत

किसान वैसे ही कई सारी चुनौतियों से जूझते रहते हैं। वहीं, अब बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि की वजह से मध्य प्रदेश के किसानों के समक्ष भी संकट पैदा हो गया है। खेतों में खड़ी लहलहाती फसल ओलावृष्टि की वजह से मुरझा सी गई है। विभिन्न स्थानों पर फसल 80 फीसदी तक बर्बाद हो गई है। भोपाल से चिपके खजूरी कलां गांव में असमय वर्षा के चलते किसानों की गेहूं की फसल लगभग बर्बाद हो चुकी है। पीड़ित किसान फिलहाल फसल मुआवजा और फसल बीमा पर आश्रित हैं। सरकार से यही मांग की जा रही है, कि शीघ्र ही उन्हें न्यूनतम लागत के खर्च की धनराशि प्राप्त हो जाए। किसानों भाइयों का यह दर्द एमपी के विभिन्न जनपदों से भी सामने आ रहे हैं। मालवा, विदिशा एवं आगर की भी यही स्थिति है।
ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद

मध्य प्रदेश में अचानक आई बारिश और ओलावृष्टि की वजह से वहां के किसानों की गेंहू की खड़ी फसल खराब हो गई है। स्थानीय विधायक कुणाल चौधरी ने बताया है, कि बारिश और ओलावृष्टि होने से किसानों की फसलों को खूब हानि हुई है।उहोंने यह भी कहा कि मैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जी से निवेदन करना चाहता हूं, कि वह किसानों की आर्थिक सहायता करें। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि मध्य प्रदेश के शाजापुर जनपद में शनिवार को प्रचंड बारिश हुई। परिणामस्वरुप किसान की खड़ी गेहूं की फसल बर्बाद हो गई है। खबरों के मुताबिक, इस आकस्मिक बारिश से किसानों को बेहद आर्थिक हानि पहुंची है। इस परिस्थिति में कालापीपल के विधायक कुणाल चौधरी ने किसानों की क्षतिग्रस्त हुई फसल के विषय में जानकारी लेने के लिए उनके खेतों में जाकर फसलों का सर्वेक्षण किया। साथ ही, बीजेपी सरकार पर खूब जमकर तंज कसे। इसी कड़ी में एक पीड़ित किसान विधायक को देखके भावुक हो गया उनके गले से लगकर रोने लगा। खबरों के अनुसार, जनपद में तकरीबन 40% से अधिक रबी की फसल हानि हो गई है।

विधायक से गले मिलकर रोया पीड़ित किसान

विधायक कुणाल चौधरी ने बताया है, कि बारिश और ओलावृष्टि से फसलों को बड़े स्तर पर हानि पहुंची है। इसी संदर्भ में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कुणाल चौधरी का कहना है, कि अतिशीघ्र उनके स्तर से प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। साथ ही, उन्होंने बताया है, कि राज्य में सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन उत्पादक किसानों को लाभ अर्जित नहीं हुआ है। भाव कम होने के कारण सोयाबीन, प्याज एवं लहसुन की कृषि करने वाले किसान भाई फसल पर किया गया खर्च भी नहीं निकाल पाए हैं। फिलहाल, वर्षा से गेहूं की फसल के ऊपर भी संकट के बादल छा गए हैं। अब सरकार द्वारा किसानों से समुचित मूल्य पर गेहूं खरीदना चालू करने की जरूरत है। ये भी देखें: सर्दी में पाला, शीतलहर व ओलावृष्टि से ऐसे बचाएं गेहूं की फसल

किसानों ने क्षतिग्रस्त फसल के लिए की आर्थिक सहायता की माँग

इसी कड़ी में कुणाल चौधरी ने बताया है, कि कांग्रेस द्वारा किसान भाइयों का कर्ज माफ कर कृषि को सुगम कर दिया था। परंतु, आज की सरकार ने केवल किसानों का जीवन बर्बाद करने का कार्य किया है। आज की सरकार ने 4 गुना महंगा खाद करके किसानों की फसल पर लगने वाली लागत को बढ़ाने का कार्य किया है। इतना ही नहीं किसानों के आगे बेबुनियाद और झूठे वादे करके उनको मुख्यमंत्री जी गुमराह करने का कार्य कर रहे हैं। दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई की वजह से किसानों का फसल पर किए जाने वाला खर्च 3 गुना बढ़ गया है। ऐसी स्थिति में हमारी चाह है, कि किसान भाइयों को समुचित आर्थिक सहायता प्रदान की जाए एवं गेहूं का मूल्य 3000 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया जाए। साथ ही, कालापीपल के विधायक कुणाल चौधरी ने यह बताया है, कि सरकार को 40000 प्रति हैक्टर की कीमत से किसानों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए।

बारिश की वजह से रबी फसल क्षतिग्रस्त

साथ ही, शाजापुर जनपद के प्रभारी मंत्री ने सूचित किया है, कि मध्यप्रदेश में ओलावृष्टि की वजह से किसानों की फसल को बेहद हानि हुई है। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को जो हानि वहन करनी पड़ी है, उसका सर्वेक्षण करने के आदेश दिए जा चुके हैं। परंतु, विचार करने योग्य बात यह है, कि मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान और शिवराज सरकार के मंत्री द्वारा जब आदेश जारी किया जा चुका है। तो फिर क्यों अब तक किसानों के खेत में कोई राजस्व अधिकारी निरीक्षण करने अब तक क्यों नहीं पहुंचा है।
मध्य प्रदेश में बरसात और ओलावृष्टि का कहर, 3800 गांवों में 1.5 लाख हेक्टेयर फसल हुई नष्ट

मध्य प्रदेश में बरसात और ओलावृष्टि का कहर, 3800 गांवों में 1.5 लाख हेक्टेयर फसल हुई नष्ट

मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से तेज बारिश-आंधी और ओलावृष्टि का कहर जारी है। जिसके कारण अब तक लाखों हेक्टेयर फसल नष्ट हो चुकी है। प्रदेश के लगभग हर जिले में ओलावृष्टि हुई है। कई जगहों पर किसानों की फसलें पूरी तरह से चौपट हो गई हैं। किसानों का कहना है कि बिना मौसम वाली बरसात के कारण अभी तक  गेहूं, चना और सरसों की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इसके साथ ही संतरा, लहसुन, धनिया, मसूर, इसबगोल, अलसी की फसलें भी बुरी तरह से बर्बाद हो गई है। प्रदेश में फसलों की बर्बादी को देखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सर्वे करने के आदेश दिए हैं। यह सर्वे दो फेज में करवाया जा रहा है। पहले फेज के सर्वे में जानकारी निकलकर सामने आई है कि 6 से 9 मार्च के बीच जो बरसात और ओलावृष्टि हुई थी उसमें प्रदेश के 16 जिले बुरी तरह से प्रभावित हुए थे। इन जिलों के 3280 गांव में 1.09 लाख किसानों की 1.25 लाख हेक्टेयर की फसल नष्ट हो चुकी है। दूसरे फेज का सर्वे 16 से लेकर 19 मार्च तक किया जा रहा है। सर्वे में अब तक कहा गया है कि इस दौरान 27 जिलों के किसान प्रभावित हुए हैं। जिसमें अभी तक 33884 किसानों की 38985 हेक्टयर फसल के खराब होने की जानकारी सामने आई है। यह आंकड़ा भविष्य में बढ़ सकता है क्योंकि दूसरे फेज का सर्वे अब भी जारी है। सर्वे में बताया गया है कि जिन जिलों में खराब मौसम की वजह से नुकसान हुआ है वहां पर 50 से 85% तक फसलें तबाह हो चुकी हैं। अब तक प्रदेश में कुल 1.5 लाख हेक्टेयर की फसल तबाह हो चुकी है। जिसमें अब तक प्रदेश के 3500 से ज्यादा गांव सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं। अभी तक खराब मौसम का सबसे ज्यादा प्रभाव विदिशा जिले में देखने को मिला है। विदिशा में सर्वाधिक 49883 हेक्टेयर फसल तबाह हो चुकी है। इसके साथ ही सबसे ज्यादा विदिशा जिले के किसान प्रभावित हुए हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदेश जारी करके 25 मार्च तक सभी प्रकार के सर्वे को पूरा करने के लिए कहा है।

ये भी पढ़ें:
ओलावृष्टि और बारिश से किसानों की फसल हुई बर्बाद
फसलों की तबाही को देखेते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सर्वे में किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो। उन्होंने इसके लिए अधिकारियों के साथ मीटिंग की है।  उन्होंने कहा कि सर्वे में ईमानदारी होना जरूरी है, सर्वे में होने वाली किसी भी प्रकार की गलती को स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही उन्होंने आदेश दिया है कि रेवेन्यू, कृषि और पंचायत विकास के अमले को सर्वे में शामिल किया जाए। सर्वे के बाद प्रभावितों की लिस्ट को पंचायत भवन में चस्पा कर दी जाए ताकि सभी लोग अपना नाम लिस्ट में देख सकें। उन्होंने कहा कि यदि किसान सर्वे से असंतुष्ट नजर आते हैं तो उसका जल्द से जल्द निराकरण किया जाए। इसके साथ ही पशु हानि की भरपाई करने के लिए भी मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं।

फसल बर्बाद होने के सदमे में किसान की हुई मौत

प्रदेश के रायसेन जिले के पहरिया गांव में एक किसान की सदमें में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि किसान ने अपनी 8 एकड़ जमीन पर चने की फसल लगाई थी। बिना मौसम तेज बरसात और ओले गिरने के कारण किसान टेंशन में आ गया था। जिससे सोते समय उसकी मौत हो गई। रायसेन जिले में 40 प्रतिशत से ज्यादा फसलें तबाह हो गई हैं। पिछले 24 घंटों में मंडला जिले में सबसे ज्यादा 1.57 नीच बरसात दर्ज की गई है। जिससे जिले की फसलें बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।