आने वाले दिनों में किसान भाइयों के खेतों में रबी की फसल की कटाई का कार्य शुरू हो जाएगा। कटाई के बाद किसान भाई अगली फसलों की बुवाई कर सकते हैं।
किसान भाइयों आज हम आपको हम हर माह, महीने के हिसाब से फसलों की बुवाई की जानकारी देंगे। ताकि आप उचित वक्त पर फसल की बुवाई कर शानदार उपज प्राप्त कर सकें।
इसी कड़ी में आज हम मार्च-अप्रैल माह में बोई जाने वाली फसलों के विषय में जानकारी दे रहे हैं। इसी के साथ उनकी ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियों से भी आपको रूबरू कराऐंगे।
1. मूंग की बुवाई
पूसा बैशाखी मूंग की व मास 338 और टी 9 उर्द की किस्में गेहूं कटने के पश्चात अप्रैल माह में लगा सकते हैं। मूंग 67 दिनों में व मास 90 दिनों में धान रोपाई से पहले पक जाते हैं तथा 3-4 क्विंटल उत्पादन देते हैं।
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मूंग के 8 कि.ग्रा. बीज को 16 ग्राम वाविस्टीन से उपचारित करने के उपरांत राइजावियम जैव खाद से उपचार करके छाया में सुखा लें। एक फुट दूर बनी नालियों में 1/4 बोरा यूरिया व 1.5 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालकर ढक दें।
उसके बाद बीज को 2 इंच दूरी तथा 2 इंच गहराई पर बोएं। अगर बसंतकालीन गन्ना 3 फुट के फासले पर बोया है तो 2 कतारों के मध्य सह-फसल के रूप में इन फसलों की बिजाई की जा सकती है। इस स्थिति में 1/2 बोरा डी.ए.पी. सह-फसलों के लिए अतिरिक्त डालें।
2. मूंगफली की बुवाई
मूंगफली की एस जी 84 व एम 722 किस्में सिंचित स्थिति में अप्रैल के अंतिम सप्ताह में गेहूं की कटाई के शीघ्रोपरांत बोई जा सकती हैं। जोकि अगस्त के अंत तक या सितंबर शुरू तक पककर तैयार हो जाती है।
मूंगफली को बेहतर जल निकास वाली हल्की दोमट मृदा में उगाना चाहिए। 38 किलोग्राम स्वस्थ दाना बीज को 200 ग्राम थीरम से उपचारित करने के बाद राइजोवियम जैव खाद से उपचारित करें।
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कतारों में एक फुट और पौधों में 9 इंच के फासले पर बीज 2 इंच से गहरा प्लांटर की सहायता से बुवाई कर सकते हैं। बिजाई पर 1/4 बोरा यूरिया, 1 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट, 1/3 बोरा म्यूरेट ऑफ पोटाश तथा 70 किलोग्राम जिप्सम डालें।
3. साठी मक्का की बुवाई
साठी मक्का की पंजाब साठी-1 किस्म को पूरे अप्रैल में लगा सकते है। यह किस्म गर्मी सहन कर सकती है तथा 70 दिनों मेंपककर 9 किवंटल पैदावाद देती है। खेत धान की फसल लगाने के लिए समय पर खाली हो जाता है।
साठी मक्का के 6 कि.ग्रा. बीज को 18 ग्राम वैवस्टीन दवाई से उपचारित कर 1 फुट लाइन में व आधा फुट दूरी पौधों में रखकर प्लांटर से भी बीज सकते है।
बीजाई पर आधा बोरा यूरिया, 1.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट व 1/3 बोरा म्यूरेट आफ पोटास डाले। यदि पिछले वर्ष जिंक नहीं डाला तो 10 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट भी जरूर डालें।
4. बेबी कार्न यानी मक्का की बुवाई
बेबीकार्न की संकर प्रकाश व कम्पोजिट केसरी किस्मों के 16 किलोग्राम बीज को एक फुट लाइनों में तथा 8 इंच पौधों में दूरी रखकर बोएं। खाद मात्रा साठी मक्का के समान ही है। यह फसल 60 दिन में पककर तैयार हो जाती है।
बतादें, कि इस मक्का के पूर्णतय कच्चे भुट्टे बिक जाते हैं, जो कि होटलों में सलाद, सब्जी, अचार, पकौड़े व सूप तैयार करने के काम में आते हैं। इसके अतिरिक्त हमारे देश से इसका निर्यात भी किया जाता है।
5. अरहर के साथ मूंग या उड़द की मिश्रित बुवाई
किसान भाई सिंचित अवस्था में टी-21 तथा यू.पी. ए. एस. 120 किस्में अप्रैल में लग सकती है। 7 कि.ग्रा. बीज को राइजोवियम जैव खाद के साथ उपचारित करके 1.7 फुट दूर कतारों में बोया जाना चाहिए।
बिजाई पर 1/3 बोरा यूरिया व 2 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालनी चाहिए। अरहर की 2 कतारों के मध्य एक मिश्रित फसल ( मूंग या उड़द) की लाइन भी लगाई जा सकती है, जो 60 से 90 दिन में तैयार हो जाती है।
6. गन्ने की बुवाई
बोआई का समय : उत्तर भारत में मुख्यतह: फरवरी-मार्च में गन्ने की बसंत कालीन बुवाई की जाती है। गन्ने की अधिक पैदावार लेने के लिए सर्वोत्तम समय अक्टूबर – नवम्बर है। बसंत कालीन गन्ना 15 फरवरी-मार्च में लगाना चाहिए। उत्तर भारत में बुवाई का विलम्बित समय अप्रैल से 16 मई तक है।
7. लोबिया की बुवाई
लोबीया की एफ एस 68 किस्म 67-70 दिनों के समयांतराल में पककर तैयार हो जाती है। गेहूं कटने के पश्चात एवं धान, मक्का लगने के बीच फिट हो जाती है तथा 3 क्विंटल तक उपज देती है।
12 किलोग्राम बीज को 1 फुट दूर कतारों में लगाएं और पौधों में 3-4 इंच का फासला रखें। बीजाई पर 1/3 बोरा यूरिया व 2 बोरे सिंगल सुपर फास्फेट डालें। 20-25 दिन बाद पहली निराई-गुड़ाई करें।
8. चौलाई की बुवाई
चौलई की फसल अप्रैल माह में लग सकती है, जिसके लिए पूसा किर्ति व पूसा किरण 500-600 किग्रा. पैदावार देती है। 700 ग्राम बीज को कतारों में 6 इंच और पौधों में एक इंच की दूरी पर आधी इंच से गहरा न लगाऐं। बुवाई पर 10 टन कम्पोस्ट, आधा बोरा यूरिया और 2.7 बोरा सिंगल सुपर फास्फेट डालें।
9. कपास : दीमक से बचाव के लिए करें बीजों का उपचार
गेहूं के खेत खाली होते ही कपास की तैयारी प्रारंभ कर कर सकते हैं। कपास की किस्मों में ए ए एच 1, एच डी 107, एच 777, एच एस 45, एच एस 6 हरियाणा में तथा संकर एल एम एच 144, एफ 1861, एफ 1378 एफ 846, एल एच 1776, देशी एल डी 694 व 327 पंजाब में लगा सकते है।
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बीज मात्रा (रोएं रहित) संकर किस्में 1.7 कि.ग्रा. तथा देशी किस्में 3 से 7 कि.ग्रा. को 7 ग्राम ऐमीसान, 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन, 1 ग्राम सक्सीनिक तेजाब को 10 लीटर पानी के घोल में 2 घंटे रखें।
उसके बाद दीमक से संरक्षण के लिए 10 मि.ली. पानी में 10 मि.ली. क्लोरीपाईरीफास मिलाकर बीज पर छिडक दें तथा 30-40 मिनट छाया में सुखाकर बीज दें। यदि इलाके में जड़ गलन की दिक्कत है, तो उसके बाद में 2 ग्राम वाविस्टीन प्रति कि.ग्रा. बीज के हिसाब से सूखा बीज उपचार भी कर लें।
कपास को खाद - बीज ड्रिल या प्लांटर की मदद से 2 फुट कतारों में व 1 फुट पौधों में दूरी रखकर 2 इंच तक गहरा बोएं।