आपकी जानकारी के लिए बतादें कि एक हेक्टेयर में करीब 25 टन शकरकंद का उत्पादन होता होता है। यदि किसान इसकी कीमत 10 रुपए किलो के हिसाब से भी मानें तो एक एकड़ से उत्पादक न्यूनतम 1.25 लाख रुपए अर्जित कर सकते हैं। वर्तमान में विश्वभर में भारत से बहुत सारे उत्पाद व वस्तुएं निर्यात की जाती रही हैं, शकरकंद उनमें से एक है। आलू की भाँति दिखने वाला शकरकंद की भारत सहित विश्वभर में माँग की जाती है। दरअसल, विश्वभर में शकरकंद निर्यातकों की सूचि में भारत छठवें स्थान पर है, परंतु जिस प्रकार से किसान इसके उत्पादन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। इस हिसाब से बहुत जल्द भारत चीन को पछाड़कर निर्यातकों की सूचि में प्रथम स्थान हासिल प्राप्त करलेगा। बतादें, कि देश के बहुत सारे राज्यों में शकरकंद का उत्पादन बेहतरीन तरीके से किया जा रहा है एवं किसान इसकी फसल से अच्छा खासा लाभ भी उठा पा रहे हैं। आगे हम इस लेख में शकरकंद के उत्पादन से कैसे अधिक मुनाफा कमा पाएंगे इस विषय में हम चर्चा करेंगे। शकरकंद का उत्पादन करने हेतु सर्वप्रथम उत्पादक द्वारा स्वयं की भूमि का मृदा परीक्षण करना होगा। यदि किसान के भूमि की मृदा अत्यंत कठोर एवं पथरीली है अथवा किसान के खेत में जलभराव जैसी दिक्कत भी है, ऐसे में कृषकों हेतु शकरकंद का उत्पादन करना अच्छा नहीं होगा। साथ ही, यदि आपके खेत की मृदा का पीएच मान 5.8 से 6.8 के मध्य है, तो आप शकरकंद का उत्पादन करना बेहद आसानी से कर सकते हैं। शकरकंद का उत्पादन करने के दौरान सिंचाई का अत्यधिक ध्यान केंद्रित करना अत्यंत आवश्यक है। यदि किसानों ने ग्रीष्म ऋतु में शकरकंद के पौधे लगाए हैं, उस समय रोपाई के तुरंत उपरांत सिंचाई नहीं करनी चाहिए। किसान भाई ध्यान रखें कि सिंचाई सप्ताह में केवल एक बार ही हो। यदि बरसात का मौसम है, तो किसान बिल्कुल भी शकरकंद में बिल्कुल पानी न लगाएं।