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मधुमक्खी पालन कारोबार को संबल देगी हरियाणा सरकार की नई योजना

मधुमक्खी पालन कारोबार को संबल देगी हरियाणा सरकार की नई योजना

हरियाणा में बेहतर गुणवत्ता के शहद के उत्पादन एवं व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने मधुमक्खी पालकों के लिए ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ आर्थिक पैकेज के तहत 32.28 करोड़ रुपये की विभिन्न आधारभूत संरचना विकास परियोजनाएं और प्रशिक्षण कार्यक्रम 1. इनमें एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र, रामनगर, जिला कुरुक्षेत्र में 20 करोड़ रुपये की लागत से एक गुणवत्ता नियंत्रण परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करना शामिल है।  इसके अलावा, इस केन्द्र में संग्रहण, विपणन एवं भंडारण केन्द्रों, पोस्ट हारवेस्टिंग और मूल्य संवर्धन सुविधाओं की स्थापना के लिए40 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं। अन्य घटकों जैसे कि मधुमक्खी छत्तों, मधुमक्खी कॉलोनियों, मधुमक्खी प्रजनकों, प्रशिक्षण कार्यक्रमों और अन्य राज्य कृषि विश्वविद्यालय परियोजनाओं पर 10.88 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव है। Bee Farming 2. कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री संजीव कौशल ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रयोगशाला, जिसे मान्यता प्राप्त होगी, की स्थापना मधुमक्खी पालकों एवं शहद उत्पादकों को घरेलू उपभोग के साथ-साथ निर्यात के लिए बेहतर गुणवत्ता के शहद का उत्पादन करने में मदद करेगी। 3. यह प्रयोगशाला हरियाणा के अलावा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड सहित सभी उत्तरी राज्यों की आवश्यकता को भी पूरा करेगी जिनकी शहद उत्पादन में एक बड़ी हिस्सेदारी है।

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4. उन्होंने कहा कि एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र में पर्याप्त मानव शक्ति सहित अन्य सभी बुनियादी सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। इस प्रयोगशाला के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की जाएगी, जो किफायती दरों पर लगातार परीक्षण की मधुमक्खी पालकों और निर्यातकों की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे। Bee Farming 5. उन्होंने कहा की हरियाणा सरकार शहद के व्यापार और नीलामी के लिए इस केन्द्र में एक हनी ट्रेड सेंटर स्थापित कर रही है।केंद्र में भंडारण सुविधा भी होगी, जहां मधुमक्खी पालक, उत्पादक, व्यापारी और निर्यातक लेन-देन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इससे शहद उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापरक शहद उपलब्ध करवाया जा सकेगा। 6. यहां यह उल्लेखनीय होगा की राज्य सरकार ने ‘राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन एवं शहद मिशन’ नामक केंद्रीय योजना के क्रियान्वयन और कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय संचालन समिति के गठन को स्वीकृति प्रदान कर दी है। श्री कौशल ने कहा कि एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्र राज्य में इस मिशन के लिए कार्यान्वयन एजेंसी होगा। 7. ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ के तहत केंद्र सरकार ने एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों से संबंधित बुनियादी ढांचे के विकास और संग्रहण, विपणन एवं भंडारण केन्द्रों तथा पोस्ट हारवेस्टिंग एवं मूल्य संवर्धन सुविधाओं की स्थापना के लिए 500 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं।
मधुमक्खी के डंक से किसान जल्द हो सकते हैं अमीर, 70 लाख रुपये है कीमत

मधुमक्खी के डंक से किसान जल्द हो सकते हैं अमीर, 70 लाख रुपये है कीमत

मधुमक्खी से प्राप्त शहद के साथ ही अब मधुमक्खी का डंक भी बिकने के लिए तैयार है। बाजार में इसकी कीमत 70 लाख रुपये प्रति किलो तक हो सकती है। इसके लिए मध्य प्रदेश में डंक के प्रोसेसिंग के लिए एक यूनिट की स्थापना की जा रही है। यह यूनिट मुरैना के महात्मा गांधी सेवा आश्रम में लगाई जा रही है। जिस पर चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। यहां पर शहद की गुणवत्ता की जांच की जाएगी, साथ ही उसकी पैकिंग और ब्रांडिग भी की जाएगी। मुरैना में शहद की यूनिट लगने से सबसे ज्यादा मधुमक्खी पालकों को फायदा होने वाला है। इस यूनिट के माध्यम से ही मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। साथ ही एक विशेष मशीन के माध्यम से मधुमक्खियों के डंक निकालने का काम भी किया जाएगा। भारतीय बाजार में मधुमक्खियों के डंक की कीमत 70 लाख रुपये प्रति किलो तक बताई जा रही है। मशीन के माध्यम से मधुमक्खी का डंक निकालने से मधुमक्खी को किसी भी प्रकार की हानि नहीं होगी। साथ ही मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले शहद से लेकर गोंद तक की बाजार में भारी डिमांड रहती है। इनका उपयोग दवा बनाने के साथ ही कई अन्य चीजों में किया जाता है।

मधुमक्खी पालन से किसानों को होते हैं ये फायदे

मधुमक्खी पालन किसानों के लिए अतिरिक्त आय का स्रोत है, इससे किसानों की आय में तेजी से वृद्धि होती है। साथ ही किसानों की फसल का उत्पादन भी बढ़ जाता है, क्योंकि मधुमक्खियां फसलों का परागकण निकालती हैं, जिससे फसलों की गुणवत्ता में सुधार होता है और लगभग 15 से 30 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ जाता है। मधुमक्खियों के माध्यम से शहद का उत्पादन किया जाता है। इसके साथ ही मधुमक्खी के छत्तों से रायल जेली भी प्राप्त की जाती है। यह जेली मानव शरीर के लिए बेहद लाभप्रद मानी जाती है क्योंकि इसमें उत्तम पौष्टिक पदार्थ पाए जाते हैं। मधुमक्खी पालन के माध्यम से मोम का भी उत्पादन भी किया जाता है। जिसका उपयोग कॉस्मेटिक सामग्री तैयार करने में और मोमी बेस शीट बनाने में किया जाता है।

भारत में मधुमक्खियों की प्रमुख प्रजातियां

भारत में मधुमक्खियों की प्रमुख तौर पर 4 प्रजातियां पाई जाती हैं।

एपिस डोरसेटा (भंवर मधुमक्खी): इसे सब्स ज्यादा गुस्सैल मधुमक्खी माना जाता है। यह आकर में बड़ी होती है तथा लोगों पर खतरनाक रूप से हमला करती है। यह मधुमक्खी एक साल में 20 से 25 किलो शहद देती है। यह भी पढ़ें: मधुमक्खी पालन को बनाएं आय का स्थायी स्रोत : बी-फार्मिंग की सम्पूर्ण जानकारी और सरकारी योजनाएं एपिस मेलिफेरा (इटालियन मधुमक्खी): यह भी आकर में बड़ी होती है। इसकी रानी मधुमक्खी अन्य मधुमक्खियों की अपेक्षा ज्यादा अंडे दे सकती है। इसलिए यह शहद का उत्पादन भी ज्यादा करती है। अगर इसे दो खण्ड के बक्सों में पाला जाए तो यह एक साल में 80 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है। एपिस फलोरिया (उरम्बी मधुमक्खी): यह बेहद छोटे आकर की मधुमक्खी होती है। यह सुरक्षित जगहों पर अपना छत्ता बनाती है। यह मधुमक्खी साल में 2 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है। एपिस सेराना इण्डिका (भारतीय मधुमक्खी): यह एक ऐसी मधुमक्खी होती है जो वीरान इलाकों में अपना छत्ता बनाती है, इसके छत्ते ज्यादातर पेडों व गुफाओं में होते हैं। यह पहाड़ी इलाकों में पाई जाती है। यह साल में 6 किलो तक शहद का उत्पादन कर सकती है।

भारत में मधुमक्खी पालन का उपयुक्त समय

चूंकि मधुमक्खी पालन में सबसे ज्यादा महत्व फूलों का होता है, क्योंकि मधुमक्खियां फूलों से मकरंद व पराग एकत्रित करती हैं, जिससे शहद बनता है। इसलिए मधुमक्खी पालन का सबसे उचित समय अक्टूबर से लेकर दिसम्बर तक होता है।
मधुमक्खी पालन से आप सालभर में लाखों रूपए की आमदनी कर सकते हैं

मधुमक्खी पालन से आप सालभर में लाखों रूपए की आमदनी कर सकते हैं

किसान भाई मधुमक्खी पालन कर एवं उसका शहद बेचकर शानदार लाभ उठा सकते हैं। शुद्ध शहद का बाजार में काफी अच्छा भाव मिलता है। अगर आप किसान हैं व फल-सब्जियों की खेती कर के थक गए हैं, तो ये खबर आपके लिए काफी काम की हो सकती है। भारत में तीव्रता से मधुमक्खी पालन बढ़ रहा है। विशेषज्ञ इसे मुनाफा देने वाला कार्य बताते हैं। बड़ी तादात में किसान मधुमक्खी पालन कर मुनाफा उठा रहे हैं। सरकार की तरफ से भी किसानों को मुनाफा देने के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य किया जा रहा है। केंद्र सरकार की ओर से मधुमक्खी पालन पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। साथ ही, राज्य सरकार भी इस कार्य के लिए किसानों को प्रोत्साहन देती हैं।

मधुमक्खी पालन करने हेतु 90 फीसद अनुदान

बिहार राज्य में सरकार की ओर से मधुमक्खी पालन करने के इच्छुक किसानों को 90 प्रतिशत तक की सब्सिड़ी दी जाती है। शहद के लिए कॉलोनी समेत मधुमक्खी बॉक्स, मधु निष्कासन यंत्र और प्रसंस्करण के लिए सामान्य श्रेणी के कृषकों को 75 प्रतिशत तक सब्सिड़ी दी जाती है। वहीं, एससी-एसटी श्रेणी के कृषकों को 90 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जा रहा है। ये भी पढ़े: मधुमक्खी पालन को बनाएं आय का स्थायी स्रोत : बी-फार्मिंग की सम्पूर्ण जानकारी और सरकारी योजनाएं

मधुमक्खी पालन किस प्रकार करें

मधुमक्खियों को रखने के लिए कृषकों को कार्बनिक मोम (डिब्बे) की व्यवस्था करने की आवश्यकता पड़ती है। इसमें 50 हजार से लेकर 60 हजार मधुमक्खियां एक साथ रखी जाती हैं। ये मधुमक्खियां लगभग एक क्विंटल शहद की पैदावार करती हैं।

शहद उत्पादन से शानदार मुनाफा होगा

बाजार में शुद्ध शहद का भाव 700 से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक रहता है। अगर आप प्रति बॉक्स 1000 किलो शहद की पैदावार करते हैं, तो प्रति माह में लाखों रुपये बचा सकते हैं।

मधुमक्खी पालन में कितना खर्चा आता है

विशेषज्ञों की मानें तो 10 पेटी से मधुमक्खी पालन की शुरुआत की जा सकती है। इसमें लगभग 40 हजार रुपये तक की लागत आती है। मधुमक्खियों की तादात भी हर एक साल बढ़ती है। जितनी अधिक मधुमक्खियां बढ़ती हैं, शहद उत्पादन भी उतना ही ज्यादा होता है। साथ ही, मुनाफा उसी हिसाब से कई गुना तक बढ़ जाता है।
किसान भाई मधुमक्खी पालन से शानदार लाभ उठा सकते हैं

किसान भाई मधुमक्खी पालन से शानदार लाभ उठा सकते हैं

किसान भाई मधुमक्खी पालन से भी काफी शानदार मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। मधुमक्खी का शहद औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इस वजह से ये काफी मांग में भी रहता है। वहीं, यदि आप एक अच्छा व्यवसाय करने का मन बना रहा हैं, तो मधुमक्खी पालन आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है। आज हम आपको मधुमक्खी पालन की संपूर्ण जानकारी देंगे। मधुमक्खी पालन के लिए आप सरकार की तरफ से मिलने वाले अनुदान का फायदा भी उठा सकते हैं। कृषि मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर डिटेल्स देख सकते हैं।  शहद एक स्वादिष्ट एवं पौष्टिक उत्पाद है, जो सेहत के लिए विभिन्न फायदे प्रदान करता है। मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत में शुरू किया जा सकता है। साथ ही, इसमें काफी शानदार आमदनी की संभावना भी है। मधुमक्खी पालन के लिए एक शांत स्थान होना चाहिए। मधुमक्खी पालन के लिए बेहतर स्थान वही है, जहां पर फूलों की प्रजातियों की भरमार हो। आप मधुमक्खी पालन के विषय में सही जानकारी पाने के लिए प्रशिक्षण ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप किसी अनुभवी मधुमक्खी पालक से सलाह ले सकते हैं।

मधुमक्खी पालन से अच्छी आमदनी होगी 

मधुमक्खी पालन के आरंभ से पहले आपको कुछ आवश्यक उपकरण जैसे मधुमक्खी के छत्ते, शहद निकालने वाली मशीन एवं अन्य यंत्रों की आवश्यकता होगी। मधुमक्खी पालन के लिए स्वस्थ शानदार गुणवत्ता वाली मधुमक्खी का चुनाव करना आवश्यक है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय से काफी अच्छी कमाई करने के लिए शहद की पैदावार को अधिक करना जरूरी है। शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए मधुमक्खी की संख्या बढ़ाना। मधुमक्खी के लिए शानदार भोजन का प्रबंध करना एवं मधुमक्खी की देखरेख का बेहतर प्रबंधन करना चाहिए। ये भी पढ़ें: मधुमक्खी पालन कारोबार को संबल देगी हरियाणा सरकार की नई योजना

शहद बेचने के लिए इस तरीके का इस्तेमाल करें

शहद कई औषधीय गुणों से परिपूर्ण होता है। यही वजह है, कि आपको पहले व्यापक अध्ययन करके शहद के समस्त फायदों की सूची बनानी चाहिए। शहद की बिक्री के समय आप उसके लाभों की सूची को ध्यान में रखेंगे। लोगों को शहद के बहुत सारे फायदे बताए जाते हैं, तो लोग बड़ी ही शीघ्रता से उसको खरीद लेते हैं। शहद की एक अच्छी बात यह है, कि यह ज्यादा महंगा नहीं होता और हर घर में इस्तेमाल होता है।

मधुमक्खी पालन से जुड़ी क्या-क्या जरूरी बातें हैं 

  • मधुमक्खी की देखरेख काफी अच्छी तरह से करें। 
  • शहद निकालने का उपयुक्त वक्त और तरीके का चुनाव करें।
  • शहद की बेहतर तरीके से पैकेज करें और विपणन करें। 
बाजार में बिकने वाले नकली शहद की कैसे पहचान करें?

बाजार में बिकने वाले नकली शहद की कैसे पहचान करें?

औषधीय गुणों से परिपूर्ण शहद की मांग सर्दियों के दौरान काफी ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में लोगों को नकली शहद से सावधान रहने की आवश्यकता है। हालाँकि, सामान्य तौर पर शानदार शहद की मांग हर मौसम में बरकरार बनी रहती है। परंतु, सर्दियों के दौरान इसकी मांग काफी ज्यादा रहती है। परंतु, इस दौरान शहद की मांग बढ़ने के कारण कुछ नक्काल लोग नकली शहद निर्मित करके बेचना भी आरंभ कर देते हैं। ऐसा तो नहीं है, कि आप भी इस जमाने में अच्छा शहद समझ कर कोई गलत चीज का सेवन तो नहीं कर रहे हैं। चलिए आपको आज के इस लेख में बताऐंगे कि कैसे आप सही शहद की पहचान करें।

नक्कालों से सावधान

आंकड़ों के मुताबिक, सही शहद की पहचान करना काफी मुश्किल होता है। क्योंकि, मिलावटी शहद को एकदम असली शहद की तरह निर्मित किया जा सकता है। हालांकि, कुछ सुगम तरीके हैं, जिनसे आप अच्छे शहद की आसानी से पहचान कर सकते हैं। बतादें, कि इसके लिए आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच शहद डालें। अगर शहद पानी में घुल जाता है, तो यह मिलावटी है। असली शहद पानी में नहीं घुलता और पानी की सतह पर तैरता रहता है। इसके अतिरिक्त आप एक लकड़ी की छड़ी पर शहद लगाकर उसे आग पर रख दें। अगर शहद जलने पर मोमबत्ती की भांति जलता है, तो ये असली है। मिलावटी शहद जलने पर चिपचिपा हो जाता है और सहजता से नहीं जलता है। 

ध्यान देने योग्य बड़े काम की बात 

आंकड़ों के मुताबिक, आप ब्रेड के टुकड़े पर शहद लगाकर भी शहद की आसानी से पहचान कर सकते हैं। अगर शहद ब्रेड में बेहतर तरीके से चिपक जाता है, तो वह बिल्कुल असली है। क्योंकि, मिलावटी शहद ब्रेड से सुगमता से अलग हो जाता है। इसके अतिरिक्त आप लैब्स की सहायता से भी असली और नकली शहद की आसानी से पहचान कर सकते हैं।

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खाद्य विशेषज्ञों का कहना है, कि शहद उन दुर्लभ खाद्य पदार्थों में से एक है, जिसका सेवन करते ही तत्काल शरीर को ऊर्जा मिल जाती है। ऐसे तो दुनिया में विभिन्न प्रकार के मानव निर्मित स्वीटनर उपलब्ध हैं। परंतु, शहद ऐसी मिठास है, जिसकी ‘नकल’ नहीं की जा सकती है। इतना तो हो सकता है, कि शहद की मक्खी (Honey Bee) को ‘बहला-फुसलाकर’ विभिन्न प्रकार के फूलों के स्वाद का शहद निर्मित किया जाए। परंतु, इसका प्रतिरूप नहीं जा सकता है। विशेष बात यह भी है, कि हजारों साल पुरानी इस मिठास के स्वाद में बड़ा परिवर्तन भी देखने को नहीं मिला है।

कोटा के नरेंद्र मालव मधुमक्खी पालन करके हो रहे मशहूर

कोटा के नरेंद्र मालव मधुमक्खी पालन करके हो रहे मशहूर

किसान अच्छे रास्तों से नरेंन्द्र मालव ने साल 2004 में मधुमक्खी पालन शुरू किया था। इसके लिए उन्होंने कोटा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया था। किसान हमेशा कुछ न कुछ नया करने का प्रयास करते रहते हैं। कई सारे किसानों ने अपनी सूझ-बूझ से काफी उन्नति एवं प्रगति की है। आज हम आपकी एक ऐसे किसान से मुलाकात कराने जा रहे हैं। जिसने मधुमक्खी पालन करके अन्य किसान भाइयों के सामने एक अद्भुत मिसाल कायम की है। किसान शहद को बाजार में बेचकर के लाखों में आय अर्जित कर रहा है। नरेंद्र मालव द्वारा उत्पादित किए गए शहद की माँग काफी दूर दराज तक है। इसी कारण से नरेंद्र मालव का यह सुप्रसिद्ध शहद केवल जनपद में ही नहीं बल्कि राज्य भर के लिए एक ब्रांड बन चुका है। वास्तविकता में हम चर्चा कर रहे हैं, शहद उत्पादक नरेंद्र मालव जो कि राजस्थान के रहने वाले हैं। मधुमक्खी पालन हेतु राज्यस्तरीय पुरुस्कार प्राप्त करने वाले शहद किसान नरेंद्र मालव राजस्थान के कोटा जनपद के रहने वाले हैं।

मधुमक्खी पालक नरेंद्र मालव कहा के रहने वाले हैं

आपकी जानकारी के लिए बतादें कि नरेंद्र मालव ने कोटा जनपद में मौजूद कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण भी लिया था। प्रशिक्षण के बाद वह इस क्षेत्र में इतने सक्षम हो गए हैं कि अब अन्य किसान भी उनसे मधुमक्खी पालन करने के गुर सीखने उनके पास जाते हैं। बतादें कि नरेंद्र मालव ने 10000 रुपए के खर्चे से इस व्यवसाय को चालू किया था। परंतु, कुछ वर्षों के अंदर ही उन्होंने अपनी अथक मेहनत और निरंतर प्रयासों से आज लाखों रुपए का साम्राज्य स्थापित कर दिया है। फिलहाल वह बहुत सारे लोगों को रोजगार के अवसर मुहैय्या करा रहे हैं। 

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एक कॉलोनी से आप 7 से 8 बार शहद प्राप्त कर सकते हैं

इसी कड़ी में आपको बतादें कि खबरों के अनुसार, किसान नरेंद्र मालव शहद विक्रय करने के साथ- साथ मधुमक्खियों को भी विक्रय करते हैं। उनके अनुसार, शहद से काफी अधिक मुनाफा मधुमक्खी बेकने से होता है। जानकारी के लिए बतादें कि नरेंद्र मालव के समीप फिलहाल 1200 से भी अधिक मधुमक्खियों की कॉलोनी मौजूद हैं। तकरीबन एक कॉलेनी के माध्यम से 25 से 30 किलो शहद प्राप्त किया जाता है। विशेष बात यह है, कि एक कॉलोनी द्वारा एक साल में किसान 7 से 8 बार शहद निकाल सकते हैं। इसी की सहायता से नरेंद्र मालव इस व्यवसाय से एक वर्ष में 25 लाख रुपये का मात्र लाभ उठा रहे हैं। 

मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को शुरू करने के लिए कितना खर्चा होता है

अब हम आपको नरेंद्र के शहद के प्रसिद्ध होने के पीछे की वजह को बताने जा रहे हैं। आखिर उनके शहद में ऐसा क्या है, जिससे उनके शहद की माँग पूरे देशभर में हो रही है। वह वजह यह है, कि इस शहद को धनिया, राई एवं सौंफ की सहायता से निर्मित किया जाता है। नरेंद्र मालव के अनुसार, मधुमक्खी पालन काफी परिश्रम से होता है। इसका व्यवसाय चालू करने से पूर्व मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेना अति आवश्यक होता है। यदि आप बेहतरीन तरीके से मधुमक्खी पालन करते हैं, तो आप इसके जरिए बेहतर आमदनी कर सकते हैं। अगर हम नरेंद्र मालव के अनुरूप देखें तो मधुमक्खी पालन के व्यवसाय को चालू करने हेतु मात्र 30 हजार रुपए की लागत आती है।