विविधताओं वाले भारत देश में मिट्टी भी अलग अलग पाई जाती है, जानें इनमे से सबसे ज्यादा उपजाऊ कौन सी मिट्टी है ?
जैसा कि हम जानते हैं, कि हिंदुस्तान विविधताओं का देश है। यहां तक कि भारत में मिट्टी भी विभिन्न प्रकार की पाई जाती है। मिट्टी (Soil) के कारण यहां फसलों में भी विविधता पाई जाती है। भारत का किसान विभिन्न प्रकार की फसलों का उत्पादन करता है। मुख्य बात ये है, कि भारत में जिस प्रकार भिन्न भिन्न फसल होती है, वैसे ही देश में अलग-अलग मिट्टी भी है, जो कि फसलों को सही पोषण देकर उन्हें उगने में सहायता करती है। आपने बचपन में अपनी किताबों में भारत में पाई जाने वाली मिट्टी के विषय में अवश्य पढ़ा होगा। क्या आपको मालूम है, कि हिंदुस्तान में कितने तरह की मिट्टी पाई जाती है ? यदि नहीं, तो इस लेख के जरिए आपको इनके सभी प्रकारों के बारे में जानकारी देंगे। भारत में पाई जाने वाली प्रमुख प्रकार की मृदाएं जैसे कि - जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil), लाल मिट्टी (Red And Yellow Soil), काली मिट्टी (Black Or Regur Soil), पहाड़ी मिट्टी (Mountain Soil), रेगिस्तानी मिट्टी (Desert Soil), लेटराइट मिट्टी (Laterite Soil) हैं।भारत में पाई जाने वाली प्रमुख मृदाएँ:
1. जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil)
इस मिट्टी का निर्माण नदी द्वारा ढो कर लाए गए जलोढ़ीय पदार्थों के जरिए हुआ है। यह मिट्टी भारत की सबसे महत्वपूर्ण मिट्टी है। इसका विस्तार मुख्य रूप से हिमालय की तीन प्रमुख नदी तंत्रों गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी बेसिनों में देखा जाता है। इसके अंतर्गत पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, बिहार, असम के मैदानी क्षेत्र और पूर्वी तटीय मैदानी क्षेत्र आते हैं।ये भी पढ़ें: घर पर मिट्टी के परीक्षण के चार आसान तरीके
2. लाल मिट्टी (Red And Yellow Soil)
यह मिट्टी ग्रेनाइट से निर्मित है। इस मिट्टी में लाल रंग रवेदार आग्नेय और रूपांतरित चट्टानों में लौह धातु की वजह है। इसका पीला रंग इसमें जलयोजन की वजह से होता है। प्रायद्वीपीय पठार के पूर्वी और दक्षिणी क्षेत्रों में बहुत बड़े हिस्से पर लाल मिट्टी पाई जाती है, जिसमें दक्षिण पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, उड़ीसा, छोटा नागपुर का पठार, तमिलनाडु, कर्नाटक, गोवा, उत्तर-पूर्वी राज्यों के पठार शम्मिलित हैं।3. काली मिट्टी (Black Or Regur Soil)
यह मिट्टी ज्वालामुखी के लावा से निर्मित हुई है। इस वजह से इस मिट्टी का रंग काला है। इसे स्थानीय भाषा में रेगर या रेगुर मिट्टी के नाम से भी जाना जाता है। इस मिट्टी के निर्माण में जनक शैल और जलवायु ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है।4. पहाड़ी मिट्टी (Mountain Soil)
पहाड़ी मिट्टी हिमालय की घाटियों की ढ़लानों पर 2700 मी• से 3000 मी• की ऊंचाई के मध्य पाई जाती है। इन मिट्टी के निर्माण में पर्वतीय पर्यावरण के मुताबिक परिवर्तन आता है। नदी घाटियों में यह मिट्टी दोमट और सिल्टदार होती है। परंतु, ऊपरी ढ़लानों पर इसका निर्माण मोटे कणों में होता है। नदी घाटी के निचले क्षेत्रों विशेष तौर पर नदी सोपानों और जलोढ़ पखों आदि में यह मिट्टियां उपजाऊ होती है। पर्वतीय मृदा में विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाया जाता है। इस मृदा में चावल, मक्का, फल, और चारे की फसल प्रमुखता से उगाई जाती है।ये भी पढ़ें: विश्व मृदा दिवस: 5 दिसंबर को मनाया जाता है
5. रेगिस्तानी मिट्टी (Desert Soil)
मरूस्थलों में दिन के वक्त ज्यादा तापमान की वजह से चट्टानें फैलती हैं और रात्रि में अधिक ठंड की वजह से चट्टानें सिकुड़ती हैं। चट्टानों के इस फैलने और सिकुड़ने की प्रक्रिया के कारण राजस्थान में मरुस्थलीय मिट्टी का निर्माण हुआ है। इस मिट्टी का विस्तार राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में है।6. लेटराइट मिट्टी (Laterite Soil)
लैटराइट मिट्टी उच्च तापमान एवं अत्यधिक वर्षा वाले इलाकों में विकसित होती है। यह अत्यधिक वर्षा से अत्यधिक निक्षालन (Leaching) का परिणाम है। यह मिट्टी मुख्यतः ज्यादा वर्षा वाले राज्य महाराष्ट्र, असम, मेघालय, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के पहाड़ी क्षेत्रों में एवं मध्यप्रदेश व उड़ीसा के शुष्क क्षेत्रों पाई जाती है।
12-Aug-2023